(UPDATE-71)

माजरा क्या है, क्यों उन्हें नीचे की और उतरने बोल रहे हो. रोहन फिर उसकी सवाल का जवाब ना देते हुए नीचे की और उतरने के लिलये कहा. जब श्रुति ने देखा की यह अब बताने वाले नहीं है तो उसने ज्यादा बहस करना ठीक नहीं समझा और जैसा रोहन कह रहा है वैसा ही करना ठीक रहेगा. फिर थोड़ी देर के बाद वो सभी उस टीले से नीचे उतार गये. फिर रोहन ने उन्हें कहना चालू किया की क्यों वो उन सबको उस टीले से नीचे ले आया है.
"जब हम उस टीले पर पहुंचे थे, तो मैंने कुछ आवाजें सुनी थी. पहले तो में समझा की यह मेरा वहाँ है. लेकिन जब वो आवाज़ीएईन फिर से आने लगी तो मुझे कुछ शक़ुए सा हुआ . फिर जब मैंने उस टीले के उस पार जो नज़ारा मैंने देखा अगर वो तुम सब देख लेते तो यक़ीनन चीखते और चिल्लाते. क्योंकि वहां उस टीले के ढलान के नीचे वही ढेर सारे जानवर थे. और वह वहां पर जानवरो और इंसानो का शिकार कर रहे थे." इतना कहकर रोहन खामोश हो गया. जब रोहन को खामोश होता हुआ देख उस फिरंगी ने देखा तो उसने श्रुति से पूच्छने लगा की रोहन क्या कह रहा था. श्रुति ने उसे वही सारी बात बताई जो अभी रोहन ने कहा था. पूरी बात सुनाने के बाद सबके चेहरे मायूसी से घिर गये. अब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब क्या करे. क्योंकि वही टीला उनकी उम्मीद थी और उसी टीले की दूसरी और यह सारा भयानक मंजर चल रहा था. जब काफी देर तक किसी ने कुछ नहीं कहा तो रोहन फिर से कहने लगा.
"मेरे ख्याल से अब हमें यहां से चलना चाहिए. अगर हम यहां रुके रहे तो हो सकता है वह दरिंदे उस टीले से इस तरफ आ जाए."
"लेकिन हम जाएँगे कहा?" श्रुति ने कहा जो अब थोड़ी सी रूहाँसी हो गयी थी. रोहन को भी कुछ जवाब नहीं मिल रहा था की वो उसे कैसे दिलासा दे. क्योंकि उसे खुद ही नहीं समझ में आ रहा था की ऐसे हालत में क्या करना चाहिए. वो सोचना लगा की अगर यह आदमख़ोर जानवर नहीं होते तो हूँ कैसे भी कर के इस जंगल में से रास्ता ढूँढ लेता. मगर यहां उसके लिए मुश्किल वही खूनी जानवर थे. वह जहां भी जाते वह दरिंदे काल की तरह उन लोगों पर टूट पढ़ते. खैर काफी सोच विचार करने के बाद उसने कहा.
"मुझे लगता है अब हमें यहां से उल्टी दिशा में जाना होगा. क्योंकि इस तरफ तो मौत हमारा वेट कर रही है. इसलिए बेहतर है की हम यही रास्ता छूने." रोहन ने टीले की विपरीत दिशा में इशारा करते हुए बोला.
"ठीक है रोहन जैसा तुम ठीक समझो." श्रुति ने कहा. फिर वह सब उस टीले की विपरीत दिशा में चलने लगे. जब उन्हें चलते चलते काफी देर हो गयी तो उन फिरंगियो में से जो लड़की थी अचानक से उसका सर चकराने लगा. वो गिर ही जाती की रोहन जो उसके पीछे पीछे चल रहा था उसे थाम लीलया. उस लड़की के दोनों दोस्त और श्रुति भी आकर देखने लगे की क्या हुआ था उसके साथ. फिर थोड़ी देर तक उस लड़की से बातचीत करने पर उन्हें पता चला की वह काफी देर से भूखे थे और उन लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था इसलिए वो लड़की खाली पेट रहने से भूख बर्दाश्त नहीं कर पाई और चकरा कर गिर गयी. फिर उसके बाद उन्होंने तय किया की थोड़ी देर तक उन दरिंदो से चुप कर झाड़ियों में रेस्ट ले लेते है.

श्रुति देख रही थी रोहन उस फिरंगी को कुछ फल खिला रहा था जो उसने पास के पेड़ो से तोड़ कर लाया था. वो देख रही थी रोहन उस लड़की का सर अपने अपनी गोद में रखा हुआ था. पहले तो श्रुति ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब उसने देखा की रोहन उसपर कुछ ज्यादा ही मेहरबाानी दिखा रहा है तो उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उसे अपने आप पर भी हैरत हो रही थी उसे क्यों बुरा लग रहा है अगर रोहन उस लड़की पर अपनी मेहरबानियाँ निच्छवर कर रहा है. वो चाहे जो करे उस लड़की के साथ उसे क्या करना है. वो अपना ध्यान रोहन और उस लड़की से हटाके कही और लगाने लगी. वो देख रही थी जबसे रोहन उस लड़की की तिमारदारी में लगा हुआ था तबसे वो उसकी तरफ एक बार भी नज़र उठा के नहीं देखा था. वो यही सब सोच रही थी लेकिन जब उसे और बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो उठ कर वहां से थोड़ी दूर पर चली गयी ताकि उसका ध्यान रोहन और उस गोरी लड़की पर ना जाए. रोहन भी देखा की श्रुति अपनी जगह से उठ कर कही जाने की तैयारी कर रही थी. रोहन उसे टोकते हुए बोला.

"क्या हुआ श्रुति कहा जा रही हो?"
"कही नहीं..बस ऐसे ही थोड़ा टहलना चाहती हूँ." श्रुति ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा.
"अरे तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना? यह कोई टहलने की जगह..
 
(UPDATE-72)

है..चुप चाप बैठ जाओ."रोहन ने कहा. इससे पहले की श्रुति कुछ कह पति उसने अपने सामने की झाड़ियों में कुछ ऐसा देख लिया जिसकी वजह से उसके मुंह से कोई आवाज़ ही नहीं निकल रही थी.

"क्या हुआ..? तुम कुछ कहती क्यों नहीं?" रोहन फिर श्रुति को टोकते हुए कहा. श्रुति ने अचानक रोहन की तरफ देखा. उसके चेहरे पर दहशत साफ देखी जा सकती थी. रोहन ने भी भाँप लिया था की श्रुति ने जरूर कुछ देखा है जिसकी वजह से दहशत से उसकी आँखें फटी हुई थी.

