[color=rgb(97,]इक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की[/color]
[color=rgb(251,]भाग -7 (10)[/color]
[color=rgb(44,]अब तक आपने पढ़ा:[/color]
करुणा के सारे कागज़ देख कर वो करुणा से बोले;
साहब: सारे कागज ठीक है, तुम्हारी joining मैं आज से ही दे रहा हूँ! तुम्हारी posting घरसाना में है तो अभी जा कर वहाँ रिपोर्ट करो|
घरसाना का नाम सुन कर मुझे याद आया की करुणा को पोस्टिंग तो वहाँ मिली थी! मैं हैरानी से करुणा को देखने लगा, मेरी ये हैरानी साहब जी ने देख ली और मुझे रास्ता बताते हुए बोले;
साहब: घरसाना यहाँ से करीब डेढ़ घंटा दूर है, यहाँ से राजस्थान रोडवेज की बस जाती है| जल्दी चले जाओ वरना बस छूट जाएगी!
मैंने करुणा को साथ लिया और बस स्टैंड पहुँचा, बस स्टैंड पहुँचने तक मैं सोच में पड़ गया| श्री विजय नगर से घरसाना रोज बस से जाना ये सोच कर मैं बहुत चिंता मैं था| रोज यूँ डेढ़ घंटे का रास्ता अकेले सफर करना करुणा के बस की बात नहीं थी, ऊपर से मुझे उसकी सुरक्षा की भी बहुत चिंता हो रही थी| मैंने सोचा की चलो एकबार घरसाना पहुँच कर वहाँ पर ही करुणा के रुकने का कोई इंतजाम कर दूँगा|
[color=rgb(255,]अब आगे:[/color]
करुणाका तो पता नहीं पर मैं आज बहुत सालों बाद रोडवेज की बस में सफर करने वाला था| हम बस स्टैंड पर पहुँचे ही थे की एक बस आ कर लगी और कंडक्टर ने 'घरसाना' का नाम लिया| हम बस में चढ़े तो देखा की वो बस लगभग भरी हुई है, पीछे की तरफ three seater सीट पर खिड़की की तरफ एक लड़का बैठा है, हम दोनों वहीं बैठने लगे पर करुणा को तो बीच में बिठा नहीं सकता था क्योंकि मैंने 'बस यात्रा' में हुई छेड़खानी की बहुत सी कहानियाँ पढ़ रखी थीं, इसलिए मुझे ही बीच में बैठने पड़ा| सुबह के साढ़े ग्यारह बजे थे और गर्मी ने हमें तपाना शुरू कर दिया था, जबतक बस ने अपनी रफ़्तार नहीं पकड़ी तबतक मैं पसीने से लगभग भीग चूका था| उधर बस में बैठे हुए सभी सवारियों की नजर हम दोनों पर ही थी, ख़ास कर बूढी महिलाएँ तो करुणा और मुझे घूर-घूर कर देख रहीं थीं| लोगों का यूँ हमें देखना अब मुझे चुभने लगा था और मुझे पुनः करुणा की चिंता होने लगी थी| कुछ देर बाद कंडक्टर हमारे पास आया और हमारे गंतव्य स्थान के बारे में पुछा तो मैंने घरसाना कहा| उसने मुझसे पैसे लिए और टिकट दी, जब टिकट देखि तो समझ आया की राजस्थान में महिलाओं को बस यात्रा पर 10% की छूट दी जाती है| अभी तक मैंने ऐसा किसी भी राज्य में नहीं देखा था, मैंने इसे ही विषय बना कर करुणा से बात शुरू की क्योंकि हॉस्पिटल से निकलने से ले कर अभी तक हम दोनों खामोश थे|
करुणा: देखा मिट्टू, लड़की होने का कितना फायदा होता है?
करुणा हँसते हुए बोली| उसे अपनी टिकट पर छूट मिलने पर बड़ा गर्व हो रह था!
गर्मी कड़क थी तो करुणा मैडम तो मेरे कँधे पर सर रख कर सो गईं और इधर मैं खिड़की से बाहर जम्हाई लेते हुए जागता रहा| डेढ़ घंटे बाद घरसाना आया तो मैं और करुणा बस से उतरे, सरकारी अस्पताल का पता पूछते हुए हम आखिर अस्पताल पहुँच ही गए| मैंने यहाँ करुणा की joining के लिए छान-बीन की तो पता चला की यहाँ भी बड़े साहब नहीं आये, उनके आने का समय दोपहर बाद का था तो हमारे पास सिवाए इंतजार करने के और कोई चारा नहीं था| वहीं करुणा की joining की हवा पूरे अस्पताल में फ़ैल गई और हमें ढूँढ़ते हुए वहाँ का स्टाफ आ धमका| 2 पुरुष कम्पाउण्डर, एक एम्बुलेंस ड्राइवर, 3 अधेड़ उम्र की नर्सें तथा एक junior डॉक्टर, सभी ने आ कर हमें घेर लिया| सब ने करुणा और मुझसे बात चीत शुरू की, करुणा से उसकी पढ़ाई, उसके घर तथा पुरानी नौकरी के बारे में पुछा और मुझसे उन्होंने मेरा परिचय लिया| करुणा की वहाँ joining को ले कर सभी गर्म जोशी से भरे हुए थे, हम दोनों को सभी नर्सों वाले कमरे में ले गए और वहाँ बिठा कर बात चीत शुरू हुई| बकायदा हमारे लिए चाय मँगाई गई और बातचीत का लम्बा दौर शुरू हुआ, उस दौरान जिस किसी को काम होता वो चला जाता, पर उसकी जगह दूसरा व्यक्ति रुक कर बातें करने लगता| यहाँ का सारा स्टाफ अधेड़ उम्र यानी 40 साल से ऊपर का था, बस एक वो junior डॉक्टर ही थी जो करीब 35 की लग रही थी| दूसरी बात जो मैंने गौर की वो ये की सारा स्टाफ या तो राजस्थान का रहने वाला था या फिर पंजाबी था| 2 अधेड़ उम्र की नर्सें तो पंजाबी थीं, क्योंकि उनकी बोली में पंजाबी साफ़ झलक रही थी| तीसरी और सबसे जर्रूरी बात ये की पूरे स्टाफ को लग रहा था की मेरा और करुणा का चक्कर अर्थात प्रेम-प्रसंग चल रहा है, क्योंकि उनकी बातें ज्यादा कर के मुझे जानने से जुडी हुईं थीं| वे सभी सोच रहे थे की मैं एक प्रेमी की तरह करुणा की जिंदगी के सभी फैसले मैं करता हूँ इसलिए उनके सवालों में हम दोनों के रिश्ते को जानने की एक अद्भुत जिज्ञासा थी| हालाँकि मैं और करुणा अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे की हमारे दोस्ती के रिश्ते को अच्छी तरह से उनके सामने रख सकें पर लगता है इसका कोई फर्क पड़ नहीं रहा था|
खैर बातें हो रहीं थीं और सब यहीं आस-पास के रहने वाले थे तो मैंने करुणा के रहने की बात चलाई| मैंने उन्हें बताया की श्री विजय नगर में तो मैंने एक PG ढूँढा था पर वहाँ से यहाँ रोजाना सफर करना करुणा के लिए नामुमकिन है, ऐसे में अगर यहीं रहने का इंतजाम हो जाए तो करुणा का काम बन जायेगा| वहाँ की सबसे उम्र दराज नर्स ने कामिनी नाम की किसी नर्स को बुलाने को कहा, उन्होंने हमें बताया की ये नर्स केरला की रहने वाली हैं तथा यहाँ अपने परिवार के साथ रहती हैं| हम दोनों जब से आये थे हमने उन्हें नहीं देखा था और चूँकि वो केरला से थीं तो मेरा दिल उम्मीद कर रहा था की वे ही करुणा की रहने की समस्या का निवारण कर देंगी|
लेकिन जब वो मैडम आईं तो मेरे दिल में घबराहट शुरू हो गई| केरला साड़ी पहने हुए, बगल में पर्स टाँगे, भारी-भरकम जिस्म की मालकिन!!! भारी-भरकम जिस्म से मेरा मतलब मोटा होना नहीं, बल्कि शरीर के उन ख़ास हिस्सों पर अत्यधिक माँस होने से है जो एक पुरुष को अत्यधिक लुभाते हैं! कमरे में घुसते ही उनकी नजर पहले करुणा पर पड़ी और वो उससे सीधा ही मलयालम में बात करने लगीं| दोनों के बात करने का लहजा ऐसा था मानो बहुत पुरानी सहेलियाँ हों! दोनों ने पता नहीं मलयालम में क्या गिटर-पिटर की, जब करुणा ने मेरी और इशारा कर के कुछ कहा तब मैं समझा की वो मुझे अपना दोस्त बता रही है| अब जा कर उन कामिनी मैडम का ध्यान मुझ पर गया, नजाने मुझे ऐसा क्यों लगा जैसे वो मुझे सर से ले कर पाँव तक अपनी आँखों के scanner से scan कर रहीं हैं! उनकी नजरों में अलग सी चुभन थी कुछ-कुछ वैसी है जैसी रसिका भाभी की आँखों में होती थी, शायद यही कारन है की उन्हें देखते ही मेरे दिमाग में खतरे की घंटी बजने लगी थी!
मैंने बात शुरू करते हुए उन्हें अपना नाम बताया और सीधा उनसे मुद्दे की बात की, उन्होंने बताया की ये कोई शहर नहीं है जहाँ पर मुझे हॉस्टल या PG मिलेगा, यहाँ पर तो शायद कहीं कमरा किराए पर मिल जाए तो वो हमारी किस्मत है! बात चिंता जनक थी इसलिए हम दोनों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी थीं, तभी कामिनी मैडम एकदम से बोलीं;
कामिनी: मानु तुम चिंता मत करो, ये मेरे घर में ही रह लेगी| मेरे पति वैसे भी दुबई गए हैं और बच्चे मुंबई में पढ़ रहे हैं, मैं घर पर अकेली ही रहती हूँ तो ये मेरे साथ रह सकती है|
उनकी बात सुन करुणा तो खुश हो गई पर मेरी चिंता अब भी वैसी की वैसी थी, मुझे कामिनी पर शक होने लगा था और उसके घर में करुणा का रहना मुझे किसी खतरे की दस्तक लग रही थी! खैर लंच टाइम हो गया था और सारा स्टाफ खाना खाने बैठ रहा था तो हम दोनों खाना खाने बाहर चल दिए| बाहर आ कर मैंने करुणा से बात करनी शुरू की, मुझे जानना था की करुणा इस जगह, यहाँ के लोगों के बारे में क्या सोच रही है? करुणा ने बताया की कुछ डरी हुई है, यहाँ के लोग विजय नगर की तरह ही हमें घूर रहे थे और उनकी ये नजरें करुणा को बहुत चुभ रहीं थीं| हाँ रहने के मामले में वो निश्चिंत थी पर मैंने उसे अपने डर से रूबरू कराते हुए कहा;
मैं: यार वो औरत ठीक नहीं लगी मुझे!
मेरी दो टूक बात सुन करुणा हैरान हुई और उसके चेहरे पर सवाल नजर आने लगे!
मैं: यार....मैं आपको बता नहीं सकता.....उसे देखते ही मुझे डर लगने लगा..... वो न..... कुछ गड़बड़ वाली औरत है!
मुझे करुणा से साफ़-साफ़ बात कहने में शर्म आ रही थी इसलिए में बात को गोल-मोल घुमा रहा था, शुक्र है की मेरी बात करुणा की समझ में आ गई और वो मुस्कुराते हुए बोली;
करुणा: ऐसा कुछ नहीं है मिट्टू! मेरा उससे मलयालम में बात हुआ, वो बोला की वो यहाँ 4 साल से काम कर रे और उसका बात से मुझे कुछ गड़बड़ नहीं लगा| आप बस tension मत लो!
