[color=rgb(65,]इक्कीसवाँ अध्याय: कोशिश नई शुरुआत की[/color]
[color=rgb(251,]भाग -6[/color]
[color=rgb(44,]अब तक आपने पढ़ा:[/color]
करुणा: मेरी दीदी कल सुबह out of station जा रे और मेरा जीजू का night shift है!
ये सुन कर मैंने भगवान को बहुत शुक्रिया किया की उन्होंने मेरा करुणा को ख़ुशी देने का प्लान flop होने से बचा लिया|
मैं: और Angel?
Angel करुणा की बहन की लड़की का नाम था|
करुणा: वो भी दीदी के साथ जा रे!
अब मेरा रास्ता साफ़ था और मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था| मैंने कल करुणा से मिलने का समय तय किया, तो उसने मुझे अपने घर बुलाया| अब उसके घर जाने की बात से मैं थोड़ा घबरा रहा था, लेकिन मैनेअपनी ये घबराहट अपने चेहरे पर आने नहीं दी| अगले दिन की छुट्टी मैं पहले ही ले चूका था, बस मुझे अपनी प्लानिंग के तहत काम करना था|
[color=rgb(255,]अब आगे:[/color]
सुबह जल्दी उठा और नाहा-धो कर तैयार हो गया, घर पर मैंने एक colleague का बर्थडे होने का झूठ पहले ही बोल दिया था, अगर करुणा के बर्थडे का सच बोलता तो माँ-पिताजी के सवाल शुरू हो जाते| अब सुबह जल्दी उठा था तो पिताजी ने साइट का काम दे दिया और मुझे साइट पर निकलना पड़ा| वहाँ पहुँच कर देखा तो काम लगभग फाइनल था, modular kitchen बहुत बढ़िया लग रहा था और साथ ही हमने बिना कहे ही चिमनी भी बढ़िया वाली लगा दी थी| मैं निकलने को हुआ तो मिश्रा अंकल जी आ गए और काम देख कर बहुत खुश हुए!
मिश्रा अंकल जी: बेटा हम तोहरे लगे ही आवत रहन!
उनकी बात सुन कर मुझे लगा की कोई जर्रूरी काम होगा;
मैं: कोई ख़ास काम था अंकल जी?
मिश्रा अंकल जी: अरे नाहीं मुन्ना! हम कलिहाँ काम देख गयन रहे और आभायें एक ठो पार्टी आवत है जो हमका एडवांस देइ, हम ओहि एडवांस तो का दिए आवत रहन!
ये सुन कर मैं बहुत खुश हुआ की चलो आज ही पैसे मिल जायेंगे| तभी उनकी पार्टी आ गई और उसे काम बहुत पसंद आया, उसने तुरंत मिश्रा अंकल जी को एडवांस का चेक दे दिया| उनके जाते ही मिश्रा अंकल जी ने 35,000/- का चेक काट कर मुझे दे दिया!
मिश्रा अंकल जी: ई लिहो मुन्ना, तोहार मेहनत की पहली कमाई! तोहार काम बहुत साफ़-सुथरा है और एहि खातिर हम तोहका दुइ ठो और ठेका देइत है!
चेक मिलने से मैं बहुत खुश था और अंकल जी मुझे अपने साथ उन दो location पर ले जाना चाहते थे, इसलिए मैंने लेबर को बुलाया और उसे हुक्म देते हुए कहा;
मैं: आज शाम तक कारपेंटर भैया काम खत्म कर देंगे, उसके बाद सारे कमरों में ढंग से झाड़ू-पोछा लगा के शाम को चाभी दे जाना और कल सुबह नई वाली साइट पर मिलना वहीं अभी तक का हिसाब पिताजी से ले लेना और नया काम मिला है तो दो आदमी और ले आना|
इतना कह मैं मिश्रा अंकल जी के साथ दोनों साइट देखने चल पड़ा| रास्ते में बैंक आया तो अंकल ने और मैंने अपना-अपना चेक जमा कराया| फिर अंकल जी ने मुझे दोनों साइट का काम दिखाया, modular kitchen के अलावा यहाँ पर बाथरूम का ख़ास काम था, यहाँ पर बाथरूम में शावर के लिए गिलास का पैनल लगाना था| आज तक ऐसे बाथरूम मैंने बस टीवी में देखे थे और इन्हें बनाने के लिए जो समान चाहिए था उसके लिए थोड़ी छानबीन करनी थी| दोपहर को घर आते हुए मैं गिलास पैनल की जानकारी ले कर घर पहुँचा| सबसे पहले मैंने पिताजी को पैसे मिलने की खुशखबरी दी, उसके बाद उन्हें दो नई साइट्स के बारे में बताया और साथ ही में ग्लास पैनल की जानकारी उन्हें दी| खाना खाते हुए हमने दोनों ठेकों का मोटा-मोटा हिसाब लगा लिया था, मुझे बस बैठ कर उसमें cost cutting करनी थी जिसमें मुझे महारत थी! लेकिन वो बाद में, खाना खा कर मैं छत पर आया और आज रात जहाँ डिनर के लिए जाना था उस रेस्टुरेंट में टेबल बुक किया| वैसे आजतक मैंने कभी टेबल बुक नहीं किया था, इसलिए पहलीबार टेबल बुक करने में थोड़ा डर लग रहा था|
शाम 5 बजे से मैं तैयार होना शुरू हुआ, मैंने नई शर्ट पहनी जो मैंने ख़ास कर करुणा के बर्थडे के लिए खरीदी थी, नीचे जीन्स और शर्ट के ऊपर एक नेहरू जैकेट भी पहनी| तैयार होते समय मेरे दिमाग में एक ख्याल आया, वो ये की अगर करुणा को रास्ते में ठंड लगी तो? इसलिए मैंने अपनी एक जैकेट भी ओढ़ ली जिसे मैं जर्रूरत पड़ने पर करुणा को दे देता| इस जैकेट ने आगे चलकर मेरे प्लान में एक बहुत ख़ास रोल अदा किया था|
6 बजे मैं तैयार हो कर निकला और पौने सात बजे तक मैं करुणा के घर के पास पहुँच चूका था, सबसे पहले मैंने ATM से 5,000/- रुपये कॅश निकाले ताकि अगर ATM न चले तो कम से कम कॅश से पैसे भर सकूँ| अब करुणा के घर खाली हाथ जाना अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने आस-पास नजर दौड़ाई और देखा तो एक फूल वाला बैठा हुआ है| फूल देखते ही मेरे मन में एक 'चुल्ल' पैदा हुई, मैंने फूल वाले से 500/- रुपये का लाल गुलाब वाला bouquet बनवाया! इस bouquet को बनवाने का कारण था मेरा एक शौक पूरा करना, मैंने आजतक किसी भी लड़की को bouquet नहीं दिया था तो आज ये bouquet दे कर मैं अपना वही शौक पूरा करना चाहता था| हाँ लाल गुलाब चुनने में मुझे बड़ा अजीब लग रहा था पर उस फूल वाले के पास सिर्फ सफ़ेद फूल ही बचे थे, अब मैं किसी की मैयत पर तो जा नहीं रहा था की सफ़ेद फूल ले जाऊँ! खैर bouquet तैयार हुआ तो एक मुसीबत खड़ी हो गई, वो ये की इसे करुणा के घर तक कैसे ले जाऊँ? अगर उसके किसी जानने वाले ने मुझे लाल गुलाब का bouquet उसके घर ले जाते हुए देख लिया तो वो बेचारी बहुत बड़ी मुसीबत में फँस जाती, उसी वक़्त दिमाग की बत्ती जाली और मैंने अपनी पहनी हुई जैकेट उतारी| मैंने bouquet बाएँ हाथ में पकड़ा और अपनी जैकेट बाएँ हाथ के ऊपर ढक ली| अपनी इस होशियारी पर मुझे गर्व हो रहा था और मैं बड़े गर्व से करुणा के दिए पते की ओर बढ़ रहा था| इतने में करुणा का फ़ोन आया और उसने मुझसे पुछा की मैं कहाँ हूँ, तो मैंने उसे बताया की मैं एक केरला स्टोर के पास खड़ा हूँ, उसने मुझे वहाँ से ले कर अपने घर तक सारा रास्ता फ़ोन पर बताया| मैं उसके दिए हुए निर्देशों का पीछा करते हुए उसके घर पहुँचा, उसका फ्लैट तीसरी मंजिल पर था| मैं वहाँ पहुँचा और बेल्ल बजाई, करुणा ने घर का दरवाजा खोला और मुझे देख कर उसके चेहरे पर एक लम्बी मुस्कान तैर गई!
उसने मुझे अंदर आने को कहा, मैंने जूते उतारे और अंदर प्रवेश किया| सबसे पहले मैंने उस जैकेट में छुपा हुए bouquet दिया तो उसकी मुस्कान दुगनी हो गई;
मैं: Happy birthday dear! God आपकी सारी wish पूरी करे और आपको बहुत सारी खुशियाँ दे!
मैंने करुणा को दिल से बधाई दी, जिसे पा कर उसके चेहरे पर आई ख़ुशी आँसूँ का एक कतरा बन कर छलक आई|
करुणा: Thank you so much मिट्टू!
करुणा अपने ख़ुशी के आँसूँ पोछते हुए बोली| उसने बड़े प्यार से वो bouquet लिया और अपने कमरे में रख आई और मुझसे मुस्कुराते हुए बोली;
करुणा: आज तो मिट्टू बहुत handsome लग रे!
करुणा मेरी तारीफ करते हुए बोली|
मैं: आज आपका बर्थडे है, life में first टाइम हम अकेले मिले हैं और डिनर करने जा रहे हैं तो अच्छे से dress होना तो बनता था न?!
ये सुन कर करुणा शर्मा गई!
मैं: अब आप time waste मत करो और अच्छे से dress करके आओ|
करुणा: आप कॉफ़ी लेते?
मैं: No...no....no! आप जल्दी से तैयार हो जाओ, कोई अगर आ गया तो आपके लिए प्रॉब्लम हो जाएगी!
मैंने अपनी चिंता जाहिर की जिसे सुन करुणा को एहसास हुआ की एक घर में हम दोनों का अकेला होना उसके लिए मुसीबत का सबब बन सकता था! वो अपने कमरे में गई और दो dresses उठा कर लाई और मुझे दिखाते हुए पूछने लगी;
करुणा: कौन सा अच्छा है?
मैंने बारीकी से उन dresses को देखा, एक ब्लैक कलर का टॉप और जीन्स थी, दूसरा नेवी ब्लू कलर का टॉप और स्कर्ट थी|
मैं: नेवी ब्लू टॉप और जीन्स पहनो|
मैंने दोनों dresses को interchange कर दिया, मेरी पसंद सुन कर करुणा बहुत खुश हुई और तैयार होने चली गई| उसकी dress select करते समय मैंने बस करुणा के skin tone का ध्यान रखा था, ब्लैक और नेवी ब्लू उस पर बहुत फबते यही सोच कर मैंने उसे dress select करके दी थी|
लड़कियों का तैयार होना मतलब कम से कम एक घंटे का समय बर्बाद तो मैंने उसके drawing room में घूमना शुरू कर दिया| दरवाजे के ठीक सामने की तरफ पूजास्थल था जहाँ पर अगल-बगल दो candle holder रखे थे और बीचों बीच Jesus Christ की तस्वीर थी, पास ही एक माला थी जिसे rosary कहते हैं| मैं उस पूजा स्थल के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और भगवान से प्रार्थना करना लगा की वो करुणा को लम्बी उम्र दे और उसे खूब सारी खुशियाँ दे| पूजास्थल के बगल में ही करुणा के पिताजी की एक ब्लैक एंड वाइट तस्वीर टंगी थी| दिखने में वो बिलकुल साधारण थे पर उन्हें देख कर लग रहा था की वो अपने जमाने में कितने handsome रहे होंगे|
इसके अलावा drawing room में और कुछ खास नहीं था, टीवी, फ्रिज, सोफा बस यही था| अब समय पार करना था तो मैंने अपना फ़ोन निकाला और गेम खेलने लगा, करीब आधे घंटे बाद करुणा तैयार हो कर आई और जब उसे सजा-धजा देखा तो बस देखता रहा! उसने अपने बालों का bun बनाया हुआ था जिससे उसकी पतली और लम्बी गर्दन साफ़ दिखती थी! नीचे नेवी ब्लू कलर का टॉप जो हाफ स्लीव था और plain था, नीचे sky blue कलर की टाइट जीन्स! कपडे साधारण भले ही थे पर उसकी ख़ूबसूरती में ज़रा भी कमी नहीं आई थी| उसके चेहरे की ओर ध्यान से देखा तो पाया की उसने कुछ makeup नहीं किया था, उसने बस मुँह धोया था और होठों पर lip balm लगाया था जिससे उसका निचला होंठ कुछ ज्यादा मोटा लग रहा था तथा lip balm के कारन चमक रहा था!
मुझे खुद को यूँ निहारते देख करुणा शर्मा गई और बोली;
करुणा: कैसे लग रे मैं?
मैं: Beautiful!
इससे ज्यादा कुछ कहना हम दोनों को अजीब (akward) महसूस करवाता!
करुणा: सच?..... एक मिनट.....आप wait करो....!
इतना कह कर वो अपने कमरे में भाग गई और जब वापस आई तो उसकी ख़ूबसूरती अचानक से दुगनी बढ़ चुकी थी! दरअसल उसने अपनी आँखों पर eye liner लगाया था, उसकी ख़ूबसूरती का सबसे बड़ा कारन उसकी आँखें थीं| जब वो eyeliner लगा कर आई तो उसकी नजरें पैनी हो गईं और उन आँखों को आज देख कर फिर से दिल में तरंग उठने लगी थी!
मैं: 5 मिनट में double beautiful हो गए आप तो?!
मैंने करुणा की तारीफ करते हुए कहा, जिसे सुन उसके गाल गुलाबी हो गए!