"क्या हुआ..? रोहन, श्रुति की तरफ देखकर कहा.
"वववव...वहां पर कुछ है." डरते हुए श्रुति ने रोहन से कहा. रोहन भी श्रुति से कुछ और सवाल ना पूचहते हुए खुद ही उधर जाकर देखने लगा जिधर श्रुति ने इशारा किया था. रोहन ने जो देखा तो उसे समझने में देर नहीं लगी की वो क्या बाला है. उसने देखा की वही लाल आँखें जो वो उन हैवानो में देखा था उन्हीं लोगों की और घूर रही थी. वो सोचने लगा की अब इनके साथ कैसे मुकाबले किया जाए . उसे बस एक चारा समझ में आया और वो यह की जितना हो सके उतनी तेजी से इनसे दूर भागो. उसने तुरंत उन मर्द फिरंगीओ को जो सोए हुए थे उठाया और अपने हाथ से उसी दिशा की और इशारा किया और सिर्फ़ इतना कहा "ऋण!". वह दोनों जो एक दम गहरी नींद से जागे थे आँखें फाड़ फाड़ के देखने लगे की रोहन उन्हें वहां पर क्या दिखना चाह रहा था. उन्होंने ने भी देख लिया था रोहन उन्हें क्या दिखा रहा था. उनके चेहरों पर तो जैसे हवाइयाँ उड़ने लगी. दहशत के मारे उनसे उठा ही नहीं जा रहा था मानो उनके कदम वही जम से गये हुए हो. क्योंकि उन्होंने देखा था की कैसे वह दरिंदे उनके साथियों को पालक झपकते ही मौत के घाट उतार दिया था. यही सब सोच कर वह थर थर के काँपने लगे. रोहन ने भी देख लिया था वह एक दम डरे हुए थे. उसने जल्दी से उनसे कहा "हेलो !! ऋण!!" वह दोनों फिर जैसे होश में आ गये. रोहन जल्दी से उस फिरंगी लड़की को उठाने लगा. श्रुति को हैरत होने लगी के इतनी भगदड़ में भी उसे उस लड़की का ही ख्याल आ रहा था. रोहन जल्दी से अपना इकलौता हथियार वो चाकू निकाला और उन सबको वहां से लेकर भागने लगा. वो दरिन्दा भी देखा की उसके शिकार भाग रहे है तो वो फौरन एक जोरदार दहाड़ निकालता हुए उनकी तरफ भागने लगा. रोहन ने देखा की उनकी भागने की रफ्तार और उस दरिंदे की भागने की रफ्तार उनसे तेज थी. वो समझ लिया था की भाग कर नहीं बल्कि मुकाबला करके ही लड़ना पड़ेगा. रोहन पलट कर देखा की वो दरिन्दा उनके एक दम करीब पहुंच गया था और वो श्रुति के एक दम करीब आ गया था. रोहन की तो जैसे सानेसिन ही रुक गयी थी जब उसने देखा की श्रुति उस दरिंदे का शिकार बनने के एक दम करीब है. फिर उसने आव देखा ना ताव, वो फौरन एक लंबी छलांग लगते हुए उस दरिंदे के ऊपर अपने चाकू से उसके सीने पर एक जोरदार हमला कर दिया. उस दरिंदे को भी जैसे इस हमले की उम्मीद नहीं थी. वो अपने ऊपर अचानक हुए इस हमले से एक दम भौक्ला गया और अपने तेज़धार वाले नाखूनओ से एक जोरदार प्रहार रोहन पर किया. रोहन भी देख लिया था चाकू उसके सीने में घोंपने से उस दरिंदे पर कोई खास असर नहीं हुआ था बल्कि वो और खूणकार हो चुका था और उस पर अपने तेज नाखूनओ से उसका सर उसके धड़ से अलग करने के लिए अपना हाथ उस पर चलाया था. लेकिन रोहन एक कुशल शिकारी था और बहुत फुर्तीला भी था. वो फौरन उस दरिंदे का प्रहार बच्चा लिया. उसने अपना सर तो काटने से तो बच्चा लिया था लेकिन अपना सर बचाने के चक्कर में उस दरिंदे का नाखून उसके डाईएइन हाथ के बाजू पर पढ़ गया. रोहन के ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके बाजू में किसी ने तेज धार वाली तलवार से हमला कर दिया. रोहन इस हमले से एक तरफ को लुढ़क गया था, लेकिन वो दरिन्दा अब पहले से भी ज्यादा बौराया हुआ अपने आगे उन दोनों फिरंगीओ को देखा और झट से उनका सर उनके धढ़ से अलग कर दिया. बेचारो को तो चीखने का भी मौका नहीं मिला. इस पर भी उस दरिंदे को चैन नहीं आया वो फिर से श्रुति के ऊपर झपटने की तैयारी करने लगा. श्रुति ने भी उसे देख लिया था अपनी और आते हुए. वो जल्दी से वहां से भागने की तैयारी करने लगी लेकिन, अंधाधुंड भागने के चक्कर में उसका पैर एक पत्थर से टकरा गया और वो लड़खड़ा कर गिर पढ़ी. उसने पलट कर देखा वही दरिन्दा अब उसको मौत के घाट उतारने के लिए उतावला हो रहा था. श्रुति ने भी देख लिया था की अब उसको मरने से कोई नहीं बच्चा सकता. लेकिन ऊपर वाले को श्रुति के प्राण अभी नहीं हारना..
 
(UPDATE-73)

था. इससे पहले की वो दरिन्दा उस पर झपट्टा उन फिरंगीओ में से वो लड़की ने एक बारे से पत्थर से उस दरिंदे पर हमला कर दिया. वो दरिन्दा फिर से अपने ऊपर हुए इस हमले से भौक्ला गया और फिर अपनी खूणकार लाल लाल आँखों से उस लड़की को घूर ने लगा और एक खौफनाक दहाड़ मारते हुए उस लड़की की और झपटने लगा. उस फिरंगी लड़की को भी बाद में एहसास हुआ की उसने क्या गलती करी थी. वो दरिन्दा एक लंबी छलांग मारते हुए उस लड़की के पेट में अपने नाखूनओ से प्रहार किया और उसके अंदर की सारी अंतड़िया बाहर निकाल लिया. फिर उसके बाद उसके जिस्म के टुकड़े करते हुए अपना सारा गुस्सा निकालने लगा. वो अभी यही सब करने में व्यस्त था की रोहन अपनी जगह से उठते हुए जल्दी से श्रुति का हाथ पकड़ा और जल्दी से उसे वहां से भागना लगा. फिर वो दोनों जैसे पहले भी अपनी जान उन दरिंदो से बचाने के लिलये दौड़ लगाए थे ठीक उसी तरह इस बार भी वह दोनों पहले से भी ज्यादा दौड़ पढ़े मानो जैसे उनके पैरों में इस बार पहिए लगे हुए हो.

काफी देर तक उस दरिंदे से दूर भागते रहने के बाद वह दोनों एक जगह रुक गये. रोहन ने देखा की अब उन्हें कोई खतरा नहीं है क्योंकि वह बहुत दूर आ गये थे उस दरिंदे के चंगुल से. रोहन ने श्रुति की तरफ देखा, जो अब एक दम निढल सी हुई थी. एक दम बाज़ार, उधस लग रही थी.
"क्या हुआ श्रुति तुम ठीक तो है?" रोहन उसकी तरफ देखकर कहा. श्रुति ने पहले कुछ नहीं कहा फिर अपना सर दूसरी और करके रोने लगी. रोहन, श्रुति को रोता देख रोहन उस के पास आ गया और उससे कहने लगा.
"श्रुति!! श्रुति!! क्या हुआ?" श्रुति अपना सर रोहन की और किया फिर उसके खड़े पर अपना सर रख कर और ज़ोर से रोने लगी.
"अरे क्या हुआ? कुछ बोलो तो सही?" रोहन ने कहा.
"रोहन...लगता है अब हम नहीं बचेंगे..." श्रुति ने रोते हुए कहा.
"नहीं श्रुति ऐसा मत कहो...सब कुछ ठीक हो जाएगा." रोहन, श्रुति को दिलासा देते हुए कहा.
"नहीं रोहन!! मुझे नहीं लगता की अब हमें मरने से कोई बच्चा सकता है.हमारी किस्मत अच्छी थी की हम इससे पहले 4 बार हम उन दरिंदो से बच चुके है.अगली बार शायद हमारी किस्मत हमारे ऊपर मेहरबान ना हो. तुमने देखा नहीं कैसे उस हैवान ने उन बेचारो को अपना शिकार बनाया. हो सकता है अगली बार हम उनका शिकार बन जाए?" श्रुति एक दम बोझल मान से कह रही थी.
"नहीं श्रुति हिम्मत से काम लो. तुम जरूर इस जंगल से सही सलामत वापस जाओगी. यह मेरा तुमसे वादा है. मेरी वजह से तुम इस मुसीबत में हो. तुम्हारी जिंदगी मुझ पर कर्ज है. में अपनी जान पर खेल कर तुम्हें यहां से निकालूंगा. भरोसा रखो मुझ पर." रोहन, श्रुति को दिलासा देता हुए कहा.
"तुम क्या करोगे रोहन? देखा नहीं वो जानवर कितने खूणकार है? उनसे लड़ना इतना आसान नहीं है. तुम अकेले कितना लड़ोगे?" श्रुति ने कहा.