करुणा भोली थी वो लोगों को नहीं पहचान पाती थी, पर मैं इन कुछ सालों में लोगों को पहचानने में कुछ-कुछ परिपक्व हो गया था|
हम खाना खाने जा रहे थे की करुणा को रास्ते में एक ब्यूटी पार्लर दिखा तो उसने जिद्द की कि उसे अपनी eyebrow ठीक करवानी है! इधर मैं करुणा के रहने के इंतजाम को लेकर परेशान हूँ और इन मैडम को मेकअप करना है?! ये सोच कर मुझे थोड़ा अजीब लगा पर क्या कर सकते थे, मैं उसके साथ ब्यूटी पार्लर में चल दिया| 20 मिनट तक में ब्यूटी पार्लर में अच्छे से पका, पैसे दे कर हम खाना खाने चले तो करुणा ने मुझे बताया की ब्यूटी पार्लर वाली लड़की करुणा को कामिनी के गाँव वाली समझ रही थी| उसने करुणा को बताया की कामिनी मैडम यहाँ की regular ग्राहक हैं और बहुत कुछ करवाती हैं! ये सुन कर मेरे दिमाग में फिर से डर का साईरन बजने लगा!
'कामिनी का मियाँ यहाँ पर है नहीं तो ये इतना बनठन कर कहाँ जाती है? जर्रूर इसका कोई चक्कर चल रहा है, हो न हो कामिनी का प्रेमी घर भी आता होगा और अगर करुणा इसके घर रही तो कहीं वो आदमी करुणा पर भी हाथ-साफ़ न कर ले!' ये डरवना ख्याल दिमाग में आते ही मैंने सोच लिया की मैं करुणा को इसके घर तो रहने नहीं दूँगा!
उधर करुणा का फ़ोन बजने लगा और वो किसी से मलयालम में बात करने लगी, मुझे लगा की शायद उसकी मम्मा का फ़ोन होगा पर वो फ़ोन था उसके EX का! करुणा मलयालम में उसे कुछ समझा रही थी और वो उसकी सुनने को तैयार नहीं था! इधर मैंने खाना खाने के लिए दूकान देखनी शुरू कर दी थी, अस्पताल के नजदीक एक छोटा सा बजार था और उसमें खाने लायक कोई ढंग की जगह नहीं थी| वहाँ मुझे एक ठीक-ठाक दूकान दिखी तो हम उसमें बैठ गए, करुणा काफी गंभीर हो कर बात करने में लगी थी और मैं इसकी परवाह किये बिना खाने का menu देखने लगा था| Menu छापने वाला 'दिन दहाड़े अंग्रेजी बोलना सीखें' institute का विद्यार्थी रहा होगा
![](https://img119.imagetwist.com/th/37017/qtnvf58enpwe.jpg)
क्योंकि उसने जिस भी खाने की चीज का नाम लिखा था उस सब में spelling mistake थी!
Chow mein को Choumeen, Samosa को Semosa, Cheese को Cheej, Pepsi को Papsi, Veg Gril Sandwich को Veg Girl Sandvich, Cutlet ko Cutles, Pizza को Piza, Pineaple को Pinaple, Schezwan को Shezvan छापा हुआ था और जो सबसे हँसी वाली आइटम मैंने पढ़ी थी वो थी; "Jain Cheese Girl Sandvich"! ये आइटम पढ़ कर तो मेरा दिमाग उस जैन लड़की से मिलने को करने लगा था जो आर्डर देने पर हमें परोसी जाती!!
जिंदगी में पहलीबार मैं Menu पढ़ कर हँस रहा था, मैंने वेटर को आर्डर लेने के लिए बुलाया और उससे "Girl Sandvich" के बारे में पुछा, वो बोला की अभी लाइट नहीं है तो सिर्फ चाऊमीन या समोसा ही मिलेगा| तो मैंने दो प्लेट चाऊमीन और दो कोल्ड ड्रिंक मँगाई| इधर करुणा की बात खत्म हुई और वो काफी रुनवासी थी, उसकी ये हालत देख कर मेरा menu पर से ध्यान हटा और मैंने उससे कारन पुछा| करुणा ने बताया की उसके EX ने कॉल किया था, उसकी बहन ने जो मेरे बारे में अपने गाँव भर में ढिंढोरा पीटा था वो करुणा के EX ने सुन लिया था| वो करुणा को फ़ोन कर के ताने मार रहा था की करुणा कैसे एक अनजान "North Indi" (उत्तर भारतीय) लड़के पर भरोसा कर सकती है! ये सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं उस लड़के को गाली देते हुए बोला;
मैं: उस बहनचोद की हिम्मत कैसे हुई मेरे बारे में कुछ कहने की?
मेरा गुस्सा देख करुणा मुझे शांत करवाने लगी|
करुणा: मैं उसे बोला की आप बहुत अच्छा लड़का है, मेरा बहुत help करते, मेरा बहुत care करते है| लेकिन वो मान ही नहीं रहा, वो इदर केरला में है और मेरे को मिलने बुला रे! वो बोलते की मैं अगर उससे नहीं मिलने आ रे तो वो मेरे को लेने दिल्ली आते, मैं बोला की मैं दिल्ली में नहीं तो वो बोला की मैं उदर (यानी घरसाना) आ जाते!
मैं जनता था की करुणा के EX को "क्या चाहिए", तभी वो करुणा को बार-बार केरला बुलाता था, एक बार उसे वो मिल जाए तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता की करुणा किस के साथ है| मुझे यूँ करुणा का अपने EX से दब कर रहना अच्छा नहीं लगता था तो मैंने अपनी झुंझुलाहट में कुछ गलत कह दिया;
करुणा: मेरी बात सुन, आप उस लड़के को बोलो की आप ने उससे "revenge" लेने के लिए किसी लड़के के साथ "sex" कर लिया है! ये सुन कर वो आपको दुबारा कभी कॉल नहीं करेगा, क्योंकि जो उसे चाहिए वो उसे अब मिलने से रहा!
ये शब्द मेरे मुँह से बाहर आने के बाद भी मुझे जरा सा एहसास नहीं हुआ की मैंने कुछ गलत कहा है! मेरे सर पर गुस्सा सवार था और जो मैं बोल रहा था वो शब्द मेरे दिमाग से नहीं बल्कि गुस्से से निकले थे|
मेरी बात सुन कर करुणा सन्न थी, उसके 'छोटे' से दिमाग ने मेरी कही बात में से दो शब्द पकड़ लिए; "REVENGE" और "SEX"!!! मैं नहीं जानता था की उसने इन दोनों शब्दों को जोड़ कर अपने EX से बदला लेने की ठान ली है!
चाऊमीन परोसी गई और हम ने ख़ामोशी से चुप-चाप खाया, स्वाद तो कुछ था नहीं बस पेट भरना था| खाना खा कर हम वापस अस्पताल लौट आये, बड़े डॉक्टर साहब अभी तक नहीं आये थे और अस्पताल का स्टाफ इस वक़्त व्यस्त था इसलिए हम दोनों को एक होम्योपैथी दवाई के स्टोर रूम में बैठने को बोला| कमरे में एक टेबल और तीन कुर्सियाँ पड़ी थीं तथा हमारे अलावा उस कमरे में कोई और नहीं था| तभी करुणा ने बात शुरू करते हुए कहा;
करुणा: मुझे मेरा EX से REVENGE लेना है, आज होटल जा कर हम SEX करते!
करुणा की आवाज में गुस्सा और बदले की आग धधक रही थी, तथा उसने ये बात अपना फैसला सुनाने के ढँग से कही थी! वहीं उसके मुँह से ये शब्द निकले तो मैं भौंचक्का उसे घूरने लगा, मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई थी, दिमाग ने चेतावनी का घंटा बजा दिया था और मन ने मुझे कास कर जकड़ लिया था!
मैं: Dear I don't want to do anything that we'll regret our whole life!
इतना कह मैंने करुणा से मुँह फेर लिया|
मैं समझ सकता था की करुणा गुस्से से भरी है पर वो जो कह रही थी वो पाप था! मेरा मन जिसमें शायद अब भी कहीं भौजी के लिए प्यार दफ़न था वो मुझे ये पाप करने से रोक रहा था, दिमाग और दिल भी आज मन के साथ हो लिए थे और मुझे रोक रहे थे| अचानक मुझे गुजरात वाले भैया की कही बात याद आई जो उन्होंने मेरे आखरी बार गाँव जाने से पहले कही थी, उनकी कही बात की मुझे बुराई के दलदल से दूर रहना मैंने नहीं सुनी थी और उसके बाद जो मेरी 'गत' हुई थी उस पर मुझे आज भी पछतावा होता था| मैं आज फिर वही 'गलती' नहीं दोहराना चाहता था, इसीलिए करुणा से मुँह मोड़ कर खामोश बैठा था|
उधर करुणा को अपने कहे शब्दों पर पछतावा होने लगा था तथा उसकी आँखों से गँगा-जमुना बहने लगी थी|
करुणा: I'm sorry मिट्टू!
करुणा रोते हुए बोली और फिर उसने अपनी प्रेम कहानी फिर दोहराई| मुझे उसकी प्रेम कहानी सुनने में कतई दिलचस्पी नहीं थी पर मजबूरन सुनना पड़ रहा था, मैंने सोच लिया था की आज होटल जा कर उसके EX की ऐसी-तैसी मार के रहूँगा! मैंने फिलहाल के लिए करुणा को चुप कराया और उसे बड़े डॉक्टर साहब के कमरे तक चलने को कहा ताकि देख सकें की वो आये या नहीं| जब हम बड़े डॉक्टर साहब के कमरे की ओर जा रहे थे तो बीच में एक कमरा पड़ा जो की पूरा खाली था, कमरे में एक टेबल-कुर्सी रखी थी| कुर्सी पर नर्स कामिनी बैठीं थीं और उनके सामने मरीजों के बैठने के लिए एक लकड़ी की बेंच पड़ी थी जिस पर एक आदमी बैठा| उस आदमी की कमीज के बटन सामने की ओर से खुले थे तथा वो दोनों ही खुसफुसा कर कुछ बात कर रहे थे और मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे! मुझे और करुणा को देखते ही नर्स कामिनी उठ कर बाहर आईं तथा अपने चेहरे पर नकली मुस्कान ले कर करुणा से मलयालम में कुछ बात करने लगी, पर मेरी नजर उस आदमी पर थी जो फटाफट अपनी कमीज के बटन बंद कर रहा था! मैं और करुणा कामिनी को अच्छी तरह जान गए थे, उसके साथ करुणा का रहना खतरे से खाली नहीं था, करुणा को इस औरत के साथ नहीं छोड़ूँगा वरना हर वक़्त मेरी जान करुणा की इज्जत के बारे ेमिन सोचते हुए अटकी रहेगी| होटल जा कर मैं करुणा को अच्छे से ज्ञान दूँगा की वो इस औरत से गज भर दूर रहे वरना ये उसकी इज्जत को दाव पर लगा देगी!
कामिनी से बात कर के हम बड़े डॉक्टर साहब के कमरे के पास आये तो वो अब भी बंद था, मैंने ऑफिस में जा कर उनके आने के बारे में पुछा तो मुझे कहा गया की मैं कल सुबह जल्दी आऊँ तब उनसे भेंट हो पाएगी| अब वहाँ रुकने का कोई फायदा था नहीं सो हम बस स्टैंड की ओर चल पड़े, रास्ते में हमारी कामिनी के बारे में बात हुई और मैंने करुणा से साफ़ शब्दों में कह दिया की भले ही वो औरत करुणा केरला से है पर करुणा को उससे दूरी बनाये रखनी होगी, रही करुणा के रहने की बात तो कल मैं घरसाना में कुछ न कुछ इंतजाम कर दूँगा| करुणा को एक चिंता ये भी थी की मैं उससे हर हफ्ते मिलने आऊँगा तो ठहरूँगा कहाँ, दिल्ली से श्री विजय नगर और फिर वहाँ से डेढ़ घंटे की घरसाना तक की यात्रा कर के आना उसे सोखा नहीं लग रहा था| मैंने उसे आश्वासन दिया की जैसे भी होगा मैं अपना प्रबंध खुद कर लूँगा, उसे बस मेरे बनाये कुछ नियमों का सख्ती से पालन करना होगा;
मैं: Dear मैं आपके लिए कुछ rules बना रहा हूँ, ये rules आपकी भलाई के लिए हैं और अगर आपने ये rules तोड़े तो फिर मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा|
- No Drinking! यहाँ आप किसी के साथ भी शराब, बियर या वाइन कुछ भी नहीं पियोगे| पीने के बाद आपका होश कम होने लगता है जिसका कोई भी फायदा उठा सकता है!
