AntarvasnaX जवानी जानेमन

इस घटनाक्रम के बाद ये सवाभाविक था की कुछ दिन बात नहीं होगी, इसलिए मैंने ज़ायदा धयान नहीं दिया और अपने दिनचर्या के अनुसार व्यस्त रहा, इस घटना के बाद मुझे अब चन्द्रमा और उसकी कहानी पर शक होने लगा था, अच्छा भी था अभी तो नयी नयी दिल्लगी शरू हुई थी इसलिए चूतिया कटा भी तो ज़ायदा मलाल नहीं होगा, पहले के दोनों रेलशियनशिप कई कई साल पुराने थे इसलिए जब टूटे तो साथ में मुझे भी तोड़ गए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ था बात आगे बढ़ती उस से पहले ही सिचुएशन बदल चुकी थी और मैं संभल गया था, मुझे कौन सा शौक चढ़ा था बार बार दिल तुड़वाने का।

लगभग पूरा महीना बीत जाने के बाद एक दिन चन्द्रमा का कॉल आ ही गया, इधर उधर के बात की, फिर मैंने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए दीपक की कॉल के बारे में पूछा, उसने संछेप में बताया की उस से फाइनल ब्रेकअप हो गया है अब वो उसको या और किसी को परेशान नहीं करेगा, सुन के अच्छा लगा की एक काँटा तो कम से कम ख़तम हुआ, लेकिन पता नहीं क्यों उस दिन बात करने में कुछ खास मज़ा नहीं आया कर ना ही कोई प्यार वाली भावना जागी।

समय गुज़रता रहा हूँ चन्द्रमा से कभी कभार बात होती थी लेकिन अब बात करने में वो पहले वाली ना फीलनिंग्स थी ना इमोशंस थे जस्ट रेगुलर वाली बात चीत, इसी बीच में मेरे एक क्लाइंट जो फरीदाबाद में ही था, के यहाँ जॉब ओपनिंग निकली, काम बहुत आसान था और कोई खास क्वालिफिकेशन या डिग्री की ज़रूरत माहि थी और पगार भी ठीक ठाक थी, मैंनेचन्द्रमा को बता दिया लेकिन ये नहीं बताया की मैं इस कंपनी को अच्छे से जनता हूँ, चन्द्रमा तो जॉब ढूंढ ही रही थी इसलिए नौकरी और आसान काम का सुनते ही खुश हो गयी। एक दो दिन बाद चन्द्रमा ने बताया की उसने जॉब ज्वाइन कर ली है और सब ठीक है और नौकरी पा कर खुश है, उसने नौकरी मिलने की ख़ुशी में मुझे ट्रीट देने की पेशकश की लेकिन मैंने बाद में देने के लिए कह दिया।

जॉब पर चन्द्रमा को जाते जाते लगभग महीना से ऊपर हो गया था, एक दिन संयोग से मैं किसी काम से फरीदाबाद में ही था जब फ्री हुआ तो शाम का टाइम हो चूका था, टाइम देखा तो लगभग ५ बज रहे थे, चन्द्रमा की छुट्टी का टाइम ६ बजे था, जॉब मैंने लगवाई थी तो मुझे उसके वर्किंग हावर्स अच्छे से पता थे, मैंने बाइक उसकी कंपनी की और घुमा दी, मैं चाहता तो सीधा उस से उसके ऑफिस में भी मिल सकता था, लेकिन मैं देखना चाहता था, आखिर इतनी खींची खींची होने की वजह, जहाँ घटना से पहले तक वो सीधा बाँहों में आने को तत्पर थी अब वो बिलकुल अजनबी की तरह बात करती थी खैर मैंने बाइक उसके ऑफिस के पास एक चाय की टापरी पर रोकी, पानी की बोतल लेके हाथ मुँह धोया और ठीक ठाक बन के चन्द्रमा की छुट्टी होने का इन्तिज़ार करने लगा, मेरा इरादा केवल इतना था की अगर कुछ खास नहीं दिखा तो मैं उसे कॉल करता और बताता की मैं उसके ऑफिस के पास ही हूँ और अगर वो चाहे तो हम दोनों कुछ देर साथ साथ घूमेंगे और फिर कुछ खाएंगे और फिर निकल जायेंगे अपने अपने घर। लेकिन जैसा सोचा हो अगर वैसा ही हो तो ज़िन्दगी बड़ी आसान होती, आसान ज़िन्दगी केवल फिल्म और सपने में ही संभव है।

आखिर थोड़ी देर में उसके ऑफिस से स्टाफ निकलता दिखाई दिया और उनके पीछे पीछे चन्द्रमा, दूर से ही पहचान में आगयी, पिंक सूट, पटियाला शलवार में गजब की सुन्दर लग रही थी, कई महीने के बाद देख रहा था, वो धीरे धीरे चल कर रोड की और बढ़ी तो और क्लियर देख पाया, पहले से बहुत निखार गयी थी, रंग निखर के गोरा भक हो गया था और जिस्म पर भी थोड़ा मॉस चढ़ गया था, चूचियां और उभरी और कठोर दिख रही थी, पटियाला सलवार में होने के बाद भी गाड़ के उभार अपने और भर जाने का एलान कर रहे थे, मन में एक कुहुक सी उठी, अगर उस दिन बेकार की बकचोदी ना हुई होती तो शायद अब तक इसका नंगा जिस्म तो देख लिया होता, खैर कोई बात नहीं मैं भी हार नहीं मांनने वाला था, मैंने अभी उसी पल ठान लिया की चाहे जो हो जाये इस कली का रास तो पी कर रहूँगा।

मैंने चन्द्रमा को देख के वापिस अपनी बाइक पर पहुंचा और स्टार्ट करके धीरे धीरे उसके पीछे चल दिया, मेरे और चद्र्मा के बीच में लगभग २०० मीटर की दुरी रही होगी, चन्द्रमा आगे आगे और मैं उसके पीछे बाइक को धीमी गति से चलता हुआ बाहर रोड पर आगया।

जैसे ही रोड पास आया मैंने देखा चन्द्रमा ने अपन फ़ोन अपने कान पर लगाया और किसी से बात करने लगी, वो बात करते करते रोड पर पहुंची और इधर उधर देखने लगी तभी अचानक एक स्प्लेंडर बाइक चन्द्रमा के पास में आकर रुकी और उस पर सवार लड़के ने उसे कुछ कहा, लड़का कोई 24-२५ साल का रहा होगा, लड़के ने हेलमेट नहीं लगाया हुआ था इसलिए मैं उसकी श्कल आराम से देख सकता था, सांवला या कह लो काला रंग, पतला दुबला शरीर, ओके टाइप लड़का, लेकिन कपडे एक दम भड़काऊ छपरी वाले, बालो में भी कलर लगाया हुआ।चन्द्रमा चुपचाप लड़के के पीछे बैठ गयी, बैठते टाइम उसने अपने और उस लड़के में एक डिस्टेंस बना रखी थी, चद्र्मा के बैठे ही लड़के ने गाडी झटके से आगे बढ़ा दी, मैं भी चुपचाप उनके पीछे पीछे चल दिया,

लड़का गाडी पूरी रफ़्तार से चला रहा था मैंने भी अपनी गाडी की स्पीड बढ़ा के उनके नज़दीक पंहुचा तो देखा की जो डिस्टेंस चन्द्रमा ने बैठते टाइम मेन्टेन की थी वो अब गायब है, चन्द्रमा ने लड़के की कमर में दोनों हाथ डाल के कस के पकड़ रखा था इतना कस के पकड़ा था की उसकी चूचियां लड़के के पीठ में घुसी पड़ी थी, ये सीन देख के मेरा दिमाग भन्ना गया और झांटे सुलग गयी, बहनचोद जो कोई भी है मज़े ये लौंडा ले रहा है, लग रहा है साले ने मेरे माल पर हाथ साफ़ कर दिया है, मन कर रहा था की चलती बाइक में पीछे से लात मार दू दोनों वही गिर जाये और साले लौंडे को धर के पेलू

लेकिन अफ़सोस केवल सोंच सकता था और फिर इसमें लौंडे की क्या गलती, यही सब दो महीने पहले मेरे साथ कर रही थी मुझे मज़ा आरहा था आज इसको मज़ा दे रही है तो इसको मज़ा आरहा है, कुछ १५ मिनट के बाद वो एक ऐसे मोहल्ले टाइप एरिया में पहुंचे जो था लोअर क्लास के लोगो का था, वहा पहुंच कर लड़के ने बाइक साइड में लगायी और फिर वो दोनों कुछ बात करने लगे, लगभग १० मिनट की बातचीत के बाद दोनों ने एक दूसरे को बाई बोला और दोनों अपनी अपनी दिशा की ओर बढ़ गए, मैं भी चन्द्रमा के पीछे पीछे चल दिया, कुछ 4-५ गलिया छोड़ कर वो एक गली में जा घुसी, मैंने गली में झाँक कर देखा, गली में अँधेरा था, गली देख के अंदाज़ा हो गया की चन्द्रमा यही रहती है और ये लड़का उसे ड्राप करने आया था।

मैं भी वापस अपने घर की ओर चल दिया मेरे पास अब करने के लिए कुछ नहीं बचा था, रास्ते भर सोचते सोचते मैंने ये आईडिया तो लगा लिया था की हो ना हो ये लड़का दीपक ही है और चन्द्रमा ने झूट बोला की उसका फाइनल ब्रेकअप होचुका है, लेकिन समझ नहीं आरहा था की मुझसे झूट क्यों बोला, सीधा बोल देती की मेरा पैच उप हो गया है मेरे एक्स बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए हम केवल दोस्त हो सकते है उस से आगे कुछ भी नहीं, लेकिन फिर भी उसने झूट बोला और मज़े की बात की अब उसकी बातों लग रहा है की वो फ्रिंडशिप्से आगे कुछ चाहती भी नहीं है।

खैर इस मिस्ट्री ने मेरा दिमाग ख़राब कर दिया था और मैंने डिसाइड कर लिया की कुछ न कुछ ठोस करना ही है ऐसे चूतिया बन के नहीं रह सकता, पहले प्यार का बीज बोया फिर सेक्स वाली फीलिंग्स जगा दी और जब मैं रेडी हूँ तो खड़े लण्ड पर धोखा वाली बात कर दी, अब बस बहुत हुआ, प्यार वायर गया तेल लेने अब चाहे जो हो चन्द्रमा की चूत मारनी है, साली को अगर अपने लण्ड का दीवाना ना बनाया तो मेरा नाम भी समीर नहीं।
 
अभी जो हुआ उस से दिल तो टूटा लेकिन दर्द इतना भी नहीं था, क्यूंकि थोड़ा आभास पहले से था, ये खेल कोई ताकत तो था नहीं की चार लौंडो के साथ गए और लड़की छीन लाये, ना कोई ज़बरदस्ती चुदाई का प्लान था, वैसे भी मेरा मांनना है की जो मज़ा प्यार में गिर कर चुदाई में है वो मज़ा ज़बरदस्ती या बिना प्रेम वाली चुदाई में नहीं, इसलिए ताकत का इस्तेमाल बेकार था, बात केवल दिमाग से ही बन सकती थी, और दिमाग भी तब काम करे जब लड़की के मन का क्लियर पता चले, लड़की खुद कंफ्यूज थी, कभी मुझसे प्रेम जाता रही थी और कभी पूर्वप्रेमी की पीठ पर चुच्चे रगड़ रही थी,

मैं सारे रस्ते बाइक चलाते चलाते प्लान बनता रहा लेकिन कोई भी ढंग का प्लान नहीं बन पाया, थंका हारा घर पंहुचा और बिस्तर में गिर के सो गया।

अगले दिन काम से फ्री हो कर मैंने फ़ोन चेक किया देखा चन्द्रमा का मैसेज आया हुआ था
चन्द्रमा : फ्री हो जाओ तब कॉल करना
मैं : हाँ बोलो अभी फ्री हुआ हूँ,
चन्द्रमा : कॉल करो (जैसे मेरे ही मैसेज का वेट कर रही थी )

मैंने कॉल की तो उसने मेरा हाँ पूछा फिर बोला की उसे एक शादी में जाना है अपने होम टाउन और उसकोकुछ शॉपिंग करनी है, सरोजनी नगर की मार्किट से और अगर पॉसिबल हो तो मैं उसको ले चलूँ, मैंने धीरे से दीपक के साथ जाने का बोला तो उसका वही जवाब की आपको बताया तो है की उस से मैंने ब्रेकअप कर लिया है, मैं कहा ठीक है मैं चलूँगा और इधर उधर के बात करके फ़ोन रख दिया।

अब ये अच्छा मौका था आगे के लिए प्लान करने का, उसने बोला था की वो अकेली आएगी और यही मौका होगा उसके मन की बात समझने का और उसी के अनुसार प्लान करने का।

नेक्स्ट डे वो अपने बताये टाइम से थोड़ा लेट पहुंची मैं मेट्रो के नीचे उसका वेट करता रहा, आज उसने पर्पल कलर का फ्रॉक टाइप सूट पहना हुआ था जिसका स्लिट इस प्रकार का था के उसकी नाभि साफ़ दिखा रही थी, कपडे का रंग डार्क था तो उसका रंग एकदम खिल के बहार आ रहा था, शायद उसने फेस क्लीन कराया था या थ्रेडिंग कराई थी जिसके कारन एक गजब का ग्लो था उस दिन उसके मुखड़े पर, अब तक हम जितनी बार मिले थे ये अब तक की सबसे अच्छी ड्रेसिंग की हुई थी चन्द्रमा ने, लगता था आज मन से सज संवर कर आयी थी। मैंने उसे बाइक बिठाया और मार्किट जा पहुंचे, आज बैठते टाइम वही हलकी सी डिस्टेंस मेन्टेन कर रखी थी उसने, सब कुछ ठीक था लेकिन आज की मुलाक़ात में कुछ खास गरम जोशी नहीं थी पहले जैसी।