"बात तो सही है तुम्हारी.मगर हम यूँ हिम्मत हार के तो नहीं बैठ सकते ना? हमें ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ेगा." रोहन ने कहा.
"लेकिन हम अब क्या करेंगे? क्योंकि मेरे अंदर अब ज़रा भी जान नहीं है. मुझे बहुत कमज़ोरी महसूस हो रही है. मुझसे अब ज़रा भी चला नहीं जा रहा है." श्रुति ने एक दम थके हुए अंदाज़ में कहा. जैसे कोई इंसान कई दीनों से भूखा हो.

"हां तो ठीक है तो हम यही पर आराम करेंगे..में तुम्हारे लिए कुछ खाने और पीने का बंदोबस्त करता हूँ." रोहन ने कहा.
"नहीं नहीं!! तुम कही नहीं जाओगे मुझे छोढ़कर.में यहां अकेले नहीं रही सकती." श्रुति ने जल्दी से कहा.
"श्रुति.में कोई ज्यादा दूर थोड़े ही जा रहा हूँ." फिर रोहन पास के पेड़ो की तरफ इशारा करते कहा "तुम वो सब पेड़ देख रही हो? मुझे उसमें काफी फल दिख रहे है. में उसमें से फल तोड़ कर लाता हूँ. फिर जब हमारा पेट इन फलो को कहा कर भर जाएगा तो पास ही झरना बह रहा है, हम उस झरने के पानी से अपनी प्यास भी भुजा लेंगे. ठीक है?"

"लेकिन फिर भी तुम्हें वो सारे फल तोड़ने के लिए उतनी ही दूर तो जाना पड़ेगा ना?" श्रुति ने कहा.
"ठीक है.तो तुम भी उधर ही चलो. में पेड़ पर चढ़ता हूँ तुम नीचे खड़े रहना."
"हम..ठीक है. लेकिन में नीचे खड़ी रहूंगी और तुम ऊपर, और इसी डुआरन में कही वो जानवर आ गया तो?" श्रुति ने कहा.
"तो में वही ऊपर से छलांग लगा दूँगा और उसे एक पप्पी ले लूँगा..ठीक है?" रोहन ने कहा. श्रुति भी थोड़ा हंसते हुए कहा.
"ठीक है." फिर रोहन के काफी सारे फल तोड़ने के बाद उन्होंने उसे खाया और पास के झरने से पानी पीकर अपनी प्यास भी भूजली. इतना खा पी लेने के बाद अब श्रुति थोड़ा अपने आपको थोड़ा तरो ताजा महसूस कर रही थी. अब उसे अंदर से पहले की तरफ कमज़ोरी नहीं लग रही थी.

"अब हमें क्या करना चाहिए रोहन. कोई प्लान है तुम्हारे पास?".
 
(UPDATE-74)

श्रुति ने कहा.
"बस हमें यहां से कोई एक रास्ता पकड़ना है और चलते रहना है जब तक की हमें कोई सड़क नहीं मिल जाती."
"लेकिन हम कब तक यूँही चलते रहेंगे. क्या पता वो रास्ता कितना लंबा हो?" श्रुति ने कहा.
"अब क्या कर सकते है.हमें कोई ना कोई रास्ता तो चुनना ही पड़ेगा." रोहन, श्रुति के सवाल का जवाब देते हुए कहा.
"ठीक है..चलें अभी?" श्रुति ने रोहन की तरफ देख कर कहा.
"हां ठीक है..वैसे अगर तुम थोड़ा रुक कर आराम करना चाहो तो रुक सकती हो. और दूसरी बात यह की अभी अंधेरा भी हो रहा है. पता नहीं क्यों मुझे यह जगह थोड़ी सेफ लग रही है. अगर हम आज की रात यही रुक जाते है और अपना सफ़र कल से शुरू करते है तो मेरे हिसाब से यह बढ़िया रहेगा." रोहन, श्रुति की तरफ देख कर कहा.
"हम...शायद तुम कह रहे हो. अगर आज की रात यही रुक जाते है तो हमें थोड़ा रेस्ट भी मिल जाएगा और हम कल फ्रेश भी रहेंगे." श्रुति ने कहा.
"ह्म्‍म्म्म.तो आज की रात यही काटनी पड़ेगी. तो इसके लिए सोने के लिए बढ़िया सा इंतजाम करना पड़ेगा." कहते हुए रोहन यहां वहां देखने लगा.
"तुमको अगर सोना हो तो सो जाओ, मुझे नहीं सोना." श्रुति ने कहा.
"क्यों तुमको नहीं सोना है?" रोहन, श्रुति की तरफ देख कर कहा.
"अगर हम दोनों सो जाएँगे तो क्या पता कब वह जानवर यहां पर आ टपके और हमें अपना शिकार कर ले. इसलिए हम में से किसी एक को जागना जरूरी है." श्रुति ने कहा.
"अच्छा तो इस के लिलये तुम जागगी. अगर में सोता हूँ और वह जानवर आते है तो तुम जगह कर मेरी रक्षा करोगी और उनसे अकेले लड़ोगी? यही कहना चाहती हो ना तुम?" रोहन थोड़ी से चुटकी लेते हुए कहा.
"रोहन...!!! मेरा वो मतलब नहीं था. में क्या उनसे लड़ूँगी.उन लोगों को देख कर ही मेरी जान निकल जाती है. मेरा कहने का मतलब यह था अगर वह आएँगे तो में तुम्हें उठा दूँगी अगर में जागती हूँ तो." श्रुति थोड़ा सा गुस्सा करते हुए कहा.
"ओके बाबा ठीक में समझ गया. अगर ऐसी बात है तो तुम सो जाओ, में रात भर जगह सकता हूँ." रोहन ने कहा.
"नहीं इस बार तुम सो जाओ. मैंने देखा है तुम दो रातों से सोए नहीं हो. अगर तुम्हें भरपूर नींद नहीं मिलेगी तो शायद तुम बीमार पढ़ जाओगे. और अगर तुम बीमार पढ़ तो मेरे लिए मुसीबत हो जाएगी." श्रुति ने कहा.
"अच्छा तो इस के लिए मुझे सुलाना चाहती हो ताकि में बीमार ना पढ़ु. और अगर में कही में बीमार पढ़ गया तो तुम्हें इस जंगल से बाहर कौन निकालेगा. हम...?"
"नहीं..!! ऐसी बात नहीं है. में रियली तुम्हारी फिक्र करते हुए कह रही थी. अब तुम इसका गलत मतलब निकाले तो में क्या कर सकती हूँ." श्रुति ने जल्दी से सफाई देते हुए कहा.
"अरे हां बाबा..में तो बस ऐसे ही मज़ाक कर रहा था." फिर रोहन थोड़ा गंभीर होते हुए कहा " एक काम करो तुम सो जाओ मेरी फिक्र मत करो., क्योंकि यह मेरे लिए कोई नयी बात नहीं है. हमें शिकार करने के लिए कई कई रातों को जागना पढ़ता था. तो मुझे इसकी आदत है. तुम बिना किसी चिंता के भी फिक्र होकर सो जाओ. में यहां तुम्हारी रक्षा के लिए जागा रहूँगा." रोहन ने कहा.
"ओह रियली!! तुम अगर 3 या 4 रातों को ना सोए तो तुम्हें कुछ फर्क नहीं पढ़ता?" श्रुति ने कहा.
"ह्म्‍म्म्म." रोहन अपनी गर्दन हिलाते हुए जवाब देते हुए कहा.
"तो फिर में सो जाती हूँ क्योंकि मुझे तुम्हारी तरह उल्लुओ की तरह जागने की आदत नहीं है." श्रुति ने कहा.
"हां तो सो जाओ ना? कब से कह तो रहा हूँ." रोहन ने कहा. फिर श्रुति इधर उधर देखने लगी की कही सोने के लिए कोई पर्याप्त जगह मिल जाए लेकिन उसे ऐसी कोई चीज़ नहीं दिखी. रोहन ने भी देखा उसके सोने के लिए ज़मीन पर ऐसे ही सोना ठीक नहीं रहेगे.
"एक काम करो.में भायते रहता हूँ तुम मेरे पैरों पर अपना सर रख कर सो जाओ." रोहन ने कहा.
"नहीं नहीं!! इट'से नोट फेयर.में पहले भी इस तरह से सो चुकी हूँ तुम्हारे पैर पर और अभी तक गिल्टी फील हो रहा है उसके लिए. पता नहीं तुम्हें ऐसे ही बैठे रहने से कितना पेन बर्दाश्त करना पड़ा होगा." श्रुति ने कहा.
"तो अब तुम ही बताओ फिर तुम्हें किधर सोना है?" रोहन ने कहा.
"मेरे ख्याल से में भी आज की रात तुम्हारे साथ उल्लू बनकर जागती हूँ." श्रुति थोड़ा आक्साइड होते हुए कहा.
"अच्छा क्या करोगी जगह कर?"
"कुछ नहीं बस ऐसे ही बातें करेंगे." श्रुति ने कहा.
"ह्म्‍म्म्म..ठीक जैसी तुम्हारी मर्जी. कहो क्या बात करना है." रोहन ने कहा.
"कोई खास नहीं..तुम कुछ कहो अपने बारे में."
"बताया तो तुमको की घर में मेरे भाई बहन और..." रोहन और कुछ कहता, श्रुति उसे टोकती हुई कहती है.
"ओफफो बाबा..तुम्हारे फॅमिली बॅकग्राउंड के बारे में नहीं पूछा मैंने."
"फिर ?" रोहन ना समझते हुए कहा.
"मेरा मतलब है कुछ और बताओ..." थोड़ा सोचते हुए श्रुति ने फिर से कहा "संध्या के बारे में और बताओ मुझे" संध्या का नाम लेना था की नहीं रोहन का मुंह बिगड़ गया और..
 
