Kamukta हाए मम्मी मेरी लुल्ली

ूउम्मम्मःहःहः......." सलोनी सिसकती राहुल के होंठ को काट देती है.
वो अपना हाथ लंड से हटाकर दोनों हाथों को राहुल के कुल्हों पर रखकर उन्हें दबाती है.
राहुल इशारा समज कर अपना लंड चुत में उतारने लगता है.
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भीगी चुत में लंड आसानी से समाता जा रहा था. एकबार लंड पूरा चुत में घुस जाता है तोह सलोनी राहुल के कुल्हों से हाथ हटा उसके कन्धो को थाम लेती है.
"उउउउउउउउग्ग्ग्हःहःहः...,.................." राहुल धीरे धीरे कमर हिलानी शुरू करता है और सलोनी राहुल के होंठो को चुस्ने लगती है.

राहुल बड़े ही प्यार से अपनी मम्मी को चोद रहा था. आज उसे कोई जल्दबाजी नहीं थी. सलोनी को भी एक अलग ही तरह का आनंद प्रपात हो रहा था. उसकी गिली चुत को जड तक्क रगडता उसके बेटे का लंड उसकी चुत में ऐसी ही सनसनी पैदा कर रहा था के उसके पूरे जिसम में सनसनाहट की लहरें फ़ैलती जाती थी.

इस बार जब राहुल और सलोनी के होंठ अलग होते हैं तोह वो अपना चेहरा ऊपर उठकर उसकी आँखों में देखता है.
सलोनी भी उसकी आँखों में देखति है. राहुल अपना लंड सुपाडे तक निकाल कर आराम से अंदर डालने लगता है.
बेटे का लंड जब्ब माँ की मख़मली चुत को रगडता उसके गर्भाशय से टकराता है तोह माँ ऑंखे बंद कर सीत्कार भर उठती है.
सलोनी ऑंखे खोलती है तोह राहुल फिर से लंड पूरा बाहर निकाल वापस उसी धीमि रफ़्तार से चुत में पेल देता है.
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सलोनी के होंठो से एक धीमि मगर बहुत ही मादक सी सिसकि फूट पड़ती है. उसकी ऑंखे फिर से बंद हो जाती है. राहुल अपनी मम्मी की आँखों में देखता इसी तरह उसे धीरे धीरे चोदता है. अपनी मम्मी को यूँ चोदना और फिर उसके चेहरे पर यूँ कामूकता और मादकता देखना, चुदाई से मिलने वाले आनंद से उसके होंठो से विस्फारित होती उसकी मीठी सिस्कियों को सुनना, सब मिल कर राहुल के आनंद को दूगना चोगुना कर रहे थे. खुद सलोनी बेटे के लंड से चुत मरवाती उसे अपने चेहरे को यूँ घुरते देख कुछ रोमाँच सा महसूस कर रही थी.

"उऊं......ऎसे क्या देख रहा है?..........." सलोनी बेटे के कंधे पर दबाव देकर उसके चेहरे को अपने चेहरे पर झुका लेती है. अब दोनों माँ बेटे के होंठ लगभग एक दूसरे के होठोसे छू रहे थे.

"कुछ नही.......बस यूँ ही.........ऊयंम्ममम.......यून करते हुए आपको देखने में बहुत मज़ा आता है मम्मी.........." राहुल अपने लंड को लगातार चुत में पेले जा रहा था.

"हुम................बड़े अलग शोक हैं तेरे........." सलोनी अपनी टांगे बेटे की पीठ पर लपेट अपने पांव उसकी गांड के ऊपर बांध लेती है.
 