हम मार्किट जा पहुंचे, कोरोना का डर धीरे धीरे कम हो रहा था और लोग खुलके शॉपिंग करने आरहे थे, भयंकर भीड़ थी फिर हम भी उस भीड़ में घुस गए और शॉपिंग करने लगे, आज होने वाली ऑलमोस्ट साड़ी शॉपिंग के पैसे मैंने खर्च किये, उसने भी ज़यादा इंसिस्ट नहीं किया बस इतना बोला की बाद में दे दूंगी, बस एक बात जो खास थी की मार्किट में जाकर उसने पिछली बार की तरह फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और ठीक ऐसे चलने लगी जैसे दो प्रेमी जोड़े चलते है, पूरी शॉपिंग हमने ऐसे ही की एक दो बार मेरा हाथ उसके नाज़ुक मखमली चूतङो से रगड़ा और टकराया लेकिन उसने ज़यादा रिएक्शन नहीं दिया तो मैंने भी मौका देख देख के उसके चूतड़ों पर हाथ सहला सहला कर मज़े लेता रहा, समय जैसे जैसे गुज़रा वैसे वैसे पुरानी वाली गर्मजोशी लौट रही थी, मेरे जोक पर मुस्करा देती या कोई दूकानदार अगर हमे कपल समझके भैय्या भाभी जी बुलाता तो खिलखिला कर हंस देती।

शॉपिंग के बाद मैंने पूछा कहा चलना है तो उसने बोला की अगर आप बिजी हो तो घर चली जाउंगी,
मैं : मैंने कब कहा मैं बिजी हूँ
चन्द्रमा : मुझे लगा
मैं : नहीं ऐसा नहीं है, बताओ कहा चलना है
चन्द्रमा : कभी भी
मैं : कुछ खाओगी ?
चद्र्मा : हाँ , मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया
मैं : ओके फिर पहले कुछ खाते है

फिर मै चन्द्रमा को लेकर अपनी पसंद के एक महंगे रेस्टुरेंट में ले कर गया जो बहुत फेमस था
मैंने फील किया यहाँ जा कर चन्द्रमा बहुत खुश है, मैंने उस से पूछा की क्या वो पहले कभी आयी है इस जगह, तो उसने ना में सर सर हिला दिया, लेकिन ना कहते समय एक दम भाप गया की एक दुःख की लहार जो उसके चहरे पर एक पल के लिए दुखी थी, बस यही मेरे दिमाग में आगया की आखिर मिस्ट्री क्या है।

मैंने वेटर को बुला कर वहा की सबसे महंगी और फेमस खाने का आर्डर दिया और खाना खाने बैठ गए , खाना कहते टाइम वो बहुत खुश थी उसे बहुत साड़ी सेल्फी ली खाने की भी और खाना खाते हुए भी, मैंने भी 5-७ उसकी फोटोज ले दी ऐसे एंगल से जिसमे खाने के साथ साथ रेस्टुरेंट की अमीरी भी नज़र आरही थी।

खाना खा कर जब हम दुबारा बाहर निकले तो इसबार चन्द्रमा पीछे से हुग करके बैठी, इतना टाइट भी नहीं की उसकी चूचिया मेरी पीठ से चिपक जाये और इतनी दूर भी नहीं की हम अजनबी जैसे लगे। मैंने उसको स्टेशन पर छोड़ा और अपने ऑफिस आगया, घर पहुंच कर उनसे बहुत थैंक यू के मैसेज किये लेकिन मेरा धयान तो अब अपनी दिमागी कैलकुलेशन में व्यस्त था।

आज की डेट के बाद ये मुझे क्लियर समझ आगया की चन्द्रमा इक सपनो की दुनिया में रहने वाली लड़की है, उसको लाइफ में लुग्जरी पसंद है जो उसके माता पिता के सीमित कमाई के कारन पॉसिबिल नहीं है,उसका बॉयफ्रैंड भी उसी लेवल से आता है तो वो भी उसको वो लाइफ नहीं दे सकता जो चन्द्रमा की इच्छा है , तीसरी बात की चन्द्रमा अब इतनी भी गिरी हुई नहीं है की वो अपने अरमान अपना जिस्म बेच के पूरा करे, उसे मैं मिला तो शायद उसे लगा की सब ना सही वो कुछ इच्छाएं तो पूरी कर सकती है लेकिन उसके इस प्लान पर पानी फिर गया क्यूंकि दीपक ऑब्सेसिव टाइप का निकला जो उसकी हर इच्छा पर रेस्ट्रिक्शन लगाता था। कुल मिला कर अब मेरे पास में सिंपल फार्मूला था चन्द्रमा को अपने लण्ड के नीचे लाने का, अमीर मैं भी नहीं था लेकिन जितनी मेरी कमाई थी उस हिसाब से मैं ऐसे खर्चे बिना किसी दिक्कत के उठा सकता था,

2-३ सप्ताह गुज़र गया और चन्द्रमा अपने रिलेटिव्स के यहाँ से वापिस आगयी, वही से उसने अपनी पिक्स खास कर उस ड्रेस में जो मैने दिलवाई थी भेजी और मैंने बढ़ चढ़ कर तारीफ की। एक ड्रेस में क्लीवेज कुछ ज़यादा डीप था तो मैंने उसपर भी कमेंट मार तो उसने एक गुस्से वाली इमोजी भेजी, लेकिन मैं जानता था की उसे अच्छा लगा था ये सुन कर।

खैर 2-४ दिन बाद मैंने अपने प्लान पर काम चालु कर दिया, और बातों बातों में उसको बताया की मैं काम से बहार जा रहा हूँ,अधिकतर मैंने टूरिस्ट प्लेस का नाम लिए जो अधिकतर दूर थी और मेरी देखि हुई थी ताकि झूट पकड़ा ना जाये, अपने लास्ट टूर पर मैं एक क्लाइंट के साथ गुजरात गया था और एक फाइव स्टार होटल में रुका था वहा की एक दो पिक्स मैंने उसे भेज दी, पिक्स देख के चन्द्रमा की आँखे चुंधिया गयी,
मैंने हर थोड़े दिन के गैप पर किसी अच्छे रेस्टुरेंट या बाहर घूमने की की फोटोज चन्द्रमा को भेज देता और उसके जले कटे कमैंट्स पढ़ कर मज़े लेता।

फिर एक दिन आखिर चन्द्रमा ने कह ही दिया की " हमेशा अकेले अकेले घूमते रहते हो, एक बार मुझे भी घुमाने ले चलो ना प्लीज " ।
बस यही तो सुनना था चन्द्रमा के मुँह से , यही तो सारा प्लान था, मैंने भी बोला "हाँ चलो लेकिन तुम चल पाओगी अकेले ? वो भी 2-३ दिन के लिए, क्या तुम्हारे परिवार वाले जाने देंगे तुमको किसी अनजान व्यक्ति के साथ "?
 
जब मैंने उस से पूछा की क्या उसे परमिशन मिल पायेगी परिवार से तो मुझे उसने बड़ा रुखा सा जवाब दिया जिसको सुनके मेरी ख़ुशी का टिकना नहीं रहा है, चन्द्रमा ने साफ़ कहा था, "मेरी जीवन है हार बात की परमिशन की ज़रूरत नहीं है बस बता दूंगी रोकेंगे तब भी चलूंगी ना रोकेंगे तब भी", एक बार तो उसका बिंदास डायलाग सुन के मैं भी चौका था लेकिन मुझे क्या टेंशन मेरा तो प्लान काम कर ही रहा था अपनी सही दिशा में। सबसे पहले तो मैंने झट से टिकट बुक की और एक मस्त ४ स्टार होटल बुक किया, मैं नहीं चाहता था की उसका पहला एक्सप्रिन्स किसी सस्ते होटल में हो अगर एक बार ढंग से चुद गयी फिर तो चार सौ रूपये वाले ओयो होटल में भी टाँगे उठा उठा के चुदवायेगी।

मैंने उसको टिकट एंड होटल की बुकिंग एंड होटल की पिक्स भेजी तो लड़की किसी फूल के जैसे ख़ुशी से खिल उठी, मैंने जान बूझ कर जयपुर का प्लान बनाया था, एक तो पास के पास था तो ट्रेवल में ज़ायदा टाइम नहीं लगना था साथ ही जयपुर ना बहुत बड़ा शहर है ना बहुत छोटा घूमने के 4-५ पॉइंट्स है तो घूमने में भी कम टाइम लगेगा मतबल ज़ायदा टाइम मिलेगा चुदाई का मौका ढूंढने मे। चन्द्रमा को इन सब से कुछ नहीं लेना देना था उसे तो बस ख़ुशी थी की वो कहीं घूमने जा रही है और एक मस्त होटल में रुकेगी। मेरा प्लान एक दम परफेक्ट चल रहा था लेकिन अभी तक प्लान का नेक्स्ट स्टेप का मैं वेट कर रहा था , मेरा नेक्स्ट स्टेप था चन्द्रमा की सहमति लेना की हम होटल में थोड़ा बहुत मस्ती कर ले। मैं नहीं चाहता था की वह होटल में जा मुझे ऐसे फील हो की ज़बरदस्ती कर रहा हूँ चन्द्रमा के साथ। मैं चद्र्मा को चोदना चाहता था लेकिन सहमति से।

खैर यात्रा से पहली वाली रात को मैंने उसके छुट्टी के समय कॉल किया मैं देखना भी चाहता था की क्या आज भी उसे दीपक लेने आया था की नहीं? मेरे कॉल का चन्द्रमा ने झट से जवाब दिया
मैं : हेलो चन्द्रमा
चन्द्रमा : हांजी हेलो जी बोलिये जी
मैं : मैं वाह क्या बात है आज मूड बड़ा अच्छा लग रहा है
चन्द्रमा : हाँ आज मैं खुश हूँ
मैं : (अनजान बनते हुए ) मुझे बताओ ऐसी क्या खास बात है?
चन्द्रमा : कल हम घूमने जा रहे है ३ दिन के लिए इसलिए
मैं : ओहो किसके साथ
चन्द्रमा : है एक मेरा सबसे अच्छा फ्रैंड उसी के साथ
मैं : मुझसे भी अच्छा फ्रेंड ?
चन्द्रमा : (उसको लगा मैं समझा नहीं) अरे बुद्धू आप हो सबसे अच्छे फ्रैंड
मैं : ओह्ह वाओ मैं समझा नहीं था, मुझे लगा और कोई है तुम्हारा सबसे अच्छा फ्रेंड,
चन्द्रमा : जी नहीं, मेरे सबसे बेस्ट और इकलौते फ्रैंड आप ही हो
मैं : थैंक यू जी, अच्छा एक बात सुनो (थोड़ा सीरियस मूड में )
चन्द्रमा : हाँ जी बोलिये
मैं : मैं एक बात को लेकर कंफ्यूज था तो सोंचा कल निकलने से पहले क्लियर कर लू कहीं कोई कन्फूशन ना रहे
चन्द्रमा : (थोड़ा घबराते हुए,कही प्लान तो नहीं कैंसिल कर रहा) जी बोलिये।
मैं : कुछ खास नहीं बस ये पूछ रहा था की हम तीन दिन और तीन नाइट्स होटल में एक कमरे में एक बेड में एक ब्लैंकेट में साथ रहेंगे और साथ सोयेंगे, क्यूंकि मैंने होटल में जो रूम बुक किया है उसमे बड़ा डबल बेड है, अलग अलग बेड नहीं है
चन्द्रमा : तो ?
मैं : तो क्या तुम बताओ ?
चन्द्रमा : मैं क्या बताऊ ?
मैं : अरे तुमको साथ में सोने में दिक्कत तो नहीं एक ही बेड में ? अगर ऐसा है तो मैं प्लान कैंसिल कर दूंगा, होटल का पैसा वापिस नहीं आएगा लेकिन शायद ट्रैन का रिफंड मिलजाए 50% तक।
चन्द्रमा : (झट से )अरे तो क्या हुआ साथ सो जायेंगे
मैं : (वाह मेरी जान यही तो सुंनना था तुम्हारे मुँह से ) गुड फिर ठीक है बस मैं इसी बात को लेकर थोड़ा कंफ्यूज था
चन्द्रमा : बस आप बेड के एक कोने पर सोने और दूसरे कोने पर मैं
मैं : हहह पागल समझा है क्या मुझे, इतनी सुन्दर लड़की साथ में एक ही बेड में एक ही कम्बल में हो और कोई उसको हग करके ना सोये वो सबसे बड़ा चूतिया है (मैंने जान कर कहा था, अभी जिसमे फ्लो में बात चल रही थी ऐसी फ्लो बार बार नहीं बनती और मैं कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता था )
चन्द्रमा : बहुत चालू होआप, लेकिन बस हग और कुछ नहीं
मैं : नहीं नहीं बस एक लास्ट थिंग
चन्द्रमा : हाँ बस और कुछ नहीं
मैं : अरे सुन तो लो बाबा
चन्द्रमा : अच्छा बोल लो आप जो बोलना है
मैं : बस एक किस्स
चन्द्रमा : हप्प नो किस्स, अब ज़ायदा नहीं तो मुझे गुस्सा आजायेगा
मैं : अरे पहले पूरी बात सुनो फिर अगर अच्छा ना लगे मना कर देना
चन्द्रमा : क्या है पूरी बात
मैं : किस्स लिप्स पर नहीं मांग रहा
चन्द्रमा : (सकून का सांस लेते हुए ) हाँ ठीक है फिर कर लेना

