Antarvasna, desi kahani: मां मेरे कमरे में आई उस वक्त मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था मां मेरे सामने आकर बैठी और कहने लगी कि ललित बेटा क्या तुम कल तुम्हारे भैया से मिल आओगे। मैंने मां से कहा कि मां कल तो मुझे समय नहीं मिल पाएगा लेकिन परसों मैं भैया से मिला लूंगा मां कहने लगी कि बेटा मैंने नमकीन बनाई थी तो मैं सोच रही थी तुम माधव को दे आते मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं परसों चला जाऊंगा। भैया अब अलग रहते हैं उनकी शादी के बाद भाभी के कहने पर वह अलग चले गए थे मां को नमकीन बनाने का बड़ा शौक है मां के हाथ की नमकीन बड़ी स्वादिष्ट होती हैं। मैंने मां से कह दिया था तो मां कहने लगी कि बेटा तुम जरूर माधव के लिए नमकीन लेकर चले जाना मैंने मां से कहा ठीक है। मां भी वहां से चली गई अगले दिन मैं अपने ऑफिस सुबह जल्दी ही चला गया था मैं समय पर अपने ऑफिस पहुंच गया था। हमारे ऑफिस में काम करने वाला सिक्योरिटी गार्ड उस दिन बहुत ही ज्यादा परेशान था उसका नाम राजू है मैंने उससे पूछा की तुम क्यों परेशान हो तो वह मुझे कहने लगा कि साहब कल मुझे अपने बच्चे की फीस भरनी है और मुझे अभी तक तनख्वाह नहीं मिली है।
मैंने उसे कहा कि तुम्हें कितने पैसों की जरूरत है तो वह कहने लगा कि साहब मुझे 3000 की जरूरत है मैंने उसे कहा कि तुम मुझे दोपहर के वक्त मिलना और फिर वह मुझे दोपहर के वक्त मिला। जब वह मुझे मिला तो मैंने उसे पैसे दे दिए थे वह मुझे कहने लगा साहब यह पैसे रहने दीजिए मैं आप से पैसे नहीं ले सकता लेकिन मैंने उससे कहा कि तुम यह पैसे अपने पास रख लो जब तुम्हारी तनख्वाह आ जाएगी तो तुम मुझे पैसे लौटा देना। वह मेरी बात मान गया और फिर उसने पैसे ले लिए थे अगले दिन मैं अपने ऑफिस से भैया के घर चला गया मां ने मुझे नमकीन पैक कर के दी हुई थी। जब मैं भैया के घर गया तो मैंने भैया को वह नमकीन दे दी, भैया कहने लगे कि ललित मां और पापा कैसे हैं तो मैंने भैया से कहा भैया वह लोग तो ठीक है लेकिन आप उन्हें मिलने के लिए कभी आते ही नहीं है। भैया के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था क्योंकि भैया सिर्फ भाभी की बात सुना करते थे और जब से भैया की शादी हुई है तब से भैया पूरी तरीके से बदल चुके हैं।
मां और पापा को उन पर बहुत ही भरोसा था लेकिन उन्होंने उनके भरोसे को एक ही झटके में तोड़ दिया। मैं ज्यादा देर तक उनके घर पर नहीं रुका और मैं अपने घर वापस लौट आया जब मैं घर वापस लौटा दो मां मेरा इंतजार कर रही थी क्योंकि मैं भैया के घर भी करीब एक घंटे तक रुका और मुझे घर लौटने में देर हो गई थी। जैसे ही मैं घर पहुंचा तो मां मुझसे कहने लगी कि क्या तुम्हें माधव मिला था तो मैंने मां से कहा हां मां मुझे माधव भैया मिले थे और मैंने उन्हें नमकीन दे दी थी। मां बहुत ही ज्यादा खुश थी मां कहने लगी चलो ललित बेटा तुम भी अपने कपड़े बदल लो हम लोग खाना खा लेते हैं। हम लोगों ने खाना खाया और पापा ने भी मुझसे पूछा कि माधव ठीक है? मैंने पापा को कहा हां पापा वह ठीक हैं वह आपके बारे में पूछ रहे थे। पापा ने ऊंची आवाज़ में कहा यदि वह हमारे बारे में इतनी चिंता करता है तो हमसे मिलने क्यों नहीं आता मैंने पापा से कहा पापा यह बात तो आप जानते ही हैं कि भैया भाभी के आगे कुछ कह नहीं पाते हैं। भाभी ने ना जाने उन पर ऐसा क्या जादू कर दिया है कि वह पापा और मम्मी को भूल चुके हैं हम लोगों ने अपना डिनर खत्म किया और उसके बाद मैं कुछ देर के लिए अपने कॉलोनी में ही टहलने के लिए चला गया। मैं बाहर टहल रहा था तो उस वक्त हमारी कॉलोनी