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पार्टनर की मारी गांड : दोस्ती निभाई

हाय दोस्तो बहुत दिनों बाद फिर आपके लिए एक गांड मारने की अनोखी गुदगुदाती पर लंड को सिहराती हुई कहानी लेकर मैं फिर वापस आ गया हूं। ये कहानी मेरे दोस्त अनुपम की है। हम दोनों ही कालेज में पढते थे। वो साईंस का स्टूडेंट था और मैं आर्टस का। दोनो ही चिकने थे पर उसके और मेरे में एक अंतर है। वो थोड़ा ज्यादा ही चिकना है, लड़कियों की तरह, उसका गुदगुदाता गदराया बदन और पतली कमर भारी नितम्ब और गोरी दूधिया त्वचा, ये सब एक दम आकर्षित करने वाली होती है। मैं जानता हूं कि मेरे पास चोदने के लिए मेरी अपनी एकलौती गर्लफ्रेंड राधा है जो मौके मौके से अपनी चूंचियां, चूत और गांड़ सब मुझे लाईब्रेरी और लैब में किश्तों में जमा करवाती रहती है। इसलिए मुझको एक साथ चुदाई का आनंद मिला नहीं था, सालों से। आखिरी बार मैंने चूत मारी थी वो मामला दो साल पहले का था। अब मैं ज्यादा मैच्योर और रेडी हो गया था चोदने के लिए। इसलिए मैने अपने दोस्त पर ध्यान देना शुरु कर दिया था।

मेरा दोस्त अमर था भी तो लड़की की तरह, साला जौकी पहन के जब अपनी पतली कमर और भारी गांड मटकाते हुए बेड पर कूदता तो मन करता कि इसकी गांड में लंड लगाके उपर हवा में टांग दूं। पर अभी तक ऐसी कोई नौबत नहीं आई थी। मैने उसकी लड़कियों जैसी हरकत और बार बार मुझे अपनी बाहों में पकड़ने को अब तक नार्मल समझा था पर अब मुझे समझ में आने लगा कि उसमें कोई ना कोई फाल्ट जरुर है। एक दिन मैने बाथरुम में घुसते समय उसको गाजर लेकर घुसते हुए देख लिया। अब बाथरुम में कोई गाजर लेकर तो जाता नहीं है। उसे क्या बाथरुम में नाश्ता करना था? ये सवाल मुझे परेशान करने लगा। मैने बाथरुम के दरवाजे में झिर्री में से झांक कर अंदर का जायेजा लेने की कोशिश की। अंदर लाईट जल रही थी और नजारा मेरी आंखों के सामने साफ था।

देखा तो अमर पूरा नंगा, अपनी नन्हीं सी नूनी को लटकाये हुए अपने को पानी से भिगो कर डव साबुन अपने पूरे शरीर में लगाकर फुहारे में नहा रहा था। फिर उसने गाजर को साबुन लगा कर चिकना कर दिया। और फिर उस गाजर को पूरा चिकना करने के बाद उसने साबुन का घोल अपने गांड के छेद पर लगाया और मलने लगा। उसके गांड़ में से झाग आने लगी थी। मुझे उसका यह रुप देख कर हैरत हो रही थी। फिर देखते ही देखते उसने गाजर का नुकीला सिरा अपने मुह में लगाया, उसे ऐसे चूसने लगा जैसे वो कोई लालीपाप हो, यह तो हद है, मैने सोचा ये क्या हो रहा है। फिर उसने सेक्सी अदाये दिखाते हुए गाजर मुह में अंदर बाहर करने लगा और अपनी गांड में उंगली भी करने लगा। उसकी ये बाते मुझे हजम नहीं हो रही थीं। अमर अपने मुह से सेक्सी आवाजे निकालता हुआ चिल्ला रहा था " मेरी गांड मार लो, आह्ह! फाँड दो मेरी गांड़।