(UPDATE-75)

अपना मुंह दूसरी फेयर के देखने लगा.
"अरे यह क्या हुआ? " श्रुति ने थोड़ा हैरत से कहा.
"जिसको में याद नहीं करना चाहता उसका नाम लेना जरूरी है." रोहन थोड़ा गुस्से से कहा.

"तुम भी क्या अभी तक उससे प्यार करते हो जो उसके नाम से तुम्हें गुस्सा आता है?"
"नहीं ऐसी बात नहीं. में और उससे प्यार करता हूँ.हरगिज़ नहीं. वो तो बस जब कोई उसका नाम ले लेता है तो उसका चेहरा मेरी आँखों के सामने घूमने लगता है जिसके वजह से मेरा खून भी खौलने लगता है." रोहन ने कहा.
"ओके ठीक है..मारो उसे गोली.."
"मेरा बस चलता तो अभी जाकर उसे गोली मर देता. कम से कम दिमागी सुकून तो मिलता मुझे" रोहन ने कहा.
"वो अब भी मिल सकता है. पूच्छो कैसे?" रोहन, श्रुति की यह बात पर थोड़ा हैरान होते हुए उसे देखने लगा.
"कैसे?"
"तुम्हारे दिमाग को संध्या के नाम से और जो उसकी तस्वीर तुम्हारी नजारे में घूमती है दूर हो सकती है, लेकिन गोली से तो नहीं किसी और चीज़ से."
"अच्छा!! वो कैसे?" रोहन थोड़ा खुश होते हुए कहा.
"हम...वैसे तो मुझे वो चीज़ पसंद नहीं है, लेकिन तुम्हारे अंदर से संध्या का बहुत भागने के लिए मुझे यह भी बर्दाश्त करना पड़ेगा. आफ्टर ऑल तुम मेरे दोस्त जो तहरे. "श्रुति ने कहा.
"अब बता भी दो तुम कहना क्या चाहती हो." रोहन व्याकुल हो रहा था जाने के लिए की कैसे वो संध्या से अपना पीछा छुड़ा सकता है.
"वैसे में हंड्रेड परसेंट शुरू तो नहीं हूँ की यह काम करेगा.लेकिन मैंने एक फिल्म में देखा था यह तरीका काम आया था."
"अच्छा ठीक है वो बाद की बात है पहले तुम तरीका तो बताओ."रोहन ने कहा.
"वो यह है की मैंने तुम्हें देखा है की तुम गालिया बहुत निकालते हो." श्रुति ने कहा.
"हां तो. इससे संध्या से क्या ताल्लुक?" रोहन ने कहा.
"पहले तुम मेरी बात तो सुनो..देखो तुम्हें जिस पर भी गुस्सा आता है तुम क्या करते हो ...? गालिया बकते हो ना.? रोहन भी हाँ में सर हिलाता हुआ बोला
"हां तो?"
"हां तो क्या मतलब तुम भी ऐसे ही गालियाँ संध्या के लिए निकालो. देखना वो तुम्हारे दिल से यूँ चुटकी बजाते हुए निकल जाएगी." श्रुति का इतना कहना ही था की रोहन अपना पेट पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से हँसे लगा.
"हाहहः..तुम भी श्रुति पागल हो.तुम्हें क्या लगता है क्या मैंने आज तक कभी उस हराम खोर संध्या को गालियाँ नहीं दी. जब भी सुबह सोकर उत्त्ता हूँ तो मेरा पहला काम यह ही रहता है. उसे जी भर के गालियाँ देना और जब तक देना जब तक मुझे सुकून नहीं मिल जाता. लेकिन फिर भी वो अगले दिन मेरी आँखों के सामने हाज़िर हो जाती है अपनी मनहूस शकल लेकर. अब तुम बताओ में क्या करूं?" रोहन ने कहा.
"इसमें तो कोई शक़ुए की बात है ही नहीं तुम उसे गाल्यान नहीं दिए होंगे...लेकिन तब मामला दूसरा था और अब मामला दूसरा है." श्रुति ने बारे कॉन्फिडेन्स से कहा.
"अच्छा कैसे!! कैसे अभी यह दूसरा मामला है? रोहन ने कहा.
"तुमने आज तक संध्या के बारे में किसी को बताया है? अपने घर वालो को, अपने करीबी को और क्या नाम बताया था तुमने अपने उस दोस्त का....परवेज़ उसे बताया है?" श्रुति ने कहा. रोहन थोड़ी देर श्रुति को यूँही घूर था रहा, फिर श्रुति के वापस टोकने पर उसने कहा.
"नहीं.मैंने आज तक इस बारे में किसी को नहीं बताया. सिर्फ़ तुम्हारे अलावा." रोहन ने कहा.
"हां तो बस यही वजह है जो संध्या अभी तक तुम्हारे दिलों दिमाग पर च्छाई हुई है.क्योंकि तुमने यह राज़ अपने सीने में दफ़न किए हुए था, उसे कभी बाहर लाए नहीं. में चाहती हूँ तुम आज अपने सीने से उस संध्या को बाहर निकालो. क्योंकि मुझे अपना यह राज़ बताकर तो तुम पहला कदम चल चुके हो. अब दूसरा कदम चलने के लिए जितना हो सके उतनी गाल्यान निकालो जो भी तुमने आज तक सुनी हो और दी हो. और यह सब तुम्हें मेरे सामने करना है. ओके?" श्रुति ने कहा.
"तुम्हारे सामने? तुम सुन सकती हो?" रोहन, श्रुति की तरफ देख कर कहा.
"मुझे पता है यह बहुत मुश्किल है मेरे लिए, मगर क्या करूं तुम मेरे लिए अपनी जान झोकं में डाल सकते हो तो में तुम्हारी यह गंदी सी गालियाँ सुन ही सकती हूँ." श्रुति ने कहा.
"सोच लो? कहीं बाद में कही भारी ना पढ़ जाए?" रोहन ने कहा.
"अब क्या आटम बॉम्ब फोड़ोगे?" श्रुति ने कहा.
"हहहे..आटम बॉम्ब भी मेरी गालियों के आगे कुछ नहीं है." रोहन थोड़ा फख्र से कहा.
"ओह माइ गॉड.!!!" फिर श्रुति थूक निगलते हुए कहा.
"अन्य वे ई आम रेडी फॉर डेठ. तुम शुरू हो जाओ. में तो अपने कानों पर हाथ भी नहीं रख सकती."
"तो ठीक है..शुरू करता हूँ में..तेरी.." रोहन कुछ और कहता, श्रुति उसे रोकते हुए कहा.
"ऐसे नहीं.तुम्हें हर गाली के साथ में संध्या का नाम भी लेना होगा क्योंकि इससे और फ़ीलिंग आएगी.."श्रुति ने कहा.
"तुम्हें बड़ा मालूम है इस बारे में? जैसे तुम कोई गुरु हो." रोहन ने कहा.
"अरे बाबा मैंने कहा ना.मैंने यह सब एक फिल्म में देखा था." श्रुति ने कहा.
"फिल्मों में गालया भी बकना सिखाते है? क्या बात है. वैसे कौनसी फिल्म थी वो.?" रोहन ने कहा.
"तुम वो..
 