करुणा तैयार थी तो हम निकलने लगे, तभी बाहर से हमें लोगों की आवाज आने लगी| ये आवाज सुन कर हम दोनों डर गए, मुझे लगा की जर्रूर करुणा की दीदी और जीजा होंगे और वो मुझे यहाँ देखेंगे तो आज पक्का बवाल होगा! करुणा ने अपने होठों पर ऊँगली रख कर मुझे चुप रहने को कहा, दो मिनट हुए और आवाजें बंद हो गईं| शायद पड़ोसियों के यहाँ कोई आया था, हमने चैन की साँस ली और एक-एक कर बाहर आये| मैंने जूते पहने और सीधा नीचे चला गया, मेरे नीचे जाने के 5 मिनट बाद करुणा आई जिससे किसी को शक न हो की मैं यहाँ करुणा से मिलने आया था|
हम दोनों थोड़ा दूरी बना कर चल रहे थे, जिससे कोई हमारे साथ होने पर शक न करे| करुणा के घर से कुछ दूरी पर मैंने फटाफट ऑटो किया, ऑटो वाले को मैंने Connaught Place Church (CP) चलने को कहा| ये सुन कर करुणा के चेहरे पर जो थोड़ी देर पहले डर की रेखा थी वो ख़ुशी में बदल गई!
करुणा: आप मेरे साथ चर्च जाते?
उसने थोड़ा हैरान होते हुए पुछा|
मैं: मेरा चर्च जाना मना है क्या?
ये सुन कर करुणा ने न में सर हिलाया|
मैं: Dear मैं सब भगवानों को मानता हूँ, मस्जिद गया हूँ, गुरद्वारे गया हूँ आज आपके साथ चर्च भी जाके God को मिल लेता हूँ! सब भगवान तो एक ही हैं न?
मेरी बात सुन आकर ऑटो वाले भैया भी बोल उठे;
ऑटो ड्राइवर: सही कहा आपने साहब! भगवान तो सब जगह एक ही होते हैं!
मैं: चलो इसी बहाने आज एक नई तरह से इबादत...मतलब Pray करने को सीखने को भी मिलेगा|
ये सुन कर करुणा के चेहरे पर गर्वपूर्ण मुस्कान आ गई|
रात के आठ बजे थे और हम Sacred Heart Cathedral Church पहुँच गए थे, वहाँ पहुँच कर मैं बस वही कर रहा था जैसे करुणा कर रही थी| चर्च में प्रवेश करने से पहले मैं जूते उतारने लगा तो करुणा मुस्कुराते हुए बोली;
करुणा: No मिट्टू! इधर shoe नहीं उतारते, आप shoe पहन कर अंदर जा सकते हो|
मुझे लगता था की किसी भी पूजा स्थल में घुसने से पहले जूते-चप्पल उतारने आवश्यक होता है, पर यहाँ जूते न उतारने के बारे में सुन कर मुझे अलग लगा| जब हमने चर्च में प्रवेश किया तो वो अंदर से ठीक उतना ही बड़ा था जितना harry potter फिल्म में बच्चों का mess hall था! (हा..हा..हा...)
वहाँ बहुत सारी लम्बी-लम्बी बेंचें लगी हुई थीं, ठीक सामने की ओर Jesus Christ की एक मूरत थी और एक बड़ा सा Cross था! रात का समय था तो लोग बहुत कम थे, करुणा सबसे पीछे वाली बेंच पर बैठ गई और Christains की इबादत का जो तरीका होता है उसी तरह से वो अपनी इबादत करने लगी| मैंने उसकी देखा-देखि ठीक वैसे ही किया और आँखें बंद कर के पहलीबार Jesus Christ से प्रार्थना करने लगा| प्रार्थना कर के हम दोनों मुस्कुराते हुए बाहर आये, बाहर से हमने candles ली पर चूँकि बाहर कोई बैठा नहीं था और हम बिना पूछे-बताये कोई चीज उठा रहे थे इसलिए मैंने वहाँ कुछ पैसे रख दिए| बाहर Mother Mary की मूर्ती थी जहाँ हमने वो candles जलाईं और उनसे प्रार्थना की| साढ़े आठ बजे हम बाहर निकले और मैंने उस रेस्टुरेंट तक ऑटो किया जहाँ मैं करुणा को ले जाना चाहता था| रेस्टुरेंट का गेट बहुत छोटा था पर जब हम अंदर घुसे तो अंदर का setup देख कर करुणा की आँखें फटी की फटी रह गईं! नीचे sitting थी और ऊपर pub था जहाँ से music की बहुत तेज आवाज आ रहे थी! पहले मैंने करुणा को नीचे बिठाया और मैनेजर से पुछा की क्या हम ऊपर जा सकते हैं, तो वो बोला की जररु जा सकते हैं पर खाना नीचे ही serve होगा| मैंने करुणा को ऊपर चलने को कहा और ऊपर आ कर देखा तो वहाँ कुछ लड़के-लड़कियाँ loud music पर dance कर रहे थे| करुणा ने ये सब जिंदगी में पहली बार देखा था और वो ये सब देख कर बहुत अचंभित थी! Pub कुछ ज्यादा बड़ा नहीं था, कोने में 2 कुर्सियाँ थीं जहाँ हम दोनों बैठ गए लेकिन करुणा की नजर dance करते हुए लोगों पर और loud music पर थी|
मैंने बाथरूम जाने का बहाना किया और वेटर से चुपके से बेकरी के बारे में पूछ कर पीछे की तरफ आ गया| बेकरी में मैंने करुणा के लिए एक birthday cake आर्डर किया और वापस आ गया| मुझे गए हुए 5-7 मिनट हुए थे तो करुणा घबराई हुई थी, उसे लगा की मैं उसे यहाँ बिठा कर कहीं गायब हो गया! जब मैं वापस आया तो वो दुखी होते हुए बोली;
करुणा: आप कहा ता?
मैं: ठण्ड है न तो बाथरूम जाना पड़ता है!
मैंने मुस्कुराते हुए झूठ बोला| इतने में पीछे से वेटर एक केक ले कर आ गया और उसने केक हम दोनों के सामने रख दिया! केक पर मैंने लिखवाया था; 'Happy B'day My Panjasara! 'Panjasara' एक मलयाली शब्द था जो मैंने पिछले कुछ दिनों में करुणा से सीखा था, इसका मतलब था Sugar यानी चीनी! केक और उसपर लिखे हुए शब्द देखते ही करुणा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, उसकी आँखों से ख़ुशी के दो आँसूँ छलक आये| अब जा कर उसे मेरे बाथरूम का बहाना मार के जाने का कारन समझ आया था!
करुणा: Thank you dear! Thank you so much!
मैं उसे और भावुक नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने उसे हँसाने के लिए कहा;
मैं: कोई thank you नहीं, जल्दी से केक काटो बहुत भूख लगी है!
ये सुन करुणा हँस पड़ी और उसने केक काटा;
मैं: Happy B'day to you! Happy B'day to you! Happy B'day to my dear panjasaara! Happy B'day to you!
मैंने रीति-रिवाज से ये गाना गाया, ये सुन कर करुणा के गाल लाल हो चुके थे! फिर उसने पहला पीस मुझे अपने हाथों से खिलाया और दूसरा पीस खुद खाया|
करुणा: मिट्टू! ये तो मेरा फेवरेट वाला केक है! आपको कैसे पता?!
करुणा ने खुश होते हुए कहा|
मैं: Dear आपने ही एकदिन बातों-बातों में बताया था की आपको black forest pastry पसंद है, तो मैंने उसी के केक आर्डर कर दिया था!
मेरा उसकी पसंद याद रखना करुणा को भा गया था, इधर मेरी नजर बस उसके चेहरे पर उमड़ी ख़ुशी पर थी| जिंदगी में पहलीबार आज मैं किसी को इतना खुश देख रहा था!
घडी में बजे थे 9 और मुझे इस बात का ख़ास ध्यान था की मेरे कारण करुणा कहीं लेट न हो जाए, तो मैंने उसे खाने के लिए पुछा| हम दोनों ख़ुशी-ख़ुशी उठ कर नीचे आ गए| करुणा सोफे पर बैठ गई और मैं उसके सामने कुर्सी पर, तभी करुणा ने मुझे वहाँ से उठ कर अपने पास बैठने को कहा| शाम से लेकर हम दोनों साथ अवश्य थे पर अपनी मर्यादा में थे और साथ बैठे हुए भी हम इस मर्यादा का पालन कर रहे थे| मैं करुणा की बगल में बैठ गया और वेटर को बुलाया, उसने हमें दो menu कार्ड दिए, Food वाला करुणा को और Drinks वाला मुझे! Drinks menu देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया पर करुणा के सामने drink करने से उसे uncomfortable महसूस होता और वो मेरे बारे में गलत सोचती, इसलिए मैंने वो menu बंद कर के रख दिया और उसके food menu में देखने लगा|
पर मुझे ऐसा करते हुए करुणा ने देख लिया और food menu छोड़ कर drinks menu देखने लगी! उसकी इस हरकत पर मैं हैरान हुआ, मुझे लगता था की वो सीधी-साधी christain लड़की इन चक्करों में नहीं पड़ती होगी इसीलिए मैं आँखें फाड़े उसे देख रहा था और मन ही मन judge कर रहा था| मुझे ऐसे देख करुणा हँसते हुए बोली;
करुणा: क्या हुआ, आप बियर नहीं पीते?
ये सुन कर मुझे हँसी आ गई और मैं अपनी शेखी बघारते हुए बोला;
मैं: मैं तो आपकी शर्म कर रहा था वरना ऐसी कोई drink नहीं जो मैंने न पी हो!
ये सुन कर करुणा को अस्चर्य हुआ और मैंने उसे अपने ऑफिस का किस्सा सुना दिया|
मेरा किस्सा सुन कर करुणा को हैरानी हुई और उसने मुझे drinks menu दे दिया और ऑर्डर करने को बोला|
मैं: Dear अगर hard drink ली तो मैं तो खुद को संभाल लूँगा पर शायद आपके लिए संभाल पाना मुश्किल होगा!
ये सुन वो अपनी शेखी बह्रते हुए बोली;
करुणा: मेरे को कुछ नहीं होते.... आपको पता मैं न वोडका पिया एक बार, मेरा जीजू का friend को चढ़ा... मुझे कुछ नहीं हुआ!
मैं जानता था की ये और कुछ नहीं बस शेखचिल्ली की डींगें हैं इसलिए मैंने कहा;
मैं: Next time हम drinking गेम खेल लेंगे पर इस बार हम सिर्फ बियर लेते हैं!
करुणा ने कुछ नहीं कहा और मेरे साथ drinks menu देखने लगी| Menu में जो सबसे सस्ती बियर थी वो थी kingfisher तो उसने वही चुनी पर मैं आज की रात उसकी जिंदगी की सबसे सुनहरी रात बनाना चाहता था, इसलिए मैंने 6 Corona आर्डर की! ये imported बियर थी और महंगी भी, इसलिए उसकी कीमत देख कर करुणा मना करने लगी| मैंने जोर-जबरदस्ती से फिर भी आर्डर कर दी| अब बारी थी खाना आर्डर करने की तो करुणा ने ये काम खुद संभाला पर खाने की कीमत देख कर वो डर गई और उसका मुँह बन गया!
करुणा: Dear ये बहुत costly है, मेरे पास इतना पैसा नहीं! हम बाहर जा कर खाते!
मैंने उसकी आँखों में प्यार से देखा और बोला;
मैं: मेरा friend से तो ज्यादा costly नहीं हो सकता न? फिर आपको किसने कहा ये आपकी treat है, ये मेरी treat है!
मैंने friend और treat वाली बात गर्व से कही, जिसे सुनकर करुणा के हाव-भाव बदल गए| उसके चेहरे पर ख़ुशी थी, ऐसी ख़ुशी जिसे देख कर मन हुआ की उसके लिए सब कुछ करूँ! मैं मंत्र-मुग्ध से उसकी आँखों में देखता रहा और उसने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा;
करुणा: पर birthday तो मेरा है न? Treat आप क्यों देते?
मैं: क्योंकि आप मेरा BEST FRIEND है!
मैंने ये बात उसी के लहजे में कहा जिसे सुन उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई| अब आगे वो कुछ बोलती उससे पहले ही मैंने उसका ध्यान menu पर खींचा और बोला;
मैं: इधर गलौटी कबाब बहुत अच्छे मिलते हैं!
करुणा का ध्यान बँट गया और उसने मस्त non veg खाना आर्डर किया| नॉनवेज के नाम पर मैं बस अंडा खाता था, उसके आगे मैंने कभी कुछ नहीं खाया था| मोमोस भी मैं veg या फिर पनीर वाले खाता था, पर जब करुणा ने चिकन और फिश वाली चीजें आर्डर की तो मैंने सोचा की आज हो ही जाए! खाना आर्डर हुआ और तब तक हमने बियर पीना शुरू किया, हमें जो beer सर्वे की गई थी उसके साथ में नीम्बू का एक स्लाइस आया था| करुणा ने गलती से वो नीम्बू बियर की बोतल में ही निचोड़ दिया, पर मैं इसका असली इस्तेमाल जानता था| हम दोनों ने पहले बोतल से बोतल टकरा कर चियर्स किया और फिर एक-एक घूँट पिया| जाहिर सी बात है की करुणा वाली बियर का स्वाद नीम्बू ने थोड़ा खराब कर दिया था तो वो मुँह बनाने लगी| अब मेरी बारी थी उसे बियर पीने का सही तरीका बताने की| मैंने एक घूँट बियर पी और उसे निगलने के बाद नीम्बू के स्लाइस को मुँह में रख कर थोड़ा सा दबाया, जिससे जो खटास मुँह में आई उसने बियर के स्वाद में चार चाँद लगा दिए! मुझे ऐसा करता देख करुणा को उसकी गलती का एहसास हुआ और उसने मेरे हाथ से मेरी बियर की बोतल खींच ली और एक बड़ा घूँट पीया, फिर उसने मेरा ही झूठा वाला नीम्बू चाटा! तब जा कर उसे बियर का असली taste समझ में आया!
