Adultery प्यार या धोखा (Completed)

अध्याय 31

सभी लोग पूर्वी के घर में थे उसका घर डॉ चूतिया के कहने पर किसी किले की तरह सजा हुआ था,पूर्वी सपना और रोहन तीनो के घरों में सिक्युरिटी बड़ा दी गई थी ,पूर्वी के घर डॉ चूतिया,पूर्वी ,रोहन ,सपना,बल्ला,और पूर्वी के पिता कपूर साहब मौजूद थे.

बल्ला रोये जा रहा था..

"आखिर हमार भइया के कसूर रहे की उन्होको उठा के ले गया"

बल्ला की बात से सभी चकित थे केवल डॉ और सपना के अलावा ..

"ये ये कैसी भाषा में बात कर रहा है"पूर्वी चौकी

"ये लोग कोई शेख वेख नही है ना ही दुबई से आये है इन्हें मैंने बुलवाया था,"

डॉ ने हल्के स्वर में कहा

"व्हाट ..और आपने मुझे भी नही बताया "

"बता देता तो किसी तरफ से गौरव को भी ये बात पता लग जाती ,मैंने इसे किसी और के लिए नही गौरव के लिए ही इन्हें यंहा बुलाया है ,ताकि उसे लगे की यही लोग शेख है "

"लेकिन क्यो .."

पूर्वी बुरी तरह से झल्ला गई थी वही सभी के चहरे पर एक आश्चर्य था..

"ताकि गौरव को लगे की रफीक उसी शेख का बेटा है जो कविता से फार्मूला पाने की कोशिस कर रहा था ,उसे अब भी लगता है के शेख के पास कुछ तो है और वो इसीलिए यंहा आया है ,शायद इसी लिए गौरव ने रफीक को वंहा से उठा लिया .."

"लेकिन गौरव ऐसा क्यो कर रहा है डॉ ,उसकी ताकत तो तब तक ही है जब तक की उस दवाई का असर रहेगा उसके बाद क्या फिर उसे हराना कोई बड़ी बात नही रह जाएगी ,और ऐसे भी अब उसके फार्मूले के नोट्स भी मेरे पास है "सपना ने सुबह ही सारे नोट्स अपने पास ही रख लिए थे.

सपना की बात पर डॉ थोड़ा हंसा

"तुम्हे लगता है की गौरव ने कुछ नया बनाया है..नही उसने वही पुराना फार्मूला अपने अंदर इंजेक्ट किया लेकिन शायद थोड़े बदलाव के साथ ,कविता ने ये फाइनल फार्मूला बनाया था जो की गौरव के हाथो लगा था,ये पहली बार नही है जब गौरव ने इसे लिया हो वो इसका उपयोग और भी कभी कर चुका है .."

सभी ने फिर से डॉ को आश्चर्य के साथ देखा

"कब "पूर्वी की आवाज आयी

"वो सब बताने का अभी समय नही है बस इतना समझ लो की गौरव ने ऐसे इंजेक्शन की खान बना कर रखी होगी ,वो आज डॉ पांडे से सिर्फ ये चेक करवाने गया था की इससे उसके शरीर में कोई बेड इफ़ेक्ट तो नही पड़ रहा,और उसे कुछ भी नही हुआ मतलब है की वो अब और भी ज्यादा खतरनाक है ,अभी तक उसे कुछ हो जाने का डर था इसलिए उसने इसे एक बार के अलावा कभी नही लिया था लेकिन ...अब उसे रोकना मुश्किल होगा..वो दानव बन गया है,कुछ भी कर सकता है,कविता फार्मूले की उन्ही कमियों को दूर करने की कोशिस कर रही थी ,वो कितनी सक्सेस हुई ये कोई नही जानता,शायद यही ना जानना ही उसके गायब होने का कारण बना "

डॉ की आंखों में भी थोड़े आंसू आ चुके थे..

और उसकी बात सुनकर पूर्वी रो पड़ी

"लेकिन मैंने कौन सा पाप किया था या मेरे घर वालो ने ऐसा कौन सा पाप किया था की उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी,"

पूर्वी जोरो से रोने लगी वही सपना ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा ..

"तुम्हे गौरव ने क्यो चुना ये तो वही जानेगा ....तुम लोगे के परिवार की गलती ये थी की अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए इन्होंने कविता को सताया,सब कुछ टिक ही चलता लेकिन इसी लिए कविता ने प्रोजेक्ट बंद करके यंहा से जाने का फैसला कर लिया था,तुम्हारे पिता ने तब हम तीनो की ही बेहद बेइज्जती की थी,शायद उन्हें याद भी ना हो क्योकि उस समय हम कुछ भी नही थे,कविता का यू काम अधूरा छोड़ कर जाना गौरव को पसंद नही था,लेकिन कविता ने उससे कहा था की वो फार्मूले को फर्केक्ट बनाने के बहुत ही नजदीक है और उसे कैसे फरफेक्ट बनाया जाए वो उसके दिमाग में है ,लेकिन उसके ऊपर कई तरह के दबाव थे,एक तरफ तुम्हारे पिता और उनके दोस्त तो दूसरी तरफ दुबई का शेख ,शेख ने भी कविता को मिलने बुलाया था पता नही उनके बीच क्या बातचीत ही थी लेकिन ....मेरी कविता तो मुझसे छीन गई ...खैर अभी हमारे पास सबसे बड़ा काम है गौरव को ढूंढना और रफीक को बचाना.."

************

रफीक रस्सी से एक कुर्सी पर बंधा था और कमरे की धीमी रोशनी में वो अपनी आंख को खोलने की कोशिस कर रहा था उसे अंतिम बात यही याद थी की गौरव ने उसे दबोचा था और खिड़की से बाहर छलांग लगा दी थी ,किसी भारी चीज से सर टकराने के कारण वो अपना होश भी खो चुका था..

जैसे ही उसके शरीर में जान आयी उसके ऊपर पूरा बाल्टी पानी उड़ेल दिया गया..

वो चौक कर सचेत हो चुका था,पास ही खड़े गौरव को ऐसे देख रहा था जैसे वो उसकी मौत हो ..

"मुझे यंहा क्यो लाये हो "उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर कहा,बदले में गौरव बस पास रखे एक कुर्सी को सरकाते हुए उसके पास पहुच गया..

और उसके सामने ही बैठ गया.

"कविता के बारे में क्या जानता है तू,और तेरे बाप ने तुझे यंहा क्यो भेजा है "

रफीक को मामला समझ आ चुका था गौरव रफीक को शेख का बेटा समझ रहा था..

"तुम्हे गलतफहमी हुई है गौरव मैं कोई शेख का बेटा नही हु "

चटाक

एक जोर का थप्पड़ उसके गालों में पड़ा.

"मैं जानता हु की तू सीधे तरीके से नही बताएगा तुझे टॉर्चर करने के मेरे पास बहुत सारे तरीके है "

गौरव की शैतानी मुस्कान को देखकर रफीक जैसे सख्त जान इंसान भी कांप गया..

"मैं मैं सही कह रहा हु गौरव मैं शेख का बेटा नही हु मैं तो ...मुझे तो डॉ चूतिया ने पैसे देखकर यंहा बुलाया है.."

इस बार गौरव गुस्सा नही हुआ बल्कि कुछ सोच में पड़ गया

"चूतिया ने ??,आखिर क्यो??"

"वो तो मुझे नही पता लेकिन उसने बस जो कहा हमने बस उतना ही किया "

गौरव बहुत देर तक सोचता ही रहा

"ओह तो ये उस साले चूतिया का किया धरा है ,कोई बात नही सब मरेंगे जो भी मेरे रास्ते में आएगा वो सब मरेंगे "

गौरव की बात में एक जुनून था ...

"और पूर्वी ...पूर्वी का क्या "रफीक की आवाज में फिक्र थी ..

"ह्म्म्म पूर्वी मेरी है और वो मेरी ही रहेगी ,चाहे वो डॉ चूतिया कितनी भी कोशिस कर ले वो मेरी पूर्वी को मुझसे नही छीन सकता ,जैसे वो मुझसे मेरी कविता को छिनने की कोशिस की ,लेकिन कविता ..कविता आज भी मेरी है ."

गौरव ने अपनी उंगली एक तरफ उठाई ,रफीक ने उस उंगली का पीछा किया और उसका मुह खुला का खुला रह गया...
 
अध्याय 32

पुलिस से लेकर इंटेलिजेंस के लोग भी गौरव को ढूंढने की कोशिस में लगे हुए थे,लेकिन उसका निशान कही भी नही मिल रहा था ,सभी बेहद ही परेशान थे ,2 दिन बीत चुके थे.

