गांड मराने वाले गुरुजी।

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गुरुजी की खराब आदत गांड मराई की

जी हां ये कहानी सच है, गांड मराने वाले गांडू गुरुजी की कहानी उस समय की है जब हम सब कालेज में पढते थे, हरगोविंद सिंग जो कि हरियाणा के एक कालेज में पढाते थे, वहां हम सब भी पढा करते थे। आपके लिए बतादें कि मैं फगवाड़ा के नजदीक एक गांव का रहने वाला हूं और वहां एक कालेज है, सरकारी जिसमें कि मैं पढा करता था। हरगोविंद सिंग कमिस्ट्री के शिक्षक थे और इसलिए उनके पास अक्सर लड़के ट्यूशन पढने जाया करते थे। उनका व्यवहार भी बड़ा अजीब था, अपनी बीबी से हमेशा कटे क्टे रहने वाले गुरुजी बच्चों खासकर लड़कों से अक्सर चिपके चिपके रहते थे। मैं उस समय बीए फर्स्ट इयर में था और आई आई टी की तैयारी भी कर रहा था। हरगोविंद सिंग कमिस्ट्री के जानेमाने टीचर थे इसलिए उनके पास जाने के अलावा कोई चारा न था। अब अपने बारे में बता दूं, मैं काफी चिकना चुपड़ा लड़का हूं, मेरी फिजिक एकदम लड़कियों सी है, खूबसूरत चेहरा और मस्त आंखें। पतली कमर और चिपकी चिपकी गांड किसी को भी मारने के लिए दीवाना कर दे। पर मेरा लड़कों में इस घटना से पहले तक कोई इंटरेस्ट न जगा था। मैं आराम से अपने काम से काम रखता था और अपने मुहल्ले की एक मस्त लड़की को घूरा करता था। लेकिन उस दिन मुझे आई आई टी स्पेशल ट्रीट देने के लिए गुरुजी ने बुलाया था। उस दिन छुट्टी थी लेकिन काम्पीटीटिव लड़कों को प्रैक्टिस कराने के लिए गुरुजी ने बुलाया था।

अपनी गांड मे मच रही खुजली वो छिपाना चाह रहे थे पर छिपा न पाये।

जब मैं गया तो देखा कि बाकी लड़के जा चुके हैं। गुरुजी लुंगी और बनियान पहने बैठे थे। मैने देखा कि वो थोड़े अन कम्फार्टेबल थे। मेरे आते ही उन्होंने सोफे पर मुझे बैठने को कहा और मेरे पास चिपक कर अपनापन दिखाते हुए बैठ गये। हम उनसे आरगेनिक कमेस्ट्री की अभिक्रिया पढने लगे। वो डाइग्राम बनाते बनाते, अपना हाथ मेरे पैंट के बीचो बीच लंड के ठीक उपर रख कर कुछ अजीब सी हरकत करने लगे। मुझे पहले तो लगा कि गुरुजी पढाने के क्रम में ऐसा अनजाने में कर रहे हैं पर जब देखा कि वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर मेरा लंड पकड़ने लगे तो मेरा दिमाग ठनका। पर मुझे अजीब सा महसूस हो रहा था। मैने उनका विरोध करना चाहा पर मैं कर नहीं पाया। वो अपनी आंखें मेरी आंखों में डाले नजाने कौन सा जादू कर रहे थे मेरे उपर। मैने अपना लंड खड़ा होते देखा और फिर उन्होंने जिप खोल कर मेरे लंड को अपने हाथों में मसलना शुरु कर दिया। अब दोनों ही मस्ती के हिचकोले भरी नाव में तैर रहे थे। हम दोनों एक दम से ऐश करने लगे थे। किताब फर्श पर नीचे पड़ी थी। मैने अपनी आंखें मूंद लीं और गुरुजी ने मेरा लंड मसल मसल कर खड़ा कर दिया। अब वो अजीब सी हरकत करने लगे थे। उन्होंने अपने थूक को लगा कर मेरे लंड की चमड़ी को उपर नीचेकरना शुरु कर दिया था। मुझे मजा आ रहा था पर क्या करुं लज्जा भी आ रही थी। मैने ऐसा शो किया कि जैसे मैं नशे में हूं, बहक चुका हूं। और वो मेरा पैंट खोलने लगे। मैं उनको रोक न पाया। मेरा आत्मबल जवाब दे चुका था। उन्होंने मेरा पैंट उतार दिया और मेरी अंडरवीयर को खोल कर नीचे सरका दिया। अब वो मेरा अंडकोष सहला रहे थे। मैं मजे में था और मुझे वाकई मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फौलाद हो गया तो गुरु जी ने अपनी धोती उतार दी। अब वो अपना लंड सहला रहे थे जो कि एकदम ढीला पड़ चुका था। वो खड़ा होने के लायक नहीं दिख रहा था। उन्होंने अपना लंड सहलाते हुए सरसों के तेल की शीशी से तेल निकाला और फिर उसको अपने गांड में लगा दिया। पास से पड़े एक डिल्डो जैसे चिकने डंडे को अपने गांड में घुसा कर अंदर बाहर करते हुए मेरा मूठ मारने लगे। मैं समझ गया था कि मुझे क्या करना है और मेरा मन वैसा करने को कर भी रहा था पर मैं चुप था। गुरुजी ने लगभग रिक्वेस्ट करते हुए कहा, आकाश जरा मेरी गांड में अपना लंड डाल दो, मुझे बहुत अच्छा लगेगा। प्लीज मैं ये बात किसी से कहूंगा नहीं। तुम्हें भी बिल्कुल लौंडिया की चूत चोदने जैसा ही मजा आएगा।

