Adultery प्यार या धोखा (Completed)

अध्याय 21

सुबह जिम में

"तो कैसी रही कल की रात "

रोहन पूर्वी को मुस्कुराते हुए देख रहा था,

पूर्वी के चहरे में हल्की सी शर्म और होठो में हल्की सी मुस्कान खिल गई .

"थैंक्स यार सच में उन्होंने भी मुझे सॉरी कहा"

"मैंने कहा था ना मेरा बात मानेगी तो फायदे में रहेगी "

रोहन की बात से दोनों ही मुस्कुरा उठे.

****

"तो कैसी रही कल रात "

सपना ने गौरव को मुस्कुराते हुए कहा ..

सपना की बात सुनकर गौरव के होठो में मुस्कान आ गई,

"ओहो आप मुझे देखकर मुस्कुरा रहे हो ,मतलब मेरी बात सच हो गई "

सपना ने चहकते हुए कहा ,गौरव की मुस्कान और भी बड़ी हो गई थी ..

"हा उसने भी मुझे सॉरी कहा,शायद मेरी ही गलती थी,anyway थैंक्स ...तुम्हारे सलाह के लिए "

गौरव आज सपना से इतने प्यार से बात कर रहा था की सपना को जैसे यकीन ही नही हुआ ,उसने ऐसे ही मुह बनाया..

"वाओ अचानक से आपकी जुबान कितनी मीठी कैसे हो गई मेरे लिए ,क्या चूस लिया था कल रात ."

सपना खिलखिला कर हँस पड़ी,वही गौरव को जैसे ही उसकी बात का मतलब समझ आया उसकी मुस्कान फिर से गायब हो गई .

"तुम नही सुधार सकती ..आज क्या करना है "

वो इधर उधर देखने लगा ...

***********

"सारा जोर यही लगा दोगे तो पूर्वी के ऊपर क्या लगाओगे"

गौरव को बेंचप्रेस करते देखकर सपना ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा ...गौरव ज्यादा वजन के साथ बेंचप्रेस करने की कोशिश कर रहा था.

"तुम कभी सीधी बात क्यो नही कर सकती "

गौरव उसपर झल्लाया

"अरे सीधी बात करने के लिए तो बीवी है ना,गर्लफ्रैंड से तो ऐसी ही बाते करते है "

सपना हँसने लगी

"तुम मेरी gf नही हो "

गौरव लेटा हुआ बेंचप्रेस कर रहा था और अब भी लेट हुआ था,सपना सीधे उसके जांघो में बैठ गई ..

"तो बना लो ना "

गौरव को सपना के कूल्हों का अहसास अपने जांघो पर हो रहा था,वो उसके ऊपर झुक गई थी जिससे उसके स्पोर्ट इनर से उसके मम्मे साफ साफ बाहर झलकने लगे थे,गौरव की आंखे एक बार के लिए उसके उरोजों पर ही टिक गई ,फिर उसे आभास हुआ की वो कैसी स्तिथि में है ,उसने तुरंत ही आसपास देखा,पूर्वी दूर थी और नजरो से बाहर थी और बाकियों को उनके बर्ताव से कोई फर्क नही पड़ रहा था,

"ये क्या कर रही हो हटो यंहा से "

गौरव उठने को हुआ लेकिन सपना अभी भी उसके जांघो पर ही बैठी थी,उसके उठने का नतीजा ये था की दोनों के चहरे एक दूसरे के करीब आ चुके थे,गौरव का सीना सपना के उरोजों से सट गया था,उसके पसीने में भीगी हुई परफ्यूम की खुशबू से गौरव के नथुने भर गए..

अब सपना गौरव की गोदी में था और इस मादक माहौल से उत्तेजित हुआ उसका लिंग सपना के जांघो के बीच टकरा गया,गौरव के अंदर दहसत की एक लहर दौड़ गई ,क्योकि वो नही चाहता था की सपना को उसकी उत्तेजना की कोई भी भनक लगे,और दूसरा डर उसे पूर्वी का था अगर वो उसे इस हालत में देख लेती तो क्या होता.

"हटो यंहा से "

गौरव ने जोरो से कहने की कोशिश तो की थी लेकिन लोक लाज के कारण उसकी आवाज धीरे ही आयी,उसकी आवाज आदेशात्मक कम और प्रार्थनात्मक ज्यादा थी.

"मैं नही हटने वाली कर लो जो करना है "

सपना के इठलाते हुए कहा,उसकी सांस तक गौरव के चहरे से टकरा रही थी वही आसपास के लोगो का ध्यान भी अनायास ही उनकी तरफ जाने लगा था..

"प्लीज् "गौरव ने कांपते हुए स्वर में कहा

सपना खिलखिलाते हुए उसके ऊपर से उठ गई और गौरव ने चैन की सांस ली ,ना जाने उसे इतना डर क्यो लग रहा था जबकि गलती तो सपना की थी....

क्या सच में ,उसने खुद से पूछा..

तेरे जांघो के बीच जो खड़ा हुआ था क्या वो भी सपना की गलती थी.

बस इसका जवाब गौरव के पास नही था और वही उसके डर का कारण भी था,उसे वो दिन याद आया जब वो सपना से सबसे ज्यादा डरा था,जब सपना ने अपने कपड़े उसके सामने खोल दिए थे..क्या सच में वो सपना से डरा था..??

नही ये डर था उसके अंदर उबलते हुए उत्तेजना का और वो डर था की कही वो सामने ना आ जाए,कही वो अपना आपा आ खो दे ..

गौरव की मनोदशा को मानो सपना समझ चुकी थी क्योकि उसे देखकर वो मुस्कुरा रही थी ,जिससे गौरव के शरीर में एक कंपन सी हो गई..

"इसीलिए मैं तुमसे नफरत करता हु,मैंने तो सोचा था की तुम मेरे और पूर्वी के रिश्ते के मजबूत करने में मेरी मदद कर रही हो लेकिन ...लेकिन नही तुम आज भी वही सपना हो जो मुझे मेरी पूर्वी से दूर करना चाहती हो ."

गौरव ने नफरत से उसे देखा लेकिन सपना पर मानो इसका कोई प्रभाव नही पड़ा हो.

"सर आप ना तो कल मुझे समझे थे ना ही आज समझ पाए हो,मैं आपको पूर्वी से अलग नही करना चाहती मैं तो बस आपको अपने पास लाना चाहती हु ...कैसे मर्द हो घरवाली प्यार करने वाली मिल चुकी है ,बाहर वाली भी सबकुछ करने को तैयार है लेकिन फिर भी डरते हो ."

वो फिर से हँसी लेकिन उसकी हंसी से गौरव के चहरे में बस नफरत का भाव आकर रह गया और वो उठाकर दूसरी ओर जाने लगा..

**********

इधर

"बला की खूबसूरत है यार,यार रोहन हमे भी तो मिला इस बला से "

पूर्वी का ध्यान अनायास ही उस ओर खिंच गया जिस ओर से ये आवाज आयी थी,रोहन के साथ खड़ा एक शख्स पूर्वी को ही घूरे जा रहा था,पूर्वी की नजर अचानक ही उससे मिल गई,वो कोई

6 फुट 5 इंच की हाइट वाला बिल्कुल बॉडी बिल्डर जैसा शख्स था, रोहन से भी लंबा था, रोहन उसके सामने बच्चा लग रहा था,वो जैसे कोई दानव हो पूर्वी तो उसे देखकर ही सहम सी गई ,फिर अचानक उसकी नजर उसके बाजू में बैठे शख्स पर गई जिसकी ओर रोहन देख रहा था,एक 6 फुट का लेकिन सामान्य शरीर का बेहद ही हेंडसम सा लड़का ,उम्र लगभग रोहन के उम्र जितनी थी थी,और ऐसा लग रहा था जैसे रोहन का अच्छा दोस्त है .

दिखने में जैसे रणवीर कपूर,चहरे से ही मासूमियत टपक रही थी,लेकिन एक शरारत भी ...पूर्वी अब कन्फ्यूज थी की आखिर ये आवाज थी किसी उस दनाव जैसे इंसान की या इस स्मार्ट छोकरे की .

तभी रोहन ने मुस्कुराते हुए उस स्मार्ट लड़के से कहा

"ये कोई बला नही है रफीक ये मेरी पुरानी दोस्त है पूर्वी "

"रफीक नही रफीक भाई "

एक गरजती हुई आवाज आयी और रोहन उस दानव को देखने लगा..

तभी रफीक बोल उठा

"अबे ये मेरे दोस्त है बे बल्ला तुझे कितनी बार समझाया है की दोस्तो के लिए मैं सिर्फ रफीक हु ,कम ऑन रोहन इसकी बातों का बुरा मत मानना"

रोहन भी रफीक की बात सुनकर मुस्करा उठा,

"इस मांस के टुकड़े में दिमाग होता तो शायद बुरा मानता.."रोहन की बात से दोनों ही हँस पड़े लेकिन बल्ला गुस्से से रोहन को देखा फिर भी चुप रहा ..

रोहन ,रफीक के साथ पूर्वी के पास पहुचा जो की उन्हें ही देख रही थी

"रफीक ये पूर्वी है मेरी बचपन की दोस्त और ये है ."

रोहन आगे कहता उससे पहले ही पूर्वी बोल पड़ी

"रफीक भाई ,अभी अभी सुना,क्यो अब तो ठीक है ना"

पूर्वी ने बल्ला को देखा जो की हल्क की तरह गुस्से से उनलोगों को देख रहा था..

रोहन और पूर्वी इस बात पे हँस पड़े

"अरे आप तो भाई मत बोलिये."

"क्यो आखिर ??"पूर्वी ने इतराते हुए कहा

"फकत यू रिश्तों के बोझ में न उलझा दो हमे,रिश्ता नही हम दोस्ती करने आये है "

रफीक बड़े ही शायराना अंदाज में कहा

"ओह लेकिन दोस्ती भी तो एक रिश्ता ही है ,ऐसे आप शायर भी है "

"मुझे लगता है की दोस्ती में रिश्तों वाली कोई बंदिश नही होती,ऐसे ये शायरी हमारे अब्बू के एक बिजनेस पार्टनर ने अम्मी के लिए कही थी जब अम्मी ने उन्हें भाई कहा था"

पूर्वी और रोहन ने आश्चर्य से उसे देखा

"तो आपके अब्बू ने क्या जवाब दिया "पूर्वी ने उत्सुक होकर उससे पूछा.

"जवाब क्या देना बल्ला ने उसका गला काट दिया और क्या "

इस बार पूर्वी और रोहन दोनों के ही चाहे में अपार आश्चर्य था...दोनों कभी रफीक को देखते तो कभी बल्ला को तो कभी एक दूसरे को ..

"कोई शेख साहब के सामने अम्मी से बतमीजी करे तो अंजाम तो यही होना था.."

बल्ला बोल उठा

"शेख साहब ??"

पूर्वी ने फिर आश्चर्य से कहा

"जी हा हमारे अब्बू दुबई के शेख है ,और बल्ला हमारे परिवार का पुराना वफादार है ."

"लेकिन आप तो इतनी अच्छी हिंदी बोलते है "

रफीक का खिला हुआ चहरा थोड़ा मुरझा गया

"असल में मेरी अम्मी का परिवार मुम्बई से ताल्लुक रखता है ,मैं तब 18 साल का था जब मेरे अब्बू की मौत हुई,अम्मी ने अब्बा के पुराने दोस्त शेख साहब से निकाह कर लिया और मेरे और बल्ला के साथ दुबई में जा बसी,मेरी अम्मी शेख साहब की तीसरी बीवी है लेकिन उन्होंने हमे बहुत प्यार दिया,अब मैं भारत फिर से आया हु अपने बिजनेस को सम्हालने और शेख साहब के बिजनेस को यंहा फैलाने के लिए और ये मेरा बचपन का दोस्त कम बॉडीगार्ड कम भाई बल्ला है ."

पूर्वी को रफीक की आंखों में बल्ला के लिए अपार स्नेह दिखा,वही बल्ला की आंखे ही बता रही थी की वो रफीक के लिए जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है ....

"अब छोड़िए इन बातों को मैं यंहा नया हु तो आपलोगो की जिम्मेदारी है मुझे शहर दिखाने की "

रफीक की आवज में एक गजब का अपनत्व था ,लेकिन उसकी इस बात पर पूर्वी ने एक बार रोहन को देखा..जैसे कह रही हो ये कहा फंसा दिया ..

रोहन बस मुस्करा रहा था

"बिल्कुल रफीक ...भाई"

उसने बल्ला को देखते हुए कहा और तीनो फिर से हँस पड़े .

**************

"अरे ये कौन था ???"

रफीक को जाता हुआ देखकर गौरव ने पूर्वी से पूछा,वो अभी अभी सपना से चिढ़कर पूर्वी और रोहन की तरफ़ ही आया था..

"अभी अभी आया है दुबई से किसी बिजनेस के सिलसिले में ,रफीक नाम है इसका "

रोहन की बात से गौरव के चहरे में थोड़ी हैरानी आ गई

"क्या हुआ आप इतने हैरान क्यो लग रहे हो"पूर्वी गौरव के आये हुए भाव को समझ नही पा रही थी..

"कुछ नही ये आदमी मुझे कल केमेस्ट्री डिपार्टमेंट में दिखा था,सपना से बात करते हुए .."

गौरव की बात सुनकर अब पूर्वी और रोहित दोनों ही चौके .

"सपना से ???"

पूर्वी के मुह से अनायास ही निकल गया

"क्या पता हो सकता है शेख साहब लखानी अंकल के दोस्त हो "

रोहन ने अपनी ओर से कहा

"शेख साहब ??अब ये कौन है "गौरव फिर से कन्फ्यूज था

"रफीक के अब्बू ."

रोहन की बात सुनकर अचानक ही गौरव का चहरा कुछ गंभीर हो गया..

"क्या हुआ आपको "पूर्वी भी उसकी ऐसी हालत देखकर थोड़ी सहम गई

"कुछ नही कुछ नही चलो घर चलते है "

गौरव जल्दी से वंहा से निकला,पूर्वी रोहन की तरफ घूमी और रोहन ने बस कंधा उचकया जैसे कह रहा हो की मुझे क्या पता.

लेकिन रोहन के दिमाग में अब भी कई सवाल चल रहे थे,आखिर रफीक को सपना कैसे जानती है और शेख का नाम सुनकर अचानक गौरव को क्या हो गया.??

**********
 
अध्याय 22

"तुम रफीक को कैसे जानती हो ?? गौरव बोल रहा था की उसने कालेज में तुम्हे उससे बात करते देखा "

पूर्वी और गौरव के जाने के बाद रोहन सीधे सपना के पास पहुचा था जो अब भी एक्सरसाइज कर रही थी..

"रफीक ...तुम उसे कैसे जानते हो "

सपना ने सवाल के बदले सवाल किया

"अरे यार वो यही वर्कआउट करने आता है .."

"ओह तो वो भी यंहा आता है "

"तुमने जवाब नही दिया सपना की तुम उसे कैसे जानती हो "

"यार वो एक केमिकल फेक्ट्री डाल रहा है ,और इसी सिलसिले में मैं उससे मिली थी,उसने मुझे जॉब आफर किया है "

सपना के चहरे पर मुस्कान थी और रोहन को उसकी बात पर यकीन नही हो रहा था ..

"सपना तुम मुझसे कुछ छिपा रही हो है ना,तुमने अभी तक मुझे उन फार्मूला के बारे में कुछ सही सही नही बताया,हर बार बात को घुमा देती हो ,और गौरव को जब पता चला की वो दुबई के किसी शेख का बेटा है तो उसका चहरा भी थोड़ा गंभीर हो गया था,आखिर साला चल क्या रहा है "

रोहन झुंझला गया,लेकिन सपना अब भी मुस्कुरा रही थी,वो रोहन के पास आयी और उसके गालों को अपने हाथो से खिंचने लगी

"ओ मेरा बच्चा..कितना क्यूट लगता है तू गुस्से में "

सपना की बात सुनकर रोहन और भी गुस्से में आ गया और पैर पटकता हुआ वंहा से निकल गया ,उसे देखकर सपना के होठो की मुस्कान और भी गहरा गई थी .....

**************

"दुबई वाले शेख का बेटा हमारे डिपार्टमेंट में क्या कर रहा था वो भी सपना के साथ "

गौरव गुस्से में था और मालती के सामने खड़ा था..

"अरे मुझे क्या पता ??"

मालती ने बेतकलुफी के साथ जवाब दिया

"वो आपकी स्कोलर है ना,तो आपको नही पता होगा तो किसे पता होगा."

"वो काम तुम्हारे साथ करती है गौरव ,और तुम इतनी छोटी सी बात पर इतना भड़क क्यो रहे हो...क्या हो गया अगर सपना किसी से बात कर रही थी,और यंहा कई लोग आते जाते रहते है "

मालती की नजर अब गौरव के ऊपर टिक गई थी..

"कही यह वही शेख तो नही जिसने कविता को ."

मालती की नजर अचानक ही गौरव के ऊपर टिक गई

"तुम पागल हो गए क्या गौरव कुछ भी बोले जा रहे हो,अरे होगा कोई पूछ लो सपना से ,इतना सोचने की क्या जरूरत है ."

