इस घटनाक्रम के बाद ये सवाभाविक था की कुछ दिन बात नहीं होगी, इसलिए मैंने ज़ायदा धयान नहीं दिया और अपने दिनचर्या के अनुसार व्यस्त रहा, इस घटना के बाद मुझे अब चन्द्रमा और उसकी कहानी पर शक होने लगा था, अच्छा भी था अभी तो नयी नयी दिल्लगी शरू हुई थी इसलिए चूतिया कटा भी तो ज़ायदा मलाल नहीं होगा, पहले के दोनों रेलशियनशिप कई कई साल पुराने थे इसलिए जब टूटे तो साथ में मुझे भी तोड़ गए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ था बात आगे बढ़ती उस से पहले ही सिचुएशन बदल चुकी थी और मैं संभल गया था, मुझे कौन सा शौक चढ़ा था बार बार दिल तुड़वाने का।
लगभग पूरा महीना बीत जाने के बाद एक दिन चन्द्रमा का कॉल आ ही गया, इधर उधर के बात की, फिर मैंने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए दीपक की कॉल के बारे में पूछा, उसने संछेप में बताया की उस से फाइनल ब्रेकअप हो गया है अब वो उसको या और किसी को परेशान नहीं करेगा, सुन के अच्छा लगा की एक काँटा तो कम से कम ख़तम हुआ, लेकिन पता नहीं क्यों उस दिन बात करने में कुछ खास मज़ा नहीं आया कर ना ही कोई प्यार वाली भावना जागी।
समय गुज़रता रहा हूँ चन्द्रमा से कभी कभार बात होती थी लेकिन अब बात करने में वो पहले वाली ना फीलनिंग्स थी ना इमोशंस थे जस्ट रेगुलर वाली बात चीत, इसी बीच में मेरे एक क्लाइंट जो फरीदाबाद में ही था, के यहाँ जॉब ओपनिंग निकली, काम बहुत आसान था और कोई खास क्वालिफिकेशन या डिग्री की ज़रूरत माहि थी और पगार भी ठीक ठाक थी, मैंनेचन्द्रमा को बता दिया लेकिन ये नहीं बताया की मैं इस कंपनी को अच्छे से जनता हूँ, चन्द्रमा तो जॉब ढूंढ ही रही थी इसलिए नौकरी और आसान काम का सुनते ही खुश हो गयी। एक दो दिन बाद चन्द्रमा ने बताया की उसने जॉब ज्वाइन कर ली है और सब ठीक है और नौकरी पा कर खुश है, उसने नौकरी मिलने की ख़ुशी में मुझे ट्रीट देने की पेशकश की लेकिन मैंने बाद में देने के लिए कह दिया।
जॉब पर चन्द्रमा को जाते जाते लगभग महीना से ऊपर हो गया था, एक दिन संयोग से मैं किसी काम से फरीदाबाद में ही था जब फ्री हुआ तो शाम का टाइम हो चूका था, टाइम देखा तो लगभग ५ बज रहे थे, चन्द्रमा की छुट्टी का टाइम ६ बजे था, जॉब मैंने लगवाई थी तो मुझे उसके वर्किंग हावर्स अच्छे से पता थे, मैंने बाइक उसकी कंपनी की और घुमा दी, मैं चाहता तो सीधा उस से उसके ऑफिस में भी मिल सकता था, लेकिन मैं देखना चाहता था, आखिर इतनी खींची खींची होने की वजह, जहाँ घटना से पहले तक वो सीधा बाँहों में आने को तत्पर थी अब वो बिलकुल अजनबी की तरह बात करती थी खैर मैंने बाइक उसके ऑफिस के पास एक चाय की टापरी पर रोकी, पानी की बोतल लेके हाथ मुँह धोया और ठीक ठाक बन के चन्द्रमा की छुट्टी होने का इन्तिज़ार करने लगा, मेरा इरादा केवल इतना था की अगर कुछ खास नहीं दिखा तो मैं उसे कॉल करता और बताता की मैं उसके ऑफिस के पास ही हूँ और अगर वो चाहे तो हम दोनों कुछ देर साथ साथ घूमेंगे और फिर कुछ खाएंगे और फिर निकल जायेंगे अपने अपने घर। लेकिन जैसा सोचा हो अगर वैसा ही हो तो ज़िन्दगी बड़ी आसान होती, आसान ज़िन्दगी केवल फिल्म और सपने में ही संभव है।