में रहने वाले मिश्रा जी मुझे मिले और वह कहने लगे कि अरे ललित कैसे हो तो मैंने उन्हें कहा मैं तो ठीक हूं आप बताइए। वह कहने लगे कि मैं भी बहुत अच्छा हूं और तुमसे तो काफी दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी तो सोचा कि तुमसे भी आज बात होगी जाएगी। मैंने उन्हें कहा कि आप बताइए आपका बिजनेस कैसा चल रहा है वह कहने लगे कि मेरा बिजनेस तो अच्छा चल रहा है उनका ट्रैवल्स का बिजनेस है और वह काफी समय से यही बिजनेस करते आ रहे हैं। मिश्रा जी हमारे घर के सामने ही रहते हैं उनके साथ मैं कुछ देर तक बात करता रहा और फिर मैं घर वापस लौट आया क्योंकि अगले दिन मुझे जल्दी ऑफिस जाना था इसलिए मैं सुबह जल्दी तैयार हुआ और मां ने मेरे लिए नाश्ता बना दिया था।
मैं नाश्ता करने के तुरंत बाद अपने ऑफिस चला गया मेरी जिंदगी में कुछ भी नया नहीं हो रहा था हर रोज सुबह मैं ऑफिस जाता और शाम के वक्त मैं ऑफिस से लौट आता। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या मेरी जिंदगी में कभी कुछ नया होगा भी या नहीं? माधव भैया भी हमसे मिलने के लिए कभी आते ही नहीं थे। हर रोज की तरह मै एक दिन अपने ऑफिस से घर लौट रहा था उस दिन जब मैं घर लौट रहा था तो मेरे आगे एक महिला जा रही थी उनके साथ एक छोटा बच्चा भी था लेकिन उस महिला के हाथ से उस बच्चे का हाथ छूट गया और वह बच्चा वहां से बड़ी तेजी से दौड़ने लगा लेकिन तभी मैंने उसे पकड़ लिया। वह महिला मेरे पास आई और कहने लगी आपका बहुत धन्यवाद उन्होंने मुझे अपना नाम बताया और कहा कि मेरा नाम मोहनी हैं मोहनी अपने नाम के अनुसार ही बहुत सुंदर थी। उन्होंने जिस प्रकार के कपड़े पहने हुए थे उससे उनके अंदर का सारा सामान मुझे दिखाई दे रहा था और उनके गोरे बदन को देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
उसके बाद तो वह मुझे जब भी मिलती तो मुझसे बात कर लिया करती अब धीरे-धीरे उनसे मेरी बातें होने लगी थी और एक दिन उन्होने मुझे अपने घर पर भी बुलाया। जब उन्होने मुझे घर पर बुलाया तो मैंने उनसे कहा आपके पति कहां है वह कहने लगी मेरे पति काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं उस दिन जब मैंने उनकी गांड पर अपने हाथ को फेरा तो वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। उसके बाद जब भी मुझे वह मिलती तो मुझसे मिलकर वह बहुत ही खुश रहती एक दिन उन्होंने मुझे अपने घर पर बुलाया उस दिन मुझे पता नहीं था कि उनकी चूत में इतनी ज्यादा खुजली हो रही है कि वह मुझसे अपने चूत मरवाना चाहती हैं। जब उस दिन उन्होने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैंने भी उन्होंने अपनी बाहों में ले लिया। जब मैंने ऐसा किया तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई और उन्होंने अपने लंड को बाहर निकालकर उसे अपने मुंह के अंदर समा लिया। जब उन्होंने ऐसा किया तो मुझे मजा आने लगा वह मेरे मोटे लंड को अपने गले तक लेने लगी और काफी देर तक उन्होंने ऐसा ही किया। जब उन्होंने मेरे लंड से पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल दिया तो उन्होंने कहा अब मुझसे बिल्कुल भी नहीं रह जाएगा और मैंने जैसे ही उनकी चूत को देखा तो मैं उनकी चूत को चाटने के लिए बहुत ही ज्यादा बेताब हो गया था। मैंने उनकी चूत के अंदर तक अपनी उंगली को घुसा दिया मेरे ऐसा करने पर वह सिसकारियां लेने लगी और उनकी उत्तेजना में बढ़ोतरी हो गई थी। अब उनकी चूत से अधिक मात्रा में पानी बाहर निकलने लगा था मुझे पता चल चुका था वह बिल्कुल भी नहीं रह सकती। मैंने भी अपने लंड पर थूक लगाते हुए उनकी योनि पर अपने लंड को सटाया तो उनकी चूत के अंदर से बहुत ही अधिक मात्रा में पानी बाहर निकल रहा था अब मैंने धीरे-धीरे उनकी योनि के अंदर अपने लंड को डालना शुरू किया जैसे ही मेरा मोटा लंड उनकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो बहुत जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी तुमने मेरी चूत ही फाड़ दी है।
