Incest Sex kahani Harami--Saala--Kutta

sexstories

Administrator
Staff member
1 कमरे मे 4 खटिया पर 4 जाने सो रहे थे. सर्दियों का मोसां था. सब जाने रज़ाई उपर लिए हुवे सो रहे थे.. 1 खट्टिया पर दीपिका(उमर 20)सो रही थी. वो भी रज़ाई लिए हुए सो रही थी.

दीपिका बोहुत गहरी नींद सो रही थी.. रात के 12 से उपर का समय था. दीपिका को ऐसा लगा जैसे उसकी छूट पर कुछ रिंग रहा हो. दीपिका को उस रीँगने वाली चीज़ की हरकत से मज़ा आने लगा. उस की छूट जो हमेशा ही बिना पनटी के रहा करती थी. उस रीँगने वाली चीज़ से उस की छूट मे पानी आने लगा. दीपिका को नींद मे ही मज़ा आने लगा.. दीपिका एक जवान लड़की थी. छूट पर वो गर्म रीँगने वाली चीज़ के कारण उसके शरीर मे मस्ती बढ़ने लगी.. दीपिका का हाथ नींद मे ही अपनी छूट पर आया.. फिर वो उस चीज़ को अपनी छूट पर दबा दबा कर रगड़ने लगी. धीरे धीरे उसकी छूट की आग बढ़ने लगी. उसके शरीर मे करेंट भी बढ़ने लगा.. दीपिका तब तक उस चीज़ को अपनी छूट पर रगड़ती रही. जबतक उस की छूट ने पानी नही उगल दिया.. रज़ाई की वजा से उसकी सांसो की आवाज़ डब गयी थी..

उस चीज़ को दीपिका ने छ्चोड़ा नही था. झाड़ते ही दीपिका की आँख मे खुल गई थी.. दीपिका को जब होश आई तो दीपिका को एहसास हुआ कह वो चीज़ जो उसकी छूट पर रिंग रही थी.. वो चीज़ किसी का हाथ हा.

दीपिका को एक झटका लगा.. वो सोचने लगी. ये किसका हाथ हा, जो उसकी छूट पर चल रहा था.. दीपिका ने दूसरे हाथ से रज़ाई हटाई तो जो चेहरा दिखा, वो चेहरा देख कर दीपिका का घुस्से से पूरा चेहरा लाल होने लगा.

खट्टिया के साथ लग कर उसका छ्होटा भाई राज बैठा हुआ था. राज ने भी अपनी दीदी को देख लिया था. राज डरा नही वो अपनी दीदी को देख कर कमीनी स्माइल देने लगा.

दीपिका का घुस्सा और भी बढ़ गया.. अपने 18 वर्षी भाई के हाथ को झटका देते हुवे वो दाँत पीसती हुई बोली

दीपिका----- तुम अपनी घत्टिया हरकतों से बाज़ नही आओगे हरामी सेयेल कुत्ते.. अपनी ही दीदी के साथ ऐसा करते हो.. सोते मे भी तुझे चैन नही मिलता.. जेया, मार जा कही जा कर हरामी कुत्ते सेयेल.

राज खी खी क्रटा हुआ उठा और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया.. दीपिका अपने हाथ को देखने लगी, जिसपर अभी भी उसकी छूट का पानी लगा हुआ था. दीपिका ने घुस्से से अपने हाथ को अपनी कमीज़ के पल्ले से सॉफ किया.. एक नज़र साथ सो रही अपनी दूसरी बहनो को देखा.. फिर रज़ाई उपर करके सो गई..

कोई भी राज से महफूज नही था. राज जब भी मोका मिलता किसी को भी कहीं भी टच कर लिया करता था.
 
राज (हीरो).. 18 साल

आराधना राज की मा.. 45 साल........... 38-32-39

अंजलि राज की दीदी.. 24 साल........... 36-27-34

आरती राज की दीदी... 23 साल........... 35-26-34

भावना राज की दीदी. 22 साल........... 36-27-35

दीपिका राज की दीदी. 21 साल........... 36-26-36

राज जब 7 साल का था तो राज के पिता जी का देहांत हो गया था. 4 एकर की ज़मीन गाओं मे थी.. कुछ जानवर भी घर मे पाल रखे थे. जिसके घर का निजाम अच्छे से चल रहा था. सारी बहने 12-12 पढ़ कर घर मे बैठ गई थी. अंजलि की शादी डोर के रिश्ते दरों मे फिक्स हो गई थी. 4 महीने बाद उसकी शादी होने वाली थी. आरती का भी रिश्ता हो चुका था. उसकी शादी की डटे अभी फिक्स नही हुई थी. ज़यादा चान्स थे. अंजलि और आरती की शादी एक साथ हो जाएगी.

भावना और दीपिका की शादी दोनो बड़ी बहनो के बाद करने का सोचा था.

फिगर के मामले के राज की मा और बहने सब की सब गाज़ाब की थी. राज मोका मिलने पर किसी को भी कही भी हाथ लगा दिया करता था. कई बार उसे थप्पड़ भी खाने पड़े थे.. कभी अपनी दीदी से तो कभी अपनी मा. पर वो कभी रुकता नही था. जब मे मोका बनता, कभी गंद मे तो कभी छूट मे उंगली कर दिया करता. रात को सोते हुए भी जब उसे मोका मिलता तो अपनी किसी दीदी या मा के शरीर पर हाथ फेरने लगता..

सब उस से प्रेशन थे. घुस्से करते थे, मार लेते थे. पर राज सब का लाड़ला भी था, और इक्लोटा मर्द भी था घर का. सब उसकी गंदी हरकतों की वजा से प्रेशन थे. पर वो कर भी क्या सकते थे. राज था ही ऐसा..

राज के ऐसा बनने मे ग़लती भी राज की मा की ही थी. राज सबका दुलारा था. तो राज कई साल तक अपनी मा के साथ सोता रहा था. जब राज का पिता ज़िंदा था तो वो राज के सामने भी राज की मा को छोड़ दिया करता था. राज को बड़ी बचपन मे ही इस सब की साँझ आने लगी थी.

राज के पिता के मरने के बाद भी राज की मा राज को अपने साथ सुलाया करती. पारी के मरने के बाद, वो अपनी छूट की आग मे जलती हुई राज के सामने ही अपनी छूट खोल कर उगनलि किया करती थी. जब उसका बेटा राज उसे चूड़ते हुए देख चुका था तो उंगली करने से आराधना को शरम नही आती थी.

वो तो जब राज ने उठ कर अपनी मा की उंगली के साथ उंगली मिला कर अपनी मा की छूट मे डालनी शुरू की ताब्ब कहीं जेया कर आराधना को अंदाज़ा हुआ कह वो कितना सब ग़लत करती रही हा.

पर अब बोहुत देर हो चुकी थी.. राज बिगड़ चुका था. राज जेसे जेसे बड़ा होता गया.. राज की आदतें और भी बिगड़ने लगी.. राज कभी अपनी मा को तो कभी अपनी डीडियों को टच करने लगा.. जहाँ मॅन करता वहाँ टच करता.. शुरू शुरू मे राज की डीडिया मज़ा लिया करती थी.

जब राज की आदत पक्की हो गई. राज की सीख और भी पक्की हो गई. तो राज ने और भी खुल कर हाथ लगाने शुरू कर दिए. फिर तो सब प्रेशन हो कर रह गई.. राज को कभी कभी थप्पड़ भी पड़ने लगे.. प्र राज नही रुका

राज ने कभी हाथ से हिला कर अपना माल नही निकाला था. जब साँझ पूरी ही तो गाओं मे ही अपने लिए राज ने लंड के माल के लिए छूट ढूंड ली... राज और भी एक्सपर्ट होने लगा.

घर मे सब राज से परेशन थे. पर राज वो बन चुका था.. जो कोई मा अपने बेटे को, कोई बहें अपने भाई को बना नही देख सकती थी.

राज से गाओं मे रह रहे दूसरे रिश्तादारों की लड़कियाँ औरतें भी बच सकी थी.. राज को थप्पड़ खाने की आदत पद चुकी थी. थप्पड़ खा कर भी वो अपनी मान पसंद जगा पर हाथ लगा कर भाग जया करता था.

राज से सब ही प्यार करते थे. रिश्तेदारों के मर्दों को राज की ऐसी आदतों का कुछ कुछ पता था. पर वो ये समझते थे कह राज गाओं की औरतों के साथ ऐसा सब करता हा. अपने ही घर मे, अपने ही रिश्तादारों मे करता हा, ऐसा नही जानते थे.

राज अपनी दीदी दीपिका की छूट का पानी निकल कर हस्ता हुआ अपने कमरे मे आ गया था. सर्दी थी. पर राज नंगा होकर अपने 8.5" लंबे और 3.4" मोटे लंड को पकड़ कर सहलाने लगा..


राज हास भी रा था.. उसे अपनी मा और दीदी की छूट पर हाथ फेरने मे बोहुत मज़ा आता था.

बोहुत समय से वो अपनी मा और बहनो की छूट और दूसरे अंगों के साथ च्छेद च्छाद करता आ रहा था. अब राज सोच रहा था. अब और देर नही करेगा.. जल्द ही सबसे पहले वो मा की छूट मे घुसेगा. फिर अपनी एक एक दीदी की छूट और गंद मे..

राज अपने लंड को हिला हिला कर मज़े ले रहा था. वो मूठ नही मारता था. उसे मूठ मारने वेल लड़को से नफ़रत थी.. जब छूट मे लंड घुसा कर लंड ढीला किया जा सकता हा तो मूठ की क्या ज़रूरत हा..

राज ऐसे ही रज़ाई उपर करके सो गया.. पर उसका लंड जागता रहा.. जल्द ही वो घर की किसी की छूट मे घुसने वाला था.
 
सुबह हुई तो आराधना राज के कमरे मे राज को जगाने आई.. राज गहरी नींद सो रहा था. आराधना अपने बालों का जूड़ा बना कर क़स्सते हुए अपने इक्लोटे बेटे को निहारने लगी.. एक तो चीरघ था उसका..

चार बेटियों के बाद उसके आँगन मे आया था. बड़ा प्यार था आराधना को अपने राज से.. घर मे एक राज के कमरे मे ही बेड था. सब ने बड़े चाओ से राज के लिए ये बेड लिया था.
आराधना बेड पर बैठ कर रज़ाई हटा कर अपने बेटे को देखने लगी.

आराधना--- भगवान बुरी नज़र से बचाए मेरे बच्चे को.. कितना पायरा हा मेरा बेटा.. उम्म्म्ममममहा आराधना ने राज के गाल को चूम लिया. राज नींद मे था, उसे पता नही चला...

आराधना ने राज के सीने को नंगा देखा तो उसके दिल की धड़कन कुछ तेज़ हो गई.. वो साँझ गई आज भी उसका बेटा नंगा ही सो रहा हा, राज अक्सर नंगा ही सो जया करता था. आराधान सालों से चूड़ी नही थी. अपने बियर का लंड कई बार वो पकड़ चुकी थी. कई बार दिल भी मचला था आराधना का.. पर राज उसका बेटा था. इस लिए वो पीछे हट जया करती थी. अगर एक बार भी वो आयेज बढ़ी तो फिर वो खुद को रोक नही पाएगी.. ऐसा वो सोचा करती थी.. अपने बेटे को बिगड़ने मे भी उसी का हाथ था.. आराधना ये सब भी जानती थी.

आराधना ने डरते हुए अपने बेटे के लंड वाली जगा से रज़ाई हानि शुरू कर दी. धड़कते दिल के साथ आराधना ने अपने इक्लोटे बेटे के लंड को नंगा किया.. नज़र पड़ी तो देखा कह उसके बेटे का मोटा लंबा लंड पूरे आकार मे फुनन उठाए खड़ा था.. आराधना के दिल की धड़कन और भी बढ़ने लगी. सर्दी मे भी उसके चेहरे पर पसीना आने लगा. वो काँपने लगी.. काँपते हाथों से आराधना ने अपने बेटे के लंड को पकड़ लिया.. उसे दबा क्र देखने लगी..