- घर से अस्प्ताल और अस्पताल से घर! इसके अलावा आप कहीं भी जाओगे तो मुझे बता कर जाओगे, मुझे आपके जाने की पूरी जानकारी होनी चाहिए की आप कहाँ जा रहे हो, किसके साथ जा रहे हो और कितनी देर के लिए जा रहे हो! भगवान न करे अगर कल को कोई ऊँच-नीच हुई तो कम से कम मुझे पता तो होगा की आप कहाँ गए थे?
- यहाँ के पुरुष सहकर्मियों से दूरी बना कर रखना| बदकिस्मती से आपकी दोस्ती पुरुषों से जल्दी होती है, पर यहाँ पर आप किसी के ऊपर भरोसा नहीं करोगे! बातचीत सिर्फ और सिर्फ अपने काम से जुडी हुई करना, अगर कोई आ कर आपके पास अपने जीवन का रोना रोये तो उसे कन्धा देने की गलती मत करना| लड़की को भावुक कर के उसके मन में अपने लिए सहानुभूति पैदा करना आदमियों का पहला हथियार होता है|
- कामिनी से कोसों दूर रहना, वो आपको अपने घर बुलाये तो कतई मत जाना, कुछ भी झूठ बोल कर निकल जाना! वो औरत आपको कुछ खिला-पीला कर बेहोश कर के आपके साथ कुछ भी गलत करवा सकती है, इसलिए उससे सावधान रहना!
- रोज सुबह आप मुझे फ़ोन करोगे की आप अस्पताल निकल रहे हो, वहाँ पहुँचने तक आप मुझसे बात करते रहोगे| दोपहर को खाना खाने के समय आप मुझे पुनः फ़ोन करोगे और घर जाते समय आप मुझसे बात करते हुए घर लौटोगे|
करुणा ने मेरी ये बात ध्यान से सुनी पर उसके दिमाग में कुछ नहीं घुसा!
करुणा: मिट्टू, आप मेरे को इतना care करते? मेरा लिए इतना concern हो कर rules बनाते?
करुणा ने मुस्कुरा कर पुछा|
मैं: वो इसलिए dear क्योंकि आप मेरा वो plant (पौधा) हो जिसे मैंने बहुत प्यार से nurture (पालन-पोषण) किया है!
मेरी बात सुन करुणा के चेहरे पर प्यार भरी मुस्कान खिल गई|
बस चली और हम लोग रोडवेज बस के झटके खाते हुए होटल पहुँचे| मुँह-हाथ धो कर मैंने चाय मँगाई और करुणा से उसके EX के बारे में बात शुरू की| मैंने उसे सीधा ही सवाल पुछा की क्या वो चाहती है की उसका EX उसका पीछा हमेशा के लिए छोड़ दे? या फिर उसे अपने EX द्वारा सताये जाने में मजा आता है? करुणा ने फटक से जवाब दिया की वो चाहती है की उसका EX उसे तंग न करे| मैंने उसे कहा की मैं उसके EX से पुलिस इंस्पेक्टर बनकर बात करता हूँ और उसे इस कदर डराता हूँ की वो पलट कर कभी करुणा को तंग नहीं करेगा| करुणा को मेरी ये खुराफाती तरकीब अच्छी लगी और उसने फ़ौरन अपनी हामी भरी! पहले तो मैंने करुणा से ये पुछा की उसके EX को हिंदी आती है? पता चले की मैं उसकी हिंदी में लेने लगूँ और उस ससुरे के कुछ पल्ले ही न पड़े! करुणा ने बताया की उस लड़के को भी करुणा की तरह हिंदी समझ आती है, बस बोलने में दिक्कत होती है| मैंने करुणा के EX का नंबर लिया और उसे अपने फ़ोन से मिलाते हुए फ़ोन loudspeaker पर रखा और हरयाणवी लहजे में उससे बात की, मेरा लहजा उत्तम तो नहीं पर काम चलाऊ जर्रूर था|
मैं: रे जैकब (Jacob) बोले है?
मैंने हरयाणवी पुलिस की नकल करते हुए बात शुरू की| अपना नाम और मेरी हरयाणवी भाषा सुन जैकब घबरा गया|
जैकब: ह..हाँ...कौन?
मैं: मैं श्री विजय नगर थाने ते SI बोलूँ! रे छोरे थारी कंप्लेंट आई है माहारे धोरे! (मैं श्री विजय नगर थाने से Station In-charge बोल रहा हूँ, तेरी कंप्लेंट आई है मेरे पास|)
कंप्लेंट शब्द सुन कर जैकब की फट के हाथ में आ गई, वो घबराते हुए बोला;
जैकब: कंप्लेंट...मेरी...?
मैं: तू करुणा नाम की छोरी ने घणे फ़ोन करे है, उससे अश्लील बात करे है?
ये सुन कर वो जान गया की करुणा ने ही उसकी शिकायत की है, अब उसे खुद को बचाना था तो वो बोलने झूठ बोलने लगा;
जैकब: No..no...!
मैं: न तो ये छोरी झूठ बोले है? इसके कॉल रिकॉर्ड में तेरा नाम कैसे आ रा?
जैकब: Sir....I only....
जैकब घबराते हुए आगे बोलता उससे पहले ही मैंने उसकी बात काट दी;
मैं: न के sir-sir लगा रख्या तैने? तेरी सादी हो राखी न, फिर क्यों इस छोरी ने परेशान करे है? न वहीं आ कर तेरे चूतड़ों पर डंडे मारूँ?
मैं जानता था की जैकब 'चूतड़' का मतलब नहीं जानता होगा तो मैंने उसके मजे लेते हुए कहा;
मैं: चूतड़ जाने है?
जैकब: No....No Sir!
वो काँपते हुए बोला| अब मुझे झूठ-मूठ का दिखावा करना था तो मैंने acting करते हुए झूठी आवाज लगाते हुए कहा;
मैं: अरे हवलदार, रे चूतड़ ने अंग्रेजी में क्या कहें?
अब हवलदार का role करने वाला कोई था नहीं तो मैंने आवाज बदलते हुए कहा; "Ass हजूर!"
मैं: हाँ... सुन रे लौंडे, उधर आ कर तेरे ass पर लट्ठ बजा दूँगा!
ये सुन कर जैकब की Ass फट गई! अभी तक मैं बस जैकब के मजे ले रहा था, अब समय था उससे सख्ती से बात करने का;
मैं: देख बे, बाहर से आया है न यहाँ, तो चैन से रह और इस लड़की को भी चैन से रहने दे! वरना केस बना कर तेरे VISA पर stay लगा दूँगा और राजस्थान की जेल में भर दूँगा!
मेरी धमकी सुन कर जैकब की बुरी तरह फट चुकी थी, वो लगभग रोते हुए sorry बोले जा रहा था| मैंने एकदम से फ़ोन दिया और करुणा की ओर देखा जो अपने मुँह पर हाथ रख कर खुद को हँसने से रोक रही थी| कॉल कटते ही करुणा बड़ी जोर से हँसी और हँसते-हँसते उसके पेट में दर्द हो गया!
खैर चाय आई और चाय पीने के समय माँ का फ़ोन आया, माँ ने मेरा हाल-चाल पुछा तथा मैं दिल्ली कब पहुँचूँगा ये पुछा| मैंने करुणा की तरफ देखते हुए कहा की मुझे अभी 2-3 और लगेंगे, ये दरअसल एक तरह का सवाल था करुणा से की इतने दिन में तो उसकी joining हो ही जाएगी| फिर मैंने बात बदलते हुए उनका हाल-चाल पुछा| माँ ने बताया की वो ठीक हैं, शादी कल की है और अगले दिन विदाई है| इस बार गोने की रस्म नहीं की जायेगी, जब बहु को लिवा लाएंगे तो उसके 1-2 दिन बाद माँ-पिताजी लौटेंगे| फिर उन्होंने फ़ोन बड़की अम्मा को दिया, मैंने अम्मा से पायलागि की तो करुणा की जिज्ञासा जाग गई की मैं किस्से बात कर रहा हूँ| उसने मुझे मेरा फ़ोन स्पीकर पर करने को कहा तथा मेरी और बड़की अम्मा की बात बड़े गौर से सुनने लगी;
बड़की अम्मा: मुन्ना कइसन हो? जानत हो हियाँ सब तोहका बहुत याद करत हैं! अब तो तोहार नीक-नीक भाभी आवे वाली है, अब तू कैहा आइहो?
बड़की अम्मा ने एक सांस में अपने सारे सवाल दाग दिए|
मैं: अम्मा ऑफिस के काम से राजस्थान में हूँ, कोशिश करता हूँ गाँव आने की|
मैंने बात बनाते हुए जैसे-तैसे खत्म की|
बड़की अम्मा: ऊ सब हम नाहीं जानित, हमका ई बताओ की तू आपने बड़की अम्मा का नाहीं मुहात हो? हम तोहार बड़ी माँ हन तो हमसे मिले ही आई जाओ!
बड़की अम्मा ने बड़े प्यार से कहा| सच कहूँ तो मैं बड़की अम्मा से मिलने चला जाता पर भौजी को दुबारा देखने की गलती मैं नहीं करना चाहता था!
मैं: अम्मा कैसी बात कर रहे हो, पूछो माँ से शहर में मैं कई बार माँ से कहता था की कब बड़की अम्मा के हाथ का खाना खाने को मिलेगा| मैंने नकली हँसी हँसते हुए कहा|
बड़की अम्मा: ठीक है तो जल्दी आयो! अच्छा एक ठो बात बताओ, बियाह कब करिहो? घर मा अब तुहीं कुंवारे बैठा हो!
बड़की अम्मा हँसते हुए बोलीं|
मैं: अम्मा 'बियाह' तो आप सब के आशीर्वाद से होगा!
तभी पीछे से बुआ की आवाज आई और उन्होंने मेरी शादी को ले कर अपने सपने बताने शुरू कर दिए| अब मुझे क्या पता की माँ का फ़ोन भी स्पीकर पर है!
बुआ: अरे मुन्ना तू हियाँ आओ, कुछ दिन हमरे लगे रहिओ तो हम तोहार खातिर गोरहार-गोरहार (गोरी-गोरी) लड़की ढूँढ देई! तोहार सादी होइ तो तोहार ई घर का हम अच्छे से लीप (गोबर से) देई, फिर तू हमका नवा-नवा, नीक-नीक साड़ी लाई दिहो! हैं?
बुआ की ये बात सुन कर मुझे बहुत हँसी आ रही थी और मेरी ये हँसी देख कर करुणा कुछ-कुछ तो समझ गई होगी|
मैं: हाँ-हाँ बुआ! बस काम निपटे फिर आऊँगा और आप ही के घर रुकूँगा!
मैंने बात खत्म करने के इरादे से बात को निपटाते हुए कहा|
फ़ोन कटा तो करुणा ने मुझसे सारी बात पूछी, मैंने करुणा को सारी बात बताई बस अपने गाँव न जाने की बात को दबा दिया| करुणा फ़ोन पर बुआ और बड़की अम्मा का मेरे प्रति प्यार देख कर बहुत खुश थी क्योंकि उसके परिवार के मुक़ाबले मेरा परिवार मुझे बहुत प्यार करता था|
फिर अगले ही पल करुणा की हँसी गायब हो गई और चेहरे पर उदासी छाने लगी|
करुणा: मिट्टू thank you so much! आप वो stupid (Jacob) को मेरा पीछे से हटाया! And sorry की मेरा वजह से आप अपना family को झूठ बोल रे!
