(UPDATE-91)
बंदरों को छूना था अपने एक्सपेरिमेंट के लिए." श्रुति, परवेज़ को समझते हुए कहा.
"वो तो ठीक है. लेकिन तेरे इस एक्सपेरिमेंट से इन बंदरों पर क्या असर पढ़ा है. यह इतने खूनकर क्यों हो गये?" रोहन, विक्रम की और देखते हुए कहा.
"दरसा यह मेरे दो सहायक थे उनकी गलती से हुआ था. उन्होंने शराब के नशे में एक बंदर पर उस केमिकल का ओवेरडोज़े टेस्ट कर लिया था. जिसकी वजह से उस बंदर पर केमिकल रिएक्शन हुआ और वो खूनकर हो गया." विक्रम ने कहा.
"तुम लोगों ने कितने बंदरों पर यह एक्सपेरिमेंट किया था?" श्रुति ने विक्रम की तरफ देखते हुए कहा.
"सिर्फ़ एक बंदर था उस वक्त." विक्रम ने जवाब दिया.
"सिर्फ़ एक! लेकिन बाहर तो कई ऐसे बंदर है जिसपर यह एक्सपेरिमेंट किया हुआ लग रहा है. मेरा मतलब है अगर तूने सिर्फ़ एक बंदर पर यह एक्सपेरिमेंट किया था तो यह लोग की तादाद इतनी कैसे हो गयी?" रोहन ने कहा.
"वाइरस! वाइरस की वजह से. मेरे कहने का मतलब है जो केमिकल रिएक्शन उस बंदर पर हुआ था उसने वही चीज़ अपने साथी बंदर को दे दी और उसके साथी बंदर ने दूसरों को. और इसी तरह एक बंदर दूसरे बंदर को अपनी तरह खूनकर बनाते गये."
"लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया की यह बीमारी सिर्फ़ बंदरों में क्यों ट्रांसफर हो रही है..इंसानो में या कोई दूसरे जानवर में क्यों नहीं हुई?" इस बार परवेज़ ने कहा.
"वो इसलिए की.उस केमिकल रिएक्शन की वजह से वह सारे बंदर इतने खूनकर हो जाते है और फिर उन्हें हर वक्त खून और माँस की तलाश रहती है. वह अपनी बिरादरी को तो कुछ नहीं करते है लेकिन जैसे ही उन्हें उनकी बिरादरी से कोई बाहर वाला दिखता है तो वो झपट पढ़ते है उसपर और तब तक उस पर झपते रहते है जब तक उसके जिस्म से माँस का एक एक टुकड़ा ना कहा ले. तो ऐसी सूरत में जब कोई बंदरों के अलावा ज़िंदा ही नहीं बचेगा तो वो वाइरस कैसे दूसरों में पहुंचेगा." इतना कहते हुए विक्रम खामोश हो गया. फिर रोहन, विक्रम का गला पकड़ते हुए कहता है.
"लेकिन तुझे इस जंगल में यह एक्सपेरिमेंट करने की क्या जरूरत पढ़ गयी?" जब थोड़ी देर तक विक्रम, रोहन की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो रोहन ने एक तमंचा उसके गाल पे खींच के मारा. रोहन का जोरदार हाथ पढ़ते ही विक्रम बिलबिला उठा और कहने लगा.
"ववओो..में गैर कानोनी तरीके से यह सब एक्सपेरिमेंट करता हूँ और फिर उन्हें ब्लैक मार्केट में बेच देता हूँ. और इसके लिए मुझे ऐसी ही एकांत जगह चाहिए थी."
"साले मादरचोड़!! तेरे इस एक्सपेरिमेंट की वजह हम सब की मां बहन हुई वो अलग और ना जाने कितनों की जान चली गयी बहनचोद!!!"
"हां बहनचोद बोल!! क्यों किया तूने ऐसा?" इस बार श्रुति ने कहा. रोहन और परवेज़ हैरत से श्रुति की तरफ देखने लगे.
"ययएएः..क्या बक रही हो?" रोहन, श्रुति की तरफ देखते हुए कहा.
"क्यों गाली सिर्फ़ तुम ही बक सकते हो में नहीं?" श्रुति भी जवाब देते हुए कहा.
"अरे लेकिन..तुम पर अच्छा नहीं लगता है."
"तो तुम्हारे ऊपर भी अच्छा नहीं लगता है. जब तक तुम गाली देना बंद नहीं करोगे में भी तुम्हारी तरह यूँही गालियाँ देती रहूंगी. तभी तुम्हें एहसास होगा जब तुम गालियाँ बकते हो तो मुझे कितना बुरा लगता है."
"अच्छा अच्छा ठीक है. नहीं देता में गाल्यान, लेकिन आज के बाद तुम यह सब नहीं कहोगी."