"गौरव शरीर से ही नही बल्कि दिमाग से भी बेहद ही ताकतवर हो चुका है,वो ऐसी जगह पर छिपा होगा जो हमारी सोच के भी बाहर होगा ."

सपना बहुत ही चिंतित थी

"ह्म्म्म लेकिन वही तो हमे सोचना है की कहा ,मालती कहा है उसे यंहा लेकर लाओ "अचानक ही डॉ बोल उठा .

थोड़ी ही देर में मालती को उन सबके सामने लेकर खड़ा कर दिया गया था..

"मालती मेडम आपसे मुझे बस एक ही सवाल करना है ,ये फ़ोटो आपके पास कहा से आया "

डॉ ने सपना के मोबाइल पर वो फोटो दिखाया जिसे सपना और रोहन ने मालती के घर से खिंचा था.

"ये...ये तो गौरव ने मुझे अपने पास रखने के लिए दिया था ,जब कविता गुम हुई और मेरे और गौरव के बीच रिश्ते बनने लगे तभी .."

"और वो फार्मूला आपके पास कहा से आये थे.."

डॉ ने फिर से पूछा..

"वो ..वो तो मैंने कविता के नोट्स से चुराए थे,लेकिन वो इतने अजीब थे की मैं उनमे आगे कोई भी काम नही कर पाई ."

"ह्म्म्म लेकिन आपको पता है की ये फोटो आखिर गौरव के पास कहा से आयी "

"आई डोंट नो...बस मुझे उसने इतना बताया था की इन्ही लोगो के कारण ही कविता ने अपनी रिसर्च बन्द कर दी ,और वो इनसे बदला लेना चाहता है ,शायद जिस फोटोग्राफर ने ये फोटो निकाली थी गौरव ने उससे ही ये फोटो ली थी ,"

"हा ये हो सकता है क्योकी ये फोटो गोवा के ही एक फोटोग्राफर ने निकाली थी ,शायद उसके पास और भी कॉपी रही हो "कपूर साहब बोल पड़े .

सभी अपने अपने तरीके से चीजो को सोचने की कोशिस कर रहे थे..तभी पूर्वी बोल उठी

"मालती मेडम सच सच बताइए की आखिर गौरव ने मुझसे शादी क्यो की "

मालती चुप रही फिर कुछ सोचकर बोली

"मुझे नई पता लेकिन वो तुमसे प्यार करता था ,मुझे तो बस यही लगा .."

मालती की बात सुनकर पूर्वी ने डॉ की तरफ देखा ,वो भी खमोश था...फिर डॉ कपूर साहब की ओर मुड़ा

"कपूर साहब आजकल उस बंगले में कौन रहता है .."

"वो तो सालों से बंद है ."

"क्यो??"

"कुछ लोग कहते है की यंहा कोई भूत है,और वंहा से किसी चुड़ैल की हँसने और रोने की आवाज आती है ,मैं इन सब चीजो में नही मानता लेकिन वंहा रहना कोई पसंद नही करता,देख रेख करने वाले भी शाम होने से पहले ही वंहा से चले जाते है "

"क्या वंहा कोई तलघर है ??"

डॉ के सवाल से सभी चौके

"नही क्यो???"कपूर साहब ने जल्दी से जवाब दिया और सभी डॉ को देखने लगे

"हमे जल्द से जल्द गोवा के लिए निकलना होगा,गोवा पुलिस को भी इन्फॉर्म कर दीजिए की उस बंगले के आसपास की सभी गतिविधियों पर नजर रखे,हो ना हो गौरव वही छिपा होगा"

"लेकिन तुम इतने विस्वास से कैसे कह सकते हो ??"कपूर साहब फिर से बोले..

"क्योकि गौरव और कविता दोनों ही एक ही सब्जेक्ट के स्टूडेंटस थे और कविता की हर रिसर्च में गौरव उसकी मदद करता था,एक बार जब आपलोग कविता को धमकाने के बाद वंहा से गए तो कविता ने मुझसे कहा था की इन सालों के पैरों के नीचे अपना काम करूंगी और इन्हें पता भी नही चलेगा ,इस बात पर दोनों ही एक दूसरे को देखकर हँस पड़े थे,मुझे कुछ समझ नही आया तो कविता ने मुझसे कहा था की वो एक प्लान में काम कर रहे है वक्त आने पर तुम्हे बताऊंगी ...वो वक्त तो कभी नही आया लेकिन हो ना हो वो उसी फार्महाउस के तलघर की बात कर रहे थे जिसका पता उसके मालिक को भी नही है ,आखिर उससे सेफ जगह क्या हो सकती है,और फिर कोई भूत या चुड़ैल का वंहा होना मेरे शक को और भी गहरा देता है ."

"मतलब कविता भी वही हो सकती है.."सपना ने अचानक से कहा जिससे डॉ की सांस ही रुक गई

"नही ..अगर वो अभी वंहा होती तो मुझसे जरूर संपर्क करती ,मेरी कविता मुझे यू अकेला नही छोड़ सकती .."

*************

रफीक आंखे फाड़े सामने के नजारे को देख रहा था,एक आदमजात नंगी औरत अपने बालो को बिखराये हुए उसकी ओर ऐसे बढ़ रही थी जैसे कोई जानवर हो ,उसके बाल ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने उसे बुरी तरह से नोचा हो ,उसके पैरों में बस एक पायल थी और गले में एक काला पट्टा ,रंग दूध सा गोरा था लेकिन पूरे शरीर पर धूल लगे हुए थे,आंखों में काजल फैला हुआ था या उसके आंखों में काले घेरे पड़े थे ये मालूम नही पड़ता था,वो किसी जानवर की तरह अपने दोनों हाथो और घुटनो से चल रही थी ,आकर वो गौरव के पैरों के पास रुक गई और उसके पैरों को जीभ निकाल कर ऐसे चाटने लगी जैसे कोई कुत्ता अपने मालिक के पैरों को चाटता है,गौरव ने उसके बालो पर अपने हाथ फिराये ..

"देख देख मेरी कविता को मुझसे कितना प्यार करती है ,कैसे मेरे लिए इतने सालों से यू ही इन अंधेरे कमरे में जानवरो की तरह रह रही है "

कविता की ये हालत देख कर रफीक कांप ही गया,कविता के जिस्म में बस हड्डियां ही दिख रही थी,यंहा वहां बस चोटों के निशान थे वो कुछ भी नही बोल रही थी बस गौरव के पैरों को चाटे जा रही थी .

गौरव ने उसके गले में लगे हुए पट्टे को अपने हाथो से पकड़ा और उसे अपनी ओर खिंच लिया,अब गौरव का हाथ कविता के पिछवाड़े को सहला रहा था,कविता अब भी गौरव के पैरों को चाट रही थी .

"देख देख इसे... पूर्वी को भी इसीतरह मैं अपनी बनाकर रखूंगा ."

गौरव के चहरे का भाव अचानक से ही दानवों जैसा हो गया और वो कविता के पीठ पर अपने जीभ को चलाने लगा,उसने कविता को उठाकर अपने गोद में उसे झुका लिया था,अब कविता के घुटने जमीन पर थे और उसके पेट गौरव की गोद में वही उसका सर दूसरी तरफ झुका हुआ था,गौरव उसपर झुककर उसे चाट रहा था कभी कभी उसका मुह कविता के कूल्हों तक भी पहुच जाता,उसने कविता के कूल्हों पर अपने दांत गड़ा दिए..

इधर रफीक पूर्वी की बात सुनकर गुस्से से भर चुका था

"कमीने क्या किया है तूने इसके साथ .."

रफीक चिल्लाया ,और गौरव के चहरे का भाव भी बदलने लगा

"जिसे मैं प्यार करता हु उसे मैं हर हाल में पा के रहता हु....हा हा हा."

गौरव की दैत्याकार हंसी से पूरा कमरा गूंज गया वही कविता की ये हालत देख और पूर्वी के बारे में सोचकर बेरहम और धूर्त रफीक के आंखों से भी आंसू छलक गए .....
 
अध्याय 33

सभी लोग गोवा पहुच चुके थे लेकिन फार्महाउस वाले बंगले में जाने की इजाजत डॉ ने किसी को नही दी वो नही चाहता की सपना या पूर्वी किसी मुसीबत में फंस जाए ,उन्हें डॉ ने कपूर साहब के साथ ही होटल में रुकने की सहल दी ,जबकि डॉ रोहन और बल्ला पुलिस के साथ फार्महाउस जाने की तैयारी करने लगे.

पुलिस को वायरलेस में मेसेज मिला था की गौरव यही है और अभी अभी बाहर निकला है ,डॉ को यही समय लगा रफीक को बचाने का ..किसी को नही पता था की रफीक जिंदा भी है या मर गया है ,लेकिन सभी को ये आश तो थी की वो जिंदा होगा..