करुणा गंभीर होते हुए बोली|
में: Its okay यार!
मुझे अपनी तारीफ सुनने की आदत नहीं थी इसलिए मैंने बात खत्म करते हुए कहा|
करुणा: नहीं मिट्टू, आप सच में बहुत genuine लड़का है! मैंने afternoon में जो कहा उसे सुन कर आप immediately मना किया, कोई और है तो वो मेरा उस situation का फायदा उठाते! मेरा वो कहने से आपको hurt हुआ है तो I'm genuinely sorry! मैं ऐसा लड़की नहीं है, मैं उस आदमी (Jacob) से बहुत परेशान हो गया था, उससे revenge लेने के लिए मैंने वो कहा! नहीं तो आप जानते मैं ऐसा लड़की नहीं है, हमारा God शादी से पहले ये सब forbidden कर के रखा! ये कर रे तो sin होते और फिर father को जा कर सारा confess करना पड़ते!
करुणा ने रुनवासी होते हुए अपनी सफाई दी|
मैं: I know की आप वैसी लड़की नहीं हो, आपको गुस्सा आ रहा था और अपना गुस्सा निकालने के लिए आपने वो सब कहा| जो हो गया उसे भूल जाओ और smile करो, एक आपकी smile ही तो है जिसे देख कर मेरा दिल खुश हो जाता है|
मैंने करुणा को रोने से रोक लिया था, वहीं उसका मन अब हलका हो चूका था|
हम ने रात को खाना खाया और बाहर थोड़ा घूम कर सो गए, अगली सुबह में फटाफट उठा और नहा-धो कर तैयार हो गया| करुणा भी उठी और नाहा-धो कर तैयार हो गई, हमने समय से चाय पी कर बस स्टैंड पहुँचे तथा बस पकड़ कर अस्पताल पहुँच गए| हमारे पहुँचते ही बड़े डॉक्टर साहब अस्पताल में घुसे, मैंने उनसे गुड मॉर्निंग कह कर करुणा की joining की बात बताई| उन्होंने मुझे admin department में जा कर कुछ करुणा के कागजात जो श्री विजय नगर से मेल पर आये थे वो लाने को कहा| हम दोनों admin वाले कमरे में पहुँचे तो वहाँ की हालत देख कर मुझे बहुत हैरानी हुई, कमरा बड़ा था पर उसमें हॉस्पिटल के पुराने पलंग -कुर्सी भरे पड़े थे, कमरे के शुरू में एक कंप्यूटर रखा था और उसी के साथ hp का पुराना deskjet printer रखा था| अब कंप्यूटर चलाने वाला क्लर्क गायब था, मुझे बड़ी कोफ़्त हुई की साला काहे का अस्पताल है? कभी डॉक्टर गायब तो कभी क्लर्क गायब! मैंने करुणा को वहाँ खड़ा किया और उस क्लर्क को अस्पताल में ढूँढने लगा, वो क्लर्क मुझे कम्पाउण्डर के साथ बैठा चाय पीता हुआ मिला| पहले तो मन किया की इसे सुना दूँ पर फिर सोचा की मेरे गुस्से से करुणा के लिए मुसीबत खड़ी न हो जाये इसलिए मैं अपना गुस्सा पीते हुए उसे वापस उसके कमरे में लाया| कमरे में लौट कर क्लर्क ने कंप्यूटर चलाया तो उसके कंप्यूटर से निकलते 'घरर' की आवाज सुन कर मुझे उस बिचारे बूढ़े कंप्यूटर पर दया आने लगी| कंप्यूटर ऑन हुआ तो windows xp की जोरदार startup sound
सुनाई दी जिसे सुन कर करुणा ने अपने कान बंद कर लिए!
Windows 7 launch हो चुकी थी और ये लोग अभी तक windows xp पर हैं?! खैर कंप्यूटर चालु होने के बाद उसे 10 मिनट लगा, तब जा कर कंप्यूटर काम करने लायक हालत में आया| क्लर्क ने मेल चेक की और एक print out निकाला, साथ ही उसने दो employee फॉर्म निकाले, जिनपर करुणा को दस्तखत करने थे| सारे कागज़ ले कर मैं बड़े डॉक्टर साहब के पास जल्दी से पहुँचा ताकि कहीं वो निकल न जाएँ| शुक्र है की बड़े डॉक्टर साहब अब भी अपने कमरे में ही बैठे थे, उन्होंने सारे कागज़ देखे और दस्तख्त कर के करुणा को आज की तरीक से joining दे दी! करुणा को joining मिली तो मैंने मन ही मन भगवान को बहुत धन्यवाद दिया, साथ ही ये भी प्रार्थना की कि वो करुणा का यहाँ ध्यान रखें| उधर बड़े डॉक्टर साहब ने करुणा से बात करनी शुरू कर दी, वो उससे जानना चाहते थे कि इससे पहले वो कहाँ काम कर रही थी, अस्पताल कौन सा था, उसे तनख्वा कितनी मिलती थी| करुणा उनकी सब बातों का जवाब दे रही थी और बड़े डॉक्टर साहब उससे काफी खुश दिखे| करुणा कि बातें सुन कर वो जान गए थे की करुणा की हिंदी बहुत खराब है, उन्होंने करुणा को आगाह करते हुए कहा;
बड़े डॉक्टर साहब: तुम्हारी हिंदी बहुत खराब है, फिर यहाँ के लोगों की हिंदी में हरयाणवी तथा पंजाबी का touch है इसलिए तुम्हें यहाँ बातें समझने में थोड़ी दिक्कत होगी|
उनकी बात सुन कर करुणा के तोते उड़ चुके थे, जब से हम आये थे तब से लोग पहले ही उसे घूर-घूर कर देख रहे थे, अब अगर कोई मरीज उसे कुछ कहे तो करुणा समझ ही नहीं पाती! ये दो बातें करुणा को डराने लगी थीं, यही वो पल था जब करुणा के दिल में डर पनपने लगा था!
मैंने करुणा का डर कम करने को बड़े डॉक्टर साहब से करुणा के रहने की बात चलाई, उन्होंने पुछा की अभी तक हम कहाँ रुके हैं? मैंने उन्हें बताया की हम फिलहाल एक होटल में रुके हैं, मैंने श्री विजय नगर में एक PG में बात की हर पर वहाँ से यहाँ रोज डेढ़ घंटे का सफर करुणा के लिए टेढ़ी खीर है| डॉक्टर साहब ने अपने हाथ खड़े कर दिए की वो हमारी इसमें कोई मदद नहीं कर सकते! उन्होंने मुझे कहा की मैं करुणा के रहने का इंतजाम होने तक छुट्टी की एक application लिख कर दे दूँ| मैं करुणा को ले कर बाहर आ गया और इस बार मैंने खुद अपनी गन्दी सी लिखावट में छुट्टी की application लिखने लगा, अब application में लिखना था की हमें कितने दिन की छुट्टी चाहिए तो करुणा बोली की 15 दिन लिख दो| मैंने 15 दिन लिख दिए और करुणा के दस्तखत करवा कर वापस बड़े डॉक्टर साहब के कमरे में आ गया| उन्होंने जब application पढ़ी तो बोले की कोई 15 दिन की छुट्टी नहीं मिलेगी, ज्यादा से ज्यादा 3 दिन की छुट्टी मिलेगी बस! उन्होंने मुझे application दुबारा लिख कर admin में देने को कहा, इतना कह कर वो चले गए| बड़े डॉक्टर साहब की बात सही थी पर परेशानी ये थी की करुणा के रहने का यहाँ कोई प्रबंध नहीं हो पा रहा था|
हमारे पास श्री विजय नगर का PG आखरी विकल्प बचा था, फिर मैंने सोचा की एक बार यहाँ खुद कोई जगह ढूँढने की कोशिश तो करूँ! मैंने करुणा को साथ लिया और अस्पताल से बाहर आया, मैंने आस-पास हॉस्टल, PG और कमरे का पता करना शुरू किया| पोन घंटे की गर्मी में माथा-पच्ची के बाद भी हमें न तो हॉस्टल मिला, न PG मिला और न ही कोई कमरा मिला| फिर मुझे कुछ दूर पर दो लड़कियाँ coaching जाती हुई नजर आईं, मैं उनके पास पहुँचा और उनसे girl's hostel अथवा PG के बारे में पुछा तो उन्होंने बताया की यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है| फिर एक लड़की बोली की एक आंटी हैं जो tiffin service चलातीं हैं उनके पास शायद एक कमरा है| मेरे लिए तो ये मौका ऐसा था जैसे की अँधेरे कमरे में रौशनी की एक किरण! मैंने उनसे उन आंटी का पता पुछा तो उन्होंने बताया की उन आंटी का घर काफी अंदर कर के है और हम दोनों गलियों में भटक जायेंगे, इसलिए उन्होंने स्वयं चलने की बात कही परन्तु हमें थोड़ा तेज चलना होगा क्योंकि उनके coaching का समय हो गया था| मैं तो उनके साथ तेज-तेज चलने लगा पर करुणा काफी धीरे थी, उसके धीरे होने का कारन था की दिल्ली वाले अस्पताल से उसे फ़ोन आ रहे थे और वे सभी उसकी joining को ले कर सवाल कर रहे थे|
खैर उन लड़कियों ने हमें उन आंटी से मिलवाया और मैंने उन्हें सारी बात बताई, वो बोलीं की उनके पास एक कमरा है जहाँ एक लड़की रह रही है| करुणा को उसी लड़की के साथ कमरा share करना पड़ेगा तथा खाना करुणा को आंटी के यहीं पर खाना होगा| आंटी हमें ऊपर बने कमरे में ले गईं तो वहाँ निहायत ही सुन्दर लड़की बैठी किताब पढ़ रही थी, उसे देख कर मेरा दिल तो किया की करुणा की जगह मैं ही यहाँ रह जाऊँ! करुणा ने मुझे कोहनी मारते हुए मेरे वहाँ रहने के ख्याल से बाहर निकाला, मैंने आंटी से जब पैसे की बात की तो आंटी ने बताया की वो खाना और रहना मिला कर 8,000/- लेंगी! ये सुन कर हमारी हवा फुस्स हो गई क्योंकि फिलहाल करुणा की तनख्वा बहुत कम थी, उसका कारन ये था की करुणा को यहाँ पहले 3 साल probation पर काटने थे, उसके बाद ही करुणा की तनख्वा बढ़ती! मैंने आंटी से गुजारिश की कि वे पैसे कुछ कम कर दें पर वो नहीं मानी, हारकर हम वहाँ से वापस अस्पताल के लिए निकल लिए| रास्ते में करुणा ने मुझे बताया की दिल्ली के अस्पताल वाले सब उसके पीछे पड़े हैं की करुणा कैसे भी ये job join कर ले! दरअसल मेरे कहे अनुसार करुणा ने अभी तक अपनी दिल्ली वाली नौकरी से इस्तीफ़ा नहीं दिया था, पूरा अस्पताल जानता था की करुणा को यहाँ नौकरी मिल गई है और वो सब करुणा पर दबाव बना रहे थे की वो यहाँ join कर ले ताकि वहाँ वो लोग अपने किसी रिश्तेदार को करुणा की जगह लगा सकें|
इतने में करुणा का फ़ोन दुबारा बजा तो उसने अपना फ़ोन मेरी ओर बढ़ा दिया| मैंने फ़ोन उठा कर बात की तो सब बारी-बारी मुझ पर दबाव बनाने लगे की मैं कैसे भी करुणा की joining यहाँ करवा कर लौट आऊँ! मैंने उन्हें यहाँ के हालत के बारे में बताया की अभी तक हमें करुणा के रहने के लिए जगह नहीं मिल पाई है, पर किसी को भी वहाँ इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था! उनका कहना था की मैं करुणा को श्री विजय नगर वाले हॉस्टल में ही भर्ती करवा दूँ, वहाँ से आना-जाना करुणा खुद संभाल लेगी! एक ने तो ये तक बोला की घरसाना आने तक बीच में कोई भी गाँव पड़ता हो तो मैं करुणा के रहने का इंतजाम वहाँ कर दूँ!