बस पागल लड़की यही गलती कर गयी थी और यही हाँ मेरी जीत का कारन बनने वाली थी।
कुछ और प्लान कहा मिलना है किस टाइम मिलना है तय करके मैंने कॉल रख दिया, इस पूरी बात में कोई डिस्टर्बेंस या कॉल होल्ड नहीं किया था उसने इसका मतलब सीधा था की वो आज दीपक के साथ घर नहीं गयी थी।
मैंने भी बाजार से अपने लिए कुछ छोटी मोती शॉपिंग की, एक रेज़र लिया लण्ड महाराज की सफाई के लिए और एक गिफ्ट पैक कराया चन्द्रमा के लिए फिर घर आगया, सुभह ६ बजे की शताब्दी थी तो जल्दी निकलना था सो झांटे साफ़ करके और शावर ले के सो गया आराम से।
 
अगलगी सुबह मैं ५ बजे उठ के फटाफट रेडी हुआ और समय से स्टेशन पहुंच गया, चन्द्रमा थोड़ी लेट थी, मैंने कॉल किया तो बोली मेट्रो में है, खैर वो ट्रैन छूटने से १० मिनट पहले पहुंच गयी और हम जाकर अपनी सीट पर बैठ गए। ट्रैन में भीड़ ज़्यदा नहीं थी तो कुछ खास दिक्कत नहीं आयी, पूरी ट्रैन चेयर कार थी सब अपनी अपनी सीट पर आराम से बैठे थे, सही समय पर ट्रैन स्टार्ट हुई और अपनी मज़िल की ओर चल पड़ी

चन्द्रमा को मैंने विंडो सीट पर बैठाया था और खुद साथ वाली सीट पर बैठ गया, मैंने चन्द्रमा को पहले ही बता दिया था की ज़ायदा कपडे या सामान लेकर ना चले नहीं तो सामान सँभालने में ही सारा समय बर्बाद हो जाता है, उसने भी समझदारी दिखते हुए एक जिम बैग में अपना सामान ले कर आयी थी, मेरा भी बैग हल्का ही था सो किसी प्रकार की समस्या नहीं होने वाली थी रास्ते में।

आराम से बैठने के बाद मैंने चद्र्मा पर धयान केंद्रित किया आखिर ये सब तो उसकी के लिए हो रहा था, चन्द्रमा ने एक हल्का सा ऑफ वाइट कलर का टॉप डाला हुआ था और लेग्गिंग पहनी हुई थी ब्लैक कलर की , सुबह सुबह उठ कर आये थी तो एक अलग ही ग्लो नज़र आरहा था उसके हसीं चेहरे पर। शायद जल्दबाज़ी में उसने फेस पर कोई क्रीम भी नहीं लगायी थी, देख का बहुत अच्छा लगा वैसे भी मुझे मेकअप से भरा चेहरा कुछ खस पसंद नहीं है , जैसे जैसे ट्रैन आगे बढ़ रही थी चन्द्रमा का चेहरा खिलता जा रहा था, चेहरे से साथ पता चल रहा था की वो इस ट्रिप से कितनी खुश है।

शताब्दी एक्सप्रेस में नाश्ता खाना टिकट प्राइस में ही इन्क्लुड होता है, थोड़ी ही देर में सब के लिए टी एंड बिस्किट्स आगये। चन्द्रमा को अंदाज़ा नहीं था लेकिन नाश्ता देख के वो एक दम बच्चे जैसे खुश हो गयी और मेरे कान में फुसफूसा के बोली, ये इसके अलग से पैसे लेंगे क्या ?
मैं : हाहाहा नहीं पागल ये फ्री है , टिकट में ले लेते है इसके पैसे
चन्द्रमा : वो तो राजधानी ट्रैन में होता है ना ?
मैं : हाँ और शताब्दी में भी,
चन्द्रमा : (खुश होते हुए ) और क्या क्या मिलगा ?
मैं : अब हो सकता है कटलेट्स या ब्रेड अंडा मिलेगा, फिर जूस या टोमेटो सुप, या कोई फ्रूट भी
चन्द्रमा : वाह ये तो एक दम मस्त है ना
मैं : हां एक दम तुम्हारी तरह
चन्द्रमा : खिलखिला के हस्ते हुए (मेरे बाज़ू पर चिकोटी काट कर ) बस बातें करा लो आपसे
मैं : (मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए ) अरे मैं तो और भी बहुत कुछ करना चाहता हूँ लेकिन तुम मौका तो दो
चन्द्रमा : झट से नज़र घुमा कर (कुछ मौका वोका नहीं मिलगा )
मैं : (नाटक करता हुआ ) तुम मेरी जान ही लेके रहोगी
चन्द्रमा : ( खिल खिला के है पड़ी ) बस बस बहुत हुआ, और भी लोग है ट्रैन में
मैं : अरे सब ऊँघने में बिजी है और हम कौन सा सेक्स वाली बातें कर रहे है।
चन्द्रमा : होऊँ बस भी करो।
मैं : अच्छा ठीक है बाबा ये बताओ घर में क्या बोलके आयी हो ?
चन्द्रमा : बाद में बताउंगी ( ये उसका बात टालने का तरीका था )

खैर मुझे क्या टेंशन होने लगी , अब तो बस बात बनने वाली ही है , बाद की बात बाद में देखेंगे।

लड़की सुबह की जगी हुई थी , थोड़ी देर में एग ब्रेड खाके उसने सीट से टेक लगा के आँखे बंद कर ली, हलकी नींद मुझे भी आरही थी लेकिन मैं कण्ट्रोल कर रहा था, आखिर थोड़ी देर में चन्द्रमा की आँख लग गयी, पहले तो थोड़ी देर उसने सर विंडो से टिकाया हुआ था लेकिन थोड़ी देर बाद उसने कसमसा के गर्दन एडजस्ट के तो अब उसका सर धीरे धीरे मेरी और झुकने लगा, मैं इसी पल के लिए अपनी नींद को कण्ट्रोल करा रहा था और फिर धीरे से उसके ढुलकते सर के नीचे अपना कन्धा टिका दिया, सर कंधे पर आते ही मानो चन्द्रमा को आराम लग गया और वो और रिलैक्स हो कर सो गयी , सोने के कारन उसके कुछ बाल जो पोनी में बंधे हुए थे उसके माथे पर बिखर आये थे जो उसके चेहरे पर चार चाँद लगा रहे थे, लगभग आधा घंटा हो चूका था इसी पोज़ में चन्द्रमा को सोते हुए, मुझे खिड़की से स्टेशन आता नज़र आया और मैं समझ गया की कुछ मिनट में ट्रैन अलवर पहुंचने वाली है, जैसे ही ट्रैन स्टेशन पर पहुंची एक हल्का सा झटका लिया उसी पल मैंने चन्द्रमा के माथे से हलके हाथो से बालो को अलग किया और एक छोटी सी प्यार भरी किस माथे पर कर डाली, ब्रेक का हल्का झटका, माथे पर मेरे हाथो का स्पर्श और होटों का उसके माथे को छूना उसकी नींद चुरा ले गया और एक दम से उसने अपनी बड़ी बड़ी आंखे खोल के मेरी ओर देखा और मेरे चेहरे को अपने चेहरे पर झुका हुआ पाकर एक दम से शर्मा गयी और नज़रें नीची करती हुई बोली :
चन्द्रमा : हुनुओं, क्या कर रहे हो?
मैं : तुम्हारे माथे पर कुछ बाल आगये थे उसको हटा रहा था और ,,,,,,,
चन्द्रमा : और क्या,,,,,,,?
मैं : बाल हटाते टाइम तुम्हारा चेहरा इतना क्यूट लगा की मैंने ,,,,,,,,
चन्द्रमा : हाँ आपने,,,,,,?
मैं : मैंने उसपर किस कर लिया।।।
चन्द्रमा : बड़े गंदे हो आप
मैं : अरे तुमसे मैंने कल ही परमिशन ली थी ना , और देखो मैं अपनी बात का पक्का हूँ माथे पर किस की, अगर चाहता तो लिप्स पर भी कर सकता था।
चन्द्रमा : (शर्म से गाल लाल करती हुई ) ठीक है ठीक है और खिड़की बाहर देखने लगी

ट्रैन फिर से चल पड़ी और इस बार चन्द्रमा ने सर मेरे कंधो पर रख लिया और मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, अब तक जो कुछ भी हो रहा था वो उसके इस तरह से सर रखने से क्लियर हो गया था की उसे भी इन सब में मज़ा आने लगा था , मैंने भी धीरे से हाथ सीट के ऊपर से उसके कंधे पर रख लिया और हलके हलके हाथ से उसकी आधी खुली बाज़ू को प्यार से सहलाने लगा, चन्द्रमा ने एक बार अपनी नज़रे उठा कर एक बार मेरी ओर मुस्कुराकर देखा और फिर से अपनी आखे बंद कर ली।
 
बाकि का रास्ता ऐसे मज़े लेते हुए पूरा होने को था, ट्रैन जब जयपुर स्टेशन के पास पहुंची तो थोड़ा अटक अटक के चल रही थी, शायद सिग्नल क्लियर नहीं मिल रहा था, किस वाली घटना के बाद से ही चन्द्रमा मेरे कंधे पर ही सर रख के सोती हुई आयी थी, लेकिन अब ट्रैन में एक दो झटके लगे तो आँख खुल चुकी थी और जाग रही थी मैं गर्दन टेढ़ी कर उसकी ओर देखता तो वो हलके से मुस्कुरा देती, ज़ायदा बातचीत नहीं हो रही थी, पुरे रास्ते हमने या तो चुहलबाजियां की थी या बातें, मेरा एक हाथ अभी भी सीट के पीछे से चन्द्रमा की बाँहों और और छाती के आस पास ही था, जिस से मैं चन्द्रमा का शरीर सहला कर अपने लंड में कभी कभी गर्मी पैदा कर लेता था, मैंने अभी तक चद्र्मा की चूचियों को नहीं छुआ था बस कभी कभार अपने से और करीब चिपकने के बहाने उसे अपनी ओर खींचता तब उँगलियाँ उसकी चूचियों से टच हो जाने देता था, इन छोटी छोटी चुहलबाजियों का अपना अलग मज़ा है जो बहुत बार सेक्स से भी ज़ायदा मज़ा देता है।

जो ट्रैन कुछ मिनट से रुकी हुई थी अब चल पड़ी थी, शायद अब लाइन क्लियर मिल गयी थी, हम दोनों इसी पोज़ में प्रेमी जोड़े की भांति बैठे रहे की अचानक ट्रैन ने ब्रेक मारा, ये पहले लगने वाले झटको से थोड़ा तेज़ था, मैं जो सीट पर थोड़ा आगे होकर बैठा था ताकि चन्द्रमा आसानी से अपना सर मेरे कंधे पर रख सके अचानक लगे इस झटके से असंतुलित हुआ और संभलने के चक्कर में जो हाथ पिछले एक डेढ़ घंटों से चन्द्रमा के चूचियों के इर्दगिर्द घूम रहा था झट से उसकी चूचिओं को दबोच बैठा, चन्द्रमा ने एक दम से एक आह की आवाज़ निकाली और मेरे हाथ को अपने शरीर से अलग कर दिया, मैंने भी चुपचाप सीधा होकर बैठ गया, ये मेरे प्लान का पार्ट नहीं था लेकिन मुझे जो उसकी नर्ममुलायम रुई के गालो जैसे चूचिया दबा के जो आनंद आया वो मैं बता नहीं सकता, मैंने कनखियों से देखा चन्द्रमा खिड़की के बाहर देख रही थी लेकिन उसके गुलाबी गाल और चेहरे की मंद मुस्कान उसके अच्छा लगने की चुगलियां खा रही थीं।

लगभग एक बजे हम स्टेशन पहुंच गए और टैक्सी पकड़ के सीधा होटल आ पहुचें। वैसे पहले हमारा प्लान होटल डायरेक्ट आने का नहीं था क्यूंकि मैंने दिल्ली में ही प्लान किया था की हम स्टेशन से सीधा मोनुमेंट्स देखने जायेंगे और फिर शाम में होटल में पहुंच कर आराम करेंगे, लेकिन हमे ये प्लान चेंज करना पड़ा क्यूंकि हम दोनों ही मॉर्निंग में जल्दी निकलने के कारन बिना नहाये आये थे, इसीलिए हमने अब प्लान ये किया था की पहले होटल में फ्रेश होकर फिर कहीं घूमने निकलेंगे ।

हमने होटल में जाकर अपनी फॉर्मलिटीज पूरी करने लगे, शरू में चन्द्रमा थोड़ी घबराई हुई थी की होटल वाले कोई टोका टाकी ना करे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, ४ स्टार होटल था यहाँ किसी को इतनी फुर्सत कहा, हमने अपने रूम की चाभी रिसेप्शन से ली और सीधे अपने रूम में जा पहुंचे, मैं बेल बॉय की भी सर्विस मना कर दी थी, हमारे पास कुछ खास सामान तो था नहीं और मैं वैसे भी बिना बेल बॉय के ही रूम में जाना चाहता था ।