इधर उसका मेरा झूठा खाने से मुझे अचानक से भौजी की याद आ गई, दिल्ली वापस आने से एक रात पहले हम दोनों का वो एक ही लॉलीपॉप चूसी थी! वो दृश्य याद आते ही मेरा चेहरा उतर गया, मेरा उतरा हुआ चेहरा देख करुणा को लगा की मुझे उसका यूँ मेरा झूठा पीना और खाना अच्छा नहीं लगा|
करुणा: आपको बुरा लगा हो तो sorry!
उसकी बात सुन कर मैं होश में आया और चेहरे पर बनावटी मुस्कान लिए हुए बोला;
मैं: आपको sorry बोलने की कोई जर्रूरत नहीं है, मुझे कुछ याद आ गया था!
मैंने करुणा से नजरें चुराई और फ़ोन में कुछ देखने लगा, लेकिन अब करुणा को जानना था की वो क्या बात थी इसलिए उसने जोर दे कर मुझसे पूछना शुरू कर दिया;
करुणा: बताओ न dear? क्या याद आया?
अब मुझे मजबूरन उसे बताना पड़ा;
मैं: थी एक... जिससे बहुत प्यार करता था.... पर उसने छोड़ दिया मुझे!
मैंने करुणा की ओर देखते हुए कहा, मेरी छोड़ देनी वाली बात सुन कर वो भावुक हो गई और एकदम से बोली;
करुणा: आपको छोड़ने वाला idiot होगा!
मैं: क्यों भला?
मैंने कौतुहल वश पुछा|
करुणा: आपका जितना caring और loving person कहाँ मिलते!
अपनी तारीफ सुन कर मुझे अच्छा लगा, मेरी caring तो करुणा ने देख ली थी पर उसे कैसे पता की मैं loving हूँ?
मैं: आपको कैसे पता मैं loving हूँ?
ये वाक़ई में एक बेवकूफी भरा सवाल था|
करुणा: Dear जो caring होगा वो loving भी तो होगा न?
उसका जवाब सुन कर मुझे मेरी बेवकूफी समझ आई और मैं अपने ही बेवकूफी भरे सवाल पर मुस्कुराने लगा|
मैंने करुणा को कभी भौजी का नाम या हमारा रिश्ते की सच्चाई नहीं बताई, क्योंकि मैं जानता था की वो ये सब सुन कर मुझे judge करती और मेरे बारे में बुरा सोचती| करुणा जान गई थी की मैं भी उसी की तरह प्यार का मारा हूँ, लेकिन अगर उसका और मेरा दुःख तौलें तो मेरा दुःख ज्यादा था| उसका तो सिर्फ प्यार करने वाला धोकेबाज था, पर मेरा तो मुझे मेरे ही खून से अलग कर चूका था!
खैर खाना आया और अपने सामने इतना नॉनवेज देख कर मेरा जी मिचलाने लगा था! मेरे चेहरे पर अजीब भाव देख करुणा जान गई की मैंने अभी तक non veg नहीं चखा है!
करुणा: क्या हुआ मिट्टू, शुरू करो न?!
थोड़ी देर पहले जो non veg खाने का जोश था वो फाख्ता हो चूका था, अब मैं सोचने लगा की कहाँ एक लड़की के चक्कर में पड़ कर मैं अपना धर्म भ्रस्ट करने जा रहा हूँ! मेरी हालत 'रहना है तेरे दिल में' के 'Maddy' जैसी थी!
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पर उसकी बात का जवाब तो देना था, इसलिए मैं बात बनाते हुए बोला;
मैं: Actually कभी इतना non veg खाया नहीं, तो एक साथ देख कर डर लग रहा है!
ये सुन कर करुणा ठहाका मार के हँसने लगी और इधर मैं थोड़ा शर्मिंदा होने लगा|
करुणा: मेरे साथ friendship करनी है तो ये सब खाना होगा!
करुणा हँसते हुए बोली| ये बस एक मज़ाक था पर मैं अपनी जिंदगी में non veg को खुद लाना चाहता था, ऑफिस पार्टी में एक मैं ही था जो veg खाता था, बाकी सब non veg दबा कर पेलते थे| यहाँ तक की दिषु भी non veg था और सिर्फ मेरी वजह से veg खाता था, दिषु की याद आते ही मैं सोचा की अगर आज मैंने non veg खा लिया तो दिषु मुझे बहुत मारेगा क्योंकि उसने मुझे बहुत उकसाया था की मैं non veg खाऊँ पर मैं हरबार मना आकर देता था| लड़की के चक्कर में non veg खाने की बात सुन कर वो मुझे बहुत पीटता!
मैं: मेरा friendship test लोगे?
ये कहते हुए मैंने starters वाली प्लेट उठाई और उसमें से chilli chicken का एक पीस उठाया और जोश-जोश में खा गया| मेरे वो पीस खाते ही करुणा ख़ुशी से तालियाँ बजाने लगी|
करुणा: मेरा मिट्टू मेरे को बहुत प्यार करते, देखो मेरे लिए वो non veg खा रे!
वो ख़ुशी से चिलाते हुए बोली, आसपास जो इक्का-दुक्का लोग बैठे थे वो सब मुझे देखने लगे और हँसने लगे!
इधर वो चिकन का पीस मुँह में घुल रहा था, उस मधुर स्वाद को चख कर मैं सोचने लगा की आखिर क्यों मैं आज तक इस सुख से वंचित रहा?! चिकन इतना tasty होगा इसका मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था, कुछ देर पहले मेरे चेहरे पर जो अजीब से भाव थे वो अब बदल कर स्वर्ग की अनुभूति वाले हो गए थे! चिकन खा कर मुझे खुद पर गर्व हो रहा था और मेरे अंदर का बच्चा खुश हो कर बाहर आ गया, मैंने अपने दोनों हाथों से टेबल बजाया और non veg खाने की अपनी ख़ुशी का इजहार किया| टेबल की धप-धप सुन जो लोग पहले हँस रहे थे वो मेरा बचपना देख कर मुस्कुराने लगे, मानो उन्हें भी मेरे non veg खाने पर गर्व हुआ हो|
खैर अब बारी थी sea food platter की जिसे मैं चिकन ही समझा था, कारण साफ़ की मैं ठहरा नया-नया non-वेजीटेरियन अब मैं क्या जानूँ की कौनसी मछली है और कौन सा चिकन?! आज से पहले एक बार ऑफिस पार्टी में TL ने sea food platter मँगवाया था और तब इसमें से आ रही पानी की बू के कारन मुझे लगभग उबकाई आ गई थी| लेकिन इस वाले sea food platter में से ऐसी कोई बू नहीं आ रही थी, मैंने फ़ट से फिश का एक पीस चिकन समझ कर उठा लिया और मुँह में रखते ही उसके तंदूरी स्वाद को महसूस करने लगा! स्वाद में ये जर्रूर चिकन से हलका था पर मुझे तब ये अंतर् समझ में नहीं आया| जब मैं वो डिश आधी खा गया तब करुणा हैरान होते हुए बोली;
करुणा: मिट्टू आप तो आधा फिश खुद खा गए?
फिश सुन कर मेरी आँखें बड़ी हो गईं और मैं करुणा से बहस करने पर उतर आया;
मैं: ये फिश थोड़े ही है?...ये तो चिकन है!
अब हम दोनों के बीच दोस्तों वाली बहस शुरू हुई, मैंने अपनी नाक बचाने के लिए अपनी foodie वाली राय दे डाली;
मैं: फिश जो होती है वो चिकन से सॉफ्ट होती है, उसमें न..... 'juicyपन' ज्यादा होता है!
करुणा मेरी राय ऐसे सुन रही थी जैसे की कोई बहुत बड़ा chef बोल रहा हो, पर ये उसकी चाल थी मेरा मजाक उड़ाने की! उसने मेरी बात पूरी होते ही waiter को बुलाया और पुछा की ये फिश है या चिकन?
वेटर: सर ये फिश है, हमने इसे तंदूर में cook किया है!
अब ये सुन मेरे चेहरे पर शर्म और मुस्कान दोनों आ गई जिसे देख करुणा जोर से हँसने लगी| Foodie बनने के चक्कर में मेरा ही पोपट हो गया था!
खैर खाना हुआ, बियर मैंने करुणा को ज्यादा पीने नहीं दी| 6 में से 4 मैंने पी और 2 करुणा ने, बियर की बोतल नार्मल साइज की नहीं थी बल्कि करीब 300ml की थी इसलिए दोनों को ज्यादा चढ़ी नहीं थी| अब समय था मीठे का तो मैंने एक ख़ास डेजर्ट मँगाया, ऐसा डेजर्ट जिसे ऐसे serve किया गया की आस-पास वाले हमारी ओर देखने लगे| वेटर ने दो पीस चॉकलेट ब्राउनी प्लेट में serve की और फिर उसने उसके ऊपर वाइट वाइन डाली और एकदम से उसमें आग लगा दी! वाइन ने आग एकदम से पकड़ी और 3-4 सेकंड के लिए आग धधकने लगी! ये दृश्य देख कर हम दोनों बहुत खुश थे और आस-अपडोस वाले सब हमारी इस डिश की तरफ देखने लगे थे| करुणा ने मेरे फ़ोन से उस dish की तसवीरें खींचनी शुरू कर दी!
आग जब जल कर बुझी तब हमने सम्भल कर उस brownie को taste किया! भले ही उसमें आग लगी थी पर वो अंदर से बिलकुल ठंडी थी! ऐसी brownie करुणा ने तो क्या मैंने भी नहीं खाई थी! उसकी एक bite लेते ही करुणा के मुँह से; 'उम्म्म' निकला जो brownie के स्वादिष्ट होने की निशानी थी! घडी में बजे थे 10 और अब मुझे करुणा को घर छोड़ना था, वरना अगर उसकी बहन या जीजा घर पहुँच कर उसे वहाँ नहीं पाते तो बखेड़ा खड़ा हो जाता| मैंने बिल मँगाया और जैसे ही वेटर ने बिल टेबल पर रखा, करुणा ने झपट्टा मार के बिल उठा लिया और बिल देख कर उसका दिल बैठ गया! उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी, इधर मैं उम्मीद कर रहा था की बिल ज्यादा से ज्यादा 3,000/- का होगा पर जब मैंने करुणा से बिल लिया तो देख कर मेरे दिल को झटका लगा! बिल था 5,500/- का, पर आज करुणा जितना खुश थी उसके आगे मेरे मन ने इस बिल को तवज्जो नहीं दी! उसके चेहरे की ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार था तो फिर ये बिल क्या चीज थी! मैंने पर्स निकाला और सारे पैसे बिल के साथ रख दिए, करुणा आँखें फाड़े मुझे देखती रही की भला मैं मुस्कुराते हुए इतने पैसे कैसे भर रहा हूँ? वो उस समय तो कुछ नहीं बोली पर जब हम बाहर आये तो वो रुनवासी होते हुए बोली;
करुणा: Dear.....आज तक मैंने dream में भी नहीं सोचा था की ... मेरा बर्थडे ऐसे सेलिब्रेट करते..... आप मेरे लिए इतना किया... उसके लिए बहुत सारा thank you!
इतना कहते हुए उसकी आँखों से आँसूँ बहने लगे| उसे रोते देख मेरे दिल में दर्द होने लगा और मैं उससे बोला;
मैं: अपना best friend को कोई thank you बोलते? मैं ये सब इसलिए प्लान किया क्योंकि जबसे हमारी दोस्ती हुई तब से मैंने आपको बस रोते हुए ही सुना है, आपको रोते हुए देख कर मुझे बहुत दुःख होता है इसलिए मैंने आपका बर्थडे memorable बनाने के लिए ये सब किया!
ये सुन कर करुणा को मेरे जज्बात समझ आये, वो मुझे अपना अच्छा दोस्त तो मानती थी पर आज जो हुआ उसके बाद मैं उसके दिल के बहुत करीब आ चूका था| मैं उसकी जिंदगी का वो बिंदु बन चूका था जिसके आगे से उसकी नई जिंदगी शुरू होनी थी!
मैंने टैक्सी कर करुणा को घर छोड़ा, उसने घर में घुसते ही मुझे कॉल किया और तब मैंने टैक्सी वाले को टैक्सी मेरे घर की ओर मोड़ने को कहा| वो मुझसे तबतक बात करती रही जबतक मैं घर नहीं पहुँचा और इस बीच उसकी आवाज में बस ख़ुशी ही ख़ुशी झलक रही थी| उसकी ये ख़ुशी महसूस कर मेरे मन को अजीब सा सुकून मिल रहा था|
उस दिन से हमारी बातें और भी ज्यादा होने लगी, हम घण्टों तक बातें करते रहते थे| मेरे ऑफिस के colleagues तक जान चुके थे की मैं किसी लड़की से इतनी बातें कर रहा हूँ, उन सब ने अटखलें लगानी शुरू कर दी की हो न हो ये मेरी कोई गर्लफ्रेंड है| इधर इन सब से बेखबर मैं करुणा और अपनी ऑफिस life में बिजी हो गया था| एक दिन साधना ने मुझे ऑफिस से निकलते हुए पकड़ लिया और मेरे चेहरे पर आई रौनक पढ़ते हुए बोली;
साधना: आजकल किस्से बातों में बिजी रहते हो? वो उदास करने वाली या फिर कोई नई है?
ये सुन कर मेरे मुँह से अचानक भौजी का नाम निकला;
मैं: .....वो नहीं.... कोई और है....मेरी अच्छी दोस्त है!
