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कहानी के पिछले भाग अनजानी चुत - ५ में आपने पढ़ा, मेरा लौडा मैने उसकी गांड में डाल दिया था और लौडे ने अपनी जगह बना ली थी। थोडी देर रुकने के बाद मै उसकी पीठ पर हाथ घूमाना चालू कर दिया। और अपने होठों से उसकी पीठ को किस भी किये जा रहा था।
अब उसने अपनी गांड धीरे धीरे हिलाना शुरू कर दिया था। जिससे मै समझ गया, की अब इसका दर्द चला गया और अब पूरे जोश से चुदाई की जा सकती है। तो मैंने अपने हाथों से उसकी कमर पे अपनी पकड़ मजबूत कर ली। और अब। धकमपेल चुदाई करने लग गया। अब तो मेरे हर धक्के पे वो भी अपनी गांड पीछे ले आती और मेरे साथ पूरा सहयोग कर रही थी।

रानी बोलने लगी, "तू गजब है रे मेरे चोदू। एक बार को तो मुझे लगा, तूने मेरी जान ही निकल दी। अब जैसे चोदना हो चोद, जो करना हो कर। मैं किसी चीज के लिए मना नही करूँगी।"

तो मैंने भी उससे बोला, "बहुत दिनों से मेरी एक इच्छा है, मैं दो औरतों को एक साथ चोदू। लेकिन आज तक मैंने कभी ऐसा किया नही है। तू किसी को पटाने में मेरी हेल्प कर दे।"

इस पर वो बोली, "तू तो बहुत हरामी है रे। एक चुत से मन नही भरता क्या , जो तुझे दूसरी भी चुत एक ही बेड पर चाहिए।"

तो मैंने एक जोर का झटका उसकी गांड में मारते हुए कहा, "देख रानी सबकी अपनी अपनी इच्छा होती है, मैने तेरे साथ भी कोई जबरदस्ती नही की। तू तैयार थी चुदवाने तभी यहां आई है। बस मुझे दो लड़कियां एक साथ चाहिए, जिनको मैं एक साथ प्यार करूँ।"

तो उसने कहा, "मैं देखती हूँ, तेरे लिए मैं कोशिश जरूर करूँगी।"

मैने कहा, "रानी अगर मेरी यह इच्छा पूरी करवा दी तो जो तू बोलेगी वो मैं करने के लिए तैयार हूं।"

इस पर उसने कहा, "अरे मेरे चोदू यार, पहले गांड चुदाई पे ध्यान दे। बाकी बाते बाद में करेंगे।"

तो मैंने भी अपना सारा ध्यान उसकी गांड मारने पे लगा दिया। काफी देर तक उसे उसी पोजीशन में रखने के बाद अब मैंने उसे ऊपर आकर कमान संभालने को कहा। तो अब मैं नीचे लेट गया और वो ऊपर आने लगी। मेरे लौडे को उसने अपने हाथ मे ले लिया और उसकी चुत पे सेट करने लगी।

तो मैंने उससे कहा, "चुत में खुजली हो रही है क्या? जो लंड को गांड की जगह और चुत में लेना चाहती हो।"

इस पर वो बोली, "मेरे चोदू यार वैसी बात नही है। तुझे गांड मारनी है, तो ले गांड में ही लौडा सेट करती हूं।"

इतना बोलकर उसने लौडे को गांड की छेद पर रख दिया। जैसे ही उसने लंड को गांड के छेद पर सेट किया, मैने अपनी कमर उचकाकर एक झटका दे मारा। जिससे मेरे लंड का टोपा गप करके उसकी गांड में चला गया। और उसके मुंह से बस एक आह निकलके रह गयी। मेरे इस तरह झटका मारने से वो पूरी तरह से मुझ पर लेट गई।
अब उसके पैर मेरे पैरों के इधर उधर डालकर मेरी कमर के पास थे। और उसकी गांड मेरे लंड पे उछल रही थी।

उसके हाथ मेरी छाती का सहारा लेकर खडे थे। और मेरे हाथ उसकी छाती पर यानी उसके आमों से खेल रहे थे। थोडी ही देर में वो अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरे लंड को अंदर बाहर लेने लग गई। अब उसके इस तरह से उछलने की वजह से मै भी एकदम मस्त हो चुका था। कभी मै उसके आमों को निचोड रहा होता तो कभी उन्हें खींच के अपने मुंह मे भरके चूस रहा होता। बीच बीच मे मेरे हाथ उसकी गांड को भी सहलाकर चांटे जड रहे थे। जिसे वो भी अब मजे से एंजॉय कर रही थी। और उसे भी यह सब अच्छा लगने लगा था।

वो बहुत ही मादक तरीके से मेरे लंड को अपने गांड की सवारी करवा रही थी। कभी गांड को एकदम ढीला छोडकर उछलते हुए लंड अंदर बाहर करती; तो कभी गांड को एकदम से भींच कर फिर उछल जाती। जिस वजह से मेरे लंड महाशय भी मजे से और फूलते जा रहे थे। हालांकि जब वो अपनी गांड भींच लेती तो मेरे लंड को ऐसा लगता जैसे किसी कुंवारी लडकी की सील पैक चुत में घुस रहा हो।

इसी के साथ वो कभी जोर जोर से उछलकर लंड अपनी गांड के अंदर लेती। तो कभी एकदम धीरे से अंदर बाहर करती। या फिर बीच बीच मे अपनी गांड को इस प्रकार से घुमाती जिससे लंड फूलकर एकदम टुन्न हो जाये। और होता भी यही था। अब मुझे लगा मै झडने वाला हूँ, मेरा माल निकल जायेगा।

