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नमस्कार दोस्तों मै राजीव आज आपके सामने अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण किस्सा एक कहानी के रूप में लेकर आया हूं। आशा करता हूं, कि आप सभी को यह कहानी पसंद आएगी। कहानी के अंत मे कमेंट सेक्शन में कमेंट करना मत भूलिएगा। इस कहानी में पढिए, किस तरह से मैने अपने दोस्त की मां को नहाते हुए नंगी हालत में देखा और फिर आगे हमारे बीच क्या हुआ। कहानी पढकर जानिए कि, हम दोनों के बीच का संबंध कहां तक पहुंचा। यह कहानी पांच साल पुरानी है, जब मै बारहवी में पढता था।

मेरा नाम राजीव है, मेरी उम्र २३ साल है, और मै रोज जिम जाकर अपने शरीर को मजबूत बनाता हूं। मै बचपन से ही पढाई में अच्छा था, तो मेरे मोहल्ले में सभी मुझे जानते थे। और मेरे बारे में सबके विचार अच्छे थे। मेरे पडोस में ही मेरा एक दोस्त वैभव रहता है। उसके घर मे उसकी मां, पापा, और वो ही रहते है। उसका कोई भाई-बहन ना होने की वजह से उसे बहुत लाडों से पाला है। उसकी हर इच्छा उसके घरवालों ने पूरी की है।

वैभव और मै हम दोनों एक ही कक्षा में पढते थे, तो जैसे ही परीक्षाएं पास आ जाती वो रोज मेरे घर मुझसे पढने के लिए आ जाता। और कभी कभार मुझे भी अपने घर पर पढाई करने के लिए बुला लेता। हम दोनों का एक-दूसरे के घर आना जाना लगा रहता था, और हमारे घरवाले भी एक-दूसरों को अच्छे से जानते थे। अभी हाल ही में हमारे पहले प्रि-बोर्ड के पेपर हो चुके थे, और अब सभी लोग बोर्ड की परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे थे।

तो अब वैभव और मेरा पढाई के लिए एक-दूसरे के घर आना-जाना फिर से शुरू हो गया। हम दोनों साथ मे ही पढते थे। ऐसे ही एक दिन सुबह ९ बजे के आसपास, मै वैभव के घर गया तो घर का दरवाजा खुला था। मैने एक-दो बार दरवाजे के पास रुककर ही आवाज लगाई, लेकिन जब मुझे कोई जवाब नही मिला, तो मै अंदर चला गया। मै हॉल में पहुंचा ही था कि, मुझे कुछ गिरने की आवाज आई। मै आवाज की तरफ भागता हुआ चला गया, तो पता चला कि आवाज तो बाथरूम से आई है। जैसे ही मै बाथरूम के पास पहुंचा, मेरी आँखें खुली की खुली रह गई।

बाथरूम के अंदर आंटी नंगी हालत में जमीन पर औंधी सी लेटी हुई है। शायद आंटी नहा रही थी, और शायद उनका पैर फिसल गया तो वो अचानक से गिर गई। लेकिन दरवाजा कैसे खुला छोडा फिर, गिरने के बाद तो दरवाजा नही खोला गया। मतलब आंटी दरवाजा खुला छोडकर ही नहा रही थी।

खैर मैने यह सब सोचना बंद कर दिया, और आंटी को उठाने के लिए आगे बढा। आंटी का पूरा बदन गिला था, और ऊपर से वो पूरी नंगी थी। जैसे ही मै उन्हें उठाने लगा, मेरे कपडे भी गीले होने लगे थे। लेकिन फिर भी मैने अपने कपडों का ध्यान न रखते हुए आंटी को उठाया और उन्हें सहारा देकर हॉल में लेकर आ गया। फिर जल्दी से जाकर घर का दरवाजा बंद कर दिया। आंटी से मेरा सबसे पहला सवाल था कि, "आज घर में कोई नही दिखाई दे रहा? कहां चले गए सब?"

तो आंटी ने कहा, "कल रात को ही वैभव के दादाजी का फोन आया था, उन्होंने अर्जेंटली वैभव और उसके पापा दोनों को बुला लिया। तो आज सुबह ही वो दोनों चले गए है। कल सुबह तक वो आ जाएंगे।"
यह सुनकर मेरा दिल और भी जोरों से धडकने लगा। मुझे लगने लगा कि, मौका बन सकता है।

आंटी अब अपने शरीर को छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी थी, तो मैंने उनसे कहा, "आंटी अब मैने सब देख लिया है, अब उसे छिपाने का कोई फायदा नही है।"
तो आंटी मेरी तरफ देखकर हंसने लगी, और बोली, "तुम भी ना कुछ भी बोल देते हो। भले ही तुमने देखा, लेकिन मुझे शरम भी तो आती है ना।"
तो मै उनके पास जाकर बैठ गया, और उनसे पूछा,"दर्द कहां है, बताओ मै मालिश कर देता हूं।"
तो उन्होंने मुझे उनके कमरे से एक मलम ले आने को बोला और फिर तब तक वो सोफे पर ही उल्टा लेट गई। मेरे आते ही उन्होंने अपनी कमर पर हाथ रखते हुए मुझे कमर पर मलम लगाने को कह दिया।