भौजी का मुँह मेरे मुँह से निकलने से दिल आज फिर जलने लगा था और मेरा चेहरा फिर से फीका पड़ने लगा|
साधना: सॉरी मानु जी! मैं आपको उसका नाम याद नहीं दिलाना चाहती थी! Anyway वैसे ये लड़की सिर्फ दोस्त ही है की उससे कुछ ज्यादा भी.....
साधना बात घुमाई ताकि मेरा ध्यान वापस से भौजी पर न जाए, साथ ही उसने मेरी खिंचाई करने के लिए जानबूझ करअपनी बात अधूरी छोड़ दी!
मैं: न-न! सिर्फ दोस्त है!
साधना: अरे तो दोस्त से घंटों कौन बात करता है?
उसने अपना शक जताते हुए कहा|
मैं: Actually उसके पास कोई job नहीं है तो अभी घरपर अकेली बोर होती है, मुझसे बात करके उसका time pass हो जाता है और मेरा भी मन लगा रहता है| फिर आपने ही तो कहा था की मुझे move on करना चाहिए!
मैंने चतुराई से साधना की कही गई बात उसके सामने रख दी जिस कारन वो आगे कुछ बोल न सकी|
कुछ दिन बीते और फिर एक दिन करुणा ने बताया की उसे कोई exam देना है, इस exam के clear होने पर उसे सरकारी हॉस्पिटल में नौकरी मिल सकती है! अब वो exam था online और उसे इसके बारे में कुछ नहीं पता था, मैंने उसकी मदद करने के लिए शनिवार को मेरे साथ नई सड़क चलने को कहा| वो तुरंत मान गई और फिर हम सीधा शनिवार को मिले, नई सड़क पहुँचने के लिए हमें दो metro बदलनी थी पर भीड़ ज्यादा होने के कारन दुसरो मेट्रो बदलते वक़्त करुणा तो उतर गई पर मैं उतर नहीं पाया| वो अकेली स्टेशन पर खड़ी थी और घबरा गई थी, मैंने उसे वहीं रुकने को कहा और मैं अगले स्टेशन से ट्रैन बदल कर वापस उसके पास पहुँचा| शुक्र है की वो रोइ नहीं वरना पाता नहीं मैं उसे कैसे चुप कराता! मैंने उसे नई सड़क से काफी खोजबीन कर के किताबें दिलवाई, online exam कैसे देते हैं इसके बारे में थोड़े tips दिए और फिर उसे उसके घर जाने के लिए बस में चढ़ा दिया|
वो घर जा कर पढ़ने लगी और इधर मैं साइट पहुँचा, जब मैं वहाँ पहुँचा तो बाथरूम का काम ठप्प पड़ा था| मैंने पिताजी को साथ लिया और नजदीक के एक शोरूम में faucets खरीदने के बहाने घुस गया, फिर वही हिन्दुस्तानी तरीका अपनाया जिससे हमें वहाँ से सारी जानकारी मिल गई| मैंने दिषु को फ़ोन कर के bath fittings के manufacturer ढूँढने को कहा, उसने मुझे कॉल पर लिए हुए ही कंप्यूटर पर चेक किया और झिलमिल जाने को कहा| पिताजी मुझे यूँ दिषु से बात करता हुआ देख हैरान थे, उसने मुझे फ़ोन पर ही सारा रास्ता समझा दिया था| मैं पिताजी को लेकर झिलमिल पहुँचा और वहाँ बहुत घूमने के बाद हमने सारा सामान लिया और सीधा साइट आ गए| पिताजी ने showroom से अर्जित ज्ञान को प्लम्बर को समझा दिया और कहाँ क्या फिटिंग होनी है सब ध्यान से बता दिया| फिर भी प्लम्बर कोई गड़बड़ न करे इसलिए मैंने कारपेंटर की पेंसिल से दिवार पर निशान बना कर सब लिख दिया|
उधर करुणा दिल लगा कर पढ़ रही थी और अब हमारी बातें बहुत कम होती थीं, पर इसका मुझे कोई मलाल नहीं था क्योंकि मैंने ये समय माँ-पिताजी को देना शुरू कर दिया| अगले हफ्ते करुणा का admit card आया और उसे ग़ज़िआबाद का center मिला, exam सुबह 9 बजे शुरू होना था जिसके लिए उसे सुबह 5 बजे निकलना था| ठंडी के दिन और सुबह 5 बजे सन्नाटा होता था, जाहिर था की उसकी बहन ने exam देने जाने से मना कर दिया था| मैं जानता था की अगर वो ये exam नहीं देगी और घर बैठी रहेगी तो उसकी बहन करुणा को नौकरानी बना कर रखेगी इसलिए मैंने उससे कहा की मैं उसे exam दिलवाने ले जाऊँगा!
करुणा: नहीं मिट्टू, आप क्यों तकलीफ करते!
उसने बुझे मन से कहा|
मैं: तकलीफ कैसी? मैं आपका best friend हूँ न? तो इतना मैं कर सकता हूँ!
करुणा: आपका जॉब भी तो है!
मैं: मैं planned leave ले लूँगा, आप उसकी चिंता मत करो!
मैंने उसकी सवाल का जवाब देते हुए कहा|
करुणा: पर दीदी...
मैं जानता था की उसकी दीदी जाने नहीं देगी, इसलिए मैं उसकी बात काटते हुए बोला;
मैं: मेरी बात ध्यान से सुनो, हो सकता है आपको मेरी बात बुरी लगी पर मैं सच कह रहा हूँ| आपकी दीदी नहीं चाहती की आप कोई job करो, क्योंकि फिर उन्हें आपके जैसी नौकरानी कहाँ से मिलेगी? वो आपको बस अपनी बेटी की टट्टी-पॉटी साफ़ करने को यहाँ लाई है, आप जॉब करोगे तो वो काम कौन करेगा?
मेरी सच्ची बातों का असर उस पर हुआ और वो एकदम से बोली;
करुणा: ठीक है, मैं आपको main road पर मिलेगा!
मैं: नहीं! आपके घर से main road दूर है वहाँ तक अकेले आना ठीक नहीं| मैं आपको वो कोने की जूस वाली दूकान से pick करूँगा|
अब क्योंकि मैं उसे ले जा रहा था तो उसकी सुरक्षा मेरा जिम्मा थी, जूस की दूकान उसके घर के पास थी और main road से वो दूकान ज्यादा सुरक्षित थी|
करुणा को तो बोल दिया था की मैं उसे exam दिलवाने ले जाऊँगा पर इतनी सुबह घर से कैसे निकलता? Overtime कर नहीं सकता था क्योंकि मेरी मार्किट शाम 5-6 बजे तक बंद हो जाती थी, ऐसे में मैं 12 घंटे तक तो ऑफिस रुक नहीं सकता था?! सिवाए झूठ बोलने के मेरे पास कोई उपाए नहीं था, मैंने घर में झूठ बोला की मैंने एक सरकारी नौकरी का फर्म भरा है और उसका exam अगले हफ्ते है| ये झूठ foolproof था, हालाँकि मुझे झूठ बोलने का अफ़सोस था पर मजबूर था क्योंकि अगर सच बोलता तो पिताजी जाने नहीं देते|
खैर exam वाला दिन आया और मैं सुबह 5 बजे निकल पड़ा, पर घर से main road आते-आते एक भी ऑटो नहीं मिला| बड़ी मुश्किल से ऑटो मिला जिसे मैंने हाथ-पैर जोड़ कर पहले करुणा के घर और फिर वहाँ से मेट्रो स्टेशन जाने के लिए मनाया| करुणा को ले कर मैं समय से उसके exam center पहुँच गया, जहाँ उसका एक batch mate मिला जिसे देख करुणा मुझसे एकदम से दूर चली गई क्योंकि उसे डर था की कहीं वो हमें एक साथ न देख ले और जा कर करुणा के घर में न बता दे! तब मुझे पाता चला की वो भी अपने घर में नहीं बता कर आई की मैं उसे exam center ले जा रहा हूँ! मैंने करुणा को फ़ोन किया और उसे best of luck बोल कर बाहर उसका इंतजार करने लगा| वो exam center बियाबान जंगल में था, साला आस-पास बस बड़े-बड़े ट्रक खड़े थे, उनके अलावा यहाँ कुछ भी नहीं था! 3 घंटे बाद करुणा और बाकी सारे लोग बाहर आये, मैंने करुणा को दूर से देख लिया था वो बेचारी गर्दन घुमा-घुमा कर मुझे ही ढूँढ रही थी| मैंने उसे फ़ोन किया और पुछा की मैं आऊँ या नहीं तो उसने बोला;
करुणा: मैंने उसे बगहा (भगा) दिया है, आप कहाँ है?
मैं एकदम से उसके पीछे खड़ा हुआ और उसे चौंका दिया;
मैं: Exam कैसा हुआ?
ये सुन कर वो बेचारी मायूस हो गई और बोली;
करुणा: मैं जो पढ़ कर गए वो आया ही नहीं, सारा पेपर बाहर से ता (था)|
मैं जान गया की वो मायूस है तो मैं उसे ले कर मेट्रो स्टेशन आया, वहाँ से हम सीधा Sacred Heart Cathedral Church पहुँचे|
करुणा: हम यहाँ क्यों आया?
करुणा ने हैरान होते हुए पुछा|
मैं: जब मुझे डर लगता है या exams अच्छे नहीं जाते तो मैं प्रार्थना करता हूँ और सब कुछ भगवान पर छोड़ देता हूँ| मैंने अपनी रफ से पूरी मेहनत की थी, अब आगे भगवान जी जो चाहेंगे वो करेंगे|
ये सुन कर करुणा के चेहरे पर उम्मीद की मुस्कान आई| हम दोनों ने वहाँ प्रार्थना की और फिर मैं उसे ले कर पालिका बाजार आ गया| यहाँ घुमते हुए उसे ear rings पसंद आई और उन्हें select करने में मैंने उसकी बहुत मदद की| जब पैसे देने की बारी आई तो मैंने पैसे दिए, इस बार करुणा ने कुछ नहीं कहा| कुछ देर बाद हम बाहर आये तो उसने एक बहाना किया;
करुणा: मिट्टू आप यहीं रुको, मैं कुछ लेना भूल गए!
इतना कह कर वो वापस अंदर भाग गई और मैं बाहर खड़ा उसका इंतजार करने लगा| जब वो आई तो बहुत मुस्कुरा रही थी, उसने अपने बैग में हाथ डाला और मुझे दवाई वाले कागज का एक लिफाफा दिया| उस लिफाफे में एक tube थी जिसे जब मैंने निकाल कर देखा तो वो था Schwarzkopf की hair styling क्रीम! मैं उसे देख कर बहुत हैरान हुआ और आँखें फाड़े करुणा को देखने लगा! Schwarzkopf बाहर का ब्रांड था और बहुत महँगा भी था!
मैं: Dear ये तो बहुत महँगा होगा!
ये सुन कर करुणा बड़े तपाक से बोली;
करुणा: मेरा मिट्टू से तो महँगा नहीं?! अब मेरे को मिलने आ रे तब parachute oil लगा कर नहीं आना, ये (hair cream) लगा कर आना|
ये कह वो हँसने लगी, इधर मैं न चाहते हुए भी मन ही मन भौजी को याद करने लगा| उस दिन जब भौजी ने मुझे एक टी-शर्ट गिफ्ट की थी तब भी मैंने उनसे कीमत की बात की थी और उन्होंने भी कुछ इसी तरह बात कह कर अपने प्यार का एहसा दिलाया था! यही सोच कर मैं खामोश खड़ा था की करुणा ने अपने हैंडबैग से कुछ निकाला और मेरी ओर बढ़ा दिया, वो लाल कपडे का एक छोटा सा पाउच था| मैंने उसे खोला तो अंदर से एक Aviator Sunglass निकला! उसे देखते ही मैं फिर से आँखें फाड़े करुणा को देखने लगा, की तभी वो मुस्कुराते हुए बोली;
करुणा: ये लगा रे तो मिट्टू sexy लगते!
ये कहते हुए उसने मुझे वो sunglass खुद पहनाया| आखरी बार कुछ ऐसे ही शब्द भौजी ने कहे थे; 'my sexy husband!' वो शब्द याद करते हुए मेरी आँखें नम हो गईं पर अगर मेरी आँखों से आँसूँ बहते तो मुझे करुणा को कारन बताना पड़ता इसलिए मैंने जैसे-तैसे अपने आँसू दबा लिए और नकली हँसी हँसते हुए बोला;
मैं: क्या बात है dear, पहले hair cream और अभी sunglass?!
करुणा: आप मेरे लिए इतना करते..... इसलिए मैंने सोचा की मैं अपना मिट्टू को थोड़ा stylish बनाते!
करुणा बड़े गर्व से बोली| इतने में घर से फ़ोन आ गया और मैं करुणा को उसके घर वाली बस में बिठा कर अपने घर लौट आया|
हफ्ता बीता और इस एक हफ्ते में हमारी बातें बदस्तूर जारी रहीं, कभी-कभार मैं दिषु के साथ सब्जी लेने जाता था और सब्जी ले कर वापसी आते समय मैं करुणा से बात करता था और उससे बातें करते हुए मैं पूरी कॉलोनी में चक्कर लगाता रहत था| दिषु को भी शक होने लगा था की जर्रूर मेरा कोई चक्कर चल रहा है पर मैंने उसके मन का शक मिटाते हुए कहा;
मैं: यार ऐसा कुछ नहीं है, हम दोनों बस अच्छे दोस्त हैं उससे ज्यादा और कुछ नहीं!
ये सुन वो मुस्कुराया और बोला;
दिषु: अबे तो serious हो जा न, किसने रोका है?