होटल एंड रूम देख कर चन्द्रमा की ख़ुशी छुपाये नहीं छुप रही थी, रूम शानदार था, रूम में घुसते ही बाएं साइड में साफ़ सुथरा शानदार बाथरूम और उसके सामने दायी साइड एक विशाल आइना लगा हुआ था, उसके बाद थोड़ा खाली स्पेस और फिर एक शानदार किंग साइज बेड विथ क्लीन वाइट शीट्स एंड ब्लॅंकेटस, सेंट्रली ऐरकण्डीशन्ड था तो झट से एक दम चिल्ड हो गया, बेड के बाद एक साइड २ सीटर सोफे और सोफे के पास स्टडी टेबल एंड एक रिवॉल्विंग चेयर, फिर उसके बाद एक बिग गिलास जो कर्टेन से ढाका हुआ था, कर्टेन हटाओ तो समाने एक हराभरा पार्क और पार्क के साइड में बने हुए कुछ बंग्लोव्स, चन्द्रमा रूम के हर कोने में घूम घूमकर हर एकचीज को चेक कर रही थी, मैंने तब तक टीवी ऑन कर लिया था और ऐसे ही इधर उधर चैनल बदल कर देख रहा था की अचानक चन्द्रमा की ख़ुशी से चिल्लाई, अरे समीर देखो यहाँ तो इन्होने पुरे चाय कॉफ़ी का अरेंजमेंट किया हुआ है और बिस्किट्स भी है,

मैं : हाँ उनको मालूम था का की तुम आरही हो हो चाय की दीवानी इसीलिए रख गए है, मैंने उसे चिढ़ाया
चन्द्रमा : हाँ सच में बड़े अच्छे है ये होटल वाले
मैं : टी और कॉफ़ी पॉट के नीचे देखो,
चन्द्रमा : अरे ये तो फ्रिज है नोनू सा,
मैं: हाँ तुम्हारे जैसा नोनू
चन्द्रमा ने फ्रिज खोल कर देखा, उस्मने कई तरह के कोल्ड ड्रिंक्स एंड जूस की बॉटल्स थी
चन्द्रमा वहां से चल कर मेरे पास पहुंची और धराम से बेड पर गिर गयी
चन्द्रमा : हे भगवन कितना नरम बिस्तर है ये
मैं : हाँ ये स्प्रिंग वाला मैट्रेस्स है ना इसीलिए
चन्द्रमा : बेग में भी स्प्रिंग ? वो किसलिए लगते है ये ?
मेरे मन में आया की कहा दूँ की चुदाई करा के देख अभी पता लग जायेगा स्प्रिंग का कमाल , लेकिन मैंने बात बदल दी

मैं उसकी बच्चों जैसी एक्सकिटमेंट देख देख के मुस्कुरा रहा था । खैर थोड़ी देर रिलैक्स करने के बाद चन्द्रमा नहाने के लिए कपडे निकलने लगी तब तक मैं उठा और वाशरूम चला गया, वाशरूम मैंने लॉक किया और जल्दी से जो टॉवल बेसिन के साइड स्लैब पर रखे थे उनको उठा कर जल्दी जल्दी खूंटी पर लटका दिया, केवल ३ ही खूंटिया थी जिसमे से मैंने खूंटी पर टॉवल लटका कर एक खूंटी भी खूंटी खाली नहीं छोड़ी, मैं वापिस आकर फिर से बेड पर लेट गया, चन्द्रमा ने कपडे निकल लिए और मेरे बहार आते ही वो बाथरूम में घुस गयी, चन्द्रमा के जाते हे मैंने उसका बैग उठाया और धीरे से बैग की ज़िप खोलकर जल्दी जल्दी निरक्षण करने लगा, उसमे चर्द्रमा के एक दो जोड़ी कपडे थे, एक हैंडबैग, कुछ मेकअप का समाना और कुछ कैश और कुछ जेवेलरी थी, लेकिन मुझे इन सबसे कोई मतलब नहीं था, मुझे उस चीज़ की तलाश थी जो लड़को की आकर्षण का केंद्र है, जी हाँ सही पहचाना मैं उसकी ब्रा और पैंटी ढूंढ रहा था लेकिन मुझे उसके बैग कोई ब्रा पैंटी नज़र नहीं आयी, मैंने चुपचाप बैग की ज़िप बंद की और वापिस उसकी जगह पर रख दिया।

मुझे बैग में ब्रा पैंटी ना मिलने का कोई गम नहीं था बल्कि उल्टा ख़ुशी ही हुई थी, थोड़ी देर में ही चन्द्रमा बाथरूम से बहार निकल आयी, वो बाथरूम में अपने कपडे ले कर गयी थी और वह से वो अपने पुरे कपडे पहन का बहार निकली थी, मैं उसकी चालाकी देख कर मुस्कुरा उठा, चन्द्रमा ने इस वक़्त एक टाइट ब्लू जीन्स और ऑफ वाइट कलर का गोल्ड प्रिंटेड टॉप पहना था, ये उसने मेरे साथ ही खरीदा था सरोजनी नगर मार्किट से। चन्द्रमा इस वक़्त हलके गीले कपड़ो में एक दम गज़ब की सुन्दर लग रही थी, साफ़ धुला धुला चेहरा और पानी से भीगे बाल, वो टॉवल से अपने गीले बाल सुखाने में लगी हुई थी के मैं अचानक उठ कर चन्द्रमा के पीछे जा पंहुचा और उसकी पानी से भीगी गर्दन पर अपने होंटो से चुम लिया, चन्द्रमा हाथो में टॉवल थामे थामे एक दम से पलटी तो मैंने उसको बाँहों में उठा लिया, फूल जैसी कोमल लड़की मेरी बाँहों में झूलगायी, मैं चन्द्रमा को बाँहों में उठाये उठाये बाथरूम की और चल दिया, चन्द्रमा अपनी नशीली आँखों को बड़ा बड़ा करके मेरी और देखने लगी लेकिन मैं बिना कुछ कहे उसको बाथरूम के गेट तक ले आया अचानक चन्द्रमा जैसे नींद से जाएगी और छटपटा कर मेरी गिरफ्त से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने जानभूझ कर गिरफ्त मज़बूत की हुई थी, मैंने उसे बाथरूम की और ले जा रहा था ओर वो बाथरूम की चौखट पकडे अंदर जाने से बच रही थी

चन्द्रमा : उनहूँ छोड़ो न सारे कपडे ख़राब हो रहे है
मैं : उनहूँ, नहीं छोडूंगा
चन्द्रमा : प्लीज यार मत करो ना
मैं : नहीं आज नहीं छोडूंगा, बहुत तड़पाया है तुमने
चन्द्रमा : प्लीज, सारे कपडे ख़राब हो जायेंगे, मैं कपडे नहीं लायी ज़ायदा,
मैं : कोई नहीं नए दिला दूंगा
चन्द्रमा : नहीं प्लीज प्लीज, बस करो ना यार, छोड़ दो प्लीज
मैं : नहीं बेबी आज नहीं, इतने दिन के बाद तो आज हाथ लगी हो आज बस हो ही जाये
चन्द्रमा : बेबी प्लीज आज माफ़ कर दो कल पक्का मैं आपके साथ नहाउंगी
मैं : देख लो कल पक्का ?
चन्द्रमा : हाँ पक्का पक्का बाबा, कल दोनों संग संग नहाएंगे, लेकिन प्ल्ज़ आज नहीं, आज मैंने कपडे चेंज कर लिए है
मैं : ठीक फिर कल का साथ नहाना लॉक किया जाए
चन्द्रमा : हाँ लॉक किया जाए कंप्यूटर जी
मैं : गुड गर्ल, अच्छा एक मिनट रुको (और बेसिन के साइड में लगे हुए बॉक्स में से ड्रायर निकाल कर चन्द्रमा को पकड़ा दिया)
चन्द्रमा मुँह खोले मेरा मुँह देखने लगी, और मैं मासूम फेस बना कर बाथरूम से बहार निकल आया,चन्द्रमा हेयर ड्रायर फेक कर मेरे पीछे पीछे लपकी
चन्द्रमा : आप मुझे अपने साथ नहलाने नहीं ले कर जा रहे थे ?
मैं : नहीं तो ? मैंने ऐसा कब बोला कि मेरे साथ नहाओ
चन्द्रमा : सच सच बताना मुझे गोदी में उठा के किस लिए लेके जा रहे थे ?
मैं : अरे तुम तोलिये से बाल सूखा रही थी तो मैं तुमको हेयर ड्रायर तक लेके गया,
चन्द्रमा : कोई ऐसे लेके जाता है क्या ? बता नहीं सकते थे मैं खुद ले लेती जाकर
मैं : चन्द्रमा बेबी हर बात बताई नहीं जाती कुछ करनी पड़ती है, अब देखो मैंने तुमको हेयर ड्रायर दिखा और मुझे तुम कल साथ नहाने के लिए मिल गयी हाहाहा
चन्द्रमा : नो नो नो ये बेमानी है आपने चीटिंग किया
मैं ; कैसी चीटिंग ? तुमने खुद बोला की कल साथ नहाउंगी, मैंने तो पूछा भी नहीं था इक भी बार
चन्द्रमा : अरे ऐसे ही निकल गया मेरे मुँह से, कोई प्रॉमिस वरोमिसे नहीं
मैं : वो तो कल देख्नेगे बेबी कह कर मैंने उसका हाथ पकड़ा तो झट से हाथ छुड़ा कर बाथरूम भाग गयी

मैंने भी अपने कपडे निकाले और चन्द्रमा के फ्री होने का वेट करने लगा, अब तक जो कुछ हूआ था सब एक दम ठीक चल रहा था अगर सब कुछ ऐसे ही चलते बहुत जल्द चन्द्रमा मेरी आगोश में होगी और उसकी चूत की गहराई मेरा लंड नाप रहा होगा।
 
चन्द्रमा के बाथरूम से वापस आने के बाद मैं भी जल्दी से घुस गया बाथरूम में, जल्दी जल्दी बाथरूम का निरक्षण किया तो आखिर मुझे वो चीज़ मिल ही गयी जिसकी मुझे तलाश थी,जी हाँ चन्द्रमा की ब्रा, उसकी काले रंग की ब्रा खूंटी के ऊपर उसके टॉप और लेगिंग्स जो उसने अभी उतारी थी में लटकी हुई थी, मैंने ये जान बूझ कर खूँटी के ऊपर टॉवेल्स को लटकाया था ताकि चन्द्रमा को खूंटिया ना मिले अपने कपडे लटकाने के लिए , इसीलिए उसने एक ही खूंटी पर अपनी तीनो कपडे लटका दिए थे, ब्रा कुछ खास नहीं थी,कोई लेबल नहीं था जिससे उसकी चूचियों के साइज का सही पता चलता लेकिन फिर भी मेरी तजुर्बेकार आँखों ने अंदाज़ा लगा लिया था की ये ब्रा ३२ साइज की होगी, यानि चन्द्रमा के चुच्चे ३२ साइज के थे। मैंने ब्रा का कप देखा सिंगल पैडेड था इसलिए थोड़ी अच्छी शेप लिए हुए था, मैंने उसकी ब्रा को अपनी नाक के पास ला कर एक गहरी सांस ली लेकिन हलके पसीने की महक के अल्वा कुछ खास फील नहीं आया, मैंने वापस ब्रा वही लटका दी और पैंटी ढूंढने लगा लेकिन मुझे उसकी पैंटी कहीं नज़र नहीं आयी, मैं जल्दी जल्दी नहाया और शरीर पर खूब साबुन लगा के झाग बनाया जिस से फर्श पर झाग ही झाग हो गया, मैंने शावर की स्पीड कम कर रखी थी और सारा साबुन और शैम्पू का झाग पानी की निकासी वाली जाली पर इकठ्ठा हो रहा था,

मैंने जल्दी से हाथ बढ़ा कर टॉयलेट पेपर का रोल उठा और थड़े से टॉयलेट पेपर उस जालीके पास झाग पर डाल दिए,कुछ ही सेकंड में पानी नाली से निकलना बंद हो गया और बाथरूम में इकठ्ठा होने लगा, मैं ऑलमोस्ट नहा चूका था, मैंने टॉवल से अपने शरीर को सुखाया और शावर के नीचे से निकल के बेसिन के पास सूखे एरिया में आगया, वाशरूम २ पोरशन में बना हुआ था एक साइड शावर बीच में आरपार दिखने वाला गिलास पार्टीशन और दूसरी साइड टॉयलेट और वाशबेसिन, शावर वाला साइड हल्का सा नीचे था तो उसमे थोड़ा थोड़ा पानी नाली मेरे बंद करने के कारन जमा हो गया था, मैं पूरा तैयार होकर वाशरूम से बहार निकलने लगा बस निकलते टाइम मैंने हाथ बढ़ा कर चद्र्मा का टॉप और ब्रा जो उसने आज ही उतारे थे को बाथरूम में जमा हो चुके पानी में गिरा दिया और रूम में आगया।

चन्द्रमा एक दम तैयार सोफे पर किसी राजकुमारी की तरह बैठी हुई थी और तरह तरह के मुँह बना कर सेल्फी ले रही थी, मुझे देख कर हल्का सा चौंकी और एक दो सेल्फी लेकर बोली आपके फ़ोन का उसका कैमरा कैसा है ?

मैं : पता नहीं मैं सेल्फी तो लेता नहीं तो नहीं पता

चन्द्रमा : हम्म अच्छा दिखाओ

चन्द्रमा : अरे अच्छा तो है ये, गूगल पिक्सल है तो पिक्चर मस्त आएगी

मैं : मैं ओके तो तुम इस से ले लो पिक्स

चन्द्रमा : नहीं और सेल्फी नहीं, बस आप मेरी एक दो पिक्स ले दो अपने मोबाइल से यहाँ अच्छी आएगी पिक्स

मैं : हाँ क्यों नहीं ?

