(UPDATE-71)
माजरा क्या है, क्यों उन्हें नीचे की और उतरने बोल रहे हो. रोहन फिर उसकी सवाल का जवाब ना देते हुए नीचे की और उतरने के लिलये कहा. जब श्रुति ने देखा की यह अब बताने वाले नहीं है तो उसने ज्यादा बहस करना ठीक नहीं समझा और जैसा रोहन कह रहा है वैसा ही करना ठीक रहेगा. फिर थोड़ी देर के बाद वो सभी उस टीले से नीचे उतार गये. फिर रोहन ने उन्हें कहना चालू किया की क्यों वो उन सबको उस टीले से नीचे ले आया है.
"जब हम उस टीले पर पहुंचे थे, तो मैंने कुछ आवाजें सुनी थी. पहले तो में समझा की यह मेरा वहाँ है. लेकिन जब वो आवाज़ीएईन फिर से आने लगी तो मुझे कुछ शक़ुए सा हुआ . फिर जब मैंने उस टीले के उस पार जो नज़ारा मैंने देखा अगर वो तुम सब देख लेते तो यक़ीनन चीखते और चिल्लाते. क्योंकि वहां उस टीले के ढलान के नीचे वही ढेर सारे जानवर थे. और वह वहां पर जानवरो और इंसानो का शिकार कर रहे थे." इतना कहकर रोहन खामोश हो गया. जब रोहन को खामोश होता हुआ देख उस फिरंगी ने देखा तो उसने श्रुति से पूच्छने लगा की रोहन क्या कह रहा था. श्रुति ने उसे वही सारी बात बताई जो अभी रोहन ने कहा था. पूरी बात सुनाने के बाद सबके चेहरे मायूसी से घिर गये. अब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब क्या करे. क्योंकि वही टीला उनकी उम्मीद थी और उसी टीले की दूसरी और यह सारा भयानक मंजर चल रहा था. जब काफी देर तक किसी ने कुछ नहीं कहा तो रोहन फिर से कहने लगा.
"मेरे ख्याल से अब हमें यहां से चलना चाहिए. अगर हम यहां रुके रहे तो हो सकता है वह दरिंदे उस टीले से इस तरफ आ जाए."
"लेकिन हम जाएँगे कहा?" श्रुति ने कहा जो अब थोड़ी सी रूहाँसी हो गयी थी. रोहन को भी कुछ जवाब नहीं मिल रहा था की वो उसे कैसे दिलासा दे. क्योंकि उसे खुद ही नहीं समझ में आ रहा था की ऐसे हालत में क्या करना चाहिए. वो सोचना लगा की अगर यह आदमख़ोर जानवर नहीं होते तो हूँ कैसे भी कर के इस जंगल में से रास्ता ढूँढ लेता. मगर यहां उसके लिए मुश्किल वही खूनी जानवर थे. वह जहां भी जाते वह दरिंदे काल की तरह उन लोगों पर टूट पढ़ते. खैर काफी सोच विचार करने के बाद उसने कहा.
"मुझे लगता है अब हमें यहां से उल्टी दिशा में जाना होगा. क्योंकि इस तरफ तो मौत हमारा वेट कर रही है. इसलिए बेहतर है की हम यही रास्ता छूने." रोहन ने टीले की विपरीत दिशा में इशारा करते हुए बोला.
"ठीक है रोहन जैसा तुम ठीक समझो." श्रुति ने कहा. फिर वह सब उस टीले की विपरीत दिशा में चलने लगे. जब उन्हें चलते चलते काफी देर हो गयी तो उन फिरंगियो में से जो लड़की थी अचानक से उसका सर चकराने लगा. वो गिर ही जाती की रोहन जो उसके पीछे पीछे चल रहा था उसे थाम लीलया. उस लड़की के दोनों दोस्त और श्रुति भी आकर देखने लगे की क्या हुआ था उसके साथ. फिर थोड़ी देर तक उस लड़की से बातचीत करने पर उन्हें पता चला की वह काफी देर से भूखे थे और उन लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था इसलिए वो लड़की खाली पेट रहने से भूख बर्दाश्त नहीं कर पाई और चकरा कर गिर गयी. फिर उसके बाद उन्होंने तय किया की थोड़ी देर तक उन दरिंदो से चुप कर झाड़ियों में रेस्ट ले लेते है.