गांड मारने के लिए पैसे भी दिए।

इस प्रकार से मुझको रिझाते हुए उन्होंने पाकेट से सौ रुपए का नोट निकाला और मुझे थमाते हुए बोले कि अब मेरी गांड मार लो, अगर मजा आया तो मैं तुम्हें पाच सौ रुपये अलग से दूंगा और तुम्हारी फीस माफ कर दूंगा। मैंने सोचा, अच्छा ही रहेगा, मजा का मजा और पैसा का पैसा। मैने झट आफर स्वीकार कर लिया और फिर उनकी गांड के पास अपना लंड ले गया। उन्होंने खुद ही मेरा लंड पकड़ के अपने गांड के पास कर लिया और कहने लगे, तुम्हारा लँड काफी मजबूत है, इससे मेरी गांड मार लो। मैने उनको बकरी बना कर के उनके पीछे से कुत्ते की तरह सवारी करते हुए अपना लंड का सुपाड़ा उनके गांड के छेद पर भेंड दिया। वो विकल हो के कहने लगे, प्लीज चोद दो मेरी गांड मैं तुम्हारा अहसान मंद रहूंगा। मैने अब धीरे धीरे उनकी गांड का सफर तय करना शुरु किया। मैं पहली बार किसी प्रकार के सेक्सुअल एक्टिविटी में इन्वाल्व था। उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया, येस बेटा!! और जोर से, हां जोर लगाओ, ए या, येस। चोदते रहो, येस चोदते रहो। आह्ह!! तुम्हारा मोटा लंड तो बहुत कमाल का है। मुझे ये काफी पसंद आ रहा है। और अंदर डालो, पूरा उतारो गांड में अपने लंबे लंड को। मैंने धीरे धीरे अपने लंड को अंदर अंदर और अंदर ठेलना जारी रखा। और जल्द ही मेरा लंड अंदर बैठा हुआ था। मैने पूरा नौ इंच ठोक कर धीरे धीरे उसकी गांड से खींचना शुरु किया। अपने हाथ से उन्होंने लंड को पकड़ कर उसको गांड में ही रखने का ईशारा दिया और फिर अंदर बाहर के साथ मजे लेने लगे। मैने उनको चोदते हुए अपने मजबूत और लंबे लंड को सहलाना जारी रखा। आह्ह!! जन्नत्त का अहसासहो रहा था और फिर यह अहसास मुझे बाद में हुआ कि किसी चुदी चुदाई लौंडिया की चूत से बेहतर थी वो गुरुजी की गांड।
 
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