"उम्म्म्मममं............" सलोनी राहुल की चूमा चाटि से अकड चुके अपने निप्पलों पर उसका स्पर्श पाते ही आह भर उठती है. राहुल चादर हटा कर सलोनी की जांघो से निचे तक्क कर देता है. सलोनी की चुट के होंठो पर, उसकी जांघो पर, चुत के उपरी बालों पर राहुल के प्यार के निशान थे, जिन पर वीर्य सुखा हुआ था. राहुल अपनी मम्मी की मुलायम जांघो पर हाथ फेरता धीरे से उसकी चुत के ऊपर रख देता है. वो बड़े ही प्यार से कोमलता से चुत को सहलाता है.
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"म्मम्माह्ह्हम्मम्मम्मम्म......................." सलोनी फिर से आह भरती है. उसकी चुत गिली होने लगी थी, निप्पल अकड चुके थे बदन में उत्तेजना और मादकता छाती जा रही थी. राहुल का हाथ कुछ देर चुत को सेहलाने के बाद ऊपर की और बढ़ता है. वो अपनी ऊँगली से सलोनी की गहरी मगर छोटी सी नाभि को कुछ देर कुरेदते है और फिर वो अपना हाथ ऊपर उसके मुम्मो पर ले जाता है.
सलोनी के नरम, मुलायम मुम्मो का स्पर्श पाते ही राहुल का आकड़ा हुआ लंड ज़ोरों से झटके खाने लगता है.
"उऊउउउनंनंग्गघहहहहः.............आआह्ह्ह्हह" सलोनी अपने निप्पलों पर राहुल के हाथ का स्पर्श पाते ही कसमसा उठती है. सुबह की ठंडक और राहुल का कोमल स्पर्श पाकर उसके निप्पल और भी अकड गए थे. उसके पूरे बदन में सनसनाहट भरती जा रही थी. राहुल थोड़ा सा आगे को झुकता है और सलोनी के निप्पलों को अपने होंठो में भर लेता है.
"ऊऊह्ह्ह्हह्ह्..........बेटा........." सलोनी अपने निप्पल पर राहुल की खुर्दरी जीव्हा की रगड़ पाते ही हौले से सिसक पड़ती है.
सलोनी के निप्पल काफी लम्बे और मोठे थे, जिस कारन उन्हें अपने होंठो में भरकर चुसना बहुत आसान था. राहुल बड़े ही प्यार से अपनी मम्मी के निप्पलों को चूसता है और उतने ही प्यार से उसका हाथ दूसरे मुम्मे को सहलाता है. राहुल की जीव्हा की रगड़ पाकर सलोनी की चुत और भी तेज़ी से पाणी बहाने लगती है. राहुल कोमलता से सलोनी का मुम्मा चुसता रहता है, कभी उसकी जीव्हा तोह कभी उसके दांत निप्पल के साथ खेलत रेह्ते है. कभी कभी वो जितना हो सकता था, सलोनी के मुम्मे को मुंह में भर कर चूसता और कभी कभी सिर्फ अपनी जीव्हा से पूरे मुम्मे को चाटने लगता.

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सलोनी उसकी हर हरकत पर धीरे धीरे सिसक रही थी. वो पूरी तरह उत्तेजित थी. उसकी जंघा पर ठोकर मार रहा राहुल का कठोर लंड उसे बता रहा था के वो भी कितना उत्तेजित है. मगर राहुल को कोई जल्दबाज़ी नहीं थी. वो बड़े ही आराम आराम से अपनी माँ के मुम्मो को बदल बदल कर चुस्ता, चुमता, चाटता उन्हें प्यार कर रहा था. सलोनी उसके बालों में उँगलियाँ फेरती सुबह की ताज़ग़ी में बेटे के प्यार में डुब रही थी.

आखिरकार कोई आधे घंटे बाद जाकर राहुल ने सलोनी के मुम्मे से अपना मुंह हटाया. वो उठकर अपनी मम्मी की टैंगो के बिच चला गया. सलोनी ने खुद अपनी टांगे चौड़ी करदि. राहुल ने अपना बुरी तेरह आकड़ा हुआ लंड अपनी मम्मी की गिली चुत पर लगाता है और उसके ऊपर लेट जाता है. वो सलोनी के होंठो को अपने होंठो में भर लेता है और उन्हें चूसता हुए अपनी कमर को आगे को धकेलता है. सलोनी की गिली चुत से लंड फ़िसल जाता है. सलोनी बेटे के मुंह में अपनी जीव्हा धकेल कर उसके चुम्बन का जवाब देती है और साथ ही अपना हाथ निचे लेजाकर राहुल का लंड पकड़ कर निशाने पर रखती है. राहुल के होंठो को अपने होंठो में भर वो उसे अपनी आँखों से इशारा करती है. राहुल फिर से अपनी कमर आगे को धकेलता है. लंड का सुपडा चुत को फ़ैलाने लगता है. सलोनी उसे मज़बूती से थामे रखती है और फिसलने नहीं देती. सुपडा चुत के अंदर दाखिल हो जाता है.
 