"उफफफफफफफफ्फ़ कितना सख़्त हा मेरे बेटे का लॉडा काश मे इसे ले सकती.. ये संस्कारों की दीवारें ना होती. अपने पति के मरने के बाद मे तो जेसे आधी मार ही गई हों.. काश अपने बेटे का लॉडा लेकर मे फिरसे जी उठती.. कितना मॅन करता खराब होने लगता हा मेरा. जब सोते हुए मेरे बता मेरी छूट मे, मेरी गंद मे उंगली करता हा..काश मे भी अपने बेटे का साथ दे पाती.. काश एक बार मे अपने बेटे के लंड को अपनी छूट मे ले पाती. सालों की आग एक बार तो बुझ ही जाती.. कितनी किस्मत वाली होती हाँ वो जो आज भी अपने पति का लॉडा ले रही हाँ"

आराधना राज के लंड की सकती को महसूस करते हुए अपनी छूट का पानी बहते हुए सोचने लगी.. फिर जेसे वो होश मे आ गई.. जल्दी से राज के लंड को छ्चोड़ कर, रज़ाई सही करके राज को उठाने लगी.... कुछ देर मे राज भी कसमसाते हुए उठ गया.. अपनी मा को अपने बेड पर देख कर वो अपनी मा को पकड़ने ही वाला था. आराधना बेड पर से कूद गई.. और हासणे लगी.

आराधना --- आज नही मे तेरे हाथ आने वाली बच्चू..

राज-------- देखता हो कैसे नही आप मेरे हाथ आने वाली. राज भी रज़ाई साइड मे फेंक कर बेड से कूद गया.. राज नंगा था, नंगी हालत मे ही वो भाग कर आराधान को बहुँ मे भर गया... आराधना की तो साँस ही अटकने लगी थी. वो हकलाते हुए राज से बोली

आराधना --- र्र..राज बेटा पहले कपड़े तो पह्न ले.. राज को भी एहसास हुआ कह वो नंगा हा.
राज पहले तो झीपा, फिर वो हेस्ट हुए अपनी बहुँ को अपनी मा के गिर्द और भी क़स्सने लगा..

राज------ हाहाहा मा आज तो आप सही से मेरे शिकंजे मे आई हाँ.. आज तो मेरा ख़याल हा, आप भी अपना मॅन बना लें.. देखें ना केसे मेरा लंड आपनी मुन्निया को चूम रहा था..

कुछ देर पहले जितनी हालत आराधना की खराब हुई थी, एब्ब उससे भी ज़यादा खराब होने लगी थी. पर वो चाह कर भी आयेज नही बढ़ सकती थी. उसकी मुन्निया ने भी गाली होकर उसके अंदर आग भड़कनी शुरू कर दी थी. बेटा था तो क्या हुआ. था तो एक मर्द ही ना. वो भी पूरा नंगा, और बड़े लंड को उसकी मुन्निया के साथ लगाए हुए.. आराधना की हालत बदलने लगी.. पर वो खुद से भी लड़ रही थी.

आराधना---- एमेम..नही राज बेटा एमेम.. कुछ नही करना चाहती.

राज-------- अगर कुछ नही करना चाहती तो मा आपके चेहरे पर ये पसीना क्यूँ आया हुआ हा. आपकी मुन्निया भी ज़रूर पानी पानी हो रही होगी.. देखों क्या... राज अपनी मा को को चूस्टे हुए बोला..

आराधना की हालत और भी पतली होने लगी. छूट का पानी कुछ और भी रिसने लगा..छूट का पानी भी तो बहाना ही ढूनडता था, बाहर निकालने का.

राज या आराधना कुछ और बोलती.. दीपिका की आवाज़ सुनाई दी

दीपिका------ हरामी सेयेल कुत्ते, रत जो मेरे साथ किया, उससे तेरा मॅन नही भरा क्या. छ्चोड़ दे मेरी मा को.. वरना

आराधना---- दीपिका बेटी बचा मूज़े राज से. देख ना केसी हालत मे मूज़े पकड़े हुए हा.

राज भी अपनी दीदी को देख कर स्माइल करने लगा. एक आँख मार कर वो बोला

राज------ दीदी मा की जगा आप आ जाएँ ना.. सच मे मज़ा ही आ जाएगा.. मुझे भी और आपको भी.

दीपिका दोनो बाज़ुओं पर कमीज़ को उपर करते हुए आयेज बढ़ी.. आराधना दीपिका को आस भारी नज़्जरों से देखने लगी तो राज मोके की तलाश मे रहा..

दीपिका राज के पास नही गई.. वो चिल्लई

दीपिका----- दीदी वो बेलना तो ला देना मुझे ज़रा.. आज तो उसे हरामी सेयेल कुत्ते की गंद मे डाल ही देती हों..

हाहहहाहा ऐसी हालत मे भी आराधना हास पड़ी.. और राज

राक------ दीदी एक तो आप मेरी गंद के ही पीछे क्यू पड़ी रहती हाँ.. अरे दीदी मर्दों की गंद नही लंड के साथ खेला जाता हा..

भावना भी दीपिका की बात सुनकर साँझ गई थी कह माजरा क्या हो सकता हा.. वो भागती हुई आई उसके हाथ मे बेलना था.. कमरे के अंदर देख कर वो भी घुस्से मे आ गई..

भावना----- हरामी सेयेल कुत्ते तू ने आज फिरसे मेरी मा को पकड़ लिया.. वो भी बिना कपड़ों के. आज नही छ्चोड़ोंगी मे तुझे.. चल दीपिका आज तो उसकी गंद मे घुसा ही देती हाँ बेलना.. दोनो आयेज बढ़ने लगी तो राज जो हास रहा था, अपनी डीडियों के रेवर देख क्र कुछ प्रेशन होने लगा.
 
भावना और दीपिका राज की र बढ़ी तो दूसरी दो बहने भी आवाज़ सुनकर कमरे मे आ गई.. राज को नंगा देखा, वो भी मा से लिपटे हुए तो वो भी घुस्से से आयेज बढ़ी..

राज सब को आते देख कर पहले तो कुछ नर्वस हुआ.. पर फिर वो अपनी आई पर आने लगा. राज को उसकी चारों बहने हरमाई साला कुत्टता ऐसे ही नही कहा करती थी. राज सच मे ही हरमियों का हरामी था..

राज ने अपनी दीपिका और भावना को आयेज बढ़ते देखा तो एक हाथ से अपनी मा के पेटीकोआट कोट की डोरी पकड़ कर ज़ोर का झटका मारते हुए तोड़ दी.. आराधना चीख पड़ी.. राज का लंड खड़ा था. आराधना की छूट पर धारा था. सुबह का टाइम था तो आराधना सिर्फ़ ब्लाउस और पेटीकोआट मे थी.. राज ने झट से पेटीकोआट को एक हाथ से नीचे किया और अपने लंड को अपनी मा की छूट पर सेट कर दिया.. पनटी तो खुद से ही साइड हट चुकी थी. लंड को आराधान की छूट मे घुसने के लिए भी थोड़ी सी जगा चाहिए थी..

राज----- कोई भी मेरे पास आई तो मे सच कहता हों.. एक धक्का मारोंगा और मेरा लॉडा मा की छूट मे होगा.. आराधना तो पेटीकोआर की डोरी टूटते ही सन्नाटे मे गई थी. उसकी मुन्निया और भी चोने लगी थी. उसकी हालत और भी पतली होने लगी.. आज उसके बेटे की उंगली नही उसके बेटे का लंड उसकी छूट पर बिना किसी आरह के लगा खड़ा था.. आज तक राज का लंड कभी भी उसकी छूट पर डाइरेक्ट नही लगा था.. आज लगा तो उसकी हालत और भी पतली होने लगी..

राज के भाव देख कर दीपिका और भावना दोनो रुक गई..

अंजलि-- तुम दोनो रुक क्यूँ गई हो.. आयेज बढ़ो और सीखा दो आज हरामी साले कुत्ते को सबक..

आरती---- हन हाँ आज तो इसे सबक सीखा कर रहेंगी हम.. बड़ा प्रेशन कर रखा हा इसने..

दीपिका--- दीदी हमारे हरामी भाई के चेहरे के भाव तो देखो.

भावना --- और दीदी हमारे हरामी भाई के नीचे तो देखो.. केसे कुत्ते ने मा को भी नीचे से नंगा कर दिया हा..

अंजलि और आरती दोनो पीछे थी तो वो देख नही सकी थी. अब जब देखा तो पाया कह उनका हरामी साला कुत्ता भाई उनकी मा के पेटीकोआट की डोरी तोड़ कर, प्रतीकोआट नीचे सरका कर, पनटी की साइड से अपने मोटे लंबे लॉड को उनकी मा की छूट पर सेट कर चुका हा. वो भी दीपिका और भावना की तरह से र्जा को देख कर सन्नाटे मे आ गई..

राज----- हाहाहा एब्ब डालो बेलना मेरी गंद मे.. आओ आओ मेरी डीडियों आओ ना.. हाहाहा

आराधना पर किसी का ज़यादा ढयन नही गया,.. आराधना की साँस भारी होने लगी थी. आराधना के तो दिल की धड़कने बेपनाह शोर मचाने लगी थी.. उसकी मुन्निया भी आज बोहुत समय बाद भाल भाल पानी छ्चोड़ने लगी थी.. अपने बेटे के लॉड को अपनी मुन्निया पर पा कर वो बोहुत बेचैन बोहुत मस्त हो गई थी.. वो सब कुछ भूलने लगी थी.. कुछ देर पहले अपनी बेटी से कह रही थी "मुझे राज से बचाओ"

पर अब वो भी मस्त हो चुकी थी. राज साँझ रहा था अपनी मा की हालत को.. राज तो सालों से अपनी मा को तड़प्ता हुआ देख रहा था. राज जितना भी हरामी था, अपनी मा के साथ ज़बरदस्ती कभी नही करना चाहता था. बॅस च्छेद च्छाद कर मॅन बना रहा था अपनी मा का.. अपनी डीडियों के साथ भी वो हद पर कर जाना चाहता था.

चारों कुछ नही बोली तो

राज------ जाती हो तुम सब इस कमरे से या मैं एक धक्का लगा कर अपने लॉडा मा की छूट मे डाल दूं.

अंजलि--- हरामी सेयेल कुत्ते तू डाल कर तो दिखा, ऐसा डाला तो फिर कैसे बचेगा तू.

आरती---- हन दीदी सही कहा, चल डाल सेयेल हरामी, जल्दी से डाल..

अंजलि और आरती को देख कर दीपिका और भावना ने भी कुछ होसला पड़का.. वो भी बोलने लगी

दीपिका--- हरामी सेयेल तू उधर डालेगा तो मैं इधर से डाल लूँगी ये बेलना..

राज को एक बार तो लगा कह वो अब फस्स जाएगा.;. पर अपने मा को जब देखा तो अपनी मा को मस्ती मे देख कर राज के होंटो पर कमीं स्माइल आ गई.

राज----- मुझे क्या, अगर तुम सब चाहती हो कह मई मा को यहीं खड़े खड़े छोड़ दूं, तो फिर ऐसे ही सही..

आराधना भी राज की बात सुनकर कुछ होश मे आ गई.. वो अपनी बेटियों के सामने अपनी छूट मे अपने बेटे का लंड घुसता हुआ नही देख सकती थी.

आराधना--- ना ना राज बेटा अंदर मत डालना..

राज----- तो अपनी बेटियों से कह दो मा, वो चली जाएँ. आराधना ने अपनी बेटियों को आशण भारी नज़रों से देखा.. तो सब को अपनी मा पर टार्स आने लगा

अंजलि--- देख राज हम सब जेया रही हाँ.. डोर से कुछ फ़ासले पर ही हम रहेंगी.. तू मा को छ्चोड़ कर डोर बंद कर सकता हा.. इससे ज़यादा तुझे छ्छूट नही मिलने वाली..

सब बाहर चली गई.. बाहर खड़ी हो कर वो देखने लगी. राज अपनी मा के साथ लेता हुआ डोर के पास आया.. अपनी मा के कान से मोह्न लगा कर वो बोला...... मा तोड़ा सा तो चला ही गया हा. सारा ही ले लेती तो मेरे लिए और आपके लिए अच्छा होता.

आराधना के तो सारे तार ही झुनझुनाए हुए थे. बरसों बाद उसकी छूट के लबों मे एक मर्द के लंड का सूपद फँसा था. वो नशीली आँखों से अपने बेटे को देखने लगी.. फिर नज़रें झुका गई.. कुछ नही बोली..