"लेकिन..."

"लेकिन वेकिंन कुछ नही जाओ यंहा से मुझे और भी काम है,ज्यादा सोचकर अपना टेंसन मत बढ़ाओ वरना अपनी बीवी के साथ रंगरलियां कैसे मनाओगे."

मालती की बातों में एक व्यंग था ,गौरव बिना कुछ बोले और मालती को देखे बिना ही वंहा से निकल गया...

***********

गौरव सपना के पास पहुच कर इस बारे में बात करता है और सपना उसे वही स्टोरी सुना देती है जो उसने रोहन को सुनाई थी और रोहन की तरह उसे भी सपना की बात पर भरोसा नही होता.

लेकिन मानने के अलावा गौरव के पास कोई रास्ता भी तो नही था....

************

"क्या हुआ जी इतने टेंशन में क्यो लग रहे हो."

गौरव जब से कालेज से आया था वो थोड़े टेंसन में लग रहा था,सुबह जिम से आने के बाद वो ना जाने किन ख्याबो में खोया हुआ था,यही बात पूवी को सताए जा रही थी की आखिर उसे हो क्या गया है ...

"कुछ नही बस तबियत ठीक नही लग रही ,मैं आराम करना चाहता हु पूर्वी "

पूर्वी गौरव के चहरे को ध्यान से देखने लगी ..

"ऐसे क्या देख रही हो ."

"आप मुझसे कुछ छिपा रहे है..??"

"नही तो .."

"मुझे क्या समझ कर रखा है आपने,इतनी बड़ी टेंशन से गुजर रहे हो कम से कम अब तो बता दो "

गौरव चौका ,उसके चौकाने की वजह थी पूर्वी द्वारा बोले गए शब्द 'अब तो बता दो '

गौरव कोई समझ नही आया की आखिर पूर्वी ने ऐसा क्यो कहा था..

"मतलब क्या है तुम्हारा "

"क्या जो टेंशन हो वो मुझे बता सकते हो ना,मैं आपकी पत्नी हु .."

"ये नही जो तुमने कहा ..तुमने कहा की अब तो बता दो ,इसका मतलब क्या है ??"

गौरव के चहरे में कन्फ्यूजन था,वही पूर्वी मुस्कुराने लगी थी..

"मतलब ये की आप कभी मुझे अपनी टेंशन नही बताते ,"

"तुमने कब मुझे टेंशन में देख लिया.."

पूर्वी मुस्कुराते हुए उसके गले से लग जाती है

"जानते हो आप मुझसे झूठ नही बोल सकते ,लेकिन आप कोशिश जरूर अच्छी कर लेते हो ,मैं जानती हु की कब आप मुझसे झूठ बोल रहे हो और कब सच लेकिन फिर भी मैं चुप रहती हु क्योकि मुझे आपपर भरोसा है ."

गौरव को समझ ही नही आ रहा था की कब उसने पूर्वी से कोई झूठ बोला था .

"क्या बोल रही हो पूर्वी मैंने कब तुमसे झूठ बोला "

जवाब में पूर्वी खिलखिला उठी..

"अरे कुछ तो बोलो ,मैंने सच में आज तक तुमसे कुछ भी छुपाया "

गौरव की बात सुनकर अचानक ही पूर्वी के चहरे में आयी हुई हंसी गायब हो गई वो थोड़ी सीरियस हो गई ..

"पहला झूठ ये था की आप और मालती मेडम के बीच में कोई जिस्मानी रिश्ता नही था,अपने मुझसे कहा था की आप एक वर्जिन है,ये जानते हुए भी की आप दोनों के बीच रिश्ता है मैंने आपसे शादी की क्योकि मुझे भरोसा था की आप मुझसे प्यार करने लगे हो,दूसरा झूठ की अपने मुझसे कहा था की आप सपना से दूर ही रहना चाहते हो लेकिन आप ने जानबूझकर सपना को अपना पार्टनर बनाया,मालती के दिमाग में ये डाला की आप सपना से कितनी नफरत करते हो और सपना को मालती के और पास जाने में मदद की ताकि वो सपना को आपकी प्रोजेक्ट पार्टनर बनाने में मदद करे ...क्यो."

"पागल हो गई हो क्या पूर्वी ये क्या बके जा रही हो .."

गौरव झल्लाया लेकिन पूर्वी मुस्कुरा रही थी ..

"मैं जानती हु क्यो ,क्योकि वो फार्मूले जो कभी कविता ने लिखे थे वो मालती के पास थे जो मालती आपको नही दे रही थी लेकिन सपना दे सकती थी ,आप जानते थे की सपना के पास उसकी एक कापी है ..है ना."

पूर्वी की बात सुनकर गौरव का चहरा पीला पड़ गया था,उसकी जैसे सांस ही रुक गई ..

"और आज ये तीसरा झूठ आप मुझसे बोल रहे हो की आपकी तबियत खराब है ...रफीक को देखकर जैसे आपकी सांस ही रुक गई थी ,आखिर क्यो ???वो शेख कौन था जिसने कविता को गायब कर दिया और क्यो ?? आखिर उस फार्मूले में ऐसा है क्या जिसने इतना बखेड़ा खड़ा कर दिया ??? और सबसे इम्पोर्टेन्ट बात इन सबसे रोहन ,सपना और मेरे परिवार का क्या रिश्ता है ???"

पूर्वी की बात सुनकर गौरव पास ही पड़े सोफे में धड़ाम से गिर पड़ा

"तुम्हे ये सब कैसे पता??? आखिर कैसे ?"

पूर्वी की मुस्कान एक हंसी में तब्दील हो गई थी ,वो हल्के से हंसी

"आप भूल गए की मैं किसकी शागिर्द हु .."

गौरव ने पूर्वी के ध्यान से देखा ,और अचानक उसके दिमाग में एक नाम गुंजा जो धीरे से उसके होठो तक आ ही गया

"ओह डॉ चूतिया.तो उसने जासूसी की है हमारी "

गौरव पूर्वी के चहरे को ध्यान से देखने लगा ..पूर्वी उसे देखकर मुस्कुरा रही थी ..

"जब इतना कुछ पता है तो बाकी चीजे भी पता लगा लो,तुम्हारे साथ तुम्हारे गुरुदेव जो है "

इसबार वो खिलखिलाकर हँस पड़ी

"आप डॉ से इतना चिढ़ते क्यो है ?"

"उसने तुम्हे कभी नही बताया की मैं उससे क्यो चिढ़ता हु "

"बताया था लेकिन अब पुरानी बातों का कोई मलतब नही रह जाता ,वो आज भी आपको अपना सबसे अच्छा दोस्त मानते है "

पूर्वी की बात सुनकर अचानक से ही गौरव के चहरे का भाव बदलने लगा था,उसका सर झुक गया था ,वो अपने आंखों में आये हुए आंसुओ को छिपाने की कोशिश कर रहा था,पूर्वी उसके पास उसके बाजू में जाकर बैठ गई और उसका सर सहलाने लगी ..

उसने गौरव के सर को अपने सीने से लगा लिया .

"अब समय आ गया है गौरव डॉ को आपकी जरूरत है ,आखिर कविता आपका पहला प्यार थी,कविता के लिए उनका साथ दो कब तक वो इस लड़ाई को अकेले लड़ेंगे .."

गौरव पूर्वी के सीने में सुबकने लगा था..

"उसने मुझसे मेरा पहला प्यार छीना था,मेरी कविता को मुझसे छीना था,और आज मेरी पत्नी को भी अपनी ओर कर लिया ...साला चूतिया .."

गौरव की बात से पूर्वी खिलखिलाकर हँस पड़ी,गौरव भी उसके सीने से अलग हुआ उसके चहरे में अब थोड़ी सी मुस्कान थी.

"मैंने कभी नही सोचा था की डॉ तुम्हे इन सब के बारे में बताएगा..अगर पता होता तो कभी तुम्हे उसकी क्लास अटेंड करने नही देता "

पूर्वी के चहरे में एक मुस्कान आ गई

"उन्होंने बताया क्योकि वो आज भी आपसे बहुत प्यार करते है ,और वो जानते है की कविता के गायब होने से आपको भी उतना ही दुख हुआ जितना की उन्हें और अब वो नही चाहते की पुरानी बातों के कारण अब आपपर या मुझपर फिर से कोई मुसीबत आ जाए ."

गौरव ने बड़े ही प्यार से पूर्वी के गालों को सहलाया

"तुम्हे ये सब कबसे पता है "

"कुछ चीजे शादी के पहले से और कुछ अभी अभी कुछ दिनों से "

"ओह तो मालती मेडम के बारे में आप शादी से पहले से ही जानती थी ??"

"हा बिल्कुल डॉ ने साफ साफ बता दिया था "

गौरव आश्चर्य से पूर्वी को देखता रहा

"तो फिर तुमने कुछ कहा क्यो "

पूर्वी हँसने लगी फिर सीरियस होकर कहा

"क्योकि डॉ ने मुझसे कहा था की कुछ भी डिसीजन लेने से पहले पता तो कर लो की आखिर वो तुमसे सच में प्यार करता है की वैसे ही धोखा दे रहा है जैसे मालती को इतने दिनों से दे रहा है,मैं जानती हु की अपने मालती से प्यार का नाटक क्यो किया था,अपने अपनी सालों की इच्छा को सिर्फ मेरे कारण कुर्बान कर दिया ,सालों की मेहनत को सिर्फ मेरे प्यार के लिए बर्बाद कर दिया,मुझसे शादी कर ली ,अपना पहला प्यार भूलकर मुझसे प्यार किया "

पूर्वी की आंखों में भी आंसू आ चुके थे ,गौरव ने पूरी ताकत से उसे अपने सीने से लगा लिया .

"तो क्या पता लगा तुम्हे ये प्यार था की धोखा .."

गौरव ने हल्के से उसके कानो में कहा ,और पूर्वी ने कोई जवाब ना देते हुए अब उसके होठो में अपने होठो को डाल दिया .......
 

अध्याय 23

"तो डॉ तूने फिर से मेरे प्यार को फंसा लिया "

गौरव और पूर्वी अभी डॉ चूतिया के केबिन में बैठे हुए थे,गौरव की बात सुनकर डॉ जोर से हँस पड़ा..

"भाई अब तो ये तेरा प्यार ही नही बल्कि तुम्हारी बीबी भी है ...मैं इसे क्या फ़साउंगा .."

गौरव और पूर्वी के चहरे में एक मुस्कान आ गई ,लेकिन फिर गौरव गंभीर हो चुका था..

"देख यार सालों से हम दोनों ने एक दूसरे से अच्छे से बात नही की है ,हम दोनों ही एक दूसरे को कविता का गुनहगार मानते आ रहे है ,लेकिन तू भी जानता है और मैं भी उसका असली गुनहगार कोई और नही बल्कि वो शेख है ,और अब हमारे पास ये मौका है की हम उस शेख से बदला ले ."

गौरव की बात सुनकर डॉ के चहरे में मुस्कान आ गई ..

"शेख से बदला ???..वो मेरे ऊपर छोड़ दे ,और रफीक को पूर्वी और सपना के ऊपर ,बाकी उस फार्मूले का क्या हुआ ,उसपर कोई काम हुआ की नही "

गौरव ने एक बार डॉ को ऐसे देखा जैसे की डॉ उसका पुराना दुशमन हो .

"क्या मतलब है की रफीक को पूर्वी और सपना के ऊपर छोड़ दु,और सपना ,सपना भी तेरी शागिर्द है क्या..??"

गौरव लाल हो गया था जैसे उसे किसी बुरे का अंदेशा हो ,वो डॉ को सालों से जानता था और ये भी की वो कितना कमीना है ..

जवाब में डॉ ने मुस्कुराते हुए पूर्वी की ओर देखा

"तुमने बताया नही क्या की सपना भी मेरी शागिर्द है जैसे तुम हो ,भई क्लास तो मैंने दोनों की ही ली है ना.."

गौरव पूर्वी को देखने लगा..

"अरे आप गलत समझ रहे है,हा सपना भी इनकी शागिर्द है लेकिन सपना को नही पता की मैं भी डॉ से इस बारे में बात करती हु,या कोई सलाह लेती हु.आप उसकी फिक्र मत करो हम मिलकर कुछ कर लेंगे,आप तो उस फार्मूले पर ध्यान दो .."

"क्या फार्मूला फार्मूला कर रहे हो तुम दोनों,साला अगर वो मेरे पास होता तो क्या मैं ऐसे ."

अचानक गौरव चुप हो गया और उसका चहरा गंभीर से भी गंभीर हो गया..

"डॉ तू क्या करना चाहता है मुझे नही पता लेकिन एक बात बता देता हु की वो फार्मूला सपना के पास है लेकिन आधा.. उतना ही पार्ट जितना की मालती के पास था,आधा फार्मूला अब भी शेख के पास ही है और हो ना हो रफीक को उसने इसी लिए भेजा है ,वो अब भी उस फार्मूले के खोज में है जिससे असीम पवार मिल सकती है ,शाररिक और मानसिक पावर जिससे दुनिया जीती जा सकती है ,जो दिमाग को 100% तक एक्टिव कर सकती है ,सोचो अगर किसी को वो फार्मूला मिल गया और वो दवाई बना ली गई तो फिर क्या होगा,हम अपने दिमाग का बस 5% ही यूज़ कर पाते है वो भी जो लोग जीनियस होते है ,अगर कोई दिमाग का 100% यूज़ करने लगे तो ???"

"वो वो फ़िल्म है ना लिमिटलेस वैसे ही हो जाएगा,या फिर लूसिया मूवी की तरह पावरफुल हो जाएगा,तो क्या ऐसा हो सकता है की कोई NZT जैसी दवाई बनाई जा सके..?? "अचानक से ही पूर्वी बोल पड़ी..

"बिल्कुल .."डॉ ने बोलना शुरू किया

"बना सकता नही बना चुकी है ,कविता ने ऐसी दवाई बनाई थी ,जिसके गवाह हम दोनों है ,"डॉ ने बोलते हुए गौरव को देखा

"याद है गौरव उसकी दवाई का क्या असर हुआ था हमारे ऊपर "

डॉ जोरो से हँसने लगा,और पूर्वी आश्चर्य से डॉ और गौरव को देखने लगी..

"आखिर क्या हुआ था उसे खाकर .."

पूर्वी की उत्सुकता बढ़ रही थी

"छोड़ ना यार क्यो याद दिला रहा है "गौरव थोड़ा नर्वस हो गया

"अरे बताओ ना क्या हुआ था "पूर्वी ने जोर डाला और गौरव बोलने लगा..

"ये बात तब की है जब हम एक स्कोलरशिप के लिए एग्जाम दिला रहे थे,डॉ मैं और कविता...कविता तो पढ़ने में ऑलरेडी इतनी तेज थी की उसे कोई फर्क नही पड़ता था की एग्जाम कितना टफ होने वाला है ,लेकिन मेरी और डॉ की हालत खराब थी ,तो हमने कविता से मदद मांगी और उसने हमे वो टेबलेट दिया...असल में उसने हमारे ऊपर ही उसका पहला एक्सपेरिमेंट किया था.कविता ने पहली बात इसे तैयार किया था और इसमें कई सारी कमियां थी ,लेकिन हमने फिर भी उसे खा लिया .."

गौरव इतना ही बोलकर चुप हो गया ,लेकिन पूर्वी की उत्सुकता और ही बढ़ गई थी ..

"फिर ,फिर क्या हुआ "

"फिर क्या उस एग्जाम में इंडिया लेवल के तीन टॉपर थे,पहला कविता दूसरा मैं और तीसरा डॉ ."

गौरव इतना ही बोलकर चुप हो गया..

"अरे यार पूरी बात तो बताई ही नही तूने,हमने इंडिया में टॉप किया और तगड़ी स्कोलरशिप भी हासिल की लेकिन सिर्फ 3 दिन की पढ़ाई करके ."डॉ ने आगे बात जोड़ी

"वाओ वो मेडिसिन इतनी पावरफुल है ??"पूर्वी का मुह आश्चर्य से खुल गया था.

"नही पूर्वी उससे भी कही ज्यादा,क्योकि उस समय कविता ने बस एक सेम्पल तैयार किया था जिसमे कई कमियां थी ,उसने बाद में उन कमियों को भी दूर किया और एक नया फार्मूला बनाया कई साल उसने इसपर काम किया था और वही ....और वही फार्मूला उसका सबसे बड़ा दुशनम साबित हुआ...इस फार्मूले के बारे में कुछ बड़े ही पावरफुल लोगो को पता चल गया और कविता अचानक से ही गायब हो गई,लेकिन फार्मूला के दो हिस्से हो गए थे जिसमे से एक मालती मेडम के हाथो में लगा और दूसरा .."

"दूसरा कहा गया डॉ"पूर्वी ने पूछा

"दूसरा शेख के पास अभी तो बताया ना गौरव ने "डॉ ने चहरे में एक अजीब सी मुस्कान आ गई जिसे देखकर पूर्वी भी मुस्कुराने लगी..लेकिन गौरव को इसकी कोई भी खबर नही थी ..

"डॉ सपना से बोल की वो फार्मूला मुझे दे दे ,शायद मैं कुछ कर सकता हु ."