फिर कभी सोफे पर कभी चेयर पर और कभी विंडो के पास खड़ा करके बहुत से पिक्स ली, कुछ पिक्स मैंने अपनी पसंद की भी ले ली जिसमे कैमरा फोकस मैंने खास तौर से चन्द्रमा के चूचियों और गांड पर रखा था, फोटोज लेने के बाद मैंने मैंने फ़ोन उसकी ओर बढ़ा दिया और पिक्स चेक करने के लिए बोला, लेकिन सुने मन कर दिया, लेकिन मैंने ज़ोर दिया की वो चेक कर ले की कही कोई गलत पिक्चर तो नहीं ली है मैंने और अगर पिक गलत लगे तो वो डिलीट कर सकती है (ये सब मैंने उसका विश्वास जितने के लिए कहा था, जिसका फ़ौरन असर भी हुआ )

उसने फ़ोन मेरे हाथ से लेकर एक तरफ रखा और मेरे बिलकुल सामने हो कर मेरी आँखों में देख कर बोली "अगर विस्वास नहीं होता तो भला मैं अकेले कभी आपके साथ आती ) इतना सुन कर मैंने उसको गले से लगा लिया, 2 मिनट हम ऐसे ही एक दूसरे को गले लगा कर खड़े रहे फिर मैंने उसका चेहरा ऊपर उठा तो उसने शर्मा कर चेहरा हल्का सा घुमा लिया, मैं समझ गया की अभी ये लिप्स पर किस्स के लिए रेडी नहीं है तो मैंने भी फिर धीरे से उसके माथे पर अपने होठ रख दिए, वो एक दम शांत हो गयी फिर मैंने धीरे से उसके चेहरे को अपने दोनों हाथो में भर लिए और हलके हलके माथे से लेकर गलो और गर्दन तक चूमने लगा, हर एक चुम्बन से उसका शरीर मस्ती से काँप उठा था, उसकीआँखे बंद थी लेकिन उसका शरीर बता रहा था की वो हर एक किस्स को फील कर रही है और हर एक किस्स के साथ उसके साँसे भारी हो रही है, मैंने किस्स करते करते उसे अपनी बाहों में जकड लिया और और साथ में रखे सोफे पर ढेर हो गया और चन्द्रमा ने भी अपने शरीर को ढीला छोड़ रखा था जो सीधा मेरे शरीर के ऊपर था, मैंने पागलों की तरह उसको यहाँ वह चूम रहा था केवल होंठों को छोड़ कर, चन्द्रमा भी पूरा साथ दे रही थी, एक पलकों मुझे लगा हाँ यही वो क्षण है जब सारी हदे पार हो सकती है और मिलन का पल आ सकता है लेकिन अचानक मानो चन्द्रमा की तन्द्रा भाग हुई और चन्द्रमा आँखे खोल कर मुझसे अलग होने का प्रयास करने लगी, मैंने ज़बरदस्ती नहीं की, बस हौले से पूछा " क्या हुआ ?" चन्द्रमा ने भी शांत लेकिन हौले से ही कहा बस बहुत हुआ इस से ज़ायदा नहीं, आपसे किस्स का प्रॉमिस किया था वो पूरा किया।

" हाँ तुमने वादा पूरा किया लेकिन अभी मैंने और बहुत सारी किस्सेस लेनी है " हाँ ठीक है वो बाद में देखेंगे बोलकर चन्द्रमा ने टाला।

अभी होटल में आये २ घंटे भी नहीं हुए थे और इतना कुछ हो गया वो भी काम बड़ी बात नहीं थी इसलिए मैंने भी ज़ायदा बात आगे नहीं बढ़ाई और फिर हम अपने कपडे ठीक ठाक करके होटल से निकल गए। सबसे पहले हमने हवा महल घूमने का प्लान बनाया क्यूंकि हवा महल हमरे होटल से ज़्यदा दूर नहीं था और वैसे भी दोपहर हो चुकी थी तो हम सीधे हवा महल जा पहुंचे, लगभग पांच बजे तक हमने टाइम वही बिताया, फिर वह से हम वापिस निकल पड़े, रास्ते में मैंने चन्द्रमा से पूछा क्या उसका और कुछ मन है तो उसने मना कर दिया की थक गयी हूँ अब कल घूमेंगे, मैंने तब तो कुछ नहीं बोला लेकिन थोड़ा आगे जाकर मैंने बोला की इतनी जल्दी जा कर होटल करेंगे क्या, एक काम करते है हमने लंच ठीक से नहीं किया था यही पास में एक फेमस मिर्ची वडा वाला है वह से अच्छा लगा तो कुछ खा कर हॉटेल चलते है अगर नाईट में भूख लगी तो रूम सर्विस से माँगा लेंगे। चन्द्रमा को या बात जम गयी और और मैंने ऑटो दूसरी दिशा में मुड़वा लिया। मैंने जान भुझ कर एक ऐसी शॉप को चुना था जो बिलकुल सेंट्रल पार्क के पास था, असल में मेरा मक़सद चन्द्रमा को सेंट्रल पार्क में लेके जाना था।

कुछ देर में हम उस दूकान पर पहुंच गए, अच्छी मशहूर शॉप थी, लोग भीड़ लगा कर खा रहे थे हमने भी वह पेट भर कर खाया, हवा महल घूमने के चक्कर में हमने ढंग से नहीं खाया था। मिर्ची वडा नाम के अनुसार ही तीखा और टेस्टी था और से चन्द्रमा ने तीखी चटनी लगा लगा कर खायी, मिर्ची खाने के कारन उसका पूरा चेहरा लाल हो गया लेकिन उसने खाना नहीं छोड़ा था, मिर्ची मुझे भी लगी थी लेकिन बहुत कम लेकिन मैं ऐसे दिखा रहा था मनो मिर्ची ने बुरा हाल कर रखा हो।

दूकान से निकल कर हम थोड़ा आगे बढे और पार्क के गेट के सामने पहुंच कर मैंने चन्द्रमा से कहा की थोड़ी देर यहाँ पार्क में बैठ कर रिलैक्स होते है फिर चलते है, मिर्चों ने उसका भी बुरा हाल किया हुआ था तो उसने भी विरोध नहीं किया और हम पार्क आगये, पार्क में एंटर करते टाइम मैंने टिकट काउंटर के पास बानी हुई शॉप से एक कोल्ड्रिंक और एक करनिटो आइस क्रीम चुपचाप खरीद ली थी, सेंट्रल पार्क जयपुर ही नहीं मेरे ख्याल से देश के सबसे बड़े पार्को में से एक है और खूब सुन्दर भी है, पार्क में घुसते ही फूलपौधे और झूले है जो पार्क का प्रमुख आकर्षण है, अधिकतर परिवार और बच्चे यही मस्ती मज़ा करते है लेकिन मैंने चण्द्रमा को लेकर एक शांत कोने की ओर चला पड़ा, थोड़ा आगे जाकर पार्क में एक आर्टिफीसियल तालाब है जिसमे बहुत सारे छोटे फव्वारे लगे हुए है और बीच में एक विशाल फव्वारा लगा हुआ है,लेकिन आज किन्ही करने से बंद था या बंद रहता होगा, यहाँ बिलकुल भी भीड़ नहीं थी। हम तालाब से थोड़ा पहले बनी एक बेंच पर जा बैठे, यहाँ चारो और छोटे बड़े काफी पेड़ पौधे थे तो यहाँ काफी शांति और ठंढक थी।

मैंने कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली और एक सिप लेकर चन्द्रमा को पकड़ा दी, उसको अब मिर्चे नहीं लग रही थी फिर भी वह धीरे धीरे कोल्ड ड्रिंक का सिप लेती रही, मैंने चन्द्रमा के कमर में हाथ डाल कर अपनी और खिंचा तो वो भी मुझसे सट कर बैठ गयी और सर मेरे कंधो पर रख लिया, लगभग 5-७ मिनट बीता होगा के अचानक किसी लड़की की कराह सुनाई दी, मैं चुपचाप शांत ऐसे बैठा रहा जैसे मैंने सुना ही ना हो लेकिन चन्द्रमा एक दम सीधी हो कर बैठ गयी और आवाज की दिशा में गौर से देखने लगी, फिर अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ के जैसे झकझोर दिया, मैंने चन्द्रमा के ओर देखा तो वो मेरे कान में फुसफुसाई वह देखो समीर उस पेड़ के नीचे और अपनी आंखो के इशारों से मुझे जो दिखाया वो बड़ा मज़ेदार दृश्य था,

इसी दिश्य को दिखने के लिए तो मैं उसको यहाँ लाया था, हमारे बायीं तरफ लगभग पचास साठ मीटर आगे एक लड़की का शरीर सिर और चेहरे को चुन्नी से ढाँपे तेज़ी के साथ ऊपर नीचे उछल रहा था, लम्बी कुर्ती ने पीछे से उसके विशाल चूतड़ों को छुपा रखा था लेकिन फिर भी कुर्ते के कट से उसकी नंगी मांसल झांघे साफ़ दिखाई दे रही थी, एकबारी तो देखने से ऐसा लगा रहा था मानो वो पेड़ के तने को अपनी बाँहों में पकडे पेड़ की किसी डाली को पानी चूत में समाये चुदाई के अलौकिक आनंद में लींन है है लेकिन ज़रा सा गौर करने पर दिख रहा था की दुपट्टे में एक नहीं दो सिर समाये हुए थे, लड़के ने पेड़ से टेक लगाया हुआ था और लड़की उसके खड़े लुण्ड पर उछल उछल कर अपनी चूत से प्रहार कर रही थी, दुपट्टे के अंदर से लड़का उसके मुम्मो को चूस रहा था और लड़की गांड उठा उठा के चुदवाने में मस्त थी, दोनों चुदाई में इतने लींन थे के उनको इस बात की परवाह तक नहीं था की लोग उनको देख रहे है, चुदाई की आग होती ही ऐसी है, अगर सर चढ़ जाये तो नंगेपन की चरम को भी पार कर जाती है।

जो कराह सुनकर हम उनकी और आकर्षित हुए थे शायद वो चूत में लुंड घुसने के समय की थी क्यंकि अब जिस रफ़्तार से लड़की अपनी भारी गांड उछाल उछाल के चुदवा रही थी उसमे तो केवल मनमोहक आह और उह की ही आवाज़े आरही थी, साथ में कभी कभी चूतड़ों के टकराने की आवाज़ ताल से ताल मिला देती थी। चन्द्रमा उनकी चुदाई देखने में जैसे खो सी गयी थी, उसकी सांसे भी थोड़ा भारी हो रही थे मैंने भी मौका देख के चन्द्रमा को अपने से और सटा लिया और हाथ उसके पेट पर रख हल्का हल्का सहलाना चालू कर दिया, अब उस लड़की की उछलने की रफ़्तार में अचानक से तेज़ी आगयी थी और फिर उस लड़की ने लड़के के सर को अपने हाथो में थमा और और उसके होंठों पर टूट पड़ी, लड़का भी नीचे से अपनी कमर उठा उठा के अपना लुंड लड़की की चूत में धक्के लगा रहा था जैसे लड़की की बच्चेदानी पर प्रहार कर रहा हो तभी अचानक लड़की का शरीर अकड़ा और फिर एक दम से ढीला हो गया, उनका माल निकलगया था, और वो उस लड़के की छाती पर निढाल होके गिर पड़ी, लड़की के चरम पर पहुंच के ढीला पड़ते देख चन्द्रमा भी होश में आयी और मेरी ओर देख के शर्मा गयी,

मैं : क्या हुआ ?

चन्द्रमा : छी कितने गंदे है ये,

मैं : मैं गंदे कहा, ये तो प्यार कर रहे है

चन्द्रमा : अरे पर ऐसे खुल्ले में

मैं : अरे सब नहीं कर सकते ओफ्फोर्ड होटल तो बेचारे क्या करे

चन्द्रमा : अच्छा छोड़ो, बड़ा बेकार पार्क है ये

मैं : अरे तो मुझे क्या पता कैसा पार्क है मैं कौन सा यहाँ पहले कभी आया हूँ

चन्द्रमा : अरे मैं आप को कुछ नहीं कह रही,

मैं : मैं अच्छा सुनो उधर देखो,

अब जो चन्द्रमा ने मेरी बायीं दिशा में देखा तो फिर मुँह खुला का खुला रह गया, हम ओपन में बेंच पर बैठे तो पता नहीं चल रहा था लेकिन जब धयान से देखा तो काम से काम पांच और जोड़े अपनी अपनी रासलीला में लगे हुए थे,

चन्द्रमा : हे भगवान इतना कुछ, और सब ओपन में

मैं : हाँ जब ऑप्शन नहीं है तो

हम बात करते करते बाकी जोड़ो को उनकी रास लीला करते हुए देख रहे थे ये जोड़े हमसे थोड़ी ज़्यदा दूर थे तो सब कुछ क्लियर नहीं दिख रहा था लेकिन साफ़ पता चल रहा था की कही चुदाई तो कही चुसाई चल रही है,

चन्द्रमा : चलो बस अब चल रहे है बहुत हो गया

मैं : हाँ बस चल रही है बस ये आइस क्रीम खतम कर के

चन्द्रमा : आइस क्रीम ?

मैं : हाँ ये करनेटो कब से पड़ी पिघल रही है तुमने खायी ही नहीं

चन्द्रमा : अरे मैंने तो देखि ही नहीं

मैं : कोई नहीं अब खा लो

चन्द्रमा : आपकी कहा है ?