सलोनी की सांस अनियंत्रित थी. वो नाक सिकोडने लगी थी. उसके होंठ थोड़े खुल गए थे. वो जाग रही थी. राहुल का ध्यान अपनी मम्मी के उन रसीले गुलाबी होंठो पर जाता है तोह वो अपना चेहरा निचे करके उसके खुले होंठो को चूम लेता है. सलोनी अपनी ऑंखे खोल देती है. राहुल उसकी आँखों में देखता उसके होंठो को चूमता रहता है.
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सलोनी कुछ देर यूँ ही नींद टूटने की वजह से चुपचाप अपने बेटे को देखति पढ़ी रहती है. राहुल सलोनी के होंठो को अपने होंठो में भर कर चूम चुस रहा था, उन्हें अपने होंठो में दबा रहा था मगर प्यार से, कोमलता से. सलोनी उसकी गर्दन में बाहें डाल उसकी पीठ पर हाथ बांद लेती है.
"उऊउउउउउम्मम्मम्म..........कया है........सोने दो न बेटा..........मुझे अभी और सोना है.........." सलोनी राहुल के होंठ हटाते ही उससे धीरे से कहती है.
" तोह सो जायो न मुम्मी........में तुम्हे कोण सा रोक रहा हुण..........." राहुल फिर से सलोनी के नाज़ुक होंठो को अपने होंठो में भर लेता है जो अब उसके मुख रस्स से भीगे हुए थे. अब सलोनी भी धीरे धीरे से बेटे के होंठो को चूम रही थी.
"तुम्हारा दिल अभी तक्क भरा नही. कल शाम से आधी रात तक्क मुझे पकडे रखा. पूरा बदन दुःख रहा है मेरा.........." सलोनी इस बार राहुल के होंठ हटाते ही उससे शिकायत करती है. रात की जबरदस्त मेहनत के बाद उसके अंग अंग में मीठे दर्द की लहरें उठ रही थी.
"मेरा दिल इस जनम में तोह नहीं भरने वाला.........वाईसे भी जिसकी मम्मी आप जैसी सुन्दर हो उसका दिल कभी नहीं भर सकता..........." राहुल सलोनी के होंठो पर बार बार चुम्बन अंकित करते हुए बोलता है.
"सच में अपनी मीठी मीठी बातों से तू किसी भी लड़की को पटा सकता है........" सलोनी मुस्कराती है. राहुल उसकी नाक से अपनी नाक रगड रहा था.
"मुझे जो लड़की पटनी थी उसे मैंने पटा लिया है.........और अब हर रोज़ हम दोनों मस्ती करते हैं........." राहुल हँसता है.
"धतत्त........में कोई लड़की थोड़े ही हु........." सलोनी नखरीले अंदाज़ में बोलती है.
"उम्म्म्म्म मगर कोई लड़की तुम्हारे आगे नहीं ठहर सकती..........तुम तोह परी हो.......बल्कि मेरे लिए तो परियों से भी बढ़कर हो.........."
"बस कर........बस कर...........उउउउफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फफ्.........ओ तारीफ उतनी किया करो जितनी हज़्म हो जाए..........." सलोनी हंस रही थी.
राहुल उठ कर बैठ जाता है और फिर सलोनी ने जो चादर ओढ़ी हुयी थी, उसका सिरा पकड़ लेता है और उसे निचे खिसकने लगता है. चादर धीरे धीरे सलोनी के सीने पर दोनों पहाडों की चोटियों पर चढ़ने लगती है. चादर का सिरा जैसे जैसे ऊपर उठ रहा था उसके निचे छिपा बेशकीमती खज़ाना सामने आता जा रहा था. चादर का सिरा आखिरकार मुम्मो के मोठे निप्पलो
मैं फ़ांस गया. राहुल ने चादर वहीँ छोड़ि और दोनों हाथों से निप्पलों के ऊपर से चादर को पकड़ा.
 
जहान उस कमरे में कुछ लम्हे पहले सिसकियां, आहो कराहों की चीखो पुकार मची हुयी थी वहीँ अब बिलकुल शान्ति थी. दोनों माँ बेटा कुछ पलों बाद गहरी नींद के आग़ोश में समां चुके थे.
राहुल की जब्ब नींद टूटी तोह सुबह हो चुकी थी. कमरे में खिड़की से हलकी हलकी रौशनी अंदर आ रही थी. सूर्य अभी नहीं चढा था. राहुल कुछ समय यूँ ही ऑंखे बंद किये सुबह की ताज़ग़ी को महसूस करता है, उसे अपने दाहिने बाजु के साथ कंधे को कोमल स्पर्श महसूस हो रहा था, वो धीरे से करवट लेता है और कोहनी के बल उचक कर अपनी मम्मी को देखता है.
सलोनी अभी भी नींद में थी. उसका चेहरा एकदम शांत था. उसकी सांस नियन्त्रित और बहुत धीमि थी. उसकी सांस के साथ साथ उसका सिना धीरे धीरे उठ रहा था, निचे गिर रहा था. राहुल उसके सीने को यूँ चादर के ऊपर से भली भाँति ऊपर निचे होते देख सकता था. भले ही सलोनी ने चादर ओढ़ रखी थी मगर अंदर वो पुरी तरह से नंगी थी. उसके मोठे मुम्मो ने चादर को ऊँचा उठाया हुआ था.
राहुल धीरे से सलोनी के चेहरे पर बिखरे बालों को हटा देता है. सलोनी धीरे से नींद में कुनमुनाती है और फिर से शांत हो जाती है. राहुल मुसकरा उठता है. नींद की ख़ुमारी में दुनिया से बेख़बर सलोनी का चेहरा कितना भव्य दिख रहा था. बिना किसी मेकअप के वो कितनी हसीं दीखती थी. उसके चेहरे के सौंदर्य में ऐसा आकर्षण था जो राहुल को बेबस कर देता था. जैसे लोहा चुम्बक के आकर्षण में बढ़ा उसकी और खींचता चला जाता है वैसे ही राहुल अपनी मम्मी के आकर्षण में बढ़ा दिन दुनिया सभी भूल जाता था. वो उसके होंठो को गौर से देखता है.