"सपना मेरे किसी बात को टालेगी नही लेकिन ..जंहा फार्मूले की बात आएगी वो मुकर जाएगी ,मैं उसे जानता हु लेकिन तू उससे निकलवा सकता है .."

"मैं कैसे ??"

गौरव चौका ,डॉ ने पूर्वी की ओर देखा

"डॉ मेरे पति को बिगाड़ो मत,"पूर्वी ने लगभग डांटते हुए कहा और जवाब में डॉ हँस पड़ा

"अरे बिगड़ नही रहा हु बस थोड़ा मोड़ा ..तुम बाहर घूम कर क्यो नही आती इससे मुझे अकेले में कुछ बात करनी है .."

डॉ की बात सुनकर पूर्वी ने गुस्सा वाला मुह बनाया

"अरे रहने दो मैं जानता हु ये क्या कहने वाला है ,तुम यंही बैठो,साले मेरी शादी तुड़वायेगा क्या "

गौरव बोल उठा...लेकिन फिर डॉ ने पूर्वी को बाहर जाने का इशारा किया

"कोई बात नही मुझे डॉ पर भरोसा है ये जो भी करेंगे हमारे भले के लिए ही करेंगे .आप आराम से इनसे बात करिए मैं बाहर घूमकर आती हु."

पूर्वी ने गौरव के कंधे पर अपना हाथ रखा और बाहर चली गई ..

"तुम्हारी इस हरकत से अब पूर्वी हमेशा मुझपर शक करेगी"

गौरव डॉ के ऊपर भड़क गया ..

"नही करेगी ,और तू भी जानता है की मुझे तुम्हे कुछ भी

समझना नही है ,तू वो कर ही लेगा जो मैं तुझे बोलने वाला हु ,"

"तो पूर्वी को बाहर क्यो भेजा"

"ताकि वो तुझपर यकीन करे,तू समझ नही सकता,अगर मैं उसे बाहर नही भेजता तो शायद वो तुझपर शक करती लेकिन अब हम उसे अपने हिसाब से एक स्टोरी सुना देंगे"

"कैसी स्टोरी "

"बोल देना की तू मुझपर बहुत गुस्सा हुआ की मैंने तुझे सपना को पटाने के लिए कहा और उससे शाररिक संबंध बनाने के लिए कहा ,और तू ऐसा कुछ भी नही करने वाला,और इधर मैं तेरी तारीफ कर दूंगा की तेरा पति तो पत्नीव्रता है उसने मेरी बात को साफ मना कर दिया,वो खुश हो जाएगी और क्या .."

डॉ ने मुस्कुराकर गौरव से कहा

"लेकिन मैं ऐसा कुछ भी नही करने वाला,मैं सपना से .."

गौरव आगे और भी कुछ बोलता उससे पहले ही डॉ ने उसे चुप करवा दिया

"बेटा तेरे रग रग से मैं वाकिफ हु ,भूल मत की तेरा बचपन का दोस्त हु मैं ,और ये तो तुझे भी पता है की वो फार्मूला कितना जरूरी है ,गलत हाथो में लगा तो तबाही ही तबाही निश्चित है.."

गौरव सोच में पड़ गया

"लेकिन .."

गौरव फिर से कुछ बोलने वाला था की डॉ ने उसे चुप करवा दिया

"मैंने पिछले साल तेरा एक आर्टिकल पढा था,जो नेचर मैगजीन में पब्लिश हुआ था"

"तो .."

"तो तुझे उसी आर्टिकल की वजह से ये फंड मिला जिससे तू अभी रिसर्च कर रहा है .."

"हा तो क्या .."

गौरव आशंकित होकर डॉ को देख रहा था..

"तो ये की मैं जानता हु की तू कितना दिमाग वाला है ,तू ऐसा आर्टिकल कभी नही लिख सकता,"

डॉ की बात सुनकर गौरव हड़बड़ा गया

"क्या बक रहा है "

"मैं जानता हु गौरव की कविता की बनाई पहली 50 गोलियों में कुछ तेरे पास अभी भी है ,याद है जो उसने मुझे दिए थे,और जिसे तूने चुराया था "

डॉ की बात सुनकर गौरव बौखला गया

"तुझे क्या लगता है की मैंने वो गोलियां चुराई है ,मेरे पास इतना टेलेंट नही है की मैं ऐसा आर्टिकल लिखूं.."

"मैं तुझपर शक नही करता अगर वो आर्टिकल लिखने के बाद तू 10 दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट ना हो जाता,तू उल्टियां हो रही थी राइट,दस्त ,उल्टियां और सर में बेहद दर्द ..यही हुआ था जब हम एग्जाम दिलाकर वापस आये थे.."

गौरव का चहरा एकदम पिला पड़ चुका था,

"तूने फिर से वो गोली खाई अपना आर्टिकल खत्म किया और फिर से तुझे वही प्रॉब्लम हो गए जो उसके साइड इफेक्ट थे...मैं तभी समझ गया था की आखिर मेरे पास की गोलियां गई कहा...चल छोड़ मैं इस बारे में पूर्वी को कुछ भी नही बताऊंगा..पूर्वी को क्या किसी को भी नही बताऊंगा,लेकिन ...मुझे वो फार्मूला चाहिए"

डॉ ने बड़े ही दम से कहा

"और आखिर मैं तुझे वो फार्मूला लाकर क्यो दु "

"क्योकि हम तीनो कभी पार्टनर थे..और अब हम दोनों ही बचे है तो हम 50-50 के पार्टनर हुए ना"

गौरव के चहरे में अब शांति थी

"मैं सपना से वो फार्मूला निकलवाऊंगा ओके..लेकिन तू क्या करेगा जो तू पार्टनरशिप मांग रहा है ??"

डॉ हँसने लगा..

"भूल गया की फार्मूला अभी भी कम्प्लीट नही है ,मालती ने सालों कोशिश की लेकिन उसे भी कुछ नही मिला,जरूर शेख ने भी कोशिश की होगी और उसे भी जब कुछ समझ नही आया होगा तो उसने रफीक को भेज दिया,तो मैं रफीक को सम्हालूँगा वो अभी जवान है और हुस्न का कदरदान है ,पूर्वी और सपना उसे आराम से सम्हाल लेंगी .."

डॉ की बात सुनकर गौरव बौखला गया

"तुम मेरी बीवी को .."डॉ ने उसे चुप करवा दिया

"याद रख शेख तक पहुचने का ये ही एक रास्ता है ,और तुझे क्या करना है बे,तू अपने लेब में ध्यान दे ना,ऐसे भी मैं पूर्वी और सपना को मना लूंगा,तुझे जो करना है वो ये की तुझे अपनी आंखे और कान पूर्वी के ऊपर से हटा लेने है,वो क्या कर रही है उसपर ध्यान मत देना बस और क्या .."

गौरव सोच में पड़ गया था..

"तू उससे क्या करवाने वाला है "

"वो मैं देख लूंगा,फार्मूला तेरे लिए कितना जरूरी है ये तू भी जानता है और मैं भी तो ...तो अपना काम करना शुरू कर मेरे काम में दखल मत दे,और फिक्र मत कर मैं ये याद रखूंगा की पूर्वी मेरे दोस्त की पत्नी है ."

इतना बोलकर डॉ थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोल उठा

"ऐसे तू दोस्त तो है ना मेरा??"

दोनों की आंखे मिल गई और गौरव ने अपना हाथ आगे किया,दोनों ने हाथ मिलाया और गौरव बाहर चला गया..

********

"आखिर क्या कहा डॉ ने "

बाहर गौरव को पूर्वी मिल गई थी जैसा उसे यकीन था पूर्वी ने वही सवाल किया जो गौरव को अंदाजा था और गौरव ने भी वही उत्तर दिया जो डॉ ने उससे कहा था...गौरव के उत्तर से पूर्वी खुश दिख रही थी ,उसने उसे सीने से लगा लिया

"ये डॉ ना कभी कभी मुझे सही आदमी नही लगते"

गौरव को लगा जैसे पूर्वी ने उसके दिल की बात बोल दी हो

"ह्म्म्म तुम भी बच कर रहना उससे ,साला हमेशा से कमीना है ,जैसे उसने कविता को मुझसे अलग किया कही तुझे भी मुझसे अलग न कर दे "

गौरव ने पूर्वी को बहुत ही जोर से पकड़ लिया..

"फिक्र मत कीजिये हमे कोई भी अलग नही कर सकता,और जब वो इतना ही कमीना है तो हम उसकी मदद क्यो ले ,क्यो ना हम ये सब छोड़ दे "

पूर्वी की बात से गौरव थोड़े देर सोच में पड़ गया

"पूर्वी आखिर छोड़ कर जायेगे कहा,यही हमारी दुनिया है और इसे हमे फेस करना सीखना ही होगा...ऐसे भी मुझे शेख तक पहुचना है जिसने कविता को मुझसे छीना था.."

"ह्म्म्म मैं आपके साथ हु गौरव .."

गौरव के चहरे में मुस्कान आ गई

"पूर्वी इस चूतिया डॉ से सम्हाल कर रहना ये बस नाम का चूतिया है"

पूर्वी खिलखिला उठी

"आप फिक्र मत करो मेरा नाम पूर्वी है ,पूर्वी कपूर ,कपूर साहब की बेटी हु मैं ऐसे चुतियो को चूतिया बनाना मैंने बचपन में ही सिख लिया था.अब मैं जरा उससे अकेले मिलकर आती हु देखु तो आखिर कैसे मेरे कान भरता है .."

पूर्वी की बात सुनकर गौरव ने चैन की सांस ली और उसे गले लगा कर अपने ऑफिस की ओर चल पड़ा और पूर्वी डॉ की केबिन की ओर.

********

"तो डॉ गौरव तो अपना काम करेंगे लेकिन अब हमे क्या करना है "

"अब हमारा टारगेट है रफीक ,जाकर मिलो उससे ,बाकी तुम समझदार हो की तुम्हे क्या करना है ."

डॉ की बात सुनकर पूर्वी बस मुस्कुराती रह गई ...
 
अध्याय 24

"डॉ गौरव को मेरे और रफीक के ऊपर शक हो रहा है "

सपना थोड़ी टेंशन में दिखी ,वो अभी अभी डॉ चूतिया के केबिन में आयी थी ,

"उसकी फिक्र छोड़ो उसे फार्मूला चाहिए जो तुम्हारे पास है ,तुम तो बस रफीक की फिक्र करो ,और मालती की भी "

"रफीक तो मुझसे ज्यादा पूर्वी में इनरेस्टेड लग रहा है ,और मालती को सम्हालने के लिए तो रोहन को लगा दिया है,लेकिन गौरव .."

"तुम्हे कुछ समझ आ रहा है की आखिर वो क्या करना चाहता है ,"

"मुझे लगता है की मुझे उसे वो फार्मूले दे देने चाहिए जो की मुझे मालती के पास से मिले थे"

सपना की बात सुनकर डॉ हंसा

"और फिर क्या ??"

"फिर क्या उन्हें जो बनाना है वो बना लेंगे.."

"ह्म्म्म वो तो है लेकिन .."

"लेकिन क्या "

"तुम्हारे पास जो है वो अधूरा ही है "

"जानती हु की मेरे पास कुछ ही फार्मूले है शायद आधे तो अब भी मालती के पास ही पड़े है इसलिए तो रोहन को मालती के पीछे लगाया है लेकिन पता नही वो उसे पटा भी पायेगा की नही ,मालती बेहद ही होशियार है "

सपना के साथ डॉ ने भी एक गहरी सांस ली..

"रोहन मालती को नही मालती रोहन को पटायेगी ,मैं उसे जानता हु जैसे उसे हमेशा ही लगता था की उसने गौरव को अपने झांसे में लिया है वैसे ही अब उसे लगेगा की उसने रोहन को अपने झांसे में ले लिया है .बस समय दो और रोहन को उसके आस पास ही रखो ..ऐसे तुम्हारे पिता की मीटिंग कब है,कपूर साहब के साथ "

सपना के चहरे में अब थोड़ी शांति थी

"2 दिन बाद"

"ओके ,और एक बात अभी जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नही है ,अभी गौरव को थोड़ी मेहनत करने दो,वो रफीक को देखकर पैनिक में है क्योकि उसे लगता है की रफीक को उसी किसी शेख ने भेजा है फार्मूला हासिल करने के लिए,तो वो अब तुमसे फार्मूला हासिल करने की कोशिश करेगा,लेकिन उसे ये नही पता की तुम्हारे पास भी पूरे फार्मूला नही है,उसके मजे लो ,उसे बहका के रखो वरना वो बाकी के कामो में टांग अड़ायेगा,उसे लगने दो की वो अपने मकसद के बेहद करीब है ,और उसे करीब ही रहने दो कभी पहुचने मत देना.."

डॉ की बात सुनकर सपना के चहरे में मुस्कान खिल गई..

"मतलब मुझे उससे सेक्स नही करना है "

डॉ इस बात पर हँस पड़ा ..

"सेक्स...तुम्हे लगता है की तुमसे सेक्स करना उसका मकसद है ??"

"नही मेरा मतलब है की पहले वो मुझे फसाने के लिए यही करने की कोशिश करेगा "

सपना की बात सुनकर डॉ ने एक गहरी सांस ली

"सपना तुम्हारे पास सच में बहुत तेज दिमाग है लेकिन फिर ही तुम्हारे अंदर एक बचपना अभी भी है,गौरव मेच्योर आदमी है उसके लिए सेक्स के कुछ खास मायने नही है,उसका तरीका कुछ भी हो सकता है शायद वो कुछ भी ना करे,और यही उसका तरीका हो ,तो तम्हे बस कुल रहना है ,समझना है और जो समझ आये वो मुझे बताना"

"तो सेक्स ...क्या मुझे उसके साथ सेक्स करना होगा, अगर वो चाहे तो ..???"

डॉ फिर से खिलखिला उठा

"वो तुम्हारी मर्जी है..बस कुछ भी हो वो उलझा रहे तो हमारे लिए बेहतर है "

सपना ने सहमति में अपना सर हिला दिया..

***********

सपना के जाने के कुछ ही देर बाद रोहन डॉ से मिलने पहुचा .

"तो कैसे चल रही है मालती के साथ "

डॉ के बात से रोहन के चहरे में मुस्कान खिल गई थी

"कुछ खास नही ,वो तो मुझे अभी घास भी नही डाल रही है .."

"कोई बात नही,बस उसे कुछ ऐसे पटाओ की उसे पता भी नही चले की तुम उसे पटा रहे हो,या ये तरीका अच्छा रहेगा की तुम उसे पटाओ ही मत कुछ ऐसा करो की वो ही तुम्हे पटा ले"

रोहन कुछ आश्चर्य से डॉ को देख रहा था.

"टाइम लगेगा ,फिक्र मत करो ,तुम रफीक के ऊपर ध्यान दो लेकिन किसी न किसी बहाने से मालती से भी मिलते रहो,बाकी उस तक न्यूज़ तो सपना पहुचा ही देगी ,और तुम रफीक के इतने करीबी बन जाओ की मालती को उसतक पहुचने के लिए तुम्हारे करीब आना पड़े.."

"लेकिन वो क्यो रफीक के करीब जाना चाहेगी "

डॉ उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा

"रोहन तुम जो गेम खेल रहे हो वो खेल का आखरी पड़ाव है ,खेल तो सालों पहले से शुरू हो गया है ..लेकिन अब फैसले की घड़ी है की कौन जीतेगा और कौन हारेगा.."

डॉ ने ये बात ऐसे कही थी जैसे वो खुद ही बात कर रहा हो ..

रोहन को उसकी बात कुछ खास तो समझ नही आई लेकिन उसने हा में सर हिला दिया..

**********

"यार ये डॉ बड़ी अजीब अजीब बाते कर रहा था मेरे तो समझ के बाहर था,खेल का आखरी पड़ाव ,फैसला etc .."

रोहन और सपना रोहन के एक फ्लेट में बने छोटे से बार में बैठे हुए थे..

सपना गंभीर थी और वोदका को बड़े ही गंभीर ढंग से चुस्कियां ले कर पी रही थी .

"रोहन मुझे कुछ सही नही लग रहा है,पूर्वी डॉ से अकेले में मिलती है,फिर गौरव के साथ मिलती है ,डॉ हमे अलग अलग अपने पास बुलाता है और कहता है की समय लो,जल्दबाजी में कुछ मत करो ,एक आदमी अचानक से हमारी लाइफ में आता है(रफीक) और सबके लिए इतना इम्पोर्टेन्ट हो जाता है,हमारे घर वाले भी कही न कही इन सबमे इन्वॉल्व है ,यार रोहन हम क्या करने निकले थे और ये क्या कर रहे है,पूर्वी को गौरव से ज्यादा डॉ की बात सुन रही है ,हम लोग क्यो उसका कहा मान रहे है,हमे क्या लेना देना की उस फार्मूले में क्या है हम क्यो अपनी ऐयाशियों वाली जिंदगी को छोड़कर इस झमेले में पड़ गए है ."

सपना को इतना गंभीर देख कर रोहन भी थोड़ा गंभीर हो गया उसने तो ये सब सोचा भी नही था..

"हा यार सही कहा,साला ये तो हमारा पैसे उड़ाने और मौज करने की दिन है,बाप ने इतना पैसा हमारे लिए ही तो कमाया है और साला हम इन सब चूतियापे में पड़ गए है .."