रेस्क्यू टीम में चुने हुए कमांडो तथा एक एक्सपर्ट केमिस्ट को शामिल किया गया था,चाहे लोग गौरव को कितना भी कम समझ रहे हो लेकिन डॉ समझता था की अभी उसके पास कैसी ताकत है,पहले एक ड्रोन छोड़कर पूरे इलाके का मुआयना किया गया लेकिन तलघर का कही निशान समझ नही आया,टीम अंदर गई लगभग 50 लोग थे जो पूरे फार्महाउस को घेरे हुए थे ,अभी उनकी प्राथमिकता गौरव के ठिकाने को तलाश करके उसे तहस नहस करना था ना की गौरव को पकड़ना..

कई लोग अलग अलग यंत्रों से जमीन का निरक्षण कर रहे थे,ये काम जितना जल्दी को जाए उतना अच्छा था क्योकि गौरव के आने के बाद वो क्या कर बैठता इसका किसी को अंदाजा नही था,आखिर जमीन के नीचे खाली जगह होने के सुराग मिलने लगे ,अभी इन्हें आये 5 मिनट ही हुए थे,उन्होंने तलघर का दरवाजा तलाशना शुरू कर दिया ,एक पेड़ के नीचे घास की चादर में उन्हें वो दरवाजा मिला ,उसे इतनी खूबसूरती से छिपाया गया था की बिना यंत्रों के इसे ढूंढ पाना आम इंसान के लिए बेहद ही मुश्किल काम था .

कुछ लोग बाहर नही रुके और बाकी अंदर गए,एक लंबी सीढ़ी नीचे को जाती थी ,अंदर बेहद ही अंधेरा था जैसे ही वो नीचे पहुचे अजीब सी बदबू आनी शुरू हो गई ,उनके साथ आये हुए केमिस्ट ने तुरंत ही सबको मास्क लगाने की हिदायत दे दी ,सभी मास्क लगा कर टार्च की रोशनी के सहारे आगे बढ़ने लगे थे तभी ..

रोहन के सर पर किसी ने कांच का एक जार मार दिया था ,कांच के टूटने के कारण हुई आवाज से वो शांत स्थान गूंज उठा,सभी टार्च एक साथ मारने वाले के ऊपर जा टिकी ..

सामने जो दृश्य था वो बेहद ही भयावक था ..

एक पूर्ण नग्न औरत सामने खड़ी थी ,बाल बिखरे हुए थे ,पूरा शरीर बेहद ही गंदा था,किसी चुड़ैल से कम नही लग रही थी ,हाथो में कांच टूटने से फैला हुआ खून था,उसने अभी अभी अपने हाथो में एक लोहे की रॉड पकड़ लि थी ,वो बेहद ही गुस्से से उनकी ओर देख रही थी लेकिन कुछ भी नही बोल रही थी .

"कोई गोली मत चलाना ..कोई गोली मत चलाना.."

डर की आवाज कांप रही थी सभी को पीछे छोड़ते हुए वो आगे आया ..

"कविता???"उसकी आवाज भर्राई हुई थी ,उसने कभी नही सोचा था की अपने प्यार को वो इतने सालों के बाद इस हालत में देखेगा..उसे लगा जैसे वो बेहोश हो जाएगा माथा चकरा रहा था,भावनाओ के आवेग से पूरा शरीर कांप रहा था ...आखिर डॉ की आंखे छलक उठी ..

"कविता तुम तुम जिंदा हो ..तुम मेरे इतने पास हो और मुझे .."

"हूं हु हु"कविता जानवरो जैसे चिल्लाई और रॉड को घुमाकर डॉ के ऊपर चला दिया ,लोहे का रॉड डॉ के चहरे में पड़ चुका था पूरा जबड़ा भी फट गया था लेकिन जरा भी विचलित नही हुआ ..

'कोई आगे नही आएगा "डॉ ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी हालत को सम्हालते हुए कहा

'कविता देखो मैं हु मैं तुम्हारा चुन्नी ..पहचानो मुझे "

कविता ने फिर से जानवरो जैसे हुंकार भरी और फिर से रॉड घुमा दिया लेकिन इस बार डॉ चौकन्ना था वो बच गया..कवित अब भी उसे बड़े ही नफरत और गुस्से से देख रही थी ,डॉ का दिल भर चुका था लेकिन वो कुछ भी नही कर सकता था,

आखिर पीछे से आवाज आयी

"डॉ साहब सम्हालिये खुद को ये समय नही है,इसे काबू में करना पड़ेगा इसे बेहोशी का इंगजेक्शन लगा कर बेहोश कर दीजिए बाद में देखते है .."

डॉ ने बुझे मन से हामी भरी और एक पिस्तौल नुमा इंजेक्शन कविता के सामने तान दिया,उसे देखकर कविता बेहद ही बौखला गई और पूरे जोर से चिल्लाते हुए डॉ के ऊपर झपट पड़ी लेकिन समय पर डॉ ने ट्रिगर दबा दिया और कविता डॉ तक पहुचते पहुचते ही बेहोश हो गई ,डॉ ने उसे अपने बांहों में सम्हाल लिया और उससे लिपटकर रोने लगा,वही बाकी लोग आगे बढ़ गए और रफीक को ढूंढने लगे ,किसी ने बिजली का बटन ढूंढ कर उसे चालू कर दिया कमरे में प्रकाश फैला तो सभी की सांस ही अटक गई ,रफीक के कोने में अपनी जिंदगी और मौत से लड़ता हुआ पड़ा था,वो एक कुर्सी में बंधा हुआ था ,उसे बेरहमी से मारा गया था.. और उसके कुछ दांतो को चिमटे से निकाला गया था,साथ ही उसके कुछ नाखून भी खिंचकर निकाले गए थे..मंजर ऐसा था की बल्ला वही खड़े खड़े बस बुत बनकर अपने दोस्त की ये हालत देखता रह गया,केमिस्ट जो की साथ ही आया था वो तुरंत ही सभी केमिकलस को इकठ्ठा करने लगा ,

"उस गौरव को मैं जान से मार दूंगा रफीक भाई,तू बस एक बार ठीक हो जा "बल्ला रफीक के पैरों के पास ही बैठ गया था,उसे भी समझाया गया और सभी को तुरत बाहर निकाला गया ,जाते जाते ना जाने डॉ को क्या सूझी ..

सभी के बाहर आने के बाद वो मुड़ा और केमिस्ट के हाथो से थैला उठा आकर तलघर के अंदर फेक दिया ..

"ये क्या पागलपन है डॉ"

केमिस्ट चिल्लाता ही रह गया लेकिन बिखरे हुए केमिकल में डॉ ने अपने लाइटर को फेक दिया...जिससे पूरा केमिकल आग के चपेट में आ चुका था..

"भागो यंहा से "केमिस्ट कुछ समझ कर चिल्लाया और सभी भागने लगे ,डॉ भी तुरंत ही तलघर का दरवाजा बंद कर भागा ...और एक जोर का विस्फोट हुआ ,तलघर के अंदर केमिकल फैल चुका था और आग लगने के कारण और वंह पहले से मौजूद गैस के कारण एक प्रेसर क्रिएट हो गया था,तलघर का दरवाजा बंद होने के साथ ही प्रेशर को बाहर निकलने का कोई रास्ता नही था नतीजा था एक बड़ा धमाका और चारो ओर बस आग की लपटे,खुद डॉ बुरी तरह से झुलस चुका था लेकिन उसके होठो में अब एक मुस्कान थी ..

"रेस्क्यू कंपलीटेड ..टारगेट को जिंदा पकड़ने की कोशिस करो ,ना पकड़ में आये तो वही मार दो लेकिन बच कर जाना नही चाहिए "

एक कमांडो अपने वाकी टोकि से किसी से बात कर रहा था ,वो डॉ के साथ ही बैठा हुआ था ,डॉ को समझते देर नही लगी की टारगेट गौरव है .......
 
अध्याय 34

रात के अंधियारे में जुगनुओं की टिमटिमाहट थी और एक घना सन्नाटा पसरा हुआ था,हॉस्पिटल का गार्ड बाहर एक दूसरे से बतियाते हुआ तम्बाकू मल रहे थे,पूरे हॉस्पिटल में पुलिस वालो का भी घना पहरा था,वाकी टोकि पर कई संदेश प्रसारित हो रहे थे,टारगेट पुलिस के जाल से भाग निकला था..

टारगेट यानी की गौरव,दोपहर से रात हो चुके थे पुलिस की कई टुकड़ियां मिलकर भी उसे नही ढूंढ पा रही थी,लोगो को अंदेशा था की वो हॉस्पिटल में जरूर आएगा क्योकि वंहा अबही डॉ चूतिया,रफीक और कविता एडमिट थे...