मैंने उन्हें कहा आपकी चूत बड़ी ही लाजवाब है अब वह अपने पैरों को खोलने लगी थी जब मैं उनको चोद रहा था तो वह बडे ही मादक आवाज लेकर मेरी उत्तेजना को बढ़ाती जा रही थी। उन्होंने अपने मुंह से ना जाने किस-किस प्रकार की आवाज निकाली जिससे कि मैं ज्यादा देर तक उनकी चूत का आनंद नहीं ले पाया और मेरा वीर्य पतन जल्दी ही हो गया लेकिन मेरा वीर्य पतन होने के तुरंत बाद मैंने अपने लंड को साफ़ किया और दोबारा से उनकी चूत के अंदर डाल दिया लेकिन इस बार मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया गया जिससे कि मुझे उनकी चूत और भी ज्यादा टाइट महसूस होने लगी। उन्होंने अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाया हुआ था उनकी बडी गांड मेरी तरफ थी मैंने उनकी गांड को सहलाया तो उनकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा था जैसे ही उनकी चूत से ज्यादा पानी बाहर निकलने लगा तो अब मैंने उन्हें कहा मुझे लगता है अब मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा।
मैंने एक ही झटके मे उनकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया अब मेरा लंड उनकी योनि के अंदर जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी तुमने मेरी चूत फाड़ दी है। मैंने उन्हें कहा लेकिन मुझे गुस्सा भी तो बहुत आ रहा है और वह बहुत ही ज्यादा मजे में आ चुकी थी जिससे कि मैं उनकी चूत का आनंद बड़े अच्छे से ले रहा था और मुझे उन्हें चोदने में बहुत मजा भी आ रहा था अब मैं लगातार तेज गति से उनको धक्के मार रहा था। जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह खुश हो गई और मुझे बहुत ही मजा आ गया था उसके बाद भी मैं कई बार मोहनी भाभी से मिलने के लिए जाता था और जब भी मैं उनसे मिलने जाता तो वह अपने बदन को मेरे सामने निछावर कर देती और कहती आप आज मेरे बदन के मजे ले लो। मुझे उनकी चूत मारने में बड़ा आनंद आता और वह चाहती थी कि मैं उन्हें हर दिन नए तरीके से चोदता रहूं और मैं उनकी इच्छा पूरी कर दिया करता।
मैंने उसे कहा कि तुम्हें कितने पैसों की जरूरत है तो वह कहने लगा कि साहब मुझे 3000 की जरूरत है मैंने उसे कहा कि तुम मुझे दोपहर के वक्त मिलना और फिर वह मुझे दोपहर के वक्त मिला। जब वह मुझे मिला तो मैंने उसे पैसे दे दिए थे वह मुझे कहने लगा साहब यह पैसे रहने दीजिए मैं आप से पैसे नहीं ले सकता लेकिन मैंने उससे कहा कि तुम यह पैसे अपने पास रख लो जब तुम्हारी तनख्वाह आ जाएगी तो तुम मुझे पैसे लौटा देना। वह मेरी बात मान गया और फिर उसने पैसे ले लिए थे अगले दिन मैं अपने ऑफिस से भैया के घर चला गया मां ने मुझे नमकीन पैक कर के दी हुई थी। जब मैं भैया के घर गया तो मैंने भैया को वह नमकीन दे दी, भैया कहने लगे कि ललित मां और पापा कैसे हैं तो मैंने भैया से कहा भैया वह लोग तो ठीक है लेकिन आप उन्हें मिलने के लिए कभी आते ही नहीं है। भैया के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था क्योंकि भैया सिर्फ भाभी की बात सुना करते थे और जब से भैया की शादी हुई है तब से भैया पूरी तरीके से बदल चुके हैं।