उसकी बात सही थी पर मेरा दिल अब प्यार करना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने उसकी बात अपनी नकली हँसी में टाल दी|
शुक्रवार की शाम को करुणा का फ़ोन आया और उसने बताया की उसके दाँत में दर्द है, उसने चेक करवाया तो उसकी अक्कल दाड़ निकालनी पड़ेगी! अब ये सुनकर मुझे बहुत हँसी आई, एक तो उसकी अक्कल दाड़ निकाली जानी थी और दूसरा वो दाँत निकाले जाने से बहुत घबराई हुई थी;
मैं: अरे घबराओ मत, ज्यादा दर्द नहीं होगा!
मैंने उसे हिम्मत बँधाई पर वो किसी बच्चे की तरह रोने लगी|
करुणा: आप मेरे साथ चलो, आप साथ है तो मेरे को डर नहीं लगते!
मैंने उस हाँ कर दी और अगले दिन उसे ले कर डॉक्टर के पास पहुँचा, डॉक्टर ने उसका दाँत निकालने के लिए उसे अंदर बुलाया पर वो डर के मारे जाने से मना कर रही थी| मैंने डॉक्टर से request की कि वो मुझे अंदर आने दे, जैसे तैसे डॉक्टर मान गया और उसने मुझे अंदर आने दिया| मैं अंदर आ कर dentist वाली chair के सामने खड़ा हो गया, डॉक्टर ने करुणा को एक बार फिर चेक किया और फिर उसके दाँत के x ray को ठीक से देख कर पक्का कर लिया की कोई बड़ी समस्या नहीं है| फिर उन्होंने ट्रे में से injection उठाया जिसे देखते ही करुणा ने डर के मारे अपनी आँखें कस कर मीच ली! विधि की विडंबना तो देखिये, दूसरों को injection लगाने वाली को खुद injection लगा तो बेचारी दर्द से चिल्लाने लगी! खैर करुणा का दाँत निकला और मुझे मुँह बिदकाये हुए ये सब देखना पड़ा, डॉक्टर ने एक पर्ची पर उसे कुछ दवाइयाँ लिख कर दी और उसे ice cream खाने को कहा| Ice cream का नाम सुनते ही वो खुश हो गई और मेरी ओर मुस्कुरा कर देखने लगी| अभी इंजेक्शन का असर था तो उसे दर्द कम हो रहा था, मैं उसे ले कर नजदीकी Mc Donald में आया और उसके और मेरे लिए Mc Flurry आर्डर किया, Ice cream ले कर हम दोनों बैठ गए, मैंने तो खाना शुरू किया पर वो बुद्धू उस ice cream को चम्मच से हिला कर सूप बनाने लगी!
मैं: Dear ice cream खाते हैं, पीते नहीं हैं!
ये सुन कर वो खिखिलकर हँसने लगी! जब भी वो इस तरह खिलखिलाकर हँसती थी तो मेरे दिल को अजीब सा सुकून मिलता था, मेरे दिम्माग ने मुझसे बहुत पुछा की इस सुकून का कारन क्या है पर दिल कभी इसका जवाब नहीं दे पाया! खैर करुणा ने बातें शुरू की ओर उसकी बातों के चक्कर में मेरी ice cream भी पिघल कर soup बन गई! दोनों soup वाली ice cream पी कर निकले और अपने-अपने घर आ गए|
दो दिन बाद मुझे पाता चला की करुणा को एक हॉस्पिटल में job interview के लिए बुलाया है, उसे जाना था okhla industrial area में और उसे वहाँ का कुछ नहीं पाता था| मैंने उसे कहा की मैं साथ चलता हूँ, मैंने ऑफिस से unplanned leave medical emergency बता कर ली और उसके साथ हॉस्पिटल पहुँचा| ये एक प्राइवेट हॉस्पिटल था और दो घंटे बाद वो मुस्कुराते हुए बाहर आई, उसकी मुस्कराहट उसकी नौकरी पक्की होने की ख़ुशी ब्यान कर रही थी|
करुणा: मिट्टू आप मेरा good luck है!
वो खुश होते हुए बोली|
मैं: ये God का blessing है!
इतने दिनों से उससे बातें करते-करते मेरी हिंदी भी थोड़ी-थोड़ी खराब होने लगी थी! मगर मेरी बिगड़ी हुई हिंदी सुन कर करुणा बहुत हँसती थी!
करुणा: आप जब ऐसे गलत हिंदी बोलते तो बहुत cute लगते!
मैं: आपकी हिंदी सुधारते-सुधारते मेरी हिंदी खराब हो गई!
करुणा: अभी सर मेरा इंटरव्यू लिया, वो तमिलियन ता| वो मेरी हिंदी appreciate करते हुए बोला की मेरा हिंदी उससे बहुत अच्छा है!
मैं: अंधों में काना राजा!
ये कह कर मैं खूब हँसा, पर करुणा को ये बात समझ नहीं आई थी तो मैंने उसे इस मुहावरे का अर्थ बताया| अर्थ पाता चलते ही उसने मेरे दाहिनी बाजू पर एक मुक्का मारा और प्यार भरा गुस्सा दिखते हुए बोली;
करुणा: मेरा हिंदी का मजाक उड़ाते?!
उसने ठीक मुझे वैसे ही प्यारा भरा मुक्का मरा था जैसे भौजी मारा करती थी, ये बात याद तो आई पर मैंने इस बात को अपने दिल से न लगाते हुए करुणा से पार्टी करने को कहा;
करुणा: सैलरी आते तब करते!
वो बोली पर मुझे तो अभी पार्टी चाहिए थी|
मैं: वो तो सैलरी आने की पार्टी होगी न, ये पार्टी तो जॉब मिलने की है! सैलरी वाली पार्टी आप देना और ये वाली मैं दे देता हूँ!
थोड़ी न-नुकुर के बाद करुणा मान गई, पर दिक्कत ये थी की हम पार्टी करें कहाँ? दोपहर के 1 बज रहे थे, मैंने pub जाने को कहा तो वो मना करने लगी क्योंकि वहाँ पैसे ज्यादा लगते|
करुणा: Dearrrrrrr......
करुणा ने dear शब्द खींच कर बोला, मैं समझ गया की उसके दिमाग में जर्रूर कुछ खुराफात आई है!
करुणा: हम वाइन पीयें?
पीने के नाम से मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने एकदम से हाँ कर दिया, पर दिक्कत ये की पीयें कहाँ? अब मेरे दिमाग में खुराफात पैदा हुई;
मैं: अंसल प्लाजा के पीछे बहुत बड़ा पार्क है, इस टाइम वहाँ पर बस couples होते हैं, वहाँ चलकर पीयें?
मुझे लगा था की करुणा मना कर देगी लेकिन उसने मेरे इस खुराफाती idea में फ़ौरन हाँ में हाँ मिला दी! हम दोनों की दोस्ती की यही सबसे ख़ास बात थी, हम दोनों को ऐसी खुराफात बहुत सूझती थी! हम दोनों wine shop पहुँचे पर वहाँ मुझे red wine नहीं मिली, उसकी जगह वाइट वाइन मिली! करुणा दूकान के बाहर थी तो मैंने उससे पुछा की वाइट वाइन ले लूँ तो उसे फ़ौरन हाँ में गर्दन हिलाई| इधर मैं वाइट वाइन लेने लगा जो की 800/- की आई और उधर वो प्लास्टिक के glases और चखने का सामान खरीदने लगी| फिर हमने ऑटो किया और सीधा अंसल प्लाजा पहुँचे, वहाँ एक पेड़ के नीचे दोनों बैठ गए| करुणा ने वाइन की बोतल खोली और गिलास में डालने लगी, मेरी नजर गिलास में पड़ी तो वो मुझे गौ मूत्र जैसा दिख रहा था! मैंने नाक सिकोड़ते हुए करुणा से कहा;
मैं: ये क्या गौ मूत्र है?
करुणा ने उसका रंग देखा जो बिलकुल गौ मूत्र जैसा था, वो मेरी बात सुन कर हँसने लगी| दोनों के गिलास आधे भरे थे, दोनों ने चियर्स कर के जैसे ही पहला घूँट पीया तो मैंने बड़ा गंदा सा मुँह बनाया और बोला;
मैं: ये सच्ची में गौ मूत्र है! छी!!!
ये देख करुणा बहुत हँसी और बोली;
करुणा: नहीं मिट्टू, मैंने पहले वाइट वाइन पिया ता, ये बिलकुल वैसा ही है!
उसकी बात सुन कर मैंने अगला घूँट पीया तो उसका मीठा-मीठा सा स्वाद जुबान पर घुलने लगा| मैंने करुणा से चिप्स का पैकेट खोलने को कहा और 2-4 चिप्स खाये, तब जा कर उसकी बदबू मेरे मुँह से गई!
मैं: यार मैंने रेड वाइन पी है और वो इसके मुक़ाबले बहुत अच्छी होती है, ये तो बहुत smell कर रही है!
करुणा मुस्कुराने लगी और बड़े गर्व से बोली;
करुणा: मैं अपना घर में वाइन बनाते, वो भी बिलकुल ऐसे ही taste करते! रेड वाइन बहुत महँगा होते और ये वाला homemade लग रे मेरे को!
मैं: इस पर तो imported लिखा है?!
करुणा: वाइन बनाना एक आर्ट है, ये alcohol जैसे नहीं बनते! ये imported होगा पर कोई बहुत बड़ा ब्रांड नहीं है, बाहर का कोई लोकल ब्रांड होगा!
मैं: इसे बंद करो और अपने घर ले जाओ! मेरे बस की नहीं इसे पीना!
मैंने मुँह बिदकाके कहा पर करुणा नहीं मानी और बोली;
करुणा: मैं घर नहीं ले जाते, आप नहीं पी रे तो मत पी, मैं यहीं पीते!
मैं: ओ मैडम जी ये सारा आप पीते तो घर कैसे जाते?
मैंने करुणा के बात करने के अंदाज में सवाल पुछा तो वो हँसने लगी और बोली;
करुणा: आप छोड़ते!
उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की वो कैसे घर जाएगी पर उसके पूरी बोतल पीने से मेरी फटी हुई थी! मेरी पतली हालत देख वो मुस्कुराते हुए बोली;
करुणा: टेंशन मत लो मिट्टू, इसमें alcohol नहीं होते!
उसने कह तो दिया पर मेरी फटने लगी थी, मैं जानता था की अगर इसने पूरी बोतल पी तो ये यहीं लोट जाएगी इसलिए मजबूरन मुझे वो बदबूदार वाइन पीनी पड़ी| मेरी कोशिश थी की मैं उसे कम पीने दूँ पर करुणा बहुत ढीठ थी, मेरी लाख कोशिशों के बाद वो आधी बोतल डकार गई! आधी बोतल डकार कर वो खड़ी हुई तो जिस पेड़ कर नीचे हम बैठे थे उसी पेड़ को पकड़ कर पुरानी फिल्मों की हीरोइन की तरह झूमने लगी और ये गाना गुनगुनाने लगी;
करुणा: जरा सा झूम लूँ मैं?!
ये गाना सुन कर मैंने उसकी ओर देखा तो मेरी हवा टाइट हो गई! उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गई थीं, चेहरे पर हल्का सा पसीना था, उसके हाव-भाव नशे में धुत्त लड़की जैसे थे! मैं जान गया की ये हो गई टुन्न!
मैं: नीचे बैठ जाओ, आपको चढ़ गई है!
मैंने कहा पर मैडम जी पर तो वाइन की खुमारी सवार थी!
करुणा: मेरा मन dance करने को कर रे! जरा सा झूम लूँ मैं......
मैं: अरे न रे बाबा ना!
मैंने उसके गाने की पंक्तियाँ पूरी की तो वो नशेड़ी जैसे हँसने लगी और नीचे बैठने को हुई तो डगमगा गई, अब जा कर उसे होश आया की उसे वाइन चढ़ गई है!
करुणा: मिट्टू....मेरे को....चढ़ गए....मैं घर...कैसे....
उसकी बात सुनकर मैं उसे टोकते हुए बोला;
मैं: मना किया था मैंने की मत पीयो, पर आपको तो मजा आ रहा था न?
ये सुन कर करुणा को उसकी गलती का एहसास हुआ पर अब बहुत देर हो चुकी थी!
करुणा: आपको....नहीं .... चढ़ते....
उसने सवाल पुछा और उसका सवाल सुन कर मुझे मेरी दशा का अनुमान लगा| मेरा सर भारी हो चूका था और थोड़े-थोड़े चककर आ रहे थे, सुबह से मैंने कुछ खाया नहीं था तथा खाली पेट वाइन पीने से वाइन मेरे सर पर चढ़ चुकी थी| लेकिन मैं अगर ये बात करुणा से कहता तो वो डर जाती इसलिए मैंने उससे झूठ बोलते हुए कहा;
मैं: मुझे नहीं चढ़ते!
मैंने कह तो दिया पर मेरी हालत मैं ही जानता था| मैं उठ कर चलने के लिए खड़ा हुआ तो वाइन का सुरूर इतना चढ़ गया था की मैं सीधा खड़ा नहीं हो पा रहा था| मुझे सीधा खड़ा होने में जद्दोजहद करते देख करुणा हँसने लगी और बोली;
करुणा: मिट्टू को चढ़ गई....मिट्टू को चढ़ गई!
अब मैं क्या झूठ बोलता, मैंने उससे घर चलने को कहा, पर मैडम जी हो चुकी थीं नशे में चूर और उन्हें आ रही थी नींद!
करुणा: मुझे नींद आ रे.... मैं इदर सो जाऊँ?!
करुणा ने किसी बच्चे की तरह ये सवाल पुछा, पर उसकी ये बात सुन कर मेरा नशा उतरने लगा था!
मैं: पा....पागल है क्या.... घर चल...उठ..... उठ जा....