राज को भी लगा, आज क लिए बोहुत हुआ. राज ने अपने मा के गाल को चूम कर मा को कमरे से जाने दिया.. राज ने दरवाज़ा बंद कर दिया.. और हस्ता हुआ बेड पर कूद गया.
 
राज जब तक घर मे रहा, सबकी नज़रों मे रहा. सब की सब ऐसे सावधान थी राज से, जैसे वो सब हिर्नियँ हों और राज एक शेर.. कभी भी किसी को भी किसी भी समय मे दबोच सकता था. राज अक्सर ही तो मोका देख कर फयडा उठा लिया करता था. घर मे किसी की छूट, गंद या चुचे राज के हाथों से नही बचे थे.. अक़्स्र तो राज अपना खड़ा लंड भी किसी की गंद मे चुबा दिया करता था.

राज नाश्ता करके घर से निकल गया.. आराधन्सा राज के कमरे से निकल पर अपने कमरे मे गई थी तो डोर को अंदर से लॉक लगा कर वो नंगी हो गई थी... बेड पर लेट कर अपनी 2 उंगलियाँ अपने भोस्डे मे घुसा कर बड़े ज़ोरदार अंदाज़ मे आराधना से अपनी छूट का पानी निकाला था.

जेसी हालत आज आराधना की हुई थी, ऐसी हालत पहले कभी नही हुई थी उसकी.. आज अपनी छूट मे उंगलियाँ करते हुए आराधना के पास अपने जवान बेटे के जवान लंड का एहसास भी था. उसकी छूट अभी भी राज के गरमा गरम लंड को महसूस क्र पा रही थी.. बड़े ज़ोर सेडो उंगलियाँ अपनी छूट मे आंद्र बाहर करके आराधना ने अपनी छूट का पानी निकाला था..

वो तक हाट कर बेड पर लेते हुए लंबी लंबी साँसे ले रही थी. और सोच रही थी.. आज तो बाल बाल बच गई, वरना तो गया था मेरे बेटे का लॉडा मेरी छूट मे.. उफफफ्फ़ मे भी तो सब भूल कर बस अपने राज के लॉड को लेने के लिए मचल गई थी. शूकर हा ऐसा कुछ नही हुआ..

आराधना की छूट से पानी निकला तो वो फिरसे पहले जैसी हो गई थी.. वो फिरसे खुद को राज से डोर रखने के लिए मॅन को पक्का करने लगी.. कब तक वो अपने मॅन को पक्का क्ये रह सकती थी.. राज भी तो मॅन बना चुका था. एब्ब तो वो अपना लंड अपनी मा की छूट मे के लाबो मे भी घुसा चुका था. अब तो वो पीछे नही हटने वाला था.

राज गोन मे चक्कर लगाने लगा.. राज को देख कर उसके दोस्त भागते हुए उसके पास आने लगे..

राज------ आ जाओ मा के लौदो, तुम सब की कमी रह गई थी.. सब राज के पास पोनचे तो राज की बात सुनकर हस्सने लगे.

राज के 3 दोस्त थे. विक्की 18 साल.. बिन्नी 19 साल.. जूरी 19 साल...

विक्की----- चल राज गाओं से बाहर चलते हाँ.

राज------- मा के लॉड गाओं से बाहर क्यूँ जाना चाहता हों, मुझे लेजना ही हा तो अपने घर ले जेया

बिन्नी और जूरी हासणे लगे... राज किसी को भी माफ़ नही किया करता था. सब भी राज की तरह से हरामी थे, पर राज जीतने नही. राज सबसे बढ़कर था.

विक्की------ सेयेल तेरे घर मे भी तो तेरी मा हा, तेरी चार बहने हाँ, उनके पास क्यूँ नही जाता..

बिन्नी------ हाहाहा क्यू तुझे दर लगता हा कहीं राज मेरी दीदी को ना छोड़ दे.

विक्की------ तेरी दीदी भी तो बड़ी सुड़नेर हा सेयेल. तू ले जा ना राज को अपनी दीदी के पास.. और छ्चोड़ आना दोनो को एक कमरे मे.

बिन्नी------ मुझे क्या, राज चाहे तो मेरी बहें को पता कर छोड़ सकता हा.. बाद मे मेरे ही काम आएगी.. हाहाहा.. इस बार राज भी हस्सने लगा..

राज-------- सेयेल लगता हा तू आज भी अपनी दीदी को नंगा देख कर आ रहा हा.

सब हास पड़े.

बिन्नी------ नही यार आज दीदी नहाई नही हा.

जूरी------ ज़रूर तेरी दीदी की छूट को रोक लगी होगी.

विक्की------ चेक करना था सेयेल रात को अपनी दीदी की छूट पर हाथ लगा कर, सच मे ही उसे रोक लगी हा या नही..

बिन्नी------ तू जा ना सेयेल, पहले तू अपनी दीदी की छूट चेक कर.. मे तो तुझसे अच्छा ही हों ना, जो अपनी दीदी को कई बार नंगा देख चुका हों. सेयेल तू तो डरता ही रहेगा.

विक्की------- क्या करुँग यार मूज़े सच मे दीदी से बड़ा दर लगता हा. एक बार को कपड़े बदलते देख रहा था, दीदी ने देख लिया. बड़ा घुस्सा किया था दीदी ने.. एक कस्स के थप्पड़ लगा दिया था मेरे गाल पे.. आज भी मुझे उस थप्पड़ का दर्द नही भुला..

हाहहाहा सब हासणे लगे..

राज-------- विक्की के कंधे पर हाथ रखते हुए.... वेसए मेरी नज़र हा तेरी दीदी पर. मुझे मोका मिला तो मैं तो थोक दूँगा तेरी दीदी को.

विक्की----- थोक देना सेयेल.. तू तो वेसा भी किसी को माफी नही देता.. पता नही केसे तूने अब तक अपनी मा और बहनो को छ्चोड़ा हुआ हा.

राज------- गाओं मे कोंसि कमी हा हरामी.. जब गाओं मे ख़तम हो जाएँगी तो मा बहनो के बारे मे भी सोच लूँगा.. राज हरामी था, पर दोस्तो मे रहते अपने घर की बातें कम ही किया करता था.

जूरी----- राज वो निम्मी तुझे पूच्छ रही थी..

राज------- कों निम्मी

बिन्नी----- वही तो गोन के बाहर डेरा लगाए हुए हाँ..

राज------- श अच्छा.. क्यूँ एब्ब वो क्या कहती हा.

विक्की----- क्या कहेगी राज.. वो भी तुझसे चूड़ना चाहती हा.. मुझे उसकी आँखों मे देख के लगा था. तूने उसकी सहेली को छोड़ा था ना. ज़रूर वो भी अपनी छूट गीली किए हुए होगी..

बिन्नी----- जा राज आज तो उसकी भी सील खोल ही दे.. तेरे जितना लंड और किस्मत हमारी कहाँ..

राज हस्सता हुआ सबके साथ गाओं से बाहर जाने लगा.
 
अपने दोस्तों के साथ मस्ती मज़ाक करते हुए राज गाओं से बाहर पोनच गया.. वहाँ खाना बदोश आबाद थे.. उन्ही खाना बदोशो की एक लड़की राज पर लट्तू हो गयी थी.. ;ये ये कहा जाए तो सही रहेगा.. राज ने उसकी छूट मे इतनी आग भड़का दी थी, वो राज से चुड़े बिना रह नही सकी..

शिम्मी नाम था उस लड़की का. शिम्मी को छोड़ा तो उसके कबीले के एक दूसरी लड़की निम्मी भी राज के लिए पागल होने लगी. शिम्मी की छुदाई,छूट का खून और मज़े देख कर वो भी खुद को रोक ना पाई... वो भी राज के लिए मचलने लगी.

राज को पता चला कह वो भी उससे चूड़ना चाहती हा तो राज अपने दोस्तों के साथ उसके कबीले वाली साइड मे जा पोनचा..

राज सही समय पर पोनचा था वहाँ.. निम्मी भी कुछ फ़ासले पर मौजूद थी.. जेसे उसे पता हो राज आने वाला हा.. निम्मी राज को देख कर खुश हो गई थी.

राज ने अपने दोस्तो को वापिस जाने क लिए कह दिया और निम्मी को इशारा कर दिया.. कुछ फ़ासले पर बोहुत से पेड़ थे.. राज वहाँ जाने लगा.. निम्मी भी घूम कर उसी दिशा मे जाने लगी.. राज साँझ गया साली की छूट मे बोहुत आग लगी हा..

शिम्मी ने निम्मी को देख लिया.. उसने निम्मी को आवाज़ लगा दी.. निम्मी शिम्मी को देख कर भी चलने लगी, तो शिम्मी निम्मी के पीछे हो ली. निम्मी और शिम्मी चलते हुए कबीले से बाहर पोनचे




शिम्मी---- कहाँ जा रही हा निम्मी

निम्मी----- शर्मा क्र.. राज से मिलने..

शिम्मी---- हेस्ट हुए.. ओये होये मेरी लाडो भी राज से चूड़ने जा रही हा.. निम्मी का चेहरा शर्म से लाल हो गया.. वो शिम्मी को मुक्का मरने लगी और शिम्मी हासणे लगी.

दोनो चलती हुई उसी जगा पोनच गई, जहाँ राज ने शिम्मी की सील खोली थी.. राज दोनो को देख कर खुश हो गया.. चलो आज निम्मी की सील खोल कर एक बार फिरसे शिम्मी को भी वो छोड़ देगा..

राज----- आ गई तुम दोनो मेरी फुलझड़ियो. राज अपने लंड को मसालते हुए बोला. शिम्मी जा कर राज के गले लग गई.

राज----- साली बड़ी आग लदी हा तेरी छूट मे..

शिम्मी ने राज को एक किस किया.... तूने ही तो लगाई हा आग मेरी छूट मे राज.. वरना तो मैने पहले कभी किसी के साथ ऐसा सब नही किया था.

राज----- शिम्मी के चुचे मसालते हुए.. तू हा भी तो बड़ी मस्त चीज़. तेरे ये चुचे सेयेल मुझे रत भर सोने नही दिया करते थे.. एब्ब इनका दूध पिया हा तो चैन से हों..

शिम्मी---- आज भी पीओगे ना तुम राज मेरा दूध.. तुम तो आज निम्मी के साथ करने वेल हो ना.. मैं तो ऐसे ही चली आई.

राज----- अब तू आई हा तो तुझे ऐसे तो नही जाने दूँगा.. चल साइड हट और मुझे निम्मी से मिलने दे..
निम्मी वही खड़ी रही. राज चलता हुआ उसके पास गया. निम्मी के एक चुचे पर हल्का सा थप्पड़ मार दिया.. निम्मी चीख पड़ी.

राज------- साली तू इतनी मस्त होके भी इतने दीनो से मुझसे डोर रही.. इतना कह के राज ने निम्मी के सर को पीछे से पकड़ा और निम्मी के होंटो को होंटो मे लेकर चूसने लगा.. निम्मी को किस करनी नही आती थी.. वो बस राज की किस का मज़ा लेना लगी.. कुछ देर राज ने निम्मी के होंटो का रस पिया.. फिर वो शिम्मी से बोला

राज------- चल साली नीचे कपड़े बिच्छा.. ष्ममी कपड़े बिच्छाने लगी और निम्मी की चोलो खोलने लगा.. जल्द ही राज ने शरमाती निम्मी को उपर से नंगा कर दिया.. फिर राज निम्मी को लेकर एक पेड़ के साथ बिता कर खुद भी नंगा होने लगा.. राज का लंड तो दोनो को देख कर ही खड़ा हो गया था.

राज ने शर्ट उतार कर अपने लंड को सीधा निम्मी के मोह्न से लगा दिया. निम्मी राज को फिर ष्ममी को देखने लगी..

राज------- उधर क्या देख रही हा साली.. चल मोह्न खोल और ले मेरे लंड को अपने मोह्न. चूस मेरे लंड को. तू भी मज़ा ले और मुझे भी लेने दे.. तेरे गरम मोह्न का सवद चखना हा मेरे लंड को.. चल जल्दी से खोल मोह्न..