मां और पापा को उन पर बहुत ही भरोसा था लेकिन उन्होंने उनके भरोसे को एक ही झटके में तोड़ दिया। मैं ज्यादा देर तक उनके घर पर नहीं रुका और मैं अपने घर वापस लौट आया जब मैं घर वापस लौटा दो मां मेरा इंतजार कर रही थी क्योंकि मैं भैया के घर भी करीब एक घंटे तक रुका और मुझे घर लौटने में देर हो गई थी। जैसे ही मैं घर पहुंचा तो मां मुझसे कहने लगी कि क्या तुम्हें माधव मिला था तो मैंने मां से कहा हां मां मुझे माधव भैया मिले थे और मैंने उन्हें नमकीन दे दी थी। मां बहुत ही ज्यादा खुश थी मां कहने लगी चलो ललित बेटा तुम भी अपने कपड़े बदल लो हम लोग खाना खा लेते हैं। हम लोगों ने खाना खाया और पापा ने भी मुझसे पूछा कि माधव ठीक है? मैंने पापा को कहा हां पापा वह ठीक हैं वह आपके बारे में पूछ रहे थे। पापा ने ऊंची आवाज़ में कहा यदि वह हमारे बारे में इतनी चिंता करता है तो हमसे मिलने क्यों नहीं आता मैंने पापा से कहा पापा यह बात तो आप जानते ही हैं कि भैया भाभी के आगे कुछ कह नहीं पाते हैं। भाभी ने ना जाने उन पर ऐसा क्या जादू कर दिया है कि वह पापा और मम्मी को भूल चुके हैं हम लोगों ने अपना डिनर खत्म किया और उसके बाद मैं कुछ देर के लिए अपने कॉलोनी में ही टहलने के लिए चला गया। मैं बाहर टहल रहा था तो उस वक्त हमारी कॉलोनी में रहने वाले मिश्रा जी मुझे मिले और वह कहने लगे कि अरे ललित कैसे हो तो मैंने उन्हें कहा मैं तो ठीक हूं आप बताइए। वह कहने लगे कि मैं भी बहुत अच्छा हूं और तुमसे तो काफी दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी तो सोचा कि तुमसे भी आज बात होगी जाएगी। मैंने उन्हें कहा कि आप बताइए आपका बिजनेस कैसा चल रहा है वह कहने लगे कि मेरा बिजनेस तो अच्छा चल रहा है उनका ट्रैवल्स का बिजनेस है और वह काफी समय से यही बिजनेस करते आ रहे हैं। मिश्रा जी हमारे घर के सामने ही रहते हैं उनके साथ मैं कुछ देर तक बात करता रहा और फिर मैं घर वापस लौट आया क्योंकि अगले दिन मुझे जल्दी ऑफिस जाना था इसलिए मैं सुबह जल्दी तैयार हुआ और मां ने मेरे लिए नाश्ता बना दिया था।
मैं नाश्ता करने के तुरंत बाद अपने ऑफिस चला गया मेरी जिंदगी में कुछ भी नया नहीं हो रहा था हर रोज सुबह मैं ऑफिस जाता और शाम के वक्त मैं ऑफिस से लौट आता। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या मेरी जिंदगी में कभी कुछ नया होगा भी या नहीं? माधव भैया भी हमसे मिलने के लिए कभी आते ही नहीं थे। हर रोज की तरह मै एक दिन अपने ऑफिस से घर लौट रहा था उस दिन जब मैं घर लौट रहा था तो मेरे आगे एक महिला जा रही थी उनके साथ एक छोटा बच्चा भी था लेकिन उस महिला के हाथ से उस बच्चे का हाथ छूट गया और वह बच्चा वहां से बड़ी तेजी से दौड़ने लगा लेकिन तभी मैंने उसे पकड़ लिया। वह महिला मेरे पास आई और कहने लगी आपका बहुत धन्यवाद उन्होंने मुझे अपना नाम बताया और कहा कि मेरा नाम मोहनी हैं मोहनी अपने नाम के अनुसार ही बहुत सुंदर थी। उन्होंने जिस प्रकार के कपड़े पहने हुए थे उससे उनके अंदर का सारा सामान मुझे दिखाई दे रहा था और उनके गोरे बदन को देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
उसके बाद तो वह मुझे जब भी मिलती तो मुझसे बात कर लिया करती अब धीरे-धीरे उनसे मेरी बातें होने लगी थी और एक दिन उन्होने मुझे अपने घर पर भी बुलाया। जब उन्होने मुझे घर पर बुलाया तो मैंने उनसे कहा आपके पति कहां है वह कहने लगी मेरे पति काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं उस दिन जब मैंने उनकी गांड पर अपने हाथ को फेरा तो वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। उसके बाद जब भी मुझे वह मिलती तो मुझसे मिलकर वह बहुत ही खुश रहती एक दिन उन्होंने मुझे अपने घर पर बुलाया उस