मैंने करुणा को उठने को कहा पर वो नहीं उठी| मैंने 'उठ-उठ' की रट लगा दी और मजबूरन करुणा पेड़ का सहारा ले कर उठी और उसी पेड़ से अपने शरीर को टिका कर खड़ी हो गई! इतने में एक आंटी वहाँ आईं, मुझे लगा की ये हमें डाँटेंगी की हम क्यों ऐसे खुले में पी रहे हैं पर वो तो हमें प्रेमी जोड़ा समझ कर हमें दुआ दे कर पैसे लेने आईं थीं! जब उन्होंने हाथ आगे किया तो मैंने अपनी जेब से एक दस का नोट निकाल कर उन्हें दिया और वो हमें दुआ देते हुए बोलीं; "भगवान जोड़ी बनाये रखे!" इतना कह वो ख़ुशी-ख़ुशी चली गईं और इधर मैं आँखें फाड़े उन्हें जाते हुए देखता रह गया!
खैर मैं फिर से करुणा के पीछे पड़ गया की वो घर चले, लेकिन वो तो पेड़ का सहारा ले कर ही ऊँघने लगी थी! मैंने सारा सामान समेटा और करुणा को आवाज दे कर उठाया;
मैं: चल यार....मेरा सर घूम रहा है!
नशा फिर से सर पर चढ़ने लगा था, इसलिए मैंने करुणा से अपनी तकलीफ ब्यान की| हम दोनों किसी तरह वहाँ से निकले और एक कूड़ेदान में वाइन की बोतल फेंक दी| सामने ऑटो वाले लाइन लगा कर खड़े थे, मैंने उनसे करुणा के घर की तरफ जाने के लिए पुछा| हम दोनों की हालत देख ऑटो वाले ने मौके का फायदा उठाया और जहाँ 60/- रुपये लगते थे उसने सीधा 100/- रुपये माँगे| अब उस ऑटो वाले से भाव-ताव करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी तो हम दोनों उसी ऑटो में बैठ गए| ऑटो चल पड़ा पर करुणा को नींद आ रही थी और वो दाईं तरफ सर टिका कर सो रही थी, मुझे उसे उठाना था पर उसे बिना छुए कैसे उठाऊँ?! भले ही मुझ पर नशा चढ़ रहा था पर मैं इतने होश में तो था की मैं किस के साथ हूँ और क्या कर रहा हूँ! मैंने एक तरकीब निकाली, मैंने करुणा के बाएँ कान के पास जोरदार चुटकी बजाई जिससे उसकी आँख एकदम से खुल गई! वो मुँह बनाते हुए बोली;
करुणा: सोने दो न मिट्टू!
अब दिक्कत ये थी की ये था दिन का समय, घडी में यही कोई 3-4 बजे होंगे, उसके घर पर कोई न कोई जर्रूर होता और ऐसे में अगर मैं उसके साथ इस हालत में घर जाता तो आज बहुत बड़ा वाला काण्ड होता! या तो मैं पीटा जाता या फिर मुझे पकड़ कर पुलिस थाने में दे दिया जाता, इसलिए मुझे करुणा को जगाये रखना था!
मैं: यार आप सो जाओगे तो घर कैसे जाओगे?
पर इतने में करुणा फिर से सो गई, लेकिन मैं अपनी चुटकी बजाने वाला काम किये जा रहा था| उसके घर के पास पहुँचने तक मैंने करुणा के कान में चुटकी बजा-बजा कर उसे सोने नहीं दिया| करुणा का घर गलियों में पड़ता था और ऑटो आगे बहुत कम ही जाते थे, जिस ऑटो में हम थे उसने हमें बस स्टैंड पर उतारा| वहाँ से करुणा का घर यही कोई 5-7 मिनट दूर होगा, ऑटो से उतरते ही करुणा को एकदम से उलटी हो गई! वो एक नाली के ऊपर खड़ी हो कर जोर-जोर से उल्टियाँ करने लगी| मैंने फटाफट करुणा को पानी ला कर दिया, उसने पानी से कुल्ली की और अपना मुँह धोया| अब उसकी हालत बहुत खराब हो चुकी थी, उसका सर घूमे जा रहा था और उसे बड़ी जोर से नींद आ रही थी! आमतौर पर मैं इसी बस स्टैंड तक करुणा को छोड़ देता था और इसके आगे उसके किसी पहचान वाले के देखने का खतरा होता था इसलिए यहाँ से घर वो खुद चली जाती थी, पर आज मुझे उसे उसके घर तक छोड़ने जाना था| हम दोनों अभी 10 कदम ही गए होंगे की करुणा का सर चकराने लगा और वो एक घर के आगे सीढ़ी पर बैठ गई;
करुणा: मिट्टू....मेरा सर....घूम...रे....
उसकी ये हालत देख कर मैं बहुत घबरा गया था, उसे घर पहुँचाना मेरी जिम्मेदारी थी तो मैंने उसे रुकने को कहा और मैं वापस बस स्टैंड की ओर दौड़ा| वहाँ मैंने एक ऑटो वाले से मिन्नत की;
मैं: भाईसाहब मेरे साथ एक patient है उसे बस थोड़ा आगे छोड़ना है, प्लीज चल लीजिये!
वो भी मेरी हालत देख कर समझ ही गया होगा की मैंने पी रखी है| वो जैसे-तैसे मान गाय और मैं उसी ऑटो में बैठ गया, 10 सेकंड में ऑटो करुणा के सामने था| मैं बाहर निकला और उसे बैठने को कहा, वो बड़ी मुश्किल से ऑटो के भीतर घुसी| ऑटो में घुसते ही उसे उलटी आ गई और उसने ऑटो में ही उलटी कर दी! ऑटो वाला मुँह बनाने लगा पर मैंने उसे चलने को कहा, गलियों में घुमते-घुमते आखिरकर करुणा की गली आ गई| मैंने ऑटो वाले को इतने से रास्ते के 30/- रुपये दिए पर वो मुँह बनाते हुए बोला;
ऑटो वाला: अरे मैडम ने उलटी कर दी, वो भी साफ़ करनी है!
अब मुझ में इतना सब्र नहीं था की मैं खड़ा हो कर उससे बहस करूँ! मैंने उसे 100/- का नोट दिया और करुणा को आवाज दे कर बाहर आने को कहा| वो जैसे-तैसे खुद को संभालते हुए उतरी और अपनी घर वाली गली में घुस गई, अब उसे अकेले कैसे जाने देता कहीं इधर-उधर गिर-गिरा जाती इसलिए मैं उससे 10 कदम दूर चलता रहा| ताकि अगर कोई देखे तो किसी को शक न हो की हम दोनों साथ हैं, करुणा का घर आ गए तो उसने मुड़ कर मुझे देखा और लड़खड़ाती जुबान में बोली;
करुणा: आप जाओ....मैं चले जाते....!
मैं फिर भी वहीं खड़ा रहा, जब वो सीढ़ियाँ चढ़ने लगी तब मैं वापस मुड़ा और अपने घर की तरफ चल पड़ा| मुझे बड़ी जोरदार प्यास लगी थी, गला सूख चूका था इसलिए मैंने एक दूकान से पानी की बोतल और दो chewing गम ली| पानी की बोतल मैं मुँह लगा कर एक साँस में सारी पी गया, पानी पीने से नशा कम हुआ| मैंने कान में लगाए headphones और घर के लिए ऑटो किया, chewing gum खाते हुए मैं घर पहुँचा| नाहा-धो कर मैं छत पर आया और आज जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा, मैं जान गया था की आज करुणा को बहुत डाँट पड़ी होगी! कुछ देर बाद मैंने करुणा को फ़ोन किया पर उसने फ़ोन नहीं उठाया, मुझे लगा जर्रूर उसकी बहन सामने होगी इसलिए वो फ़ोन नहीं उठा रही है| मैंने उसे whats app पर खैरियत पूछने के लिए मैसेज किया पर उसका data बंद था| तब whats app में double tick होने का कोई feature नहीं था! रात 10 बजे तक में उसे फ़ोन करता रहा पर उसने कॉल नहीं उठाया, अब मेरे मन में बुरे-बुरे ख्याल आने लगे थे! कहीं उसके नशे में होने के कारण उसके जीजा ने उसका कोई गलत फायदा तो नहीं उठा लिया? कहीं उसकी बहन ने उसे पी कर घर आने के लिए मारा तो नहीं? कहीं कोई उसके घर घुस आया हो और उसके साथ कुछ गलत तो नहीं कर रहा? ये सब गंदे ख्याल मन में आने से मैं व्यकुल हो उठा और हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करने लगा की आज के बाद फिर कभी करुणा के साथ नहीं पीयूँगा!
साढ़े दस बजे भगवान का नाम लेते हुए मैंने करुणा को कॉल किया और तब उसने फ़ोन पहले की ही तरह मुस्कुराते हुए उठाया|
करुणा: हैल्लो मिट्टू!
उसकी आवाज सुन कर मेरी जान में जान आई|
मैं: आप कैसे हो?
मैंने चिंताजनक स्वर में पुछा|
करुणा: मैं....ठीक हूँ!
करुणा ने 'मैं' शब्द के बाद 2 सेकंड का cinematic pause ले कर अपनी बात मुस्कुराते हुए पूरी की| उसका यूँ 2 सेकंड का cinematic pause लेना मेरी समझ से परे था, इसलिए मैंने उससे इस cinematic pause का कारन पुछा तो वो हँसने लगी!
करुणा: ये मेरा स्टाइल है!
उसने बड़ी अदा से कहा| उसकी आवाज से ख़ुशी झलक रही थी और मैं उसकी इस ख़ुशी से थोड़ा हैरान था!
मैं: आपको पता है मैं कितना परेशान था? कितने बुरे-बुरे ख्याल आ रहे थे मुझे? मुझे लग रहा था आज तो आपकी दीदी आपको drunk हो कर घर आने के लिए बहुत मारेगी या फिर आपका जीजा आपके drunk होने का कुछ गलत फायदा उठाएगा!
मैंने करुणा को अपने डर से रूबरू करवाया|
करुणा: मैं ठीक हूँ मिट्टू! आपका जाने के बाद मैं बड़ी मुश्किल से सीढ़ी चढ़ा, फर्स्ट फ्लोर पर पहुँच कर मुझे फिर से vomitting हुआ और मैं चुप-चाप घर आ गया| Luckily घर पर कोई नहीं ता, मैं घर आ कर मुँह-हाथ धो कर लेट गया और फिर अभी थोड़ी देर पहले उठा!
करुणा के इतनी बार उलटी होने से एक बात साफ़ हो गई थी की उसे शराब हजम नहीं होती इसलिए मैंने उसे ये बात सुनाते हुए कहा;
मैं: आज के बाद हम कभी drink नहीं करेंगे!
ये सुन कर करुणा इसे कदर डर गई जैसे मैंने उससे अपनी दोस्ती तोड़ने की बात की हो|
करुणा: ऐसा क्यों?
मैं: क्योंकि आपको शराब हज़म .... मतलब digest नहीं होती!
अब किसी पीने वाले को उसके पीने के लिए गलत ठहराओ तो वो कभी अपनी गलती नहीं स्वीकारता, ठीक वैसे ही करुणा बहाना बनाते हुए बोली;
करुणा: वो वाइन बेकार ता, मैंने बोला न मैं घर पर भी बनाते और पीते तब तो मुझे कुछ नहीं होते!
मैं: वो मुझे नहीं पता, जब आपने फ़ोन नहीं उठाया तो मैं बहुत डर गया था इसलिए मैंने God से pray किया की आप फ़ोन उठा लो तो मैं फिर कभी आपके साथ नहीं पीते!
ये सुन कर करुणा को मेरी चिंता समझ आई पर वो भी पक्की ढीठ थी, इतनी जल्दी कैसे सुधर जाती?!
खैर बात खत्म हुई और अगले दिन से करुणा ने हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया| उसी दिन लंच टाइम में उसका फ़ोन आया और उसने मुझे शाम को मिलने बुलाया| मैं शाम को 6 बजे उससे मिला और फिर हम दोनों साथ चल पड़े, मैंने उसे उसके घर के पास वाले बस स्टैंड पर छोड़ा जहाँ से वो अपने घर चली गई तथा मैं अपने घर लौट आया| घर आते-आते मुझे 9 बज गए थे, माँ को लगा की ऑफिस में काम ज्यादा होगा पर वो क्या जाने मैं कहाँ था?