उसने अपने ग्लास में रखे विस्की को एक ही सांस में अंदर धकेल कर फिर से नया पैक बना लिया..

"मुझे तो डॉ पर ही शक होता है ,गौरव तो सीधा साधा ही लगता है लेकिन ये डॉ बड़ा ही टेढ़ा आदमी है,देखा ना उसने पूर्वी को भी मना लिया की वो रफीक के आस पास रहे ,"

सपना फिर गंभीरता से बोली

"हा यार मुझे भी डॉ कुछ समझ नही आता "

रोहन ने फिर से अपना पैक एक ही सांस में खाली कर दिया ,इस बार सपना उसे घूरने लगी

"क्या क्या देख रही है "

सपना के चहरे में गुस्सा था

"साले तुझे समझ क्या आता है,जब देखो हा में हा मिलता रहता है.."

सपना को गुस्से में देखकर रोहन मुस्कुराने लगा..

"ये कहावत सुनी है ...येड़ा बनकर पेड़ा खाना.."रोहन के चहरे की मुस्कान और भी गहरी हो गई

सपना ने सहमति में सर हिलाया

"बस यंहा वही करना होगा,ये सब क्या चल रहा है ये सब तो साला हमारे दिमाग के ऊपर से ही निकल रहा है तो क्यो ना येड़ा बन जाय जाए,जब मौका आएगा तब पेड़ा हम खा के निकल जाएंगे.."

सपना ने पहली बार रोहन के मुह से कुछ ऐसी बात सुनी जिसमे उसे कुछ चालाकी का आभास हुआ ..

"मतलब .."

"मतलब ये की सब खेल के सेंटर में वो फार्मूला है जिसके बारे में हमे घण्टा कुछ नही पता ,जो पता भी है वो महज एक अनुमान ही है ,तो अभी हम वो करते है जो ये लोग कह रहे है,सबको लगने दो की हम उनके ही साथ है चाहे वो डॉ हो ,गौरव हो ,मालती हो या रफीक, जब फार्मूला मिल जाए तो ले के निकल लेंगे."

रोहन की बात सुनकर सपना के आंखों में आश्चर्य खिल गया उसने कभी सोचा भी नही था की रोहन कुछ ऐसा सोचेगा ..

"तो तुम्हारा प्लान क्या है ??"

उसने जल्दी से कहा

"कोई प्लान नही यही प्लान है ,प्लान उन्हें बनाने दो न जो इस खेल को खेल रहे है ,हमे तो बस ट्रॉफी से मतलब है ,चाहे कोई भी जीते.."रोहन हँस पड़ा था,सपना जैसे उसकी बातों को समझ गई थी ..

"लेकिन ...कोई भी जीते तो हमे कैसे फायदा होगा.."

"अरे यार हम तो सबके साथ है ना,हम गौरव के साथ भी है,और मालती और रफीक के साथ भी ,और डॉ के साथ भी,हमे क्या करना है की कौन जीतेगा और कौन हारेगा...तू खुद सोच कर देख क्या हम सबके वफादार नही बन सकते...क्या तू गौरव के प्यार में नही पड़ सकती,और डॉ और मालती को ये लगेगा की तू उनके कहने पर नाटक ही कर रही है ,लेकिन गौरव को तो ये लगेगा की उसने तुझे फंसा लिया है ,क्या मैं रफीक का सबसे अच्छा दोस्त नई बन सकता,फिर से डॉ को यही लगेगा की मैं उसके कहने पर ये कर रहा हु,.."

सपना के चहरे में इस बार मुस्कुराहट आ गई

"तू तो बड़ा दिमाग वाला निकल गया बे,यानी हमे डबल क्रॉस करना है "

रोहन हँस पड़ा

"डबल ट्रिपल जितना भी क्रॉस करना पड़े कर देते है ,साला हमारा क्या जायेगा,हो सकता है उस फार्मूले में ही कुछ ऐसा मिल जाए की हमारा फायदा हो और इसके साथ मुझे पूर्वी भी मिल जाए .."

रोहन का चहरा खिल गया और उसकी बात सुनकर सपना भी जोरो से हँस पड़ी और उसके गालों को खिंचने लगी,

"साले आखिर में तू आ गया ना अपनी औकात में .."

रोहन को यही सही मौका लगा और वो खड़े होकर सपना के पैरों में बैठ गया,रोहन सपना के मिनी स्कर्ट के नीचे हाथ घुसकर उसके जांघो को सहलाने लगा,सपना उसके इरादों को समझ चुकी थी..उसके होठो में भी मुस्कान आ गई

"यार ...बहुत दिन हो गए .."

रोहन जैसे मिन्नत कर रहा था..

सपना ने उसके बालो को अपने हाथो में पकड़ कर उसे अपने जांघो के बीच सरका दिया ..

"मुझे भी ..."

**************

"बल्ला गजब की माल है साली इसे ही तेरी भउजाई बनाऊंगा .."

सपना ने अचानक से उस ओर देखा जिस ओर से ये आवाज आ रही थी और उसकी आंखे फ़टी की फ़टी रह गया क्योकी ये रफीक था.

"कसम से भइया जी क्या गांड है साली के "सपना ने बल्ला की निगाहों का पीछा किया वो दोनों पूर्वी को वर्कआउट करते देख रहे थे,पूर्वी भी बीच बीच में उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी ..

"हमको तो लगता है भैया की ये मछली हमारे जाल में फंस ही जाएगी ..क्या बोलते हो "

बल्ला फिर से बोल उठा और रफीक बस मुस्कुरा दिया,सपना ने अपने को चेंजिंग रूम में छिपा लिया,जंहा वो पहले से मौजूद थी जिससे ये दोनों ही बेखबर थे और रूम के बाहर खड़े हुए बाते कर रहे थे ..

"कसम से एक बार मिल जाए ,साला खटिया ही तोड़ देंगे,पूरा U.P. हिला देंगे .."

बल्ला के साथ साथ रफीक भी हंसा..वही सपना का चहरा पिला पड़ गया

"ये साली तो सोचती है तुम कोई शेख हो ,तुम्हारे सामने तो खेल के दे देगी ,भैया जी ये तो मोनालिसा से भी जबर माल है,"

दोनों फिर से हँसे

"बस बल्ला नाटक चलने दे ,फिर देख कमरिया लापालाप है,जौनपुर से आजमगढ़ तक नंगी दौड़ाकर चोदूंगा साली को ,शेख बनकर क्या पता ये खजूर ही खाने को मिल जाए "

दोनों फिर से खिलखिलाकर हँसे और पूर्वी की ओर बढ़ गए ..

सपना चेंजिंग रूम में उनकी बात सुनकर पसीने से पूरी तरह से भीग गई थी ,उसे अपने कानो पर यकीन नही हो रहा था लेकिन उसने खुद ये सब सुना था,ये लोग शेख बनकर खजूर खाने के फिराक में थे और खजूर और कोई नही उसकी बचपन की दोस्त पूर्वी थी....तो केमिकल फेक्ट्री की बात,क्या ये सब झूठ था???

भाड़ में जाए केमिकल फेक्ट्री इन सालों की तो ...वो यही सोचकर बाहर निकली लेकिन फिर उसके दिमाग में कुछ बाते कौंध गई और वो उसके पैर बस वही रुक गए .....
 
अध्याय 25

"हमने सुना था की जन्नत में हूर होती है लेकिन इस जहां में भी हमे कोई हूर मिल जाएगी ये तो सोचा न था"

रफीक की बात सुनकर पूर्वी खिलखिला उठी ,उसी समय सपना भी उनके पास पहुच चुकी थी ,पूर्वी किसी समान को पकड़ने के लिए नीचे झुकी और उसके टाइट लोवर के कारण उसके चूतड़ पूरी तरह से उभर कर बाहर को झांकने लगे,उसकी पेंटी की आकृति भी साफ साफ दिखने लगी थी,रफीक जैसे उस दृश्य को देखकर बस उसमें भी खो गया था,सपना की नजर उसकी नजरो का पीछा करते हुए उस दृश्य पर चली गई ,उसने तुरंत आसपास देखा ,ऐसे तो पूर्वी के इस कुछ सेकंड के बर्ताव को देखने वाले कुछ ही लोग थे लेकिन जिसने भी इसे देखा उसकी आंखे बस वही जमी रह गई ,इसमें बल्ला और रोहन भी शामिल थे,जबकि रफीक को देखकर तो ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सांस ही रुक गई हो.

पूर्वी के वापस उठने पर सभी की सांस फिर से चलनी शुरू हो गई थी,रफीक ने बल्ला की ओर देखा और एक मुस्कान बिखेर दी जैसे कह रहा हो 'क्या माल है यार ये '

वही बल्ला भी आंखों ही आंखों से मुस्कुराने लगा,लेकिन दोनों की ये हरकते सपना से नही छिप पाई,वो कुछ कहना चाहती ही शायद पूर्वी को रफीक का सच बताना चाहती थी लेकिन वो चुप रही उसके दिमाग में और भी कई सवाल घूम रहे थे जिसका जवाब जानना उसके लिए और भी ज्यादा जरूरी था.

जिम में गौरव किसी से कोई बात किये बिना अपना काम कर रहा था ,उसे देखकर ऐसा लगता जैसे वो किसी सपने में खोया हुआ है ,वो पूरी तरह से दुनिया से बेखबर था,रफीक और रोहन के प्यासी नजरो की उसे कोई भी फिक्र नही थी ना ही वो उधर देख ही रहा था,ये तो सिर्फ सपना ही समझ सकती थी की आखिर उसके दिमाग में क्या चल रहा है ,गौरव इसी पशोपेश में था की आखिर वो सपना से कैसे उस फार्मूले को निकलवाये..वो ज्यादा देर तक वंहा रुका भी नही और पूर्वी को वही छोड़कर घर चला गया..

इधर

रोहन पूर्वी और रफीक को सपना ने भी जॉइन कर लिया था..

"तो सपना जी अपने हमारे आफर के बारे में क्या सोचा "

रफीक सपना की ओर मुड़ता है

"मैंने आपको साफ साफ कहा था की मैं दूसरे प्रोजेक्ट में व्यस्त हु और मुझे समय नही मिल पायेगा"

सपना ने दो टूक जवाब दिया

"चलिए कोई बात नही ,लेकिन जब कभी आप फ्री हो हमारा आफर आपके लिए वही रहेगा"

रफीक बेहद ही नम्रता के साथ बोल रहा था

"बिल्कुल बिल्कुल "सपना ने भी हामी भरी

"तो यार रोहन तुम तो हमे शहर घूमने ले जाने वाले थे,और आप भी अपने वादे से खिलाफत कर रही है पूर्वी जी "

रफीक के शराफत भरे लहजे को सुनकर सपना मन ही मन मुस्कराने लगी ,उसे यकीन हो गया था की जो वो रफीक के बारे में सोच रही थी वो कही ना कही सही हो सकता था,वो तैयारी के साथ आया था..

"बिल्कुल शेख साहब ,क्यो ना आज ही कही बाहर चले क्या कहते हो "

पूर्वी ने रोहन को देखा और रोहन ने भी हा में सर हिला दिया

"अरे पूर्वी जी हमे शेख कहकर क्यो हमे शर्मिंदा कर रही हो ,हम शेख के बेटे है ना की शेख है"

"अरे यार शेख का बेटा भी तो शेख ही हुआ ना,तुम हम गरीबो के साथ टाइम बिता रहे हो यही बहुत है"

रोहन लपक कर बोल उठा,बदले मे रफीक ने थोड़ी नम्रता दिखाई और फिर बल्ला की ओर देखा जो की अब भी आंखों से ही मुस्करा रहा था जैसे कह रहा हो की साले बुरी तरह से फंस गए है ..

************

बल्ला के हाथो में एक पिस्तौल थी और उसकी आंखे बिल्कुल लक्ष्य पर टिकी हुई थी ,एक दो तीन ...उसने गोली चला दी और धाय..

"वाओ बल्ला तुम तो गजब के निशानेबाज हो "सपना ने चहक कर कहा,बल्ला के चहरे में मुस्कान खिल गई,वो सपना के साथ उस जंगल के एक हिस्से में अकेला था,पास में बहती हुई नदी का कलरव वातावरण में फैल रहा था,बल्ला का मजबूत शरीर ऊपर से नँगा ही था,उसकी मजबूत भुजाई फड़फड़ा रही थी,वो पसीने से भीगा हुआ था और हांफने के कारण उसकी उभरी हुई मांसल छतिया भी और भी भारी भरकम लग रही थी ,एक बार सपना की नजर उसके जिस्म पर ठहर गई ,वो सच में किसी दानव से कम नही लग रहा था लेकिन फिर भी उसका ये शरीर सपना के यौवन से भरे हुए मन में तरंगे उठाने के लिए काफी था,वो दोनों ही सबसे बहुत दूर आ गए थे,बल्ला का शर्ट नदी के किनारे पड़ा हुए था और एक चिड़िया को मारने के लिए वो बहुत दूर तक भागता रहा था,आखिर वो चिड़िया फड़फड़ाते हुए नीचे गिर गई,सपना भी उसके साथ भाग रही थी और वो भी हांफ रही थी,उसकी स्कर्ट एक कांटे से फंसने के कारण फट चुकी थी,जिससे उसके जांघो का बहुत सा हिस्सा दिखने लगा था,वही पसीने से भीगने के कारण उसकी टीशर्ट भी उसके जिस्म में चिपक गई थी,आदतन या जानबूझकर सपना ने अंदर कोई भी अंतःवस्त्र नही पहने थे और इसी कारण टीशर्ट से उसके बड़े बड़े वक्ष साफ साफ दिख रहे थे,उसके निप्पल उसके काले कलर के टीशर्ट से दिख तो नही रहे थे लेकिन शरीर का हर कटाव ऐसे कपड़ो से चिपक चुका था जैसे दोनों में कोई भेद ही नही रह गया था,बल्ला अपनी तारीफ इस हसीना से सुनकर खुश होने ही वाला था की उसकी नजर सपना पर पड़ गई और जैसे उसकी सांस ही रुक गई हो ,उसने सपना को अपने जिस्म को देखता हुआ पाया,उसने सपना की आंखों में एक लालच देखा जिसे महसूस करके ही उसके जिस्म में एक करेंट सी दौड़ गई थी,वही सपना के जिस्म को देखकर वो खुद को सम्हालने ही वाला था की उसकी नजर नीचे गई जंहा सपना की स्कर्ट फ़टी हुई थी और उसके उजाले जांघो के दर्शन करके बल्ला का बल्ला खड़ा होने लगा था,बल्ला के बल्ले के अकड़न से उसका शार्ट भी थोड़ा उठने लगा था ,सपना का आश्चर्य उस समय और भी बढ़ने लगा जब उसके बल्ला के बल्ले क्यो उठाते हुए देखा,उसे लगा जैसे उसकी ही बल्ले बल्ले हो गई हो ,उसने उस दैत्य शरीर वाले इंसान के लिंग को उठता हुआ देखा,वो कपड़ो की पाबंदी को तोड़ने को आतुर दिख रहा था,ऐसे लगा जैसे बल्ला के जांघो के बीच कोई लोहे का सरिया धीरे धीरे बड़ा हो रहा है,अब वो शायद अपने पूरे आकर में था एक टेंट बन चुका था जो इतना बड़ा था की सपना का मुह खुला का खुला ही रह गया,उसे आभास हुआ की इस दैत्य के पास एक दैत्याकार लिंग भी है जो किसी मूसल से कम कठोर नही लग रहा था,सपना के जांघो के बीच एक अजीब सी हलचल होने लगी ,उसने खुद को सम्हाल और सर उठाकर बल्ला को देखा वो भी उसे ही देख रहा था,ऐसे देख रहा था मानो कोई छोटा और भूखा बच्चा किसी चॉकलेट से बने हुए गुम्बद को देखे ,ऐसे जैसे कोई भूखा कुत्ता किसी मांस के लोथड़े को देखे,लार मानो टपकने के ही कगार में थी,सपना को ये देखकर खुसी हुई की उसने बल्ला का बल्ला खड़ा कर दिया है,अब उसे निचोड़ने की देर थी लेकिन वो अभी सब्र से काम लेना चाहती थी.

"बल्ला चले सब हमारी राह देख रहे होंगे.."

सपना की बात जैसे उसने सुनी ही नही ,सपना ने फिर से दोहराया तो बल्ला हड़बड़ाते हुए इधर उधर देखने लगा..

"अरे सपना जी वो तो खुद में मस्त होंगे हमारी राह कौन देखेगा.."

