खुदको रोक न पाई बॉयफ्रेंड का लंड चूसने से

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(Khudko Rok Na Pai Boyfriend Ka Lund Chusne Se)

मेरा नाम स्वरा है मैं अपने जीवन में कुछ करना चाहती थी लेकिन मेरे पिताजी हमेशा मुझे कहते कि तुम एक लड़की हो और तुम कभी कुछ नहींकर पाओगी। वह मुझे हमेशा ही कम आंका करते थे और कहते कि तुम पढ़ने में भी ठीक नहीं हो लेकिन उसके बावजूद भी मैं अपनी पढ़ाई पूरे ध्यान से किया करती थी। समय बीतता चला गया और मेरा कॉलेज भी पूरा हो गया मैं अब घर पर ही थी लेकिन मुझे कुछ करना था मुझे कुछ समझ नहीं आया कि मुझे क्या करना चाहिए। Khudko Rok Na Pai Boyfriend Ka Lund Chusne Se.

मैं सोचती की मुझे जॉब करनी चाहिए या कुछ और करना चाहिए फिर मेरी एक सहेली ने मेरी मदद की और कहा तुम किसी कंपनी में जॉब के लिए ट्राई करो। उसके बाद मेरी जॉब लग गई हालांकि मुझे अपने पिताजी के साथ इस बात को लेकर काफी झगड़ा करना पड़ा उसके बाद ही उन्होंने मुझे जॉब करने के लिए कहा।

पहले वह मुझे मना कर रहे थे लेकिन मैंने जब उन्हें समझाया तो वह मान गए परंतु उसके बावजूद भी वह मेरी जॉब से खुश नहीं थे और हमेशा ही कहते रहते कि तुम जॉब मत करो लेकिन फिर भी मैंने जॉब करने के बारे में सोचा। पिताजी भी अब बीमार रहने लगे थे अब मेरे दोनों भाइयों के कंधों पर ही घर की सारी जिम्मेदारी थी और वह दोनों भी बिल्कुल मेरे पिताजी की तरह ही हैं। वह दोनों मुझे कहने लगे कि तुम जॉब छोड़ दो लेकिन उसके बावजूद भी मैंने जॉब नहीं छोड़ी मैं अपनी जॉब करती रही उसी दौरान मेरी मुलाकात अखिल से हुई। जब मेरी मुलाकात पहली बार अखिल से ऑफिस में हुई तो उसे पहली नजर में देखते ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं कई वर्षों से अखिल को जानती हूं और अखिल भी कहीं ना कहीं मेरी तरफ प्रभावित होने लगा था।

ऑफिस में वह मुझसे बात किया करता था हम दोनों ने अपने दिल की बात किसी से नहीं कही लेकिन उसी दौरान मेरी सगाई मेरे पिताजी ने तय कर दी। वह कहने लगे यदि तुम्हें अपनी जॉब करनी है तो तुम्हें हमारी बात माननी पड़ेगी मैं उन्हें शादी के लिए मना करती रही लेकिन वह मेरी बात नहीं माने। वह कहने लगे कि तुम्हें मेरे बचपन के दोस्त के लड़के मिथुन के साथ शादी करनी पड़ेगी, मिथुन मुझे पहले से ही पसंद नहीं था मुझे नहीं मालूम कि वह मुझे अच्छा क्यो नही लगता।

जब भी मैं मिथुन से बात करती तो मुझे उससे बात करना बिल्कुल भी अच्छा नही लगता था लेकिन मेरे पिताजी की जिद के आगे मैं बेबस थी। मैंने अपनी मां से कहा कि मैं मिथुन के साथ सगाई नहीं कर सकती मेरी मां कहने लगी बेटा हम तुम्हारे पिताजी के आगे क्या कह सकते हैं। सारे घर की जिम्मेदारी उन्होंने उठाई है और इतने वर्षों तक उन्होंने मेहनत की है यदि हम लोग इस बारे में उनसे कुछ कहेंगे तो उन्हें बुरा लगेगा इसलिए तुम उनकी बात मान जाओ। मैंने जब यह बात अखिल को बताई तो वह कहने लगा स्वरा तुम्हारी अपनी भी कुछ इच्छाएं है तुम्हें अपने हिसाब से भी चलना चाहिए। तुम अपने पिताजी की बात मान जाओगी तो तुम अपनी जिंदगी नही जी पाओगी तुम यदि अभी कुछ समय चाहती हो तो तुम्हें उनसे कहना चाहिए।