बस यही उसे फसाने के लिए जाल तैयार रखा गया था वही शहर के बड़े फाइव स्टार होटल में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए थे क्योकि वंहा कपूर अपनी बेटी पूर्वी के साथ मौजूद था...

जगह जगह पर कैमरे और 24 घंटो की चौकन्नी निगरानी के बावजूद गौरव के वजूद का कोई भी पता किसी को नही लग रहा था और ये कई लोगो के माथे में आये पसीने का सबब थी ..

"कविता अभी कैसी है डॉ"डॉ चूतिया ने पास खड़े डॉ से कहा

"अभी तो आई सी यु में है अभी ट्रीटमेंट चल रहै है होश में आ जाए तभी कुछ कह सकते है,हमने कई अच्छे साइकोलोजिस्ट को बुलाया है कुछ न्यूरोलॉजिस्ट और सैकेट्री भी पहुच चुके है सभी मिलकर इस केस को स्टडी कर रहे है जरूर कोई इलाज मिल जाएगा ...

डॉ चूतिया ने काफी भरे हुए दिल से अपना सर हिलाया

"और गौरव का कुछ पता चला उसे पकड़ना बेहद ही जरूरी है डॉ.."

"अभी तक तो नही लेकिन तलाश जारी है जाएगा कहा ,आपलोगो को ढूंढते हुए खुद ही जाल में फंस जाएगा.."

"अगर वो ऐसे ही जाल में फंस जाता तो कब का फंस चुका होता."डॉ चूतिया ने एक गहरी सांस छोड़ी

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दो दिन बीत चुके थे और अभी तक गौरव का कोई भी सबूत किसी को नही मिला था ,ये लोग भी गोवा से अपने शहर आ चुके थे ,गौरव ने किसी से मिलने की कोशिस नही की ये सभी के लिए आश्चर्यजनक था,लेकिन खतरे की घंटी भी थी ,

कविता की हालत में सुधार हो रहा था वो अब डॉ चूतिया के निगरानी में थी लेकिन अभी भी उन्हें नही पहचान पा रही थी लेकिन उसका व्यवहार थोड़ा नार्मल जरूर हो रहा था,डॉक्टर्स ने बताया की उसे गौरव ने कई दिनों तक शाररिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और साथ ही हेवी ड्रग्स भी दिया जिससे धीरे धीरे वो उसकी गुलाम बन गई ,कितनी अजीब बात थी की गौरव ने उसे वही ड्रग्स दिया था जो की खुद कविता ने ईजाद किया था,लेकिन पूरी सच्चाई अभी भी आनी बाकी थी ,गौरव की खोज प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जारी थी,रफीक भी बहुत हद तक ठीक हो चुका था,सब कुछ इतना शांत था मानो तूफान के पहले की शांति हो

...

****************

मन का प्यार में धोखे का दर्द पूर्वी के जेहन को तोड़ रहा था,वो जिंदा होते हुए भी कही खोई खोई सी थी ,क्या उसने गौरव से प्यार किया था हा किया था अपने जीवन में सबसे ज्यादा अगर किसी। से प्यार किया था तो वो गौरव ही था...तो गलती कहा हो गई थी ?

क्या उसने जो गौरव की आंखों में अपने लिए प्यार देखा था वो गलत था ,नही पूर्वी गलत थी उसने जो प्यार गौरव की आंखों में देखा था वो सही था तो आखिर ऐसा क्या हो गया की गौरव ने उसे इस तरह से धोखा दिया था.

इन्ही सवालों में गुम पूर्वी अपने जीवन की अकांछाओ से कही गुम हो गई थी ,वो थकी और लगभग हारी सी जिंदगी जी रही थी ,उसी अवस्था में वो अपने कमरे में गई .

कमरे का लाइट जलाते ही उसकी नजर सामने पड़ी .

वो चौकी,ना जाने कितने भावनाओ के उन्माद में डूब सी गई ,सामने बिस्तर के बाजू में सिकुड़कर बैठे हुए शख्स को देखकर उसके रोम रोम में गुस्सा और दर्द भर गया था ,लाइट जलने से वो उसे ही देख रहा था,पूर्वी ने तुरंत ही अपने पर्स में रखे हुए रिवाल्वर को निकाल कर उसके सामने तान दिया..

"तुम ..??तुम यंहा कैसे आ गए "पूर्वी की आवाज में थोड़ा डर भी था लेकिन उसने जो धोखा इस शख्स से खाया था उसके सामने मौत का दर्द भी फीका पड़ रहा था ..

गौरव कांप रहा था,वो अपने को सिकोड़ कर बैठा था जैसे उसे किसी डर ने घेर लिया हो ,उसकी आंखे लाल थी और शरीर बहुत ही दुर्बल लग रहा था ,आंखों से आंसुओ की बूंदे गिर रही थी वो कुछ बोलना चाहता था लेकिन जुबान बस लड़खड़ा कर रह जाते बड़ी ही मुश्किल से उसके होठो से आवाज निकली

"पूर्वी ..पूर्वी मैं मर रहा ह पूर्वी ..मुझे बचा लो मैं शैतान बन गया हु पूर्वी .."

उसके हर शब्द में लड़खड़ाहट थी ,वो अच्छे से बोल भी नही पा रहा था,उसने अपने हाथो से अपने अपने कानो को बंद करने की कोशिस कर रहा था वो सीधे पूर्वी की ओर ज्यादा समय तक नही देख पा रहा था ..

"क्या तुम ..क्या तुम लाइट को थोड़ा धीमा कर दोगी ,मैं तुम्हे देख नही पा रहा हु "

गौरव की ये दशा देख कर पूर्वी के सीने का दर्द और भी बढ़ गया ,ये इसे क्या हो गया था???

जिसने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट के नाक में दम कर दिया था वो शख्स अभी उसके सामने किसी मेमने सा लग रहा था,पूर्वी ने लाइट को धीमा किया अब कमरे में बहुत कम रोशनी थी लेकिन पूर्वी उसे अच्छे से देख पा रही थी ..

"वो लोग मुझे मार देंगे पूर्वी मुझे बचा लो ."

उसकी बात सुनकर पूर्वी जोरो से हँस पड़ी

"वो लोग क्या गौरव मैं तुम्हे अपने हाथो से मरूँगी ,तुमने जो किया है उसकी सजा मौत से कम नही हो सकती ,तुमने कविता के साथ जो किया वो अमानवीय था इसके लिए तो तुम्हे तड़फा तड़फा कर मारना चाहिए "

पूर्वी गुस्से से भर गई थी

"नही पूर्वी मेरी बात सुनो मैं तुम्हारे पास आया क्योकि तुम ही मुझे समझ सकती हो ,मैं तुम्हारा गौरव हु क्या तुम्हे मेरी आंखों में तुम्हारे लिए प्यार दिखाई नही देता ,क्या तुम्हे लगता है की मेरा प्यार झूठा था नही पूर्वी ,एक बार मुझे बोलने दो मुझे फसाया गया है ,जो हुआ उसमें मेरी कोई गलती नही थी पूर्वी ,मेरी गलती बस इतनी थी की मैं सही समय में बहादुरी नही दिखा पाया मैं अपने मोह और के जाल में फंस गया .."

पूर्वी उसकी बात सुनकर बुरी तरह से असमंजस में पड़ गई थी

"नही गौरव अब और नही बहुत हो गया तुम अब मुझे धोखा नही दे सकते "

इस बार गौरव थोड़ा हँसा लेकिन उसकी हंसी में उदासी थी वो अब भी वैसे ही बैठा हुआ था वो बार बार अपने हाथ पैरों को खुजलाता था ,ऐसे लग रहा था जैसे वो बेहद ही बेचैन हो बार बार करवट बदलता और इधर उधर को खुजलाता रहता ..

"पूर्वी मुझे पता है मैंने अपना भरोसा तो पहले ही खो दिया है ,याद है जब मैं परेशान था और तुमने मुझे बताया की डॉ चूतिया ने तुम्हे मेरे बारे में बहुत कुछ बताया है,मैंने तब तुमसे सवाल किया था की तुम्हे क्या लगता है की ये प्यार था या धोखा ..तुम चुप रही थी पूर्वी तुमने कुछ नही कहा था ,मुझे तभी समझ आ गया था की मैंने अपना भरोसा खो दिया है ,डॉ चूतिया ने तुमसे ना जाने क्या कहा होगा लेकिन सच मानो उसने तुमसे जो भी कहा वो उसके नजर से ही सच था,असली बात तो उसे भी नही पता...लेकिन यकीन मानो तुम्हारा मेरे जीवन में आना महज एक इत्तफाक था मुझे नही पता था की कपूर की बेटी से मैं मोहोब्बत कर बैठूंगा ,हा पूर्वी मुझे जीवन में दूसरी बात प्यार हुआ और मैं आज भी तुमसे बहुत ही प्यार करता हु .."