बात तो सही थी,रोहन और रफीक तो पूर्वी के पीछे हाथ धोकर पड़े थे वंहा सपना और बल्ला को कौन याद करने वाला था,सपना ने भी इसका जवाब मुस्कुरा कर दिया और बिना कुछ बोले नदी की तरफ चल पड़ी,वो निकले तो शहर घूमने थे लेकिन पिकनिक मनाने शहर से बहुत दूर जंगलों में आ गये थे,सपना को बहुत दिनों बाद ऐसी शांति मिल रही थी ,बल्ला भी उसके पीछे पीछे आया ,अब उसके हाथो में तो चिड़िया थी ,उसने पास के घास को जलाकर उसके ऊपर उसे भुनने लगा,सपना नदी के किनारे एक पत्थर में बैठी हुई नदी के सौंदर्य को निहारे जा रही थी.बल्ला भी वही पहुच गया और ना जाने उसे क्या हुआ उसने अपनी अंजली में पानी भरकर सपना की ओर उछाल दिया,सपना की तंद्रा जैसे टूट गई और वो एक बार के लिए ही हड़बड़ा सी गई ,फिर उसे बल्ला की शरारत समझ आयी ,वो हंसती हुई उसे मना करने लगी लेकिन वो नही माना ,सपना भी नदी में उतर गई थी और उसने भी बल्ला की ओर पानी फेकना शुरू कर दिया दोनों खिलखिला रहे थे,सपना सोच भी नही सकती थी की बल्ला जैसा आदमी कभी हँस भी सकता है वो भी इतनी मासूमियत के साथ ,दोनों ही भीग चुके थे सपना के पूरे कपड़े पूरी तरह से भीग चुके थे लेकिन दोनों को ही इसकी फिक्र भी नही थी ,

बल्ला सपना के करीब आ चुका था और उसने उसे किसी बच्चे की तरह उठा लिया और हवा में लहरा दिया,सपना को तो ये यकीन ही नही आ रहा था की कोई इतना ताकतवर कैसे हो सकता है,वो बल्ला के सामने कोई छोटी सी गुड़िया लग रही थी,जिसे बल्ला जैसे चाहता वैसे ही घुमा देता लेकिन सपना को इससे बहुत ही खुसी भी मिल रही थी,उसने कभी किसी के साथ ऐसी मस्ती नही की थी,इतने ताकतवर इंसान के हाथो में वो किसी कठपुतली की तरह थी लेकिन ऐसा बनना भी उसे बहुत ही सुकून दे रहा था ,वो बल्ला की कायल हुए जा रही थी,कहा सपना उसे फसाना चाहती थी और कहा वो खुद ही बल्ला की दीवानी हुए जा रही थी,लेकिन उसने डिसाइड किया था की वो इस पल को पूरे जस्बे के साथ जियेगी ,उसने अपने दिमाग में चल रहे सभी जदोजहद को थोड़ी देर के लिए भूल जाना ही मुनासिब समझा था.

वो खिलखिलाती हुई बल्ला के सीने में आ समाई,बल्ला अब भी उसे हवा में उठाये हुए था,दोनों के बीच कोई बातचीत भी नही हो रही थी ,और उसकी कोई जरूरत भी नही थी ,बल्ला अचानक उसकी आंखों में देखने लगा,उसने सपना को थोड़ा नीचे किया,अब सपना की बांहे बल्ला के गले में फसी हुई थी वही उसकी छतिया बल्ला के सीने से चिपकी हुई थी,दोनों की आंखे मिल चुकी थी लेकिन कोई भी एक शब्द बोलने को राजी नही था,दोनों ही एक दूसरे को देख रहे थे और ये क्या ..सपना ने शर्माकर अपना सर बल्ला के कंधे पर टिका दिया,सपना शरमाई ये तो सपना को भी यकीन नही हो रहा था,लेकिन ये सच था,वही बल्ला ने उसके सर को चूमा ,शायद ये बल्ला को भी यकीन नही हो रहा था की इतनी हसीन लड़की उसके इतने करीब है ,वो कही भी चूम सकता था लेकिन उसके उसके बालो को चूमा ,उसके हाथ कही भी जा सकते थे लेकिन वो उसके कमर से नीचे नही गए,उसके जांघो के बीच अकड़न होनी चाहिए थे लेकिन उसके दिल में एक अजीब सी कसीस उठ रही थी ,बल्ला के लिए और सपना के लिए दोनों के लिए ये बेहद ही नई बात थी,वो कुछ समझ ही नही पाए और सपना जल्दी से नीचे उतर कर जाने लगी ,वही बल्ला बस उसे खड़ा हुआ देख रहा था,उसे अब भी यकीन नही हो रहा था की आखिर उसके साथ ये क्या हो रहा है ....
 

अध्याय 26

इधर

पूर्वी को पटाने की कोशिश रफीक और रोहन में जोरो शोरो से चल रही थी ,लेकिन अभी तक कोई भी कन्फर्म नही था की कौन सक्सेसफुल हुआ है,जंगल में सपना और बल्ला गायब हो गए थे जिसकी अभी तो किसी कोई भी फिक्र नही थी ,सभी एक झील के किनारे बैठे बाते कर रहे थे,

पूर्वी ने एक स्कर्ट ,शर्ट और उसके ऊपर एक जैकेट डाली थी,वो बहुत ही प्यारी लग रही थी,

"कुदरत ने आपको बड़े ही प्यार से बनाया है पूर्वी जी "

रफीक मानो उसके शरीर का स्कैन करते हुए बोला,पूर्वी को भी पता था की रफीक आखिर उसके किन अंगों को घूर रहा है लेकिन उसके होठो में एक मुस्कान आई जिससे रफीक की हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई ..

वो उसके और भी करीब सरका..

"यारो क्यो न यंहा मछलियां पकड़ी जाए सुना है यंहा की मछलियां बेहद ही स्वादिस्ट होती है"

रोहन अपने बेग एक स्टिक निकलते हुए बोला..

"मुझे तो गोश्त पसंद है ,मछलियां तुम ही पकड़ो "

रफीक ने सीधे शब्दो में कहा वही पूर्वी ने भी न में सर हिला दिया,रोहन बुझे मन से ही सही लेकिन मछलियां पकड़ने थोड़ी दूर झील में बने एक पत्थर में जा बैठा..

रफीक और पूर्वी बैठे हुए उसे ही देख रहे थे..

"पूर्वी जी आपका हुस्न.."

रफीक कुछ बोलने ही वाला था की पूर्वी ने उसे रोक दिया

"यार रफीक तुम मुझे बोर कर रहे हो ,जब से क्या हुस्न हुस्न लगा कर रखा है,जनाब के पास इसके अलावा बात करने का कोई दूसरा टॉपिक नही है क्या??"

पूर्वी ये कहते हुए थोड़ा हंसी ..

"साहिबा जब से आपको देखा है तब से सपनो में आप ही दिखती है और जब आप सचमुच में मेरे सामने है तो कैसे आपकी तारीफ ना करे.."

पूर्वी उसकी बात सुनकर खिलखिला कर हँस पड़ी और प्यार से उसके गालों पर एक चपत मार दी ..

"मुझे लाइन मरना छोड़ो और बताओ की आखिर यंहा किस काम के लिए आये हो.."

रफीक ने एक गहरी सांस भरी

"हमारे अब्बू की तमन्ना थी की हम यंहा एक केमिकल फेक्ट्री डाले,बस उसी सिलसिले में हम यंहा पर आये है "

"हम्म्म्म क्या काम शुरू हो गया??"

"अभी तक तो नही लेकिन हो जाएगा"

"अब आप ऐसे हमारे साथ छुट्टियां मानते रहे तो काम कैसे शुरू होगा शेख साहब .."

रफीक ने एक बार पूर्वी को घुरा ..

"हमने कितनी बार कहा की हम कोई शेख नही है हम तो शेख के बेटे है,ऐसे भी मुझे वंहा की जिंदगी पसंद ही नही आती,ये इंडिया मेरा घर है,मैं यंही जन्म लिया,और यंही बसना चाहता हु,"

रफीक आसपास ऐसे देख रहा था जैसे वो सचमे बहुत ही सेंटी हो गया हो ..

पूर्वी ने इस बार अपनी आवाज धीरे कर ली

"तो यंहा बसने के लिए फेक्ट्री के अलावा और भी कुछ ढूंढ रहे है रफीक साहब "

पूर्वी ने इतने मदहोश लहजे में बात कही थी की रफीक एक बार उसके चहरे को ही देखता रह गया था,उसकी मासूम सी आंखे और उसके नाजुक जुबानों का हिलना,बालो की वो लट जो ठंडी हवा में लहराते हुए उसके मुखड़े तक आ जाती थी,वो जैसे मंत्रमुग्ध हुआ बस उसके चहरे को देख रहा था..

"कहा खो गए साहब.."

"उजाला...तेरे चहरे का उजाला...कुछ ऐसा है जानम, की दिन भी यही हो और सपने इसी के ."वो बोलता हुआ थोड़ा पास आया

"किस्मत..किस्मत तू मेरी ,मेरी कहानी,हम है इसी के."

वो थोड़ा और पास आया और अपने हाथो से पूर्वी के बालो की लट को हल्के से उसके चहरे से हटाने लगा..

"जल्फे...जल्फे ये तेरे ,जैसे बादल हो काली,ये होठो की लाली,मर जाए इसमें.."

पूर्वी की आंखे उसकी आंखों से मिली थी,उसके होठ फड़फड़ाने लगे थे रफीक और भी पास आ चुका था,और दोनों की ही सांस एक दूसरे से टकरा रही थी

"जन्नत...जन्नत ये सांस है तेरी... जो मेरी... सांसों से टकरा के छूती मुझीको.."

उसके होठ और भी पास आ चुके थे,पूर्वी उसके मर्दाने शरीर को महसूस कर सकती थी उसके हाथ पूर्वी के जंहा पर थे..

"दौलत...दौलत है मेरी ,तेरा जिस्म है ये,जन्नत हमारी .."

उसका हाथ जांघो को सहलाता हुआ थोड़ा आगे को बढ़ा और उसके होठो लगभग पूर्वी के होठो से टकराने वाले थे,

"शोहबत..शोहबत में तेरी.."

पूर्वी ने जोरो से उसके होठो को अपने जांघो में आगे बढ़ने से रोक लिया,और अपने होठो को थोड़ा दूर किया,और बोल पड़ी

"शोहबत में तेरी है दोस्ती की खशबू..ना बिगाड़ो इसे तुम ..है मिन्नत हमारी.."

पूर्वी की बात सुनकर रफीक तुरंत ही उससे अलग हो गया...पूर्वी के होठो में मुस्कान थी और रफीक पूरी तरह से लाल हो चुका था,उसने एक गहरी सांस ली

"मोहोब्बत है तुमसे यू लगता है मुझको,तुम जो मिली तो हो किस्मत हमारी .."

वो झेंपता हुआ ही सही लेकिन बोल गया था,उसने एक बार पूर्वी की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो की वो क्या जवाब देना चाहती है,पूर्वी ने कुछ भी नही कहा बस रोहन को देखने लगी जो की अभी मछली पकड़ने में व्यस्त था,और धीरे से उसने रफीक के हाथो को अपने हाथो में ले लिया ..

"यू हादसों से मोहोब्बत नही होती ये दोस्त,उम्र गुजर जाती है इकरार करते करते.."

पूर्वी ने फिर से रफीक को देखा जिसके होठो में एक मुस्कान आ चुकी थी,वो अब भी पूर्वी को समझ नही पा रहा था,वो उसका हाथ पकड़े हुए थी उसकी हरकत का भी उसने कोई बुरा नही माना था लेकिन फिर भी वो बड़े ही प्यार से उसे ना भी कह रही थी,इतने प्यार से की कही ना कही रफीक के दिल में पूर्वी के लिए सच में एक प्यार या यू कहे की सम्मान वाली भावना का जन्म हो गया था...उसने जवाब में सहमति में सर हिलाया..

"हर सितम सहूंगा,उफ तक ना कहूंगा,एक बार कह तो दो अपना ,मर कर भी तेरा ही रहूंगा.."

पूर्वी उसकी शायरी सुनकर जोरो से हँस पड़ी..

"ये क्या फटे हुए शायरों वाली शायरी बोल रहे हो ,और प्यार जानते हो ना क्या है,ग़ालिब ने कहा है कि...एक आग का दरिया है और डूब के जाना है.."

दोनों ही एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे.रफीक ने अपना हाथ पूर्वी के उस हाथ पर रख दिया जिससे उसने उसके हाथो को पकड़ रखा था..

"हर आग में डूबने को तैयार हु पूर्वी तुम एक बार बोलो तो सही .."

पूर्वी ने सीधे रफीक की आंखों में देखा,ये अजीब सी प्यार वाली फिलिंग थी जिसे आजतक उसने कभी किसी की आंखों में नही देखी थी,ना ही गौरव ना ही रोहन ये अलग ही तरह का आशिक था,एक अलग ही दर्द था रफीक की आंखों में जैसे बहुत कुछ कहना चाहता हो इतनी बोलती हुई थी उसकी आंखे ..पूर्वी तो एक बार डर ही गई और उसने तुरंत ही अपने हाथो को उसके हाथो से हटा लिया ..

"मैं तुम्हे किसी आग में नही झोंकना चाहती रफीक,तुम मुझे अच्छे इंसान लगे ,हम अच्छे दोस्त बन सकते है इससे ज्यादा कुछ भी नही ,शायद तुम्हे नही मालूम की मैं शादीशुदा हु .."

पूर्वी की बात सुनकर इस बार रफीक ने एक अंगड़ाई ली .

"शायद तुम्हे इंसान की परख नही है पूर्वी ,मैं कोई अच्छा इंसान नही हु जिसे तुम आग में ना झोको,मैं ना जाने कितने ही आग से खेलकर यंहा तक पहुचा हु ,दूसरी बात तुम्हारे शादीशुदा होने की बात तो मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता ...मैं फिर भी तुम्हे उतना ही प्यार करूंगा .."

पूर्वी ने आश्चर्य से उसे देखा

"मतलब .."

"मतलब जब शादी में प्यार ना रह जाए तो वो शादी नही होती,बस एक बंधन होता है और उसे तोड़ देना ही मुनासिब होता है,"

एक बार पूर्वी रफीक के आंखों में देखने लगी उसे ऐसा लगा जैसे वो भी उसकी आंखों की गहराई में उसके सच को खोज रहा है.

वो हड़बड़ाई..

"तुम पागल हो गए है क्या,मैं अपने पति से बहुत खुश हु .."

उसने हड़बड़ाते हुए कहा ..

"मैं तुम्हारी आंखे और उसमें से छलकते हुए जज़बातों को समझ सकता हु पूर्वी ,और मैं जानता हु की तुम झूठ बोल रही हो.."

पूर्वी को जैसे एक झटका लगा और वो उठकर खड़ी हो गई

"तुम कुछ भी बोल रहे हो.."वो रोहन की ओर बढ़ने लगी

"याद रखना पूर्वी आदमी झूठ बोलता है लेकिन उसकी आंखे नही .."

रफीक अभी रेत में लेट गया था उसकी बातों में एक कांफिडेंस था ,पूर्वी आश्चर्य से एक बार फिर से उसे देखा,वो अंदर तक हिल चुकी थी जैसे उसे लगा की कोई सच उसके सामने रख दिया गया हो..लेकिन उसने अपना सर हिलाया और रोहन की ओर जाने लगी ...

**********

पूर्वी रोहन के पास जाकर बैठ चुकी थी और अपने ही ख्यालों में खोई हुई पानी में उठते हुए लहरों को निहारे जा रही थी..

"क्या हुआ ऐसा क्या बोल दिया उसने जो ऐसे गुमसुम होई गई हो "

रोहन बहुत देर से चुपचाप ही पूर्वी को ऐसे बैठे हुए देख रहा था,

"ऐसे लगा जैसे सच बोल गया हो .."

पूर्वी ने बहुत धीरे से कहा और रोहन उसका मतलब समझने की कोशिश करने लगा ,लेकिन कुछ समझ ही नही पाया.

"क्या ??"

"कुछ नही कितनी मछलियां पकड़ी तुमने "

पूर्वी अपना मुड़ ठीक करने के लिए बोली..

"एक ही मछली के पीछे तो पड़ा हु लेकिन जाल में फसती ही नही "

रोहन का इशारा पूर्वी समझ चुकी थी,उसके होठो में मुस्कान आ गई ..

"फसाने की कोशिश करोगे तो कैसे फसेंगी ,उसे तो तुम प्यार से भी पा सकते हो "

पूर्वी ने मुस्कुराते हुए कहा और रोहन ने अचानक ही उसे देखा

"मेरे प्यार में क्या कमी है पूर्वी जो वो मुझे नही मिल रही .."

रोहन की आवाज में एक गंभीरता थी

"समय रोहन समय ..जब मिली थी तो तुमने कद्र नही किया ,अब वो समय निकल चुका है "

रोहन को बीती हुई सारी बात जैसे एक ही बार में याद आ गई

"अब कोई चांस..???"

रोहन ने फिर से अपना बच्चों वाला लुक दिखाया ..और पूर्वी खिलखिला उठी

"तुम बच्चे ही हो रोहन ,चांस तुम्हे मिल चुका था जिसे तुमने गवा दिया ,अब चांस मिलेगा नही खुद ही बनाना पड़ेगा .."

पूर्वी मुस्कुराते हुए उसे देखने लगी,सपना और बल्ला को आता हुआ देख कर वो उठकर उनके ओर जाने लगी ....

और रोहन .

मानो मन में लड्डू फुट गए,लगा जैसे अब भी इस अंधेरे में उजाले का आसरा बाकी है ....

 
अध्याय 27

रोहन और सपना एक बड़े बिस्तर में लेते हुए सिगरेट पी रहे थे,दोनों के सर आसपास ही थे और एक ही सिगरेट को वो पास करके पी रहे थे.