श्रुति देख रही थी रोहन उस फिरंगी को कुछ फल खिला रहा था जो उसने पास के पेड़ो से तोड़ कर लाया था. वो देख रही थी रोहन उस लड़की का सर अपने अपनी गोद में रखा हुआ था. पहले तो श्रुति ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब उसने देखा की रोहन उसपर कुछ ज्यादा ही मेहरबाानी दिखा रहा है तो उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उसे अपने आप पर भी हैरत हो रही थी उसे क्यों बुरा लग रहा है अगर रोहन उस लड़की पर अपनी मेहरबानियाँ निच्छवर कर रहा है. वो चाहे जो करे उस लड़की के साथ उसे क्या करना है. वो अपना ध्यान रोहन और उस लड़की से हटाके कही और लगाने लगी. वो देख रही थी जबसे रोहन उस लड़की की तिमारदारी में लगा हुआ था तबसे वो उसकी तरफ एक बार भी नज़र उठा के नहीं देखा था. वो यही सब सोच रही थी लेकिन जब उसे और बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो उठ कर वहां से थोड़ी दूर पर चली गयी ताकि उसका ध्यान रोहन और उस गोरी लड़की पर ना जाए. रोहन भी देखा की श्रुति अपनी जगह से उठ कर कही जाने की तैयारी कर रही थी. रोहन उसे टोकते हुए बोला.
"क्या हुआ श्रुति कहा जा रही हो?"
"कही नहीं..बस ऐसे ही थोड़ा टहलना चाहती हूँ." श्रुति ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा.
"अरे तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना? यह कोई टहलने की जगह..
माजरा क्या है, क्यों उन्हें नीचे की और उतरने बोल रहे हो. रोहन फिर उसकी सवाल का जवाब ना देते हुए नीचे की और उतरने के लिलये कहा. जब श्रुति ने देखा की यह अब बताने वाले नहीं है तो उसने ज्यादा बहस करना ठीक नहीं समझा और जैसा रोहन कह रहा है वैसा ही करना ठीक रहेगा. फिर थोड़ी देर के बाद वो सभी उस टीले से नीचे उतार गये. फिर रोहन ने उन्हें कहना चालू किया की क्यों वो उन सबको उस टीले से नीचे ले आया है.
"जब हम उस टीले पर पहुंचे थे, तो मैंने कुछ आवाजें सुनी थी. पहले तो में समझा की यह मेरा वहाँ है. लेकिन जब वो आवाज़ीएईन फिर से आने लगी तो मुझे कुछ शक़ुए सा हुआ . फिर जब मैंने उस टीले के उस पार जो नज़ारा मैंने देखा अगर वो तुम सब देख लेते तो यक़ीनन चीखते और चिल्लाते. क्योंकि वहां उस टीले के ढलान के नीचे वही ढेर सारे जानवर थे. और वह वहां पर जानवरो और इंसानो का शिकार कर रहे थे." इतना कहकर रोहन खामोश हो गया. जब रोहन को खामोश होता हुआ देख उस फिरंगी ने देखा तो उसने श्रुति से पूच्छने लगा की रोहन क्या कह रहा था. श्रुति ने उसे वही सारी बात बताई जो अभी रोहन ने कहा था. पूरी बात सुनाने के बाद सबके चेहरे मायूसी से घिर गये. अब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब क्या करे. क्योंकि वही टीला उनकी उम्मीद थी और उसी टीले की दूसरी और यह सारा भयानक मंजर चल रहा था. जब काफी देर तक किसी ने कुछ नहीं कहा तो रोहन फिर से कहने लगा.