आखिर थोड़ी देर में उसके ऑफिस से स्टाफ निकलता दिखाई दिया और उनके पीछे पीछे चन्द्रमा, दूर से ही पहचान में आगयी, पिंक सूट, पटियाला शलवार में गजब की सुन्दर लग रही थी, कई महीने के बाद देख रहा था, वो धीरे धीरे चल कर रोड की और बढ़ी तो और क्लियर देख पाया, पहले से बहुत निखार गयी थी, रंग निखर के गोरा भक हो गया था और जिस्म पर भी थोड़ा मॉस चढ़ गया था, चूचियां और उभरी और कठोर दिख रही थी, पटियाला सलवार में होने के बाद भी गाड़ के उभार अपने और भर जाने का एलान कर रहे थे, मन में एक कुहुक सी उठी, अगर उस दिन बेकार की बकचोदी ना हुई होती तो शायद अब तक इसका नंगा जिस्म तो देख लिया होता, खैर कोई बात नहीं मैं भी हार नहीं मांनने वाला था, मैंने अभी उसी पल ठान लिया की चाहे जो हो जाये इस कली का रास तो पी कर रहूँगा।
मैंने चन्द्रमा को देख के वापिस अपनी बाइक पर पहुंचा और स्टार्ट करके धीरे धीरे उसके पीछे चल दिया, मेरे और चद्र्मा के बीच में लगभग २०० मीटर की दुरी रही होगी, चन्द्रमा आगे आगे और मैं उसके पीछे बाइक को धीमी गति से चलता हुआ बाहर रोड पर आगया।
जैसे ही रोड पास आया मैंने देखा चन्द्रमा ने अपन फ़ोन अपने कान पर लगाया और किसी से बात करने लगी, वो बात करते करते रोड पर पहुंची और इधर उधर देखने लगी तभी अचानक एक स्प्लेंडर बाइक चन्द्रमा के पास में आकर रुकी और उस पर सवार लड़के ने उसे कुछ कहा, लड़का कोई 24-२५ साल का रहा होगा, लड़के ने हेलमेट नहीं लगाया हुआ था इसलिए मैं उसकी श्कल आराम से देख सकता था, सांवला या कह लो काला रंग, पतला दुबला शरीर, ओके टाइप लड़का, लेकिन कपडे एक दम भड़काऊ छपरी वाले, बालो में भी कलर लगाया हुआ।चन्द्रमा चुपचाप लड़के के पीछे बैठ गयी, बैठते टाइम उसने अपने और उस लड़के में एक डिस्टेंस बना रखी थी, चद्र्मा के बैठे ही लड़के ने गाडी झटके से आगे बढ़ा दी, मैं भी चुपचाप उनके पीछे पीछे चल दिया,
लड़का गाडी पूरी रफ़्तार से चला रहा था मैंने भी अपनी गाडी की स्पीड बढ़ा के उनके नज़दीक पंहुचा तो देखा की जो डिस्टेंस चन्द्रमा ने बैठते टाइम मेन्टेन की थी वो अब गायब है, चन्द्रमा ने लड़के की कमर में दोनों हाथ डाल के कस के पकड़ रखा था इतना कस के पकड़ा था की उसकी चूचियां लड़के के पीठ में घुसी पड़ी थी, ये सीन देख के मेरा दिमाग भन्ना गया और झांटे सुलग गयी, बहनचोद जो कोई भी है मज़े ये लौंडा ले रहा है, लग रहा है साले ने मेरे माल पर हाथ साफ़ कर दिया है, मन कर रहा था की चलती बाइक में पीछे से लात मार दू दोनों वही गिर जाये और साले लौंडे को धर के पेलू