"वाह बेटा वाह!! इतनी जल्दी पलटी कहा गया. मेरे मना करने पर तो आज तक यह आदत छ्छूती नहीं और आज इनकी एक आवाज़ पर तूने मिंटो में गाली देना छोड दिया." परवेज़ तंज़ करता हुआ बोला. परवेज़ की बात सुनकर श्रुति थोड़ा सा खिलखिला कर हँसने लगी.
"अच्छा ठीक है . यह वक्त इन बातों का नहीं है. पहले ज़रा हम इस नमूने से तो निपट ले." रोहन ने कहा.. फिर रोहन विक्रम की तरफ देख कर कहा.
"अब यह बता की जो बीमारी तूने इन जानवरो में फेलाइ है इसका कोई तोड़ है?"
"हां..हां.मैंने अभी अभी एक आंटिडोट तैयार किया है. और अभी मैंने जो इंजेक्शन इस बंदर को दिया है यह वही आंटिडोट है. जिसके कारण यह अपनी पुरानी अवस्था में आ गया है." विक्रम ने पिंजरे की तरफ इशारा करते हुए कहा जिसमें वो बंदर एक दम बेसुध पढ़ा हुआ गहरी गहरी साँसें ले रहा था.
"अरे वाह!! यह तो बहुत बढ़िया हो गया!! अब हम आसानी से इन दरिंदो को मर कर इस जंगल से निकल सकते है." परवेज़ ने कहा.
"वो तो ठीक है. लेकिन हम इतने सारे दरिंदो को एक साथ इंजेक्शन तो नहीं दे सकते ना." रोहन ने कहा.
"हां यार! बात तो तेरी ठीक है. मैंने तो इस बारे में सोचा ही नहीं. अब हम क्या करे?" परवेज़ ने कहा.
"हम एक काम कर सकते है. हम इसे यहां के फोरेस्ट ऑफिसर के हवाले कर देंगे. फिर जब उन्हें इन बंदारो के बारे में मालूम पड़ेगा तो वह कुछ ना कुछ इसका हाल जरूर निकालेंगे." श्रुति ने कहा.
"यह नहीं हो सकता क्योंकि हम दोनों फोरेस्ट ऑफिसर्स के सामने नहीं जा सकते, इसमें खतरा है." परवेज़, श्रुति की तरफ देखते हुए कहा.
"परवेज़ ठीक कह रहा..
बंदरों को छूना था अपने एक्सपेरिमेंट के लिए." श्रुति, परवेज़ को समझते हुए कहा.
"वो तो ठीक है. लेकिन तेरे इस एक्सपेरिमेंट से इन बंदरों पर क्या असर पढ़ा है. यह इतने खूनकर क्यों हो गये?" रोहन, विक्रम की और देखते हुए कहा.
"दरसा यह मेरे दो सहायक थे उनकी गलती से हुआ था. उन्होंने शराब के नशे में एक बंदर पर उस केमिकल का ओवेरडोज़े टेस्ट कर लिया था. जिसकी वजह से उस बंदर पर केमिकल रिएक्शन हुआ और वो खूनकर हो गया." विक्रम ने कहा.
"तुम लोगों ने कितने बंदरों पर यह एक्सपेरिमेंट किया था?" श्रुति ने विक्रम की तरफ देखते हुए कहा.
"सिर्फ़ एक बंदर था उस वक्त." विक्रम ने जवाब दिया.
"सिर्फ़ एक! लेकिन बाहर तो कई ऐसे बंदर है जिसपर यह एक्सपेरिमेंट किया हुआ लग रहा है. मेरा मतलब है अगर तूने सिर्फ़ एक बंदर पर यह एक्सपेरिमेंट किया था तो यह लोग की तादाद इतनी कैसे हो गयी?" रोहन ने कहा.
"वाइरस! वाइरस की वजह से. मेरे कहने का मतलब है जो केमिकल रिएक्शन उस बंदर पर हुआ था उसने वही चीज़ अपने साथी बंदर को दे दी और उसके साथी बंदर ने दूसरों को. और इसी तरह एक बंदर दूसरे बंदर को अपनी तरह खूनकर बनाते गये."
"लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया की यह बीमारी सिर्फ़ बंदरों में क्यों ट्रांसफर हो रही है..इंसानो में या कोई दूसरे जानवर में क्यों नहीं हुई?" इस बार परवेज़ ने कहा.