(UPDATE-76)

सब छ्चोढो ,,, जो मैंने कहा है वो करो." श्रुति , रोहन को कुछ और बोलते हुए कहा.
"ओके ठीक है..तुम तैयार रहना." रोहन ने कहा.
"ओके ठीक है में तैयार हूँ." कहते हुए श्रुति भी अपनी आँखें बंद करने लगी.
"संध्या..तेरी..मां..तेरी...मां...मां.." रोहन को अटकता देख श्रुति ने उससे कहा
"अब यह बकरी की तरह में में में क्या कर रहे हो.ऐसा लग रहा है जैसे गाली नहीं जगजीत सिंग की कोई ग़ज़ल पढ़ रहे हो. अगर ऐसे ही गाली दोगे तो संध्या क्या उसके जैसे हज़ार बहुत तुम्हारे ऊपर हमेशा सवार रहेगी." श्रुति ने कहा.
"अब गाली नहीं निकल रही है तो में क्या करूं..?
"क्यों नहीं निकल रही है..इससे पहले मुझे क्या दुआएं दे रहे थे..जैसे गालिया तुम दे रहे थे मैंने आज तक वैसे गालियाँ अपनी पूरी जिंदगी में नहीं सुनी थी.च्चि च्चि..और अभी देखो कैसे भोले बन रहे हो."श्रुति, रोहन पर व्यंग करते हुए कहा.
"श्रुति तब की बात कुछ और थी..तब में बहुत गुस्से में था क्योंकि एक तो में तुम्हारी जब बचाना चाह रहा था और ऊपर से तुमने मुझे इतनी ज़ोर से मारा की मेरे अंदर का हर एक खून का कटरा खोलने लगा था और फिर मेरे मुंह से गालिया निकालने लगी थी. में जानबूझ कर अगर गालियाँ निकालना चाहु ना तो भी में यह नहीं कर सकता" रोहन ने कहा.
"तुम्हारा खून खोलेगा तब तुम गाली दोगे..? कहते क्यों नहीं तुम उस चुड़ैल से अब भी प्यार करते हो?" श्रुति अपने दाँत बींचते हुए कहा.
"यार तुम गालियाँ सुनाने के लिए इतनी मारी क्यों जा रही हो?"
"ओफ्फोो...कैसे तुम्हें समझाओ? " फिर श्रुति कुछ देर सोचा, फिर रोहन से कहने लगी.
"अच्छा रोहन? तुम्हें नहीं लगता की तुम्हें इस वक्त संध्या पर गुस्सा करना चाहिए क्योंकि उसने तुम्हारे साथ कितना बुरा किया था. याद करो जब तुम अपनी क्लास में बैठ कर घंटों उसे निहारा करते थे. और वो तुम्हें भाव भी नहीं देती थी. फिर भी तुम दोनों के बीच प्यार हो गया, तुम दोनों ने साथ में जीने मरने की क़स्में खाई.. ना जाने तुमने अपने और संध्या के लिए क्या क्या ख्वाब सजाए थे. बहुत ही सुंदर ख्वाब...लेकिन एक दिन उस हरजाई ने तुम्हारा दिल तोड़ दिया...वो भी किसी और के लिए ..उसने कभी भी तुम्हारी परवाह नहीं करी थी.वो तो बस उसके के लिए एक खेल था...उसने तुम्हारे जज़्बातो के साथ खिलवाड़ किया था रोहन..संध्या ने तुम्हारे जज़्बातों के साथ खिलवाड़ किया था...क्या तुम उस बेवफा को ऐसे ही जाने दोगे.उसे क्या हक था तुम्हारी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का रोहन??? बताओ रोहन क्या तुम उसे ऐसे छ्चोढ़ दोगे." श्रुति जो इतने देर से रोहन को उकसाने की कोशिश कर रही थी तो पहले रोहन उसकी कोई बात का इतना ध्यान नहीं दे रहा था, लेकिन जब उसने यह कहा की ' उसे क्या हक था रोहन तुम्हारी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का' बस यह वाक्य उसके ज़हन में चलने लगे. और यह वाक़ये जैसे जैसे उसके ज़हन में चल रहे थे वैसे वैसे उसकी दिमाग की नसें फूलने लगी, मानो जैसे कोई लावा बाहर आने को आतुर था. श्रुति अभी भी रोहन को उकसाने के लिए तरह तरह के हटखंडे अपना रही थी. लेकिन उसे नहीं मालूम था की रोहन तो कब का चार्ज हो चुका था. श्रुति तो बिना सोचे बेक जा रही थी की अचानक रोहन चीख मारते हुए कहा.
"मां छ्चोढ़ दूँगा उस बहन की लोदी की...अगर वो मादरचोड़ मेरे सामने आ जाए तो उसके जिस्म के सारे कपड़े फाड़ कर उसकी चुत में डंडा घुसेड़ कर उसे पेल डालूँगा..उस मां की लोदी की पूरी खानदान का नामोनिशान मिटा दूँगा...उस बहनचोद की मां की भी चुत छ्चील डालूँगा अपने लंड से ...मादरचोड़ अगर बार मेरे सामने आ जाए तो." रोहन तकरीबन दस मिनट ऐसे ही गंदी गंदी गालिया निकल्लता रहा जब तक की उसके पीटारे से गालियों का एक एक कटरा बाकी था. जब वो काफी सारी गालियाँ दे दिया तो एक तरफ जा कर बैठ गया. श्रुति ने देखा की उसका चेहरा एक दम लाल हो चुका था. पहले तो वो उसके इस तरह गालियाँ देने से एक दम घबरा गयी थी. उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था की रोहन किस तरह की गालियाँ बक रहा था.. खैर जब उसने रोहन को गुम सूम होते हुए देखा तो वो हिम्मत कर के उसके पास जाकर बैठ गयी और उसके खड़े पर अपना सर रख कर पूछने लगी.

"रोहन अब तुम्हें कैसा लग रहा है?" श्रुति ने रोहन से कहा जो थोड़ी देर तक ऐसे ही दूसरी और अपना मुंह किए देखता रहा. फिर उसने श्रुति के हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा.

"अब मुझे पहले से बेहतर लग रहा है. शुक्रिया तुम्हारा."
"देखा मैंने कहा था ना, अपने अंदर से यह सब बातें निकालोगे तो तुम्हें बेहतर फील होगा" श्रुति ने कहा जो अभी भी उसके खड़े पर अपना सर रखे हुए थी.

"हम..ठीक कह रही हो तुम." फिर उनके बीच ऐसे ही थोड़ी देर खामोशी च्छाई रही. फिर उस खामोशी को रोहन तोड़ता हुआ कहा.

"अब यह तो हुई मेरी कहानी...अब तुम ज़रा अपने बारे में तो बताओ?"

"में क्या बताओ? मेरा तुम्हारी तरह..
 
(UPDATE-77)

कोई अफेयर वाफ़फयर नहीं रहा आज तक. तो में तुम्हें क्या बताओ अपने बारे में?" श्रुति ने कहा.

"मुझे बहुत हैरत हो रही है की तुम्हारा कोई अफेयर नहीं हुआ. क्योंकि मैंने देखा है कॉलेजस वगैरह में तो यह सब आम बात है. और जिस तरह की सोसाइटी में तुम रहती हो उसमें तो और भी आम बात है. सही कहा ना मैंने?" रोहन, श्रुति से सवाल पूचहते हुए कहा.