"आज कुछ अजीब हुआ यार रोहन .."

"हा मेरे साथ भी .."

"क्या .."

"पहले तुम बताओ की क्या अजीब हुआ.."

"अरे पहले तुम बताओ मेरी बात ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नही है.."सपना की बात सुनकर रोहन उसकी ओर मुड़ा सपना भी उसके ओर मुड़ चुकी थी..

उसने सिगरेट रोहन को पास की रोहन ने आखरी कस लगा कर उसे फेक दिया,और पूरा धुंआ सपना के ऊपर छोड़ दिया ..

"छि यार .."

रोहन थोड़ा हंसा..

"आज फिर से पूर्वी से प्यार हो गया यार "

रोहन एकटक सपना को देख रहा था,सपना ने अपना माथा पिट लिया

"कोई नई बात बता ये क्या अजीब बात हुई तुझे तो साले ऐसा बुखार चढ़ा है की उतरता ही नही .."

"नई बात हुई यार..आज पूर्वी ने मुझे हिंट दिया की अब भी देर नई हुई है ,मैं अब भी उसे पटा सकता हु .."सपना के आंखों में अब थोड़ा आश्चर्य था..

"क्या बोली वो .."

रोहन ने पूरी बात बताई ..

"ओह तो शेख साहब पूर्वी के दिमाग से भी खेल रहे है,"

"मतलब ??"

"मतलब साफ है ,पूर्वी ने कभी ऐसी बात तुझसे नही कही थी ,शादी के बाद शायद ये पहली बार था जब उसने कुछ क्लियर हिंट दिया ओके.."

"हा .."

"तो साफ है ना की ये रफीक के आने के बाद हुआ,वो उसके साथ अकेले बैठी थी तो कुछ तो उसने कहा होगा जो पूर्वी ऐसी बाते कर रही थी."

रोहन ने बस सर हिलाया और उसे देखने लगा..

"क्या??"

"तू भी कुछ बोलने वाली थी "

"हा यार वो बल्ला है ना ,साला पता नही उसके लिए कुछ अट्रेक्सन सा आया दिल में "

सपना तो गंभीर थी लेकिन रोहन के होठो में मुस्कान आ गई

"दिल में या यंहा .."

उसने अपना हाथ सपना के जांघो के बीच रख दिया ,सपना ने उसे एक मुक्का मारा..

"साले तुझे इसके सिवा कुछ सूझता है क्या ,ये सच है यार सचमे ,अगर सेक्स का मन करता तो बात अलग थी लेकिन...लेकिन ये कुछ और था,कुछ अजीब सा.."

रोहन सपन के चहरे को ही देख रहा था सपना थोड़ी गंभीर लग रही थी..

"ये साले वो दोनों आखिर मेरी दोनों जान के साथ कर क्या रहे है,एक आज इतनी गंभीर दिख रही थी और एक तू है तुझे उससे प्यार हो गया.."

सपना अपने विचारों से बाहर आयी

"अरे नही रे ,प्यार व्यार नही लेकिन ..लेकिन कुछ अजीब सा लगा,"

"उसे ही तो प्यार कहते है ना"

"यार उस बल्ला से प्यार..मय गॉड ये क्या हो रहा है मुझे.."सपना सरक कर रोहन के पास आ गई और रोहन ने उसे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया..

"ऐसा ही रहेगा तो लफड़ा हो जाएगा सपना,हम तो उन लोगो को फसाने की सोच रहे थे वो साले तो हमे ही फंसा रहे है "

"ऐसा नही है यार ,ऐसे नही फसाया जाता किसी को ,वो इतना जेन्युन था की लगा नही की वो मुझे इम्प्रेस कर रहा यही मैं तो खुद ही उसे देखकर इम्प्रेस हो गई ,जानता है साले का बहुत बड़ा है,तुझसे भी बड़ा."सपना थोड़ी अलग हुई रोहन के होठो में मुस्कान था ..

"साली इसे प्यार नही हवस कहते है,तू उसके साइज से इम्प्रेस हो गई ,या फिर उसके बॉडी से "

रोहन के बात से सपना भी मुस्कुराने लगी

"अरे नही साले सच में कुछ हुआ यंहा,क्या मुझे समझ नही आएगा की प्यार और हवस में क्या अंतर है.."

"हा मेरी जान तू इतनी खेली खाई हो है ,चल एक गेम खेले क्या आज "

सपना उसे ही देख रही थी

"क्या ??"

"आज तू पूर्वी बन जा और मैं बल्ला"

सपना जोरो से हँस पड़ी

"तू बेचारी मासूम सी पूर्वी को उस बल्ला से चुदवायेगा "सपना और भी जोरो से हँसने लगी

"कमीनी नही ..मेरी पूर्वी उस दैत्य के साथ नही मेरा मतलब था की तू मेरे लिए पूर्वी बन जा और मैं तेरे लिए बल्ला.."

सपना अब भी हँस रही थी

"लेकिन बल्ला जैसा बल्ला कहा से लाएगा "

सपना और भी जोरो से हँसने लगी ,रोहन ने थोड़े गुस्से से उसे देखा और उसके ऊपर झपट पड़ा..

अब रोहन सपना ने ऊपर था और उसने सपना का मुह दबा दिया,वो उसके होठो को चूसने लगा..

"बहुत बोल रही है तू अब दिखाता हु तुझे की मेरे बल्ले में कितना दम है,तेरी गीली पिच में ऐसी बैटिंग करूंगा ना की आज तो कई सेंचुरी बना के दिखाऊंगा"

सपना के हाथ भी अब उसके गले को घेर चुके थे,

"आँख बंद कर मेरी जान और अपने बल्ला को याद कर .."

रोहन ने अपना हाथ उसके टीशर्ट में डाल दिया और उसके मम्मो को दबाने लगा,सपना ने आंखे बंद की उसे लगा जैसे बल्ला का मजबूत हाथ उसके उजोरो को सहला रहा है,उसने मुह से सिसकियां निकलने लगी,रोहन का हाथ उसके जांघो के बीच पहुचा वो पेंट से हाथ अंदर घुसाया,थोड़ी ही देर में ही सपना की योनि से फुहार छूटने लगी थी,रोहन ने पिच तो गीली कर दी थी अब उसे बल्ला चलाना था,उसने सपना के चहरे को ध्यान से देखा और फिर पूर्वी को याद करने लगा,उसने भी अपनी आंखे बंद की ,उसके कानो में सुबह पूर्वी द्वारा बोले गए शब्द गूंज रहे थे,अब भी उसके पास मौका था पूर्वी को पाने का,उसने उस दिन को याद किया जब पूर्वी उसके सामने नंगी थी,उसे उसकी वो योनि याद आयी,रोहन ने सपना की योनि में फिर से उंगली डाल दी,उसके गीलेपन का आभास करने लगा,उसे लगा जैसे यही पूर्वी की योनि हो,वो मस्त होकर सपना पर टूट पड़ा था,वो उसे चूमे जा रहा था,

"पूर्वी आई लव यू.."

"आह बल्ला आगे बड़ो ना .'सपना ने रोहन को और भी जोरो से कस लिया

"पूर्वी मेरी जान आई लव यू...मेरी जान आह"

रोहन के हाथ सपना की योनि में जोरो से चल रहे थे,उसे जैसे खयाल ही नही रहा की उसके नीचे आखिर है कौन ,वही हाल सपना का भी था...वो बल्ला के शरीर को महसूस कर रही थी,उसकी ही उंगलियां उसके योनि की दीवारों पर घिस रहे थे,वो पनिया गई थी और ज्यादा और ज्यादा पनिया रही थी,उसने जोरो से रोहन को पकड़ रखा था और वो उसे आने और भी पास खींचना चाहती थी,अपनी अंदर उसे महसूस करना चाहती थी..

"रोहन ने जल्दी से सपना के कपड़े निकाल दिए और खुद ही बिना आंखे खोले ही नंगा हो गया,सपना ने भी अपने टांगो को फैलाने में कोई भी देरी नही की और दोनों पैरों को रोहन के कमर से जकड़ लिया ,और रोहन के लिंग को अपने हाथो में पकड़ कर उसे अपने योनि में घिसने लगी ,उसे याद आया की बल्ला का लिंग कितना बड़ा था,उसने रोहन के बाद सबसे बड़ा लिंग उसका ही देखा था,आज रोहन का लिंग भी उसे बिल्कुल ही नया लग रहा था,वो उसे बेताबी से सहला रही थी और अपने योनि में घुसाने की कोसिस भी कर रही थी ..

"बल्ला डाल दो ना अंदर .."

"पूर्वी मेरी जान ,कितनी प्यारी और नाजुक है तू .."

रोहन ने सपना के सर को जोरो से पकड़ा और उसके गीली योनि में अपना लिंग सरकते चला गया,,दोनों के मुह से ही कहारे निकलने लगी थी,सेक्स के सुख से भी ज्यादा अपने साथी से मिलने का सुख होता है जिसका आनंद दोनों ही ले रहे थे,दोनों ही अपने अपने सपनो में खोए हुए एक दूसरे के जिस्म का आनंद ले रहे थे,दोनों ही गहराई में डूबे हुए थे और इस मजे को और भी ज्यादा समय तक महसूस करने में लगे थे,दोनों ही खुद को पूरी तरह से छोड़ चुके थे अपने फेंटेसी में डूबने के लिए.

और बिस्तर में तूफान मचा...कमर हिल रहे थे,आवाजे और सिसकियों से कमरा गूंज रहा था,आज तूफान कुछ ज्यादा ही देर तक चलने वाला था....

*********

वही दूसरी तरफ भी कुछ ऐसा ही तूफान मचा हुआ था.

"पूर्वी मेरी जान आई लव यू.."

गौरव का कमर तेजी से चल रहा था,दोनों ही नग्न अवस्था में एक दूसरे से लिपटे हुए लेटे हुए थे,गौरव अपने पूरे जोश से पूर्वी के योनि में अपने लिंग को घुसाने में लगा हुआ था ,तूफान यंहा भी मचा था एक गौरव के लिए बिस्तर में और दूसरी ओर पूर्वी के लिए उसके मन में..

गौरव के धक्कों से वो मजा नही ले पा रही थी,जब भी वो आंखे बंद करती तो कभी रफीक तो कभी रोहन का चहरा उसके सामने आ जाता था,बहुत देर तक वो ऐसे ही बस पत्नी धर्म निभाने के लिए लेटी रही वो आंखे बंद करने से डर रही थी,आख्रिर उसने फैसला किया की वो आंखे बंद करेगी ,

"आह पूर्वी .."

रफीक तेजी से धक्के लगा रहा था,उसका मजबूत जिस्म पूर्वी के नाजुक जिस्म को पूरी तरह से ढक चुका था,वो उसके जिस्म की मजबूती अपने जिस्म में महसूस कर पा रही थी,

"आई लव यु बेबी.."

धक्के तेज हो रहे थे और पूर्वी ने रोहन के सर को अपने मुह के पास खिंचा और उसके होठो में अपने होठो को घुसा दिया,रोहन पूर्वी के नाजुक होठो को जोरो से चूसें जा रहा था,पूर्वी को ऐसा सुख मिल रहा था जिसकी कल्पना भी वो नही कर पाई थी,रोहन उसके होठो को और भी जोरो से चूस रहा था,

"आह आई एम कमिंग बेबी "

रफीक की आवाज पूर्वी के कानो में पड़ी वो भी चाहती थी की रफीक उसकी योनि को पूरी तरह से भिगो दे..और रोहन छूटा,अपने पूरे वेग में उसने पूर्वी के योनि में अपना लावा भर दिया पूर्वी थक कर चूर हो चुकी थी उसने रफीक और रोहन का लावा अपने गर्भ में जाते हुए महसूस किया और इसी आभास से उसका झरना भी छूट पड़ा.

उसने गौरव को जोरो से कस लिया था,जो अपनी हांफती सांस सम्हाल रहा था,पूर्वी को लगा जैसे उसने रोहन के मजबूत जिस्म को अपने बांहों में भरा है और रफीक का मुस्कुराता हुआ चहरा उसके आंखों में घूम गया,वो अपनी उखड़ी हुई सांसों को सम्हालने लगी लेकिन उसके चहरे में तृप्ति का एक भाव था वही होठो में एक मुस्कान......
 
अध्याय 28

उसी रात

रफीक और बल्ला बैठे शराब पी रहे थे,

"रफीक भाई ये डॉ के चक्कर में हम यंहा आ तो गए लेकिन लेकिन लगता है साला सच में इन लड़कियों से प्यार हो जाएगा ."

बल्ला की बात सुनकर रफीक थोड़े देर तक तो चुप था लेकिन फिर खूब हंसा ..

"सही कहा भाई,क्या लड़की है पूर्वी ,कितनी शरीफ,मासूम और प्यारी दिल करता है की चुम लू"

"हा भाई मेरी सपना भी कितनी सेक्सी है दिल करता है की ."

वो इतना ही बोल कर रुक गया ,रफीक उसे देखकर हँसने लगा

"क्या दिल करता है ??की .."

बल्ला थोड़ा झेंपा

"भाई सच बोलूं उसके बारे में गंदा बोलने का भी मन नही कर रहा"

रफीक फिर से हंसा लेकिन फिर उसके होठो में एक संजीदगी आ गई..

"लगता है ये साली हम जैसे कमीनो को भी शरीफ बना देंगी,"

उसने अपने ग्लास में रखा पेग एक ही झटके में अंदर कर लिया.

"भाई अगर ऐसा हुआ तो हमे तो इनसे बच के रहना चाहिए,हम तो लड़कियों को चोद कर फेकने वाले लोग है,हमारा काम कैसे चलेगा अगर हम ही शरीफ हो गए तो काम कैसे चलेगा हमारा"

"हम्म बात तो सच है तेरी ,अब बच तो सकते नही हमे बुलाया ही इसीलिए गया है की हम इनके साथ समय बिताए और इन्हें यकीन दिलाये की हम शेख है लेकिन ...लेकिन हमे सम्हाल कर रहना होगा कही हमे इन लड़कियों से प्यार ना हो जाए वरना साला पता चला अपना राज खुद ही खोल देंगे "

इस बार रफीक और बल्ला दोनों ही संजीदा थे .....

************

रोहन और सपना, रोहन के ऑफिस में बैठे हुए उस शख्स का इंतजार कर रहे थे जो उनके पिता की मीटिंग की ऑडियो टेप लाने वाला था..

वो बेचैन लग रहे थे..

आखिरकार उन्हें टेप मिल ही गई ,

उस शख्स के जाने के बाद तुरंत ही रोहन ने उसे अपने कम्प्यूटर में लोड किया और दोनों कान गड़ाए सुनने लगे..

कुछ देर यू ही फॉर्मल बातचीत होती रही ...फिर ओबराय(रोहन के पिता) की आवाज सुनाई दी

"यार ये तस्वीर का क्या चक्कर है कुछ समझ आया ."

"समझ तो मुझे भी नही आ रहा है की आखिर ये तस्वीर उस औरत के पास कैसे आयी,ये तो हमारे गोवा वाले फॉर्महाउस में हमने खिंचाई थी,लेकिन एक प्रॉब्लम ये भी है की एक शेख का बेटा भी आ गया है,मुझे पता लगा की वो यंहा कोई केमिकल फेक्ट्री खोलने के लिए आया है,शायद ये भी उसी फार्मूले का ही चक्कर है,क्योकि वो शायद उसी शेख का बीटा है जिसने उस लड़की को गायब किया था .."लखानी(सपना के पिता) ने कहा

"huuummm खबर तो मुझे भी यही लगी है ,लेकिन वो अभी तक जमीन देख रहा है,अभी प्रोसेस लंबा होगा,बिजनेस का कोई चांस नही है उसके साथ "कपूर सोचते हुए बोला जिससे लखानी गुस्सा हो गया..

"इसीलिए मैं इस साले से इतनी नफरत करता हु ,हम यंहा अपने बच्चों की परेशानी को लेकर बैठे यही और ये साला बिजनेस की सोच रहा है "लखानी ने मुह सिकोड़ा लेकिन फिर कपूर बोल उठा

"अरे नही बिजनेस की बात इसलिए लाया क्योकि वो आजकल हमारे बच्चों के साथ ही घूम रहा है ,और ये तस्वीर भी सपना के hod के पास ही उसे मिली थी,और जंहा तक मुझे पता चला है की पूर्वी का पति गौरव भी उस लड़की के साथ ही पढ़ता था जब उस लड़की ने फार्मूला बनाया था,तो यार मैं क्यो ना सोचु की कही ये हमारे पैसे को लेकर कोई गेम तो नही है ,हर चीज हमारे बच्चों के इर्दगिर्द ही घुम रही है ,हमने वो फार्मूला उस लड़की से हासिल करने की कोशिस की थी याद है ना आज फिर से उसी फार्मूले के चक्कर में कोई कांड होने वाला है,रोहन के मुह से फार्मूले की बात सुनकर मैं थोड़ा चौका जरूर था लेकिन जब अब पूरी बात हमारे सामने है तो मुझे तो लगता है की ये सब उसी के इर्दगिर्द की ही चीजे है ,हो ना हो वो वही फार्मूला है जो वो मालती ने छुपा के रखा है जो रोहन मुझे बताने की कोशिस कर रहा था लेकिन सपना ने उसे चुप करवा दिया और बात पलट दिया,मैंने पता लगवाया है की मालती भी उस समय उस लड़की की प्रोफेसर थी ,साले मुझे बिजनेस की फिक्र नही है मुझे तो अपनी बेटी की सबसे ज्यादा फिक्र है ,ना जाने वो फार्मूला सही है भी की नही लेकिन जिस लड़की ने वो फार्मूला बनाया था और जिसे हमने उसे लालच दिखाकर और अपनी ताकत दिखाकर उसे छिनने की कोशिस की थी आज उसी लड़की का एक करीबी दोस्त मेरी बेटी का पति है ,तो चिंता वाली बात तो मेरे लिए भी ज्यादा है "कपूर की आवाज में सच में चिंता थी ..