तो मैंने उसकी कमर को एकदम से पकड़कर उसे रुकने का इशारा दे दिया। थोडी देर रुकने के बाद मुझे लगा अब मैं और थोडी देर के लिए इसे चोद सकता हूँ। फिर मैंने उसकी कमर पे अपनी पकड मजबूत बनाकर उसे पलट दिया। उसे पलटकर बेड पर मेरे बगल में ही लिटा दिया। और मै उसके ऊपर आ गया।

मैने उससे कहा, "बोल छिनाल, मेरा माल कहा लेना पसंद करेगी।"

उसने कहा, "तुम जहां देना चाहो, दे देना। अब मेरे सब छेद तो तुम खोल ही चुके हो, तो क्या फर्क पडता है।"

तो मैंने अब की बार अपना लौडा उसकी चुत की फांको पर रगडा। इस तरह से उसकी चुत की फांको पर मेरे लौडा रगडने से वो और चुदासी होने लगी। चुदासी होकर उसने अपनी कमर हिलानी भी शुरू कर दी, लेकिन मै तो उसे तडपा - तडपाकर चोदना चाहता था। इसलिए मैने और थोडी देर लौडा रगडकर उसे हटा दिया और अपनी मुट्ठी में उसकी चुत को भर दिया। थोडी देर ऐसे ही हाथ से उसकी चुत को रगडकर मैने एकदम से अपनी दो उंगलियां एक साथ एक ही झटके में पूरी की पूरी उसकी चुत में उतार दी। रानी इसके लिए तैयार नही थी, तो अचानक उसके मुंह से एक हल्की से चिख निकल गई।

रानी बोली, "कमीने इतना क्यों तडपा रहा है, जल्दी से अपना मूसल मेरे अंदर डाल दे ना।"

तो मैंने उससे कहा, "तेरी चुत में अपना लौडा डालूंगा लेकिन एक शर्त पर।"

वो बोलने लगी, "मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है, लेकिन अब ज्यादा देर मत कर अब सहन नही हो रहा मुझसे। जल्दी से अपना लौडा अंदर डालकर मुझे चोद डाल।"

अब तो मुझसे भी रहा नही जा रहा था, तो मै भी जल्दी से उसे चोदनाचाह रहा था। तो मैने उसकी चुत पे अपना लौडा टिका दिया। और जैसे ही मैने उसकी चुत पे अपना लौडा टिकाया रानी ने खुद की कमर उचकाकर मेरा लौडा अपनी चुत में ले लिया। अब मैने भी दया न दिखाते हुए कसकर तेज धक्के मारने शुरू कर दिए। थोडी देर ऐसे ही धक्के मारते हुए मै उसे चोदता रहा। बाद में मुझे दूसरे तरीके से उसे चोदने का मन किया।

तो मैंने उसे कहा, "अब कोई दूसरे तरीके से करते है।"

इतना कहकर मैने अपना लौडा उसकी चुत से बाहर निकाल लिया। और उसके दोनों पैरों को आपस मे चिपका दिया। अब मैने उसके दोनों पैर चिपकाकर मेरे एक ही कंधे पर रख दिये। और अब मैंने अपना लौडा उसकी चुत के पास रखा। मेरे ऐसा करने से उसकी चुत और भी कमसिन और टाइट लगने लगी थी। तो मै भी पूरे जोश में था। इसी जोश में मैने कुछ सात-आठ धक्के ही मारे होंगे कि, उसके पैर अलग अलग होने लगे।

तो उसने कहा, "इस तरीके से चुदना काफी मुश्किल जा रहा है। तुम एक काम करो, मेरे पैर तुम्हारे दोनों कंधो पर अलग अलग रखो और फिर चोदना।"

मैने भी उसके कहे अनुसार किया और लगा उसकी धकमपेल चुदाई करने। रानी भी अपनी चुत को अंदर से कस रही थी, जिसकी वजह से मेरा मजा दोगुना होता जा रहा था। वो अब तक दो बार झड चुकी थी, तो अब निढाल सी पडी हुई थी। अब मुझे भी उसे चोदते हुए काफी समय हो चुका था, और मै भी झडने के करीब था। लेकिन इस बार मै अपना वीर्य उसके चेहरे पर गिराना चाहता था।

तो मैंने उसे कहा, "अब मैं आने वाला हूँ, और इस बार तेरे चेहरे पे अपना माल गिराना चाहता हूं।"

उसने मेरी तरफ देखकर बस मुस्कुरा दिया। तो मैने भी कुछ ताबड़तोब धक्के लगाए और जैसे ही मुझे लगा कि, अब मेरा निकलने वाला है। मैने झट से लण्ड बाहर खींच लिया और उसके पैरों को कंधों से हटाकर उसके बूब्स पे आकर बैठ गया। उसके बूब्स पर आते ही जो मुलायम गद्दे से लग रहे थे मुझे और उसी के साथ मैने उसके चेहरे पे अपनी पिचकारियाँ छोड दी।

मेरे माल निकालते ही वो अपनी हथेली से मेरे लंड को पकडकर हिलाने लगी। जब तक उससे सारा रस निकल नही जाता तब तक उसने मेरे लंड को अच्छे से हिला-हिलाकर पूरा खाली कर दिया।

आपको यह कहानी कैसी लगी बताना मत भूलियेगा। आप कमेंट्स सेक्शन में अपनी राय लिख सकते है। धन्यवाद।
 
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