लेकिन अफ़सोस केवल सोंच सकता था और फिर इसमें लौंडे की क्या गलती, यही सब दो महीने पहले मेरे साथ कर रही थी मुझे मज़ा आरहा था आज इसको मज़ा दे रही है तो इसको मज़ा आरहा है, कुछ १५ मिनट के बाद वो एक ऐसे मोहल्ले टाइप एरिया में पहुंचे जो था लोअर क्लास के लोगो का था, वहा पहुंच कर लड़के ने बाइक साइड में लगायी और फिर वो दोनों कुछ बात करने लगे, लगभग १० मिनट की बातचीत के बाद दोनों ने एक दूसरे को बाई बोला और दोनों अपनी अपनी दिशा की ओर बढ़ गए, मैं भी चन्द्रमा के पीछे पीछे चल दिया, कुछ 4-५ गलिया छोड़ कर वो एक गली में जा घुसी, मैंने गली में झाँक कर देखा, गली में अँधेरा था, गली देख के अंदाज़ा हो गया की चन्द्रमा यही रहती है और ये लड़का उसे ड्राप करने आया था।
मैं भी वापस अपने घर की ओर चल दिया मेरे पास अब करने के लिए कुछ नहीं बचा था, रास्ते भर सोचते सोचते मैंने ये आईडिया तो लगा लिया था की हो ना हो ये लड़का दीपक ही है और चन्द्रमा ने झूट बोला की उसका फाइनल ब्रेकअप होचुका है, लेकिन समझ नहीं आरहा था की मुझसे झूट क्यों बोला, सीधा बोल देती की मेरा पैच उप हो गया है मेरे एक्स बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए हम केवल दोस्त हो सकते है उस से आगे कुछ भी नहीं, लेकिन फिर भी उसने झूट बोला और मज़े की बात की अब उसकी बातों लग रहा है की वो फ्रिंडशिप्से आगे कुछ चाहती भी नहीं है।
खैर इस मिस्ट्री ने मेरा दिमाग ख़राब कर दिया था और मैंने डिसाइड कर लिया की कुछ न कुछ ठोस करना ही है ऐसे चूतिया बन के नहीं रह सकता, पहले प्यार का बीज बोया फिर सेक्स वाली फीलिंग्स जगा दी और जब मैं रेडी हूँ तो खड़े लण्ड पर धोखा वाली बात कर दी, अब बस बहुत हुआ, प्यार वायर गया तेल लेने अब चाहे जो हो चन्द्रमा की चूत मारनी है, साली को अगर अपने लण्ड का दीवाना ना बनाया तो मेरा नाम भी समीर नहीं।
लगभग पूरा महीना बीत जाने के बाद एक दिन चन्द्रमा का कॉल आ ही गया, इधर उधर के बात की, फिर मैंने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए दीपक की कॉल के बारे में पूछा, उसने संछेप में बताया की उस से फाइनल ब्रेकअप हो गया है अब वो उसको या और किसी को परेशान नहीं करेगा, सुन के अच्छा लगा की एक काँटा तो कम से कम ख़तम हुआ, लेकिन पता नहीं क्यों उस दिन बात करने में कुछ खास मज़ा नहीं आया कर ना ही कोई प्यार वाली भावना जागी।
समय गुज़रता रहा हूँ चन्द्रमा से कभी कभार बात होती थी लेकिन अब बात करने में वो पहले वाली ना फीलनिंग्स थी ना इमोशंस थे जस्ट रेगुलर वाली बात चीत, इसी बीच में मेरे एक क्लाइंट जो फरीदाबाद में ही था, के यहाँ जॉब ओपनिंग निकली, काम बहुत आसान था और कोई खास क्वालिफिकेशन या डिग्री की ज़रूरत माहि थी और पगार भी ठीक ठाक थी, मैंनेचन्द्रमा को बता दिया लेकिन ये नहीं बताया की मैं इस कंपनी को अच्छे से जनता हूँ, चन्द्रमा तो जॉब ढूंढ ही रही थी इसलिए नौकरी और आसान काम का सुनते ही खुश हो गयी। एक दो दिन बाद चन्द्रमा ने बताया की उसने जॉब ज्वाइन कर ली है और सब ठीक है और नौकरी पा कर खुश है, उसने नौकरी मिलने की ख़ुशी में मुझे ट्रीट देने की पेशकश की लेकिन मैंने बाद में देने के लिए कह दिया।