"अच्छा और मेरी बेटी भी तो उसके साथ ही काम कर रही है ,तुझे लगता है की मुझे उसकी चिंता नही है "लखानी बोल पड़ा ..

"अबे चुप करो यार तुम दोनों,हम सभी जानते है की हम एक दूसरे के बच्चों को भी अपने बच्चों जैसा ही मानते है ,सपना और पूर्वी दोनों ही अभी गौरव के संपर्क में है और किसी ना किसी तरह से उस फार्मूले से संबंधित भी है और हमे उनकी चिता करनी ही चाहिए,लेकिन बात इतने साल पुरानी हो गई है ,अगर ऐसा कोई फार्मूला अब भी किसी के पास है तो बात समझ भी आती है लेकिन ...ये फ़ोटो ..?? याद करो सालों कही हमने कुछ ऐसा तो नही किया था जो आज हमारे बच्चों के जिंदगी की आफत बन जाए "

ओबराय की बात सुनकर दोनों चुप हो गए और सोचने लगे किसी को भी कुछ ऐसा समझ नही आ रहा था .

"अच्छा एक काम करते है शुरू से सोचते है जब से हमे इस फार्मूले के बारे में पता चला "

ओबराय ने सुझाव दिया सभी ने सहमति में सर भी हिलाया ...अब ओबराय ने बोलना शुरू किया

"जंहा मैं गलत हो जाऊ तो मुझे सुधार देना ओके,तो शुरुवात हुई थी प्रोफेसर मित्तल से ,जब वो हमारे पास एक प्रपोजल लेकर आये थे,हम तीनो अपने बिजनेस में बिजी थे और मित्तल जो की केमेस्ट्री का प्रोफेसर था हमारे पास अपने एक फार्मूले को लेकर आया था याद है ,ये बात वही से तो शुरू होती है ना,(सभी ने सर हिलाया ) तो प्रोफेसर हमारे पास आया और अपना फार्मूला दिखाया जिससे हम एक ऐसी दवाई बना सकते थे जिससे कई रोग आसानी से ठीक हो सके ,वो हमसे और रिसर्च करने की सुविधा और पैसे चाहता था बदले में हमे उससे दवाई बनाकर बेचने की अथारटी मिलती ,यंहा तक ठीक है (सभी ने फिर से सर हिलाया )..तो हम फार्मा के क्षेत्र में जाना चाहते थे और वो फार्मूला हमे अच्छा भी लगा तो हमने उसे हा कह दिया ,लेकिन तुम दोनों चूतिये अपनी हिस्सेदारी को लेकर फिर से लड़ने लगे ,और डील कैंसल हो गई ,लेकिन कपूर ने मित्तल से सीक्रेट डील की जिसका हमे पता नही था ,ठीक है कपूर (कपूर ने सर हिलाया) ..तो कपूर ने मित्तल को पैसे दिए और मित्तल ने अपना रिसर्च बढ़ाया..लगभग 5 साल बाद हमे पता चला की मित्तल जो प्रयोग कर रहा है उसमें कपूर उसकी मदद कर रहा है,हमने तुझे कुछ नही बोला लेकिन लखानी को ये बाद पसंद नही आयी और उसने मित्तल को खरीदने की कोशिस की ,मित्तल ने उससे भी पैसे ले लिए ..यंहा तक ठीक."सब ने फिर से हा में सर हिलाया

"तो बात आगे बड़ी और लगभग 2 सालों के बाद मित्तल के प्रयोगशाला में आग लगी और सबकुछ के साथ मित्तल भी खत्म हो गया..और तुम दोनों दारू पीकर मेरे पास रोने आ गए ठीक"

ये कहते हुए ओबराय के होठो में एक स्वाभाविक मुस्कान खिल गई थी..दोनों भी मुस्कुराते हुए हा में सर हिला गए ..

"तुम दोनों को पता लगा की तुम्हारा पैसा तो डूब गया,लेकिन कुछ सालों के बाद तुम्हे पता लगा की मित्तल की एक बेटी भी थी जो की बेहद ही इंटेलिजेंट है और उसने हमारे ही शहर के कालेज में दाखिला लिया है,तुम दोनों को ये आस लगी की हो ना हो मित्तल की रिसर्च का पता उसकी बेटी को भी होगा क्योकि वो अक्सर मित्तल के साथ ही प्रयोगशाला में तुम्हे दिख जाती थी,लेकिन इस बार तुम दोनों ने साथ काम करने का फैसला लिया और हम तीनो उस लड़की के पास पहुचे,और उसने हमे बताया की सच में मित्तल का फार्मूला उसके पास है लेकिन उसमें कई कमियां है और वो उसे दूर करके एक ऐसा फार्मूला बनाना चाहती है जो की एक साधारण से इंसान को सुपर ह्यूमन बना दे ,हम तीनो चौके और हम उसके प्रोजेक्ट में पैसा पानी की तरह बहाने को भी राजी होई गए लेकिन उसने साफ माना कर दिया ,यही हमारे ईगो को ठेस पहुची और हमने उसे धमकाना शुरू कर दिया,अब ये सोचो की क्या हमने कुछ ऐसा किया था उस समय जो बेहद बुरा हो ,बिजनेस के लिए इतना तो हर बिजनेस मेन करता है ,यानी हमने गुंडों से उसे डराया था,उसे मारने की धमकी, पुलिस से उसे डराने की कोशिस ..बस इतना ही तो किया था हमने,..या तुम सालों ने कोई होशियारी दिखाई थी."

"नही यार बस जो किया था हम तीनो ने साथ मिलकर ही तो किया था,वो लड़की फिर भी डर ही नही रही थी ना ही पैसे ही ही मान रही थी,मैंने तो और कुछ भी नही किया था इस साले लखानी का मुझे नही पता ."

कपूर ने लखानी की ओर देखा

"नही नही मैंने भी कुछ ऐसा नही किया था फिर हमे गोवा जाना हो गया जंहा की ये फ़ोटो है और फिर आकर पता चला की यंहा उस लड़की के साथ कुछ बुरा हो गया है और उसे कोई शेख उठाकर ले गया ,या शायद वो खुद चली गई अभी तक कुछ क्लियर नही हुआ "

"ह्म्म्म तो इस केस में हमारा तो कोई हाथ नही था फिर ये साला तस्वीर का क्या चक्कर है "

ओबराय ने अपनी बात रखी ..

"ह्म्म्म यार मुझे पूर्वी के लिए डर है क्योकि गौरव भी तो उस लड़की का दोस्त था ना,और फिर मालती उस समय उनलोगों की प्रोफेसर थी अगर मालती के पास वो फ़ोटो था तो कही ऐसा तो नही की गौरव ने जानबूझकर पूर्वी को फसाया हो ,हो सकता है की वो लोग हमारे ऊपर नजर रखे हो ,या उन्हें लगता हो की उस लड़की के गायब होने में हमारा कोई हाथ है और फ़ोटो इसलिए क्योकि इसमें हम तीनो का पूरा परिवार एक साथ है,ना जाने वो किसको टारगेट कर रहे थे,शायद सबको जो उनके हाथ में आ जाए "

कपूर की बात सुनकर सभी गंभीर हो गए

"लेकिन ...इससे उन्हें क्या मिलेगा,मतलब बेचारी पूर्वी को आखिर उस फार्मूले के बारे में क्या पता "

लखानी ने शक व्यक्त किया

"लेकिन बात फार्मूले की हो ही ना बात बदले की हो,कही गौरव पूर्वी के जरिये हमसे बदला तो नही लेना चाहता "कपूर की आवाज में चिंता और भी बढ़ गई थी.

"नही यार वैसा लड़का तो लगता नही मुझे वो ,जिस तरह से सपना और गौरव उसके बारे में बताते है मुझे तो नही लगता की ऐसा कुछ होगा ."ओबराय ने कपूर को दिलासा देने वाले स्वर में कहा ..

"अब फ़ोटो मालती के पास क्यो थी ये वो ही बता सकती है ,क्या किया जाए की उससे उगलवाया जाए,केडनेप करवा ले साली को ,हमारे बच्चों का सवाल है ."इस बार लखानी थोड़े गुस्से में था ,लेकिन उसकी बात सुनकर इधर रिकार्डिंग सुन रखे सपना और गौरव भी चौक गए ..

"नही नही यार क्यो लफड़ा बढ़ाने की बात कर रहा है हमारे बच्चों को कुछ नही होगा ,और कपूर तू फिक्र मत कर पूर्वी को भी कुछ नही होगा,रोहन और सपना उसके साथ है,और अगर उस गौरव के बच्चे ने ऐसा कुछ करने की सोची भी तो साले को अपने हाथो से मौत के घाट उतारूंगा,लेकिन मुझे लगता है की मालती को किडनैप करना सही प्लान नही होगा,क्योना इस बारे में हम रोहन और सपना से सलाह ले ले.."ओबराय की बात सुनकर शायद दोनों ही चौक गए

"मतलब क्या है तेरा वो शेख फिर से इंडिया में आने की कोशिस कर रहा है जिसने पहले ही एक लड़की को गायब कर दिया जिसका आजतक कोई पता नही चल पाया है,और साले तू इसे बच्चों का खेल समझ रहा है"कपूर भड़क गया था

"तुझे क्या लगता है की हमारे बच्चे अभी भी बच्चे ही है ,साले वो हमारा खून है,और जब हम उनकी उम्र में थे तो कितने करामाती है भूल गया,इनके उम्र में हमने अपने बाप का बिजेस खुद ही सम्हालना शुरू कर दिया था,वो बड़े हो गए है और अगर हम उन्हें सच्चाई बता दे तो शायद वो इसे ठीक से समझ सके ,तुम लोग बोलो तो मैं रोहन से अकेले में इसके बारे में बात करू,हा मुझे भी समझ आ रहा है की अगर हमारे सामने सच्चाई नही आयी तो खतरा हो सकता है लेकिन अब उस खतरे के बारे में हमे अपने बच्चों को भी बता ही देना चाहिए,पूर्वी को नही तो कम से कम रोहन और सपना को तो बता ही देना चाहिए ताकि वो दोनों ही सम्हल कर रहे और पूर्वी को भी बचाये और साथ ही सपना मालती की खास बन चुकी है क्या पता उसे किडनैप करवाने की जरूरत ही ना पड़े बात ऐसे ही पता लग जाए,और अगर कुछ ना हुआ तो हमारे पास अपना तरीका तो है ही ,किडनैप करवा लेंगे साली को फिर तो उसका बाप भी बताएगा की ये फोटो उसके पास क्यों है .."

ओबराय की बात से वंहा थोड़े देर के लिए शांति छा गई

"हम्म ठीक है लेकिन रोहन नही सपना को भी इस बारे में बता,क्योकि मुझे रोहन के दिमाग पर भरोसा नही है ,"

कपूर की बात सुनकर वंहा बैठ हर व्यक्ति हँसने लगा साथ ही उनकी बात सुन रही सपना भी जबकि रोहन ने अपना मुह बनाया ..

.........

"तो रोहन बात अब हमतक आने वाली है ,मालती को अगर इन लोगो ने किडनैप किया तो मुश्किल हो जाएगी जबरदस्ती में प्रॉब्लम्स खड़ी होंगी ,उन्हें हमे अपनी बातों से रोकना है और उन्हें यकीन भी दिलाना है की हम उसे अपने तरीके से हैंडल कर लेंगे,और यार मालती के ऊपर कुछ कर उसे तुझे भी सम्हालना है,प्लान पता है ना की तुझे क्या करना है और कैसे फोटो का राज उसके मुह से निकलवाना है."

सपना ने बड़ी उम्मीद से रोहन को देखा ,रोहन ने बस मुस्कुराते हुए अपना सर हिलाया .....
 

अध्याय 29

हल्की हल्की बारिश की फुहारों में भीगा हुआ गौरव अभी घर के पोर्च में खड़ा था,पास ही खिड़की से फैलती हुई रोशनी से वंहा थोड़ी रोशनी थी,वो बेचैनी से खुद की भावनाओ पर काबू पाकर वंहा चहलकदमी कर रहा था,कमरे की खिड़की ना पूरी बंद थी ना ही पूरी खुली,लेकिन जितनी भी खुली थी उससे पता चल रहा था की अंदर तेज लाइट जल रही है वही वंहा से आती हुई आवाजे भी उसे साफ सुनाई दे रही थी ,वो बेचैन और भी बेचैन हो रहा था ,उसने खिड़की से झांकने की भी कोशिस की लेकिन उसे कुछ दिखाई नही दिया,हा परछाईया जरूर दिखाई पड़ी जिससे प्रतीत होता था की एक लड़की अपने कपड़े उतार कर फेक रही है वही एक मर्द भी अपने कपड़े उतार कर नंग हो रहा है,उसने दो नंगे जिस्म की परछाइयों को आपसे में लपटते देखा था और फिर दोनों ही बिस्तर में गिर गए ..

सिसकियां तेज हो रही थी जिससे गौरव की बेचैनी और भी बढ़ रही थी ,गौरव की भी सांस तेज होने लगी थी..

"अअअअअअअ हहहह ...रोहन .."

एक चीख से ऐसा लगा जैसे लड़की की योनि में लड़के का लिंग प्रवेश कर चुका है,कहने की बात नही थी की लिंग रोहन का था..

रोहन का नाम सुनकर गौरव को तेज झटका सा लगा लेकिन वो खुद को सम्हालने की कोशिस कर रहा था,वो चाहता था की वो दरवाजा पिट कर दोनों को उस प्रेममिलाप से बाहर निकाले लेकिन फिर वो मोबाइल पर आये उस मेसेज को देखकर चुप रह जाता था,उसे इंतजार करने को कहा गया था जबतक की ये खेल खत्म नही हो जाता,शायद उसे ये जानबूझ कर दिखाया या सुनाया जा रहा था ताकि उसे अपनी गलती का अहसास हो सके...

"तुम बड़ी करारी हो जान कब से तुम्हारे साथ ये करना चाह रहा था.."

रोहन जैसे उस नंगे जिस्म पर टूट ही पड़ा था,सिसकियां और भी तेज हो रही थी और आउच आह जैसी आवाज जोरो से आने लगी थी..

"तुम तो उस कमीनी सपना के साथ ही चिपके रहते हो ,मेरे ऊपर तो तुम्हारा ख्याल भी नही गया"

"ऐसी बात नही है मेरी जान तुम तो मेरी जान हो ,तुम्हारे हुस्न का तो मैं हमेशा से ही कायल रहा हु"

रोहन का ये बोलना था की गु गु की आवाज आने लगी थी,जैसे रोहन ने अपने होठो को उसके होठो से लगा दिया हो ,चूमने और चूसने में भी इतनी शिद्दत थी की आवाजे बाहर तक सुनाई दे जाती थी..

इधर गौरव के सब्र का बांध टूटने को हो रहा था,वो गुस्से में आ चुका था लेकिन कुछ कर नही सकता था,आवाजे तेज हो रही थी और वैसे ही गौरव की सांस भी .

"आह रोहन ...फक मि डार्लिंग ,तुम्हारे जैसा आज तक नही लिया मैंने ,आह रोहन फक मि .."

आवाजे तेज हो रही थी ,अंत समीप ही था.

"ओह बेबी यू यार टू गुड ,आह आह आई एम कमिंग बेबी .."

"या फक मि हार्ड ,मेरे अंदर ही गिरा दो..यस "

गौरव ने सिचुएशन को समझकर अपने चहरे में आये हुए पसीने को पोछा थोड़ी देर में ही कमरे से आवाजे आनी बंद हो गई थी ...और थोड़े ही देर में घर का दरवाजा खुला ..

"ओह गौरव हाय.."

रोहन के होठो में एक कमीनी सी मुस्कान थी वो अपनी पेंट की चैन लगा रहा था,

गौरव ने उसका कोई भी जवाब नही दिया वो अंदर जाने के लिए हुआ लेकिन रोहन ने उसे रोक दिया ..

"रिलेक्स मेन ,मैं बियर लेने जा रहा हु जो भी काम हो थोड़ा जल्दी निपटान क्या है तुम्हारे कारण बस एक ही राउंड हो पाया है ,आज पहली बार है तो रात भर करने का मुड़ है..होप मेरे आने तक तुम अपना काम निपटा लोगे."

गौरव ने फिर से कोई जवाब नही दिया लेकिन रोहन के होठो में वही कमीनी सी मुस्कान थी उसने गौरव को बिना कुछ कहे ही अपना बाइक स्टार्ट किया और वंहा से निकल गया..