मैं : इसी में से दोनों खाएंगे, उसके पास करनेटो केवल यही बची थी

चन्द्रमा : हम्म कोई नहीं शेयर कर लेगे

मैंने आइस क्रीम उसको पकड़ा दी, लेकिन आइस क्रीम लगभग १५ मिनट से बहार थी तो थोड़ा पिघलने लगी थी, चन्द्रमा ने जैसे ही खाना स्टार्ट किया आइस क्रीम टपक कर उसके होटों और ठोड़ी पर लग गयी, पर वो आइस क्रीम खाती रही, चन्द्रमा को करनेटो बहुत पसंद थी, उसने कई बार मुझे फ़ोन पर बताया था, जब खाते खाते आइस क्रीम आधी से काम बची तो उसने मेरी ओर बढ़ी दी लेकिन मैंने उसे थोड़ा ओर खाने को कहा, अब केवल कोन (बिस्कुट) वाला पार्ट ही बचा था,

मैं : अरे तुमने सारी क्रीम ख़तम कर दी

चन्द्रमा : आपने ही बोला था की थोड़ा ओर खा लो तो मैं खा गयी

मैं : लेकिन मेरा हिस्सा

चन्द्रमा : बाद में

मैं : नहीं अभी चाहिए

चन्द्रमा : अभी कहा मिलेगी, चलो रस्ते में कही से दिला दूंगी

मैं : उनहूँ मुझे तो अभी कहानी है, बोलो खा लू ?

चन्द्रमा : कोन (बिस्कुट) आगे बढ़ाते हुए लो खा लो

मैं : रहने दो मैं खुद खा लूंगा और कहते हुए

मैं अपना एकहाथ चन्द्रमा के पीठ पर लेकर गया और इससे पहले चन्द्रमा कुछ कह पाती उसके होंठ और ठुडी पर लगी क्रीम को चाट लिया, शायद चन्द्रमा अभी एक अनजान जोड़े की लाइव चुदाई देख कर अंदर तक गर्म थी की उसने अपने रसीले होंठ मेरे होंटो से लगा दिया, चन्द्रमा के होंठ से होंठ का मिलना ऐसा था मनो बरसो की मुराद पूरी हुई हो और मैंने चद्र्मा के चाँद जैसे मुखड़े को अपने दोनों हाथो में भर कर उसके शहद जैसे होंटो का रसपान करना शरू कर दिया, चद्र्मा भी पुरे जोश से मेरे होंटो को जवाब दे रही थी फिर वो पल आया की मेरी जीभ चन्द्रमा के जीभ से टकराई और हम दोनों एक दूसरे के होंठों के साथ साथ जीभ का रासपान करने लगे। हमारा ये किस्स या स्मूच इतना रसभरा और लम्बा था की गुरुवर इमरान हाश्मी भी प्रसन्न हो उठे, शायद ये पिछले दो साल की तड़प के बाद आज मौका आया था और हम दोनों अपनी किस्स में डूबे हुए थे, दोनों की सास उखाड़ने लगी लग हमने एक दूसरे के होंठ को छोड़ा और एक दूसरे की आँखों में देखा, चन्द्रमा नशे में मदहोश थी, प्यार और चुदाई दोनों का नशा चढ़ रहा था उसके दिल दिमाग पर।

तभी पत्तो की हलकी खड़खड़ाहट की आवाज़ पर देखा तो वो अजनबी जोड़ा जा रहा था, लड़की ने चुन्नी सर पर ओढ़ थी और और आगे आगे चल रही थी, लड़का उसके पीछे था, जब लड़का हमरे सामने से गुज़रा तब उसने चन्द्रमा से नज़रे बचा कर मेरी ओर आँख मार दी। मैंने भी मुस्कुराकर उसका अभिवादन किया भले उस अजनबी लड़के लड़की को आजीवन पता ना लगे लेकिन उनकी चुदाई ने मेरा रास्ता आसान कर दिया था, शायद उनकी ही चुदाई का असर था जो मैंने और चन्द्रमा ने अपनी पहली और इतनी उत्तेजित किस्स की थी। चन्द्रमा ने भी मेरा हाथ पकड़ा और चलने का इशारा किया, हमारा यहाँ काम पूरा हो चूका था सो हम भी वह से निकल कर होटल आ गए।
 
होटल की लॉबी में पहुंच कर मैंने चद्र्मा को रिसेप्शन से चाभी लेकर दी और और उसको रूम में जाने के लिए बोला, मैं चाहता था की जब चन्द्रमा रूम में पहुचे तब अकेली हो ताकि जो हरकत मैं होटल से करके निकला था वो मेरे सामने ना हो, अब मैं कोई एक्टर तो था नही की मेरे सामने अगर वो मुझसे कुछ पूछती तो मैं किसी मंझे हुए अदाकार की तरह एक्टिंग करके सच छुपा जाता,

मैंने बहाना बनाया की मिर्ची वडा खाने से एसिडिटी फील हो रही है और मैं ENO लेने जा रहा हूँ, उसने भी एक एक्स्ट्रा लाने को कहा और रूम की और बढ़ गयी।

मैं पास की ही केमिस्ट की शॉप से कुछ पैकेट्स ENO के और एक पैकेट डुरेक्स कंडोम (१० पीस वाला ) का खरीद लिया और होटल रूम में जा पहुंचा, रूम बंद नहीं था, हल्का सा भीड़ा हुआ था, मेरे हल्का सा धक्का देने से खुल गया, चन्द्रमा बाथरूम में मेरी और पीठ किये कपडे निचोड़ रही थी, मैं अनजान बनते हुए
मैं : अरे अरे ये क्या कर रही ही हो ?
चद्र्मा : अरे वो कपडे पानी में गिर कर गीले हो गए तो उनको ही धो दिया
मैं : (झट से रूम का दरवाज़ा बंद करते हुए ) पागल लड़की तुमको पता नहीं है क्या की होटल में कपडे धोना मना होता है, अभी होटल के किसी स्टाफ ने देख लिया तो बेकार में बवाल काटेंगे।
चन्द्रमा : अरे क्यों भला, हमने पैसे दिए है रूम के जो मन चाहे करे।
मैं : हाँ मन चाहा भी करेंगे लेकिन होटल का ये नियम है, क्यूंकि मोस्ट होटल्स की विंडोज ओपन नहीं होती और ऐरकण्डीशन हमेशा एक चलता है जिसके कारन कपडे नहीं सूखते और रूम में सीलन जैसी रहती है और साथ ही रूम में अजीब सी स्मेल बस जाती है इसीलिए होटल में कपडे धोना मना होता है
चन्द्रमा : उन्हह अब तो धो भी लिए मैंने
मैं : ठीक है लेकिन अब इसे ऐसी जगह रखना जहा थोड़ी गर्मी हो वार्ना नहीं सूखेंगे साड़ी रात भी, और ये कोण से कपडे गीले हुए है ?
चन्द्रमा : कोई खास नहीं अब आप जाओ अंदर बैठो मैं दो मिनट में आती हूँ
मैं : जो हुकुम बेगम साहिबा
चन्द्रमा : झेंपती हुई, अब जाओ भी ना

मैं रूम में अंदर आगया और ENO साइड टेबल पर रख कर कंडोम के पैकेट को अपने बैग में ठूंस दिया और बिस्तर पर आराम से तक लगा के पसर गया, तब तक चन्द्रमा ने अपने कपडे निचोड़ लिए थे और साथ में अपनी दिन की उतारी हुई टीशर्ट भी धो ली थी, मैंने नोटिस किया की जब वो अपने गीले कपडे रूम मे लेकर आयी तब उसने अपनी ब्रा टीशर्ट के अंदर लपेटी हुई तो ताकि मेरी नज़र ना पड़े, अब उस बेचारी को क्या पता था की उसकी ब्रा मैंने जान बूझ कर पानी में गिरायी थी,

चन्द्रमा ने गिलास विंडो के पास चेयर पर अपने कपडे दाल दिए थे और ब्रा को छुपाने के लिए उसने अपनी गीली टीशर्ट से ढक दिया था, मैं ये सब बिस्तर में बैठा बैठा कनखियों से देख रहा था, चन्द्रमा भी कभी कभी आंख बचा कर मेरी और देख लेती की कही मैं उसकी हरकतों को तो नहीं देख रहा है लेकिन मैं ऐसे बना बैठा था की मानो मैं टीवी में खोया हुआ हूँ, थोड़ी देर में चन्द्रमा जब फ्री हो के मेरे सामने आ खड़ी हुई तो मैंने बिना टीवी से नज़रे हटाए आम से लहजे में पूछ लिया "
मैं : तुमने अपने कपडे तो धो दिए है लेकिन देख लेना अगर नहीं सूखे तो कल क्या पहनो गई ? क्या तुम एक्स्ट्रा कपडे लायी हो ? (ये सवाल जान बूझ कर पूछा था ताकि अगर चन्द्रमा के दिमाग में बात क्लियर ना हुई हो तोह अब हो जाए)
चन्द्रमा : हाँ देखती हूँ नाईट के लिए एक टॉप है वो डाल लुंगी और दिन वाली लेगिंग्स
मैं : हूण ठीक है (मन खुश होते हुए )
चन्द्रमा : आपको तो बाथरूम नहीं जाना ?
मैं : मैं हाँ जाऊंगा नहाने
चन्द्रमा : फिर दो मिनट रुक जाओ मैं बस कपडे चेंज कर लू फिर आप नहा लेना
मैं : ओके कर लो

चन्द्रमा जल्दी से बाथरूम घुस गयी और अपने कहे अनुसार २ मिनट में कपडे चेंज कर आयी तब तक मैंने ऐरकण्डीशनर के कण्ट्रोल के कीपैड से रूम टेम्प्रेचर लौ कर दिया था, चन्द्रमा ने एक हलके पिंक कलर का टॉप दाल लिया था और जो ब्लैक लेग्गिंग्स वो ट्रैन में पहन के आयी थी वो पहना हुआ था, उसने कपडे चेंज करने बाद हाथ मुंह धोया था फेस वाश से जो साफ़ और खिला खिला लग रहा था, कुछ पानी उसकी टीशर्ट के गले के पास भी लग गया था पर मेरा धयान आज ना उसके सुन्दर चेहरे पर था और ना टाइट लेगिंग्स में उसके उभरे हुए गजब के चूतड़ पर, मेरा पूरा धयान उसकी छाती की उभरी हुई गोलाईंयों पर था और जो चन्द्रमा चलती हुई मेरे सामने से गुज़री तो मैं मन ही मन वाह कर उठा, उसके चलने से जो टीशर्ट ने उसके उभारों पर रगड़ खाया तो उसकी मखमली चूचियों के कड़क निप्पल्स ने झट से सर उठा कर अपनी हाज़िरी लगा डाली, वाह क्या चूचियां और क्या निप्पल्स थी, ये सीन इस बात की गवाही दे रहा था की मेरा प्लान कामयाब रहा। जी हाँ बाथरूम में पानी इकठ्ठा करने और उसमे चन्द्रमा की ब्रा गिराने का सिर्फ एक ही मक़सद था की आज रात जब चन्द्रमा मेरे साथ एक ही बिस्तर में लेटे तो उसने ब्रा ना पहनी हो, और वही हुआ, चन्द्रमा के पास २ ही ब्रा और पेंटी थी जिसमे से एक गीली हो गयी थी अब अगर वो रात में दूसरी ब्रा पहनती तो फिर दिन में भी वही ब्रा उसको पहननी पड़ती इसीलिए उसने एक ब्रा धो दी और दूसरी ब्रा संभल के लिए रख दी कल के लिए।

मैं भी थोड़ी देर में उठा और नहाने चला गया, मैंने दिन में ही नहाया था तो अभी कोई खास रीज़न नहीं था नहाने का लेकिन मैं चाहता था की मैं भी नाहा के फ्रेश रहूँ ताकि अगर सोते हुए मैं चन्द्रमा को अपनी बाँहों में भरूँ तो उसको मेरे शरीर से अच्छी स्मेल आये।
बाथरूम में चन्द्रमा के कोई कपडे नहीं थे ना कोई ब्रा या पेंटी शायद उसने छुपाने के लिए बैग में डाल दी थी, खैर मैं जल्दी से नाहा धो कर रूम में आया, मैंने अपना एक नाईट लोअर डाल लिया था और अंडरवियर नहीं पहना था, ऊपर बस बनियान। वैसे तो होटल की तरफ से २ धुले धुलाये बाथरोब मिले थे लेकिन ना मैंने उनको अपने लिए उसे किया और न चन्द्र्मा को बाथरोब के बारे में बताया ।

मैं रूम में आया तो देखा चन्द्रमा अब बीएड में कम्बल में घुसी हुई थी शायद उसे ठण्ड लग रही थी। लगती भी क्यों नहीं मैंने रूम का टेम्प्रेचर १७ डिग्री जो किया हुआ था, मैं भी झट से बिस्तर में घुस गया और चन्द्रमा से थोड़ा हैट के लेट कर टीवी देखने लगा, चन्द्रमा रियलिटी शो देख रही थी जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं था तो मैंने उसके हाथ से रिमोट ले कर चैनल्स बदलने लगा, थोड़ी देर हम ऐसे टीवी देखते रहे लेकिन बात आगे नहीं बढ़ रही थी शायद दोनों में एक झिझक थी, मैंने खाने का पूछा तो चन्द्रमा ने मना कर दिया,

