भाभी के बदन को बाहों में लिया

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Antarvasna, bhabhi sex stories: मोहन और मैं नौकरी की तलाश में थे हम दोनों पटना के रहने वाले हैं और हम लोग कुछ समय पहले दिल्ली नौकरी की तलाश में आए थे। मुझे लगा था कि शायद जल्द ही हम लोगों को दिल्ली में नौकरी मिल जाएगी लेकिन यह इतना भी आसान नहीं था कुछ ही दिनों में हमारे पास पैसे भी खत्म होने लगे थे। मोहन मुझे कहने लगा सुरेश मेरे पास अब पैसे भी खत्म होने लगे हैं हमें अब क्या करना चाहिए तो मैंने मोहन को कहा तुम बिल्कुल भी चिंता ना करो कोई ना कोई रास्ता तो जरूर निकल आएगा। हम दोनों अब इसी चिंता में थे कि कैसे कोई रास्ता निकलेगा लेकिन फिलहाल ना तो मेरी नौकरी लग पाई थी और ना ही मोहन कहीं पर जॉब कर रहा था। एक दिन मैं और मोहन घर से बाहर निकले तो बाहर पर एक लड़का खड़ा था हम लोगों उसे देखने लगे उसके हाथ में एक पेपर था मेरी नजर उस पेपर पर पड़ी और मैंने उस लड़के से कहा कि भैया क्या आप यह पेपर मुझे दे सकते हैं वह कहने लगा क्यों नहीं।

उसने मुझे वह पेपर दे दिया और वह वहां से चला गया मैंने जब उस पेपर में पढ़ा तो उसमें दो दिन बाद एक कंपनी के लिए इंटरव्यू के बारे में लिखा था मैं और मोहन बहुत खुश हुए और हम दोनों ही दो दिन बाद इंटरव्यू देने के लिए उस कंपनी में चले गए। जब हम लोग वहां पर गए तो वहां पर काफी भीड़ थी और मुझे शायद बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरी वहां पर नौकरी लग जाएगी जब मैंने इंटरव्यू दिया और मेरा सिलेक्शन उस कंपनी में हो गया तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हुआ इस बात से मोहन भी बहुत खुश था। हालांकि मोहन का वहां पर सिलेक्शन नहीं हो पाया था लेकिन फिलहाल हम दोनों की चिंता दूर हो गई थी कि अब आगे का खर्चा कैसे चल पाएगा। मेरी अब जॉब लग चुकी थी और मुझे जॉब करते हुए करीब एक महीना हो चुका था जब मेरे हाथ में मेरी पहली तनख्वाह आई तो मैं बहुत ज्यादा खुश हुआ मैंने उसमें से कुछ पैसे मोहन को भी दिए। मोहन और मेरे बीच बहुत ही अच्छी दोस्ती है हम दोनों बचपन के दोस्त हैं लेकिन मोहन को इस बात से काफी बुरा लग रहा था की उसकी जॉब अभी तक नही लगी।