अब तो मेरा लेट आना रोज की बात हो गई थी, मैं रोज करुणा के हॉस्पिटल के बाहर खड़ा हो कर उसका इंतजार करता और फिर हम दोनों साथ-साथ कभी पार्क में बैठ जाते या कभी कुछ खाने पीने लग जाते| फिर मैं उसे उस बस स्टैंड छोड़ता और फिर अपने घर लौटता| शनिवार को मेरी छुट्टी होती थी तो मैं उससे शाम को जल्दी मिलता और फिर हम कहीं घूमने चले जाते| रविवार को उसको अपनी बहन के साथ चर्च जाना होता था, इसलिए बस उस दिन हम नहीं मिलते थे| एक-आध बार मैं उसे शनिवार को फिल्म दिखाने ले गया और इसके लिए उसने हॉस्पिटल से हाफ डे भी लिया| दिन बीते और उसकी सैलरी आई जो की बहुत थोड़ी थी, क्योंकि उसने महीने के आखरी दिनों में ज्वाइन किया था| वो मेरे लिए कपडे लेना चाहती थी पर फिर उसके पास कुछ नहीं बचता तो मैंने उसे बहुत समझाया की वो ये सैलरी बचा कर रखे ताकि अगले महीने वो अपने बस का किराया चला पाए| उसका दिल रखने के लिए मैंने उसे मुझे मसाला डोसा खिलाने की ट्रीट माँगी, करुणा इससे बहुत खुश हुई की मैंने आज पहलीबार उससे कुछ माँगा है| करुणा ने मुझे कुछ नया खिलाने के लिए 'घी roast' मसाला डोसा मँगाया, जैसा की नाम से पता चलता है इसमें घी और मक्खन भर-भर कर डाला गया था| जब मैंने उसे चखा तो उसका स्वाद बहुत बढ़िया निकला, मैंने आज तक ऐसा मसाला डोसा नहीं खाया था|
कुछ दिन निकले और हम इसी तरह मिलते रहे, फिर आया valentine's day! मैंने आज के दिन की छुट्टी ले रखी थी, वहीं करुणा भी दो दिन की छुट्टी पर थी, उसकी दीदी ऑफिस के काम से कहीं बाहर गई थी और उसे घर रह कर बच्ची की देखभाल करने का काम सौंपा गया था, इसी के चलते उसने दो दिन की छुट्टी ली थी| मैंने से जोर दे कर उसने मिलने बुलाया, जब मैंने जोर दे कर करुणा को जोर दे कर मिलने बुलाया तो वो हँसने लगी, पर फिर मान गई| मेरा आज उसे मिलने बुलाने का ख़ास कारन था, वो कारन ये की मुझे आज उसे red rose देना था! इसलिए नहीं क्योंकि मैं उससे प्यार करता था, बल्कि इसलिए क्योंकि मुझे अपना एक शौक पूरा करना था| मैंने आज तक कभी किसी लड़की को valentine's day पर red rose और चॉक्लेट नहीं दी थी| कल को शादी होगी और मेरे बच्चे पूछेंगे की पापा आपने valentine's day पर किसी को red rose दिए थे, तो मैं गर्व से कह सकूँ की मैंने भी ये कारनामा किया है! बस अपनी यही शौक पूरा करने के लिए मैंने करुणा को मिलने बुलाया| मैं घर से कुछ बहाना मार के निकला, आज पता नहीं क्यों मेरे पेट में तितलियाँ उड़ रही थीं! ऑटो कर के मैं एक पार्क पहुँचा जहाँ से करुणा का घर यही कोई 10 मिनट दूर था| सबसे पहले मैंने वहाँ पर red rose ढूँढा, वैसे तो रेड लाइट पर गुलाब बेचने वाले मिल जाया करते थे पर आज valentine's day था और मुझे रेड लाइट पर कोई भी नहीं मिला था| जिस फूल वाले से मैंने पिछली बार bouquet बनवाया था उसी के पास आ कर मैंने एक red rose लिया जिसके मुझे 100/- देने पड़े! जो red rose आम दिनों में 50/- रुपये का मिलता था आज वही red rose 100/- रुपये का था! प्यार में लोग कैसे-कैसे अपना चूतिया कटवाते हैं ये सोच कर मुझे हँसी आ रही थी! वैसे red rose मैं भी देने वाला था पर मुझे तो बस अपना शौक पूरा करना था! Red rose ले कर हाथ में पकड़ना ठीक नहीं लगा, इसलिए मैंने उसे अपने बैग में डाल लिया| अब बारी थी चॉकलेट लेने की, मैं एक दूकान में चॉकलते लेने घुसा| मुझे लगा 10/- 20/- 50/- रुपये की होगी चॉकलेट पर वहाँ 150/- रुपये से कम की कोई चॉकलेट ही नहीं थी! टी. वी. पर मैंने जो चॉकलेट की विज्ञापन देखे थे उन्हें देख कर मुझे लगता था की इसकी कीमत यही कोई पचास एक रुपये होगी पर ये तो ससुरी 150/- रुपये की निकली! मैं हैरान खड़ा सोचने लगा की साला एक शौक पूरा करने के चक्कर में 200/- रुपये का फटका लगने वाला था! चलो मेरा तो शौक था पर उन आशिकों का क्या जो ये काम रोज करते हैं?!
मैंने एक कैडबरी सिल्क ली और उसे भी बैग में डाले हुए मैं वापस उस पार्क लौट आया| मैंने करुणा को फ़ोन कर के बताया की मैं पहुँच गया हूँ, उसने जवाब में बस; "10 मिनट में आ रे' बोला| हमेशा की तरह आज भी उसे आने में पाना घंटा लगा और जब वो आई तो अपने साथ अपनी बहन की बेटी को साथ ले आई| मुझे पार्क में बैठा देख उसने sorry की झड़ी लगा दी;
करुणा: Am sorry मिट्टू! Actually मैं आपका लिए कुछ बना रे थे!
ये कहते हुए वो मेरे सामने बैठी और अपनी प्यारी सी भतीजी को मेरे पास बिठाया!
उस प्यारी सी बच्ची को देखते ही मुझे नेहा की याद आ गई, वही मासूमियत, वही cuteness! इधर वो बच्ची मुझे आँखें बड़ी करके देखे जा रही थी, मेरे चेहरे पर अच्छी-खासी दाढी थी जो उसे पसंद नहीं थी| दरअसल उसका बाप clean shaven था और उस बच्ची को इसी की आदत थी, ऐसे में अपने नजदीक एक दाढ़ी वाले व्यक्ति को देख वो शायद डर गई थी! उसका यूँ आँखें बड़ी कर के मुझे देखना मेरे दिल को भा गया था, इतने महीनों से जो बाप का प्यार दबा था वो आखिर आज जाग चूका था! मैंने उस बच्ची को गोद में लेने के लिए अपने हाथ फैलाये तो उस बच्ची ने बिना कुछ सोचे समझे अपने दोनों हाथ मेरी ओर देखते हुए खोल दिए| मैंने उसे फ़ौरन अपनी गोद में उठाया और अपने सीने से लगा कर अपनी आँखें बंद कर ली| उस छोटी से बच्चे के जिस्म की गर्माहट को मैं नेहा के जिस्म की गर्माहट मान चूका था, उसका छोटा सा धड़कता दिल मुझे मेरी बेटी नेहा के पास ले जा रहा था! 'मेरा बच्चा मुझे माफ़ कर देना, मैं एक अच्छा पापा नहीं बन पाया!' मेरे दिल से निकली ये बात गले तक पहुँच कर घुट कर रह गई! इधर उस छोटी बच्ची ने अपने हाथ मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द ठीक वैसे ही जकड़ लिए थे जैसे नेहा जकड़ती थी| मेरे सीने से लगी वो बिलकुल शांत थी, मानो उसे किसी बात का कोई डर ही न हो!
मैं नहीं जानता था की करुणा ख़ामोशी से मुझे एंजेल को अपने गले लगाए देख रही है| दो मिनट बाद उसने मुझे पुकारा जिससे मेरी तंद्रा भंग हुई;
करुणा: मिट्टू!
मैंने अपनी आँखें खोली और करुणा को मेरी ओर प्यार से देखते हुए पाया|
करुणा: क्या हुआ?
उसने बड़े प्यार से पुछा|
मैं: एंजेल को देख कर मुझे मेरी प्यारी बेटी की याद आ गई! नेहा.. मेरे cousin भाई की बेटी!
मैंने सर झुकाते हुए कहा| नेहा को हमेशा याद कर मैं ग्लानि महसूस करता था, भौजी के गुस्से की सजा मैं उस मासूम को जो दे रहा था!
मेरी बात सुन कर करुणा को मेरे दर्द का अंदाजा हुआ और वो बोली;
करुणा: आप उसे बहुत miss करते न?
मैंने हाँ में सर हिलाया और फिर गाँव में नेहा के साथ बिताया मेरा सारा वक़्त सुनाया| मेरी बात इत्मीनान से सुनने के बाद उसे मेरे प्यार का अंदाजा हुआ;
करुणा: वैसे एक बात बोलूँ एंजेल इतने आराम से किसी के पास नहीं रहते!
मैं: एंजेल को hug कर के आज बहुत सालों बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा है|
करुणा जानती थी की मैं उसी की तरह बहुत भावुक हूँ और कहीं मैं रो न पडूँ इसलिए उसने बात बदलते हुए कहा;
करुणा: अच्छा अब एंजेल को मुझे दो और आप ये खाओ जो मैं आपके लिए बना कर लाये!
करुणा ने एक टिफ़िन मेरी ओर बढ़ा दिया| मैंने एंजेल को हम दोनों के बीच में बिठाया और करुणा से वो टिफ़िन बॉक्स ले लिया| पर मैंने उसे खोला नहीं बल्कि एक तरफ रख कर अपना बैग उठाया, बैग से मैंने पहले चॉकलेट निकाली और करुणा को दी, करुणा को चॉकलेट बहुत पसंद थी| उसके बाद मैंने उसे rose निकाल कर दिया, उस red rose देख कर वो सोच में पड़ गई! उसे लगा की मैं उसे propose करने वाला हूँ पर मैंने हँसते हुए उसे rose देने की वजह बताई;
मैं: Don't get me wrong! I'm not proposing you, actually मैं आपको ये red rose इसलिए दे रहा हूँ ताकि कल को मेरी शादी हो और मेरे बच्चे मुझसे पूछें की पापा आपने valentine's day पर किसी लड़की को red rose दिया था, तो मैं गर्व से हाँ कह सकूँ! मैं उन्हें ये थोड़े ही बताऊँगा की मैंने ये red rose अपनी बेस्टफ्रेंड को दिया है!
मेरे ये बचकाने ख्याल को सुन कर करुणा बहुत हँसी, इधर अपनी मौसी को हँसता हुआ देख एंजेल भी हँसने लगी!
अब इधर करुणा ने चॉकलेट का पैकेट खोला और उधर मैंने करुणा का दिया हुआ टिफ़िन खोला| टिफ़िन में करुणा ने मेरे लिए दलिया का उपमा बनाया था, मैंने आज तक सूजी का उपमा तो खाया था पर दलिया का उपमा बड़ा अजीब दिख रहा था! ये बिलकुल दलिया जैसा लिसलिसा था और उसे देख कर मेरा मन नहीं कर रहा था उसे खाने का! पर मैं करुणा का दिल नहीं तोडना चाहता था इसलिए मैंने जैसे-तैसे उसे खा लिया और पानी पी कर गले से उतार लिया! करुणा को लगा की मुझे उसका बनाया उपमा बहुत पसंद आया और उसके चेहरे पर ख़ुशी झलकने लगी|
वहीं करुणा और एंजेल बड़े मजे से चॉकलेट खा रहे थे, एंजेल ने तो पूरी चॉकलेट अपने होठों और गालों पर फैला ली थी जिसे देख कर हम दोनों बहुत हँसे! करुणा ने उसका मुँह साफ़ किया और उसे अपनी गोद में बिठा कर मेरी ओर इशारा करते हुए मलयालम में उससे बोली; "एंजेल ये मेरा बेस्टफ्रेंड मिट्टू है!' मेरा नाम सुनते ही एंजेल के चेहरे पर मुस्कान आ गई, उसकी मुस्कान ठीक नेहा जैसी थी| एंजेल की मुस्कान देखते ही मेरा दिल बड़ी जोर से धड़कने लगा और मैंने उसे गोद मेंलेने के लिए अपनी बाहें फैला दी! एंजेल उठ कर मेरी गोद में आ गई और मेरे सीने से लग कर चिपक गई! उसे अपने सीने से चिपकाए हुए मैं बोला;
मैं: Angel will you be my friend?
एंजेल को english और हिंदी समझ नहीं आती थी तो करुणा ने उसे मेरी कही बात मलयालम में पूछी तो एंजेल ने हाँ में सर हिलाया|
मैं: Thank you dear!
मैंने एंजेल के सर को चूमते हुए कहा|
करुणा: नया फ्रेंड का चक्कर में मेरे को तो नहीं भूल जाते न?
मैं: ये तो मेरा childhood friend है और आप तो मेरा best friend है!
मैंने ये बात करुणा के बात करने के अंदाज में कही| मेरा एंजेल को childhood फ्रेंड बोलना करुणा की समझ में नहीं आया तो उसने मुझसे सवाल किया;
करुणा: मिट्टू एंजेल आपका childhood फ्रेंड कैसे?
मैं: एंजेल छोटी बच्ची है, मतलब child और मेरी दोस्त है, मतलब friend तो हुआ न मेरा childhood फ्रेंड?!
मेरी ये बच्चों वाली बात सुन करुणा खूब हँसी और हमेशा की तरह उसे हँसता हुए देख मेरे दिल को सुकून मिल रहा था|
करुणा: मिट्टू आप न बिलकुल क्यूट बच्चा है!
करुणा हँसते हुए बोली|
करुणा: अच्छा एक बात बताओ, मेरा बर्थडे पर आपने मुझे red rose का bouquet क्यों दिया?
मैं: Actually उस फूल वाले के पास बस red और white roses थे! White roses तो death होने पर देते हैं न? इसलिए मैंने red roses लिए!
करुणा: अच्छा? पक्का न?
करुणा ने थोड़ा शक जताते हुए पुछा|
मैं: आपकी कसम, आप जो भी सोच रहे हो वैसा कुछ नहीं है| Trust me मेरे दिल में आपके लिए lover वाला प्यार नहीं है! आप मेरे best friend हो, उससे ज्यादा और कुछ नहीं!
मैंने करुणा को अपनी बात का यक़ीन दिला दिया की मेरा मन बिलकुल साफ़ है, उसमें प्यार का कोई भी कीड़ा नहीं कुलबुला रहा| उस दिन के बाद करुणा ने मुझसे ये सवाल कभी नहीं पुछा|
हम करीब और आधा घंटा वहीं बैठे और इस दौरान एंजेल मेरी गोद में ही बैठी रही, उसे मेरी गोद पसंद आ गई थी| जब चलने का समय हुआ तो मैंने करुणा को एक ख़ास बात बताई;
मैं: अच्छा एक ख़ास बात मैं आपको बताना भूल गया| कल घर पर पूजा है और उसके बाद छोटी सी पार्टी है, माँ ने कहा था की आपको जर्रूर आना है| अपनी दीदी और जीजा को भी ले आना वरना वो कुछ गलत सोचेंगे!
करुणा: पर कल तो मेरा ड्यूटी है!
मैं: छुट्टी ले लो! दोपहर 2 बजे सब आ जाना वरना मैं आपसे बात नहीं करूँगा!