मैं : अच्छा ये तो बताओ तुमको पसंद क्या क्या है ? अब जब हम यहाँ है तो मैं तुमको तुम्हारी पसंद की चीज़े खिला दूंगा
चन्द्रमा : अरे कुछ खास नहीं मैं सब खा लेती हूँ
मैं : मतलब नॉन वेज भी
चन्द्रमा : हाँ थोड़े दिन पहले तक खा लेती थी अब नहीं खाती
मैं : क्यों ऐसा क्या हुआ ?
चन्द्रमा : वो मम्मी को पसंद नहीं है, पहले मैं और पापा खा लेते थे लेकिन अब मैंने छोड़ दिया
मैं : ओह्ह तो तुम्हारे पापा खाते है नॉन वेज
चन्द्रमा : हाँ पंजाबी है तो सब खाते है वो
मैं : एक सेकंड तुम्हारे पापा पंजाबी है लेकिन तुम्हारी माँ की भाषा तो बिहार के जैसी है
चन्द्रमा : हाँ मेरी मम्मी बिहार की है
मैं : ओह्ह वाओ लेकिन पंजाब और बिहार का मिलन कैसे हुआ, दोनों बिलकुल अलग अलग है, क्या लव मर्रिज है उनकी
चन्द्रमा : ओह्ह छोडो भी, बाद में बताऊंगा फिर कभी (ये उसका बात टालने का तरीका था )
मैं : हम्म ठीक है फिर और कुछ बाते करते है (इतना कह कर मैंने अपने हाथ बढ़ा कर उसके कंधे को पकड़ा और उसे अपनी और खींचा, वो भी बिना किसी झिझक के मेरे और करीब आगयी, अब चन्द्रमा का सर मरे बाज़ू पर रखा था और मेरा हाथ सर के नीचे से निकल कर उसकी अधखुली बाज़ू का सहलाने लगा जैसे मैंने ट्रैन यात्रा के दौरान उसके हाथ को सहला रहा था, उसकी ओर से कोई विरोध ना देखके मैं बेधड़क होकर उसकी बाज़ू को सहलाता रहा और वो बातों में खोयी मुझे यहाँ वहा की कहानियां सुनाती रही, काफी टाइम ऐसे ही चलता रहा फिर चन्द्रमा उबासी लेने लगी और अब मुझे भी हलकी नींद आरही थी क्यूंकि मैं ५ बजे सुबह का उठा था और ट्रैन में भी सोया नहीं था।
 
चन्द्रमा ने सोने के लिए कहा तो मैंने टीवी ऑफ किया और हाथ बढ़ा कर लाइट्स ऑफ कर दी लेकिन अपने साइड का टेबल लैंप बंद नहीं किया, चन्द्रमा ने अपना सर मेरे हाथ से हटा कर तकिये पर रख लिए और मैंने चन्द्रमा की ओर करवट ले कर लेट गया, हालाँकि मुझे नींद आरही थी फिर भी मैं अभी सोना नहीं चाह रहा था क्यूंकि आज की ही रात मैं अपने प्लान को अंतिम दिशा देना चाहता था, जितना लेट होता उतना मज़ा कम हो जाता, हग और किस हो चूका था अब बारी थी नेक्स्ट लेवल पर जाने की और वो आज रात ही अंजाम तक जाना चाहिए था।

चन्द्रमा ने कम्बल अपनी छाती तक ओढ़ के अपनी आँखे बंद कर ली और धीरे से गुड नाईट कहा, मैं इसी गूड नाईट के इंतज़ार में था,
मैं : गुड नाईट अभी कहा
चन्द्रमा : मैं सोने लगी हूँ इसलिए अब गुड नाईट
मैं : हाँ सो जाओ लेकिन गुड नाईट तब होगी जब गुड नाईट किस मिलेगी
चन्द्रमा : हप्प हर समय गुंडई गुंडई बात करते हो , कोई किस विस् नहीं
मैं : हम्म भूलो मत वादा किया था तुमने की मना नहीं करोगी
चन्द्रमा : अरे कर तो लिया था आज किस अब और कितनी चाहिए
मैं : मुझे बहुत साड़ी चाहिए। और ये तो गुड नाईट वाली है
चन्द्रमा : ठीक है कर लो लेकिन बस एक वो भी माथे पर लिप्स पर नहीं
मैं : ओके ठीक है माथे पर ही सही लेकिन एक नहीं ५ चाहिए
चन्द्रमा : नो ओनली वन
मैं : ओके थ्री पर लॉक करते है
चन्द्रमा : हम्म

मैं उसकी हम्म को उसकी सहमति समझ गया और और हाथ बढ़ा कर उसको अपनी बहो में जकड़ लिया , चन्द्रमा ने समझा था की मैं सीधा उसको किस करूँगा, लेकिन तो बहाना था असली चाल तो चन्द्रमा को गर्म करने की थी, चन्द्रमा के सोंच के विपरीत हुआ था फिर भी उसने कोई विरोध नहीं किया, मैंने लेटे लेटे चन्द्रमा को अपनी बाँहों में कस लिया और उसके शरीर पर धीरे धीरे हाथ चला कर पीछे से उसके शरीर के उभारों का अंदाज़ा लेने लगा, मैं बहुत हलके हाथो से उसको शरीर को कपड़ो के ऊपर से सहला रहा था, कभी कभी हाथ उसके शरीर पर फेरते वक़्त मेरा हाथ टॉप और लेग्गिंग्स के बीच उसके नंगे शरीर को छूटा तो उसका शरीर हलके से कांप उठता, मैं बहुत तक ऐसे ही करता रहा और फिर जब चन्द्रमा हल्का सा कसमसाई तो अपने होंठ उसके माते पर रख दिया, होंठ उसके माथे पर रखते ही चन्द्रमा का शरीर शांत सा होगया जैसे वो भी ऐसा ही चाह रही हो, अपना होंठ उसके माथे पर रखे मैं अपने हाथ से उसके शरीर के हर एक अंग को महसूस करने की कोशिश कर रहा था और इधर चन्द्रमा की साँसे भारी होने लगे थी, अब उसका भी आलिंगन मेरे शरीर पर हो चला था और वो अपनी मस्त छातियों के उभर मेरी छाती से चिपका चुकी थी, अब मेरा हाथ जो अब तक चन्द्रमा के पीठ और कमर पर घूम रहा था को मैंने चन्द्रमा की कोमल उठी हुई चूतड़ों के ऊपर फिरना शुरू कर दिया था, जैसे जैसे मेरा हाथ चन्द्रमा के चूतड़ों पर घूम रहा था वैसे वैसे चन्द्रमा अपनी चूचियों को मेरी छाती में दबा रही थी,

मैंने अपने होठ चन्द्रमा के माथे से हटा कर गालो को किस करना स्टार्ट कर दिया था और है किस के साथ चन्द्रमा की साँसे और तेज़ होने लगी थी, मैंने भी ज़ायदा देर ना करते होने चन्द्रमा के रसीले होंटो को अपने होंटो में ले लिया और अपने हाथ से चन्द्रमा चूतड़ों से दबाव बढ़ा कर उसकी चूत को सीधा अपने लण्ड पर लगा दिया, ना जाने कितने समय के बाद मेरे प्यासे लण्ड को चूत की गर्माहट नसीब सुई थी, गर्माहट पाते ही पहले से ही खड़ा लण्ड और अकड़ गया और पाजामे के अंदर से ही चन्द्रमा की चूत पर ठोकरे मारने लगा, सबसे अच्छी बात ये थे की लण्ड के हर ठोकर का जवाब चूत भी हल्का लण्ड को ठेल कर दे रही थी, जैसे कह रही हो, मौका आने दो जड़ तक तुझे अपने अंदर तक ना समाया तो मेरा भी नाम चूत रानी नहीं।

लगभग 3-४ मिनट तक हमारा चुम्बन चला और छाती से छाती का रगड़ना और चूत से लण्ड का झगड़ना चला की अचानक चन्द्रमा ने चुम्बन को तोडा कर एक गहरी सांस ली और अपनी चूत का एक झटका मेरे लण्ड मार कर निढाल हो गयी, शायद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था,
ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी का पल था, किसी लड़की को उसके चरम तक पहुंचना कोई छोटी बात नहीं थी।

चन्द्रमा ने आँख खोल कर मेरी और देखा और जैसे ही हमारी आँखे टकराई उसने अपना शर्म से लाल चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया
मैंने फिर से चन्द्रमा को अपनी बाँहों में समेत लिया और कुछ देर बिना हरकत किये ऐसे ही लेटा रहा, कुछ मिनट में जब चन्द्रमा के सांस में सांस आयी तो उसने मेरे लण्ड की चुभन अपने पेट पर फील की और झट से मेरी बहो से निकल कर करवट लेकर लेट गयी, करवट तो ले लिया उसने पर ये भूल गयी की लड़को जितना मज़ा लड़की की चूची और चूत देती है उतना ही मज़ा लड़को को उसके चूतड़ और गांड से खेलने में आता है।

मैंने भी झट से चन्द्रमा को उसकी कमर से पाकर कर अपनी ओर खिंचा और अपने लण्ड को सीधा उसकी गांड की दरार से सटा दिया, चन्द्रमा को जब तक समझ आता तब तक मेरा लण्ड उसकी गांड की गर्मी को महसूस करके अपने विकराल रूप में चुका था। मैंने हाथ चन्द्रमा की कमर से हटा कर उसकी नाभि की ओर लेकर गया और फिर वही हलके हाथो से टीशर्ट के अंदर से उसके नंगे पेट और नाभि को फील करता रहा था, एक ओर मेरा लण्ड उसकी गांड में अड़ा था तो दूसरी ओर मेरा हाथ उसके चिकने शरीर का नाप ले रहा था .
 
मैंने भी झट से चन्द्रमा को उसकी कमर से पाकर कर अपनी ओर खिंचा और अपने लण्ड को सीधा उसकीगांड की दरार से सटा दिया, चन्द्रमा को जब तक समझ आता तब तक मेरा लण्ड उसकी गांड की गर्मी को महसूस करके अपने विकराल रूप में चुका था।

मैंने हाथ चन्द्रमा की कमर से हटा कर उसकी नाभि की ओर लेकर गया और फिर वही हलके हाथो से टीशर्ट के अंदर से उसके नंगे पेट और नाभि को सहलाता रहा था, एक ओर मेरा लण्ड उसकी गांड में अड़ा था तो दूसरा उसके चिकने शरीर की नाप ले रहा था, चन्द्रमा का पेट एक दम सपाट था, कोई चर्बी नहीं एक दम चिकना और सपाट, और हो भी क्यों ना मुश्किल से 20 साल की उम्र थी लड़की की इस उम्र में शरीर का रोम रोम कामुकता से भरा होता है।

मेरे हाथ चन्द्रमा के शरीर पर अपना जादू चला रहे थे और लेकिन अभी तक मेरे हाथ रुई के गालो जैसी नरम गोलाइयाँ तक नहीं पहुंचे थे, चन्द्रमा शायद एक बार सवखलित हो कर शांत हो गयी थी लेकिन मेरे हाथ और उसकी गांड में फसा लुण्ड उसके शरीर में गर्मी पैदा कर रहे थे, मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर रहने दिया और दूसरे हाथ से उसके टॉप के ऊपर से हलके हलके चूचियों की गोलाइयों पर फेरने लगा, जैसे जैसे मेरा हाथ चन्द्रमा की चूचियों की गोलाईंयों पर गोल गोल घूम रहा था वैसे वैसे उसके शरीर में कर्रूँट सा दौड़ रहा था आखिर 3-४ मिनट ऐसा करने के बाद मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ और और बस एक ही झटके में उसकी दाहिनी चूची अपनी हाथो में भर लिया, उसकी चूचिया क्या थी मनो मक्खन का नरम मुलायम डाली हो, हाथ में आते ही ऐसे अनोखा एहसास जैसे सारी दुनिया का मज़ा बस इसी गोलाइयों में हो, चूचि हाथ में आते ही चन्द्रमा तड़प गयी और एक झटका सा लिया, इस झटके ने मेरे लण्ड को चन्द्रमा के गांड में और अंदर तक घुसा दिया, लेग्गिंग्स का पतला कपडा मेरे लुण्ड और चन्द्रमा के गांड की गर्मी को झेल नहीं पा रहा था, उधर मैंने इस झटके बाद भी उसकी चूचियों को नहीं छोड़ा था और उसकी चूचियां वैसे ही मेरे हाथ में दबी भुई थी, कुछ 20-३० सेकेण्ड में उसका शरीर शांत हुआ तो मैंने फिर ध्रीरे से टॉप के ऊपर से उसके निप्पल्स को जो एकदम तन के खड़े थे अपनी अंगुली और अंगूठे में हल्का सा दबा कर गोल गोल घूमने लगा जैसे अंगूर का दाना हो।

जैसे जैसे मैं उसके निप्पल को अपनी उँगलियों से दबा रहा था वैसे वैसे उसका शरीर ऐंठ रहा था कुछ ही मिंटो में जब चन्द्रमा से बर्दाश्त नहीं ही हुआ तो सीधी हो कर लेट गयी उसकी आँखे बंद और साँसे गहरी थी मेरे पास इस से अच्छा मौका फिर नहीं मिलने वाला था मैंने झट से चंदमा के टॉप को ऊपर किया और बिना एक भी सेकेण्ड बर्बाद किये उसके बायीं चूची के निप्पल पर टूट पड़ा जैसे जन्मो का प्यासा हो, मैं उसके गुलाबी निप्पल को अपने मुँह में लेकर मीठी लेमनचूस के जैसे चुभलाने लगा , मेरे होंठों का चन्द्रमा की चूचियों पर लगना था की चन्द्रमा मस्ती से पागल हो उठी और अपनी गांड उठा उठा कर बिस्तर पर पटकने लगी, मैं कोई भी मौका छोडना नहीं चाहता था इसलिए झट उसके बायीं चूची पर अपने हाथ से कब्ज़ा जमा लिया, अब चन्द्रमा की एक चूची मेरे मुँह में और दूसरी मेरे हाथ में दबवा कर मज़े ले रहे थी ।