मोहन ने मुझे कहा कि सुरेश मुझे तुमसे पैसे लेना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है मैंने मोहन से कहा देखो मोहन यदि तुम मेरी जगह होते तो तुम क्या करते। मोहन ने मुझे जवाब दिया और कहने लगा की वैसे यदि मैं तुम्हारी जगह होता तो शायद मैं भी यही करता। मैंने मोहन को गले लगा लिया और कहा देखो मोहन मैंने हमेशा तुम्हें अपना अच्छा दोस्त माना है हम दोनों साथ में दिल्ली आए थे और मेरी भी अब कोई जिम्मेदारी बनती है। मैंने मोहन को कुछ पैसे दे दिए और उसके बाद हम लोग वापस घर लौट आए कुछ दिनों बाद मोहन ने मुझे बताया कि उसका भी कंपनी में सिलेक्शन हो चुका है। मैं बहुत ज्यादा खुश था और मोहन भी बहुत खुश था अब हम दोनों ही नौकरी करने लगे थे और हम लोगों को जॉब करते हुए करीब 6 महीने से ऊपर हो चुके थे हम दोनों की मुलाकात शाम के वक्त ही हो पाती थी। हम दोनों जब अपने ऑफिस से लौटते तो हम लोग खूब बातें किया करते हम लोग एक दूसरे से अपनी बातों को शेयर किया करते हैं। एक दिन मोहन ने मुझे बताया कि वह किसी लड़की से प्यार करने लगा है मैंने उसे कहा कि मोहन तुम इस प्यार व्यार के चक्कर में मत पड़ो। मोहन मुझे कहने लगा कि नहीं सुरेश कुछ नहीं होगा मैंने उसे कहा देखो तुम अपनी नौकरी पर ध्यान दो लेकिन मोहन पर तो जैसे प्यार का नशा चढ़ा हुआ था और वह जिस लड़की से प्यार करता था उसके लिए वह इतना ज्यादा पागल हो गया था कि वह सिर्फ उससे ही फोन पर बातें करता रहता उन लोगों की फोन पर काफी बातें होती थी। मैंने मोहन को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन मोहन कहां मेरी बात मानने वाला था और आखिरकार उसे अपनी गलती का एहसास उस वक्त हुआ जब उस लड़की ने मोहन से ब्रेकअप कर लिया। वह लड़की किसी और लड़के से ही प्यार करने लगी इस बात से मोहन बहुत ही ज्यादा दुखी हुआ और कुछ दिनों तक तो वह अपने काम पर भी नहीं गया। मैंने मोहन को समझाया और कहा कि तुम्हें अपनी जॉब पर जाना चाहिए तब मोहन अपनी जॉब पर जाने लगा। मुझे भी लगा कि शायद मोहन बहुत दुखी है इसलिए एक दिन मैंने इस बारे में मोहन से बात की तो मोहन मुझे कहने लगा कि सुरेश मैं बहुत ज्यादा दुखी हूं मैं उस लड़की से कितना प्यार करता था और उसने मुझे धोखा दिया इस बात से मैं बहुत दुखी हूं।

मैंने मोहन को कहा मोहन अब तुम उसके बारे में भूल जाओ और तुम अब आगे बढ़ने की कोशिश करो। मैंने मोहन को बहुत समझाया मैं इस बात से भलीभांति वाकिफ था कि वह लड़की मोहन का साथ नहीं दे पाएगी मैं उससे एक बार मिला भी था वह मुझे कुछ ठीक नहीं लगी थी और आखिरकार हुआ भी वही। मोहन और उसके बीच के रिश्ते ज्यादा दिनों तक चल ना सके लेकिन इससे मोहन बहुत दुखी था अब धीरे-धीरे मोहन भी अपने काम पर जाने लगा था और वह उस लड़की को भूलने लगा था। इस बीच एक दिन मैंने मोहन से कहा कि क्यों ना हम लोग कुछ दिनों के लिए अपने घर हो आए तो मोहन ने कहा ठीक है। मोहन ने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और मैंने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी काफी दिनों बाद हम लोग घर जा रहे थे इसलिए हमें कुछ खरीदारी भी करनी थी और हम लोग को कुछ खरीदारी करने के लिए बाजार चले गए। वहां से हम लोगों ने काफी सामान ले लिया क्योंकि हम लोग इतने महीनों बाद घर जो लौट रहे थे हम लोगों ने काफी सामान ले लिया था और कुछ दिनों के लिए हम लोग अपने घर चले गए। जब मैं घर पहुंचा तो मेरी मां बहुत ज्यादा खुश थी उस वक्त मेरे पिताजी किसी काम से बाहर गए हुए थे मेरी मां ने मुझे देखते ही गले लगा लिया और कहा कि सुरेश बेटा तुम्हें इतने दिनों बाद देख रही हूं तो बहुत खुशी हो रही है।