उस वक़्त मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था, खुद को करुणा के दोस्त कहने वाले उसकी ज़रा भी परवाह नहीं करते थे! उनकी बला से वो बेचारी अकेली चाहे मर जाए बस यहाँ से इस्तीफ़ा दे दे ताकि वो अपने किसी निजी को करुणा की नौकरी दिलवा सकें! मैंने गुस्से में फ़ोन काटा और करुणा से कहा की पहले हम कुछ खा लेते हैं ताकि दिमाग चलने लगे| खाने का आर्डर दे कर मैंने करुणा से बात शुरू की, मैंने उसके पुराने अस्पताल के स्टाफ वालों की बात बताई पर उन लोगों की ये चालाकी करुणा के दिमाग में नहीं घुसी| करुणा में ये भी एक कमी थी की वो जल्दी ही लोगों पर आँख मूँद कर भरोसा कर लेती थी, फिर चाहे कोई उनकी कितनी ही गलती निकाल दे वो टस से मस नहीं होती थी| मैंने सोचा की इसे उनकी बात नहीं माननी न सही, कम से कम मैं तो अपना पक्ष साफ़ कर दूँ;
मैं: देख dear आपको मेरा विश्वास नहीं करना मत कर, पर मेरी बात सुन लो! मैं आपको इस तरह यहाँ किसी तीसरे के सहारे छोड़ कर नहीं जाऊँगा! आपको मैं उस कामिनी के साथ तो रहने नहीं दूँगा और न ही हमारे पास इतने पैसे हैं की आप वो आंटी के यहाँ रह सको, तो आप मुझे सोच कर बताओ की क्या आप श्री विजय नगर से यहाँ रोज डेढ़ घंटे का सफर कर के आ सकते हो? और हाँ एक बात सोच लेना की आप को रोज आना है, फिर चाहे बारिश हो या आँधी आये!
ये सुन कर करुणा सोच में पड़ गई, उसका छोटा सा दिमाग इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकता था इसलिए उसने फैसले मेरे ऊपर छोड़ दिया;
करुणा: आप क्या बोलते?
मेरा जवाब तो सीधा था, क्योंकि मैं जानता था की करुणा से इतना संघर्ष नहीं होने वाला|
मैं: ये job छोडो और दिल्ली वापस चलो!
मैं नहीं जानता था की करुणा मेरे मुँह से यही सुनना चाहती है, मेरा जवाब सुनते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो एकदम से वापस जाने को तैयार हो गई! बड़े डॉक्टर साहब ने जो करुणा के मन में डर का बीज बोया था वो अंकुरित हो चूका था, यहाँ रहने की व्यव्य्स्था न हो पाने से करुणा को वापस जाने का एक और बहाना मिल गया था|
इधर मैं नहीं चाहता था की कल को कोई अगर करुणा से पूछे की उसने ये नौकरी क्यों छोड़ी तो वो मेरा नाम ले इसलिए मैंने उसे कहा की वो अपनी मम्मा को सारी बात बताये और उनका निर्णय पूछे| करुणा ने अपनी मम्मा को फ़ोन किया और उन्हें सारी बात विस्तार से बताई, उसकी माँ ने उसे वापस दिल्ली आने को कहा दिया क्योंकि वो भी जानती थी की उनकी बेटी अकेली खुद को नहीं संभाल पायेगी| अपनी माँ की ओर से न सुन कर करुणा का चेहरा खिल गया क्योंकि उसके वापस दिल्ली जाने का रास्ता साफ़ हो गया था|
खाना खा कर हम वापस अस्पताल लौटे और क्लर्क से बड़े डॉक्टर साहब के बारे में पुछा, उसने बताया की वो तो अब कल आएंगे| मैंने उससे पुछा की नौकरी छोड़ने के लिए कोई फॉर्म भरना होगा तो उसने करुणा से नौकरी छोड़ने का कारन पुछा| करुणा ने अपना दिमाग इस्तेमाल करते हुए रहने की व्यवस्था न हो पाने और अपनी मम्मा का वास्ता दे कर बहाना बनाया, पर उसका बहाना उपयुक्त नहीं था इसलिए मुझे अपना दिमाग लगा कर उसके बहाने को सही रूप देना पड़ा;
मैं: एक तो वैसे ही इनकी मम्मी केरला में रहतीं हैं ऊपर से इनके रहने का इंतजाम हुआ नहीं है, ऐसे में वो कैसे अपनी बेटी को अकेला छोड़ दें?! उनका कहना है की ये नौकरी छोड़ कर सीधा उनके पास लौट आयें|
मैंने बहना तो ठीक बना दिया पर ये करुणा के नौकरी छोड़ने की आँधी पूरे अस्पताल में फ़ैल गई| हम दोनों घर जाने के लिए निकल ही रहे थे की एक नर्स आई और हमें operation theater में बैठीं सबसे उम्र दराज नर्स के पास ले आई| उन्होंने करुणा के नौकरी छोड़ने का कारन पुछा तो करुणा ने कुछ देर पहले मेरा बहना मारा किसी रट्टू तोते की तरह सुना दिया, पर उन्होंने (उम्र दराज नर्स ने) बात का रुख ही मोड़ दिया!
उम्र दराज नर्स: देखो सरकारी नौकरी इतनी आसानी से नहीं मिलती, तुम दोनों शादी कर लो, मानु यहीं कोई नौकरी ढूँढ लेगा और तुम दोनों आराम से यहाँ रह सकोगे!
उनकी बात सुन कर हम दोनों अवाक खड़े एक दूसरे को देख रहे थे, पर आज तो जैसे पूरे स्टाफ ने ही मन बना लिया था की हम दोनों की शादी आज करा कर ही रहेंगे|
दूसरी नर्स: कोर्ट यहीं नजदीक है, गवाह हम सब बन जायेंगे!
मैं आगे कुछ बोलता इतने में पीछे से तीसरी नर्स आ गईं और यहाँ बैठी महफ़िल का कारन पूछने लगी| दूसरी वाली नर्स ने उन्हें सारी बात बताई तो वो भी हम दोनों की शादी करवाने के पीछे पड़ गईं और मेरी तारीफों के पुल्ल बाँधते हुए बोलीं;
तीसरी नर्स: हाँ सही तो कह रही हैं मैडम (उम्र दराज नर्स)| इतना अच्छा लड़का है, तहजीब वाला है, तेरी इतनी मदद कर रहा है, इससे अच्छा लड़का कहाँ मिलेगा?
मुझे लगा की करुणा कुछ बोलेगी पर उसे तो ये सब मजाक लग रहा था तभी तो वो बस मुस्कुराये जा रही थी|
मैं: नहीं जी ऐसा कुछ नहीं है! ये बस मेरी अच्छी दोस्त है, इसकी मदद कर के मैं बस अपनी दोस्ती का फ़र्ज़ निभा रहा हूँ|
इतने में उम्र दराज नर्स जी बोल पड़ीं;
उम्र दराज नर्स: ठीक है दोस्त सही, पर तुम दोनों की शादी लायक उम्र तो हो ही गई है|
मैं: जी शादी लायक उम्र तो हो गई पर हमारे परिवार वाले भी तो शादी के लिए राजी होने चाहिए? बिना उनकी मर्जी के कैसे शादी कर सकते हैं?
मैंने अपनी सफाई दी|
दूसरी नर्स: अरे उन्हें तो हम समझा देंगे, तुम दोनों बस शादी के लिए राजी तो हो जाओ?!
उन्होंने बात हलके में लेते हुए कहा|
मैं: जी आप उन्हें क्या-क्या समझायेंगे? हम दोनों के धर्म अलग-अलग हैं, जात अलग-अलग है, यहाँ तक की हमारी उम्र में भी 5 साल का अंतर् है! हमारे माँ-पिताजी इस शादी के लिए कभी राजी नहीं होंगे!
मेरी बात सुन सब खामोश हो गए|
उम्र दराज नर्स: बेटा हम तो ये ही चाहते है की करुणा ये नौकरी न छोड़े|
मैं: जी मैं समझ सकता हूँ पर दरअसल इनकी (करुणा की) मम्मी बहुत चिंतित हैं| आज से पहले इन्हें (करुणा को) कभी घर से इतनी दूर, अकेली रही नहीं| फिर एक आध दिन की बात होती तो कोई दिक्कत नहीं थी, अब तो उम्र भर यहीं काम करना है तो ये अकेले कैसे संभालेगी? इसीलिए इनकी मम्मी ने इनको वापस अपने पास केरला बुला लिया है|
मेरी बात में वजन बहुत था इसलिए उम्र दराज नर्स जी बोलीं;
उम्र दराज नर्स: हाँ ये बात तो सही है! मैं भी एक माँ हूँ और मेरी बेटी को ही कहीं दूर नौकरी मिले तो चिंता तो होगी ही|
आगे बात होती उससे पहले ही मैंने उनसे चलने की इजाज़त ले ली|
बाहर आते ही मैंने करुणा के दाहिनी बाजू पर प्यार से घूसा मारते हुए कहा;
मैं: बड़ी हँसी आ रही थी न?! बेटा 5 मिनट और वहाँ रुकते न तो आज दोनों की शादी हो जाती!
ये सुन कर करुणा दहाड़े मारते हुए हँसने लगी| हम दोनों होटल लौटे और नहा-धो कर चाय पीने लगे, करुणा के चेहरे पर एक अजब सी ख़ुशी थी! उसने अपनी मम्मा को फ़ोन कर के सब बताया, जिसे सुन कर उन्होंने करुणा को कुछ बताया जो फिलहाल के लिए करुणा ने मुझसे छुपाया| इस बात से अनजान मैं अब निश्चिंत था की कम से कम दिल्ली में करुणा के पास उसकी एक नौकरी तो है| रात का खाना खाया, हँसी-मजाक किया, बाहर घूमे फिरे, माँ का फ़ोन आया तो मैंने उन्हें बताया की मैं कल रात को निकलूँगा और परसों घर पहुँच जाऊँगा| माँ ने भी बताया की वो परसों गाँव चल देंगी और तरसों दिल्ली पहुँचेंगी तथा मुझे सुबह आनंद विहार बस स्टैंड लेने आने को कहा|
सोने का समय हो रहा था तो हम दोनों चैन से सो गए| अगली सुबह हम जल्दी उठे और आज करुणा में अलह ही जोश था| हम समय से घरसाना पहुँचे और अस्पताल में घुसते ही सीधा बड़े डॉक्टर साहब से मिले, मैंने उन्हें करुणा की नौकरी छोड़ने की बात बताई| मुझे लगा था की वो गुस्सा होंगे और हमें अच्छे से सुनाएँगे पर ऐसा नहीं हुआ, उन्होंने तो सीधा कहा; "ठीक ही है, यहाँ पर तुम्हारे (करुणा के) लिए adjust करना आसान नहीं था!" उनकी ये बात हम दोनों ने पकड़ ली और एक साथ अपने सर हाँ में हिलाये| फिर उन्होंने मुझे करुणा की तरफ से एक application लिखने को कही जिसमें मुझे नौकरी छोड़ने का कारन देना था, साथ ही admin से एक फॉर्म भर कर लाने को कहा| हमने ठीक वैसा ही किया और सारे कागज़ ले कर फटाफट उनके पास लौटे| उन्होंने application पढ़ी और दस्तखत कर के हमें फॉर्म दिया, अब हमें ये फॉर्म ले कर श्री विजय नगर जाना था जहाँ इस फॉर्म को जमा कर के हमें करुणा के जमा किये हुए दस्तावेज छुड़ाने थे|
श्री विजय नगर आ कर हमने करुणा के नौकरी छोड़ने का कारन बताया, फॉर्म जमा किया और करुणा के दस्तावेज ले कर होटल पहुँचे| होटल पहुँच कर मैंने करुणा से कहा की वो अपनी मम्मा और दीदी को बता दे की उसने नौकरी छोड़ दी है तथा हम आज रात की बस से दिल्ली लौट रहे हैं| ये सुन कर करुणा ने जो बात मुझे बताई उसे सुन कर मैं दंग रह गया!