मैंने करुणा को प्यार से धमकी दे डाली! उसने मुस्कुराते हुए कल आने की हाँ की और फिर हम अपने-अपने घर लौट आये|
पिछले डेढ़ महीने से घर के हालत सुधरने लगे थे तो पिताजी ने घर में पाठ रखवाया था और उस के बाद एक छोटी सी पार्टी community hall में रखी थी| इस पार्टी का 15 तरीक को रखने के लिए मैंने पिताजी पर बहुत जोर डाला था, उसका कारन ये था की 15 फरवरी को मेरे बेटे आयुष का जन्मदिन था! इतने सालों से में भले ही अलग था पर हर साल उसके जन्मदिन पर मैं मंदिर जाता था और उसके लिए प्रार्थना करता था| जिस बच्चे को देखना नसीब नहीं हुआ उसके लिए आज के दिन घर पर पाठ रखवा कर मैं अपने बाप होने का फ़र्ज़ पूरा करना चाहता था| एक बात का मलाल मुझे जर्रूर था और वो ये की मैंने भौजी से कभी नेहा के जन्मदिन की तारिख नहीं पूछी थी, पर दुआ तो उसके लिए मैं फिर भी करता था आखिर वो मेरी पहली औलाद थी, उसी ने तो मुझे सबसे पहले बाप बनने का सुख दिया था!
एक आरसे बाद घर में खुशियों का आगमन हुआ था इसलिए हम सभी बहुत खुश थे| मिश्रा अंकल जी के दोनों ठीके समय से पहले पूरे हो गए थे और वो एक बड़े प्रोजेक्ट के लिए हमें बता चुके थे| अगली सुबह पाठ शुरू हुआ और मैं पाठ में केसरी रंग का कुरता तथा सफ़ेद पजामा पहने बैठा था, बाल सारे पीछे की तरफ किये हुए और माथे पर एक बड़ा सा तिलक! 'बोले तो फुलटू वास्तव के संजय बाबा का लुक!' दिषु मुझे देख कर बहुत हँसा, मेरा जिगरी दोस्त था तो उसे मेरी खिंचाई करने में बहुत मजा आता था| पाठ के बाद सारे लोग community hall पहुँचे और वहाँ खाना-पीना शरू हुआ|
करुणा ढाई बजे अपनी बहन और एंजेल के साथ पहुँची, उसे देखते ही माँ ने उसे अपने गले लगा लिया और उसके सर पर हाथ फेरने लगी| पिताजी करुणा से नहीं मिले थे तो मैंने पिताजी को धीरे से बताया की करुणा ही वो नर्स थी जिसने माँ का ध्यान रखा था, साथ ही मैंने उन्हें बता दिया की वो Chirstain है| पिताजी को उसके Christain होने से कोई फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने उसके सर पर हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिया| फिर उसने अपनी बहन का तार्रुफ़ हम सब से कराया;
करुणा: मम्मा ये मेरा sister है और ये उनका बेटी एंजेल!
करुणा का मेरी माँ को मम्मा कहना करुणा की दीदी को बड़ा अजीब लगा, पर उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा| उन्होंने हाथ जोड़ कर मेरी माँ और पिताजी से नमस्ते की, इधर मैंने एंजेल को गोदी में लेने के लिए हाथ बढाए तो वो करुणा की गोद से फ़ौरन मेरी गोद में आ गई| उसके मेरी गोद में आसानी से आ जाने से करुणा की दीदी को हैरानी हुई पर फिर करुणा ने उससे मलयालम में कहा की मैं ही मिट्टू हूँ! ये सुन करुणा की दीदी हैरान हो कर मुझे देखने लगी! मैं नहीं जानता की करुणा ने उन्हें मेरे बारे में क्या-क्या बताया था और न ही पूछना चाहता था वरना माँ-पिताजी के सामने हम दोनों (करुणा और मेरा) का सारा भेद खुल जाता! फिर मैंने उन दोनों को अपने साथ बूफे टेबल तक आने को कहा और उन्हें खाना शुरू करने को कहा| चूँकि मैं एंजेल को गोद में लिए हुए था तो दोनों आराम से अपनी-अपनी प्लेट में खाना परोस सकती थीं| खाना देख कर एंजेल को भी खाने का मन हुआ तो मैंने दीदी से पुछा;
मैं: दीदी एंजेल जलेबी खा सकती है?
उन्होंने हैरान होते हुए हाँ में सर हिलाया और मैंने एंजेल को जलेबी का एक पीस दिया, वो मेरी गोद में चढ़े हुए ही बड़े चाव से जलेबी खाने लगी| मुझे करुणा और उसकी दीदी के साथ खड़ा देख दिषु मेरे मजे लेने आ गया! मैंने उसका तार्रुफ़ करुणा और उसकी दीदी से नाम ले कर करवाया मैंने उसे ये नहीं कहा की ये नर्स करुणा हैं, पर दिषु समझ चूका था की ये ही वो लड़की है जिससे मैं घंटों बात करता हूँ| वो मेरे मजे लेता उससे पहले ही माँ ने करुणा और उसकी दीदी को अपने पास बिठा लिया| माँ ने करुणा के वजन को ले कर उसे प्यार से डाँटा और मुझे कहा की मैं उसके लिए और खाना ले कर आऊँ| करुणा की दीदी मेरी माँ का अपनी बहन के लिए इतना प्यार देख कर बहुत हैरान थी! उस दिन पार्टी के बाद जब करुणा अपने घर पहुँची तो उसने मुझे बताया की उसकी बहन मेरी माँ और मेरे से बहुत impress हैं! उन्होंने उसे आज जो भी कुछ हुआ उसके लिए ज़रा भी नहीं डाँटा, जिससे करुणा बहुत खुश थी की उसे मिलने वाले ताने अब बंद हो जायेंगे!
फरवरी का महीना निकला, हम रोज मिलते और खूब बातें करते| हमारी दोस्ती और गहरी होती जा रही थी| एक दिन जब वो शाम को मिली तो बहुत बुझी हुई थी, मैंने कारन पुछा तो वो बोली की उसके Ex boyfriend ने आज फ़ोन कर के उसे फिर से अपने प्यार का राग सुनाया| वो केरला आया हुआ है और उसे मिलने के लिए वहाँ बुला रहा है, वरना वो यहाँ खुद आ जायेगा! करुणा उससे मिलना नहीं चाहती थी और उसकी इस धमकी से डरी हुई थी| मैंने उसे समझाया की वो ये रिश्ते हमेशा के लिए खत्म कर दे, पर वो सिर्फ बहाने मारे जा रही थी और आँखों से टेसुएँ बहाये जा रही थी| मुझे उसका ये व्यवहार देख कर चिढ पैदा हो रही थी क्योंकि उसका यूँ मुँह लटका कर बैठ जाना बेकार का नाटक था! एक दिन गुजरा, दो दिन गुजरे पर उसका ये मुँह लटकाना रोज का हो गया था, मैंने उसे बहुत समझाया पर वो नहीं मानी| अगले दिन जब वो आई तो उसने रोते हुए उस लड़के के साथ बिताये अपने प्यार भरे दिन गिनाने शुरू कर दिए! उसका रोना मुझसे बर्दाश्त नहीं था तो मैंने उसे सीधा बियर पीने को पुछा, उसने 10 सेकंड चुप रहने के बाद हाँ कर दी| हम दोनों एक वाइन शॉप पहुँचे जहाँ से मैंने दो बियर की कैन ली और हम एक पार्क के कोने में बैठ कर पीने लगे| कैन लेने का बस एक ही कारन था, वो था bottle opener न होना, पर अगले दिन से करुणा ने एक ऐसा key chain लाना शुरू किया जिसमें bottle opener लगा हुआ था! बियर पीने से उसका रोना-धोना बंद हो गया और वापस पहले की तरह हँस कर बात करने लगी| मैंने मन ही मन भगवान से माफ़ी माँगी क्योंकि मैंने भगवान से कहा था की मैं अब कभी करुणा के साथ शराब नहीं पीयूँगा| अब जब भी करुणा अपना रोना-धोना शुरू करती मैं उसे बियर पिला देता और वो शांत हो जाती, धीरे-धीरे उसका ये रोना-धोना हफ्ते में एक बार तक सीमित हो गया| हमने अब बियर पीने की जगह बदल ली थी, AIIMS के पास एक पार्क था, हम दोनों वहीं बैठ कर बियर पीते थे| ये पार्क main road के साथ था और यहाँ शाम को इक्का-दुक्का लोग होते थे| देखा जाए तो करुणा का ये रोना-धोना मेरे लिए थोड़ा फायदे मंद था क्योंकि मुझे भी इसी बहाने पीने को मिल जाता था, पर मैं इतना भी स्वर्थी नहीं था की अपने पीने के लिए उसे रुलाऊँ इसलिए मैं उसे बहुत समझाता था पर उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ता था! एक बात और, हम एक बियर से ज्यादा नहीं पीते थे क्योकि उससे ज्यादा पीने से करुणा उलटी करने लगती! एक दिन हम आये तो थे पीने पर उसे INA से कुछ शॉपिंग करनी थी जिस कारन हम लेट हो गए, लेकिन मुझे तो बियर पीनी थी तो मैंने बियर की एक कैन खरीदी और करुणा को ले कर सीधा ऑटो में बैठ गया| ऑटो चल पड़ा और जैसे ही हम थोड़ी दूर पहुँचे मैंने बियर की कैन खोली, 'पसस' की आवाज सुन कर ऑटो वाले भैया ने पीछे मुड़ कर देखा तो वो हैरान हुए की हम दोनों बारी-बारी बियर पीने में लगे हुए थे| उन्होंने हमें कुछ नहीं कहा, आगे एक चेकपॉइंट आया तो करुणा की डर के मारे हालत खराब हो गई! शुक्र है की कोई चेक्किंग नहीं हुई वरना पुलिस वाले बिना कुछ खाये जाने नहीं देते! उस दिन से करुणा ने ऑटो में पीने से मना कर दिया और हमने उसी पार्क में बैठ कर कभी-कभी पीना जारी रखा|
करुणा की सैलरी आई तो मैं हैरान हुआ, उसे गिनती के 15000/- मिले थे!
मैं: इतनी कम सैलरी?
मैंने भोयें सिकोड़ कर पुछा|
करुणा: मुझको अटेंडेंट का पोस्ट मिला पर काम नर्स का करते!
ये सुन कर मुझे बहुत हैरानी हुई और मैंने उससे डिटेल पूछी तब उसने बताया की हॉस्पिटल में अटेंडेंट की temporary पोस्ट के लिए vacancy थी पर preference सिर्फ नर्स को दी जा रही थी|
मैं: चलो कोई बात नहीं, घर पर बैठने से तो अच्छा है|
खैर करुणा मुझे ले कर एक मॉल में पहुँची और मेरे लिए एक ब्रांडेड शर्ट और पैंट खरीदनी चाही, पर दोनों उसके बजट से बाहर जा रही थीं| बेचारी ने बहुत मेहनत कर के AllenSolly की एक शर्ट सेलेक्ट की थी जो की 3,000/- की थी और PeterEngland की 3,000/- की पैंट सेलेक्ट की थी! मैं ब्रांडेड कपडे पहनता था, पर इतने महंगे नहीं इसलिए मैंने करुणा को बहुत समझाया पर वो जिद्द पर अड़ गई और AllenSolly की शर्ट खरीद कर मुझे गिफ्ट की|
करुणा: पैंट नेक्स्ट टाइम लेते!
करुणा मुस्कुराते हुए बोली|
करुणा के साथ रहते-रहते मुझ पर उस का प्रभाव पड़ने लगा था| कई बार जब वो मेरे साथ होती तो उसका फ़ोन बजता और उसे मलयालम में किसी से बात करते देख मैं कुछ-कुछ शब्द सीखने लगा था|
'नी पोडा पट्टी' - मतलब भाग कुत्ते!
ये वो पहला शब्द है जो मैंने सीखा था, क्योंकि किसी भी भाषा को सीखने के लिए सबसे पहले उसकी गाली सीखी जाती है! (हा....हा....हा....!) वैसे गालियां और भी थी पर करुणा मुझे वो कभी नहीं सीखती थी|
'एविडे' - किधर जा रहे हो
'वेंडा' - (शायद) नहीं
'चेची' - बड़ी बहन
'चेटटन' - बड़ा भाई और कभी-कभी अपने पति को भी!
'कुन्जू' - मौसी
ऐसे कुछ-कुछ शब्द मैं सीख गया था| जब मैं इन शब्दों को करुणा के सामने कहता तो उसे बहुत ख़ुशी होती और मेरे शब्द गलत उच्चारण करने पर वो मुझे सही करती| धीरे-धीरे उसने मुझे मलयालम फिल्में अपने फ़ोन पर दिखानी शुरू की, इन फिल्मों के लिए वो english subtitles ढूँढ कर लाती थी| इन फिल्मों की कहानी बॉलीवुड फिल्मों से बहुत अच्छी होती थी तो मुझे इन्हें देखने में मजा आता था| अब शाम को हम जब मिलते तो ये फिल्में हेडफोन्स लगा कर देखने लगते| जब फिल्में देखने लगा तो इनके कुछ कलाकारों का मैं फैन बन गया, सुपरस्टार मोहन लाल का अभिनय मुझे बहुत पसंद था| उनके अलावा दो तीन लोग और अच्छे लगते थे; निविन पॉली, पृथ्वीराज और दुलकर सलमान मेरे पसंदीदा एक्टर थे| हीरोइन की बात करूँ तो मुझे पार्वथी और निथ्या मेनन सबसे जयादा पसंद थी, दोनों की सादगी का मैं फैन था! इस तरह से मार्च का महीना खत्म हुआ और उसी के साथ मेरा ऑफिस का नोटिस पीरियड भी खत्म हुआ, अब मुझे अपनी आगे की जिंदगी का निर्णय लेना था!
[color=rgb(51,]जारी रहेगा भाग 7 में...[/color]