राहुल धीरे से सलोनी का माथा चूम लेता है. राहुल चेहरा उठकर देखता है, सलोनी की निद्रा में कोई बाधा नहीं पढ़ी थी, उसके होंठ धीरे से बहुत ही कोमलता से उसकी आँखों को चूम लेते है. फिर वो अपने लरजते होंठ आँखों के बिच उसकी नाक पर रखता है और उसे जगह जगह चूमता निचे की और आता है. वो नाक की नोंक पर खास करके जहान उसने बालि पहनी हुयी थी वहां बार बार चूमता है. फिर वो अपना चेहरा उठा कर देखता है.
 
"मेरा भी मम्मी........हाय मेरा भी......" राहुल तड़पता हुआ बोल उठता है. सलोनी के झुक कर उसके लौडे पर उछलने के कारन वो उसकी गांड के छेद को बिलकुल साफ़ साफ़ देख सकता था. राहुल अपना अँगूठा
अपनी मम्मी की गांड के छेद पर दबाता है और ज़ोर लगाकर उसे उसकी गांड में पेल देता है. सलोनी बेटे की इस हरकत से एकदम सिखर पर पहुँच जाती है.

"हहहयये........उफ...आबबब मेरी गांड पर............आआह्ह्ह्हह........आँख रख ली तूने............" सलोनी अखिरी झट्कोण का मज़ा लेती केहती है.
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"हाये मम्मी..........में नहीं बल्कि तेरी गांड तरस रही है मेरे लौडे के लिये............बोल कब्ब मरवायेगी अपनी गंड...........मम्मी.......कब्ब मेरा लंड अपनी गांड में लेगि" राहुल अपना अँगूठा गांड में आगे पीछे करता केहता है. गांड का छेद ईतना तंग था के अँगूठा बहुत मुश्किल से अंदर बाहर हो रहा था. राहुल इस बात का ख्याल आते ही बहुत खुश हो जाता है के इतनी टाइट गांड में लंड पेल्ने का कितना मज़ा आएग.

"मार लेना..........मेरे लाल.......मार...........अपनी मम्मी की गांड भी मार लेना...........हये तुझे अपनी गांड नहीं दूंगी तोह किसे दूंगी...........आआअह्हह्ह्.....लेकिन ........लेकिन.......ऊफफ्फ्फफ्फ्फ्.....अभी मेरी चुत में अपना लौडा पेल......हय में बास छूटने वाली हुण........." सलोनी की बात सुन राहुल ख़ुशी से झूम उठता है. वो तुरंत सलोनी की कमर पकडता है. इस बार वो निचे से अपनी कमर नहीं उछलता बस वो सलोनी की कमर को पकड़ उसे पूरे ज़ोर से अपने लौडे पर मारने लगता है
"येह ले......यह ले.......ल......ले मम्मी........चुड़ मेरे लौडे स......."
"आजह.......हाए........हायी......ठायी....ऊऊह्ह्हह्ह्...... म......................सभाश.......सबाश्.......पेल द....उयउछ...पेल......पेल.......पेल....... आईए.............ही भगवान.........आह्...." सलोनी राहुल के लौडे पर झड़ना सुरु कर देती है. वो राहुल की टांगो को कस्स कर दबोच लेती है. राहुल अपनी मम्मी की चुत से अपने लौडे के साथ ढेर सारा रस निकालता भी देख रहा था. चुत से लौडा और रस्स का बहकर आने का दृश्य इतणा उत्तेजक था के राहुल से भी रहा नहीं जाता और उसका लौडा भी पिचकारियां मारनी सुरु कर देता है. राहुल अब भी सलोनी की चुत में दनदन लौडा पेले जा रहा था. उसकी चुत से वो उसके रस्स के साथ अपनी मलाई भी निकलती देख सकता था.