"हां तुम ठीक कह रहे हो. यह सब तो होता रहता है कॉलेजस में. लेकिन मैंने अपने आपको इन सब चीज़ों से हमेशा ही दूर रखा है." श्रुति, रोहन का जवाब देते हुए कहा.

"लेकिन क्यों? मेरा मतलब है क्या तुम्हें यह सब चीज़ें करने में मजा नहीं आता है? रोहन ने फिर पूछा

"ऐसी बात नहीं है." श्रुति कुछ सोचती है फिर कहती है " तुम मेरे अब खास दोस्त बन गये हो तो कह रही हूँ. अपनी खास दोस्त निशा को भी में आज तक नहीं कहा. आक्च्युयली मुझे एक ख्वाब आता है की में किसी जंगल में इधर उधर भटक रही हूँ की तभी मुझे एक सफेद घोड़े पर नौजवान दिखता है. मुझे उसका चेहरा तो ठीक से नहीं दिखता है तो में उसके पीछे पीछे जाती हूँ. लेकिन में जितना उसके पीछे जाती हूँ वो उतना ही मुझसे दूर चला जाता है. फिर उसके बाद में अपने आपको एक परियों के महल में पति हूँ. वहां मुझे फिर वही नौजवान दिखता है. इस बार में उसे बहुत करीब से देख पति हूँ लेकिन फिर भी उसका चेहरा नहीं देख पति क्योंकि वो मेरी तरफ अपनी पीठ किए हुए खड़ा रहता है. में जैसे ही उसे अपनी तरफ उसका चेहरा करती हूँ हर बार यही आकर मेरी नींद खुल जाती है. पता नहीं मुझे क्यों लगता की जब तक मुझे मेरा सच्चा प्यार नहीं मिल जाता, जो मेरी दौलत से नहीं बल्कि मुझसे सच्चा प्यार करेई तब जाकर शायद में उस नौजवान का चेहरा कभी देख पाओँगी. यही वजह है में अपने कॉलेज में अपना कोई भी अफेयर नहाई रखा. " कहते हुए श्रुति खामोश हो गयी.

"तो तुम्हें क्या लगता है कब मिलेगा तुम्हें तुम्हारा सच्चा प्यार?" रोहन ने कहा.

"मुझे क्या पता. अगर मुझे पता होता तो में अब तक उस नौजवान का चेहरा देख ना लेती?"

"तो क्या ऐसे ही अपने प्यार और ख्वाब के चक्कर में अपनी सारी उमर गँवा डोगी?" रोहन ने कहा.
"शायद..अगर मुझे मेरा सक्चा प्यार नहीं मिला तो में यूँही अपना जीवन उस नौजवान को तलाश करने में गुजार दूँगी." रोहन काफी देर से महसूस कर रहा था की श्रुति जब से उसके खड़े पर अपना सर रखे हुई थी वो धीरे धीरे नींद में जा रही थी जिसकी वजह से उसको बातें करने में भी परेशानी हो रही थी. यही सब सोचकर रोहन उससे कुछ और पूछना ठीक नहीं समझा. और वेट करने लगा श्रुति के गहरी नींद में जाने का की अगर यह गहरी नींद में चली जाती है तो वो उसे पहले दिन की तरह अपने झांग पर सुला देगा ताकि वो आराम से सो सके. थोड़ी देर वेट करने के बाद जब रोहन को एहसास हुआ की श्रुति गहरी नींद में चली गयी है तो वो उसे बारे आराम से और प्यार से अपनी झांग पर सुला दिया. श्रुति भी जैसे उसकी झांग पकड़ और मीठी नींद में चली गयी थी. रोहन जो इतनी देर से एक पेड़ से सहारे बैठा हुआ था अब पेड़ का सहारा लेकर वो अपना सर टीका दिया. वो सोना नहीं चाहता था लेकिन दो दिन से ना सो पाने के कारण और दूसरे थकान की वजह से उसे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला.

इधर श्रुति फिर से अपने ख्वाब में देखती है की वो एक जंगल में इधर उधर भटक रही है. उसे फिर वही सफेद घोड़े वाला नौजवान दिखता है. वो फिर से उस नौजवान के पीछे जाने लगती है. फिर उसका बाद वो फिर से अपने आप को एक बारे से आलीशान परियों के महल में अपने आपको पति है. उसे फिर वही नौजवान उसी चबूतरे पर खड़ा मिलता है. वो दौड़ कर उस नौजवान के करीब जाती है और नौजवान के पीठ अपनी और पति है. वो आज तय कर लेती है की चाहे कुछ भी हो जाए वो इस नौजवान के चेहरा देख कर ही रहेगी जो उसे हर बार ख्वाब में आ आ कर परेशान किया करता रहता है. यही सोचकर श्रुति जल्दी से उस नौजवान के खण्डो को पकड़ती है और उसका रुख अपनी और करती है. उसे लग रहा था जैसे ही वो उस नौजवान का चेहरा अपनी और करेगी उसका यह ख्वाब खत्म हो जाएगा लेकिन,...उसकी खुशी की कोई इम्तहान नहीं रही जब उसका ख्वाब नहीं खत्म हुआ और नाहीं उसकी नींद टूटी और आख़िरकार श्रुति को जिस का वेट था वो आज उसे मिल गया. क्योंकि उसने उस नौजवान का चेहरा जो देख लिया था. लेकिन उस नौजवान का चेहरा देखने के बाद वो थोड़े देर के लिए हैरत में पढ़ गयी क्योंकि, वो नौजवान कोई और नहीं बल्कि रोहन ही था.

एक झटके से श्रुति ने..
 
(UPDATE-78)

अपनी आँखें खोली. पहले तो वो अपने उसी ख्वाब के खुमार में थी. उसे बड़ी हैरत हो रही थी वो ना जाने कितने दीनों से उस नौजवान का चेहरा देखने की कोशिश कर रही थी लेकिन, कभी भी कामयाब नहीं हो पाई थी. आज जब उसने उसका चेहरा देख लिया था तो वो कोई और नहीं रोहन ही था. वो अपने उसी ख्वाब के नौजवान को तसवउर करने लगी की वो कितना हॅंडसम गभृू जवान था. उसका चेहरा कितना उजरा था. उसकी लंबी ज़ूलफें, उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी जो उसे अपनी और खींच रही थी. वो यही सब सोच रही थी की अचानक उसे ख्याल आया की वो इस वक्त कहा पर है. उसने अपने चारों तरफ देखा तो पाया की वो एक फिर से रोहन की झांगो पर सो रही थी. वो झट से उठ कर बैठ गयी. उसने देखा की अब अंधेरा थोड़ा चाट रहा था और सूरज की हल्की हल्की किराने दिखाई दे रही थी. उसी सूरज की हल्की किरानो में उसने देखा की रोहन पेड़ से तक लगाए हुए एक दम गहरी नींद में सोया हुआ था. मानो कितने दीनों का तक हुआ हो. फिर उसकी नज़र रोहन के चेहरे पर पढ़ी. उसे फिर से वही नौजवान का चेहरा उसकी आँखों में घूमने लगा. वही ज़ूलफें, चेहरे पर वही कशिश. उसने इससे पहले रोहन को कभी इतने गौर से नहीं देखा था. लेकिन अभी वो उसे हर पहलू से देखने की कोशिश कर रही थी. उसने अंदाज़ा लगाया की उसका कद यही 6 फीट के आस पास होगा. कसरती बदन, चेहरे पर बढ़ी हुई शेव देख कर उसे वो बिलकुल एमरान हाशमी की तरह लगने लगा था. उसने कभी इससे पहले रोहन को इतने गौर से देखा नहीं था की रोहन इतना भी खूबसूरत होगा. और वो उसके सपने का राजकुमार भी होगा. अचानक श्रुति को पता नहीं क्या सूझा वो अपना होंठ सो रहे रोहन के होठों पर रख दिया. फिर वो उसे चूमने लगी और उसे तब तक चूमती रही जब उसे एहसास हुआ की रोहन का दम फूलने से रोहन की नींद खुल रही थी. उसने फौरन अपने होंठ उसके होंठ से अलग किए और झट से दूर जाकर बैठ गयी.