गौरव की बात से पूर्वी कांप गई थी उसके मन में दबा हुआ गौरव के लिए प्यार मानो उफान मारकर बाहर निकलने को बेताब था लेकिन वो कैसे भूल सकती थी की गौरव एक इंसान नही बल्कि जानवर बन चुका है .

"अपनी बकवास बंद करो और मरने को तैयार हो जाओ "

पूर्वी ने अपने हाथो को अपने रिवाल्वर में कसा लेकिन गौरव फिर से बोल पड़ा

"तुम जब चाहो मुझे मार दो ऐसे भी मैं दवाइयों के बिना मर ही रहा हु लेकिन मेरा यकीन करो मुझे फसाया गया है ,मैं गलत नही हु "

वो सर झुकाए रोने लगा ,पूर्वी को लगा जैसे उसका दिल अभी पीसीज जाएगा

"किसने ?? किसने फसाया है तुम्हे .."पूर्वी ने आराम से पूछा

"कविता ..कविता ने मुझे फसाया है पूर्वी "

कविता??????पूर्वी के आंखों में फिर से अंगारे नाच उठे थे ,उसे यकीन हो गया था की गौरव फिर से उसे धोखा देने की कोशिस कर रहा है

"अपनी बकवास बन्द करो गौरव ,बहुत हो गया जिसे खुद तुमने इतने दुख दिए वो तुम्हे फसएगी ,तुम इतने बड़े कमाने हो सकते हो मैंने ये सोचा भी नही था ..

पूर्वी की आंखों से गुस्से के अलावा आंसू भी टपकने लगे थे ..

"यकीन मानो पूर्वी ,मुझे बचा लो ,वो कविता ही थी जिसने मुझे इन झमेलो में डाल दिया,मैं डॉ चूतिया के पास जाकर उसे सब कुछ बताना चाहता था लेकिन कविता की हालत को देखकर वो मुझे ही इसका जिम्मेदार मानने लगा है और अगर मैं उसके सामने भी गया तो वो मुझे जिंदा नही छोड़ेगा ,इस दवाई ने मुझे बहुत पवार दे दी है लेकिन इतनी पवार को झेलने की मुझमें शक्ति नही है पूर्वी ,मैं इस बंगले से 500 मीटर में गुजर रहे गाड़ी की आवाज भी सुन सकता हु ,मैं परेशान हो गया हु इस शोर से ,मैं परेशान हो गया हु इस रोशनी से जो मैं बंद आंखों से भी देख सकता हु ,मैं उन सभी गंधो से परेशान हु जो मेरे नाक में अनायास ही आ रही है ,1 किलोमीटर की दूरी पर बने नाले की गंध से मेरा नाक भर रहा है वही तुम्हारे किचन में रखे हुए केक की गंध भी मेरे नाक में पड़ रही है ,मैं छोटी छोटी संवेदनाओं से परेशान हु पूर्वी मैं पागल हो रहा हु ,मेरे पास इन सबसे मुक्त होने की दवाई भी नही है ,डॉ चूतिया ने सब कुछ जला दिया है ,मुझे बचा लो पूर्वी मुझे जमीन के नीचे किसी तलघर में रखो जंहा कोई आवाज ना हो कोई रोशनी ना हो वरना मैं मर जाऊंगा मैं पागल हो जाऊंगा इन सबसे ."

पूर्वी की हालत बेहद ही खराब हो गई थी ,उसके सामने सभी वो बाते घूम रही थी जो उसने उस तलघर के बारे में सुन रखा था क्या इसका मतलब था की कविता इसलिए वंहा रह रही थी लेकिन .??

क्या गौरव सही कह रहा है या वो अभी भी उसे धोखा दे रहा है .जैसा डॉ चूतिया ने बताया था की उसका दिमाग बेहद ही तेज चल रहा है,वो इतनी सिक्युरिटी के बाद भी उसके कमरे में बैठा था ,पूर्वी को उसकी बातों में सच्चाई तो दिख रही थी लेकिन कही ना कही वो उसे मानने को भी तैयार नही थी ..

"मैं डॉ चूतिया को फोन करती हु "

उसने आखिर में फैसला किया

"नही पूर्वी वो मुझे मार देगा ,नही नही मुझे बचा लो मुझे नींद का कोई इंगजेक्शन दे दो उसके बाद चाहे जिसे बुलाना है बुला लेना ,मुझे बेहोश करके किसी हॉस्पिटल में ले चलो मैंने जो भी कहा वो डॉ चूतिया को बताना की मैंने नही कविता ने मुझे फसाया है ."

पूर्वी बेहद ही असमंजस की स्तिथि में थी ,उसने अपना मोबाइल निकाला

"किसे फोन कर रही हो "

गौरव बोल उठा

"रोहन को .."

"नही नही ..उसे नही "

पूर्वी ने उसे परखने वाली निगाहों से देखा

"सपना को फोन करो ,रोहन को देखकर मुझे गुस्सा आ सकता है ,उसने तुमने मुझसे छिनने की कोशिस की थी ,नही .."

पूर्वी के होठो में पता नही क्यो लेकिन एक मुस्कान आ गई उसे गौरव फिर से कुछ प्यारा सा लगा ,लेकिन फिर तुरंत ही उसने अपने सर को झटका दिया और सपना को फोन लगा दिया ...
 

अध्याय 35

अजीब सी हालात थी,कविता और गौरव एक ही हॉस्पिटल में थे ,दोनों ही बेहोश थे ,गौरव की कही बातों ने शक की सुई कविता की ओर भी घुमा दी थी ,ऐसे कोई इस बात पर विस्वास नही कर पा रहा था की कविता ने गौरव को फसाया होगा क्योकि वो खुद इस हालत में पाई गई थी की वो खुद गौरव के रहमोकरम में पल रही थी,डॉ चूतिया अपने आप को सम्हाले हुए थे वो कविता का बदला लेना चाहते थे लेकिन ये भी जानते थे की कोई भी बात पूरी तरह से गलत या सही नही हो सकती ,गौरव की बात में भी कोई दम हो सकता है ,

क्या सही था और क्या गलत ये पहेली तो तब ही सुलझने वाली थी जब दोनों में किसी को होश आये और वो बात करने की हालत में रहे ,कविता को होश तो आता था लेकिन उसकी कंडीशन में सुधार नही हो पा रहा था ,कई मनोचिकित्सक उसकी हालत को सुधारने की कोशिस कर रहे थे ,लेकिन उसकी हालत ऐसी थी की उसे बेड़ियों में बांध कर रखना पड़ रहा था,यही हाल गौरव का भी था ..

लोगो के पास एक ही ऑप्शन बचा हुआ था वो था इंतजार ..

डॉ चूतिया अभी गौरव के कमरे में थे जब उसे होश आया साथ ही पूर्वी और सपना भी थे,

गौरव कुछ देर तक उसे देखता रहा फिर बारी बारी से उसने पूर्वी और सपना को देखा ,अभी उसकी हालत तो ठीक थी लेकिन उसके हाथो और पैरों में अब भी बेड़िया थी ..

उसे खुद पर या ना जाने किस चीज पर लेकिन रोना आया वो रोते हुए डॉ चूतिया को देख रहा था ..