"वोच्.....हये मेरी चुत........मेरी चुत...........ही भगवान........मेरे बेटे ने मेरी चुत फाड् दि...........हये मेरी चुत.........हये मार चुत........उउउफफ्फ्फ्फफ्......" सलोनी अब भी चीखती चिल्लाती झड रही थी. उसका दाना रगडता राहुल का मोटा लौडा उसे जन्नत की सैर करवा रहा था. वो अपनी सुध बुध खो बैठि थी.
मम्मी......." राहुल के टट्टे खाली हो चुके थे. वो संत पढता जा रहा था.
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"मेरे बेटे......मेरे बच्चे......मेरे लाललललल............." सलोनी सिसकती राहुल की टांगो पर ढेर हो चुकी थी. कुछ लम्हो बाद राहुल अपनी मम्मी की कमर पकड़ उसे वापस पीछे को खींचता है. सलोनी भी थोड़ी हिम्मत करती है. वो उठती हुयी पीछे को अपने बेटे के बदन पर पीठ के बल लेत जाती है और फिर धीरे से लुढक कर उसकी बगल में हो जाती है. राहुल अपनी मम्मी की तरफ हल्का सा घूम कर उसे अपने बदन से थोड़ा कस्स लेता है. सलोनी बेटे के सीने पर अपनी बाँह लपेट अपना सर उसके कंधे पर रख देती है
 
ओर फिर दोनों माँ बेटा निचे ऊपर से एक दूसरे की ताल से ताल मिलाते भयंकर चुदाई करने लगते है. लौडा चुत में इतने वेग से इतनी ताकत से अंदर घुसता था के सलोनी और राहुल दोनों करह उठते थे.
"आह्......हाए.......हाए.........बेटा...बेटा........" सलोनी की सिसकियाँ गूँज रही थी.
..........यह ले......यह ले.....मम्मी.......अः....." राहुल हर बार लंड पेलता कराह उठता था.
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"ठप थपाथप.." सलोनी के नितम्ब राहुल की जांघो पर चोट कर रहे थे.

"फच्.....फच........फुस........" सलोनी की बरसाती चुत और उसके बेटे के मोठे लौडे के बिच जबरदस्त जंग से पूरे कमरे में शोर शराबा गूँज रहा था.

"रुख.....रुक.......हैयी..रुकककक......." सलोनी उस ताबड़तोड़ चुदाई में ब्रेक लगाती है. उसक बदन कांप रहा था. चुत में सँकुचन होना सुरु हो चुका था.

"मम्मी हाय अब मत रोको.......मेरा बस निकलने ही वाला है.....प्लीस........मम्मी...." राहुल अपने टट्टों में वीर्य उबलता हुआ महसूस कर रहा था.

"बस एक सेकंड बेटा.......में भी छूटने वाली हु......हये मेरा दिल कर रहा था........" सलोनी झटके से राहुल का लंड अपनी चुत से निकल देती है और फिर तेज़ी से राहुल की जांघो पर मुंह घुमा कर बैठ जाती है. इस बार फरक मात्र इत्तना था के उसका मुंह राहुल के पांव की और था जबके राहुल के सामने अपनी मम्मी की गांड उसके भरे सुडौल गोल मटोल कुल्हे थे. सलोनी बिना एक भी पल गंवाये लंड को पकड़ उस पर अपनी चुत टिकाती है और धम्म से लौडा वापस उसकी चुत में समां जाता है.

"हयै....मुझे बास इस तेरह चुदना था........पगले ...........हये मेरा बहुत दिल कर रहा था. सलोनी अपने हाथों से राहुल की टाँगे पकड़ झुक जाती है और दनादन अपनी चुत को लौडे पर ठोकने लगती है.
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"ईश्......आह्.........हाए.........." सलोनी बुरी तेरह सिसक रही थी. इस पोजीशन में लौडा सीधा उसकी चुत के डेन को रगड़ रहा था. उसका बदन बुरी तेरह कम्प रहा था. चुत लौडे को कभी कस्स रही थी कभी ढीला छोड़ देती थी.

"हेयी बेटा....बस अब में करीब ही हुण........आंह्...मेरे लालल... .....मेर....बच्चे.........आह्ह्ह्हह्हह्ह्...."
 
आह........हाय........" चुत में पूरा लंड एक ही झटके में लेकर सलोनी के मुंह से कराह निकल जाती है. सलोनी एक पल के लिए खुद को सम्भालती है और फिर अपनी कमर ऊपर उठा लंड बाहर निकल वापस धम्म से लौडे पर बैठ जाती है. सलोनी बिना कोई लम्हा गंवाये गांड उछाल उछाल कर पूरा लौडा चुत में लेकर चुदवाने लगती है. राहुल अब भी नज़र गड़ाये अपनी मम्मी के मोठे मुम्मो और उनके बिच की गहरी खायी में उचलते उसके मंगलसूत्र को देख रहा था.