गौरव अंदर आ चुका था.

"व्हाट द फक ...ये सब हो क्या रहा है यंहा पर तुम मुझे इम्पोर्टेन्ट काम बोलकर यंहा बुलाती हो और फिर ये सब ..क्या दिखाना चाहती हो तुम मुझे .."

उधर से बस एक कातिल सी मुस्कान आयी

"यही की तुम अकेले नही हो ,मेरे कई दीवाने है जो मेरे एक इशारे पर कुछ भी कर सकते है.."

"तुमने ये दिखाने के लिए मुझे यंहा बुलाया था"

गौरव बुरी तरह से झल्ला गया

"क्या ये जानना भी तुम्हारे लिए इम्पोर्टेन्ट काम नही है "

"रोहन तुम्हारा यूज़ कर रहा है मालती .."

गौरव झल्ला कर बोला,वही मालती हँसने लगी

"तुमने मुझे यूज़ किया गौरव,जब से पूर्वी तुम्हारे जीवन में आयी तुमने मुझे चाय में गिरी मख्खी की तरह निकाल कर फेक दिया,तुम्हे क्या लगा की तुम्हारे बिना मैं अकेली हो जाऊंगी नही गौरव नही ,चूत गुड़ की तरह होती है अगर खुल जाए तो मख्खियां खुद ब खुद आसपास झूमने लगती है ...वैसे रोहन बता रहा था की पूर्वी का गुड़ भी काफी मीठा है.."

मालती जोरो से हंसी वही गौरव का पारा चढ़ गया

"इनफ इस इनफ मालती पूर्वी को बीच में मत लाओ .."

गौरव लगभग चीखा लेकिन उसके चीख में वो आवाज नही थी ..

"अच्छा सारा गुड़ तुम खाओ और हम रहे भूखे...भूलना मत गौरव की अगर हमारे संबंधों का पता पूर्वी को चल गया ना तो वो तुम्हारे पास एक पल भी नही रुकेगी .."

इस बार मालती की बात सुनकर गौरव जोरो से हँसने लगा था ..

"उसे हमारे बारे में सब पता है,उसे शादी से पहले ही पता था चूतिया ने बताया था"

मालती बुरी तरह से चौकी

"किस चूतिया ने "

"अरे डॉ चुटिया..चुन्नीलाल "

"ओह तो वो कमीना भी ....उसने कविता को तुमसे अलग कर दिया और अब पूर्वी को भी अलग करना चाहता है..आखिर ऐसी क्या बात हो गई जो उसने पूर्वी को ये सब बताया था "

मालती के चहरे में आ रहे चिंता के भाव से गौरव के चहरे पर भी चिंता के भाव आने लगे थे,वो नही चाहता था की मालती को उसके बारे में कोई भी शक हो ..

"वो सब छोड़ो तुमने मुझे क्यो बुलाया था और के कमीना रोहन यंहा क्यो आया है ,मालती मेरी बात मानो ये साला बहुत कमीना है तुम्हे पटा कर तुम्हारा यूज़ करेगा..,"

मालती जोरो से हंसी

"तुम्हे मेरी बहुत फिक्र हो रही है गौरव बाबू,मेरी फिक्र मत करो और मैंने तुम्हे यही दिखाने के लिए बुलाया था लेकिन तुम्हारी बात सुनकर मेरा दिमाग खटकने लगा है,

"तुम अपना दिमाग मत खटकाओ और आइंदा ऐसे मेरा समय बर्बाद करने की कोशिस भी मत करना,तुम्हारा जीवन है जिससे चाहो चुड़वाओ .."

गौरव गुस्से से निकल रहा था तभी उसे मालती की आवाज सुनाई दी

"यही बात अपनी बीबी को भी बोल देना,क्योकि मुझे लगता है की कुछ दिनों बाद तुम्हे मेरी जगह तुम्हरी बीबी मिलेगी .."

गौरव को मालती की जोरो की हंसी सुनाई दी उसे गुस्सा तो बहुत आया था लेकिन वो कुछ करना नही चाहता था...

 

अध्याय 30

सुबह सुबह का समय था और पूर्वी और गौरव जिम में गए हुए थे,गौरव के दिमाग में अब भी मालती के कहे शब्द गूंज रहे थे,वो दूर से ही रफीक और रोहन को पूर्वी से हँस हँस कर बाते करता हुआ देख रहा था..

"क्या हुआ गौरव जी दिल में जलन हो रही है क्या .."

सपना ने इठलाते हुए कहा जिससे गौरव का पारा और भी बढ़ गया था..

"कल लेब क्यो नही आयी थी ..??"

"क्यो मेरे बिना मन नही लगता क्या ?"सपना ने उसे चिढ़ाया,लेकिन गौरव मजाक के मूड में बिल्कुल भी नही था

"अगर तुम अपना काम सही तरीके से नही करोगी तो मैं तुम्हे प्रोजेक्ट से निकाल दूंगा,और हमे टेस्टिंग के लिए लोग चाहिए जो तुम्हारा जिम्मा है .."

गौरव की बात सुनकर सपना थोड़ी चौकी

"टेस्टिंग अभी से ??"

"हा तुम्हारा ध्यान तो ना जाने कहा रहता है,मैंने कुछ सेम्पल तैयार कर लिए है और उसकी टेस्टिंग भी करवानी पड़ेगी तभी रिजल्ट समझ आएगा ,आज मेरे सर में बहुत ही दर्द है किसी अच्छे और भरोसेमंद डॉ को जानती हो .."

सपना का दिमाग खटकने लगा था

"भरोसेमंद मतलब.."

"हमे टेस्टिंग के समय एक डॉ की भी जरूरत पड़ने वाली है ,कोई ऐसा जो भरोसेमंद हो ,तुम्हारे तो बहुत कनेक्सन है इस सिटी में तुम ही कोई डॉ ढूंढ कर लाओ "

सपना सोच में पड़ गई

"डॉ पांडे न्यूरोलॉजिस्ट है उनकी मेरे पिता जी से बहुत बनती यही वो चलेंगे.."

गौरव कुछ देर सोचा..

"लेकिन वो तो बहुत ही बड़े डॉ है फीस जायद लेंगे,और क्या वो भरोसेमंद होंगे"

"फीस की आप चिंता मत कीजिये वो मैं देख लुंगी ,और रही भरोसे की बात तो वो मुझे अच्छे से जानते है "

"लेकिन लेब की कोई बात लीक नही होनी चाहिए हम दोनों की जान पर आफत आ सकती है यही नही पुलिस केस भी बन सकता है .."

सपना ने हामी भरी लेकिन उसके दिमाग में अब भी कई सवाल मचल रहे थे..

"ठीक तो आज उसे लेकर आ जाओ लेब...कुछ सवाल जवाब करना होगा उनसे "

"हमको खुद ही जाना होगा वंहा ,"

"ओके,तो एक घंटे में मिलो मेरे घर के सामने,आज मेरा जिम में मूड नही लग रहा है,अब तो काम खत्म करके ही आऊंगा "

गौरव पूर्वी की तरफ देख कर बोला और जल्दी से ही निकल गया.

*********

कुछ ही देर के बाद वो डॉ पांडे के हॉस्पिटल में थे.

"तो तुम कह रहे हो की तुम इसका प्रयोग इंसानों पार कर के दिखना चाहते हो "

"जी डॉ"

"लेकिन इसके लिए तो हमे स्पेसल परमिशन लेनी पड़ेगी "

"बिना परमिशन के ये नही हो सकता??? क्योकि मैं इसे राज ही रहने देना चाहता हु "

"ऐसा कैसे हो सकता है अगर किसी की जान चली गई या कोई गंभीर बीमारी हो गई तो "

पांडे के चहरे में गंभीर भाव उमड़ रहे थे

"डॉ किसी और पर नही अगर ये मैं अपने ही ऊपर टेस्ट करू तो,आपको बस मेरा निरक्षण करना होगा और अगर कोई प्रॉब्लम हुई तो उसे हल करना होगा"

गौरव की बात सुनकर दोनों ही अचंभित हो गए थे.

"लेकिन गौरव इसमें बहुत ही खतरा है,अभी हम आधे में ही पहुचे है "

सपना बोल पड़ी

"जितना हमने इसे बना लिया है उतना ही काफी है और दो दिन से मैं इसपर पर्सनली काम कर रहा हु ,समय आ गया है की अब इसे टेस्ट किया जाए "

गौरव ने इतने कांफिडेंस के साथ कहा था की सपना और डॉ दोनों ही सोच में पड़ गए थे...

*******

वो लेब से निकल कर अपना समान लेकर हॉस्पिटल के एक कमरे में पहुच चुके थे,सपना उन कागजो को बड़े ही ध्यान से देख रही थी उसे यकिन नही हो रहा था की गौरव ने इतना काम एक ही दिन में कर डाला है,वो नए केमिकल फार्मूलों को देख कर दंग थी ,उसे बहुत कुछ समझ ही नही आ रहा था,सबसे ज्यादा जरूरी चीज ये थी की आखिर गौरव की बनाई ये दवाई इंसानों पर कैसे असर करेगी ,वो खुद ही इसे अपने ऊपर टेस्ट करना चाहती थी लेकिन डॉ चुतिया ने उसे पहले ही से ही समझा रखा था की गौरव की बनाई किसी भी दवाई पर वो कभी भरोसा मत करे.

गौरव ने इसे एक इंजेक्सन के रूप में बनाया था,डॉ पांडे और सपना की मौजूदगी में आखिर उसने वो इंगजेक्सन अपने अंदर डाल लिया..

गौरव अभी बिस्तर में लेटा हुआ था और मशीनों द्वारा उसकी सांसे ,उसकी धड़कन ,और उसके मस्तिष्क से निकलने वाले तरंगों की जांच की जा रही थी,इंगजेक्शन लिए हुए आधे घंटे हो चुके थे लेकिन अभी तक गौरव को कुछ भी महसूस नही हो रहा था,सब कुछ बिल्कुल ही नार्मल था,कभी कभी उसकी हार्टबीट बढ़ जाती लेकिन फिर वो नार्मल हो जाता था,कभी कभी उसके मानसिक तरंगे अत्यंत ही विचलित हो जाते लेकिन कुछ ही सेकंड में फिर से नार्मल हो जाते,डॉ पांडे भी कोई भी परिणाम निकालने में असमर्थ थे,गौरव आँखे बंद कीये लेटा हुआ था अचानक उसने अपनी आंखे खोली.

"कुछ पता चला डॉ."

"नही सब कुछ सामान्य ही लग रहा है "

"हम्म ओके मुझे लगता है की अब हमे चलना चाहिए.."

गौरव बेड से उठा और बाहर निकल गया..उसके पीछे सपना भी दौड़ती हुई पहुची ..

"गौरव तुम्हे कुछ भी फील नही हो रहा.."

"अभी तक तो नही ..खैर छोड़ो सब समान लेब में पहुचा दो ,मेरे ख्याल से हमे थोडा और काम करने की जरूरत है "

इतना कहकर गौरव मायूसी के साथ वंहा से निकल गया था..

***********

गौरव अपने घर में बैठा हुआ शराब पी रहा था तभी दरवाजा खुला और पूर्वी अंदर आयी,शाम हो चुकी थी और पूर्वी अपने काम से बिल्कुल ही थक चुकी थी वो भी आकर सोफे में धड़ाम से बैठ गई ,उसने गौरव के चहरे को ध्यान से देखा ,उसकी आंखे लाल थी,उसका शरीर भी ऐसा लग रहा था जैसे किसी को बेहद जोरो से बुखार आ गया हो ,वो उसके पास पहुची और उसके माथे को छुआ वो सच में तप रहा था..

"गौरव तुम्हे तो बुखार है "

"आ गई मादरचोद अपने यारो से चुदवाकर "

गौरव ई बात सुनकर मानो पूर्वी को सांप सूंघ गया हो ,वो बेहद ही डर गई थी उसे लगा जैसे गौरव के शरीर से कोई और ही शख्स उससे बात कर रहा है ,गौरव ने कभी उससे इस तरीके से बात नही की थी ..

"गौरव तुम पागल हो गए हो क्या ये क्या बक रहे हो "

"मैं बक रहा हु ,तू साली रांड उस कमीने की बीवी है ना तो खून तो असर दिखायेगा ही ,तेरा बाप कभी कविता को धमकाया करता था ,साली तू भी उसी का खून है "

गौरव के आंखों में ना जाने कितना नशा था ,पूर्वी बेहद ही डर गई थी उसकी भुजाये फड़कने लगी थी

"मार डालूंगा तुझे भी और तेरे बाप के तीनो दोस्तो को भी,क्या बोला था तेरे बाप ने मुझे भिखारी की औलाद अब बताता हु की ये भिखारी अब क्या कर सकता है"

गौरव ने पास ही रखी हुई बोतल तोड़ी और पूर्वी की ओर झपटा,पूर्वी को कुछ भी समझ नही आया,उसका ये रूप दानवों जैसा था,वो गुस्से से लाल हुआ जा रहा था,पूर्वी दरवाजे की ओर भागने को हुई लेकिन पास ही रखे सोफे से टकराकर गिर गई ,गौरव अब पूर्वी के पैरों के ही पास था,कमरे में लगे बड़े से दर्पण में उसका शरीर पूरी तरह से दिख रहा था,गौरव की नजर उस दर्पण पर पड़ी और अचानक ही उसकी आंखों में कई और भाव आने लगे..

"कविता...तूने ये क्या कर दिया ,देख मैं कैसा हो गया हु ,मैं दैत्य बन गया हु,काश तूने मुझे वो पूरा फार्मूला बताया होता तो ये नही होता.."

गौरव अजीब तरह से रो रहा था,तभी पूर्वी को अहसास हुआ की दरवाजा खुला हुआ है,उसकी ये पुरानी आदत थी की वो दरवाजे को बंद करना भूल जाती थी,और शायद ये गंदी आदत आज उसके लिए किसी वरदान सी लग रही थी,सामने रफीक खड़ा गौरव को ही देख रहा था,उसके साथ बल्ला और रोहन भी थे..

गौरव की नजर कांच से जाकर सीधे ही उन तीनो पर पड़ी..

"ओह तो इस रंडी को बचाने उसके यार आये है "

"गौरव ये सब क्या है "रफीक की आवाज भी कांप रही थी उसे कुछ समझ नही आ रहा था की आखिर ये क्या हो रहा है ,

"वो सब बाद में समझूंगा पहले तुम पूर्वी को बचाओ और इसे सम्हालो "सपना की बात सुनते ही तीनो मर्द गौरव पर टूट पड़े सपना ने पीछे से सामने आते हुए पूरी को तुरंत ही बाहर निकाला और सीधे गाड़ी में बिठा दिया ..

"ये सब क्या है सपना "

"पता नही शायद दवा का साइड इफेक्ट ,आज ही गौरव ने इसे इंजेक्ट किया था लेकिन दोपहर में उसे कुछ भी नही हुआ था,जब मैंने डॉ चूतिया को ये बताया तो उसने गौरव पर नजर रखने के लिए कहा,दोपहर से शाम हो गए लेकिन गौरव घर से बाहर ही नही आया था,मैं अपने कुछ आदमियों के साथ आसपास ही थी ,तभी तुम रफीक रोहन और बल्ला के साथ यंहा आ गई ,तुम्हे छोड़कर वो बात कर रहे थे लेकिन आवाज सुनकर वो भी दरवाजे की तरफ भागे,"

पूर्वी कुछ पूछती उससे पहले ही घर के अंदर से चीखे आनी शुरू हो गई थी,रोहन बुरी तरह से जख्मी हो कर बाहर निकला,वंहा घमासान मचा हुआ था,सपना ने तुरंत अपने आदमियों को अंदर भेजा जो की 5 थे..

अंदर बल्ला और रफीक की भी हालत गौरव ने मार मार कर खराब कर रखी थी ..

"मादरचोद इस साले चूतिये को क्या हो गया जो ये इतना ताकतवर हो गया साला बउरा गया है क्या "बल्ला बुरी तरह से झुंझला गया था,दोनों ही अव्वल दर्जे के गुंडे थे लेकिन गौरव ने उनकी भी फाड़ कर रख दी थी ..

तभी 5 लोग और भी अंदर आये गौरव कमरे के एक कोने में खड़ा था वही बाकी उसकी ओर देखते हुए खड़े थे,नए आये पाँचो लोगो ने बन्दूखे तान ली थी जिसे देखकर गौरव बस मुस्कुरा रहा था..

"नही नही इसे गोली मत मारना "रफीक ने उनसे कहा

"नही मरेंगे तो साला हमे मार देगा"उसमें से एक ने कहा लेकिन अगले ही पल गौरव ने पास रखी आलमारी को उनके ऊपर ऐसे फेका जैसे कोई खिलौना हो ..सभी उससे बचने के लिए भागे और गोलियां चलाने लगे लेकिन गौरव दौड़ता हुआ आया और रफीक को पकड़ कर खिड़की से बाहर कूद चुका था, वो रफीक को किसी बच्चे की तरह उठा कर भाग रहा था ,बाकी लोग बस गोलियां ही बरसाते रहे और वो गायब हो गया......
 
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