निम्मी से राज ने ज़यादा बात नही की थी. जब निम्मी चूड़ने ही आई थी तो फिर देर काहे की करनी.. गाओं से बाहर पेड़ों मे थे. कोई भी आ सकता था. जल्दी जल्दी सब करना था.

निम्मी राज के लंड को मोह्न मे लेकर चूसने लगी.

ज़यादा तो उसे पता नही था. ज़िंटा शिम्मी को करते देखा था, उस याद करके वो भी राज के लंड को मोह्न मे लेकर चूसने लगी. राज निम्मी को, शिम्मी को देख कर मज़े लेने लगा..

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद राज ने अपना लंड निम्मी के मोह्न से हटाया.. निम्मी को पूरा नंगा करके राज खुद भी नंगा गया... राज झुका और निम्मी की छूट को मोह्न लगा गया.. निम्मी की छूट के लाबो प्र जीब चला कर निम्मी की छूट पा पानी चाटने लगा.


निम्मी तो राज की गरम जीब अपनी छूट पर पा कर मचलने लगी थी. उसकी सिसकयँ निकालने लगी.. मज़े से उसका बुरा हाल होने लगा.

कुँवारी छूट के पानी की बात ही अलग होती हा.. राज का लंड मज़े मे आते हुए झटके मारने लगा.. शिम्मी ये देख कर अपनी छूट मे उंगली करने लगी...वो भी नंगी हो गई थी.

कुछ देर छूट चाटने के बाद राज ने निम्मी को लिटा दिया... रन ने निम्मी को देखा

राज-------- बोल साली डाल . तेरी छूट मे अपना . लंड.

निम्मी जानती थी राज कैसे . हा.. शिम्मी की छूट मे भी राज ने लंड . तक नही डाला था, जब तक शिम्मी किसी . की तरह ना बोलने लगी थी.

निम्मी ----- हन राज . दो आज तुम मेरी छूट को भी. जेसे शिम्मी की छूट को . था. खोल दो मेरी छूट के . . राज.. निकल दो . सारा खून मेरी छूट से राज.

राज---------- हाए साली तू कितनी उतावली हो रही हा मेरे लंड के लिए.

निम्मी----- क्या करती राज तूने शिम्मी की तरह मेरी छूट मे भी आग लगा दी हा. बोहुत खुद को समझतम, पर दिल नही माना.. आज वो दिन आ गया हा.. आज तो तुमसे चुदके दिल की सारी हस्रातें पूरी होने वाली हाँ..

राज ने निम्मी को एक ज़ोरदार किस की.. फिर अपने मोटे लंड को निम्मी की छूट के लाबो मे सेट किया.. लंड का सूपद छूट के च्छेद पर सेट हुआ तो राज ने पूरे ज़ोर का धक्का मार दिया. निम्मी चीख पड़ी.. शिम्मी ने जल्दी से कपड़ा उठा कर निम्मी के मोह्न मे थॉंस दिया.. राज ने कुछ सेकेंड की ब्रेक ली.. राज निम्मी और शिम्मी को देख कर स्माइल करने लगा..

राज का लंड निम्मी की सील खोल चुका था, खून के कतरे निम्मी की छूट पर चमकने लगे था. राज खुश हो गया, एक सील और खोल कर.. राजा ने निम्मी के चुचो को मोह्न मे लिया और अपने लंड को हिलाते हुए एक धक्का और मार दिया. इस बार निम्मी चीख नही सकी. उसका मोह्न बंद था. उसकी आँखों मे आए आँसू बहने की स्पीड तेज़ हो गई. वो राज को दर्द भरे भाव से देख रही थी. शिम्मी यो राज के लंड को देख कर गरम थी. उसे अपनी साएहली की कोई चिंता नही हो रही थी. राज ने तोड़ा तोड़ा करके अपना सारा लंड निमी की छूट मे घुसा दिया.

निम्मी तो जेसे मरने वाली हो गई थी. शिम्मी का दुपट्टा खून से टाँगने लगा था.. राज निम्मी के दूध . हुए निम्मी को . लगा.. कुछ . . राज के लंड की . . से निम्मी की छूट मे पानी आने लगा तो उसे कुछ चैन मिला.. राज पूरा पूरा लंड निकल निम्मी को छोड़ रहा था. निम्मी . लेने लगी. जब उसका मज़ा . तो वो बोल पड़ी..

निम्मी--- उम्म्म्म उफफफफ्फ़ अहह ह राज्ज्जज और तेज़ तेज़ करो माआ एयाया हह उफफफ्फ़ उम्म्म्मम राआआआआआआआजजजज्ज्ज्ज और तेज़ छोड़ो मुझे राज और तेज़.. राज भी ज़ोर ज़ोर से निम्मी को छोड़ने लगा..


कुछ देर मे निम्मी काँपते हुए झड़ने लगी.. राज को निम्मी की टाइट छूट से लंड निकालने का मॅन नही था. वो गाओं से बाहर था, जल्दी दोनो को छोड़ कर जाना भी था, कोई भी इस तरफ आ सकता था.

राज ने लंड निकल कर शिम्मी को घोड़ी बना दिया.. फिर राज शिम्मी को जाम कर छोड़ने लगा.


शिम्मी तो बोहुत देर से गरम थी. जल्द ही उसकी छूट भी पानी पानी होने लगी. ष्ममी झड़ी तो कुछ देर मे राज भी शिम्मी की छूट से लंड निकल कर शिम्मी की पीठ पर झड़ने लगा..

राज भी हांपने लगा था. शिम्मी भी हांप रही थी.. कुछ देर बाद राज ने अपने कपड़े पहने और दोनो को उनके हाल पर छ्चोड़ कर निकल पड़ा..

राज खुश खुश अपने दोस्तों के पास पोनचा तो वो सब राज को देख कर ज़ोर ज़ोर से हस्सने लगे.. ऐसे ही सब के सब लुचे लफंगे थे.. राज भी उनके पास पोनच कर हस्सते हुए बोला

राज------ मर्डारचोड़ो क्यूँ हस्स रहे हो.

विक्की---- सेयेल तूने आज एक और सील खोल ही दी..

बिन्नी---- पता नही हमारे नसीब कब खुलेंगे.. साला हुमें तो सिर्फ़ गाओं की भॉड़सा बनी छूट ही पेनले को मिलती हाँ.

जूरी ---- सच मे बिन्नी यार अब बूढ़ी छूट मार मार कर दिल खराब होने लगा हा. कहीं से कोई कुँवारी लड़की मिले तो उसे छोड़ा जाए. तब ही मज़ा आएगा..

राज------- चलो यार आज शहर चल कर कुछ मस्ती ना की जाए

तीनो----- हन हन चलो याद, बोहुत दीनो से शहर का माल भी नही देखा.. कसम से यार गाओं की सुंदरता के आयेज शहर कुछ भी नही हा.. पर यार गाओं मे सादगी हा और

राज-------- हाहाहा और शहर मे तुम तीनो की मा बहने नंगी घूमती हाँ..

तीनो भी राज के साथ मिलकर हासणे लगे.
 
राज के दोस्तो मे जो जूरी था, उसका सही नाम मंज़ूर था. गाओं मे कई मुस्लिम खदान भी आबाद थे. मंज़ूर का घर भी उन्ही खंदंो मे शामिल था..

मंज़ूर उर्फ जूरी भी अपने दोस्तो की तरह आवारा था. स्कूल से भागा हुआ ही नही था जूरी, जूरी काम चोर भी था, अक्सर घर के कामो को करने मे आना कानी कर जया करता था.

सारे दोस्त मिलकर गोन से बाहर चॉक पर जाने लगे.. जहाँ से बस गुज़रती थी बस मे बैठ कर सब शहर जाने वेल थे. रास्ते मे ही चाओर्न लफंगो को जूरी की मा और बहें आते हुए दिखी. जूरी के घर मे पर्दे का रिवाज नही था. जूरी की मा और बहें शलवार कमीज़ और दुपट्टे मे थी.

जूरी की मा और बाहें ने सब को देखा, तब सब चारों भी उनके पास पोनच चुके थे.

जूरी मा---- कहाँ जा रहे हो तुम सब आवारा कहीं के...

जूरी ---- अम्मी हम शहर जा रहे हाँ.

जूरी मा---- क्यूँ वहाँ किस मा से मिलने जा रहे हो तुम सब.. वो सब को घूरते हुए बोली.. जूइर की सिस्टर राज को मीठी नज़रों से देखा करती थी, अब भी वो मंद मंद मुस्कान होंटो पर सजाए राज को देख रही थी. सब दोस्त भी जानते थे. जूरी की सिस्टर राज को ताड़ती हा.

राज ----- हस्सता हुआ... मासी ये तो आपने सही कहा. हम शहर सच मे ही अपनी किसी मा से मिलने जा रहे हाँ. चलें आप भी हमारे साथ. कसम से बोहुत मज़ा कराएँ आपको और नयी मा से भी मिलवा देंगे आपको.. जूरी की बहें की मुस्कान और भी गहरी हो गई. जूरी भी हँसे बिना नही रह पाया. जूरी की मा राज को घुस्से से देखने लगी. फिर वो भी हासणे लगी.

जूइर मा---- तेरे आयेज तो आराधना की बस हा राज बेटा. मैं किस खेत की मूली हों. जाओ तुम सब जाओ, मुझे पता हा तुम किसे के कहने पर रुकने वेल हो नही.

राज जूरी की मा को गले लगा कर थॅंक्स बोलने के लिए आयेज बढ़ा तो वो दो कदम पीछे हट गई

जूरी मा -- नही नही तुम वहीं खड़े रहो. पता है मुझे तुम्हारा और तुम्हारा मिलना. हस्सते हुए अपनी बेटी का हाथ पकड़ा और जाने लगी. जूरी की बहें पीछे मूर मूर कर राज को देखने लगी.

राज उसे जाते हुए देखने लगा.

राज---- जूरी सेयेल तू ने नही देखा कभी अपनी मा को नहाते हुए.

बिन्नी और अक्की हस्सने लगे. जूरी हंसा नही.. वो बोला

जूरी ---- हम तेरी तरह नही हा सेयेल.. पता नही तू कैसी किस्मत ले कर आया हा. जो तू किसी से भी बात करते हुए नही डरता.. मेरे सामने भी तू मेरी मा और बहन पर लाइन मारने से बाज़ नही आता. उपर से साला हमारा घर के बातरूम का दरवाज़ा भी पुराने लोहे का हा. बड़ी मोटी चादर का बना हुआ हा. मज़ाल हा जो एक छ्होटा सा भी च्छेद बन सके.

हाहहाहा जूरी की बात पर सब हस्सने लगे.. हेस्ट हेस्ट वो सब चॉक पर पोनच गये.

राज कामों मे ही हरामी था. वरना सूरत मे वो एक शहज़ादा दिखता था. शलवार कमीज़ पह्न ले या पंत शर्ट, पूरे गाओं मे उसके जैसी पर्सनॅलिटी वाला कोई नही था. ये बात भी सब जानते थे. राज के दोस्त इस मामले से अक्सर राज से जल भी जया करते थे.

चारों चॉक पर पोनचे तो बस के इंतेज़ार मे कुछ और सवारियाँ भी खड़ी थी. सब चारों हरमियों को आते देख कर मोह्न टेढ़ा करने लगी. चारों हरामी सब को देख कर हासणे लगे. 3 लड़कियाँ और 2 औरतें भी वही खड़ी थी. वो कभी कभी चारों को देख लेती थी.. एक औरत राज को देख कर खुश थी, तो दूसरी औरत कुछ प्रेशन हो गई थी राज को देख कर. राज भी उसे देख कर हरमियो वाली मुस्कान देने लगा.

उस औरत का नाम गौरी था, उसकी उमर 40 के करीब थी, उसके साथ उसकी 18 साल की बेटी पिंकी भी थी. राज ने कई बार उसके घर मे रात के समय घुस कर खट्टिया पर सो रही गौरी की छूट मे उंगली की थी. वो बेचारी शोर भी नही कर सकती थी. कहीं उसकी बदनामी ना हो.. राज ने एक बार गौरी को मूटते हुए देख लिया था. राज को गौरी की छूट बोहुत भा गई थी. राज तब से ही गौरी की छूट के पीछे पड़ा हुआ था.. जब भी उसे मोका मिलता, गौरी की छूट मे उंगली कर दिया करता था. गौरी राज को देख कर प्रेशन हो गई थी. बस मे रश की वजा से कहीं राज फिर ना उसके पास आ कर उसकी छूट मे उंगली करने लगे.. ऐसा हुआ तो वो तो फिर बस मे ही गीली हो जाएगी. कैसे फिर वो अपनी गीली छूट को सॉफ करेगी. सारे रास्ते ही छिचापा रहेगा.

