पड़ोसन भाभी की गीली चूत

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गीली चूत मुझे काफ़ी पसंद है। मेरे पड़ोस की भाभी कमाल की हैं उनकी नई नई शादी है और वह इधर बीच हमारे मकान मे रहने आई हैं। हमारा उनका फ़्लेट सटा हुआ ही है। मैं उनको देखता रहता जब वो भीगे बालो को कभी बाहर आकर सुखाती या अपने ब्रा या पैंटी टांग रही होती। उसकी कसी गांड और बड़े चूंचे मेरी आंखो के आगे नाच जाते। मेरी मेडिकल की तैयारी डिस्टर्ब हो जाती।

एक दिन मैंने उनकी खिड़की खुली देखी। भैया भाभी को डांट रहे थे, साली इतनी चुदाने का शौक है तो रंडी क्यो नही बन जाती, हफ़्ते में एक बार तो चोद ता ही हूं। शादी से पहले क्या रंडी थी जो इतना चुदाने की आदत पड़ी हुई है? मैने ध्यान से देखा तो भाभी रो रही थीं और हल्के प्रकाश में उनका दूधिया बदन, गोरी चूंचिया, बड़ी गांड और गुलाबी चूत सारे चमक रहे थे। मैने अपने लंड को पकड़ के दबा लिया जो खड़ा हो रहा था। अब मैने समझ लिया था कि यहां पर सेंध मारी जा सकती है।

अगले सुबह भैया 7 दिनो के मार्केटिंग टूर पर चले गए। भाभी अकेली थी और संयोग से हमारे मम्मी पापा एक शादी में दो दिन के लिए चले गए। हमारे फ़्लोर पर हम और भाभी दो ही लोग थे। मैने भाभी को आज पहली बार गुड मार्निंग कहा। वो मुस्करा के बोली आज तो सूरज पश्चिम से उगा है। तो आज हम पड़ोसी का कर्तव्य पूरा करेंगे, आप हमारे यहा काफ़ी पीने आईयेगा।

मैं खुश हो गया। इस्से कहते हैं कि भाग्य मेहरबान होना। मैने अपना ढीला वाला बाक्सर शार्ट्स पहनी और चड्ढी निकाल दी। उपर एक हल्की टीशर्ट डाली और भाभी के घर में घुस गया। भाभी ने मुझे आया देख पानी का ग्लास लाई। मैने ग्लास पर उनकी उंगलियो को छू लिया। मुझे ऐसा लगा जैसे करेंट लग रहा हो। फ़िर भाभी बोली आप रुकिये मै जरा फ़्रेश हो लूं। भाभी बाथरुम में चली गई।

मैने टीवी आन कर ली और देखने लगा। तभी कुछ गिरने की तेज आवाज आई और भाभी के चीखने की आवाज भी। मैं दौड़ा गया तो देखा भाभी चारो खाने नंगे चित पड़ी हुई हैं। और उनकी गीली चूत दिख रही है। शायद वो फ़िसल गई थी और कराह भी रही थी। उनके कमर में काफ़ी चोट आई थी। मैने उन्हे उठाया और बेड रुम मे लाया। फ़िर पूछा कुछ है क्या भाभी मूव लगाने को? तो उनकी कातर नजरे मेरे को देख रही थी। उन्होने कुछ नही बोला। मै समझ गया कि उन्हे चुदाई चाहिए उनका दरद ठीक हो जाएगा।

मैने अपना पैँट फ़ेक दिया।मेरा गदहे का लंड भाभी के मुह के सामने था जिसने आव देखा ना ताव अपने बड़े ब्ड़े चूंचो के बीच में फ़ंसा कर मेरे लंड को मसलने लगी। थोडी देर मे मैने उसके गांड को मसलना सुरु कर दिया। फ़िर उसकी बिना बाल वाली पावरोटी जैसी फ़ूली हुई गीली चूत पर मैने अपना लंड रगड़ कर जैसे ही अंदर ठेला उसकी आंखे चौंडी हो गई और मुह खुल गया। शायद उसकी चूत की झिल्ली अभी तक फ़टी नही थी क्योकि भाई के लंड में इतना दम नही था। आधे घटे तक चोदने के बाद मैने भाभी की मुलायम गांड भी मार ली और उस दिन भाभी की जवानी धन्य हो गई। हमारा चक्कर चलता रहता है।
 
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