मैंने अखिल से कहा वह मेरी बात नहीं मानेंगे और कभी भी वह इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि मैं कुछ और समय लूं क्योंकि पिताजी ने अब मेरी सगाई मिथुन के साथ करने के बारे में सोच लिया है वह बिल्कुल भी मेरी बात नहीं मानने वाले। मुझे मिथुन बिल्कुल भी पसंद नहीं है उसकी हरकतें और उसका बात करने का तरीका मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। अखिल ने मुझे काफी समझाया लेकिन मैं अखिल से अपने दिल की बात ना कह सकी और ना ही अखिल ने मुझे कभी इस बारे में कुछ कहा था।

मेरे पास भी अब कोई रास्ता नहीं था इसलिए मुझे मिथुन के साथ सगाई करनी ही पड़ी और फिर हम दोनों की सगाई हो गई मेरे पिताजी इस बात से बहुत खुश थे कि मैंने उनकी बात मान ली। उस रात उन्होंने मुझे कहा की बेटा चलो छत पर बैठते हैं आज मौसम काफी अच्छा है हम दोनों छत पर चले गए मेरे पिताजी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा देखो स्वरा बेटा हमने तुम्हें बचपन से कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी। वह कहने लगे तुम्हें मालूम है ना कि मैंने जीवन में कितना संघर्ष किया है उसके बावजूद भी मैंने तुम लोगों के ऊपर कभी भी आंच नहीं आने दी और तुम्हें किसी भी चीज की कमी होने नहीं दी।

मैं तुम्हें हर बार काम करने के लिए मना करता रहा लेकिन उसके बावजूद भी तुम जॉब करने लगी मैंने पिता जी से कहा पिता जी आप ठीक कह रहे हैं लेकिन मेरे भी कुछ सपने हैं मैं उन्हें पूरा करना चाहती हूं। पापा कहने लगे कि बेटा मुझे मालूम है तुम्हारे भी कुछ सपने हैं लेकिन मैंने भी कभी तुम्हें किसी चीज के लिए रोका नहीं है हालांकि मैं तुम्हारे पर थोड़ा सख्ती जरूर दिखाता हूं लेकिन उसका यह मतलब नहीं है कि मैं तुम्हारे बारे में कभी नहीं सोचता, तुम मिथुन के साथ शादी करके खुश रहोगी।

मैं भी अपने पिताजी को उस वक्त कुछ कह नहीं पाई और मेरी सगाई कुछ दिनों बाद ही मिथुन से होने वाली थी लेकिन मेरे दिल में तो अखिल के लिए जगह थी। और मैंने अखिल को कुछ नहीं कहा था और जब मेरी सगाई हो गई तो उसके बाद भी अखिल को मैं अपने दिल से नहीं निकाल पाई मैं अखिल के बारे में ही सोचा करती। मैं भी अपने ऑफिस जाया करती थी और मिथुन और मेरे बीच में फोन पर बात होती रहती थी मिथुन भी कोशिश कर रहा था कि हम दोनों के रिश्ते सुधर जाएं। मिथुन को यह बात अच्छे से मालूम थी कि मैं उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती लेकिन वह तो मेरे पिताजी की जिद के आगे मुझे उससे शादी के लिए हां कहना पड़ा।

मैं मिथुन के साथ खुश नहीं रहने वाली थी इस बात का मुझे पहले से ही मालूम था समय बीता जा रहा था और मेरी शादी का समय नजदीक आने लगा। एक दिन मैं मिथुन से फोन पर बात कर रही थी उस वक्त मैं ऑफिस में ही थी मैंने उसे कहा मैं तुम्हें लंच टाइम में फोन करूंगी मैंने फोन रख दिया। मैंने लंच टाइम में जब मिथुन को फोन किया तो मिथुन कहने लगा तुम मुझसे बात ही नहीं कर रही हो मैंने उसे कहा ऐसा कुछ भी नहीं है मैं उस वक्त ऑफिस में बिजी थी इसलिए तुमसे बात नहीं कर पाई। मिथुन मुझे कहने लगा शायद तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहती हो, उसके बाद हम दोनों के बीच काफी झगड़े शुरू हुए। अखिल भी शायद मेरे पीछे ही खड़ा था अखिल ने सब सुन लिया था।