"अरे तुम उठ गयी? और में कब सो गया मुझे पता भी नहीं चला. और यह क्या?सुबह भी हो गयी. में कब तक सोता रहा? " वो सवालीए नजारे से श्रुति की तरफ देखने लगा. श्रुति जवाब में कुछ नहीं कहा बस उसे देख कर मुस्कराए जा रही थी. रोहन की कुछ समझ में नहीं आ रहा था की श्रुति अचानक इतना क्यों मुस्करा रही है.

"अरे क्या हुआ? कुछ बोलॉगी भी तुम? इतना क्यों मुस्करा रही हो?" श्रुति को ऐसे मुस्तक़िल मुस्कराता देख कर रोहन पूच्छने लगा.

"कुछ नहीं बस ऐसे ही." रोहन के सवालों को टालते हुए श्रुति अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और कहने लगी.

"अभी क्या करना है हमें? क्योंकि मुझे लगता है अब हमें यहां से चलना चाहिए. अब तो हमने भरपूर नींद भी ले ली है. हम..?
"हां ठीक है." रोहन अभी थोड़ा आधी नींद में ही था. "एक काम करो, पहले ज़रा उस झरने से अपना हाथ मुंह धो लेते है."

"हम..ठीक है चलो." श्रुति ने कहा. फिर वह दोनों उस झरने की और चल पढ़े.

रोहन और श्रुति उस झरने की और तरफ ही रहे थे की तभी रोहन ने श्रुति को अचानक रोका
"रुको!!" रोहन ज़मीन पर बड़ी हैरत से कुछ देख रहा था.
"क्या हुआ?" श्रुति ने भी देखा की रोहन ज़मीन पर कुछ देख कर रुका है. लेकिन क्या वो यह नहीं समझ पा रही थी..
"यह देखो निशान." रोहन, श्रुति को ज़मीन की और इशारा करते हुए कहा. श्रुति ने भी थोड़ा गौर से देखने लगी.
"यह तो किसी जानवर के कदमों के निशान लग रहे है." श्रुति निशान की और गौर से देखने के बाद कहा.
"हां!! यह जानवर के कदमों के निशान है. जानती हो किस जानवर के निशान है?" रोहन अब श्रुति की तरफ देख कर कहा.
"ओह नहीं!! कही यह उस दरिंदो के निशान तो नहीं?" श्रुति को अब घबराहट होने लगी थी.
"नहीं!! यह उन दरिंदो के निशान नहीं है बल्कि यह निशान एक शेयर का है. और यह निशान अभी ताजा है. इसका मतलब वो शेयर अभी अभी यहां से अभी गुजारा होगा."
"ओह नहीं!! अब यह नयी मुसीबत. में तो भूल ही गयी थी इन दरिंदो के चक्कर में की जंगल में और भी भयानक जानवर होते है." श्रुति अब घबराने लगी.
"अब क्या होगा रोहन?"
"कुछ नहीं..तुम फिक्र मत करो हम जल्दी से उस झरने के पानी से अपना हाथ मुंह धो कर वहां से जल्दी से निकल जाएँगे."
"लेकिन कही अगर वो टाइगर वहां आ गया तो?"
"वो तो कही भी आ सकता है. लेकिन मेरे हिसाब से यह निशान बताते है की यहां से सीधा गया हुआ है. और हमें उस झरने के लिए अपनी भाई और से जाना है. अगर हम जल्दी से हाथ मुंह धो कर वहां से निकल जाएँगे तो कोई प्राब्लम नहीं होगी."
"अरे तो हाथ मुंह धोना जरूरी है. यहां जान पर बन आई है और तुम्हें हाथ मुंह ढोने..
 
(UPDATE-79)

की पढ़ी है." श्रुति थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा.
"फिर्क मत करो!! मुझे नहीं लगता वो वापस आएगा. हम जल्दी से जाकर अपना काम निपटा लेंगे." रोहन, श्रुति को समझते हुए कहा. श्रुति फिर और कुछ नहीं बोल पाई. वो दोनों उस झरने के पार जाने लगे.

जब रोहन ने उस झरने के पानी से अच्छी तरह हाथ मुंह धो लिया तो उसने देखा की श्रुति ऐसे ही खड़ी थी.
"क्यों क्या हुआ? तुम भी अपने हाथ मुंह धो लो."
"नहीं.मुझे नहीं धोना क्योंकि पानी बहुत ठंडा है. ऐसा लग रहा है जैसे बर्फ हो. अगर तुम्हारा हो गया हो तो प्लीज़ जल्दी करो कही वो शेयर यहां ना आ जाए?"
"अरे तुम फिक्र मत करो, जब हम उन हैवानो का शिकार कर सकते है तो यह तो फिर भी शेयर है..अगर आ भी गया तो देख लेंगे उसे भी. " रोहन हालात को एक दम हल्का लेते हुए कह रहा था. श्रुति को उसकी बात पर बड़ी हैरत हुई.
"हेन्न्ययी..!!! तुम्हारा दिमाग खराब है? क्या कह रहे हो? तुम तो टाइगर के बारे में ऐसे कह रहे हो जैसे वो कोई मामूली जानवर हो. तुम्हें तो पता होना चाहिए की उसे जुगनले का किंग कहते है. तुम इस तरह बातें करके बेचारी की इन्सल्ट मत करो."
"बड़ी तरफ़दारी हो रही है...उसे दोस्त बनाना है क्या?"
"ओफ्फूहो.कुछ भी मत बोलो. और तुम ज़रा जल्दी करो" कहते हुए शरइत इधर उधर देखने लगी. श्रुति के कुछ देर तक ऐसे ही इधर उधर देखने के बाद, जब श्रुति को एहसास हुआ की रोहन काफी टाइम लगा रहा है तो वो मूंड़ कर रोहन की तरफ देखने लगी. उसने देखा की रोहन एक दम मूर्ति की तरह एक ही पोज़िशन में खड़ा ऊपर की और देख रहा था.
"अरे क्या हुआ...? ऐसे क्यों खड़े हो? अब पानी इतना भी ठंडा नहीं है की बर्फ बन जाओ." जब रोहन फिर भी कुछ नहीं कहा तो वो रोहन के और करीब गयी और उसको हिलाकर कुछ पूच्छने की कोशिश करने लगी तो रोहन जल्दी से अपने होठों पर उंगली रखते हुए "ष्ह" करते खामोश रहने का इशारा करने लगा.

"क्या हुआ..? चुप क्यों बैठने बोल रहे हो? और यह ऊपर क्या देख रहे हो जबसे...?" कहने के साथ में श्रुति भी ऊपर की और देख ही रही थी की उसकी आधी बातें उसके हलाक़ में ही रही गयी. क्योंकि उसने देख ही लिया था. वो कोई और नहीं वही शेयर था जिसके पंजों के निशान रोहन को झरने से थोड़ी दूर मिले थे. वो भूखा शेयर अपनी जबान निकाले दोनों को घूरे जा रहा था. देखने पर ही मालूम पढ़ता था की वो कितने दीनों से भूखा था. जैसे उसे कई दीनों से खाना ना मिला हो. मिलता भी कैसे क्योंकि उसका तमाम शिकार तो वह दरिंदो ने कर दिया था. अब उसके लिए शायद ही कुछ बच्चा होगा इस जंगल में. वो भूखा मारा फिरता रहा था इस जंगल में. अब जब उसने इन दोनों को देख लिया तो उसे अपनी भूख दूर करना का एक जरिया जो मिल चुका था. वो कैसे उन्हें चोद सकता था. वो वही से उन्हें खाने के बारे में सोचने लगा की कैसे अपने शिकार को टारगेट करे..