जॉब पर चन्द्रमा को जाते जाते लगभग महीना से ऊपर हो गया था, एक दिन संयोग से मैं किसी काम से फरीदाबाद में ही था जब फ्री हुआ तो शाम का टाइम हो चूका था, टाइम देखा तो लगभग ५ बज रहे थे, चन्द्रमा की छुट्टी का टाइम ६ बजे था, जॉब मैंने लगवाई थी तो मुझे उसके वर्किंग हावर्स अच्छे से पता थे, मैंने बाइक उसकी कंपनी की और घुमा दी, मैं चाहता तो सीधा उस से उसके ऑफिस में भी मिल सकता था, लेकिन मैं देखना चाहता था, आखिर इतनी खींची खींची होने की वजह, जहाँ घटना से पहले तक वो सीधा बाँहों में आने को तत्पर थी अब वो बिलकुल अजनबी की तरह बात करती थी खैर मैंने बाइक उसके ऑफिस के पास एक चाय की टापरी पर रोकी, पानी की बोतल लेके हाथ मुँह धोया और ठीक ठाक बन के चन्द्रमा की छुट्टी होने का इन्तिज़ार करने लगा, मेरा इरादा केवल इतना था की अगर कुछ खास नहीं दिखा तो मैं उसे कॉल करता और बताता की मैं उसके ऑफिस के पास ही हूँ और अगर वो चाहे तो हम दोनों कुछ देर साथ साथ घूमेंगे और फिर कुछ खाएंगे और फिर निकल जायेंगे अपने अपने घर। लेकिन जैसा सोचा हो अगर वैसा ही हो तो ज़िन्दगी बड़ी आसान होती, आसान ज़िन्दगी केवल फिल्म और सपने में ही संभव है।
आखिर थोड़ी देर में उसके ऑफिस से स्टाफ निकलता दिखाई दिया और उनके पीछे पीछे चन्द्रमा, दूर से ही पहचान में आगयी, पिंक सूट, पटियाला शलवार में गजब की सुन्दर लग रही थी, कई महीने के बाद देख रहा था, वो धीरे धीरे चल कर रोड की और बढ़ी तो और क्लियर देख पाया, पहले से बहुत निखार गयी थी, रंग निखर के गोरा भक हो गया था और जिस्म पर भी थोड़ा मॉस चढ़ गया था, चूचियां और उभरी और कठोर दिख रही थी, पटियाला सलवार में होने के बाद भी गाड़ के उभार अपने और भर जाने का एलान कर रहे थे, मन में एक कुहुक सी उठी, अगर उस दिन बेकार की बकचोदी ना हुई होती तो शायद अब तक इसका नंगा जिस्म तो देख लिया होता, खैर कोई बात नहीं मैं भी हार नहीं मांनने वाला था, मैंने अभी उसी पल ठान लिया की चाहे जो हो जाये इस कली का रास तो पी कर रहूँगा।
मैंने चन्द्रमा को देख के वापिस अपनी बाइक पर पहुंचा और स्टार्ट करके धीरे धीरे उसके पीछे चल दिया, मेरे और चद्र्मा के बीच में लगभग २०० मीटर की दुरी रही होगी, चन्द्रमा आगे आगे और मैं उसके पीछे बाइक को धीमी गति से चलता हुआ बाहर रोड पर आगया।
जैसे ही रोड पास आया मैंने देखा चन्द्रमा ने अपन फ़ोन अपने कान पर लगाया और किसी से बात करने लगी, वो बात करते करते रोड पर पहुंची और इधर उधर देखने लगी तभी अचानक एक स्प्लेंडर बाइक चन्द्रमा के पास में आकर रुकी और उस पर सवार लड़के ने उसे कुछ कहा, लड़का कोई 24-२५ साल का रहा होगा, लड़के ने हेलमेट नहीं लगाया हुआ था इसलिए मैं उसकी श्कल आराम से देख सकता था, सांवला या कह लो काला रंग, पतला दुबला शरीर, ओके टाइप लड़का, लेकिन कपडे एक दम भड़काऊ छपरी वाले, बालो में भी कलर लगाया हुआ।चन्द्रमा चुपचाप लड़के के पीछे बैठ गयी, बैठते टाइम उसने अपने और उस लड़के में एक डिस्टेंस बना रखी थी, चद्र्मा के बैठे ही लड़के ने गाडी झटके से आगे बढ़ा दी, मैं भी चुपचाप उनके पीछे पीछे चल दिया,