"मुझे माफ कर दो मेरे दोस्त की मैंने तुम्हे असलियत नही बताई,लेकिन मैं कविता के प्यार और उसे लेकर अपने हवस के हाथो मजबूर था,इससे अच्छा मेरे लिए क्या हो सकता था की वो तुम्हारा प्यार ठुकरा कर मेरे साथ आ जाए लेकिन उसने भी जो किया वो उसकी मजबूरी थी ,वो तो उस तलघर में टेस्ट करने के लिए गई थी,हम दोनों ही इस चीज के लिए सालों से प्लान कर रहे थे तभी वो फ़ोटो भी हमारे हाथ लगी थी,कविता तीनो बिजनेसमैन से नफरत करती थी क्योकि उसका मानना था की उन लोगो के कारण ही उसके पिता की जान गई है ,गोवा में वो पहले भी रह चुकी थी यंहा से हर एक चीज से वाकिफ थी उसे पता था की जो बंगाल वो खरीद रहे है वंहा एक तलघर भी है क्योकि पहले वो बंगला उसके किसी परिचित का ही था ,उसने सबसे छुपकर मेरे साथ उस तलघर को एक लेब में बदल किया और फिर तुमसे झूठ बोलकर हम दोनों अक्सर वहां आकर अपना प्रयोग करने लगे ,कविता ने कभी मेहनत को नही दिखाना चाहती थी वो तुम्हे इसका रिजल्ट दिखाना चाहती थी लेकिन ...लेकिन यंही उसने बड़ी गलती कर दी उसने अपने टेस्ट से निकले हुए नए दवाओं को खुद पर ही प्रयोग कर लिया और उसकी हालत बेहद ही खराब हो गई उसने वो शक्ति तो पा ली जिसके कारण वो दवाई बना रही थी लेकिन उसे सहने की क्षमता विकसित नही कर पाई ,वो लगभग पागल सी हो गई,वो बाहर नही आ पाती थी उसे बेहद ही शांत और अंधेरे से भरा कमरा ही चाहिए था,उसके सुनने और देखने और विचारों करने की शक्ति इतनी बढ़ गई की सामान्य मनुष्य की दृष्टि में तो वो कोई देवता की तरह ताकतवर हो गई लेकिन थी तो वो एक सामान्य सी इंसान ही जो उस शक्ति के लिए नही बनी थी ,उसने दिन रात एक कर दिया ताकि उस दवाई को परफेक्ट बना सके और उसकी शक्तियों को इंसान के काबू में लाने और उसके मनमुताबिक उसे बढ़ाने घटाने की क्षमता विकसित हो सके लेकिन बार बार के प्रयोगों से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा था,उसने मुझे मना किया था की मैं तुम्हे कभी उसके बारे में नही बताऊँ तो मैंने वो शेख वाली कहानी गढ़ दी ताकि किसी को भी ये शक ना हो की कविता आखिर कहा है ,दवाओं के बुरे असर से कविता मेरे ऊपर ही डिपेंड होने लगी थी ,उसकी हालत जानवरो जैसी हो रही थी और पागलों की तरह विहेब करने लगी थी ,पहले पहल तो उसने खुद को सम्हाल लिया था लेकिन धीरे धीरे वो उस ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए सेक्स का सहारा लेने लगी ,पहले तो मेरे लिए ये कोई वरदान सा था लेकिन बाद में मेरे लिए उसे सम्हालना भी मुश्किल हो गया,वो जानवर थी और जानवर ही बन गई थी ,वो मेरी दासी जैसे रहे लगी क्योकि हर चीज में उसे मेरी जरूरत थी,वक्त बीत रहा था ,उसने मुझे बताया था की उसके नोट्स की कुछ कापियां मालती के पास भी है ,हमे लगा की शायद वही वो चीजे है जो इस फार्मूले को फरफेक्ट बना पाएंगे ,लेकिन नही मैं गलत था,फिर पूर्वी मेरे जीवन में आयी पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया,मैं वासना का शिकार था मैं दो लड़कियों से संबंध में था लेकिन पहली बार मुझे लगा की सच्चे प्यार की बात ही कुछ अलग होती है ,लेकिन पूर्वी को पाने में सबसे बड़ी बाधा तो मालती खुद थी और साथ ही कविता,तब तक कविता अपने अतीत को भी भूल चुकी थी मेरे लिए वो बस एक बोझ थी जिसे मैं ढो रहा था,लेकिन कही ना कही मैंने उससे प्यार किया था और मैं किसी भी हालत में जिंदा रखना चाहता था,मुझे उमीद थी की एक दिन मैं ऐसा कुछ बना ही लूंगा जिससे मैं कविता को फिर से ठीक कर सकू लेकिन मैं जानता था की मैं उसके जैसा बुद्धिमान नही हु जब वो ये नही कर पाई तो मैं कैसे कर पाऊंगा,लेकिन मैंने कोशिस जारी रखी मेरे साथ सपना थी ,मालती थी जो दोनों ही टैलेंटेड थी ,मैं इसी उम्मीद में जुटा रहा की एक दिन मैं कुछ कर पाऊंगा ,मैंने पूर्वी से प्यार किया उससे शादी की सब कुछ ठीक था लेकिन फिर पूर्वी तुमसे मिली ..

और उसके विचारों में परिवर्तन आने शुरू हो गए ,वो मुझे शक के निगाहों से देखने लगी ,मुझे तो इन चीजो पर पहले भी शक हो रहा था लेकिन मैं चुप रहा,क्योकि मुझे लगता था की पूर्वी और मेरे बीच जो प्यार है वो थोड़ी मोड़ी बातों से नही टूटेगा लेकिन शायद मैं गलत था ,तुमने अपना दिमाग और ज्यादा लगाया और रफीक को यंहा शेख का बेटा बना कर ला दिया,मुझे पता था की शेख का इन सबसे कोई संबंध नही था,क्योकि शेख तो कब का जा चुका था लेकिन मैं बोल भी तो कुछ नही पा रहा था,मेरे पीछे कविता का वचन था और सामने पूर्वी का प्यार ,मैं तो खुद में ही फंसा हुआ इंसान था,कविता को मैं दुनिया के सामने नही ला सकता था तुम्हे नही बता सकता था और तुम थे जो मुझे ही कविता का कातिल माने बैठे थे,मैं जानता था की तुमने रफीक को यंहा क्यो लाया है क्योकि तुम्हे लगता है की मैं ही कविता का कातिल हु जिसने कविता को मार कर कही गायब कर दिया होगा और फिर शेख का नाम लगा दिया,मैं ये भी जानता था की मेरी इस थ्योरी पर दुनिया भले ही यकीन कर ले लेकिन तुम नही करोगे ,तुमने मुझसे दोस्ती तोड़ दी और फिर मेरी बीवी को अपने जाल में फसाने लगे ,तुनमे पूर्वी को बताया की तुम और कविता कैसे एक दूसरे को प्यार करते थे और फिर मेरे कारण तुम अगल हुए,पूर्वी भी शायद तुम्हारी बातों में आ गई लेकिन वो खुद को कन्फर्म करना चाहती थी ,वो भी इस खेल में शामिल हो गई ,सभी बस तुम्हारे बिछाए मोहरे बन कर रह गए थे लेकिन मैं अपने काम में ही लगा हुआ था,तुम लोगो ने तो मुझे जलाने में भी कोई कसर नही छोड़ी पूर्वी की केमेस्ट्री रोहन और रफीक के साथ ऐसे बिठाने की कोशिस की कि मैं जलकर कुछ ऐसा कर जाऊ की मेरे गुनाह तुम्हारे सामने आ जाए ,तुम सही भी थे मैंने कुछ ऐसा किया भी,मैंने अपने प्रयोगों को तेजी दे दी लेकिन जो रिजल्ट मेरे सामने आया वो खतरनाक था,

मैंने पहले खुद के सेफ्टी की सोची और सपना को किसी डॉ का इंतजाम करने को कहा,और फिर डॉ के सामने ही उस दवाई की डोस ली जो मैंने कविता के पुराने फार्मूले में जरूरी बदलाव करके बनाया था,मुझे कुछ भी नही हुआ लेकिन मैं उसकी शक्ति को महसूस करने लगा मुझे लगा की मैंने इसे फरफेक्ट बना लिया है लेकिन मैं गलत था,घर आकर मुझे वो सब होने लगा जो मुझे नही होना था ,अत्यधिक गुस्सा,जो कविता के बनाये फार्मूले में नही होता था लेकिन मैं एक अजीब सा जानवर बनने लगा,मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं इस पूरे दुनिया को ही नष्ट कर दु,मेरे सामने वो सब चीजे चलने लगी जो पूर्वी और तुमने मुझे जलाने के लिए किया था मैं पूर्वी के लिए गुस्से से भरने लगा था,उसी पूर्वी के लिए जिसे मैंने जीवन में सबसे ज्यादा चाहा था,मेरी शक्तियां तो मेरे कंट्रोल में थी लेकिन मैं खुद के कंट्रोल में नही था..

