हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम अंकित हैं और मैं गुजरात के बरोडा का रहनेवाला हूँ. मेरा एक दोस्त हैं जिसका नाम नरेश हैं. नरेश और मैं साथ में पढ़ते हैं बचपन से ही. उसकी बड़ी बहन शीतल की और मेरी यह कहानी हैं, जो बिलकुल सच्ची हैं.
उस दिन शनिवार था और मैं कुछ काम से नरेश के घर गया था. डोरबेल बजाते ही शीतल दीदी ने दरवाजा खोला. मुझे देख के उन्होंने स्माइल दी. उनके बालों में टॉवल बंधा हुआ था और उनके कंधे और छाती के भागपर अभी भी पानी लगा था.
दीदी घर पे अकेली थी
अंदर आओ अंकित.
नरेश कहा हैं, दीदी?
नरेश तो भोलू के साथ गोरवा गया हैं. वो शाम को लौटेगा.
ओके, मैं शाम को आता हूँ फिर.
इतना कह के मैं निकल ही रहा था की वो बोली, कच्ची केरी का सरबत बनाया हैं पीके जाओ अंकित.
गर्मी के दिनों में भला इसके लिए कौन मना कर सकता हैं.
मैं उनके पीछे अंदर चल दिया. शीतल दीदी आगे चल रही थी और उनकी सलवार गांड में फंसी हुई थी. कुल्हे मटक मटक हो रहे थे और वो सलवार को गांड से निकाल नहीं रही थी. मेरी नजर उनकी मटकती गांड पर ही थी और मेरा छोटा भाई पेंट में हिलने लगा था. नरेश की दीदी को कभी गलत नजर से नहीं देखा था लेकिन गांड में फंसी हुई सलवार ने लंड को हिला डाला था साला.
मैं सोफे में बैठा और शीतल दीदी किचन की और चली गई. मैं उनकी गांड को लास्ट मोमेंट तक घूरता रहा. जब वो वापस आई तो उनके हाथ में दो ग्लास थे. उन्होंने बर्फ के साथ सरबत बनाया था. जब वो सरबत देने के लिए निचे झुकी तो मुझे अपने चुंचे दिखाने लगी. बाप रे उनके बूब्स बिना ब्रा के बंधन में कितने लचीले और बड़े लग रहे थे. मैं ग्लास हाथ में ले रहा था लेकिन मेरी नजर उनके बूब्स पर ही थी.
क्या देख रहे हो अंकित? शीतल दीदी ने पूछा.
कुछ नहीं दीदी, कुछ भी तो नहीं.
मुझे पता हैं तुम क्या देख रहे हो वैसे! दीदी ने कहा.
मैं डर गया की कहीं वो मुझे डांट ना दे. लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि उनके होंठो पर तो हलकी सी मुस्कान नाच रही थी. मैं समझ नहीं पा रहा था की क्या हो वह हैं. वो सोफे में मेरी बगल में बैठ गई. वो मेरे इतने करीब बैठी थी की उनकी जांघ मेरी जांघ से टच हो रही थी. मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था और मेरा गला सूखने लगा था. सरबत की सिप भी गले को गिला नहीं कर सकी. शीतल दीदी की जांघ ठंडी थी क्यूंकि वो नाहा के आई थी. मैं जानबूझ के अपनी जांघ को उसके करीब करने की ट्राय कर रहा था. उसकी चूत का तो छोडो, उसके स्पर्श से ही मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
तभी शीतल दीदी ने कहा, अंकित तुमने गर्लफ्रेंड बनाई या नहीं?
नहीं दीदी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं हैं.
तो फिर कैसे दिन निकालते हो! इतना कह के वो ठठ्ठा लगा के हंस पड़ी.
मेरा मन तो हो गया की कह दूँ की तेरी जैसी लड़कियों का बदन कल्पना कर के बाथरूम में हिला लेता हूँ. लेकिन मैं चुप रहा.
तभी मुझे लगा की मेरी जांघ पर दीदी का हाथ हैं. मैंने तिरछी नजर से देखा तो सच में हाथ था वहां पर. मैं कुछ नहीं बोला. दीदी ने हाथ को सहलाया और वो मेरी और देखने लगी.
मैं कुछ नहीं बोला और उसकी हिम्मत बढ़ गई, वो हाथ को जांघ पर आगे बढाने लगी. उसकी साँसे और मेरी साँसे दोनों फूली हुई थी. मैंने अब उसके सामने देखा और उसकी हिम्मत एकदम से बढ़ गई. उसने अपने हाथ को सीधे मेरे लंड पर रख दिया. मेरा लंड तो कब से तैयार था उसको छूने के लिए. लंड का गरम गरम स्पर्श उसे भी हुआ और वो हंस पड़ी. फिर उसने हाथ को पीछे ले लिया.