करुणा: मेरा दीदी ने मुझे कल फ़ोन किया ता, वो बोला की तू वापस इदर (करुणा की दीदी के घर) नहीं आ सकता! तू पता नहीं कहाँ-कहाँ घूम रे, जिस-किस के साथ सो रे, मेरा घर में आ कर मेरा घर गंदा मत कर! तुझे जहाँ रहना है वहाँ रह पर मेरा घर के आस-पास आ रे तो मैं तेरा कंप्लेंट पुलिस में कर देते!
ये सुन कर मुझे बहुत जोरदार झटका लगा| मैं जानता था की इस सब के लिए कहीं न कहीं मैं ही जिम्मेदार हूँ, पर फिर लगा की मैंने ऐसा क्या कर दिया? मैं करुणा की मदद ही तो कर रहा था वो भी उसकी दीदी और उसकी मम्मा की आज्ञा से!
मैं: आपकी मम्मा को पता है की आपकी दीदी ने आपको फ़ोन कर के क्या कहा है?
मैंने ये सोच कर सवाल पुछा की करुणा की मम्मा ने जर्रूर करुणा की दीदी को समझा दिया होगा, पर हुआ उसका उल्टा;
करुणा: हाँ दीदी ने खुद उन्हें फ़ोन कर के बोला की मैं उनका घर में अब नहीं रह सकता!
इतना कह कर करुणा चुप हो गई|
मैं: तो आपकी मम्मा ने उन्हें कुछ कहा नहीं?
मुझे बात को कुरेदना पड़ा ताकि करुणा मुझे सारी बात बताये|
करुणा: वो बोल रे की तेरे को (करुणा को) क्या ठीक लग रे वो कर!
ये सुन कर तो मैं हैरान रह गया, ये कैसा परिवार है जिसे एक दूसरे की कुछ पड़ी ही नहीं!
मैं: फिर अब आप कहाँ रहोगे?
मैंने गंभीर होते हुए करुणा से सवाल पुछा तो उसने एक नक़ली मुस्कान चिपकाई और खामोश रही| उसके रहने का इंतजाम करना मेरी जिम्मेदारी थी, इसलिए मैंने ही फ़ोन में हॉस्टल ढूँढने शुरू कर दिए| इंटरनेट बहुत धीमे चल रहा था पर फिर भी जो कुछ जानकारी मिली मैंने वहाँ फ़ोन करना शुरू कर दिया| हर तरफ से मुझे निराशा ही हाथ लग रही थी, करुणा कहाँ रहेगी इसकी चिंता मेरे दिमाग पर सवार हो चुकी थी और मुझे उसकी दीदी पर बहुत गुस्सा आने लगा था!
करुणा: मिट्टू आप टेंशन मत लो! मैं....
करुणा आगे कुछ बोलती उससे पहले ही मैंने उसकी बात काट दी और गुस्से से बोला;
मैं: क्यों टेंशन न लूँ? आपको पता है की आप कहाँ रहोगे? आपकी दीदी को आप पर ज़रा भी भरोसा नहीं?!
करुणा मेरा गुस्सा और मेरी चिंता समझ रही थी इसलिए वो मुझे शांत करते हुए बोली;
करुणा: Relax dear! मैंने हॉस्पिटल का एक डॉक्टर से बात किया है, वो बोला की वो कल शाम को गाँव जा रे तब तक मैं उनका घर में उनकी बेटियों के साथ रह सकते|
ये सुन कर मुझे थोड़ा तो इत्मीनान हुआ पर शाम तक करुणा रहेगी कहाँ और फिर ये arrangement तो कुछ दिन के लिए था, बाद में करुणा कहाँ रहेगी? ये सोच-सोच कर मेरा सर दर्द करने लगा था, खुद को शांत करने के लिए मैं कुछ देर के लिए लेट गया| मुझे लेटा देख करुणा को लगा की मेरी तबियत खराब है, मैंने उसे बताया की मेरा बस सर दर्द कर रहा है| करुणा ने मेरा सर अपनी गोद में रखा और धीरे-धीरे दबाने लगी, 10 मिनट बाद मैं उठा और बोला;
मैं: कल सुबह दिल्ली पहुँच कर मैं आपको होटल में ठहरा देता हूँ, शाम को आपका सामान उन डॉक्टर साहब के यहाँ शिफ्ट कर देंगे, तबतक मैं आपके लिए कोई न कोई हॉस्टल ढूँढ दूँगा!
मैंने करुणा के रहने की जिम्मेदारी अपने सर ले ली थी और मुझे अब वो पूरे मन से निभानी भी थी|
शाम को हमने होटल से check out किया और जो बिल आया उसे देख कर करुणा और मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं; 5,240/-, जिसमें ढाई हजार के लगभग का तो हमने खाना ही खाया था!!!! करुणा को ये बिल देख कर बहुत बुरा लग रहा था की उसने बिना मतलब के मेरे इतने पैसे लगवा दिए थे, पर अब किया भी क्या जा सकता था!
हम दोनों बस स्टैंड पहुँचे और बस की टिकट ले कर इंतजार करने लगे| बस आई करीब एक घंटे बाद और तब तक करुणा की माँ का फ़ोन आ चूका था, उन्होंने करुणा से पुछा की वो कहाँ रहेगी तो करुणा ने अपनी अकड़ दिखाते हुए कहा; "मैं देख लूँगी!" इतना कह कर उसने फ़ोन काट दिया| उसका गुस्सा होना जायज भी था, क्योंकि उसकी माँ बस पैसे की लालची थी| करुणा ने मुझे बताया की जब भी महीने की पहली तरीक आती तो करुणा की माँ उससे बड़े प्यार से बात करने लगती थी, उसी वक़्त उनके अंदर की ममता जाग जाती थी और करुणा के अपनी माँ को पैसे भेजते ही उसकी माँ की ममता खत्म हो जाती!
खैर कुछ देर में बस लगी और हमने अपनी स्लीपर वाली बर्थ पकड़ ली, मैं पानी तथा चिप्स वगैरह ले कर वापस लौट आया| इतने में करुणा की बहन ने मुझे फ़ोन किया, मैंने करुणा को फ़ोन दिखाते हुए कॉल उठाया;
करुणा की दीदी: मानु करुणा आपके साथ है न?
मैं: हाँ!
मैंने संक्षेप में जवाब दिया क्योंकि मेरी उनसे बात करने की कतई इच्छा नहीं थी|
करुणा की दीदी: मैंने आपको एक बार warn करना चाहती हूँ, आप अच्छे लड़के हो, इसलिए करुणा से दूर रहना! इसे ले कर मेरे घर मत आना, वरना मुझे पुलिस कंप्लेंट करनी पड़ेगी, मैं नहीं चाहती की उस कंप्लेंट में आपका नाम आये और आप तकलीफ में आओ!
करुणा की दीदी ने बड़े सख्त लहजे में मुझसे बात की, तथा अपनी बात कह कर उन्होंने फ़ोन काट दिया| मैंने ये बात करुणा को बताई तो उसे बहुत बुरा लगा की उसकी बहन ने मुझसे इतने सख्त लहजे में बात की| वो तो करुणा थी जिस कारन मैं सह गया और कुछ बोला नहीं वरना जवाब मैं भी दे सकता था|
उधर करुणा का मन दुखी हो चला था, वो खामोश हो गई थी और मुझे बात नहीं कर रही थी| मैंने उसे समझाने की लाख कोशिश की पर वो नहीं समझी, बड़ी मश्किल से मैंने उसे चिप्स वगैरह खिलाये| बस में हिलते-डुलते दोनों ही सो न सके और खामोश लेटे रहे, बस ने हमें सुबह के 5 बजे दिल्ली के कश्मीरी गेट बस स्टैंड के पास वाले flyover के नीचे छोड़ा| अब जाना कहाँ है इसका फैसला तो हुआ नहीं था, इसलिए समान ले कर हम बस स्टैंड के waiting hall में बैठ गए| आज जिंदगी में पहली बार मैं खुद को उस मुसाफिर की जगह रख कर उस मुसाफिर की मजबूरी को महसूस कर रहा था, कैसा लगता होगा जब आपके पास जाने के लिए कोई 'दर' कोई ठिकाना न हो! निराशा का जो जोरदार थपेड़ा पड़ता है उस दर्द को सहना कितना मुश्किल और असहनीय होता है!