लड़का गाडी पूरी रफ़्तार से चला रहा था मैंने भी अपनी गाडी की स्पीड बढ़ा के उनके नज़दीक पंहुचा तो देखा की जो डिस्टेंस चन्द्रमा ने बैठते टाइम मेन्टेन की थी वो अब गायब है, चन्द्रमा ने लड़के की कमर में दोनों हाथ डाल के कस के पकड़ रखा था इतना कस के पकड़ा था की उसकी चूचियां लड़के के पीठ में घुसी पड़ी थी, ये सीन देख के मेरा दिमाग भन्ना गया और झांटे सुलग गयी, बहनचोद जो कोई भी है मज़े ये लौंडा ले रहा है, लग रहा है साले ने मेरे माल पर हाथ साफ़ कर दिया है, मन कर रहा था की चलती बाइक में पीछे से लात मार दू दोनों वही गिर जाये और साले लौंडे को धर के पेलू
लेकिन अफ़सोस केवल सोंच सकता था और फिर इसमें लौंडे की क्या गलती, यही सब दो महीने पहले मेरे साथ कर रही थी मुझे मज़ा आरहा था आज इसको मज़ा दे रही है तो इसको मज़ा आरहा है, कुछ १५ मिनट के बाद वो एक ऐसे मोहल्ले टाइप एरिया में पहुंचे जो था लोअर क्लास के लोगो का था, वहा पहुंच कर लड़के ने बाइक साइड में लगायी और फिर वो दोनों कुछ बात करने लगे, लगभग १० मिनट की बातचीत के बाद दोनों ने एक दूसरे को बाई बोला और दोनों अपनी अपनी दिशा की ओर बढ़ गए, मैं भी चन्द्रमा के पीछे पीछे चल दिया, कुछ 4-५ गलिया छोड़ कर वो एक गली में जा घुसी, मैंने गली में झाँक कर देखा, गली में अँधेरा था, गली देख के अंदाज़ा हो गया की चन्द्रमा यही रहती है और ये लड़का उसे ड्राप करने आया था।
मैं भी वापस अपने घर की ओर चल दिया मेरे पास अब करने के लिए कुछ नहीं बचा था, रास्ते भर सोचते सोचते मैंने ये आईडिया तो लगा लिया था की हो ना हो ये लड़का दीपक ही है और चन्द्रमा ने झूट बोला की उसका फाइनल ब्रेकअप होचुका है, लेकिन समझ नहीं आरहा था की मुझसे झूट क्यों बोला, सीधा बोल देती की मेरा पैच उप हो गया है मेरे एक्स बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए हम केवल दोस्त हो सकते है उस से आगे कुछ भी नहीं, लेकिन फिर भी उसने झूट बोला और मज़े की बात की अब उसकी बातों लग रहा है की वो फ्रिंडशिप्से आगे कुछ चाहती भी नहीं है।
खैर इस मिस्ट्री ने मेरा दिमाग ख़राब कर दिया था और मैंने डिसाइड कर लिया की कुछ न कुछ ठोस करना ही है ऐसे चूतिया बन के नहीं रह सकता, पहले प्यार का बीज बोया फिर सेक्स वाली फीलिंग्स जगा दी और जब मैं रेडी हूँ तो खड़े लण्ड पर धोखा वाली बात कर दी, अब बस बहुत हुआ, प्यार वायर गया तेल लेने अब चाहे जो हो चन्द्रमा की चूत मारनी है, साली को अगर अपने लण्ड का दीवाना ना बनाया तो मेरा नाम भी समीर नहीं।