"वो इसलिए की.उस केमिकल रिएक्शन की वजह से वह सारे बंदर इतने खूनकर हो जाते है और फिर उन्हें हर वक्त खून और माँस की तलाश रहती है. वह अपनी बिरादरी को तो कुछ नहीं करते है लेकिन जैसे ही उन्हें उनकी बिरादरी से कोई बाहर वाला दिखता है तो वो झपट पढ़ते है उसपर और तब तक उस पर झपते रहते है जब तक उसके जिस्म से माँस का एक एक टुकड़ा ना कहा ले. तो ऐसी सूरत में जब कोई बंदरों के अलावा ज़िंदा ही नहीं बचेगा तो वो वाइरस कैसे दूसरों में पहुंचेगा." इतना कहते हुए विक्रम खामोश हो गया. फिर रोहन, विक्रम का गला पकड़ते हुए कहता है.
"लेकिन तुझे इस जंगल में यह एक्सपेरिमेंट करने की क्या जरूरत पढ़ गयी?" जब थोड़ी देर तक विक्रम, रोहन की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो रोहन ने एक तमंचा उसके गाल पे खींच के मारा. रोहन का जोरदार हाथ पढ़ते ही विक्रम बिलबिला उठा और कहने लगा.
"ववओो..में गैर कानोनी तरीके से यह सब एक्सपेरिमेंट करता हूँ और फिर उन्हें ब्लैक मार्केट में बेच देता हूँ. और इसके लिए मुझे ऐसी ही एकांत जगह चाहिए थी."
"साले मादरचोड़!! तेरे इस एक्सपेरिमेंट की वजह हम सब की मां बहन हुई वो अलग और ना जाने कितनों की जान चली गयी बहनचोद!!!"
"हां बहनचोद बोल!! क्यों किया तूने ऐसा?" इस बार श्रुति ने कहा. रोहन और परवेज़ हैरत से श्रुति की तरफ देखने लगे.
"ययएएः..क्या बक रही हो?" रोहन, श्रुति की तरफ देखते हुए कहा.
"क्यों गाली सिर्फ़ तुम ही बक सकते हो में नहीं?" श्रुति भी जवाब देते हुए कहा.
"अरे लेकिन..तुम पर अच्छा नहीं लगता है."
"तो तुम्हारे ऊपर भी अच्छा नहीं लगता है. जब तक तुम गाली देना बंद नहीं करोगे में भी तुम्हारी तरह यूँही गालियाँ देती रहूंगी. तभी तुम्हें एहसास होगा जब तुम गालियाँ बकते हो तो मुझे कितना बुरा लगता है."
"अच्छा अच्छा ठीक है. नहीं देता में गाल्यान, लेकिन आज के बाद तुम यह सब नहीं कहोगी."
"वाह बेटा वाह!! इतनी जल्दी पलटी कहा गया. मेरे मना करने पर तो आज तक यह आदत छ्छूती नहीं और आज इनकी एक आवाज़ पर तूने मिंटो में गाली देना छोड दिया." परवेज़ तंज़ करता हुआ बोला. परवेज़ की बात सुनकर श्रुति थोड़ा सा खिलखिला कर हँसने लगी.
"अच्छा ठीक है . यह वक्त इन बातों का नहीं है. पहले ज़रा हम इस नमूने से तो निपट ले." रोहन ने कहा.. फिर रोहन विक्रम की तरफ देख कर कहा.
"अब यह बता की जो बीमारी तूने इन जानवरो में फेलाइ है इसका कोई तोड़ है?"
"हां..हां.मैंने अभी अभी एक आंटिडोट तैयार किया है. और अभी मैंने जो इंजेक्शन इस बंदर को दिया है यह वही आंटिडोट है. जिसके कारण यह अपनी पुरानी अवस्था में आ गया है." विक्रम ने पिंजरे की तरफ इशारा करते हुए कहा जिसमें वो बंदर एक दम बेसुध पढ़ा हुआ गहरी गहरी साँसें ले रहा था.
"अरे वाह!! यह तो बहुत बढ़िया हो गया!! अब हम आसानी से इन दरिंदो को मर कर इस जंगल से निकल सकते है." परवेज़ ने कहा.
"वो तो ठीक है. लेकिन हम इतने सारे दरिंदो को एक साथ इंजेक्शन तो नहीं दे सकते ना." रोहन ने कहा.
"हां यार! बात तो तेरी ठीक है. मैंने तो इस बारे में सोचा ही नहीं. अब हम क्या करे?" परवेज़ ने कहा.
"हम एक काम कर सकते है. हम इसे यहां के फोरेस्ट ऑफिसर के हवाले कर देंगे. फिर जब उन्हें इन बंदारो के बारे में मालूम पड़ेगा तो वह कुछ ना कुछ इसका हाल जरूर निकालेंगे." श्रुति ने कहा.
"यह नहीं हो सकता क्योंकि हम दोनों फोरेस्ट ऑफिसर्स के सामने नहीं जा सकते, इसमें खतरा है." परवेज़, श्रुति की तरफ देखते हुए कहा.
"परवेज़ ठीक कह रहा..