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Sex stories in hindi, antarvasna: गरिमा और मैं साथ में बैठे हुए थे गरिमा भैया के दोस्त की बहन हैं और हम दोनों एक दूसरे से ज्यादा बात तो नहीं कर रहे थे लेकिन मैं बार बार गरिमा की तरह देखे जा रहा था। मुझे गरिमा को देखकर एक अलग फीलिंग आ रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे गरिमा से मैं प्यार करने लगा हूँ। यह पहली बार ही था जब मैं गरिमा से मिल रहा था उससे पहले मैं कभी गरिमा से मिला नहीं था। हम लोग काफी देर तक एक दूसरे के साथ बैठे रहे और फिर भैया और मैं घर लौट आए। जब हम लोग घर आए तो भैया ने मुझे कहा कि तुम अकेले बोर तो नहीं हो रहे थे मैंने भैया से कहा नहीं भैया मैं अकेले बोर नहीं हो रहा था।

मैं भैया के साथ घर पर आ चुका था और मैंने भैया को कहा कि भैया मैं अपने दोस्तों से मिलने के लिए जा रहा हूं भैया ने कहा कि ठीक है लेकिन तुम घर जल्दी लौट आना। भैया मेरा बहुत ही ध्यान रखते हैं मैं भैया के साथ दिल्ली में रहता हूं हमारा परिवार लखनऊ में रहता है और भाभी भी लखनऊ में ही रहती है भैया और मैं दिल्ली में रहते हैं। मेरा कॉलेज कुछ समय पहले ही पूरा हुआ था इसलिए मैं भैया के साथ दिल्ली चला आया था मैं चाहता था कि मैं भी जॉब करूं लेकिन अभी तक मेरी जॉब नहीं लगी थी। मेरे कुछ पुराने दोस्त हैं जो कि दिल्ली में ही रहते हैं मैं उन लोगों से मिलने के लिए चला गया और उस दिन जब मैं अपने दोस्त रोहित को मिला तो मैंने रोहित से कहा कि मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं मेरी जॉब अभी तक लग नहीं पाई है।

रोहित मुझे कहने लगा कि देखो सुभाष तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है तुम्हारी जॉब लग जाएगी तुम अपने आप पर भरोसा रखो। मुझे दिल्ली आए हुए काफी समय हो चुका था मैं उस दिन रोहित के साथ काफी देर तक रहा फिर मैं घर लौट आया था। भैया मेरा इंतजार कर रहे थे भैया ने मुझे कहा कि सुभाष तुम टिफिन वाले को फोन करना वह अभी तक आया नहीं है। मैंने जब टिफिन वाले को फोन किया तो वह कहने लगा कि बस थोड़ी देर बाद ही पहुंच रहा हूं। थोड़ी देर बाद वह घर पर आया और उसके बाद हम लोगों ने खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं सोने के लिए चला गया था लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी मुझे बार-बार यही चिंता सता रही थी कि आखिर मेरी नौकरी का क्या होगा। मुझे काफी समय हो चुका था मेरी जॉब भी नहीं लगी थी मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था परन्तु कुछ दिनों के बाद ही मेरी जॉब लग गई। जब मेरी जॉब लगी तो उसके बाद मैं बहुत ही खुश था मैं अपनी नौकरी पर पूरी तरीके से ध्यान देने लगा था और भैया भी बहुत ज्यादा खुश थे।

काफी समय हो गया था मैं लखनऊ नहीं गया था तो सोचा कि कुछ दिनों के लिए लखनऊ चला जाऊं और फिर मैं कुछ दिनों के लिए लखनऊ चला गया। जब मैं लखनऊ गया तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा अपने परिवार के साथ समय बिताकर मैं बड़ा खुश था और मुझे इस बात की भी खुशी थी की अब मेरी नौकरी लग चुकी है। भैया का मुझे फोन आया और वह मुझसे कहने लगे कि सुभाष तुम वापस कब लौट आओगे तो मैंने भैया को कहा कि भैया मैं परसों वापस लौटूंगा। भैया ने मुझे कहा कि गरिमा भी लखनऊ आई हुई है। मैं यह बात सुनकर बड़ा खुश हो गया मैंने भैया से कहा कि भैया लेकिन क्या काम था तो भैया ने मुझसे कहा कि तुम गरिमा को अपने साथ लेते हुए आ जाना मैंने भैया को कहा कि ठीक है।

गरिमा पहली बार लखनऊ आई थी और वह अपने किसी रिश्तेदार के घर आई हुई थी मैं इस बात से खुश था कि मैं गरिमा के साथ जाने वाला हूं। मैंने हम दोनों का रिजर्वेशन करवा लिया हम दोनों ही लखनऊ से दिल्ली का सफर साथ में तय करने वाले थे मेरे लिए यह किसी खुशी से कम नहीं था। मैं और गरिमा जब साथ में बैठे हुए थे तो हम दोनों एक दूसरे से पहले तो कुछ बात ही नहीं कर रहे थे लेकिन फिर मैं गरिमा से बातें करने लगा। मुझे उससे बात कर के अच्छा लगने लगा था और वह भी मेरे साथ बातें कर के बड़ी खुश थी हम दोनों एक दूसरे से काफी देर तक बातें करते रहे।

जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो मुझे गरिमा ने मुझे बताया कि वह भी मुझे पसंद करने लगी है। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि हम दोनों ट्रेन के सफर के दौरान एक दूसरे से अपने दिल की बात कह देंगे और हम दोनों ने एक दूसरे अपने दिल की बात कह दी थी। हम दोनों दिल्ली भी पहुंच चुके थे दिल्ली पहुंचने के बाद मैंने गरिमा का नंबर ले लिया था और हम दोनों फोन पर चोरी छुपे बात करने लगे थे। मैं नहीं चाहता था कि यह बात भैया को पता चले इसलिए मैं गरिमा के साथ चोरी छुपे फोन पर बातें किया करता था। गरिमा कॉलेज की पढ़ाई कर रही है और यह उसके कॉलेज का आखिरी वर्ष था। मैं और गरिमा एक दूसरे से मिलने भी लगे थे जब भी मुझे मौका मिलता तो मैं गरिमा से मुलाकात कर लिया करता हूं गरिमा से मिलकर मुझे हमेशा ही अच्छा लगता।

मैं और गरिमा एक दूसरे को बहुत पसंद करने लगे थे इसलिए तो हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे। मुझे गरिमा का साथ हमेशा ही अच्छा लगता है और जब भी मुझे कोई परेशानी होती तो मैं गरिमा से अपनी परेशानी शेयर कर लिया करता और मेरी परेशानी जैसे पल भर में ही दूर हो जाया करती। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था कि गरिमा और मैं एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताया करते हैं। एक दिन मैं और गरिमा साथ में बैठे हुए थे उस दिन मुझे भैया का फोन आ रहा था मैंने उस दिन भैया से काफी देर तक बातें की और भैया ने मुझे कहा कि सुभाष तुम घर कब आओगे। मैंने भैया से कहा कि भैया मैं बस थोड़ी देर बाद ही घर आ रहा हूं।

मैंने गरिमा से कहा कि अब मैं चलता हूं मैं तुमसे कल मुलाकात करूंगा गरिमा कहने लगी कि ठीक है तुम कल मुझसे मुलाकात करना। मैं उसके बाद अपने घर लौट आया, मैं जब घर लौटा तो भैया और मैं साथ में बैठे हुए थे कुछ देर तक हम लोगों ने बात की फिर हम दोनों ने साथ में डिनर किया। डिनर करने के बाद मैंने गरिमा से बात की और फिर मैं सो गया। भैया को कुछ दिनों के लिए लखनऊ जाना था। भैया कुछ दिनों के लिए लखनऊ चले गए। जब भैया लखनऊ चले गए तो मैं घर पर अकेला ही था उस दिन मेरी भी ऑफिस की छुट्टी थी मैंने गरिमा को कहा तुम मुझसे मिलने के लिए घर पर ही आ जाओ।

गरिमा मुझसे मिलने के लिए घर पर आ गई थी जब वह मुझसे मिलने के लिए घर पर आई तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और गरिमा को भी कहीं ना कहीं बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे मुझे नहीं मालूम था मैं और गरिमा उस दिन अपनी जवानी को रोक नहीं पाएंगे और हम दोनों अपनी जवानी पर कंट्रोल ना कर सके। मैंने गरिमा को गर्म करना शुरू कर दिया था गरिमा पूरी तरीके से गरम होने लगी थी। मै उसके होठों को चूस रहा था गरिमा बहुत ही ज्यादा गरम हो चुकी थी और वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी। जब मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया तो वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी गरिमा बहुत ज्यादा गरम हो गई थी। मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जब मैंने गरिमा के सामने अपने लंड को किया तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड कितना मोटा है वह डरने लगी थी।

वह मुझे कहने लगी कहीं कुछ होगा तो नहीं। मैंने गरिमा को कहा कुछ भी नहीं होगा तुम मुझ पर भरोसा रखो। वह मेरे लंड को जब हाथों में लेने लगी तो उसे भी अच्छा लगने लगा था और मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मेरी गर्मी इस कदर बढ़ने लगी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। गरिमा मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुमने बहुत ज्यादा बढ़ा कर रख दिया है मैं और गरिमा एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे। मैंने अपने लंड को गरिमा के मुंह में घुसाने का फैसला कर दिया था वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी। वह जिस तरीके से मेरे लंड को सकिंग कर रही थी उससे मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था।

मैंने गरिमा से कहा तुम मेरे लंड को बस ऐसे ही चूसती जाओ। वह मेरे लंड को काफी देर तक ऐसे ही चूसती रही। वह मेरी गर्मी को बढा रही थी। अब हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे। मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाया और मैंने गरिमा के स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था मैं गरिमा के स्तनों को चूस रहा था तो उसके अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी भी कहीं ना कहीं बढ़ चुकी थी। मैंने गरिमा की योनि पर अपने लंड को लगाया और उसको धक्के मारना शुरू कर चुका थ। जब मेरा मोटा लंड गरिमा की चूत मे जा रहा था तो वह तडप रही थी। वह मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुमने बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है।

मैं और गरिमा बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी झेल नहीं पा रहे थे इसलिए मैंने गरिमा की योनि में लंड को तेजी से करना शुरु किया उसकी चूत में एक भी बाल नहीं था। मेरा लंड गरिमा की चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा था मैं उसे बड़ी तेजी से चोदने लगा था। मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था वह बहुत जोर से सिसकारियां ले रही थी मेरे आग भी बढती जा रही थी। 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरा लंड गरिमा की चूत की गर्मी को झेल नही पाया और मेरा वीर्य पतन हो गया। मैं और गरिमा बहुत ही खुश थे अभी भी हम दोनों का रिलेशन चल रहा है।
 
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