बाकी जो भी हुआ तुम जानते हो ,मैंने सोचा था की ये दवाई बेड इफेक्ट नही दिखाएगी लेकिन जैसे जैसे मैं अपने को शांत करने के लिए शराब पीता गया मेरे अंदर वो इफेक्ट आने शुरू हो गए जो मैंने कविता के अंदर देखे थे,मैं बुरी तरह से डरा हुआ था साथ ही मैं बेहद ही गुस्से में भी था,मुझे तो तुरंत ही गोवा निकल जाना था लेकिन मैं पूर्वी से मिले बिना नही जाना चाहता था,पहले तो मैंने सोचा था की मैं वो गलती नही करूंगा जो कविता ने की थी ,तुम्हे बिना बताए ही गायब हो गई थी लेकिन शाम होते होते मैं खुद ही एक शैतान में तब्दील हो चुका था...मुझे फिर से दवाई की डोस लेनी पड़ी ,सब ठीक हो गया लेकिन गुस्सा और भी बढ़ गया ,कही ना कही मेरा दिमाग ये समझ रहा था की ये गलत है इतना गुस्सा गलत है मैं शैतान बन रहा हु लेकिन मेरा खुद पर से काबू हट रहा था ,और फिर जो हुआ वो तुम जानते ही हो ,तुमने तो उस तलघर में रखे पूरे फार्मूले और दवाइया जला दिया और मैं इस हालत में पहुच गया जिसमे कभी कविता जीती थी,उसके पास थो वो तलघर था जंहा वो दुनिया से छिपकर रह सकती थी लेकिन मेरे पास तो कुछ भी नही बचा था,मुझे आशा की एक ही उम्मीद दिख रही थी वो थी पूर्वी ...ना जाने मुझे अब भी यकीन था की इतना सब कुछ होते हुए भी पूर्वी के दिल में मेरे लिए प्यार है और मैं सीधे उसके पास चला आया,मेरा दिमाग इतना तेज काम कर रहा था की कोई भी बाधा कही भी मुझे रोक नही पाई लेकिन शरीर काम करना बंद करने लगा था,मुझे नींद चाहिए थी एक बेहोशी चाहिए थी जिसके बाद मेरा इलाज शायद संभव हो सके ..ह्म्म्म अब ठीक लग रहा है ..."

गौरव की बात सुनकर सभी चुप थे ,गौरव की आंखों में पानी था वही पानी डॉ चूतिया और पूर्वी के आंखों में था ,दोनों ने ही गौरव को कितना गलत समझा था,हा वो गलत तो था लेकिन कितना ये तो कविता के जगाने के बाद ही पता चलता.

इतना तो साफ था की उन्होंने जितना बुरा उसे माना था वो उतना बुरा नही था ,उससे गलती तो हुई थी और सबसे बड़ी गलती थी की उसने कविता का राज डॉ से छिपाया था भले ही कविता के ही कहने पर लेकिन कही ना कही उसके खुद का भी तो स्वार्थ था ,उसने पूरी ताकत कविता को ठीक करने के लिए लगाई थी लेकिन खुद ही फंस गया था ,सब कुछ पता होने के बाद भी वो उस खेल में सबको जितने दे रहा था ,चाहे रफीक का आना हो या सपना का उसे लुभाना या पूर्वी का रोहन और रफीक की ओर आकर्षण हर खेल उसे ही बहकाने के लिए खेला जा रहा था और वो सबको चुपचाप देखता हुआ बस अपने काम में लगा हुआ था,कमरे में घनी शांति थी किसी को कुछ भी समझ नही आ रहा था की उससे क्या कहे ,वो दोषी था भी की नही और था तो किस चीज का ये कोई भी तय नही कर पा रहा था ....

"मेरी कविता अब भी बेहोश है गौरव .और तुमने जो किया वो माफी की काबिल नही है,तुमने मेरे प्यार को मुझसे छीन लिया अरे मैं भी तो तेरा दोस्त था,इतना तो मुझपर भी भरोसा करना था की मैं कविता की हिफाजत तुझसे ज्यादा कर पाता,लेकिन तू तो उसे अपनी गुलाम बना कर रखना चाहता था "

डॉ ने हल्के से कहा

"तेरी बात सही है डॉ लेकिन पूरी तरह से नही ,मैं शुरवात में ही ऐसा सोचता था लेकिन बाद में कविता को ठीक करना और उसको दिए वचन की रक्षा करना ही मेरे लिए महत्वपूर्ण रह गया था,वो मेरा भी प्यार थी ,हा मैं मानता हु की उसके लिए मेरे दिल में प्यार कम और हवस ज्यादा था लेकिन एक समय के बाद वो मेरे लिए मेरी जिम्मेदारी बन गई थी ,मैं उससे सिर्फ शाररिक सुख नही चाहता था ,असल में मैं उसके हालात बिगड़ने के बाद से मैंने कभी उससे संबंध नही बनाये लेकिन वो ऐसा व्यवहार करने लगी थी और उसे सम्हालने के लिए मुझे उसके साथ ऐसा व्यवहार करना पड़ता था,वरना वो आक्रामक हो जाती ,हा मैं गलत तो हु डॉ और जो सजा तूम और कविता मुझे देना चाहो मुझे मंजूर है."

डॉ चूतिया कुछ भी नही बोल पाया .

**************

दो महीने हो चुके थे ,गौरव की हालत बहुत ही अच्छी हो चुकी थी वो अब हॉस्पिटल से भी बाहर आ चुका था और अपने काम में लग चुका था लेकिन कविता के हालत में कोई सुधार नही हुआ था,गौरव को अभी तक कोई भी सजा नही दी गई थी उसके ऊपर लगे सभी चार्जेस भी हटा दिए गए थे ,पूर्वी अब अपने पिता के साथ ही रह रही थी और गौरव अपने पुराने घर में ,दोनों मिलते थे सामान्य रूप से बाते भी करते थे लेकिन अभी भी पूर्वी अभी भी गौरव को लेकर कोई मजबूत फैसला नही ले पाई थी और गौरव भी इस चीज को समझता था,अब उसे बस कविता के सही स्तिथि में आने का इंतजार था ,क्योकि शायद उसके ठीक होने पर ही चीजे सामान्य हो सके ,उसने और सपना ने फैसला किया था की वो कविता को ठीक करने के लिए जी जान लगा देंगे ,उन्होंने कविता के ब्लड का सेम्पल लेकर उसपर रिसर्च करना शुरू किया,इस बार उन्होंने एक मजबूत टीम बनाई और कुछ पाने के लिए नही बल्कि उन साइड इफेक्ट्स को हटाने के लिए मेहनत करनी शुरू कर दी,उसके टीम में कई क्षेत्र के लोग थे जिनमे अधिकतर डॉ और वैज्ञानिक थे,इसके साथ ही विहेवियर साइस से जुड़े हुए लोग भी शामिल थे .ठीक होने के बाद से ही गौरव इस प्रोजेक्ट में भिड़ा हुआ था,पूरी फंडिंग कपूर साहब कर रहे थे शायद उन्हें भी अपने अतीत की गलतियों का अहसास था और ये उसे सुधारने की ही एक कोशिस थी .

2 महीनों के अथक प्रयास और कई टेस्ट के बाद कविता के स्तिथि में सुधार आनी शुरू हो गई ,यंहा सभी अपना पाप ही तो धो रहे थे ,कविता का अच्छा होना कई लोगो के पापों से मुक्ति का पर्याय थी,हर बार कविता की स्तिथि थोड़ी ठीक होती और खुशी और उम्मीद की लहर दौड़ जाती थी ,

हॉस्पिटल में डॉ चूतिया कविता के पास ही बैठा था वो अभी बेहोश थी अधिकतर समय वो सोते ही रहती थी क्योकि ये उसके लिए सबसे जरूरी था,अचानक उसे थोड़ी हलचल महसूस हुई कविता उठाने वाली थी ,महीनों से यही चल रहा था ,हर बार कविता होश में आती और डॉ चूतिया इसी उम्मीद से उसे देखता की इस बार उसकी कविता उसका नाम लेकर पुकारेगी लेकिन हर बार मायूसी ही हाथ लगती थी ,वो ज्यादा शांत तो हो रही थी लेकिन अभी भी किसी को नही पहचान पा रही थी ,लेकिन डॉ चूतिया फिर से उम्मीद लेकर वंहा पहुच जाता चाहे उम्मीद टूटे या पूरा हो उम्मीद बाकी थी ये भी क्या कम था.

"तुम .."

कविता की आंखे डॉ चूतिया पर ही टिकी थी ,डॉ की आंखों में आंसू था उसे लगा जैसे कविता की आंखे उसे पहचानने की कोशिस कर रही है ..

"मैं तुम्हारा चुन्नी हु कविता ,क्या तुम्हे याद है "

"चुन्नी ..???"

कविता की आवाज बेहद ही कमजोर थी लेकिन उसकी आंखों में एक आश्चर्य था ,वही आश्चर्य डॉ चूतिया के लिए आशा की एक किरण थी ..

"तुम्हारा चुन्नी ..तुम्हारा चूतिया ..याद है तुमने ही तो मुझे ये नाम दिया था तुम ही तो हो जिसने मुझे चुन्नीलाल से चूतिया बनाया था ..याद है तुम्हे कविता .."

डॉ का गाला भर चुका था,उसके आंखों से आंसू झर रहे थे.