मै भी अपने हाथ पर मलम लेते हुए उनकी कमर के इर्द गिर्द अपने पैर फैलाकर बैठ गया और फिर उन्हें मलम लगाने लगा। तो आंटी ने कहा, "तेरे कपडे खराब हो जाएंगे, तो तू कपडे उतारकर मालिश कर दे।"
मुझे इससे अच्छा मौका कहां मिल सकता था। तुरंत ही मैने अपने कपडे उतार दिए और उनकी गांड पर अपने चूतड रखते हुए उनकी कमर पर मालिश करने लगा। धीरे धीरे कमर के साथ मै अपने हाथ ऊपर ले जाकर अब पीठ पर भी मल देता, और पीठ के बहाने उसके आमों को भी दबा देता।

अब धीरे धीरे मै आंटी को गरम करने की कोशिश में लगा हुआ था, और आंटी भी अब आराम से सिसकारियां भरने लगी थी।

अब मैने शरम छोडते हुए सीधे आंटी की चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और दबाने लगा। आंटी ने भी मेरा विरोध नही किया, वो भी मजे ले रही थी। तो मैने थोडी देर वैसे ही रहकर अपना लंड अपनी चड्डी से बाहर निकाल लिया और आंटी की गांड पर लंड से दबाव बनाने लगा।
आंटी भी मस्त होकर मजे लिए जा रही थी। तभी मै उठ गया और आंटी को सीधा लिटा दिया। आंटी को सीधा लिटाते ही उनके स्तन मेरे सामने आ गए। उनके स्तनों को देखकर ऐसा लग रहा था कि, मानो यह मुझे खुलेआम न्योता दे रहे है।

अब मैने आंटी के स्तनों पर अपना मुंह लगा दिया और किसी बच्चे की तरह उनके चुचुक चूसने लगा। आंटी भी थोडी ही देर में मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी थी। आंटी भी इतनी मस्त गरम माल थी, कि झडने के बावजूद दोबारा जल्द ही उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया। कभी मै आंटी के चुचुक चूस देता तो कभी निप्पल को अपने दातों के बीच लेकर दबा देता। जिसकी वजह से आंटी की सीत्कारे निकल रही थी।

अब मैने धीरे धीरे नीचे की ओर बढते हुए आंटी के चुत के पास जाकर उसके आसपास के बालों में अपनी उंगली घुमाने लगा। फिर धीरे से आंटी की चुत की फांकों को हल्के से खोलकर देखा, चुत अंदर से इतनी भी सुर्ख लाल नही थी, लेकिन थोडी लाली चुत के अंदर भी छाई हुई थी।
अब मैने चुत को चूमकर चुत के अंदर अपनी जीभ घुसा दी, और चुत का रसपान करने लगा। आंटी की चुत बहुत ही रसीली थी, न जाने आंटी अब तक कितने बार चुद चुकी थी, लेकिन फिर भी चुत थी कि पानी बहाए ही जा रही थी।

फिर मैने उठकर अपना लंड आंटी के मुंह के सामने कर दिया, तो लंड देखकर वो बोली, "लगता है इसको काफी रगडा है तब जाकर इतना मस्त हथियार बना है।"

मैने बिना कुछ बोले आंटी के बालों को पकडकर अपना लंड उनके मुंह मे घुसा दिया और अब मै अपने लंड से उनके मुंह को चोदने लगा था। आंटी भी मस्त होकर मेरा लौडा चूसे जा रही थी।
थोडी देर बाद जब आंटी ने अपने थूक से लंड को अच्छे से गिला कर दिया, तो मैने आंटी को नीचे जमीन पर लिटा दिया, और खुद उनके दोनों पैरों के बीच आ गया। अब मैने अपने लंड को उनके चुत के द्वार पर रख दिया और हल्के से धक्का मार दिया तो वो मेरा पूरा का पूरा लंड निगल गई।

फिर मैंने आंटी को चूमते हुए उनके निप्पल को उंगलियों से भींचकर चोदना चालू कर दिया। आंटी ने भी अपने दोनों पैरों से मेरी कमर पर अपनी पकड मजबूत कर ली। और वो भी मेरे हर धक्के के साथ नीचे से अपनी कमर उचकाती। पूरे हॉल में हमारे चुदाई की वजह से टकराने वाली हमारी जांघों की आवाजें घूम रही थी।

काफी देर आंटी को ऐसे ही चोदने के बाद आंटी ने पोजिशन बदलने को कहा। तो आंटी खुद अब मेरे ऊपर आने लगी। मै नीचे लेट गया, और फिर आंटी मेरे लंड पर आराम से बैठने लगी थी। उसके बाद तो आंटी खुद उछल उछल कर मुझसे अपनी चुत चुदवा रही थी। और कुछ धक्कों के बाद आंटी फिर से झडने को हुई, तो उन्होंने मुझे ऊपर आने को कहा। उनके कहते ही मैने उन्हें, नीचे पटक दिया और खुद ऊपर आकर कुछ धक्के लगाने लगा।
कुछ ही धक्कों के बाद हम दोनों ही एकसाथ झड गए।
हमारे पास वह पूरा दिन और रात थी। तो उसमें चुदाई के कई दौर चले, जिसका मजा हम दोनों ने मिलकर उठाया। उसके बाद नही हमे जब भी मौका मिलता हम सेक्स करके अपनी प्यास मिटा देते।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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