"अब तोह्......खुश्......है न तु..........देख तेरे लिये.......अह......मंगलसूत्र पेहन लिया है............उफ्फ्........बोल अब खुश है न..........." सलोनी सिस्कियों के बिच रुक रुक कर बोलती है.
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"हय मम्मी.......में.......आज तोह्....अपने सच में....... ....दील खुश कर दिया........उफफफ्फ्फ्फफ्.......मम्मी आपके मोठे मोठे दुधु के बिच आपका मंगलसूत्र कितना सुन्दर लगता है..........हायीईइई..........कितनो दिनों से मेरी एहि तम्मना थी..........अखिर आज आपने पूरी कर ही दि"

"तुने पहले क्यों नहीं बताया रे...........मेरे लाल.........तेरी हर ख़्वाहिश पुरी. .......अः.....करूंगी...........खैर अब तू खुश है न?......."

"बहुत ज्यादा मम्मी...........बहुत ज्यादा..."राहुल सलोनी के मुम्मो को दोनों हाथ में पकड़ मसलने लगता है.

"हय तोह फिर मुझे भी............हाए.......,....उउंह........मुझे भी खुश करदे बेटा......" सलोनी हिचकियां लेती बोलती है.

"क्या करूँ मम्मी.......बोलो.......में सब कुछ करने के लिए तैयार हुण.......आप बोल कर देखिये......" राहुल जोश में सलोनी के निप्पल उमेठता केहता है.

"आले...........धीरे मरोड़......हये जालिम..........तु बास इतना कर..........ऊऊफफफफफफफ.......नीचे से ज़ोर लाग.......हयईई........मेरी चुत में अपना लंड पेल......हाये में छूटने वाली थी......जब तूने........ओहह मा........अपनी डिमांड रख दि.......मंगलसूत्र की......"

"बस इतनी सी बात.......अभी देखो तुमारी चुत की क्या हालत करता हु..........." राहुल पूरे जोश में था. वो अपनी मम्मी के मुम्मो को कस्स कर दबाता है और निचे से अपनी गांड पूरे ज़ोर से उचलता है,

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उधर सलोनी अपनी चुत लंड पर दबाती है. लंड बंदूक से निकलि गोली की तेरह चुत में प्रवेश हो जाता है
"आआईई...........ओह.......मा.........हह.......लग ज़ोर बेटा.....हाये....शाबाश्...लगा ज़ोर........."
 
सलोनी राहुल को कुछ पल निहारती है, उसे यकीन नहीं हो रहा था के वो उसका अपना बेटा ही है.

"बदमाश.........बेशरम......लफ़ंगा कहीं का.........." सलोनी हँसति हुयी राहुल के नाक को पकड़ कर मरोड़ती है. राहुल भी हंस पढता है.

सही में मम्मी...........मंगलसूत्र पेहनो न प्लीज्..........एकदुम मस्त लगोगी जब्ब मेरा अपनी में लेकर ऊपर निचे कुदोगी और तुम्हारा मंगलसूत्र तुम्हारे दोनों दुधु के बिच नाचेगा" राहुल सलोनी से रिक्वेस्ट करता है.

"नही बिलकुल भी नाहि..........तुमहे मालूम है के मंगलसूत्र सिर्फ पति के लिए पहना जाता है......बेटे के लिए नहि........उसका मतलब होता के औरत एक मर्द के लिए रिज़र्व हो गयी है और उस पर सिर्फ उसी मर्द का अधिकार होता है जो उसे मंगलसूत्र पहनाता है........जैसे मुझ पर सिर्फ तुम्हारे पीताजी का अधिकार है............समझे..." सलोनी मुस्कारते हुए अपनी कमर गोल गोल घुमति राहुल के सिने को रगड़ाती है.

"बहाने न बनाये मम्मी............जब में भी तुम्हारी लेता हुन न..............तुम खुद मुझे देती हो........जब तुम डैडी के अलावा मुझे भी दे सकती हो .....तोः फिर मेरे सामने मंगलसूत्र पहनने से क्या हो जायेगा?"

"वूःहहहह राहुल तू भी न... पीछे ही पढ़ जाता है..........." सलोनी खीझने का नाटक करती है और फिर ऊपर उठती है. "पूक्क" की आवाज़ से भीगा लंड चूत से बाहर निकल आता है. सलोनी राहुल के ऊपर से उतरती है और बाथरूम की और भागति है. राहुल अपनी मम्मी की गण्ड को उछाले मारता देखता है तोह उसका लौडा एक ज़ोर का झटका मारता है. राहुल का धयान अपने लंड पर जाता है. सलोनी की चूत के रस्स से पूरी तेरह भीगा उसका लंड ट्यूबलाइट की रौशनी में चमक रहा था. सलोनी ज्यादा समय नहीं लागति, वो जिस रफर से कमरे से बाहर निकलि थी उसी रफ़्तार से वो वपास कमरे में दाखिल हुयी और स्कूल की किसी नट्खट लड़की की तेरह भगति हुयी बेड पर चढ़ गयी. इतना तेज़ भगने से उसके मम्मे कुछ ज्यादा ही उछाल रहे द. मगर इस बार वो अकेले नहीं उछाल रहे द. उनका साथ देणे के लिए कोई और भी था.