मैंने कहा, दीदी मजा आ रहा था रहने दीजिये ना.
वो हंस के बोली, इस से भी ज्यादा मजा आ सकता हैं अंकित.
दीदी ने लंड मुहं में लिया
इतना कह के शीतल दीदी ने मेरी पेंट की ज़िप खोल के मेरे लंड को अंडरवेर के छेद से बहार निकाला. बाप रे मेरे लंड की तो हालत ख़राब हुई पड़ी थी. उसमे कम्पन हो रहे थे और उसके छेद से प्रीकम की बुँदे बहार निकल पड़ी थी. शीतल दीदी ने लंड को मुठ्ठी में बंध कर दिया और वो उसे दबाने लगी. मेरी आह निकल गई और दीदी लौड़े को मुठ मारने लगी. मेरे बदन में पसीना होने लगा था. दीदी स्वस्थ थी और वो लंड को हिला हिला के टाईट कर रही थी.
मैंने कहा, दीदी हिलाने से ज्यादा मजा तो मुहं में देने से आता हैं.
अच्छा बेटा, तुझे कैसे पता? कभी किसी के मुहं में दिया हैं?
दीदी मुहं में तो नहीं डाला लेकिन पोर्न मूवीज में बहुत देखा हैं मैंने यह सब.
मेरा जवाब सुन के शीतल दीदी हंसी और निचे झुक के मेरे लंड को अपने होंठो पर घिसने लगी. फिर उसने एक नजाकत के साथ मुहं खोल के लंड को आधा अपने मुहं में ले लिया. मेरे तो तोते उसे गए. जिस अंदाज से शीतल दीदी ने लंड मुहं में डाला था, मैं समझ गया की वो एक नम्बर की चुदक्कड़ हैं. शीतल दीदी ने लंड के निचे के बॉल्स को अपने हाथ में पकड़ा और वो लंड को जोर जोर से चूसने लगी. मैंने उनकी जुल्फें हाथ में ली और बाकी के आधे लौड़े को भी मुहं में दे दिया. उन्होंने बड़ी मस्ती से पूरा लंड मुहं में भर लिया. सच में डीपथ्रोट का मजा इतना मस्त होता हैं वो मुझे पता ही नहीं था.!
शीतल दीदी को कैसे मैंने चूत में लंड दिया वो कहानी के अगले भाग में पढना ना भूलें..!
उस दिन शनिवार था और मैं कुछ काम से नरेश के घर गया था. डोरबेल बजाते ही शीतल दीदी ने दरवाजा खोला. मुझे देख के उन्होंने स्माइल दी. उनके बालों में टॉवल बंधा हुआ था और उनके कंधे और छाती के भागपर अभी भी पानी लगा था.
दीदी घर पे अकेली थी
अंदर आओ अंकित.
नरेश कहा हैं, दीदी?
नरेश तो भोलू के साथ गोरवा गया हैं. वो शाम को लौटेगा.
ओके, मैं शाम को आता हूँ फिर.
इतना कह के मैं निकल ही रहा था की वो बोली, कच्ची केरी का सरबत बनाया हैं पीके जाओ अंकित.
गर्मी के दिनों में भला इसके लिए कौन मना कर सकता हैं.
मैं उनके पीछे अंदर चल दिया. शीतल दीदी आगे चल रही थी और उनकी सलवार गांड में फंसी हुई थी. कुल्हे मटक मटक हो रहे थे और वो सलवार को गांड से निकाल नहीं रही थी. मेरी नजर उनकी मटकती गांड पर ही थी और मेरा छोटा भाई पेंट में हिलने लगा था. नरेश की दीदी को कभी गलत नजर से नहीं देखा था लेकिन गांड में फंसी हुई सलवार ने लंड को हिला डाला था साला.
मैं सोफे में बैठा और शीतल दीदी किचन की और चली गई. मैं उनकी गांड को लास्ट मोमेंट तक घूरता रहा. जब वो वापस आई तो उनके हाथ में दो ग्लास थे. उन्होंने बर्फ के साथ सरबत बनाया था. जब वो सरबत देने के लिए निचे झुकी तो मुझे अपने चुंचे दिखाने लगी. बाप रे उनके बूब्स बिना ब्रा के बंधन में कितने लचीले और बड़े लग रहे थे. मैं ग्लास हाथ में ले रहा था लेकिन मेरी नजर उनके बूब्स पर ही थी.
क्या देख रहे हो अंकित? शीतल दीदी ने पूछा.