छूट गीली तो बाद मे होती.. अभी तो उसके चेहरे पर पसीना इतना आने लगा था, वो बार बार अपने दुपट्टे से अपने चेहरे को सॉफ कर रही थी. पीकी पर राज ने नज़र नही करी, पहले उसकी मा की तो मार ले. पिंकी को भी वो देख लेता..

कुछ देर मे बस आती हुई दिखाई दी. जैसे ही बस पा आई, बस पहले से ही खचा खच भारी हुई थी. गौरी बस मे स्वर ना हो कर राज को देखने लगी. वो चाहती थी, उसे और उसकी बेटी को वहाँ जगा मिले जहाँ, जहाँ हरामी राज ना हो..

पर ऐसा होना मुश्किल था, देरी करती तो फिर बस मे खड़े रहने को भी जगा ना मिलती. वो भी अपनी बेटी का हाथ पाकर कर जल्दी से बस पर चाड़ने लगी.. राज फॉरन ही गौरी के पीछे पोंछ गया. गौरी ने एक पैर बस के पायेदं पर रखा तो राज ने उंगली टेडी करके गौरी की छूट मे घुसा दी..

बड़ी मुश्किल से गौरी ने अपनी चीख रोकी.. मूड क्र राज को भी नही देखा उसने.. गौरी बस मे सॉवॅर हुई तो राज उसके पीछे था. पीछे राज के हरामी दोस्त भी बस मे सॉवॅर हो गये.. कुछ देर मे बस चल पड़ी.

राज शिम्मी निम्मी को छोड़ कर भी मूड से बाहर नही हुआ था. गौरी की छूट की गर्मी वो गौरी के पीछे खड़े होकर बोहुत अच्छे से महसूस कर पा रहा था.
 
राज बस मे गौरी के पीछे लग कर कहदा हो गया. पिंकी की पीठ अपनी मा की र थी. पिंकी नही जानती थी उसकी मा पर क्या मुसीबत नज़िल हुई हा.

राज ने अपने लंड को अंडरवेर से निकल क्र साइड कर दिया था. राज का लंड गौरी की गंद से लगते ही खड़ा हो गया. गॉडी पसीने भरे से चेहरे से मूड कर राज को देखने लगी. राज हरमीों वाली स्माइल देने लगा. गौरी जानती थी राज से कुछ भी कहे गी तो राज नही सुनेगा. सर्दी के कारण सब ने कुछ ना कुछ पहना हुआ था. राज और गौरी के नीचे वाला एरिया नही दिख रहा था.

राज ने अपना हाथ आयेज बढ़ा क्र गौरी की कमीज़ को साइड मे करके गौरी की छूट पर रख दिया. गौरी ने अपने होंटो को दबा कर अपनी सिसकी रोकी.

राज ने मोह्न गौरी के कान से लगा कर कहा.. साली तेरी छूट भी पानी छ्चोड़ रही हा. फिर भी तू मुजसे डोर भागती हा.... गौरी कामपति हुई धीरे से बोली

गौरी--- राज बेटा देख मे तेरी मा बारबर हों, मुजपर तू दया कर..

राज--- नही कर सकता मेरी जान, तेरी छूट ने मूज़े दीवाना बना दिया हा. एक अब्र तो तुझे मेरा लंड लेना ही पड़ेगा. सर्दी मे भी गौरी का पसीना कम नही हो रहा था.

पिंकी ने मूड क्र देखा तू अपनी मा के चेहरे को पसीने से बहरा देख कर वो बोली..

पिंकी---- मा इतनी सर्दी मे आपको पसीना आने लगा हा, तबीआट तो ठीक हा ना

गौरी क्या बोलती राज बोल पड़ा. जिसका चेहरा गौरी के चेरहे के बारबर ही था.

राज----- पिंकी तेरी मा की हालत सही नही हा. तू क्यू इसे लेकर निकल पड़ी.. पिंकी राज की बात सुनक्र प्रेशन हो गई.

गौरी----- नही नही मे ठीक हों पिंकी बेटी. तू सामने देख. राज का हाथ गौरी की पनटी की साइड से गौरी की छूट के लिप्स मे घुस कर हरकत कर रहा था. गौरी बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकियाँ दबाए हुए थी. पिंकी फिरसे मोह्न सामने कर गई..

पूरे रास्ते राज का हाथ नही रुका.. गौरी की छूट मे मची हुलचल से गौरी भी मज़े लेने पर मजबूर हो गई.. आज राज की वजा से तीसरी बार वो झड़ी थी. कुछ कर भी नही स्काती थी. वो संकारों वाली थी. राज के साथ आयेज बढ़ नही सकती थी. पर उसे भी राज के ऐसे करने से मज़ा मिलने लगा था. प्र गौरी और टाइप की थी, राज को हर बार देख कर वो घबरा जया करती थी. उसकी इतनी हिम्मत नही होती थी, वो राज से साथ आयेज बढ़ सके. राज अपने लंड को हल्के हल्के गौरी की गंद पर पूरे रास्ते दबाता रहा था.. गौरी की हालत राज ने बोहुत खराब कर दी थी.

शहर आया तो राज ने रश का फ़यद उठा कर गौरी के गाल को चूम लिया. गौरी एक बार तो हिल ही गई थी. वो इधर उधर देखने लगी. कहीं किसी ने देख तो नही लिया. प्र किसी की नज़र नही पड़ी थी. गौरी ने सुख की साँस ली.. अब उसे बस से उतार कर अपनी छूट को सॉफ क्रना था. जिसका पानी रिस्ता हुआ उसकी जांगों तक पोनच गया था. बड़ी उलझन होने लगी थी गौरी को अपनी छूट के पानी से.

बस से उतरे तो चारों हरामी एक साथ एक साइड मे बढ़ने लगे

बिन्नु --- सेयेल निम्मी को छोड़ क्र आया हा तू फिर भी तूने गौरी के साथ इतनी मस्ती कर ली.

राज---- मस्ती नही करी हा बहेनचोड़.. आज फिरसे उसकी छूट का पानी निकाला हा मैने. देखना 2-4 दिन मे ही वो मेरे लंड के लिए मचलने लगेगी.

विक्की---- नही राज गौरी तेरे नीचे नही आएगी.. देखा नही था केसे वो तुझसे दर गई थी.

जूरी----- गौरी मे हिम्मत नही हा राज. वो कभी तेरे साथ कहीं अकेले न्ही जाएगी. बोहुत डरती हा वो.

राज---- एक बार मेरा लंड उसकी छूट मे चला गया ना तो सारा दर निकल जाएगा उसका. राज हस्ता हुआ बोला.. टेनो हरामी भी हासणे लगे. चारों फिर मिलकर शहर मे घूमने लगे. राज ने अपने लंड को फिरसे अंडरवेर मे कर लिया था.

राज चारों मे सबसे अलग दिखता था. तीनो राज के साथ चलते हुए औतोमटल्ली राज को ही अपना गुरु मान कर चलते थे, और राज साला भी सब के बीच सबसे अलग तौर के साथ चलता था. हरमियों वाली सारी खूबियाँ राज मे फेस प्र दिखती थी.

बिन्नी --- राज चल ना आज किसी लड़कियों के स्कूल के पास चलते हाँ

विक्की----- तेरा बड़ा मान है शहर की चिकनी लड़कियो को देखने का

जूरी----- सही कहा तूने बिन्नी, साला शहर की लड़कियाँ स्कूल की वर्दी की कितनी गाज़ाब की दिखती हाँ

राज----- हस्ता हुआ, तेरी बहें से तो कम ही दिखेंगी.. सब हासणे लगे... च्छुटी होने वाली होगी तब किसी स्चोल की र चलेंगे

चारों शहर घूमने लगे. चारों शहर की हर लड़की हर औरत को बड़े घोर से देखते, उनको देख कर एक दूसरे से बातें करते, लड़कियों के फिगर को डिसकस करते.. एक राज ही था जिसमे हिम्मत थी. राज का मॅन होता तो शहर की किसी भी लड़की या और्त के पास जा कर पास कर लेता था. मॅन होता तो मोका देख कर हाथ भी लगा जया करता था.राज को ऐसा सब करने मे बड़ा मज़ा आता था.

एक बेज़ार दिखा तो राज सबको लेकर बेज़ार मे घुस गया. अंदर बड़ा रश था, लड़कियाँ और औरतों की मंदी लगी हुई थी. राज सब को देख कर कखुश हो गया. राज ने एक बार अपने लंड को मसला, फिर सब के साथ बेज़ार मे परवेश कर गया.

बिन्नी, बिककी और जूरी गरम जवानियों को देख क्र ललचाने लगे. राज तीनो को देख कर हासणे लगता.

बिन्नी------ राज आज तो मे भी किसी की गंद मे उंगली ज़रूर करूँगा

विक्की----- और मे भी.

जूरी----- सेयेल पिच्छली बार भी ऐसा किया था तुम दोनो ने.

राज----- और बड़ी मुश्किल से भाग कर जान बचाई थी. राज हस्ता हुआ बोला.. सालों तुम मे इतनी हिम्मत नही हा तो ना किया करो ऐसा सब. डोर से देख कर ही मज़े ले लिया करो. और फिर तुम सब के फेस भी ऐसे हाँ कोई भी देख कर घुस्सा करेगी. सेयेल टपोरी कहीं के.

27- 28 साला एक लड़की को देख कर राज आयेज बढ़ा.. तीनो उसे देख कर कुछ पीछे हट गये. वो जानते थे राज अपने माल को हाथ से निकलता हुआ नही देख सकता. उस लड़की के हाथों मे एक बेबी था, साथ एक बूढ़ी औरत भी थी. राज उस लड़की के पास पोनचा.

राज ------- दीदी मूज़े आपकी हेल्प करने को मॅन हा.. राज के चेहरे पर हरमियो वेल सारे भाव ख़तम होकर मासूमो वेल बन गये थे. राज की आँखों मे भी मासूमियत आ गई थी. लड़की और बूढ़ी औरत राज को देख कर खुश हो गई.

बूढ़ी--- श्क्रिया बेटा, आज कल कों किसी के काम आता हा.

लड़की ---- शुक्रिया भाई मूज़े ज़रूरत नही हा..

राज------ नही दीदी आपके पास बेबी भी हा और एक हाथ मे बाग बी. मूज़े अच्छा नही लगेगा. प्ल्ज़ दीदी मूज़े आपकी हेल्प करने दे ना... लड़की ने बाग नही दिया राज को कहीं लेकर भाग ही ना जाए. हाँ अपना बेबी उसने राज को पकड़ने को बोल दिया. राज ने बेबी पकड़ने के बहाने अच्छे से लड़की के चुचे दबा दिए.. लड़की ने चोंक क्र राज को देखा, पर राज के तो चेहरे पर मासूमियत का तठें मारता समंदर था. लड़की नॉर्मल हो गई. बूढ़ी भी खुशी हो गई. राज लड़की और बूढ़ी के बीच चलने लगा.

बिन्नी--- सेयेल को देखो, कितनी जल्दी दोनो मा बेटी पर अपना विश्वास बना लिया.

विक्की--- पता नही हुममे कब आएगी ऐसी कला

जूरी----- मूज़े तो लगता हा जिस दिन हुँने अपने अपने घर की छूट मार ली ना, उसी दिन हम भी मास्टर बन जाएँगे... जूरी हेस्ट हुए बोला तो बिन्नी और बिककी भी हासणे लगे.

राज चलता हुआ बेज़ार के दूसरे रास्ते से बाहर निकल गया. लड़की और बूढ़ी शॉपिंग करके फ्री हो चुकी थी.. वहाँ पास मे ही एक रिक्कशे वेल को देख क्र बूढ़ी बोली

बूढ़ी----- थॅंक्स बेटा, तुम ने बड़ा मान दिया मूज़े और मेरे बहू को. तू ना भी होते तो हम आ जाते. पर तुम्हे देख कर मॅन को बड़ी ख़ुसी मिली हा बेटा.