राहुल अपनी मम्मी के दूधिया मुम्मो के बिच उछलता मंगलसूत्र देख रहा था. सोने की चेन में पिरोये काले मनको वाला वो मंगलसूत्र सलोनी की दूधिया मुम्मो पर कितना जाँच रहा था कितना सुन्दर लग रहा था. सलोनी के हर कदम पर उसके मुम्मो को सहलाता कभी उसके निप्पलों को चूमता वो कितना आनंद ले रहा था.

सलोनी भाग कर सीधा बेड पर चढ़ जाती है और राहुल के ऊपर तांग घुमकर पहले वाली स्थिति में आ जाती है. वो हाथ निचे करके लंड पकडती है और अपनी चूत के निषाने पर लगाती है. वो एक बार राहुल को देखर मुसकरा पड़ती है जो लगातार उसके मुम्मो को और उनके बिच लटक रहे मंगलसुत्र को घूरे जा रहा था. वो इस तेरह से खुश था जैसे बच्छा नया खिलौना मिलने पर होता है. सलोनी लंड को अपनी चूत के मुहाने पर रगड़ती है और अपने होंठ भींच धम्म से निचे बैठ जाती है. राहुल का पूरा लौडा एक मिनट के भीतर दोबारा उसकी चूत में घुस चुका था.
 
"वो तोह मुझ वैसे भी मिल रही है............उसके लिए में झूठ क्यों बोलूँगा भला." राहुल सलोनी के हाथों को अपने हाथों में लेता है और उन्हें बड़े ही प्यार से चूमता है. "अब तुम्हे कैसे बातउ मम्मी तुम कितनी सुन्दर हो........यह तुम्हरी फूल सी कोमल त्वचा, तुम्हारे बदन से आती खुस्बू, तुम्हारे नाज़ुक होंठ, तुम्हारे गुलाबी गाल, ओर................" राहुल एक पल के लिए चुप हो जाता है.

"आगे आगे बोलो न........और क्या" सलोनी विस्मित थी अपने बेते के मुंह से यूँ अपनी तारीफ सुन कर वहीँ उसके मन में अजीब सी ख़ुशी थी और वो एक सुकून भी के उसका बीटा उसे सच में इतना पसंद करता है के वो अपने बेते के लिए इतनी कीमती है.

"तुमारी ऑंखे मम्मी........तुम्हरी ऑंखे कितनी सुन्दर हैं!............ और तुम्हारी नाक........कितनि सुन्दर है...और बालि डालकर तोह इतनी सुन्दर दीखती है के दिल करता है बास चूम लुण.........."

"और.......और बोलो न तुम्हे क्या अच्चा लगता है.........." सलोनी को उन लफ़्ज़ों में अदुभुत ख़ुशी के साथ साथ जबरदस्त उत्तेजना का एह्सास भी हो रहा था.

"ऊऊफफ्फ मम्मी अब मं क्या क्या बोलूं.......कैसे बोलू........तुमहारा तोह हर अंग इतना खूबसूरत है के में बता नहीं सकता..........तुमारी पतली कमर...........तुम्हरी पीथ............तुम्हरी नाभि..........उउउउउउफ्फ्फ्फ़ यह मुलायम कोमल जांघ......... .तुम्हरी ग.......उउंम्म.....तुमहारे निताम्ब...........तुमहारे दुधू..........." राहुल सलोनी के हर अंग को छूता, सहलाता उसकी तारीफ कर रहा था. खस्स कर उसके नितम्बो और मुम्मो को उसने खूब सेहला सेहला कर उनकी तारीफ की. सलोनी को उन शब्दों के साथ बेते का नरम, कोमल स्पर्श अत्यंत रोमांचक लग रहा था. उसके बदन में सनसनाहट होने लगी थी. उसकी ऑंखे बंद होती जा रही थी. "मम्मी तुम नंगी होकर कितनी सुन्दर और मस्त दीखती हो.......और आप और भी कितनी सुन्दर और मसत दीखती अगर अपने........." राहुल अचानक से रुक जाता है.
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"अगर क्या? अगर क्या........" सलोनी एकदम से ऑंखे खोल अधीरता से पूछती है.

"अगर अपने अपना मंगलसुत्र पहना होता............आपके दूध जैसे गोर दूधों के बिच वो मंगलसुत्र कितना सुन्दर दीखता है.......आप कितनी मसत लगती आगर आप इस समय वो मंगलसूत्र पहनकर मेरे ऊपर यूँ ही सवारी करति.......आपका मंगलसूत्र कैसे आपके दुधु के बिच लटकता, झुलता..........कितना मसत दीखता........हये कितना मज़ा आता......सच में मम्मी....,..."
 