दिन मुझे पता नहीं था कि उनकी चूत में इतनी ज्यादा खुजली हो रही है कि वह मुझसे अपने चूत मरवाना चाहती हैं। जब उस दिन उन्होने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैंने भी उन्होंने अपनी बाहों में ले लिया। जब मैंने ऐसा किया तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई और उन्होंने अपने लंड को बाहर निकालकर उसे अपने मुंह के अंदर समा लिया। जब उन्होंने ऐसा किया तो मुझे मजा आने लगा वह मेरे मोटे लंड को अपने गले तक लेने लगी और काफी देर तक उन्होंने ऐसा ही किया। जब उन्होंने मेरे लंड से पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल दिया तो उन्होंने कहा अब मुझसे बिल्कुल भी नहीं रह जाएगा और मैंने जैसे ही उनकी चूत को देखा तो मैं उनकी चूत को चाटने के लिए बहुत ही ज्यादा बेताब हो गया था। मैंने उनकी चूत के अंदर तक अपनी उंगली को घुसा दिया मेरे ऐसा करने पर वह सिसकारियां लेने लगी और उनकी उत्तेजना में बढ़ोतरी हो गई थी। अब उनकी चूत से अधिक मात्रा में पानी बाहर निकलने लगा था मुझे पता चल चुका था वह बिल्कुल भी नहीं रह सकती। मैंने भी अपने लंड पर थूक लगाते हुए उनकी योनि पर अपने लंड को सटाया तो उनकी चूत के अंदर से बहुत ही अधिक मात्रा में पानी बाहर निकल रहा था अब मैंने धीरे-धीरे उनकी योनि के अंदर अपने लंड को डालना शुरू किया जैसे ही मेरा मोटा लंड उनकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो बहुत जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी तुमने मेरी चूत ही फाड़ दी है।
मैंने उन्हें कहा आपकी चूत बड़ी ही लाजवाब है अब वह अपने पैरों को खोलने लगी थी जब मैं उनको चोद रहा था तो वह बडे ही मादक आवाज लेकर मेरी उत्तेजना को बढ़ाती जा रही थी। उन्होंने अपने मुंह से ना जाने किस-किस प्रकार की आवाज निकाली जिससे कि मैं ज्यादा देर तक उनकी चूत का आनंद नहीं ले पाया और मेरा वीर्य पतन जल्दी ही हो गया लेकिन मेरा वीर्य पतन होने के तुरंत बाद मैंने अपने लंड को साफ़ किया और दोबारा से उनकी चूत के अंदर डाल दिया लेकिन इस बार मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया गया जिससे कि मुझे उनकी चूत और भी ज्यादा टाइट महसूस होने लगी। उन्होंने अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाया हुआ था उनकी बडी गांड मेरी तरफ थी मैंने उनकी गांड को सहलाया तो उनकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा था जैसे ही उनकी चूत से ज्यादा पानी बाहर निकलने लगा तो अब मैंने उन्हें कहा मुझे लगता है अब मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा।
मैंने एक ही झटके मे उनकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया अब मेरा लंड उनकी योनि के अंदर जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी तुमने मेरी चूत फाड़ दी है। मैंने उन्हें कहा लेकिन मुझे गुस्सा भी तो बहुत आ रहा है और वह बहुत ही ज्यादा मजे में आ चुकी थी जिससे कि मैं उनकी चूत का आनंद बड़े अच्छे से ले रहा था और मुझे उन्हें चोदने में बहुत मजा भी आ रहा था अब मैं लगातार तेज गति से उनको धक्के मार रहा था। जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह खुश हो गई और मुझे बहुत ही मजा आ गया था उसके बाद भी मैं कई बार मोहनी भाभी से मिलने के लिए जाता था और जब भी मैं उनसे मिलने जाता तो वह अपने बदन को मेरे सामने निछावर कर देती और कहती आप आज मेरे बदन के मजे ले लो। मुझे उनकी चूत मारने में बड़ा आनंद आता और वह चाहती थी कि मैं उन्हें हर दिन नए तरीके से चोदता रहूं और मैं उनकी इच्छा पूरी कर दिया करता।