श्रुति ने देखा की वो वही शेयर था जिसके बारे में वो कब से रोहन से कह रही थी जल्दी चलने को. श्रुति तो उस शेयर को देख कर एक लंबी से चीख निकालने लगी खौफ के मारे. इससे पहले रोहन , श्रुति का मुंह बंद करता, वो शेयर वही से छलांग लगते हुए श्रुति की तरफ लपकने लगा. रोहन ने भी देख लिया था शेयर को छलांग लगते हुए और उसका निशाना श्रुति ही थी. उसने जल्दी से श्रुति को एक तरफ धकेला. श्रुति, रोहन के इस तरह धक्का देने से एक तरफ जा गिरी. अपने शिकार के चूक जाने से वो शेयर और गुस्से में आ गया और दहाड़ते हुए वो अब की बार रोहन की तरफ लपकने लगा. रोहन भी जैसे तैयार था इसके लिए. वो जल्दी से अपने पैर में फँसाए हुए चाकू को तलाश करना लगा. लेकिन यह क्या? वहां तो कोई भी चाकू नहीं था. फिर उसे याद आया की उस दरिंदे से मुठभेड़ के दौरान में जो चाकू उसने उसके सीने में घोंपा था वो वही रही गया था. अपने चाकू को वहां ना पकड़ रोहन की समझ में नहीं आया की वो अब क्या करे. खैर अब उसके पास सोचने का समय भी नहीं था क्योंकि वो शेयर गुर्रटे हुए रोहन पर झपट चुका था. रोहन भी अब तय कर लिया था की चाकू नहीं है तो क्या हुआ वो ऐसे ही उससे मुकाबला करेगा. जब वो शेयर उसपर झपटा तो रोहन पहले काम यह किया की अपने एक हाथ से उस शेयर का गला पकड़ लिया. लेकिन यह इतना आसान नहीं था, क्योंकि उसकी लड़ाई कोई मामूली जानवर से नहीं बल्कि जैसा श्रुति ने कहा था 'जंगल का राजा' से थी.
रोहन लाक कोशिश कर रहा था उस शेयर के पैरों के नाखून अपने से दूर करने में. लेकिन वो इसमें सक्षम नहीं हो पा रहा था. उस शेयर के पंजों के नाखून..
 
(UPDATE-80)

कई जगहों से रोहन को छ्चील दिए थे. रोहन एक भयंकर पीड़ा में अपने आपको महसूस कर रहा था. उसने इतनी देर तक तो उस शेयर के जबड़े को अपने से दूर रखा हुआ था. लेकिन काफी देर तक यूँही मुशाक़्क़त करने के बाद उसकी हिम्मत जवाब देने लगी थी. अब उसके हाथों को कमज़ोरी महसूस हो रही थी. उसे ऐसा लग रहा था की उसका हाथ उस शेयर के जबड़े से कभी भी चुत सकता है. और अगर एक बार उसका जबड़ा चुत गया तो वो उसे पालक झपकते ही अपने नुकिले दाँतों से रोहन के गले पर दबोच लेगा.

रोहन के धक्का देने पर श्रुति दूर एक तरफ जा गिरी थी. उसे हल्की चोटें भी आ गयी थी. लेकिन उसने अपनी चोटों की परवाह ना करते हुए उठ कर बैठ गयी. उसने देखा की वो शेयर रोहन पर झपटा हुआ है और उस पर अपने नाखूनओ से कई जगह च्चालनी कर दिया है. यह दृश्या देख कर श्रुति की जैसे रूह तक काँप गयी. वो चीखने चिल्लाने लगी, लेकिन इस तरह चिल्लाने से वो शेयर थोड़े ही रोहन को छोड देगा. श्रुति भी जैसे समझ गयी थी यह बात वो फौरन इधर उधर कुछ ढूंढ़ने लगी ताकि रोहन को उस शेयर से आज़ाद कर दे. पहले तो उसे ऐसे कोई चीज़ नहीं दिखी. लेकिन थोड़ा और ढूंढ़ने पर उसे एक बाँस की लकड़ी मिली जिसका दूसरा सीरा नुकिला था. उसकी जैसे आँखें चमक गयी. वो फौरन उस बाँस की लकड़ी को उठाई और जल्दी से जाकर उस शेयर की पीठ पर अपनी पूरी ताक़त से वो बाँस की लकड़ी घोंप दी. वो शेयर इस हमले से एक दम बौरा गया और जल्दी से रोहन को छोड कर एक तरफ हो गया. फिर उस शेयर ने देखा की उसपर हमला करने वाली वही खड़ी है तो बस वो उसी पर झपट पड़ा और श्रुति के ऊपर चढ़ कर उसे अपने नुकिले पंजों से उसकी गर्दन पर वार करने ही जा रहा था की रोहन फिर से खड़ा हुआ और अपने आपको और उस शेयर समेट दूर ले जा गिरा. फिर रोहन, श्रुति को ज़ोर ज़ोर से कहने लगा.
"श्रुति!! श्रुति!! तुम जल्दी से यहां से भाग जाओ...अपनी जान बचाओ और यहां से भाग जाओ.." लेकिन वो देख रहा था की उसकी बात का श्रुति पर कोई असर नहीं पढ़ रहा था. वो वैसे ही रोए जा रहा था "श्रुति..!!!!!! भागो...जल्दी से ..!!"
"नहीं रोहन...!!! में तुम्हें ऐसे नहीं चोद सकती..नूऊ!!"
"मेरी फिक्र मत करो और भागू यहां से!!!" रोहन लगातार च्िला कर उसे वहां भाग जाने के लिए कह रहा था. लेकिन श्रुति अपनी जगह से तस से मास नहीं हुई थी. वो सिर्फ़ रोए जा रही थी. क्योंकि वो रोहन को ऐसे हालत में देख कर ही थी मानो जैसे उसका दिल एक दम च्चालनी च्चालनी सा हो गया था. वो कैसे अपने प्यार को बेसहारा उस शेयर के हवाले छोड सकती थी.

अब रोहन की हिम्मत जवाब देने लगी थी. उसे ऐसा लग रहा था की शायद अब वो उस शेयर का मुकाबला नहीं कर पाएगा. लेकिन वो यह सोच रहा था की अगर वो इस शेयर के हाथों मारा जाएगा तो वो उसके बाद श्रुति को भी नहीं छोड़ेगा. उसे अपनी जान की परवाह नहीं थी. परवाह थी तो सिर्फ़ श्रुति की. इसलिए वो उसे कह रहा था की वो यहां से चली जाए. लेकिन वो जिद्दी लड़की वहां से हिल ही नहीं रही थी. रोहन ने सोच लिया था अब उसे कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा इस शेयर से च्छुतकारा पाने के लिए. तभी उसकी नज़र उसी बाँस की लकड़ी पर जो उसकी पीठ पर अभी भी थी. रोहन ने हिम्मत करके उस शेयर को अपने से दूर फेंका ताकि उसे इतना मौका मिल जाए की दोनों हाथों से उस बाँस की लकड़ी को उसकी पीठ से निकाल सके. खैर रोहन ने जैसे तैसे उस शेयर से गुत्थम गुत्था होकर वो बाँस आख़िरकार निकाल ही लिया. फिर जल्दी से मौका देख कर वो बाँस उस शेयर के गले में घुसाद दिया. पहले तो वो शेयर फिर भी थोड़ी मज़हमत किया लेकिन थोड़ी ही देर में उसका दम निकल गया. रोहन थोड़ी देर तक अपनी उजलही हुई साँसें बेहाल करने लगा. फिर उसे श्रुति का ख्याल आया वो पलटकर देखा वो अभी भी रोए जा रही थी. उसे ना जाने क्यों इतना गुस्सा आया उसपर की वो उसके पास जाकर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा..

"रोना बंद करो.!! तुम्हारे को समझ में नहीं आता है?? कब से कह रहा था भागो भागो...अपनी जान बचाओ...क्या सोच रही थी..हाअ.बोलो?"

"रोहन में तुम्हें अकेले चोद के कैसे जाती, अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो.?" श्रुति रोते हुए कहने लगी

"अरे ज्यादा से ज्यादा क्या होता..!!! में मर ही जाता ना? तुम को इतना फिक्र करने की क्या जरूरत थी?" रोहन अब भी उस पर बरसे जा रहा था.

"मुझे फिक्र करने की जरूरत थी...!!! श्रुति भी इस बार चिल्लाया कर बोली.

"क्यों..? किस हक से तुम मेरी इतनी फिक्र कर रही थी...? रोहन का पारा भी एक दम से चढ़ गया था श्रुति के भी चिल्लाने से.

"बिकॉज़ ई..
 
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