कुछ नहीं दीदी, कुछ भी तो नहीं.
मुझे पता हैं तुम क्या देख रहे हो वैसे! दीदी ने कहा.
मैं डर गया की कहीं वो मुझे डांट ना दे. लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि उनके होंठो पर तो हलकी सी मुस्कान नाच रही थी. मैं समझ नहीं पा रहा था की क्या हो वह हैं. वो सोफे में मेरी बगल में बैठ गई. वो मेरे इतने करीब बैठी थी की उनकी जांघ मेरी जांघ से टच हो रही थी. मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था और मेरा गला सूखने लगा था. सरबत की सिप भी गले को गिला नहीं कर सकी. शीतल दीदी की जांघ ठंडी थी क्यूंकि वो नाहा के आई थी. मैं जानबूझ के अपनी जांघ को उसके करीब करने की ट्राय कर रहा था. उसकी चूत का तो छोडो, उसके स्पर्श से ही मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
तभी शीतल दीदी ने कहा, अंकित तुमने गर्लफ्रेंड बनाई या नहीं?
नहीं दीदी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं हैं.
तो फिर कैसे दिन निकालते हो! इतना कह के वो ठठ्ठा लगा के हंस पड़ी.
मेरा मन तो हो गया की कह दूँ की तेरी जैसी लड़कियों का बदन कल्पना कर के बाथरूम में हिला लेता हूँ. लेकिन मैं चुप रहा.
तभी मुझे लगा की मेरी जांघ पर दीदी का हाथ हैं. मैंने तिरछी नजर से देखा तो सच में हाथ था वहां पर. मैं कुछ नहीं बोला. दीदी ने हाथ को सहलाया और वो मेरी और देखने लगी.
मैं कुछ नहीं बोला और उसकी हिम्मत बढ़ गई, वो हाथ को जांघ पर आगे बढाने लगी. उसकी साँसे और मेरी साँसे दोनों फूली हुई थी. मैंने अब उसके सामने देखा और उसकी हिम्मत एकदम से बढ़ गई. उसने अपने हाथ को सीधे मेरे लंड पर रख दिया. मेरा लंड तो कब से तैयार था उसको छूने के लिए. लंड का गरम गरम स्पर्श उसे भी हुआ और वो हंस पड़ी. फिर उसने हाथ को पीछे ले लिया.
मैंने कहा, दीदी मजा आ रहा था रहने दीजिये ना.
वो हंस के बोली, इस से भी ज्यादा मजा आ सकता हैं अंकित.
दीदी ने लंड मुहं में लिया
इतना कह के शीतल दीदी ने मेरी पेंट की ज़िप खोल के मेरे लंड को अंडरवेर के छेद से बहार निकाला. बाप रे मेरे लंड की तो हालत ख़राब हुई पड़ी थी. उसमे कम्पन हो रहे थे और उसके छेद से प्रीकम की बुँदे बहार निकल पड़ी थी. शीतल दीदी ने लंड को मुठ्ठी में बंध कर दिया और वो उसे दबाने लगी. मेरी आह निकल गई और दीदी लौड़े को मुठ मारने लगी. मेरे बदन में पसीना होने लगा था. दीदी स्वस्थ थी और वो लंड को हिला हिला के टाईट कर रही थी.
मैंने कहा, दीदी हिलाने से ज्यादा मजा तो मुहं में देने से आता हैं.
अच्छा बेटा, तुझे कैसे पता? कभी किसी के मुहं में दिया हैं?
दीदी मुहं में तो नहीं डाला लेकिन पोर्न मूवीज में बहुत देखा हैं मैंने यह सब.
मेरा जवाब सुन के शीतल दीदी हंसी और निचे झुक के मेरे लंड को अपने होंठो पर घिसने लगी. फिर उसने एक नजाकत के साथ मुहं खोल के लंड को आधा अपने मुहं में ले लिया. मेरे तो तोते उसे गए. जिस अंदाज से शीतल दीदी ने लंड मुहं में डाला था, मैं समझ गया की वो एक नम्बर की चुदक्कड़ हैं. शीतल दीदी ने लंड के निचे के बॉल्स को अपने हाथ में पकड़ा और वो लंड को जोर जोर से चूसने लगी. मैंने उनकी जुल्फें हाथ में ली और बाकी के आधे लौड़े को भी मुहं में दे दिया. उन्होंने बड़ी मस्ती से पूरा लंड मुहं में भर लिया. सच में डीपथ्रोट का मजा इतना मस्त होता हैं वो मुझे पता ही नहीं था.!
शीतल दीदी को कैसे मैंने चूत में लंड दिया वो कहानी के अगले भाग में पढना ना भूलें..!