उसने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा और वह मुझे समझाने लगा कि अभी तुम फोन रख दो बाद में मिथुन के साथ बात करना। मैंने फोन रख दिया मैंने अखिल से कहा तुम्हें अब मैं क्या बताऊं बस मैं मिथुन से परेशान हो चुकी हूं और उससे मैं बिल्कुल भी शादी नहीं करना चाहती लेकिन मेरी मजबूरियां मेरे आड़े आ जाती है मुझे कुछ समझ नहीं आता कि मुझे क्या करना चाहिए। तब मुझे अखिल कहने लगा तुम फिलहाल खुश रहने की कोशिश किया करो और इन सब चीजों के बारे में ना ही सोचो तो ठीक रहेगा। मैंने उससे कहा तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मुझे इन सब चीजों के बारे में सोचना नहीं चाहिए और मुझे अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। उस वक्त मैं अपने काम पर भी अच्छे से ध्यान नहीं दे पा रही थी और मेरा ध्यान पता नहीं कहां रहता था।

मैं अखिल के साथ अपने सुनहरे पलों को बताना चाहती थी मैंने सोच लिया था कि मैं अखिल से अकेले में मिलूंगी। मैं और अखिल जब अकेले में मिले तो वह मुझे समझा रहा था मैं उसकी तरफ बड़े ध्यान से देख रहा था मैंने जैसे ही अखिल से कहा मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है तो वह मेरे चेहरे की तरफ देखने लगे और कहने लगा तुम्हारा दिमाग तो सही है तुम यह कैसी बात कर रही हो मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा।

उस दिन मैं अपने आप पर बिल्कुल भी काबू ना कर पाई मैंने उसके सामने अपने कपड़े उतार दिए मैंने जब उसके सामने अपने कपड़े उतारे तो वह मेरी तरफ देखने लगा और मुझे कहने लगा देखो स्वरा मैंने तुम्हारे बारे में कभी ऐसा नहीं सोचा। मैंने उसे कहा तुम मेरी फीलिंग को समझो मैंने जब उसके होठों पर किस किया तो वह भी पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगा उसने मेरे बदन को महसूस करना शुरू कर दिया। उसने मुझे लेटाकर मेरे स्तनों का काफी देर तक रसपान किया और मेरे स्तनों से खून निकाल कर रख दिया। मुझे बड़ा मजा आ रहा था जैसे ही अखिल ने मेरी योनि को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो वह खुश होने लगा।

मेरे योनि से लगातार पानी बाहर के निकल रहा था जैसे ही अखिल ने अपन लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो मैं मचलने लगी और मुझे बड़ा मजा आने लगा। मेरी योनि में उसका लंड जाते ही मेरी चूत से खून की धार बाहर की तरफ निकली। जिस प्रकार से वह मुझे धक्के देता तो मेरे मुंह से चीख निकल रही थी और मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो रही थी। उसने मेरे दोनों पैरों को कसकर पकडा हुआ था और बड़ी तेज गति से मुझे धक्के दिए जा रहा था।

कछ देर बाद उसने मेरे पैरों को कंधों पर रखा और उसने इतनी तेज गति से मुझे धक्के दिए कि मेरा पूरा शरीर हिलने लगा। मैंने उसे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा तो वह कहने लगा लेकिन मुझे तो बड़ा मजा आ रहा है तुम्हारी टाइट चूत के मजे लेने में मुझे एक अलग ही फीलिंग महसूस हो रही है। मैंने उसे कहा मैं बस कुछ देर बाद झडने वाली हूं वह कहने लगा कोई बात नहीं वह मुझे बड़ी तेज गति से धक्के देता जिससे कि मैं झड़ने वाली थी जब मैं झड़ गई तो मैंने उसे अपने पैरों के बीच में दबोच लिया। "Khudko Rok Na Pai"

वह मुझे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था कुछ ही क्षण बाद अखिल का वीर्य गरने वाला था उसने मेरी योनि के अंदर ही अपने वीर्य को प्रवेश करवा दिया। मैंने कभी सोचा नहीं था कि वह मेरी योनि के अंदर अपने वीर्य को प्रवेश करवा देगा लेकिन मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ उसके बाद मेरी शादी मिथुन के साथ हो गई लेकिन अब भी अखिल और मैं साथ में सेक्स करते हैं। "Khudko Rok Na Pai"
 
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