"हयै........हाए......सा मज..........उफ्........सा मज़ा पहले कभी नहीं आया......... उफ़ कितना मोटा लम्बा लौडा है तेरा मेरे लाल.....उफ़्फ़ पेट् के अंदर तक्क घुस गेय महसूस हो रहा है.........." सलोनी राहुल के सिने पर हाथ रखे अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से पटक रही थी. जब्ब वो अपनी गण्ड हवा में ऊँची उठा कर वापस निचे पटकती तोह उसके नितम्बो के राहुल की जांघो से तकरने की ज़ोरदार आवाज़ आती.
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राहुल अपनी मम्मी के मुम्मो पर नज़र गड़ाये निचे से कमर उछाल रहा था. सलोनी के मोठे मगर ठोस मम्मे उसकी हर उछाल पर ऊपर निचे उछाल कूद लगा रहे थे. उनका बड़ा आकार उनकी उछाल कूड़ को और भी मादक बना रहा था. सलोनी के सिने पर यूँ उछलते उसके मोठे मम्मे राहुल को जैसे सम्मोहित कर रहे थे. कुछ समय यूँ ही वो मुम्मो को ऊपर निचे उचलते देखता रहता है और फिर वो अपनी निगाह ऊपर उठता है, अपनी मम्मी के चेहरे पर. सलोनी का मुख उत्तेजना से लाल होकर चमक रहा था. पीठ पीछे उसके काले स्याह बाल लेहरा रहे थे. सलोनी के होंठ कम्कम्पा रहे थे. हर बार जब्ब लंड उसकी चूत में घुसता तोह वो सिसक पढ़ति. अधमुंदी पल्कें, वो लरजते होंठ, चेहरे पर ज़माने भर की मादकता, सलोनी जैसे कोई अप्सरा थी जिसने अपने बेते के मन को मोहित कर लिया था. वो सुन्दर थी, सेक्सी तोह हद्द से ज्यादा. और उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाती थी उसकी नाक की बाली. उससे न सिर्फ उसकी चेहरे की सुंदरता निखर आती थी बल्कि वो इतनी सेक्सी लगती थी के देखे वाला अपनी नज़र नहीं हटा पाता था. ख़ास कर जब्ब वो चुदती थी और उसके चेहरे पर उत्तेज्न, मादकता को उसकी नाक की बालि इस कदर उभरती थी के देखने वाला उसे पाने की दया मांगने लगता.
राहुल भी अपनी मम्मी के चेहरे और मुम्मो पर अपनी नज़रें ऊपर निचे करता खो गेय था. वो अपनी कमर उछालना कभी का भूल चुका था बल्कि वो तोह अपनी मम्मी के सौंदर्य का रसपान कर रहा था. सलोनी को उत्तेजना और चुदाई के आनंद में कुछ समय तक्क एहसास नहीं होता मगर अनंतता उसका धयान जाता है के राहुल निचे से अपनी कमर नहीं उछाल रहा है. वो चोदते हुए उसके चेहरे को देख रहा है तोह वो खुद भी रुक जाती है. राहुल ऑंखे उसके चेहरे पर टिकाये अपलक उसे घूरे जा रहा था.
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"कय हुआ? ऐसे क्यों घूर रहे हो?" सलोनी आस्चर्यचकित थी. राहुल के चेहरे का भाव अजीब था. उसके होंठो पर हलकी सी मुस्कराहट थी मगर ऑंखे चकाचौध थी.

"कुछ नहीं बास देख रहा हुण........." राहुल मुस्कराते हुए अपने रंग में लौट आया.

"देख रहा हुन?????........मगर क्या?"

"देख रहा हुन मेरी मम्मी कितनी सुन्दर है.......कितनि खूबसूरत है........कितनि सेक्सी है............सच में मम्मी तुम कितनी सुन्दर हो में बता नहीं सकता........." राहुल के चेहरे से पता चलता था के वो सच बोल रहा था.

सलोनी कुछ पलों तक्क अस्चर्य से राहुल को देखति है. उसे ताजुब्ब हो रहा था के वो अपने जवान बेटे को किस हद्द तक्क पसंद थी. सलोनी अचानक से शर्मा जाती है.

"बस बस्स.......जयादा मक्खन न लगा..........इतनी बातें करना किधर से सिख गया तु" सलोनी का चेहरा जेहन पहले उत्तेजना से लाल था अब उस पर शर्म की लाली छाती जा रही थी.

"मक्खन क्योँ.........तुमहे क्या लगता है में झूठ बोल रहा हूँ?"

"हान........तुम बिलकुल झूठ बोल रहे हो ताकि में तुम्हे इसी तेरह हर रोज़ अपनी देती रहू"
 
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