मेरे चूची पर डबल अटैक को चन्द्रमा संभल नहीं पा रही थी और बिस्तर पर जल बिन मछली जैसे तड़प रही थी और कामुक सिसकारियां ले रही थी, मेरा एक हाथ अभी अभी खाली था, मैंने बिना वक़्त बर्बाद किये तीसरा अटक उसकी चूत पर किया, लेग्गिंग्स के उपर से ही और उसकी चूत को एक बार में ही पूरा मुट्ठी में भर लिया, मानो चन्द्रमा की चूत इसी पल के इन्तिज़ार में थी, मेरा चूत को पकड़ना था की एक दम से भरभरा कर झड़ गयी, चन्द्रमा इतनी तेज़ झड़ी थी की उसने अपनी झांघो में मेरे हाथ को जकड लिया, चन्द्रमा मादक सिसकारियां निकलते हुए झाड़ रही थी, शायद ये उसका पहला सेक्सुअल एक्सपेरिंस था तभी इतनी जल्दी दो बार झाड़ गयी थी ।
 
कुछ समय में ही दो बार झड़ने के कारन चन्द्रमा निढाल सी हो गयी थी लेकिन अभी तक मेरा प्लान पूरा नहीं हुआ था, क्यूंकि अभी तक चन्द्रमा ऊपर से ही नंगी हुई थी नीचे अभी तक उसकी लेग्गिंग्स चूत को ढकेहुए थी जिसके कारन अभी तक मैंने उसकी रस छोड़ती चूत का दीदार नहीं किया था बस अभी एक दो मिनट पहले पहली बार मैंने उसकी चूत को पैंटी और लेग्गिंग्स के ऊपर से मुट्ठी में भरा था,लेग्गिंग्स के पतले कपडे और उसके नीचे पैंटी के होने के बाद भी उसकी रस बहती चूत का गीलापन मैंने अपने हाथो पर साफ़ महसूस किया था और जान चूका था की चद्रमा की चूत इस समय हद से ज़ायदा गीली थी, मुझे अपने पुराने अनुभव से पता था की जब लड़की की चूत हद से ज़ायदा गीली हो तो उस समय लड़की पर ना दिल की चलती है और ना दिमाग की, उस समय लड़की के हर एक डिसीज़न पर चूत का कब्ज़ा होता है और मैं इस मौके खोना नहीं चाहता था, लड़की मन है कही सुबह तक बदल गया तो, फिर रह जाता ना चूतिया जैसे हाथ में लण्ड पकडे हुए, और मैं चूतिया बिलकुल नहीं था,

चन्द्रमा दूसरे ओर्गास्म के बाद तकिये पर अधलेटी से गहरी गहरी साँसे ले कर कुछ को शांत कर रही थी, मैंने नज़रे उठा कर देखा तो उसके कुछ बाल पोनीटेल से खुल कर इधर उधर फ़ैल गए थे और उसका टॉप जो मैंने उसकी चूचियों को नंगा करने के लिए ऊपर किया था अभी तक वैसे ही उसके गले में अटका हुआ था, उसने अभी तक उसको नीचे नहीं किया था, अब मैंने नज़रे नीची करके अपना धयान उसकी नंगी चूचियों की और किया, उस समय जल्दीबाज़ी में मैं चूचियों को ढंग से देख नहीं पाया था, टेबल लैंप की हलकी रौशनी में एक दम गोरी और छत की ओर तनी हुई चूचियां,अंगूर के लम्बे दाने के जैसा लम्बा हल्का गुलाबी निप्पल और निप्पल के चारो ओर गोलाई में फैला हुआ एलोरा, गौर से देखने पर एलोरा पर छोटे छोटे दाने और उन दानो के अस्स पास दो चार छोटे छोटे बाल, एक दम मस्त मनो किसी ने एडल्ट फोटोग्राफर के कल्पना में से निकाल कर ये चूचिया चन्द्रमा की छाती पर लगा दी हो, मैं बरबस ही अपनी जगह से हिला और अपनी जीभ निकल कर चन्द्रमा के खड़े निप्पल्स को चाट लिया, चन्द्रमा जो की सुस्ता रही थी वो आँखे खोल कर मेरी देखने लगी लेकिन मैं तन्मन्यता से उसकी चूचियों को निहार निहार कर चाटने लगा, मैं ये सब कुछ धीरे धीरे कर रहा था क्यूंकि मुझे मालूम था की अगर जल्दी किया तो कही रोक न दे क्यंकि अभी अभी तो झड़ कर शांत हुई थी और उसको फिर से गरम होने में पांच सात मींचते का तो टाइम लगता ही, जैसे जैसे मैं उसके निप्पल्स को चुस्त चाटता जा रहा था वैसे वैसे उसके शरीर में गर्मी आती जा रही थी और उसका शरीर मेरे हर एक चुमबन से सिहरने लगा था,

मैं अभी भी चन्द्रमा के साइड में लेट कर ये सब क्रिया अंजाम दे रहा था, मैंने उसके शरीर के ऊपर अभी तकपुरा नहीं लेता था, इस कार मुझे थोड़ी दिक्कत तो आरही थी लेकिन मैं जान भुझ कर थोड़ी डिस्टेंस मेन्टेन करके चल रहा था, जैसे जैसे चन्द्रमा का शरीर गर्म होता जा रहा था वैसे वैसे मेरे हाथो ने भी उसके शरीर पर फिसलना शरू कर दिया था और मैं उसकी चूचियों को चूसने के साथ साथ उसकी चूचियों के दबा रहा था मसल रहा था, जब जब मैं उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी निप्पल्स को छेड़ता वो कराह उठती मनो उसकी जान उसी में बसी हो, मैं अपना खेल पुरा मन लगा कर खेल रहा था और चन्द्रमा उसमे पूरा सहयोग कर रही थी, लगभग ५ मींचे ऐसा करते रहने के बाद मुझे फील हो गया की चन्द्रमा अब पूरी गरम हो चुकी है क्यूंकि अब उसकी कामुक सिसकिया उसके लाख होंठ काटने के बाद भी निकल रही थी और मेरा जोश बढ़ा रही थी, तभी चन्द्रमा ने अपने हाथ मेरे बालों में फेरना शरू कर दिया और दो चार बार मेरे बालो में हाथ चला कर मेरे सर को अपनी ओर खींचा, मैंने सर उस्ता कर सवालियां नज़रो से देखा तो चन्द्रमा ने निगाहे नीचे कर फुसफुसा कर कहा "बस करो बहुत हुआ, मैं दो बार हो चुकी हूँ " ये शायद हमारे बीच होने वाली पहली बात चीत थी, अब तक केवल इशारो में या उन्हह आह जैसे शब्दों से ही यहाँ तक का सफर तय हुआ था, मैंने भी उसके कान के समीप जा कर फुसफुसा कर कहा "बस जो कर रहा हूँ करने दो उसके बाद दोनों को शांति मिल जाएगी, नहीं तो दोनों साड़ी रात बेचैन रहेंगे और नींद भी नहीं आएगी" , मेरी बात सुन बिना कुछ बोले चन्द्रमा ने वापिस मेरे सर को अपनी चूचियों की ओर ठेल दिया और मैं समझ गया की जोभी मैं कर रहा हूँ उसमे चन्द्रमा की हाँ है, मैं वापिस चन्द्रमा की चूचियों पर टूट पड़ा, अब मेरे चन्द्रमा की चूचियों को चूसने और चाटने की गति ज़यादा थी, और मैं उसकी चूचियों को ज़ायदा ज़ोर से दबा दबा के मज़े ले रहा था, अब कमरा चन्द्रमा की करहो और सिसकियों से गूंजने लगा था, मैंने अब अपना हाथ चलाते हुए धीरे धीरे उसकी कमर से नीचे उसकी चूतड़ों तक पंहुचा दिया था और लेग्गिंग्स के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को मसलने लगा, जैसे जैसे मैं उसके चूतड़ मसलता वैसे वैसे चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठा कर अपनी गांड बिस्तर पटकती, दूसरी और मैं पूरी तन्मन्यता से कभी दायी कभी बायीं चुची को चुस्ता।

मैंने चूसते चूसते अपनी पोजीशन चेंज की और धीरे से चन्द्रमा की दोनों टांगों के बीच में आगया, इस पोजीशन में आसानी हो रही थी चन्द्रमा को चूसने में और साथ उसके चूतड़ मसलने में और अब जैसे ही चन्द्रमा अपनी चूत हवा में उठती तो उसकी चूत मेरे पेट से रगड़ कहती जिसके कारन चन्द्रमा के शरीर में कर्रूँट सा दौड़ जाता, मैंने अपने हाथो को अब लेग्गिंग्स के अंदर डाल दिया और अब पैंटी के ऊपर से चूतड़ों को रगड़ने लगा, मेरे एक के बाद एक होते अटैक से चन्द्रमा की हालत असत वयस्त थी और उसकी आह आह सी सीई से पूरा माहौल कामुक बना हुआ था, मैंने अब चन्द्रमा की चूचियों को छोड़ अपनी जीभ और मुंह को उसके पुरे शरीर पर फेरना स्टार्ट कर दिया था और धीरे धीरे उसकी नाभि पर पहुंच कर उसकी नाभि में झीब डाल कर उसकी नाभि कुरेदने लगा, ऐसा करने से चन्द्रमा की मनो घिघि सी बांध गयी थी और वो अजीब अजीब आवजे निकाल रही थी, मैं बार बार अपनी जीभ से उसकी नाभि कुरेदता और सके पेडू के पास चाट लेता ऐसा मैंने चार पांच बार किया और हर बार चन्द्रमा ने अपनी चूत हवा में उठा कर मेरी इस क्रिया का समर्थन किया, मेरे हाथ अब चन्द्रमा की लेग्गिंग्स से होते हुए उनकी पैंटी में घुस चुके थे और उसके चिकने नंगे चूतड़ों को रगड़ रगड़ कर लाल कर रहे थे, मैंने ऐसे ही रडते रगड़ते अपना हाथ उसकी पैंटी और लेग्गिंग्स में फसाया और अपनी जीभ से एक जोरदार प्रहार चन्द्रमा की नाभि किया, हार बार की तरह चन्द्रमा ने बिलबिलकर अपनी चूत हवा में उठायी और उसी छण मैंने एक झटके में चन्द्रमा की लेग्गिंग्स पैंटी समेत उसके घुटनो तक खींच दी, जैसे ही चन्द्रमा को अपनी प्यारी चूत के पूरा नंगा होने का अहसास हुआ तब तक मैंने बिना कोई मौका गवाए अपने होंठ सीधा उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया।

चूत पर हमला होते ही चन्द्रमा सीत्कार उठी " ओह्ह नहीं वहा नहीं प्लीज," लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और चन्द्रमा की चूतरस से भरी चूत मेरे अनुभवी होंठों में फसी थी, चन्द्रमा ने अपने दोनों हाथो से मेरा सर थाम लिया था और उसे हटा कर अपनी चूत से अलग करने का नाकाम प्रयास कर रही थी लेकिन वो नादान क्या जानती थी की भला कोई पागल मर्द ही होगा जो ऐसी मखमली रसीली चूत को मुंह में आने के बाद छोड़ दे, मैंने अपने पुरे अनुभव का प्रयोग करते हुए अपनी जीभ के कोने से चन्द्रमा की क्लाइटोरिस को कुरदने चालू कर कर दिया था, मैं उसकी क्लाइटोरिस को जो पहले ही चूत के लसलसे रस से भीगी हुई थी चाटने लगा, मैं चार पांच बार ही उसकी क्लाइटोरिस को छाता होगा की चन्द्रमा के हाथो की सख्ती मेरे सर पर काम हो गयी और वो बेचैनी से अपना सर तकिये पर इधर उधर पटकने लगी, मैंने कभी उसकी चूत को पूरा मन में भर कर चूस जाता और कभी चूत की फांक में झीभ डाल कर लण्ड की भांति अपनी झीभ अंदर पेल देता, कभी मैं उसकी क्लीट को लेमनचूस की जैसे चूसता और कभी होंटो में दबा कर चुभलाने लगता, चन्द्रमा अब मनो पागल हो गयी थी वो कभी मस्ती में अपनी चूत मेरे मुंह में दबा देती और कभी मेरे सर को अपने हाथो में पकड़ कर चूत पर रगड़ती, जैसे जैसे मैं चूत को चूसता जा रहा वैसे वैसे वो अब बड़बड़ाने लगी थी।।।

अह्ह्ह एस्सस,हम्म्म हाँ ऐसे ही, यस यस प्लीज ऐसे ही, ओह भगवान, ओह्ह मुम्मा, बस छोर दो मुझे अब्ब, रहने दो कुछ मत करो प्ली।
और भी न जाने क्या कुछ लेकिन मैं बिना कुछ कहे सुने उसकी चूत में झीब अंदर तक डाल कर छुड़ता रहा था कुछ 1-२ मिनट ऐसे ही करते रहने के बाद मैंने वापिस क्लीट को अपने मुँह में लिया, इस बार ऐसा करते ही चन्द्रमा ने ज़ोर से मेरे सर को पकड़ कर अपने चूत पर दबा दिया अचानक एक ज़ोर की "ओह्ह मर गयी,,,, मम्मी मैं तो गयी!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!" बोल कर मेरे सर को अपनी जांघो में ज़ोर से दबा लिया और हौलेहौले चार पांच झटके ले कर शांत हो गयी, वो झड़ गयी थी एक ज़ोरदार ओर्गास्म के साथ।
 
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