लेकिन कहते हैं न की जिंदगी तब तक खत्म नहीं होती जब तक आप उसकी दी हुई चुनौतियों से लड़ना बंद न कर दो| भौजी के प्रेम ने मुझे वो जुझारू लड़ाका बना दिया था जो बिना लडे हार नहीं सकता था! मैं मन ही मन सोचने लगा की क्यों न करुणा को घर ले जाऊँ शाम तक वो वहीं रहेगी और शाम को उसे उन डॉक्टर साहब के घर छोड़ दूँगा, पर तभी दिमाग ने इस ख्याल को गलत ठहराते हुए कहा; 'पागल मत बन! गली-मोहल्ले के लोग हमे साथ देखेंगे तो बातें बनायेंगे! किसी ने अगर ये बात मेरे माँ-पिताजी को फ़ोन कर के बता दी की करुणा मेरे साथ घर पर है तो मेरा क्रियाकर्म हुआ समझो! जो कल सोचा था वही कर और करुणा को किसी होटल में ठहरा दे!' मैंने फ़ोन निकाला और ऑनलाइन होटल ढूँढने लगा, तब वो trivago वाले चाचा नहीं थे
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वरना मैं trivago पर ही होटल ढूँढता! खैर मैंने google पर दिखाए ऊपर के 4-5 होटलों में फ़ोन कर के कमरे का भाड़ा पुछा, सब के सब 2,000/- के ऊपर के थे! एक रास्ता था की मैं पहाड़गंज चला जाऊँ क्योंकि वहाँ पर कम भाड़े पर कमरा मिल जाता पर करुणा को वहाँ अकेला छोड़ने से डर रहा था! मैं चाहता था की होटल मेरे घर के आस-पास हो ताकि मैं करुणा का ध्यान रख सकूँ, तब मुझे याद आया की मेरे घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर एक होटल था| मैंने करुणा से चलने को कहा जो अभी तक ख़ामोशी से मायूस हो कर सर झुका कर बैठी थी|
मैं नहीं जानता की करुणा के दिमाग में क्या चल रहा था पर उसके हाव-भाव देख कर मुझे उसके मन में मेरे लिए नफरत महसूस होने लगी थी! मैंने उस समय कुछ नहीं कहा और ऑटो कर के होटल की ओर चल पड़ा, करुणा की उतरी हुई शक्ल देख ऑटो वाले को लगा की कहीं मैं उसे भगा कर तो नहीं लाया? मैंने उसे बात बनाते हुए कहा की करुणा यहाँ काम की तलाश में आई है और फिलहाल हम यहाँ कोई girl's hostel ढूँढ रहे हैं! मेरी शकल देख कर ऑटो वाले को यक़ीन हो गया की मैं सच बोल रहा हूँ, उसने मुझे बताया की मैं किसी student लड़की से बात करूँ, उन लड़कियों को कॉलेज की तरफ से हॉस्टल मिलता है और वो वो कई बार थोड़े से पैसों के लिए दूसरी लड़कियों को अपने साथ रहने देती हैं| ऑटो वाले का आईडिया तो बहुत अच्छा था पर मेरी किसी student लड़की से जान पहचान थी नहीं तो मैंने ऑटो वाले से ही मदद माँगी| उसने मुझे एक girl's college का नाम बताया और कहा की वहाँ जा कर चपरासी से बात करूँ तो शायद कोई जुगाड़ फिट बैठ जाए! मैंने सोच लिया की करुणा को होटल में छोड़ कर आज एक बार इस आईडिया को चला कर देखा जाए|
मैं नहीं जानता था की मेरा यूँ एक ऑटो वाले से बात करना करुणा को अखर रहा है! उसने मेरी और ऑटो वाले की बात ख़ामोशी से सुनी पर उस समय बोली कुछ नहीं| हम होटल पहुँचे और वहाँ मैंने करुणा की केरला वाली ID से उसका check in करवाया क्योंकि दिल्ली में होते हुए मेरी दिल्ली की ID इस्तेमाल नहीं हो सकती थी! करुणा को कमरे का दरवाजा अच्छे से बंद करने को बोल कर मैं अपने घर लौटा, घर की साफ़ सफाई कर ही रहा था की पितजी का फ़ोन आया उन्होंने बताया की साइट पर कोई पंगा हो गया हैं तो मुझे अभी वहाँ जाना होगा| मैंने अभी तक कुछ खाया नहीं था, मैं खाली पेट ही कपडे बदल कर साइट पर पहुँचा| साइट पर हमारा आया माल लेबर ने बेवकूफी से लौटा दिया था! पहले तो मैंने लेबर को झाड़ लगाई की उसने बिना मेरे पूछे बताये समान कैसे नहीं उतरने दिया और फिर उस गाडी को वापस बुलाने के लिए supplier को फ़ोन किया| Supplier ने बताया की गाडी वाले ने माल तो छोड़ दिया है, मैंने supplier से गाडी वाले का नंबर लिया और उससे पुछा की उसने कहाँ माल छोड़ा है तो उस उल्लू के चरखे ने बताया की उसने हमारा माल किसी दूसरे की साइट पर छोड़ दिया था! पहले मैंने उससे उस साइट का नाम पुछा और फिर उसे पेट भरकर गालियाँ दी! फिर मैं उस साइट पर पहुँचा तो देखा की वहाँ हमारा माल अलग से पड़ा हुआ था, सुपरवाइजर से मिल कर मैंने उसे इस गलतफैमी के बारे में बताया और वहाँ से माल उठवाया|
इस सब माथा-पच्ची में आधा दिन निकल गया था, मैंने करुणा को फ़ोन कर के उसका हाल-चाल पुछा और उसे खाना खाने को कहा तो वो मुझ पर बिगड़ते हुए बोली; "मेरा मन नहीं है!" इतना कह कर उसने फ़ोन काट दिया! गुस्सा तो बहुत आया पर किसी तरह अपना गुस्सा पी गया और अपने गुस्से में खुद भूखा रहा| शाम को मैं करुणा के होटल पहुँचा, करुणा का मुँह अब भी उतरा हुआ था| मैंने बात शुरू करने के इरादे से कहा;
मैं: यार मैं जानता हूँ की ये सब मेरी वजह से हो रहा है, and I'm really sorry for that!
मेरी बात की जवाब में करुणा ने बस; "हाँ" कहा जो इस बात का इशारा था की वो भी मानती है की उसके घर से निकाले जाने का दोषी मैं ही हूँ! मैंने आगे कुछ नहीं कहा और करुणा का समान उठा कर बाहर ले आया, मैंने ऑटो किया और करुणा का सामान ले कर उन डॉक्टर साहब के घर पहुँचा| रास्ते में करुणा ने मुझे सुबह मेरा उस ऑटो वाले से उसके बारे में बात करने को ले कर थोड़ा सुनाया जिसे मैंने ख़ामोशी से सुना, मेरा ये सब सुनने का कारन थी मेरी ग्लानि जो मेरे मन में टीस मार रही थी| खैर उन डॉक्टर साहब के घर पर केवल उनकी दो बेटियाँ थी, वो मुझे देख कर करुणा से कुछ न पूछें इसलिए करुणा ने मुझे दरवाजे पर से ही लौट जाने को कहा| मैं बिना कुछ कहे कुछ दूर आ कर खड़ा हो गया ताकि देख सकूँ की आखिर दरवाजा कौन खोलता है, दरवाजा एक लड़की ने खोला जो करुणा को जानती थी| मुझे सुकून हो गया की करुणा यहाँ सुरक्षित रहेगी और मैं थक कर चूर घर लौट आया| नहा-धो कर खाना खाया और बिस्तर पर पड़ते ही सो गया, सुबह मैं ठीक 5 बजे उठा घर साफ़ कर के मैं आनंद विहार बस स्टैंड पहुँचा|
मेरे पहुँचते ही माँ-पिताजी की बस आ गई, मैंने सामान उतारा और माँ-पिताजी को घर ले आया| घर आ कर पिताजी ने काम की खबर ली, मैंने उन्हें सारे काम की रिपोर्ट दी और कुछ बिल वगैरह दिए| वहीं माँ ने मेरा हल-चाल पुछा, मेरा दिमाग अब करुणा की वजह से खराब हो चूका था क्योंकि उसने अभी तक मुझे फ़ोन नहीं किया था तो मैंने माँ से साफ़ शब्दों में कह दिया की अब से मैं दिल्ली से बाहर की कोई audit नहीं करूँगा| माँ ने जब इसका कारन पुछा तो मैंने कहा की मुझसे इतने दिन घर से बाहर नहीं रहा जाता, बाहर का खाना खा-खा कर मैं ऊब चूका हूँ! मेरी बात काफी हद्द तक सच थी इसलिए मुझे आज आधा झूठ बोलने पर ग्लानि नहीं हो रही थी| नाश्ता कर के मैं और पिताजी साइट पर निकल गए, घर चकाचक साफ़ था तो माँ को सिर्फ खाना बनाना था| दोपहर को करुणा ने मुझे फ़ोन किया और बड़े ही उखड़े हुए ढँग से बात की, ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी को दिखाने के लिए फ़ोन कर रही हो! मैंने उससे पुछा की सब ठीक तो है, पर उसने कोई उपयुक्त जवाब नहीं दिया और "थोड़ी देर बाद फ़ोन करती हूँ" कह कर फ़ोन काट दिया| शाम होने को आई थी और करुणा ने अभी तक फ़ोन नहीं किया था तो मैंने ही उसे फ़ोन कर के मिलने के बारे में पुछा तो करुणा ने; "काम है" कह कर मना कर दिया| मैंने कुछ नहीं कहा और पिताजी के साथ साइट पर ही रहा| मैंने चुप चाप करुणा के लिए हॉस्टल ढूँढने शुरू कर दिए, 2-3 जगह के पते ले कर मैंने रात को करुणा को मैसेज कर के बताया| जवाब में करुणा ने मुझे कल लंच के समय चलने को कहा, मैंने इसके आगे उससे और कोई बात नहीं की|
अगले दिन लंच के समय मैं साइट से गोल हुआ और करुणा के साथ उन हॉस्टलों के चक्कर लगाए, एक सरकारी हॉस्टल था जिसे local guardian की जर्रूरत थी और बाकी सब प्राइवेट होस्टल्स थे जिनकी फीस बहुत ज्यादा थी! हॉस्टल घूमने के समय हमारी बातें न के बराबर हुईं, करुणा कुछ बोल नहीं रही थी और मैं बस उसे हॉस्टल दिलवा कर अपनी जिम्मेदारी से छुटकारा चाहता था| अगले दो-तीन दिन ऐसे ही चला, करुणा कभी-कभार मुझे कॉल करती और हमारी घंटों की बातें कुछ मिनट में खत्म हो जातीं| शाम को मिलने का उसका मन नहीं होता था तो मैंने वो समय उसके लिए खुद हॉस्टल ढूँढने में लगा दिया| उधर करुणा ने अपने अस्पताल की कुछ junior doctors से बात कर के उनके साथ उनके हॉस्टल में रहने का इंतजाम खुद बा खुद कर लिया|ये बात जब मुझे पता चली तो मैं चिंता मुक्त हो गया, अब तक करुणा मेरे प्रति उखड चुकी थी और मैं उसके उखड़ने के कारन से अनजान गुस्से से भरा बैठा था! करुणा ने अपनी उन्हीं junior doctors का group ज्वाइन कर लिया था, दो लड़कियाँ जिन में से एक केरला की थी, एक तमिल नाडु से थी और एक लड़का जो केरला से ही था| इन चारों का group मजबूत हो चूका था, ये लोग साथ खाते थे, साथ घुमते थे और साथ ही काम भी करते थे! मुझे अपने इस 'माल्टा' यानी मल्लू-तमिल ग्रुप की जानकारी करुणा ने खुद दी थी और कुछ इस तरह से दी थी की मैं जल भून कर राख हो जाऊँ! मैं जान गया था की करुणा ने मेरी जगह अपने इस नए group को दे दी है, पर मैं बस ये जानना चाहता था की आखिर उसने ऐसा किया क्यों? क्यों वो मुझे इस तरह से दुःख दे रही है, जबकि मैंने कुछ गलत किया भी नहीं?! मेरा दिल बस एक ही सवाल का जवाब चाहता था, हमारे इस दोस्ती क रिश्ते को खत्म किया जाए या फिर छोड़ दिया जाए?
हफ्ता-दस दिन बीता होगा की एक रात नौ बजे मुझे करुणा का कॉल आया, उसकी आवाज सुन मैं समझ गया की उसने पी हुई है और जब उसने बोलना शुरू किया तो मैं हैरान रह गया;
करुणा: मैं आज.....सुकुमार ...के साथ बियर पिया....आपको पता कहाँ पिया? अपना हॉस्टल का रूम में...वो भी दरवाजा बंद कर के....बस हम दोनों....!
सुकुमार वही मलयाली लड़का था जो करुणा के माल्टा group का हिस्सा था| करुणा ने मेरा सबसे पहला कायदा तोडा था और ये मुझे कतई बर्दाश्त नहीं था, मैं फ़ोन ले कर अपने घर की छत पर आया और उसे डाँटते हुए बोला;
मैं: आपको जो करना है वो करो, बस मुझे फ़ोन कर के ये सब मत बताओ!
इतना कह कर मैं फ़ोन काटने को हुआ तो करुणा मुझे जलाने के लिए बोली;
करुणा: सुकुमार मुझे अपना फ़ोन पर porn भी दिखाया!
ये सुन कर मेरी किलस गई और मैंने गुस्से में आ कर फ़ोन काट दिया| करुणा को चैन नहीं पड़ा और उसने मुझे कई बार फ़ोन किया पर मैंने फ़ोन नहीं उठाया| मेरे दिमाग में ऊल-जुलूल ख्याल आने लगे पर मेरा दिल ये नहीं स्वीकार रहा था की करुणा ऐसा कर सकती है! कुछ देर तक तो मैं अपने दिमाग के ख्यालों से लड़ता रहा पर फिर मैंने लड़ना छोड़ दिया और सोचा की उसकी जिंदगी है, जैसे जीना चाहे जीए कौन सा मैं उसे प्यार करता था जो मुझे फर्क पड़ेगा!
कुछ दिन बीते और करुणा ने एक रात मुझे फ़ोन कर के कहा की वो मेरे घर के पास वाले बजार में है, चूँकि हम बहुत दिनों से मिले नहीं थे इसलिए उसने मुझे वहाँ मिलने बुलाया| मैंने घडी देखि तो रात के सवा नौ हुए थे, मैंने उससे पुछा की वो अकेली इतनी दूर क्यों आई तो उसने बताया की सुकुमार उसके साथ है! उस लड़के का नाम सुनते ही मैंने आने से मना कर दिया और फ़ोन स्विच ऑफ कर दिया| मुझे करुणा का ये रवैया चुभने लगने लगा था क्योंकि धीरे-धीरे मैं उसे ले कर थोड़ा possessive हो गया था| जैसे करुणा शुरुआत में किसी के मुझे देखने से जलने लगती थी, वैसे ही अब मैं उसके सुकुमार के साथ होने से जलने लगा था| कुछ लोगों में ये फितरत होती है की वो अपने दोस्तों को, अपने प्रिय जनों को दूसरों के साथ बाटना नहीं चाहते थे, मैं और करुणा वैसे ही थे!