"ह्म्म्म याद है शायद ,तुम्हे देखा है कही "

डॉ के रोम रोम में जैसे करेंट सा दौड़ गया ,उम्मीद और उमंग का करेंट उसकी कविता को वो याद आ रहा था ..

"मेरी जान .."वो फफक पड़ा था..उसने अपना सर कविता के पेट में रख दिया था

"तुम रो क्यो रहे हो चुन्नी .."कविता का हाथ डॉ के सर में आ गया वो उसे सहला रही थी ,कविता को एक महीने पहले ही बेड़ियों से आजाद कर दिया गया था अब वो आक्रामक नही थी लेकिन उसे कुछ याद भी नही था,वो अब चल फिर रही थी लेकिन अजीब सी दुनिया में खोई रहती थी .

कविता के मुह से अपना नाम सुनकर डॉ को ऐसा लगा जैसे उसकी दुनिया फिर से गुलजार हो गई हो ..

"मैं तुम्हारा चुन्नी हु कविता "

उसने सिसकते हुए कहा

"पहचाने से तो लगते हो "

कविता के होठो में इतने दिनों में पहली बार मुस्कान खिली थी ,वो दोनों वंहा से उठे और कविता के साथ वो हॉस्पिटल के गार्डन में पहुच गया..जिसने भी उन्हें देखा उनके होठो में मुस्कान खिल गई ,वंहा काम करने वाले सही कविता के करुण कहानी से वाकिफ थे साथ ही डॉ के प्यार को भी महसूस कर पाते थे जो की महीनों से दिन रात बस उसके साथ ही रहता था..

आज कविता के होठो में मुस्कान थी उसे लग रहा था जैसे वो किसी नींद से जगी हो और किसी अपने का साथ उसे मिल गया हो वही डॉ तो बस कविता के सुधारते हालात से ही खुश था,वो गौरव और सपना के अथक मेहनत की भी तारीफ करता नही थकता,उसके दिल में अब गौरव के लिए कोई भी द्वेष नही था उसे तो बस अपनी कविता वापस चाहिए थी ...

शाम का वक्त था और सूर्य खुद को छिपा रहा था उसकी लालिमा कही दूर बदलो से छनकर आ रही थी ,दोनों उसे ही देख रहे थे.

"क्या तुमने ऐसा नजारा कही देखा है ..."

डॉ की बात सुनकर कविता के आंखों में आंसू आ गए

"समुंदर का किनारा था,मैं रेत में बैठी थी सामने विशाल समुद्र में सूर्य ऐसे ही ढल रहा था,कुछ याद आ रहा है की किसी ने मेरा हाथ ऐसे ही पकड़ा था जैसे अभी तुमने पकड़ा है ,मैं उस प्यार भरे स्पर्श को कैसे भूल सकती हु ,"

कहते कहते कविता की आंखे भीग गई ,उसने मुड़कर देखा ये वही शख्स था जो उसके साथ बैठा था उसके होठो में वही प्रेम से भरी हुई मुस्कान खिली हुई थी ,कविता को याद तो अभी भी कुछ नही था लेकिन उसके नैनो से आंसुओ के झरने बहते गए दोनों ही एक दूसरे को देख रहे थे ,कविता उस समय उस शख्स के हाथो के स्पर्श में भरे हुए प्यार की तुलना अभी इस शख्स के हाथो के हाथो में भरे हुए प्रेम से कर रही थी वो दोनों की समानता को अनुभव कर पा रही थी ,ना जाने क्यो वो रो रही थी,उसे देखकर डॉ की भी हालत वैसे ही थी,कुछ अनजान सा कविता के अंदर से टूट रहा था और कुछ अपना सा उसके अंदर जाग रहा था.

ना जाने कितनी देर तक वो दोनों ही यू रो रहे थे,कविता उसके सीने से खुद को लगाकर घण्टो तक आंसू बहती रही ,वहां मौजूद हर शख्स की निगाह उनपर ही टिक गई थी,फोन की घंटियां बजने लगी थी जिसे भी ये सूचना मिल रही थी वो अपना सारा काम धाम छोड़कर भागा हुआ हॉस्पिटल पहुच रहा था,1 ही घण्टे में सभी लोग वंहा मौजूद थे,गौरव कुछ आगे बढ़ा लेकिन किसी ने उसका हाथ पकड़ कर रोक दिया ..

"रोने दो उसे जो दुनिया की कोई दवाई नही तोड़ पाई शायद वो दीवार प्रेम के वार से टूट जाए,शायद रोकर वो सब कुछ बहा ले जाए जो कविता के अवचेतन को बांधे हुए है "

एक मनोचिकित्सक ने कहा और गौरव वही रुक गया सभी कविता का रोना खत्म होने के इंतजार में थे और उन्हें अकेला छोड़ दूर बैठे देख रहे थे,,,डॉ के सीने में छिपी हुई कविता अलग हुई लेकिन डॉ उसे छोड़ने को तैयार नही था ,आखिर वो अलग हुए दोनों ने एक दूसरे को देखा ,जंहा डॉ के होठो में मुस्कान थी वही कविता के चहरे में एक आश्चर्य था.

"चुन्नी क्या हुआ था मुझे ,ऐसा लग रहा है जैसे किसी गहरी नींद से जागी हु ...कहा है हम और तुम ???मैं तो गौरव के साथ थी ना..?? क्या उसने उस फार्मूले को सुधार लिया ,क्या गौरव ने वो काम पूरा कर लिया जो मैंने उसे दिया था .."

कविता आसपास को देख रही थी वही डॉ ने उसे और भी जोरो से जकड़ लिया वो फफक कर रो पड़ा.

"तुम लौट आयी कविता तुम लौट आयी.."

सब कुछ कविता के समझ के पर था लेकिन उसे अहसास था की कुछ अनहोनी हुई है ,उसे आखिरी बार की जो याद थी वो गौरव के साथ तलघर में बिताए हुए कुछ समय थे ,उसके आंखों में कुछ दृश्य नाच गए और वो कांप सी गई ,उसे महसूस हुआ की कोई बुरा सपना जैसे अचानक से खत्म हो गया हो .....

************

कविता ठीक हो चुकी थी उसके साथ जो भी हुआ उसे बताया गया,वो ही उस दवाई की जननी थी और शायद यही कारण था की उसने गौरव को माफ कर दिया था,बल्कि उसने गौरव का शुक्रिया अदा किया की उसने कविता को इतने दिनों तक बचा कर रखा ,उसकी हिफाजत की और उसे ठीक करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया,कविता के माफ कर देने के बाद डॉ के लिए गौरव को कहने के लिए कुछ बचा ही नही था,बस उसने गौरव से माफी मांगी क्योकि उसने गौरव को गलत समझा था,पूर्वी और गौरव अब साथ हो चुके थे वही रफीक और बल्ला अपने घरों को निकल गए लेकिन इस बार गुंडे बनकर नही बल्कि रोहन ने उन्हें अपनी कंपनी में जॉब दे दिया था और उन्हें उनके ही शहर का मार्केटिंग हेड बना दिया था.

सभी खुश थे सिवाय सपना और रोहन के ..

वो दोनों अभी अभी अपने जिस्म की आग को शांत कर सिगरेट पी रहे थे.

"यार रोहन सब ठीक हो गया लेकिन हमारी जिंदगी ही खत्म हो गई "

"क्यो???"

"अब मैं पूर्वी से कभी नफरत नही कर पाऊंगी ,किससे कंपीटिशन करूंगी अब ??"

"हा यार साला मैं भी अब किसे लाइन मारूंगा...एक उम्मीद थी वो भी गई "

"अब क्या करे यार ??"
रोहन बहुत देर तक सोचा

"क्यो ना हम दोनों शादी कर ले ??"

सपना ने रोहन की ओर बड़े ध्यान से देखा और जोरो से हँस पड़ी

"चुप साले ,माजक की भी कोई हद होती है "

"मैं मजाक नही कर रहा हु ,सोच ना हम दोनों एक ही जैसे है ,सालों हो गए एक दूसरे के सिवा किसी के साथ सोए भी नही है ,और अगर सो भी जाते तो कोई प्रॉब्लम नही होगी ..हमारी आदतें भी एक सी है ,और मैं तुझसे प्यार भी तो करता हु ."

"कब से "

"हमेशा से तू मेरी सबसे अच्छी दोस्त है "

सपना सोच में पड़ गई थी

"देख सपना हम दोनों एक दूसरे के जैसे है ,और एक दूसरे को समझते भी है ...आज तक हम कभी लड़े क्या??..हम एक दूसरे के लिए फरफेक्ट है बे "

सपना के होठ में मुस्कान आ गई

"क्या हुआ .???"

"इसी बात पर हो जाए एक बार और "

सपना ने मुस्कुराते हुए कहा ....

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समाप्त
 
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