राज--- आप भी तो मेरी मा ही हा ना मा जी. और दीदी मेरी दीदी. केसे मे आपकी हेल्प ना करता.. अपनू की हेल्प करके तो दिल खुश हो जाता हा..

दीदी----- अच्छा लगा तुमसे मिलके भी भाई.

बूढ़ी---- अच्छा बेटा अब हम चलते हाँ. फिर मिलेंगे..

राज ने बेबी लड़की को वापिस कर दिया. एक बार फिरसे राज ने लकड़ी के चुचे को पकड़ कर कस्स के दबा दिया.. लड़की फिर राज को देखने लगी. राज बेबी को देख कर बेबी के साथ खेलते हुए लड़की के चुचे दबाने लगा.. लड़की अब समझी कह लड़का कैसा हरामी लड़का हा. अपनी सास के सामने वो बोल भी नही सकती थी. वरना उसकी सास हर किसी को ग़लत मानती.. कुछ देर तक राज लड़की के चुचे दबाता रहा. लड़की की मुन्निया भी नीचे से गीली होने लगी थी. वो राज को देखती रही.फिर राज ने लड़की की आँखों मे देख एक स्माइल दी और झट से लड़की के गाल पर किस कर दी.. लड़की शॉक्ड हो कर देखने लगी.

राज मुड़ा और लड़की की सास को देख कर बोला.

राज------ मा जी एक भाई अपनी दीदी को किस भी नही कर सकता क्या

सास---- क्यूँ नही बेटा, ये बुरी बात थोड़ी हा, ये भी तो प्रेम हा..

राज बूढ़ी के गले लग गया... वो सब रिक्कशे की साइड मे थे. तीनो हरामी दोस्तो के सिवा किसी की नज़र नही पद सकती थी. राज बूढ़ी के गले लग के.

राज----- मा जी, एक मा के साथ गले मिलके अपनी मा का एहसास होता हा..

लड़की सास-- क्यूँ बेटा, तुम भी तो मेरे बेटे हो. एक मा और बेटा तो गले मिलते ही रहते हाँ... राज ने और भी कस्स लिया बूढ़ी को.. लड़की राज को बड़े ढयन से देखने लगी.

राज लड़की की सास को गले लगते हुए सास की टाँगों के बीच मे हाथ ले आया और बिना देरी के, बिना डरे राज सुकून से बूढ़ी की पनटी की साइड से बूढ़ी की छूट मे उंगली करने लगा.. बूढ़ी को झटका लगा.. लड़की को भी ये देख कर झटका लगा था. लड़की कुछ बोली या ही लड़की की सास.. दोनो तो शॉक्ड रह गई थी..

राज सुकून से बूढ़ी के गले से लगे हुए उससे प्यार भारी बातें करते हुवे उसकी छूट मे उंगली करने लगा. देर नही लगी और बूढ़ी की छूट मे पानी आने लगा.. राज तो फुल्ली एक्सपर्ट था. ऐसी उंगली चाली कह बूढ़ी भी तर तर काँपते हुए पानी छ्चोड़ने लगी. उसे मज़ा आने लगा था. वो राज को रोक नही पाई. वो तेज़ साँस लेते हुए अपना सर राज के सर पर गिरा गई. लड़की अपने मोह्न पर हाथ रख कर राज को देखने लगी.

कुछ देर मे राज ने बूढ़ी की छूट से पानी निकल दिया. फिर बूढ़ी को छ्चोड़ दिया.. एक किस करके राज वहाँ से चल दिया. बूढ़ी ने रिक्कशे को पकड़ कर खुद को गिरने से बचाया.

बूढ़ी अपनी बहू को देख कर नज़रें चुराने लगी. लड़की मॅन मे हरामी साला कुत्ता कितना मासूम दिख रहा था. मेरे साथ और मेरी सास के साथ कितना कुछ कर गया..

बूढ़ी सोचने लगी.. उफ़फ्फ़ हरमाई ने तो मुझे भी इस उमर मे जन्नत दिखा दी.. हाए कितने बरसों बाद मेरी छूट ने पानी छ्चोड़ा.. हाए कितने सुकून से हो गई हों मई.

दोनो रिक्कशे मे बैठी और अपने घर जाने लगी. राज अपने दोस्तों के साथ बेज़ार से निकल कर शहर मे घूमने लगा.. तीनो राज को देख कर हेरान थे, आज तो राज ने 100 ही मार दी थी. इतना तो राज ने पहले कभी नही किया था.

राज बस तीनो को देख कर हस्स रहा था.
 
दीपिका ---- मा हमारा हरामी भाई अभी तक नही लौटा अभी तक.

आराधना------ होगा अपने दोस्तों के साथ

भावना------ क्यू याद आ रही हा उस कुत्ते की

दीपिका------ एक ही तो भाई हा हमारा चिंता तो रहेगी ना

आरती-------- टा नही क्यू वो ऐसा बन गया हा

अंजलि------- सब हमारे लड़ प्यार की वजा से हुआ हा आरती. हुँने भी तो उसके सामने कभी शरम नही करी थी

आराधना----- सब मेरी ग़लती हा अंजलि बेटी, ना मई उसको इतने साल अपने साथ सुलाती और ना ही वो बिगड़ता

आरती-------- हम सब की ग़लती हा इसमे मा. आप खुद को दोष मत दें

अंजलि------ मूज़े तो कभी कभी चिंता होने लगती हा कहीं मेरी शादी से पहले ही मेरे साथ सब ना कर जाए.

भावना और दीपिका हस्सने लगी...

भावना---- क्यू दीदी शादी के बाद कोई चिंता नही रहेगी आपको हमारे हरामी भाई की

आधना भी हास पड़ी. अंजलि शर्मा क्र साइड मे देखने लगी

आरती----- सच कहूँ तो मूज़े भी बड़ी चिंता हा अपने कुंवारेपन की. हर रात दर रहता हा कहीं वो हरामी कुछ कर ही ना दे.

दीपिका --- हहहे अगर ऐसा हुआ तो हमारा जीजू को रास्ता खुला मिलेगा. फिर उसे भाग कर भी अंदर घुसेगा तो तो थके गा नही.

घर मे कोई मर्द नही था, राज के कारण सब खुल कर बात करने की आदि हो चुकी थी. आराधना भी अपनी बेटियों की बात सुनकर हासणे लगी थी.

आराधना---- देखो तुम सब हमारा एक ही वेराइस हा, एक ही चीरघ हा हमारा. हम सब के जिगाड़ का टुकड़ा भी हा वो. उससे बच के रहना पर उसका दिल ना टूटने देना.

अंजलि------ दिल्ल्ल्ल्ल्ल... मा उस हरामी के पास दिल ही तो नही हा.

आरती----- खोते जैसा लंड ही हा बस उसके पास.. आरती हेस्ट हुए बोली.

भावना---- हरामी को शरम नही आती किसी को भी कहीं भी हाथ लगा देता हा.

दीपिका---- रात तो हमारा कुत्ते भाई ने मेरी छूट मे उंगली कर दी थी. और मे भी बेवक़ूफ़ नींद मे भाई के हाथ के मज़े लेते हुए झाड़ गई... डीकीपा अब हास कर बात कर रही थी.

आराधना--- क्या कर सकती हाँ हम राज का.. कुछ भी तो नही. और फिर तुम सब ने देखा नही हा. जितनी भी कामींगी वो करता हा, आखरी हद तक वो कभी नही गया.

दीपिका --- इसी लिए तो बचा हुआ हा मा, वरना मैं उसका सर ना खोल कर रख देती.

भावना----- गाओं मे क्या क्या गुल खिला रखे हाँ उसने, कुछ पता हा आपको मा.

आराधना -- सब जानती हों मे भावना बेटी. पर गाओं वालियान भी राज के मज़े लेती हाँ. वो सब भी पता नही क्यूँ राज को लेके कुछ ज़यादा नही बोलती

अंजलि--- ये सब पिता जी की वजा से हा मा और चाचा जी की वजा से. पिता जी से भी तो सब कितना प्यार करते थे. राज हा तो हरामी पर है भी तो पिता जी की आखरी निशानी.

आरती ----- और चाचा जी भी तो गाओं वालून के साथ कितने प्यार से रहते हाँ. कितनी मदद करते हाँ वो गाओं वालून की. कितने काम आते हाँ वो गाओं वालून के.

" जो भी हा, पर के दिन वो हरामी साला कुत्ता मेरे हाथों ज़रूर मरेगा"

सब ने देखा तो राज के चाचा की बड़ी बेटी आई हुई थी. आते ही वो भी राज को गल्लियान देने लगी थी. राज के चाचा की एक ही बेटी थी नंदानी.. नंदानी की उमर 26 साल थी. एक साल पहले ही उसकी शादी हो चुकी थी. पिछले कुछ दीनो से वो अपने पिता के घर आई हुई थी.

सब नंदानी को आते देख कर खुश हो गई. नंदानी की बात पर सब हस्सने भी लगी.

सब नंदानी से मिलें.

अंजलि ---- क्यूँ दीदी आपको अब यहाँ नही रहती फिर भी उससे प्रेशन हाँ. अंजलि नंदानी के फूले हुए पेट को सहलाती हुई बोली..

नंदानी----- उससे कों परेशन नही हा अंजलि.. साला हमारे खंडन मे सबसे आख़िर मे आया था और सब की नाक मे दम कर रखा हा उसने.

मॅन मे सोचने लगी.. पता नही हरामी का बीज मेरे पेट से निकल कर केसा दिखेगा.. ज़रूर अपने हरामी बाप पर ही जाएगा. नंदानी को भी शादी के बाद राज से एक बार पकड़ कर ज़बरदस्ती छोड़ दिया था. नंदानी की सील खुल चुकी थी, राज बिना डरे अपनी दीदी को छोड़ गया था. नंदानी बड़ी फड़फदाई थी. प्र फिर राज के बड़े लंड के मज़े लेने लगी. फिर तो वो राज के लंड की दीवानी हो गई. मेके आ कर वो राज से चूड़ने लगी. राज के लंड का माल अपनी छूट मे लेके नंदानी मा बन गई. नंदानी बड़ी खुश हुई थी राज के बच्चे की मा बनकर. पर वो हमेशा ही राज को गलियाँ दिया करती थी. पर मॅन मे अपने बच्चे के बाप को बड़ा सम्मान दिया करती थी.

नंदानी की बात पर सब हस्सने लगी. फिर सब मिलकर राज की ही बातें करने लगी.

वही राज शहर मे अपनी हरामी दोस्तों के साथ घूम रहा था. स्कूल च्छुतटी टाइम पर
सब एक स्कूल के पास चले गये.. वहाँ भी राज ने ही सही से मज़े लिए. बाकी तीनो सेयेल डरते ही रहे. कोई भी खुल कर किसी लड़की को च्छेद नही सका था. और राज बिना डरे जिस पर दिल आता उसके दोनो च्छेदो मे उंगली कर देता. एक बार तो राज ने एक लड़की की छूट को अच्छा ख़ासा गीला करके लड़की की छूट के पानी से गीली उंगली लड़की के हैरत से खुले हुवे मोह्न मे डाल दी थी.

लड़की मोह्न साइड मे करके तूऊ तूऊ करने लगी और राज हस्ता हुआ वहाँ से निकल गया था.

शाम तक सारे लओफेर मिलकर शहर मे मस्ती करते रहे. फिर बस मे बैठ कर गाओं जाने लगे.

शाम का खाना पाक चुका था. आराधना समेत सारी बहने बार बार दरवाज़ा खोल कर बाहर देखने लगती थी. जूरी की मा आ कर बता गई थी सब लुचे शहर गये हुए हाँ. वरना तो पहले सब बड़ी बोहुत घबरा गई थी.

दीपिका---- मा कितनी देर हो गई वो हरामी अभी भी नही लौटा.. जितना लड़ती थी सारी बहने राज से उतना प्यार भी करती थी.

भावना---- मा पता काराव ना किसी को भेज के.