अरे वो तो फैंटेसी कर रहा था, अच्छा है। ये तरीका तो खुद को सटिस्फाई करने का। मैने देखा और फिर दरवाजा नाक किया। वो रुक गया, हल्का सा डर गया। उसने अपने कमर पर टावेल लपेटी और दरवाजा खटखटाया। मैं ने जब दरवाजा जोर से पीटा तो उसने सहमे हुए खोला। मैं अंदर आकर उसे घूरने लगा और जानबूझकर ये शो करने लगा कि मैंने सब देख लिया है। वो बोला - " क्या है"। मैने कहा " अमर मैने सब देखा तू क्या कर रहा था। तो उसके चेहरे पर शर्म के भाव आ गये। फिर भी उसने विरोध करते हुए कहा, मैं कुछ नहीं कर रहा था, तुम चुपचाप बाहर चले जाओ और मुझे शांति से नहाने दो।

मैने कहा "मेरी जानेमन, ये गांड में डालने के लिए गाजर किस लिए लाए हो। क्या बाथरुम में नहाते समय नाश्ता करते हो गांड से? मुझे बेवकूफ ना बनाओ।" मैने सब देख लिया दरवाजे की फांक से। अब वो लाचार हो गया था। उसने नजरें झुका के सब स्वीकार कर लिया। उसने बताया कि उसको लड़कियों को देखकर कुछ नहीं फील होता है। इसलिए उसको लडके अच्छे लगते हैं, पर उनके साथ ये सब करने में बुरा लगता है। मैने कहा कोई बात नहीं हम तुम साथ मजे करेंगे। हम तुम्हारी गांड मार लिया करेंगे। तो वो खुश हो गया और बोला, नेकी और पूछ पूछ? चलो अब मारो मेरी गांड और उसने तुरत अपनी टावेल नीचे गिरा दी। उसकी गुदाज गोरी मुलायम गांड़ को गोल गोल शेप में देख कर मैं अपनी प्रेमिका की गांड़ की शकल भी भूल गया और मैने उसके गांड के गोलाईयों को मुठ्ठी में भरते हुए उसको दबोच लिया। अब वो अपना लंड सहला रहा था, और अंडे को मसल रहा था।

मेरे द्वारा उसके गांड को दबाए जाने से उसको मजा तो बहुत आ रहा था। मैने पहले से गीली और साबुन का घोल लगी, गांड़ में जिसमें कि गाजर घुसने से आराम से लंड का आवागमन संभव हो सकता था, पहले लंड घुसाने की बजाए, अपनी दों उंगलियां घुसा कर धीरे धीरे तीन और फिर चार उंगलियां घुसा कर उसका गुदा द्वार खोल दि्या। निस्संदेह उसे मजा आ रहा था। उसने इस कार्य को सराहते हुए मेरा उत्साहवर्धन जारी रखा और फिर अपनी गांड़ को मरवाने के लिए लंड की गुहार लगायी। चलो पार्टनर मेरी गांड़ मार लो अब बहुत हुआ।

गांड मारा साबुन लगाके

मैने अपने सुपाड़े को उसकी गांड के छेद पर रख कर उसके लंड को गियर की तरह पकड़ लिया। दूसरे हाथ से उसको अपनी तरफ खींचते हुए उसकी गांड में लंड घुसेड़ने लगा। वो मस्ती से खुद ही अपनी गांड को मेरे लंड पर धकेलने की कोशिश कर रहा था और फिर देखते ही देखते मेरा आठ इंच का मोटा लंड उसके गांड में अपना रास्ता बना चुका था। इतना सॉलिड लंड तो शायद उसको गाजर के रुप में कभी नहीं मिला था। उसने खुद ही अपनी पीछे आगे के धक्कों से गांड़ की चुदाई को आसान कर दिया था। मैं साथ ही साथ उसके नूनी, जैसे नन्हें लंड को मसल कर खड़ा कर चुका था। उसकी गांड मारते हुए मैंने लगातार उसकी मूठ मारी और जल्दी ही वह झड़ गया। फिर वो कुतिया की तरह चार पैरों पर खड़ा होकर डॉगी स्टाइल में चुदवाने लगा। मैने भरपूर जोश से अपने पार्टनर की गांड़ मारी और फिर उसके मुह में अपना लंड डालकर सारा माल उसके हलक में उगल दिया। आज से जब भी मुझे गांड मारने का मन करता है, मैं अपने पार्टनर को चोदते हुए जरा भी नहीं झिझकता हूं। अगर आपको गांड़ मारने का शौक है तो इन हसीनाओं को देखिए जिनकी गांड में पसीना तक नहीं आ रहा बिना चुदाई के, यहां क्लिक करें
 
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