मैंने अपनी मां से कहा कि मां मैं आपके लिए कुछ लेकर आया हूं मैंने जब अपनी मां को साड़ी दी तो वह बड़ी खुश हुई और उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। पिताजी भी अपने काम से लौट चुके थे और जब वह वापस लौटे तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा मैंने उनसे बात की हम लोग करीब 10 दिनों तक अपने घर में ही रहे और उसके बाद हम लोग दिल्ली वापस लौट आए। जब मोहन और मैं दिल्ली वापस लौटे तो उसके अगले दिन से ही हम लोग अपनी जॉब पर जाने लगे अपने परिवार के साथ 10 दिन बिता कर काफी अच्छा लगा और हम दोनों ही बहुत खुश भी थे। एक दिन जब मैं ऑफिस से घर लौट रहा था तो मैंने देखा हमारे पड़ोस मे एक महिला रहती हैं वह मुझे कुछ ज्यादा ही देखती थी। मैं भी उनको देखता एक दिन मैंने उनसे बात कर ही ली। उन्होंने मुझे बताया कि वह अकेली रहती हैं मैंने उन्हें कहा आपके पति कहां रहते हैं? उन्होंने मुझे बताया कि उनका तलाक हो चुका है उन महिला का नाम राधिका है। राधिका भाभी अब मेरी हो चुकी थी मैं उनसे अक्सर मिलता था। मैंने यह बात मोहन को भी बताई थी जब मैंने इस बारे में मोहन को बताया तो मोहन को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। एक दिन राधिका भाभी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया मैंने जब उनको अपनी गोद में बैठाया तो मेरा लंड उनसे टकराने लगा था मैं अपने आपको बिल्कुल रोक ना सकी। उन्होंने मेरी पैंट की चैन खोलते हुए मेरे मोटे लंड को बाहर निकाला और अपने गले के अंदर तक ले लिया उन्होंने मेरे लंड को अंदर तक ले लिया और मुझे बहुत अच्छा लगा वह जिस प्रकार से मेरे लंड को चूस रही थी।

उन्हे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं चाहता था उन्हें बड़े अच्छे से चोदू। यह पहला मौका था जब मेरे और राधिका भाभी के बीच सेक्स होने जा रहा था मैंने भी उनके कपड़े उतारे। मैंने उनके स्तनों को देखा तो मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया और मैंने उन्हें कहा है आपके स्तन तो बड़े ही सुडौल और बड़े हैं। वह मुझे कहने लगी अब आप ही मुझे अपना बना लो। मैंने उनके स्तनों को अपने मुंह में ले लिया उनके स्तनों का रसपान मैंने इतनी देर तक किया कि उनके स्तनो से खून भी बाहर आने लगा था। वह अपने आपको बिल्कुल रोक ना सकी उनकी उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी उन्होंने मुझे कहा मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही हूं और उन्होंने अपने पैर को खोलना शुरू किया उनकी चूत पर हल्के काले रंग के बाल थे।

मैंने भी धीरे-धीरे उनकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाना शुरू किया मेरा लंड उनकी चूत के अंदर तक चला गया जब मेरा लंड उनकी चूत के अंदर तक प्रवेश हुआ तो वह बहुत जोर से चिल्लाई जैसे उनकी सील टूट गई हो लेकिन वह तो पहले भी ना जाने कितनी बार अपनी चूत में लंड को ले चुकी थी। काफी समय से उन्होंने अपनी चूत मे किसी के लंड को नहीं लिया था इस वजह से वह काफी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी उन्होंने मेरी कमर पर अपने नाखूनों के निशान मारने भी शुरू कर दिए। उन्होने जब अपनी बाहों मे मुझे जकड़ना शुरू किया तो हम दोनों एक दूसरे से इस तरीके से लिपटे हुए थे कि सिर्फ मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनों एक दूसरे के बदन की गर्माहट को पूरी तरीके से महसूस कर रहे थे। मैं तो इस बात से बहुत ही ज्यादा खुश था और राधिका भाभी के साथ वह 5 मिनट की चुदाई मेरे लिए जिंदगी भर यादगार बन कर रह गई। मैंने उनके साथ जमकर सेक्स का मजा लिया और उसके बाद भी ना जाने मेरे और उनके बीच कितनी बार सेक्स संबंध बने। राधिका भाभी मुझसे मिलने के लिए अक्सर आती रहती हैं मोहन को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं है लेकिन मेरी दोस्ती के चलते वह कुछ कह नहीं पाता। मेरे लिए तो राधिका भाभी के बदन को महसूस करना बड़ा ही सुखद अहसास होता है।
 
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