जाने कब ये चुभन दर्द में तब्दील हो गई पता ही नहीं चला, मैं अकेला छत पर टहलने लगा और सोचने लगा की आखिर करुणा के उखड़ जाने की वजह क्या है? मैंने हर वो गलत/गन्दी वजह सोच ली जिस कारन करुणा का उखड़ना बनता था पर उनमें से कोई भी वजह यहाँ उपयुक्त नहीं बैठ रही थी! कुछ देर बाद दिषु ने पिताजी वाले फ़ोन पर कॉल किया और मुझसे बात करवाने को कहा| मेरी आवाज सुन कर दिषु जान गया की मैं म्यूसियत की राह पर चल रहा हूँ, उसने मुझे सहारा दिया और मेरी उदासी कारन जाना| मैंने उसे सारी बात बताई बस honeymoon suite, नकली पति-पत्नी बन कर होटल में रुकना और करुणा का sex करने के लिए कहने की बात नहीं बताई!
दिषु: यार तेरी गलती क्या है इस सब में? तू तो उसकी बस मदद कर रहा था, फिर तूने तो नहीं कहा था की तू उसे विजय नगर ले कर जायेगा? उसी ने कहा न की आप नहीं जाओगे तो मैं नहीं जाऊँगी? ऊपर से उसकी बहन जो तुझे इतने अच्छे से जानती है वो भी तुझे ही हड़का रही है! छोड़ इस लड़की को और खुद को संभाल, पहले जैसे मत बन जाइओ!
दिषु की बात सही थी, जिससे प्यार किया (भौजी) जब उसने मुझे मरने को छोड़ दिया तो ये (करुणा) तो फिरभी एक दोस्त थी| कल तक अनजान थी, फिर दोस्त बनी आज फिर अनजान हो गई!
बस एक ही दिक्कत थी, मैं करुणा से किये अपने वादे से बँधा था की मैं ये दोस्ती कभी नहीं तोडूँगा, लेकिन दिमाग ने मेरे किये हुए वादे में ही खामी ढूँढ ली! मैं उससे दोस्ती नहीं तोड़ सकता पर अगर वो ही पहले ये दोस्ती तोड़ दे तो मैं अपने किये वादे से आजाद हो जाता| पर ये होगा कैसे मुझे बस यही सोचना था|
कई बार इंसान को अपनी की गलतियों का एहसास देर-सावेर होता है, कुछ-कुछ वैसा ही करुणा को भी एहसास हुआ और उसने दो दिन बाद मुझे फ़ोन किया| मैंने जब फ़ोन उठाया तो उसने मुझसे शाम को मिलने की "इल्तिज़ा" की, उसकी आवाज में ग्लानि थी जिस कारन मैंने उस से शाम को मिलने का समय और जगह तय की|
आज तक हमेशा मैं ही समय पर पहुँच कर उसका इन्तेजा करता था, शाम को मैं करुणा की बताई जगह पर पहुँचा तो वो पहले से ही मेरा इंतजार कर रही थी! उसने मुझे बैठने को कहा और अपने उखड़े व्यवहार के लिए माफ़ी माँगते हुए कारण बताने लगी;
करुणा: I'm sorry मिट्टू! मैं आपके साथ बहुत rude behave किया!
करुणा ने नजरें झुकाते हुए कहा|
करुणा: Actually मेरा मम्मा मुझे फ़ोन कर के आपसे दूर रहना बोला!
करुणा की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी की मैं एकदम से बोल पड़ा;
मैं: अच्छा? तो उन्होंने ये बोला की मुझे छोड़ कर दूसरे लड़के के साथ घूमो? Or maybe he's a मलयाली इसलिए आपकी मम्मा को कोई प्रॉब्लम नहीं था?
मेरे आरोप सुन कर करुणा ने अपनी सफाई देनी शुरू कर दी;
करुणा: नहीं-नहीं मिट्टू ऐसे नहीं! मैं....
करुणा कुछ बोलती उससे पहले ही मैं पुनः बीच में बोल पड़ा;
मैं: Oh really!
मैंने व्यंगपूर्ण ढँग से कहा|
मैं: तो वो मुझे फ़ोन कर के बताना की आप कमरे में अकेले बैठे उस "आदमी" के साथ बियर पी रहे हो, porn देख रहे हो, घूम-फिर रहे हो वो सब क्या था?
ये सुन आकर करुणा का सर शर्म से झुक गया|
मैं: वो सब आप मुझे जलाने के लिए कह रहे थे, पर क्यों? आपकी मम्मा ने बोला की जा कर मिट्टू को जलाओ?!
करुणा: मिट्टू I swear मैंने कुछ गलत नहीं किया, उस वक़्त मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था! मैं मम्मा का बात सुन कर आपको अपना ये situation के लिए responsible समझा, इसलिए मैं....
करुणा की बात सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने आखरी बार उसकी बात बीच में काटते हुए कहा;
मैं: मैंने ऐसा क्या कर दिया की मैं आपकी इस situation के लिए responsible बन गया? क्या गलत किया मैंने? आप ने बोला की मैं आप के साथ श्री विजय नगर जाऊँ, मैंने तो नहीं कहा था की मैं आपके साथ जाऊँ?
करुणा: I know मिट्टू.. but....I'm sorry.....! मेरा मन में ऐसा कुछ नहीं ता.....!
आज करुणा की आवाज में, उसकी बातों में वो प्यार, वो सच्चाई, वो जूनून नहीं था जो पहले हुआ करता था| मैंने जानबूझ कर उसकी बातों को और आगे नहीं बढ़ने दिया, क्योंकि करुणा की बातों पर मुझे अब विश्वास नहीं हो रहा था, उसका झूठ सुनने से अच्छा था की मैं घर चला जाऊँ|
उस दिन मुझे एक बात समझ आई की जो रिश्ते जल्दबाजी में बनते हैं वो ज्यादा देर नहीं टिकते!
खैर उस दिन से हमारे बीच दूरियाँ आ गई, हमारा मिलना-बातें करना सिमट कर रह गया| मेरा दिल मुझे करुणा का उसके परिवार से दूर रहने के लिए दोषी मानता था, मैंने भगवान से प्रार्थना करनी शुरू कर दी की उसे कोई दूसरी सरकारी नौकरी मिल जाए और उसका परिवार उसे फिर से अपना ले| मुझे क्या पता की भगवान इतनी जल्दी मेरी बात सुन लेंगे, एक दिन करुणा का मुझे फ़ोन आया की उसने केरला में नौकरी का एक फॉर्म भरा था और उसे वहाँ एक सरकारी नौकरी मिल गई है| वाक़ई में नौकरी के नाम पर करुणा की किस्मत बहुत तेज थी, यहाँ लोगों को एक नौकरी नहीं मिलती और वहाँ उसे एक छूटते ही दूसरे मिल गई थी!
ये खबर सुन कर मैंने मन ही मन भगवान को धन्यवाद दिया और प्रर्थना करने लगा की करुणा का परिवार भी उसे माफ़ कर दे तथा उसे प्रेमपूर्वक अपना ले| उधर करुणा ने खुद मुझे शाम को मिलने को बुलाया, मैं समय से उससे मिलने पहुँचा तो पता चला की उसकी बहन उसके हॉस्पिटल में आई हुई है| अब मुझे उसकी बहन के जाने तक इंतजार करना था, करीब आधे घंटे बाद उसकी बहन गई और तब करुणा नीचे उतर कर मेरे पास आई| उसने मुझे बताया की उसकी बहन ने करुणा से हाथ जोड़कर माफ़ी माँगी है और कहा है की करुणा उससे पैसे ले कर केरला जाए तथा ये नौकरी join कर ले| साफ़ था की उसकी बहन चाहती थी की करुणा यहाँ से चली जाए ताकि उसकी खुद की इज्जत बनी रहे| करुणा ने केरला जाने के लिए हाँ कह दिया था और ये जान कर मुझे थोड़ा बहुत दुःख हो रहा था, पर फिर मन ने कहा की इसी में करुणा की भलाई है| बस यही सोच कर मैंने अपने दुःख को दबा दिया, वहीं दिल्ली छोड़ने तथा मुझे छोड़ने के नाम से करुणा काफी दुखी थी और रोने लगी थी|
करुणा की flight परसों की थी जिसकी टिकट मैंने ही अपने पैसों से बुक की थी क्योंकि फिलहाल करुणा के पास पैसे नहीं थे, तथा अपनी अकड़ दिखाने के लिए वो अपनी बहन से पैसे लेना नहीं चाहती थी| करुणा ने कहा की कल का पूरा दिन वो मेरे साथ रहेगी और परसों मैं ही उसे airport छोड़कर आऊँ| उसकी इस इच्छा का मैंने ख़ुशी-ख़ुशी मान रखा और अगला पूरा दिन उसके साथ रहा, सुबह हम दोनों चर्च गए जहाँ उसने मुझे अपने चर्च के father से मिलवाया| वो जानते थे की अभी तक मैंने करुणा की कितनी मदद की है, उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया और मैंने God से प्रार्थना की कि वो करुणा का करेला में ध्यान रखें| फिर हम ने एक फिल्म देखि, उसके बाद lunch किया और शाम को मैंने करुणा को उसके हॉस्टल छोड़ा|
फिर आया वो दिन जब करुणा हमेशा के लिए केरला जाने वाली थी, मैं सुबह जल्दी उसके हॉस्टल पहुँचा ताकि आखरी बार उसके साथ कुछ समय और व्यतीत कर पाऊँ| जाने से पहले मैंने करुणा को आखरीबार दिल्ली के छोले-भठूरे खिलाये और फिर उसका समान ले कर मैं एयरपोर्ट पहुँचा| एयरपोर्ट पहुँचने तक के रास्ते में मैं भावुक हो चूका था, मेरा नाजुक दिल करुणा को जाने नहीं देना चाहता था! ये तो मन था जो करुणा के अच्छे जीवन का बहना दे कर मेरे दिल को संभाल रहा था पर वो भी कब तक दिल को संभालता| एयरपोर्ट पहुँच कर करुणा के अंदर जाने का समय आ गया था, इस समय हम दोनों की आँखें नम हो चलीं थीं| मैंने करुणा को एकदम से अपने सीने से लगा लिया और मैं फफक कर रो पड़ा| आज पहलीबार मैंने करुणा को इस कदर छुआ था, वो भी तब जब हम हमेशा के लिए दूर हो रहे थे| मेरा रोना देख करुणा से भी नहीं रुका गया और वो भी रोने लगी| पिछले महीनों में भले ही हमारे बीच दरार आ गई हो पर करुणा को इस कदर खुद से दूर जाते हुए मुझसे नहीं देखा जा रहा था|
मैंने एक बार करुणा को फिर से उसकी बेहतरी के लिए बनाये अपने rules याद दिलाये और उसे अपना ध्यान रखने को कहा| करुणा ने सर हाँ में हिला कर उन rules को अपने पल्ले बाँधा, तब मैं नहीं जानता था की उस duffer के दिमाग में उसके फायदे की बातें कभी नहीं टिकतीं!
खैर करुणा एयरपोर्ट के भीतर गई तो मैं फ़ौरन वहाँ से घर की ओर चल दिया, वहाँ एक मिनट और रुकता तो फिर रो पड़ता| मेरे दिमाग ने मुझे वापस पुराना शराब पीने वाला मानु बनने की राह दिखाई जिस पर मैं हँसी-ख़ुशी चलने को तैयार था| मैं और मेरी शराब यही रह गया था मेरे पास अब!