"मेरे ख्याल से अब हमें यहां से चलना चाहिए. अगर हम यहां रुके रहे तो हो सकता है वह दरिंदे उस टीले से इस तरफ आ जाए."
"लेकिन हम जाएँगे कहा?" श्रुति ने कहा जो अब थोड़ी सी रूहाँसी हो गयी थी. रोहन को भी कुछ जवाब नहीं मिल रहा था की वो उसे कैसे दिलासा दे. क्योंकि उसे खुद ही नहीं समझ में आ रहा था की ऐसे हालत में क्या करना चाहिए. वो सोचना लगा की अगर यह आदमख़ोर जानवर नहीं होते तो हूँ कैसे भी कर के इस जंगल में से रास्ता ढूँढ लेता. मगर यहां उसके लिए मुश्किल वही खूनी जानवर थे. वह जहां भी जाते वह दरिंदे काल की तरह उन लोगों पर टूट पढ़ते. खैर काफी सोच विचार करने के बाद उसने कहा.
"मुझे लगता है अब हमें यहां से उल्टी दिशा में जाना होगा. क्योंकि इस तरफ तो मौत हमारा वेट कर रही है. इसलिए बेहतर है की हम यही रास्ता छूने." रोहन ने टीले की विपरीत दिशा में इशारा करते हुए बोला.
"ठीक है रोहन जैसा तुम ठीक समझो." श्रुति ने कहा. फिर वह सब उस टीले की विपरीत दिशा में चलने लगे. जब उन्हें चलते चलते काफी देर हो गयी तो उन फिरंगियो में से जो लड़की थी अचानक से उसका सर चकराने लगा. वो गिर ही जाती की रोहन जो उसके पीछे पीछे चल रहा था उसे थाम लीलया. उस लड़की के दोनों दोस्त और श्रुति भी आकर देखने लगे की क्या हुआ था उसके साथ. फिर थोड़ी देर तक उस लड़की से बातचीत करने पर उन्हें पता चला की वह काफी देर से भूखे थे और उन लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था इसलिए वो लड़की खाली पेट रहने से भूख बर्दाश्त नहीं कर पाई और चकरा कर गिर गयी. फिर उसके बाद उन्होंने तय किया की थोड़ी देर तक उन दरिंदो से चुप कर झाड़ियों में रेस्ट ले लेते है.
श्रुति देख रही थी रोहन उस फिरंगी को कुछ फल खिला रहा था जो उसने पास के पेड़ो से तोड़ कर लाया था. वो देख रही थी रोहन उस लड़की का सर अपने अपनी गोद में रखा हुआ था. पहले तो श्रुति ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब उसने देखा की रोहन उसपर कुछ ज्यादा ही मेहरबाानी दिखा रहा है तो उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उसे अपने आप पर भी हैरत हो रही थी उसे क्यों बुरा लग रहा है अगर रोहन उस लड़की पर अपनी मेहरबानियाँ निच्छवर कर रहा है. वो चाहे जो करे उस लड़की के साथ उसे क्या करना है. वो अपना ध्यान रोहन और उस लड़की से हटाके कही और लगाने लगी. वो देख रही थी जबसे रोहन उस लड़की की तिमारदारी में लगा हुआ था तबसे वो उसकी तरफ एक बार भी नज़र उठा के नहीं देखा था. वो यही सब सोच रही थी लेकिन जब उसे और बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो उठ कर वहां से थोड़ी दूर पर चली गयी ताकि उसका ध्यान रोहन और उस गोरी लड़की पर ना जाए. रोहन भी देखा की श्रुति अपनी जगह से उठ कर कही जाने की तैयारी कर रही थी. रोहन उसे टोकते हुए बोला.
"क्या हुआ श्रुति कहा जा रही हो?"
"कही नहीं..बस ऐसे ही थोड़ा टहलना चाहती हूँ." श्रुति ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा.
"अरे तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना? यह कोई टहलने की जगह..