आराधना---- देखती हों कुछ देर मे अगर नही आया तो तेरे चाचा से बात करूँगी. आराधना भी प्रेशन थी. पहले भी कई बार राज देर से आया करता था. हर बार सब प्रेशन हो जया क्रती थी. राज जो भी सब के साथ करता. वो भी सब की सह्न शक्ति से बढ़कर था. पर प्यार भी बोहुत था सब को अपने इक्लोटे भाई से.

खाना बना के सब बैठी हुई थी राज के इंतेज़ार मे. किसी ने खाना नही खाया था. राज घर मे होता तो कोई पूचहति नही थी. राज घर से बाहर था तो उसके लिए खाना छ्चोड़ बैठी थी.

राज घर मे दाखिल हुआ था आराधना उसे देख कर भाग खड़ी हुई. जा कर राज के गले से लग कर राज को चूमने लगी. राज को पता था ऐसा ही कुछ सीन देखनने को मिलेगा.

राज ने अपनी बहनो को देखा जो राज को देख कर खुश हो गई थी. राज को घर मे देख के वो फिर पहले जैसी हो गई.. सब अपना नीचे बैठ कर अपना अपना खाना प्रोस कर खाने लगी. राज सब को देख कर हस्सने लगा. अपनी मा को ज़यादा तंग नही किया राज ने.. बस अपने लंड को अपनी मा की छूट पर दबा दिया. आराधान ने नरागज़ी वाली नज़रों से राज को देखा तो राज हस्ता हुआ बातरूम मे घुस गया.

आराधना ने अपने हाथ से राज को खाना खिलाया.. सारी बहने भी राज को पहले अपने हाथों से खिलाया करती थी. पर जब से राज ने हमारियों वाली आखरी डिग्री भी हासिल कर ली थी. तब से सब उससे डोर ही रहने लगी थी.

राज सब को देख कर हस्सते हुए अपनी मा के हाथ से खाना खाने लगा. राज भी अपने हाथ से अपनी मा को खिलाने लगा.. अपनी बहनो को दिखा दिखा कर एक एक नीवाला अपनी मा को वो खिला रहा था.

चारों बहने "हरामी साला कुत्ता" बोलते हुए खाने लगी. मॅन मे वो हस्स रही थी अपने भाई को निहार रही थी. पर मोह्न से गलियाँ और आँखों से आग बरसा रही थी.

खाना खा के सब फ्री हो हुवे रो आराधना बोली.. राज बेटा नंदानी आई थी तेरे पूच्छने.

राज-------- अब वो क्या कहने आई थी मुझसे..

आराधना----- तेरी दीदी हा वो राज, क्यूँ नही पूच सकती वो तेरे बारे मे. जेया जा कर मिल आ उससे

अंजलि------- हन और वही सो जाना. यहाँ आने की ज़रूरत नही हा.

दीपिका------ हन हन सेयेल हरामी तू आज वही सो जाना. एक रात तो हुमें भी चैन से सोने का मोका मिलेगा.

राज हासणे लगा..

भावना---- कहीं नंदानी दीदी को ना प्रेशन करने लगे.

अंजलि--- मार भी काएगा दीदी से. हमारी तरह नही हा वो.. जो इसकी घत्टिया हरकतें ज़यादा देर सह्न कर सकें.

राज मॅन मे ..... अब आपको क्या बताओ दीदी.. नंदानी दीदी को मैने कितना प्रेशन किया हा. इतना तो आप सब को भी नही किया.. बस एक बार आपकी शादी हो जाए.. फिर देखना मैं करता क्या हों आपके साथ. आपका पेट भी मेरे लंड के निकले माल से ही फूलेगा दीदी..
 
राज के चाचा के घर मे..

निर्मल चाचा-- उमर 52
रत्ना चचाई-- उमर 50

नंदानी -- उमर 26

cffad6bd53b7c38c2d4a74f3f60ef8d2.jpg


शेखर -- उमर 24
अमन ----- उमर 22
अमित ----- उमर 20

राज चाचा के घर पोनचा तो सब खाना खा कर बातों मे लगे हुए थे. चाचा के घर मे 5 कमरे थे. सब चाचा के कमरे मे बैठे हुए बातें कर रहे थे. शाम के बाद सर्दी बढ़ गई थी तो सब रज़ाईयो मे डुबके बैठे थे.

राज को देख कर चचाई बोली.. आ गया मेरे बेटा.. कितने दिन हो गये तुझे हमारे घर मे चक्कर लगाए हुवे.. राज ने रज़ाई के अंदर ही अपनी चाची के पैरों को हाथ लगा कर पर्णााँ किया. साथ ही अपनी चाची के पैरों को सहला भी दिया.. चाची की होंटो पर मुस्कान आ गई.. वो जान गई थी, चाचा की वजा से राज का हाथ आज उपर नही जा पाया था. वरना तो राज और माफी दे दे, ये हो नही सकता था. राज ने चाचा के भी पैर च्छुवे.. अपने भाइयों से मिला.

चाचा---- चल आ बैठ मेरे पास.

राज नंदानी को देखते हुए.. नही चाचा मे आज दीदी के साथ बैठोंगा. दीदी मुजसे कुछ नाराज़ भी लगती हाँ..

चाचा-- हाँ हाँ जा बैठ जा अपनी दीदी के पास. और माफी माँग कर उसकी नाराज़गी भी डोर कर देना.. चाचा हेस्ट हुए बोला तो नंदानी राज को घूर कर देखने लगी. राज के भाई और चाचा चाची खुल कर हस्सने लगे.. नंदनाई भी हास दी.

राज चलता हुआ नंदानी के पास रज़ाई मे डुबक पर बैठ गया.. उसके हाथ किसी को नज़र नही आने वेल थे. राज का हाथ सीधा नंदानी के पेट पर गया था. तो नंदानी को बड़ा आनंद मिला.. उसके बच्चे के बाप का हाथ था.. एक मा के लिए इससे बढ़ कर और क्या बात होगी.. राज ने सबके सामने नंदानी के गाल पर किस कर दी.. नंदानी ने भी राज के गाल को चूम लिया. सब दोनो भाई बहें का प्यार देख कर खुश हो गये. असली प्यार बारे कोई नही जानता था. चाची भी नही. चाची बस इतना ही जानती थी, जेसे राज अपनी मा और बहनो को प्रेशन करता हा, ऐसे ही वो उसे और नंदानी को भी प्रेशन करता हा. नंदानी को राज ने छोड़ दिया हा, नंदानी के पेट मे राज का बच्चा हा ये बात कोई नही जानता था. और किसी की सोच भी इस तरफ नही आई थी कभी.

सब फिरसे बातों मे लग गये, राज से भी वो कुछ ना कुछ पूच्छने लगे.. राज 12त के एग्ज़ॅम के बाद से कॉलेज नही गया था.

शेखर---- पढ़ ले राज मेरे भाई तू ही आयेज बढ़ ले. देख हमारे खंडन मे एक तू ही सबसे होशियार हा, तू ही पढ़ाई छ्चोड़ बेता हा.. पढ़ ले यार तू ही आयेज पढ़ कर हमारे खंडन का नाम बान दे. हम तो ठहरे उनपढ़ गुणवर. तू तो पढ़ाई मे तेज़ हा. पढ़ लिख कर बड़ा अफ़सर लग जाना, फिर हम भी अपनी मूँछों को ताओ दे सकेंगे.

ये सच था राज जितना पढ़ाई से भागता था, उतना ही वो पढ़ानी मे तेज़ भी था. 12त पास करके आयेज कॉलेज मे अड्मिशन नही लिया था.

चाची-- हाँ राज बेटा. सच कहूँ तो मेरा बड़ा मॅन हा मेरा भी कोई बेटा बड़ा अफ़सर बने. तू भी मेरा ही बेटा हा राज. छ्चोड़ दे ज़िद पढ़ ले आयेज.

चाचा--- मुझे यकीन है राज बेटा, जेसे तूने 12वें मे अच्छा नंबर लिए हाँ, आयेज भी ऐसे ही लेगा. मान ले हम सब की बात.

ननदानी दीदी राज के हाथ पर हाथ रख कर चुटकी काटने लगी.

नंदानी---- मेरी भी तू नही सुनेगा, मुझे पता हा राज. नंदानी ड्रामा करते हुए दुखी होने लगी. राज सब जनता था.

राज ने नंदानी को गले से लगा कर उसका गाल चूम लिया.

राज---- मई आप सब की मान लूँगा तो मुझे क्या मिलेगा.. क्यूँ चाची आप मुझे क्या देंगी. राज चाची को देख कर चाची की छूट वाली जगा देखने लगा. चाची राज की नज़रों को देख कर पहले तो घुस्से से देखने लगी. फिर वो राज से बोली.

चाची---- बड़ा शॉक हा तुझे सेवा करवाने का. लालची कहीं का.. चल तू भी क्या याद करेगा. जो तेरे मॅन मे आए ले लेना. पर तुझे भी वाडा करना पड़ेगा, तू आयेज पढ़ेगा और बड़ा अफ़सर बनेगा.

राज खुश हो गया.. पढ़ाई तो करने ही वाला था. बस तक गया था पढ़ पढ़ कर, तो एक साल की रेस्ट पर था. इस बार वो दखला लेना वाला था कॉलेज मे.

राज----- देख लेना चाची बाद मे आप कहीं बदल ना जाएँ.

चाचा -- तू फिर्क मत करो राज बेटा. तेरी चाची को मई बदलने नही दूँगा. नंदानी दीदी राज की सब बातें साँझ रही थी. अपनी मा की भी वो साँझ रही थी. उसे कोई फ़र्क नही पड़ने वाला था. राज उसकी मा को छोड़े या किसी और की मा को या फिर अपनी मा को. जब वो नही बच सकी थी राज से तो किसी और के बारे मे वो क्यू सोचती.

चाचा की बात पर राज नंदानी और चाची के होंटो पर मुस्कान आ गई. चाची ने अपनी बेटी को देखा तो कुछ प्रेशन सी हुई..

ऐसे ही बातें चलती रही. सोने का टाइम हुआ तो नंदानी राज को लेके अपने कमरे मे चली गई. नंदानी अकेली ही सोती थी. कमरे मे परवेश करते ही नंदानी ने दरवाज़ा बंद किया और कस्स के एक थप्पड़ राज मे मोह्न पर जड़ दिया.

नंदानी --- हरामी सेयेल मेरी मा को तो बख़्श दे. नंदानी को अपनी बहुँ मे भर कर राज ने एक ज़बरदस्त किस किया.

राज --- क्यूँ तुझे क्यूँ अपनी मा की चिंता होने लगी मेरी नंदू डार्लिंग.

नंदानी--- कमीना इस उमर मे उसे छोड़ के तुझे क्या मिल जाएगा. छोड़ना हा तो मुझे छोड़. कितने दिन हो गये हाँ तुझे मेरी छूट मे लंड डाले हुवे..

राज------ तू पेट से हा ना, कहीं किसी दिन दबा के छोड़ दिया तो बच्चा को ख़तरा हो जाएगा.

नंदानी --- मेरे पेट मे एक हरामी का बीज हा कमीना. मुझे पता हा ऐसे तो वो भी नही मरने वाला.. पता नही जब वो दूण्या मे आएगा तो क्या क्या गुल खीलएगा.

राज हस्ता हुआ--- मेरी तरह ये भी तेरी छूट का दीवाना निकलेगा

नंदानी भी हेस्ट हुए-- जान से ना मार डोंगी मे सेयेल के सेयेल को.. अगर मेरी छूट की तरफ हाथ भी बढ़ाया तो

राज नंदानी को लेके खट्टिया पर पोनचा. वही लिया कर उसे किस करने लगा. नंदानी को बड़े दीनो बाद राज का प्यार मिल रहा था. नंदानी की छूट कई दीनो से गीली थी. वो भी राज को किस करने लगी. दोनो की किस वाइल्ड होने लगी. नंदानी राज के ट्राउज़र को खोलने लगी.

राज घर से आते हुए ट्राउज़र शर्ट पह्न आया था. राज के लंड को बाहर निकल कर नंदानी राज के लंड को मसालते हुवे किस करने लगी. नंदानी पागलों की तरह राज के होंटो को चूस रही थी.

जब दोनो की साँस उखड़ी तो दोनो अलग हो गये.

नंदानी-- हरामी तूने मुझमे कितनी आग भर दी हा. मैं तो अपने पति के साथ भी ऐसा सब नही कर पाती तेरे साथ होते हुए पागल सी होने लगती हों. राज लेट गया. नंदानी साइड मे बैठ कर राज के लंड को मोह्न मे लेकर चूसने लगी.

राज------ साली दीदी तू कितना मस्त मेरे लंड को चूस्टी हा. नंदानी ने लंड मोह्न से निकल कर राज को देखा..

नंदानी--- मेरा तो मान होता हा राज, तेरे लंड को खा ही जाओ. फिर सोचती हों खा जाओंगी तो फिर कहाँ से ऐसा लंड ढूंड मे अपनी छूट मे लूँगा. पता हा तुझे हरामी सेयेल अब मेरा अपने पति के घर मे भी दिल नही लगता. अजब वो अपना 5 इंच का लंड मेरी छूट मे घुसता हा तो मज़ा बिल्कुल नही आता.

राज--- हाहाहा कैसे आएगा मज़ा मेरी नंदू तेरी छूट भी तो बोहुत खोल दी हा मैने.

नंदानी फिरसे राज को लंड को मोह्न मे लेकर चूसने लगी. राज साइड से नंदानी के चूचु पकड़ कर दबाने लगा. लंड की छूसा से राज भी मस्त होने लगा था. नंदानी के जिस्म था भी बोहुत सेक्सी.. राज ऐसे ही तो नही ज़बरदस्ती उसे छोड़ गया था.

लंड अच्छे से गीली करके नंदानी ने भी अपने कपड़े उतार दिए. राज के मोह्न पर आ कर अपनी छूट रख दी.. राज ने नंदानी की छूट को दोनो हाथो की उंगलियो से खोल कर अपनी पूरी जीब उसमे घुसा दी..

राज नंदानी की छूट चाटने लगा.. नंदानी बेचैन हो उठी थी. कमरे से बाहर कम ही आवाज़ें जाती थी. दरवाज़ा मोटी लकड़ी का था. फिर भी नंदानी अपनी सिसकियाँ दबाए हुए थी.

छूट चटवा कर नंदानी राज के लंड पर आई, लंड को पकड़ कर अपनी छूट पर सेट किया, फिर नीचे बैठने लगी. पहले हमेशा एक ही धक्के मे अंदर घुसा दिया करता था. अब नंदानी 7 महीने पेट से थी तो राज उसका ख़याल कर रहा था.

पूरा लंड लेकर नंदानी उपर नीचे होने लगी.



नंदानी-- एब्ब जा क कहीं मुझे सुकून मिला हा हरामी.. सेयेल जब तक मैं यहाँ रहा कारों इतनी दिन मुझसे डोर ना रहा कर. तेरे लंड के बिना अब मुझसे रहा नही जाता.


राज---- मैं भी तो तेरे इस सेक्सी और बड़े बड़े मुम्मो वेल बदन से डोर नही रहना चाहता.. पर क्या करूँगा नंदू डार्लिंग चूड़ने वालून की एक लंबी लिस्ट बनी हुई हा. सब का ख़याल रखना पड़ता हा. राज नंदानी के चुतताड़ो को दोनो साइड से मसालते हुए बोला. नंदानी के दोनो चुचे ज़ोर ज़ोर से उच्छलने लगे थे. इतनी सर्दी मे भी दोनो पसीने मे नहाने लगे थे.

राज--- आअहह दीदी आज अपनी छूट मे क्या लगाया हा अपने मेरा लंड कितना फस फस कर जा रहा हा.

नंदानी-- मेरे हरामी भाई को मेरी छूट पसंद आ जाए, इसलिए इसे मैने टाइट किया हा. वरना तू तो मेरी छूट को खुला जान कर आता ही नही.

राज-- आहह दीदी ये ग्लात बात हा आपकी छूट का तो मैं दीवाना हों. दीदी सच मा आज कुछ ज़यादा ही मज़ा आ रा हा.

नंदानी-- आज तो मैं तुझे सोने ही नही दूँगा. आज तो पूरी रत तुझसे चुड़ूँगी मे. फिर पता नही कब तू मुझे मिले.

नंदानी पूरा पूरा लंड निकल कर अपनी छूट मे ले रही थी. राज नंदानी के बड़े बड़े चुचे पकड़ कर निच्चोड़ने लगा.. निपल्स को नाख़ून से कुरेदने लगा. जल्द ही नंदानी की बॅस होने लगी. नंदानी ज़यादा स्पीड से नही उछाल सकती थी. कुछ देर बाद वो लेट गई. राज नंदानी की टाँगों के बीच मे आया और नंदानी की गीली छूट मे लंड घुसा कर छोड़ने लगा.

20 मिंट तक और ये खेल चला फिर राज नंदानी की छूट मे झाड़ गया. नंदानी और राज दोनो हांपने लगे थे..

नंदानी ने अपना सर राज के सीने पर रख दिया. नंदानी राज के सीने को चूमने चाटने लगी. राज नंदानी नंगी पीठ सहलाने लगा.

फो बार और राज ने नंदानी को छोड़ा. फिर दोनो सो गये.. सूबा नंदानी की आँख जल्दी खुल गई. अभी सब के उठने मे देर थी. नंदानी को जी नही भरा था, रात की छुदाई से. वो फिरसे राज के लंड को मोह्न मे लेकर चूसने लगी. फॉरन ही राज का लंड खड़ा हो गया और राज भी उठ गया. नंदानी को देख कर राज ने नंदानी के सर को पकड़ा और अपने लंड पर दबाने लगा.. नंदानी ने अपना मोह्न खोल दिया. राज नंदानी के मोह्न को छोड़ने लगा.

उसके बाद नंदानी खुद से घोड़ी बन गई. राज पीछे आ कर नंदानी की छूट चाटने लगा. नंदानी की छूट के बाद राज ने अपनी जीब नंदानी की गंद के खुले च्छेद मे घुसा दी

नंदानी---- आईईईई माआ राज क्या करता हा.. वहाँ आज ना कर ना.

राज---- क्यूँ साली दीदी रात भर तो छूट मे ले लिया आपने मेरा लंड. अब गंद मे भी जाने दो.

नंदानी-- राज गंद मे फिर कभी कर लेना. अभी मेरी छूट को बड़ी ज़रूरत है तेरे लंड की. नंदानी ने पीछे सर मोड़ कर राज को देखा.. पर राज ने अपनी मोह्न नंदानी की गंद से नही हटाया.. राज ने अच्चेसे नंदानी की गंद को चाट चाट कर गीला किया.

फिर अपने खड़े मोटे लंड के सूपद को नंदानी की छूट पर सेट कर दिया. छूट पर लंड पा कर नंदानी के जिस्म मे सिहरन दौड़ गई. नंदानी खुश हो गई.. राज ने धक्का मारा तो सारा लंड नंदानी की छूट मे उतार गया. नंदानी की कमर कर पकड़ कर राज नंदानी की तुकाई करने लगा..

नंदानी झड़ी तो राज ने अपना लंड निकल कर नंदानी के गंद के च्छेद पर सेट कर दिया. नंदानी हाँप रही रही. राज ने हल्का सा धक्का मारा तो नंदानी की साँस अटक गयी.. बोहुत दीनो से उसने गंद मे राज का लंड नही लिया था.

नंदानी प्रेगणनाट ना होती तो राज उसक ख़याल किए बिना एक ही धक्के मे सारा लंड उसकी गंद मे उतार्र देता.. तोड़ा तोड़ा करके सारा लंड नंदानी की गंद मे घुसा कर राज नंदनाई को छोड़ने लगा.

कुछ देर मे नंदानी भी गंद मरवाने का मज़ा लेने लगी.. राज नंदानी पर झुक कर नंदानी के बड़े बड़े तन दोनो हाथों मे पकड़ कर नंदानी को छोड़ने लगा.. जल्द ही नंदानी के दोनो तन फिरसे सख़्त होने लगे..

राज नंदानी की गंद मारने लगा. 15 मिंट बाद राज नंदानी की गंद मे झाड़ गया..

राज गिर कर हाँपने लगा.. नंदानी भी फिरसे झाड़ गई थी. दोनो की सांसो की आवाज़ कमरे मे गूंजने लगी. कुछ देर मे दोनो ने कंडे पहने..

नंदानी--- राज दो महीने बाद मे मैं तुम्हारे बच्चे को जानम देने वाली हों..

राज---- हन तो

नंदानी---- राज मे चाहती हों तुम हमारे बच्चे का नाम रखो..

राज ---- मैं क्या नाम रखोंगा दीदी.. तुम खुद ही रख लो

नंदानी---- नही राज मेरा बड़ा मॅन हा तुम ही हमारे बच्चे का नाम रखो..

राज हस्ता हुआ.. नाम रखने से क्या होगा दीदी.. सारी उमर तो आप इसे हरामी ही कहेंगी. नंदानी भी हासणे लगी. राज की बात सच भी थी. नंदानी और सब राज को हरामी ही कहते थे. राज का बच्चा भी उसके जेसा ही होता.. ये नंदानी जानती थी.

नंदानी हेस्ट हुए---- फिर भी राज तुम कोई नाम दो ना मुझे.. नंदानी राज को किस करते हुए बोली..

राज ---- सोच के बताओंगा.. अब चलता हों..

नंदानी-- ठीक हा.. पर भूलना नही.

राज कमरे से निकल गया.. बाहर उसे जानवरों वेल कमरे मे चाची दिखी जो जानवरों को चारा डाल रही थी. राज ने इधर उधर देखा कोई नही दिखा तो वो उस तरफ चला गया.. चाची को पीछे से पकड़ कर साइड से चाची के गाल को चूम लिया. चाची एक बार तो हड़बड़ा ही गई थी. लेकिन फिर राज को देख कर उसने चैन की साँस ली..

चाची-- तू उठ गया राज बेटा.

राज ने फिर अपनी चाची के गाल को चूम लिया.. चाची सीधी हो गई. राज ने चाची को सीधे से ही अपने गले से लगा लिया.. राज का लंड सो रहा था. अभी कुछ देर पहले ही तो उसके लंड से पानी निकला था.. चाची भी कम गरम नही थी.

राज --- मैं तो उठा गया हों चाची पर मेरा वो अभी तक सो रहा हा.. राज की बात का मतलब साँझ कर चाची हासणे लगी.

चाची---- राज बेटा तो हर दूं ऐसी ही बातें क्यूँ करता हा.

राज---- क्या करो चाची, जब से होश संभाला हा. आपको मा को देख कर मई ऐसा हो गया हों..

चाची--- मुझे देख कर क्यूँ

राज--- क्यूँ चाची अंजान बनती हाँ.. मा के साथ लेट कर आप मा के साथ कैसी बातें किया करती थी.. भूल गई क्या आप. बड़े मज़े मज़े से मा को बताती थी आप चाची.. चाचा ऐसे लंड डालता हा आपकी छूट मे, आपकी गंद मे..

चाची राज के ऐसी बात कर शरम से लाल होने लगी. पर राज को कोई शरम नही थी.

चाची---- ग़लती हो गई राज बेटा.. अब मुझे और अपनी मा को बख़्श दे.. कब तक तू ऐसे हुमें इल्ज़ाम देता रहेगा.

राज ने चाची के चुतताड़ो को पकड़ कर अपने लंड पर दबा लिया.. चाची मचल उठी

राज----- इल्ज़ाम नही हा ये चाची.. अब तो आपने भी रात को मेरे साथ वाडा कर लिया हा.

चाची को याद आया कह रात बातों बातों मे वो क्या बोल गई थी. चाची को पसीना आने लगा.

चाची--- न.. नही राज बेटा.. वो तो मैने ऐसे ही बोल दिया था..

राज--- ना ना ना चाची अब तो आप पीछे नही हट सकती. अब तो आपको मुझे देनी होगी.. वरना.

चाची बोहुत घबरा गई थी.

चाची--- वरना क्या?

राज--- सच कहता हों चाची वरना मैं आपके साथ ज़बरदस्ती कर जाओंगा. राज उसके साथ ज़बरदस्ती कर सकता हा.. चाची ये बात अच्छे से जानती थी. वो खुद को कूसने लगी.. क्यूँ उसने राज की पढ़ाई के लिए ऐसा बोल दिया था.
 
Back
Top